Munsi Ram Dahiya
Munsi Ram Dahiya (Naik) (08.12.1930-22.10.1962) became martyr on 22.10.1962 in Ladakh when Chinese invaders attacked his forward section post. He was from village Bhadana in Sonipat tahsil and district of Haryana. Unit: (3132623) 5th Jat Regiment. He was awarded Vira Chakra for his act of bravery.
Incidence
On 22 Oct 1962, Naik Munshi Ram’s forward section in Ladakh was attacked by about the Chinese in heavy numbers. Naik Munshi Ram despite injuries and unmindful of the risk to his life, moved out of his trench and charged at the enemy killing many. He later succumbed to his injuries. He was awarded with Veer Chakra for his bravery. [1]
Gazette Notification: 70 Pres/62,12-11-62
Operation: 1962 Leg Horn
Date of Award: 22 Oct 1962
Citation: Naik Munshi Ram was commander of a forward section of a post in Ladakh. On 22 October 1962, the post was attacked by about 250 Chinese. After a few hours of fighting, it became necessary to replenish the stock of ammunition for the light machine gun of the section. Naik Munshi Ram unmindful of the risk to his life, came out of his trench and brought ammunition from the reserve. While returning to his trench, he was hit by a shell and killed.
Naik Munshi Ram's courage and selfless devotion to duty in the face of the enemy were in the highest traditions of our Army. [2]
नायक मुंशी राम दहिया का परिचय
नायक मुंशी राम दहिया
08-12-1930 - 22-10-1962
वीर चक्र (मरणोपरांत)
यूनिट - 5 जाट रेजिमेंट
ऑपरेशन लेगहॉर्न
भारत-चीन युद्ध 1962
नायक मुंशी राम का जन्म 08 दिसंबर 1930 को अविभाजित पंजाब (अब हरियाणा) के सोनीपत जिले की खरखौदा तहसील के भदाना गांव में चौधरी श्री छाजू राम दहिया के घर में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई। शिक्षा प्राप्ति के उपरांत 18 दिसंबर 1947 को जाट रेजिमेंटल सेंटर, बरेली से वह भारतीय सेना की जाट रेजिमेंट में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे। उन्हें 5 जाट बटालियन में नियुक्त किया गया। वर्ष 1962 तक वे सेना में लगभग 15 वर्ष की सेवा पूरी कर नायक के पद पर पदौन्नत हो चुके थे।
भारत-चीन युद्ध 1962 के समय नायक मुंशी राम लद्दाख में एक पोस्ट के अग्रिम सेक्शन के कमांडर थे। 22 अक्टूबर 1962 को लगभग 250 चीनियों ने इनकी पोस्ट पर भीषण हमला किया। कुछ घंटों की लड़ाई के बाद, इनके सेक्शन की लाइट मशीन गन के लिए गोला-बारूद के भंडार को फिर से भरना आवश्यक हो गया। अपने जीवन के प्नति खतरे की पूर्णतः उपेक्षा करते हुए नायक मुंशी राम अपनी खाई से बाहर निकले और रिजर्व से गोला-बारूद ले कर आए। अपनी खाई में लौटते समय, उन्हें दुश्मन का गोला लगा और वीरगति को प्राप्त हुए।
नायक मुंशी राम ने दुश्मन के सामने अदम्य साहस, वीरता एवं कर्तव्य के प्रति निस्वार्थ समर्पण का परिचय दिया। उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया।
नायक मुंशी राम दहिया के बलिदान को राष्ट्र युगों-युगों तक स्मरण रखेगा।
शहीद को सम्मान
गैलरी
स्रोत
बाहरी कड़ियाँ
संदर्भ
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