Nahri Sonipat

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Nahari is a village in Rai tahsil of Sonipat district of Haryana. Nahra Sonipat is a twin village

Location

Jat Gotra

History

Population

Notable Persons

Sajjan Kumar Dahiya
  • Sajjan Kumar Dahiya (Lt Cdr) (born:20.10.1939-), Shaurya Chakra, belonged to Nahari village in Rai tahsil of Sonipat district of Haryana. Unit: INS Trishul. On the night of 4–5 December 1971, PNS Ghazi sunk with all 93 servicemen on board (11 officers and 82 enlisted[1]) under mysterious circumstances:[2] off the Visakhapatnam coast, allowing the Indian Navy to effect a naval blockade of East Pakistan.[3] According to the Indian Navy's claims, Captain Inder Singh Malik changed the course at full speed across the specified point and ordered to drop two depth charges, which was done.[4] The Hydrographic correction book of PNS GHAZI and one sheet of paper with the official seal of the Commanding Officer of PNS GHAZI were recovered by Sajjan Kumar Dahiya.[5]
  • Ch. Dhan Ram - rai sahib (1 jan 1917), Zaildar & special police officer in British times, Rohtak district.
  • चौधरी हरफूल सिंह नाहरी निवासी वैदिक संस्कृत जाट स्कूल खेड़ा गढ़ी सूबा देहली का बुनियादी पत्थर - 25 सितंबर 1920 ई. (दिन शनिवार माह भादो शुक्ल पक्ष त्रयोदसी) मौके पर एक सो रुपये की रकम दी। चौधरी हरफूल सिंह अभी भी पढ़ाई कर रहा थे और जिसकी उम्र सिर्फ 18 साल थी, आगे बढ़ा और अपनी स्वर्गवासी माता की याद में कमरा बनवाने की प्रतिज्ञा की और कमरे की रकम में से एक सो रुपये की रकम उसी वक्त दे दी। इस नौजवान की दानवीरता देखकर उपस्थित जन ऐसे खुश हुए कि तालियों से कमरा गुंजा दिया। धन्य है वो मां जिसने हरफूल सिंह जैसे होनहार को दूध पिलाया और गोद खिलाया। हरफूल जो सच्चे मायनों में देश और जाति का फूल है। तेरी महक से अगर कौम ने चाहा तो ये भारतवर्ष फिर से महक उठेगा। इस जगह ये बात खासतौर पर ध्यान देने के काबिल है कि इस होनहार की बदौलत स्कूल के लिए सबसे पहला चंदा उत्साही नौजवान की जन्म भूमि नाहरी में हुआ और स्कूल का सबसे पहला कमरा भी नाहरी के इस सच्चे सपूत ने ही दिया। सच पूछा जाए तो ना हरी की बजाए फल फूल रही बन गई। इस वीराने में अपने गांव का नाम रोजे रोशन की तरह रोशन कर दिया। दूसरी बात का काबिले गौर ये है कि चौधरी हरफूल सिंह सबसे पहले हैं जिन्होंने तालीम के अयाम और इस छोटी सी उम्र में इस कदर अधिक रकम दान करने का संकल्प किया है। जाट जाति में तो क्या बल्कि दूसरी जातियों में भी ऐसी मिसाल मिलनी अगर असंभव नहीं तो मुश्किल जरूर है। जो जाति हरफूल सिंह जैसा ज्योतिर्मय लाल व कीमती फूल पैदा कर सकती है तो क्या ऐसी कौम अज्ञानी व पिछड़ी रह सकती है। हरगिज़ नहीं! हरगिज़ नहीं!

External Links

References

  1. "PNS/M Ghazi : Officers and Enlisted". pakdef.org.
  2. Till, Geoffrey (2004). Seapower: a guide for the twenty-first century. Great Britain: Frank Cass Publishers. p. 157. ISBN 0-7146-8436-8.
  3. Till, Geoffrey (2004). Seapower: A Guide for the Twenty-first Century. Psychology Press. ISBN 9780714655420. p: 157 
  4. "Bharat Rakshak Monitor: Volume 4(2) September–October 2001". Bharat-rakshak.com.
  5. 1971 War: The Sinking of the Ghazi - Indian Defence Review



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