Kheri Asra

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Kheri Asra (खेड़ी आसरा), also spoken छारा वाली खेड़ी, is a small Villlage in Jhajjar tahsil and district of Haryana.

Location

It is surrounded by Surakhpur, Chhara and Bhadani villages. It is on an approach road on Jhajjar Bahadurgarh Road, just after crossing Govt. College (Nehru College).

Origin

History

This village is famous for its Arya Samaj functions.They have got every year many Arya Samaj functions/Arya Samaj Mahila sammelan. Sastri Ramdev G has devoted much of his time to drive Arya Samaj functions /Activities into the village oftenly along with sevaral others motivators .

This village's volleyball girls team is very famous and village's girls are regular in representing Haryana state at national level in junior volleyball events.

This village has a small memorial park in the memory of Shaheed Lt. Ravinder Chhikara "Kirti Chakra" with small museum in it. Every year, on 19 July, a function in memory of Ravinder Chhikara is organised there by Arya Samaj.

Jat Gotras

It is mainly inhabited by Chhikara Gotra Jats.

History of Deswal Gotra in Kheri Asra Village

कप्तान सिंह देशवाल लिखते हैं - यह गाँव पहले से खेड़ी छारा के नाम से बसा हुआ है। छारा गाँव के लड़की लडरावण गाँव में ब्याही गई थी। उसके पति का नाम आसाराम था। वह लगभग 400 वर्ष पहले परिवार सहित गाँव छारा में आया था। उसे छारा गाँव की जमीन में से 4 हजार बीघा जमीन देकर बसा दिया। अतः आसाराम के नाम से इस गाँव का नाम खेड़ी आसरा पड़ा। इस गाँव में हमारी दादी जीवणी ने गाँव सुरेहती से चलकर 1775 में अपने मामा के घर आकर आसरा लिया था।

मेजर चौ. रणधीरसिंह देशवाल ने अपने परिवार की कहानी बताते हुए कहा कि गाँव सुरेहती में हमारे पूर्वज रहते थे। दादा माहाराम नम्बरदार के घर में एक लड़की ने जन्म लिया जिसका नाम हंसकौर रखा गया। वह अति सुन्दर और होनहार थी। एक दिन वह बाजरे के खेत की रखवाली कर रही थी। चौ. माहाराम नम्बरदार भी अपने परिवार के साथ खेत में गया हुआ था।

फर्रूखनगर में उस समय नवाब मुसावी खान का शासन था। वह शिकार करता हुआ गाँव सुरेहती के खेतों में आ गया। नवाब के सिपाही और खुद मुसावी खान एक जंगली सूअर के पीछे घोड़े दौड़ा रहे थे। सूअर अपनी जान बचाने के लिए बाजरे के खेत में छुप गया। उधर से नवाब के सिपाही भी खेत में घुसने लगे। उसी समय लड़की हंसकौर ने कहा कि हमारी बाजरे की फसल नष्ट हो जायेगी, अतः घोड़े को खेत में मत ले जाओ। सिपाहियों ने कहा कि खेत में हमारा शिकार छुपा हुआ है। हंसकौर ने कहा कि मैं आपका शिकार खेत से बाहर निकालती हूँ। वह अकेली लड़की जंगली सूअर को खेत से बाहर लेकर आ गई। नवाब मुसावी खान ने लड़की की वीरता और सुन्दरता को देखकर शादी करने का मन बना लिया। चौ. माहाराम के सामने प्रस्ताव रखा गया कि आप इस लड़की की शादी हमारे साथ कर दो। चौ. माहाराम देशवाल ने इनकार करते हुए कड़ा विरोध किया। गाँव की पंचायत हुई और राजा जवाहरसिंह के पास गए। महाराजा जवाहरसिंह ने देशवाल गौत्र के लोगों को साथ लेकर (सन् 1763 में) मुसाबी खाँ से लड़ाई लड़ी और उसको पकड़ लिया। बाद में किसी खुशी के माहौल में 1774 में मुसाबी खाँ को छोड़ दिया गया। फिर मुसाबी खाँ ने बदले की भावना से सन् 1775 में गाँव सुरेहती को घेरकर चौ. माहाराम के सारे परिवार को मार डाला। इस परिवार में एक हमारी दादी जो अपने पीहर गाँव दिचाऊं में गई हुई थी, वह बच गई। मुसाबी माहाराम के परिवार की तलाश कर रहा था। अतः दादी जीवणी अपने भाई को साथ लेकर अपने मामा के घर खेड़ी में आकर छिप गई। यहाँ पर पाँच महीने के बाद एक लड़के ने जीवणी के गर्भ से जन्म लिया, जिसका नाम जसवन्त रखा गया। जीवणी का भाई अपनी बहन की रक्षा के लिए साथ आया हुआ था। जसवन्त के जवान होने पर इसका मामा वापिस चला गया। जसवन्त के परिवार की बढोतरी कम हुई है। फिर भी इस गाँव में काफी परिवार हैं।

विशेषताऐं -

  1. यह गाँव भदाणी से 2 किलोमीटर उत्तर दिशा में और छारा गाँव से 6 किलोमीटर दक्षिण में आबाद है।
  2. रिसलदार चौ. रामस्वरूप 40 देशों में गोला फेंकने में कॉमनवैल्थ गेम्स में चैम्पियन थे। घोड़ी पर चढ़कर नेजा फेंकने में और रस्साकशी में प्रथम स्थान पर आए थे।[2]

Population

Notable Persons

External Links

References


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