Ashish Dhonchak
Major Ashish Dhonchak belonged to Binjhol village of Panipat district in Haryana. He sacrificed his life on 13 September 2023 while fighting with Pakistani terrorists who had entered into Anantnag district of Jammu & Kashmir.
बलिदान और वीरत्व
- मेजर आशीष का 10 घंटे खून बहा, जिससे शहीद हुए: उन्हें लेने सेना के जवान पहुंचे तो कहा- आतंकियों को मारकर ही जाऊंगा
- साभार: दैनिक भास्कर दिनांक 15 सितंबर 2023
पानीपत के मेजर आशीष धौंचक अनंतनाग में टीम के साथ मिशन पर थे। घने जंगलों के बीच आतंकियों से मुठभेड़ चल रही थी। इसी बीच उनकी जांघ में गोली लग गई। आर्मी की मेडिकल टीम आई और उन्हें इलाज के लिए ले जाना चाहा।
मेजर आशीष ने कहा- मैं आतंकियों को मारकर ही जाऊंगा। वे घायल हालत में ही आतंकियों से भिड़ते रहे। करीब 10 घंटे तक उनके पैर से खून बहता रहा। इससे हालत बिगड़ती चली गई। लड़ते-लड़ते उनकी हालत नाजुक हो गई और वे शहीद हो गए।
मेजर आशीष की दिलेरी और देश सेवा के प्रति इस जज्बे का खुलासा मेजर आशीष के दोस्त विकास ने किया। उन्होंने कहा कि मैंने आशीष के साथ केंद्रीय विद्यालय में 9वीं से 12वीं क्लास तक पढ़ाई की। स्कूल टाइम से ही आशीष के मन में हर वक्त बस देश सेवा का जुनून रहता था। आशीष का गोल क्लियर था कि उन्हें सेना में जाना था।
जीजा को कहा था- दुश्मनों को निपटाकर लौटूंगा
मेजर आशीष धौंचक के जीजा सुरेश दूहन ने कहा- कुछ दिन पहले आशीष से बात हुई। उस वक्त वे बहुत खुश थे। मुझे कह रहे थे कि देश के 4-5 दुश्मन निपटा दिए। बाकियों को भी निपटाकर ही लौटूंगा। 23 अक्टूबर को नए घर में गृह प्रवेश करेंगे। जागरण होगा और हम सब खुशियां मनाएंगे।
असल में मेजर आशीष ने अपने लिए पानीपत की TDI सिटी में नया घर बनवाया था। इसमें वह अपने बर्थडे पर शिफ्ट होने वाले थे लेकिन उससे पहले ही आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हो गए।
मेजर की 2 साल की बेटी, 3 बहनों के इकलौते भाई
मेजर आशीष की शादी 15 नवंबर 2015 को जींद की रहने वाली ज्योति से हुई थी। उनकी 2 साल की बेटी वामिका है। पत्नी ज्योति भी गृहिणी हैं। मेजर आशीष 3 बहनों के इकलौते भाई थे। उनकी तीनों बहनें अंजू, सुमन और ममता शादीशुदा हैं। उनकी मां कमला गृहणी और पिता लालचंद NFL से सेवामुक्त हुए हैं।
25 साल की उम्र में 2012 में भारतीय सेना में बतौर लेफ्टिनेंट भर्ती हुए थे। इसके बाद वे बठिंडा, बारामूला और मेरठ में तैनात रहे। 2018 में प्रमोट होकर मेजर बन गए। ढाई साल पहले उन्हें मेरठ से राजौरी में पोस्टिंग मिली।
'मां कमला बोलीं- घुटनों तक बुलेटप्रूफ जैकेट मिले
मेजर आशीष की मां कमला ने कहा कि मैंने तो बेटा पाल कर देश को सौंप दिया। मेरा बेटा देश पर कुर्बान हो गया। लेकिन सरकार क्या कर रही है? सरकार, सीने से लेकर घुटनों तक की बुलेट प्रूफ जैकेट क्यों नहीं देती है। किसानों के बेटे ही शहीद हो रहे हैं। देश सेवा में सरकार का कौन सा बेटा गया हुआ है?
सैन्य सम्मान के साथ मेजर को अंतिम विदाई
शुक्रवार को मेजर आशीष की पार्थिव देह उनके पैतृक गांव बिंझौल लाई गई। जहां अंतिम दर्शन के बाद वे पंचतत्व में विलीन हो गए। उनकी अंतिम यात्रा में 10 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए। उनकी पार्थिव देह के साथ एक किमी लंबा काफिला था।
अंतिम यात्रा के साथ शहीद मेजर आशीष की बहनें और मां भी बिंझौल आईं। मां पूरे रास्ते हाथ जोड़े रहीं, जबकि बहन भाई को सैल्यूट करती रही। मेजर आशीष की बहन उनकी 2 साल की बेटी को लेकर श्मशान घाट पहुंचीं। उन्हें चचेरे भाई मेजर विकास ने मुखाग्नि दी। इससे पहले सिख रेजीमेंट के जवानों ने उन्हें गन सैल्यूट दिया।
Obituary
- Tribune News Service
Binjhol (Panipat), September 15, 2023
The last rites of Major Ashish Dhonchak were performed with full military honours at his native village Binjhol here on Friday (15 September 2023). Major Dhonchak was martyred during a gunfight with terrorists in Anantnag district of South Kashmir. Amid slogans of ‘Bharat Mata ki Jai’, ‘Vande Mataram’, ‘Jab tak suraj-chand rahega, Ashish tera naam rahega’. Hundreds of people participated in the funeral procession and bid a tearful adieu to the officer.
Lal Chand, father of Major Dhonchak, and Major Vikas Dhonchak, cousin of the martyred soldier, lit the pyre.
Deputy Commissioner Virender Kumar Dahiya read out the CM’s condolence message and paid tributes by offering a floral wreath on behalf of the CM.
Earlier today, the body of Major Dhonchak arrived at his newly constructed home in TDI City, where he had planned to shift on his birthday on October 23. On seeing the body, his father went into shock and was consoled by people gathered there.
The body was then taken to the cremation ground at his native village in an open military vehicle. Raising patriotic slogans, a kilometre-long cavalcade of motorcycles and vehicles escorted the funeral procession. Along the road, school-children were seen waving the Tricolour and scores of people showered flower petals.
It took over three hours to cover a 9-km journey from his house to the village. His mother Kamla Devi and three sisters saluted him at the cremation ground and bade him a tearful adieu. His wife Jyoti and three-year-old daughter Vamika also arrived at the cremation ground. “We are proud of our brother. He is a son of the country,” said the sisters.
Hundreds of people from adjoining villages turned up for the cremation. Some scaled the walls of the cremation ground and climbed the roof of sheds to witness the last rites. The air reverberated with the sentiments of patriotism, as scores of people carrying the Tricolour raised slogans.
Among others, senior Army officers Lt Gen DP Pandeu and Brig Ram Naresh; MLAs Mahipal Dhanda and Pramod Vij; BJP’s district president Archana Gupta; BJP leaders Lokesh Nagroo and Sanjeev Dahiya, SP Ajit Singh Shekhawat and AAP leader Ashok Tanwar attended the funeral.
Photo Gallery
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शवयात्रा के समय जनता का जुलूस
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हरयाणा के मुख्यमंत्री पानीपत पहुंचे और शहीद को श्रद्धांजलि दी
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शहीद मेजर आशीष धोंचक पर एक सम्पादकीय
External Links
References
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