Krauncharanya

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(Redirected from Krauncha Vana)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Krauncharanya (क्रौंचारण्य) (Krauncha forest) is a forest mentioned in Ramayana, located between Janasthana and Matangashrama. It is probably situated near the Krauncha Giri, a small settlement in Karnataka, India, about 10 km from Sandur in Bellary District.

Variants

Origin

History

क्रौंचारण्य

विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ... क्रौंचारण्य (AS, p.248) नामक वन का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में हुआ है। इसके उल्लेखानुसार श्रीराम और लक्ष्मण, सीता की खोज करते हुए पंचवटी से चलकर यहाँ पहुँचे थे- 'तत: परं जनस्थानात्त्रिक्रोशंगम्य राघवौ, क्रौंचारण्य विविशतु: गहनं तौ महौजसौ" अरण्यकांड 69, 5. अर्थात् "उसके बाद जनस्थान से तीन कोस चलकर तेजस्वी राम और लक्ष्मण ने घने क्रौंच वन में प्रवेश किया -- 'तत: पूर्वेण तौ गत्वा त्रिकोशं भ्रातरौ तदा, क्रौंचारण्यमतिक्रम्य मतंगाधममंतरे' अरण्यकांड 69, 8 अर्थात् "क्रौंचारण्य को पार करके तीन कोस चलने पर वे मतंगाश्रम पहुँचे।"

इससे सूचित होता है कि क्रौचारण्य 'जनस्थान' और 'मतंगाश्रम' के बीच में स्थित था। क्रौंचारण्य के निकट क्रौंच नामक पहाड़ी की स्थिति थी। वर्तमान बेल्लारी (मैसूर) से छ: मील पूर्व की ओर लोहाचल पर्वत को क्रौंच कहा जाता है। संभव है रामायण काल में इसके निकटवर्ती वन को ही 'क्रौंचारण्य' नाम से अभिहित किया जाता हो।

In Ramayana

Aranya Kanda/Aranya Kanda Sarga 69 mentions Krauncha forest while Rama and Lakshmana are searching forests for Sita. Krauncha forest is mentioned in verses [3-69-5] and [3-69-8]


5. Thereafter, both the highly vigorous Raghava-s have entered the impassable Krauncha forest, on going three krosa-s from Janasthana. [3-69-5].[2]

8. Then, both the brothers on passing over that Krauncha forest and on going from there eastwardly on a three-krosha route, those sons of Dasharatha have seen a horrendous forest in between Krauncha forest and Matanga hermitage. [3]

External links

References

  1. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.248
  2. ततः परम् जनस्थानात् त्रि क्रोशम् गम्य राघवौ । क्रौंच अरण्यम् विविशतुः गहनम् तौ महौजसौ ॥३-६९-५॥
  3. ततः पूर्वेण तौ गत्वा त्रि क्रोसम् भ्रातरु तदा । क्रौंचारण्यम् अतिक्रम्य मातंग आश्रम अंतरा ॥३-६९-८॥