Maharaja Brajendra Singh

महाराज व्रजेन्द्रसिंह फरीदकोट के राजा वराड़ वंशी जाट सिख थे। जाट इतिहास:ठाकुर देशराज से इनका इतिहास नीचे दिया जा रहा है।
महाराज व्रजेन्द्रसिंह
महाराज बलवीरसिंह जी की मृत्यु के बाद राजसिंहासन पर उनके भाई गजेन्द्रसिंह जी के सुपुत्र श्री व्रजेन्द्रसिंह जी बैठे। क्योंकि व्रजेन्द्रसिंह जी बालिग नहीं थे, इसलिए राज्य-प्रबन्ध कौंसिल के हाथ रहा। महाराज को चीफस् कालेज में शिक्षा दी जाने लगी। जब वह युवा हो गये तो सरकार अंग्रेज ने 24 नवम्बर 1916 ई० को उन्हें राज्याधिकार दे दिए। उस समय महाराज की अवस्था 20 साल की थी। उन दिनों अंग्रेजी और जर्मनी में घोर युद्ध हो रहा था। महाराज ने अंग्रेज सरकार को सब प्रकार से सहायता दी। इसलिए बदले में सरकार ने आपको 'मेजर' की उपाधि से विभूषित किया। महाराज की इच्छा थी कि राज्य में नवीन सुधार हों, इसलिए आपने 'व्रजेन्द्र हाईस्कूल', जनाना अस्पताल, कृषि-विभाग, सदर अस्पताल, वाटर-वर्क्स, टेलीफून और बिजली के प्रकाश से शहर को व राज को उन्नत बनाने का आयोजन किया। प्रजा की भलाई के लिए और भी सुधार करना चाहते थे। उनकी बहुत कुछ इच्छा थी, परन्तु दो ही वर्ष के भीतर उनका स्वर्गवास हो गया। 23 दिसम्बर 1918 को 22 वर्ष की अवस्था में प्रजा से वे सदा के लिए पृथक हो गये।
References
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