Kuranga

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Kuranga (कुरंग) is a tirtha mentioned in Mahabharata located on the banks of Karatoya River.

Origin

Variants

History

In Mahabharata

Kuranga (कुरङ्ग) (T) in Mahabharata (XIII.26.11)

Anusasana Parva/Book XIII Chapter 26 mentions the sacred waters on the earth. Kuranga (कुरङ्ग) is mentioned in Mahabharata (XIII.26.11). [1]....Repairing to Indratoya in the vicinity of the mountains of Gandhamadana and next to Karatoya in the country called Kuranga, one should observe a fast for three days and then bathe in those sacred waters with a concentrated heart and pure body. By doing this, one is sure to acquire the merit of a Horse-sacrifice.

कुरंग

विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...कुरंग (AS, p.204): महाभारत, अनुशासन पर्व में कुरंग क्षेत्र को करतोया नदी का तटवर्ती प्रदेश बताया गया है. करतोया बंगाल के जिला बोगरा में बहने वाली नदी है.


कुरंग नामक एक तीर्थ का उल्लेख महाभारत में हुआ है। महाभारत के अनुसार यह गन्धमादन पर्वत के समीप एक तीर्थ स्थल है। [3]

करतोया नदी

विजयेन्द्र कुमार माथुर[4] ने लेख किया है ...करतोया नदी (AS, p.139) ज़िला बोगरा, बंगाल की एक नदी है। करतोया नदी गंगा और ब्रह्मपुत्र की मिली-जुली धारा पद्मा नदी में मिलती है। करतोया नदी का उल्लेख महाभारत में इस प्रकार है:- 'करतोया समासाद्य त्रिरात्रोपोषितो नर: अश्वमेधमवाप्नोति प्रजापतिकृतोविधि। (वन पर्व महाभारत.85,3)

करतोया का नाम अमरकोश 1,10,33 में भी है-'करतोया सदानीरा बाहुदा सैतवाहिनी' जिससे संभवत: सदानीरा एवं करतोया एक ही प्रतीत होती हैं। कालांतर में करतोया को अपवित्र माना जाने लगा था और इसे कर्मनाशा के समान ही दूषित समझा जाता था। यथा 'कर्मनाश नदी स्पर्शात् करतोया विलंधनात् गंडकी बाहुतरणादधर्म: स्खलति कीर्तनात्' आनंद रामायण यात्राकांड। (आनंद रामायण यात्राकांड 9,3) जान पड़ता है कि बिहार और बंगाल में बौद्ध मतावलंबियों का आधिक्य होने के कारण इन प्रदेशों तथा इनकी नदियों को, पौराणिक काल में अपवित्र माना जाने लगा था। (दे. कुरंग)

External links

References

  1. इन्द्र तॊयां समासाद्य गन्धमादन संनिधौ, करतॊयां कुरङ्गेषु तरिरात्रॊपॊषितॊ नरः, अश्वमेधम अवाप्नॊति विगाह्य नियतः शुचिः (XIII.26.11)
  2. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.204
  3. भारतकोश-कुरंग (तीर्थ)
  4. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.139