Mahadeva Parvata

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(Redirected from Mahadeo Hills)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Mahadeva Parvata (महादेव पर्वत) is a range of hills in Madhya Pradesh state of central India. The hills are situated in the northern section of the Satpura Range.[1]

Variants

Location

The Mahadeo Hills run east and west through Betul, Chhindwara, and Seoni districts, separating the basin of the Narmada River to the north from that of the Wainganga and Wardha rivers, tributaries of the Godavari, to the south. The hills slope gently in the north, but drop steeply to the south[3] onto the Deccan Plateau. The hills are home to tropical moist deciduous forests, part of the Eastern highlands moist deciduous forests ecoregion.

Mahadeo Temple

The Mahadeo Hills also conceal a temple near the Narmada River that is dedicated to Shiva, the god of destruction in the Hindu religion. It is believed that the Narmada River is a daughter of the destroyer god.[4]

History

महादेव पर्वत

महादेव पर्वत (AS, p.722): विंध्या पर्वत के दक्षिण तथा सतपुड़ा पर्वत के निकट स्थित पर्वत-श्रेणी जो संभवत: प्राचीन शुक्तिमान् पर्वतमाला के अंतर्गत थी. [5]

महादेव पहाड़ियाँ

महादेव पहाड़ियाँ भारत की नर्मदा नदी और ताप्ती नदियों के बीच स्थित हैं। यह सतपुड़ा पर्वतश्रेणी का एक उच्चतम भाग है। यह क्षेत्र पूरी तरह से टीक तथा साल के वनों से आच्छादित है। प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पंचमढ़ी इसी पहाड़ी पर स्थित है। महादेव पहाड़ियाँ 2,000 से 3,000 फ़ुट तक की ऊँचाई वाले पठार हैं। ये पहाड़ियाँ 'आद्य महाकल्प' तथा 'गोडवाना काल' के लाल बलुआ पत्थरों द्वारा निर्मित हुई हैं। महादेव पहाड़ी के दक्षिण की ढालों पर मैंगनीज़ तथा छिंदवाड़ा के निकट पेंचघाटी से कुछ कोयला प्राप्त होता है।[6]

पंचमढ़ी का बड़ा महादेव

मध्य प्रदेश में उज्जैन के महाकाल और मंदसौर के ओंकारेश्वर मंदिर के बाद महाशिवरात्रि का सबसे बड़ा और अनोखा मेला पचमढ़ीके चौरागढ़ मंदिर में भरता है. मध्यप्रदेश के अलावा महाराष्ट्र और गुजरात से बड़ी संख्या में भक्त यहां आते हैं. वे बेहद कठिन सीढियां चढ़कर महादेव के दर्शन करते हैं.

महामेला का होता है आयोजन: मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में हिल स्टेशन पचमढ़ी की खूबसूरत घाटियों और जंगलों के बीच चौरागढ़ के शिखर पर स्थित बड़ा महादेव मंदिर - भगवान भोलेनाथ का चौरागढ़ मंदिर है. यह पचमढ़ी के सबसे प्रसिद्ध मंदिर में से एक है. चौरागढ़ मंदिर लगभग 4200 फिट की ऊंचाई पर स्थित है, जिस वजह से यहां से आसपास के जंगलों, घाटियों और सूर्योदय का मनमोहक दृश्य भी देखा जा सकता है. इसी वजह से अक्सर पचमढ़ी की यात्रा पर आने वाले पर्यटक यहां घूमने आते हैं. इसके साथ ही महाशिवरात्रि के दौरान यहां महामेला और महाअभिषेक का आयोजन किया जाता है. जिसमें लाखों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं. इसके पीछे भी एक मान्यता जुडी हुई है. मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को बेहद कठिन लगभग 1300 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं.

क्या है किवदंतिया: चौरागढ़ मंदिर का इतिहास कई युगों पुराना है. जिससे दो किवदंतिया जुडी हुई हैं. एक प्रचलित कथा के अनुसार माना जाता है कि भगवान शिव जी ने भस्मासुर से बचने के लिए इन पहाड़ियों में शरण ली थी. एक अन्य किवदंती के अनुसार माना जाता है इस पहाड़ी पर चोरा बाबा ने कई वर्षों तक तपस्या की थी. जिसके बाद भगवान शिव उन्हें दर्शन दिए और कहा कि इस पहाड़ी को आज से चोरागढ़ के नाम से जाना जायेगा. तभी से इस पहाड़ी को चोरागढ़ के नाम से जाना गया और भोलेनाथ के इस मंदिर का निर्माण किया गया.

क्या परम्परा: पचमढ़ी के प्रसिद्ध चौरागढ़ मंदिर में त्रिशूल का काफी महत्व है. जिस वजह हर साल हजारों भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए त्रिशूल चढाते हैं. दरअसल, बात उस समय की है जब यहां चोरा बाबा ने तपस्या की थी. जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और अपना त्रिशूल इसी स्थान पर छोड़ कर चले गये थे. ठीक उसी समय के बाद से चौरागढ़ मंदिर में त्रिशूल चढाने की परम्परा शुरू हुई थी.

क्या है मान्यता: पचमढ़ी के सबसे प्रसिद्ध मंदिर और आस्था केंद्र में से एक चौरागढ़ मंदिर में हर साल महाशिवरात्रि या भगवान शिव के जंमोत्सव को बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दौरान मंदिर में एक विशाल त्रिशूल भी चढ़ाया जाता है. जिसे श्रद्धालु अपने कंधो पर उठाकर मंदिर तक ले जाते है. माना जाता है महाशिवरात्रि मेला में यहां हर साल लगभग एक लाख श्रद्धालु देश के विभिन्न हिस्सों से इस उत्सव में हिस्सा लेने के लिए आते हैं.

बड़ा महादेव गुफाएं

कहां है बड़ा महादेव मंदिर: मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित पचमढ़ी के चौरागढ़ में स्थित है बड़ा महादेव का मंदिर. कहते हैं कि यहीं पर भगवान शंकर ने भस्मासुर को वरदान दिया था और यहीं पर उनको विष्णु जी से मदद लेना पड़ी थी. पचमढ़ी शहर से लगभग 12 किलोमीटर दूर चौरागढ़ पहाड़ी स्थित है. सतपुड़ा पर्वत की मालाओं के बीच स्थित है यह पहाड़ी चौरा बाबा के नाम पर रखा गया है पहाड़ी का नाम. पहाड़ी पर मंदिर में पहुंचने के लिए पहले कई पथरीले रास्ते तय करना होते हैं. महादेव मंदिर से 3 किलोमीटर पैदल चलना होता है. 1300 सीढियों की चढ़ाई है. बड़ा महादेव मंदिर में एक गुफा है, जो बहुत ही खूबसूरत है और यह पहाड़ी पर बनी है. इस गुफा के अंदर आपको एक जलकुंड देखने मिलेगा. जब आप गुफा में जाते हैं तो आपको शंकर जी का शिवलिंग और उसके साथ ही साथ गणेश जी देखने मिलते हैं. गुफा के द्वार में नंदी भगवान की प्रतिमा बैठी हुई है जो पत्थर की बनी हुई है. कहते हैं कि महादेव यात्रा के दौरान यहां पर अपना त्रिशूल छोड़कर चले गए थे. तभी से मन्नत पूर्ण होने पर यहां पर त्रिशूल छोड़ने की परंपरा बन गई है. संत भूरा महाराज की एक प्रतिमा चौरागढ़ में भगवान भोलेनाथ के ठीक सामने स्थापित की गई है. दूर-दूर से लोग चौरागढ़ पचमढ़ी में महादेव की पूजा करने आते हैं.

यह कहावत है कि महादेव दर्शन हेतु जाने से पहले भूरा भगत (छिंदवाड़ा) को पार करना आवश्यक है किंवदंतियों के अनुसार चौरागढ़ की पहाड़ियों में साधना के दौरान भूरा भगत महाराज को महादेव जी ने दर्शन दिए थे. शिवजी से उन्होंने वरदान मांगा कि मैं आपके चरणों में रहूं और यहां आने वाले को आपका मार्ग बता सकूं. भूरा भगत महज एक शीला के रूप में वहां मौजूद हैं. संत भूरा भगत की प्रतिमा ऐसे स्थान पर विराजमान है जिसे देखने से अनुमान लगता है मानो भगवान भोलेनाथ के मुख्य द्वार पर द्वारपाल की तरह बैठे हों.

स्रोत - webdunia.com

External links

References