Manu Bhakar

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Manu Bhaker.jpg

Manu Bhakar is a shooter and winner of two Gold Medals in shooting in 2018 ISSF World Cup . She hails from Goria village in Jhajjar tahsil and district in Haryana. She won first gold in the 10 metre air pistol category. Bhaker won her second gold medal at the World Cup in the 10 meter Air Pistol mixed team event. She had won Silver in Asian Shooting too.

Early life

Manu Bhaker was born in Goria village near Jhajjar in the Jhajjar district of Haryana. Her father, Ram Kishan Bhaker, works as a chief engineer in the Merchant Navy.[1] Until the age of 14 Bhakar excelled in other sports like Huyen langlon, a Manipuri martial art, as well as boxing, tennis and skating, winning medals at the national games in these events.[2]

Career

Om Prakash Mitharwal with Manu Bhakar

With a investment of 150000 ₹ by her father, Bhaker decided to take up competitive shooting. She first tasted success at the international level when she won the silver medal at the 2017 Asian Junior Championships. In the 2017 National games held at Kerala, Bhaker won nine gold medals[5] and defeated multiple World Cup medalist Heena Sidhu and broke Sidhu's record of 240.8 points, scoring 242.3 points in the final.[3]

In the 2018 International Shooting Sport Federation World Cup held at Guadalajara, Mexico. Bhaker won the gold medal in the Women's 10 meter air pistol, defeating Mexico's Alejandra Zavala, a two-time champion. Bhaker scored 237.5 the final match against Zavalaa, who scored 237.1.[4] By winning the gold medal at age 16, Bhaker became the youngest Indian to win a gold medal at the World Cup.[5]

Bhaker won her second gold medal at the World Cup in the 10 meter Air Pistol mixed team event. She was paired with fellow countrymen Om Prakash Mitharwal. The pair shot a score of 476.1 points, defeating Sandra Reitz and Christian Reitz who scored 475.2.[6]

Bhaker scored 388/400 points at 2018 Commonwealth Games in women's 10m air pistol qualifying round and qualified for the finals. In the final round of the women's 10m air pistol event during the Gold Coast Commonwealth Games, she secured the gold medal with setting a new Commonwealth Games record of 240.9 points.[7]

जीवन परिचय

मनु भाकर: सोलह साल की 'गोल्डन शूटर'

Manu Bhakar

मेक्सिको में चल रहे इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट्स फेडरेशन (ISSF) में भारत के लिए दो गोल्ड जीतने वालीं मनु भाकर के पिता राम किशन भाकर इतना कहते ही जोर से हंस देते है.

वे कहते हैं, "मैं पेशे से मरीन इंजीनियर हूं. लेकिन पिछले दो साल में बस तीन महीने के लिए ही शिप पर गया हूं."

उनकी हंसी में एक गर्व का अहसास तो था, लेकिन नौकरी छूटने का ज़रा भी मलाल नहीं था.

सबसे कम उम्र की महिला खिलाड़ी:

पहला गोल्ड मनु ने 10 मीटर एयर पिस्टल (महिला) कैटेगरी में जीता है और दूसरा गोल्ड 10 मीटर एयर पिस्टल (मिक्स इवेंट) में हासिल किया है.

एक दिन में शूटिंग में दो गोल्ड जीत कर 16 साल की मनु ने नया रिकॉर्ड बनाया है. ऐसा करने वाली वो सबसे कम उम्र की महिला खिलाड़ी हैं.

बीबीसी से बातचीत में राम किशन भाकर अपनी नौकरी छूटने की वजह भी बताते हैं.

उनके मुताबिक, मुन ने कई खेलों पर हाथ आज़माने के बाद 2016 में शूटिंग यानी निशानेबाज़ी करने का फ़ैसला किया.

पहली बार में ही स्कूल में जब उसने एक इवेंट में उसने हिस्सा लिया तो निशाना इतना सटीक लगाया कि स्कूल के टीचर दंग रह गए.

फिर थोड़ी प्रैक्टिस और ट्रेनिंग के बाद जगह जगह आयोजित प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने का सिलसिला शुरू हुआ.

लेकिन समस्या ये थी कि मनु लाइसेंसी पिस्टल के साथ सार्वजनिक यातायात के वाहन में सफर कर नहीं सकती थी.

और बालिग नहीं होने की वजह से वो खुद भी गाड़ी चला कर शूटिंग इवेंट में हिस्सा लेने नहीं जा सकती थी. इस समस्या का तोड़ राम किशन भाकर ने कुछ ऐसे निकाला.

बेटी के लिए नौकरी छोड़ दी...

बेटी के सपनों को साकार करने के लिए उन्होंने अपना सपना छोड़ दिया. पिछले डेढ़ साल से राम किशन भाकर नौकरी छोड़ बेटी के साथ-साथ हर शूटिंग इवेंट में घूम रहे हैं.

राम किशन भाकर कहते हैं, "शूटिंग बहुत मंहगा इवेंट है. एक एक पिस्टल दो-दो लाख की आती है. अब तक मनु के लिए तीन पिस्टल हम खरीद चुके हैं. साल में तकरीबन 10 लाख रुपए हम केवल मुन के गेम पर खर्च करते हैं."

नौकरी नहीं है फिर भी पैसों का इंतजाम कैसे हो जाता है? इस पर वो कहते हैं, "कभी दोस्तों से कभी रिश्तेदारों से मदद मिल जाती है."

मनु का परिवार:

मनु की मां स्कूल में पढ़ाती हैं. परिवार चलाने में उनका थोड़ा साथ मिल जाता है. मुन का एक बड़ा भाई है, फिलहाल वो आईआईटी की तैयारी कर रहा है.

मनु हरियाणा के झज्जर ज़िले के गोरिया गांव की रहने वाली है.

बहुत कम लोग जानते हैं कि जिस पिस्टल से निशाना साधकर मनु ने भारत को दो गोल्ड मेडल जिताये हैं, उस पिस्टल के लिए लाइसेंस लेने के लिए उसे ढाई महीने लंबा इंतंज़ार करना पड़ा था.

विदेशी पिस्टल:

आम तौर पर ये लाइसेंस खिलाड़ियों को एक हफ्ते में मिल जाता है.

उस घटना को याद करने हुए राम किशन भाकर कहते हैं, "साल 2017 में मई के महीने में मैंने विदेश से पिस्टल मंगवाने के लिए अर्जी दी थी. लेकिन झज्जर ज़िला प्रशासन की तरफ से मेरा आवेदन रद्द कर दिया गया था."

फिर मामला मीडिया में आया, और उसके बाद पता चला कि आवेदन करते वक्त लाइसेंस के लिए वजह में 'सेल्फ डिफेंस' लिख दिया गया था.

फिर ज़िला प्रशासन की तरफ से मामले में फौरन जांच बिठाई गई और फिर सात दिन के अंदर लाइसेंस जारी कर दिया गया.

डॉक्टर बनने का सपना:

खेल-कूद में आगे मनु, पढ़ाई में भी काफी दिलचस्पी रखती हैं. फिलहाल वो झज्जर के यूनिवर्सल स्कूल में ग्यारवीं में साइंस की छात्रा है.

मनु का सपना डॉक्टर बनने का भी रहा है. लेकिन शूंटिग के दो-दो गोल्ड हासिल करने के बाद अब मनु को भी अहसास है कि पढ़ाई और खेल दोनों साथ साथ नहीं चल सकते.

हालांकि मनु की पढ़ाई बीच में ब्रेक न हो, इसके लिए स्कूल से मनु को काफी मदद मिली है.

ऑल राउंडर:

मनु को स्कूल में उसके साथी 'ऑलराउंडर' कहकर पुकारते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि मनु ने बॉक्सिंग, एथलेटिक्स, स्केटिंग, जूडो कराटे सभी खेलों में हाथ आज़माया है.

इसलिए जब पहली बार पिस्टल खरीदने की ज़िद मनु ने की, तो पिता का सबसे पहला सवाल था - कम से कम दो साल तो ये खेल खेलोगी न?

हालांकि मनु की तरफ से उस वक्त कोई ठोस भरोसा उन्हें नहीं मिला था, लेकिन बावजूद इसके, पिता ने पिस्टल खरीद दी.

उस पल को याद करते हुए राम किशन भाकर भावुक हो कर कहते हैं, "इस साल 24 अप्रैल को मनु को शूटिंग को बतौर खेल प्रैक्टिस करते हुए दो साल होंगे. उससे पहले बेटी ने इतना नाम कर दिया और साथ ही मुझे मेरे सवाल का जवाब भी मिल गया."

Reference - https://www.bbc.com/hindi/sport-43299203

External links

Photo Gallery

References


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