Mahesh Kumar Nitharwal

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Mahesh Kumar Nitharwal

Mahesh Kumar Nitharwal, from village Dhani Bijawala (Hanspur), Srimadhopur, Sikar, Rajasthan, became martyr on 19.10.2018 in Drass Sector of Jammu-Kashmir due to landslide.

महेश कुमार निठारवाल का जीवन परिचय

Reference - दैनिक भास्कर, 23.10.2018

जम्मू-कश्मीर के द्रास सेक्टर में भारत-पाक बाॅर्डर पर ड्यूटी के दौरान बर्फबारी के बीच 19 अक्टूबर को भूस्खलन में शहीद हुए आर्मी के जवान महेश कुमार निठारवाल की सोमवार को उनके पैतृक गांव ढाणी बीजावाला (हांसपुर) में राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि की गई। शहीद को उनकी सात महीने की बेटी अनुष्का ने मुखाग्नि दी। यह देखकर वहां मौजूद हर किसी के आंखें नम हो गईं। लोग भारत माता के जयकारे लगाने लगे। जवानों ने तीन राउंड फायर कर सलामी दी। अंतिम संस्कार में सैन्य अफसर, प्रशासनिक अधिकारी, जनप्रतिनिधि सहित भारी संख्या में लोग शरीक हुए।

शहीद महेश कुमार निठारवाल की राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि

इससे पहले सोमवार सुबह करीब साढ़े दस बजे बजे शहीद महेश कुमार निठारवाल की पार्थिव देह घर पहुंची। शहीद के चाचा कालूराम, शहीद की माँ आंची देवी और वीरांगना सुमन का रो-रो कर बुरा हाल हो गया. दस माह के भतीजे युवराज और 9 माह की पुत्री अनुष्का ने मुखाग्नि दी. सैन्य टुकड़ी ने शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर दिया.

घर के पास ही खुद की जमीन पर ही सम्मान से उन्हें अंतिम विदाई दी गई। शहीद महेश निठारवाल तीन साल पहले 6-राज रिफ बटालियन में भर्ती हुए थे। 19 अक्टूबर को ड्यूटी के दौरान वे शहीद हो गए। 20 महीने पहले महेश की शादी हुई थी। उनकी 7 माह की बेटी है। पिछली बार जुलाई में महेश घर आए थे। तब उन्होंने परिजनों से कहा था कि छुट्‌टी मिली तो दिवाली पर घर आएंगे। वे बेटी अनुष्का की पहली दिवाली उसके साथ मनाना चाहते थे।


अंत्येष्टि में साथ आए यूनिट के जवानों ने बताया कि महेश कुमार निठारवाल 18 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी पोस्ट पर तैनात थे। तापमान -20 डिग्री था। 19 अक्टूबर को बर्फबारी हो रही थी। अचानक भूस्खलन ने महेश व चौकी को चपेट में ले लिया। दूर खड़े साथी समझ पाते इससे पहले ही करीब दो सौ फीट नीचे खाई में महेश बर्फ में दब गए। घंटों बाद जवानों ने महेश को खोजा लेकिन वे शहीद हो चुके थे।

बचपन से ही सेना में भर्ती होने का था जज्बा: जम्मू-कश्मीर के द्रास इलाके में शहीद होने वाले महेश कुमार निठारवाल ने बचपन से ही आर्मी में भर्ती होने का जज्बा पाल रखा था। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए 12वीं कक्षा पास करते ही श्रीमाधोपुर के एमजी कॉलेज में आगे की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया तथा एनसीसी में भर्ती हुए। शुरू से ही सेना भर्ती का लक्ष्य था, इसके लिए हर सेना भर्ती में भाग लिया, ताकि सेना में भर्ती होकर राष्ट्र की सेवा कर सके। तीन साल पहले सीकर में हुई सैन्य भर्ती रैली में महेश का चयन हो गया तथा प्रशिक्षण के बाद 6-राज रिफ बटालियन में उन्हें द्रास सेक्टर में नियुक्ति दी गई। [1]

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References


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