Kilkila River

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(Redirected from Kudhani Nadi)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Kilkila River (किलकिला नदी) is a river in the Panna district of Madhya Pradesh, India. It is a lifeline for the city of Panna, which is famous for its pearl mines.

Variants

Jat Gotras Namesake

Significance of the river

The river is also a significant part of the city's cultural and religious history. The river is a source of water for the city, including Rani Bagh, Mohan Niwas, Agra Mohalla, and Dham Mohalla. It also provides irrigation water to farmers in the lower parts of the city. [2]

Course

It feeds the Ken river in Panna district in Madhya Pradesh. Ken joins the Yamuna, which joins the Ganga. Hence Kilkila is part of Ganga basin. This small river has a long story.[3]

45 kms long Kilkila starts in Chhapar forest range of Take hills in Panna district, Madhya Pradesh. It flows through Panna city and buffer zone of Panna Tiger Reserve. About 2 km, upstream of Bariyarpur barrage, Kilkila joins Ken from right bank. Rather unusually, in lower part the river is known as Mohar Nadi.[4]

In informal Hindi Kilkila translates as sweetly noisy, a bit like murmuring or babbling. It is also Hindi name for Kingfisher bird. The river makes two beautiful falls downstream Panna town. One is Kalkal at Amrai ghat and second is Kahua Seha fall. Two small streams join Kilikila in upper catchment.[5]

Pollution

The river is currently in danger due to pollution. The river has become contaminated and turned into a swamp due to the dumping of sewage from the Panna city into it.

किलकिला नदी

बुंदेलखंड का पन्ना जिला अतीत की यादों को संजोय ऐसा जिला है जो मध्य प्रदेश में सबसे उपेक्षित है । इसी नगर में एक नदी बहती है ​​किलकिला , जिसका उदगम भी इसी जिले से होता है और विलीन भी इसी जिले में होती है । दुनिया भर में फैले प्रणामी सम्प्रदाय के लोगों के लिए किलकिला नदी गंगा की तरह पूज्य है । कुछ माह पहले इस नदी पर समाज सेवियों का बड़ा तामझाम दिखा नदी बचाने की मुहीम शुरू की । नदी की जलकुम्भी भी साफ़ की फोटो भी खिचाई पर उसके बाद ना तो इसमें मिलने वाले गटर रोके गए और ना ही गंदगी साफ़ हुई ।

पन्ना जिले के बहेरा के समीप छापर टेक पहाड़ी से निकलने वाली यह किलकिला नदी पन्ना टाइगर रिजर्व से होती हुई सलैया भापतपुर के मध्य केन नदी में विलीन हो जाती है । जिले में ४५ किमी बहने वाली यह नदी केन नदी पहले (5 किमी पूर्व ) यह अपना नाम भी बदल लेती है । वहां लोग इसे माहौर नदी नाम से जानते हैं । एक नदी के दो नाम प्रायः कहीं सुनने में नहीं मिलते । सदियों से बह रही इस नदी को लेकर तरह तरह की किवदंतियाँ भी यहां खूब प्रचलित हैं । कहते हैं कि जब घोड़ा इस नदी का पानी पी लेता तो घुड़सवार , और घुड़ सवार के पीने पर घोड़ा मर जाता था । स्वामी लाल दास ने अपने एक लेख में लिखा है की किलकिला नदी को कुढ़िया नदी भी कहते हैं , क्योंकि इस जल के उपयोग करने से कोढ़ हो जाता था । एक और किवदंती यह भी है की यह नदी इतनी विषैली थी की जब कोई पक्षी इसके ऊपर से निकलता था तो वह मर जाता था ।

388 वर्ष पूर्व नदी का जल बना अमृत : मान्यता है की किकिला के इस विषैले जल को अमृत बनाया निजानन्द सम्प्रदाय के प्राणनाथ जी ने । संवत 1684 में वे इसी किलकिला नदी के तट पर आये थे । यहाँ जब उन्हें स्नान करने की इक्षा हुई तो स्थानीय आदिवासियों ने उन्हें इससे रोका था । उनके अंगूठे के स्पर्श मात्र से यह विषाक्त जल अमृत हो गया । वह स्थान आज भी अमराई घाट के नाम से जाना जाता है । यह स्थान निजानन्द सम्प्रदाय में पवित्र स्थल माना जाता है । प्राण नाथ यही बस गए उनका प्राणनाथ मंदिर निजानन्द सम्प्रदाय के लोगों के लिए किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है , और किलकिला नदी उनके लिए गंगा की तरह पूज्यनीय है । इस सम्प्रदाय को मानने वाले दुनिया भर में फैले लोग इस नदी का जल ले जाते हैं । आज भी इस सम्प्रदाय से जुड़े लोगों की मृत्यु के बाद उनकी अस्थियो को नदी किनारे बने मुक्ति धाम में ही दफ़नाया जाता हैं । मान्यता है कि इससे जीव को मुक्ति मिलती है ।

पन्ना की इस किलकिला नदी के उद्धार के लिए नगर पालिका के तत्कालीन अध्यक्ष ब्रजेंद्र सिंह बुंदेला ने प्रयास किये थे । उनके जाने के बाद इस ओर कोई प्रशासनिक प्रयास नहीं हुए । इस वर्ष कुछ स्वयं सेवी संघठनो ने नदी को जीवंत बनाने का प्रयास अवश्य किया । नदी की जलकुम्भी साफ़ की खूब प्रचार प्रसार भी किया पर नदी के हाल आज भी जस के तस बने हुए हैं । नदी में आज भी नगर की गन्दी नालियों का पानी मिल रहा है । जगह जगह कीचड़ के कारण आज यह दम तोड़ती नदी बन कर रह गई है । पिछले दिनों हमें मिले एक स्वयं सेवी संघटन के कर्ता धर्ता ने जरूर बतया था की इस नदी के कायाकल्प के लिए राजेन्द्र सिंह आएंगे , उनके नेतृत्व में इस नदी को साफ़ सुथरा किया जाएगा ।

देश में संस्कृतियों और नगरों का विकाश भले ही सरोवरों और नदियों के तट पर हुआ हो किन्तु आज के दौर में बोतल बंद पानी की संस्कृति ने वीराने में भी नगर बसा दिए और सरोवरों और नदियों को मारने का सिलसिला शुरू कर दिया । किलकिला नदी जिसके तट पर ही पन्ना नगर की संस्कृति रची बसी है उसे ही समाप्त करने का सिलसिला जाने अनजाने बदस्तूर जारी है ।

Source - मैली होती पन्ना की ​किलकिला नदी-Bundelkhand Research Portal

External links

References

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