Panjgrain Kalan

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Panjgrain Kalan (पंजगराईं कलां) is a village in tahsil and district Faridkot of Punjab.

Location

Jat gotras

Population

History

Thakur Deshraj writes -

राठौर राजपूतों से लड़ाई - लूटमार करने और राज्य बढ़ाने में वराड़ खूब जोरों पर थे। कहा जाता है कि एक बार उनका एक दल जिसमें नौ सौ सिपाही थे, मुहीम से लौटता हुआ मौजा धनौर पहुंचा जो इस वक्त मौजा बीकानेर में है। वहां इस दल को मालूम हुआ कि मौजा पूगल के रकबा से एक खेत के दरम्यान, राठौर राजपूतों की नौजवान लड़की हजारों रुपये का जेवर पहने हुई तन तनहा एक टाण्ड बनाए दिन रात बैठी रहती है। राठौर इनके शत्रु थे, ख्याल हुआ कि रास्ते में इस औरत को लूटते जायें। सब के सब इस खेत की तरफ हुए। जब औरत के पास पहुंचे तो कहा - “तुम लोग तो बहादुर और जवान मर्द कहलाते हो। घोड़े, मवेशी लूटते हो न कि आदमी। मैं औरत जात हूं। बेवजह मुझ पर हमला करना मर्दानिगी नहीं है। तुम मेरे साथ दो बातें कर लो, फिर चाहो जो करना।” सारे बहादुर उसकी तरफ ध्यान देकर सुनने लगे तो उसने कहा कि - तुम नौ सौ बहादुर हो और मेरे गोपिये के ग्यारह सौ गुलीले इस समय मौजूद हैं। मेरी निशानाबाजी की आजमाइश कर लें। यदि इसमें तुम्हें मेरा कमाल दिखाई दे तो मुझे अपनी शरण में ले लो। दल के लोगों ने उसकी बात की जांच के लिए नौ सरदारों को चुनकर उसके सामने खड़ा किया और कहा कि - इनके नेत्रों से ठीक बीच में निशाना लगाओ और उसने निशाने ठीक लगाये। वराड़ सरदारों ने उसके कमाल को मान लिया और उसे शरण में ले लिया। उससे पूछा कि तुम नौजवान सुन्दरी हो फिर इस तरह जंगल में क्यों बैठी रहती हो? उस सुन्दरी ने कहा कि मैं विवाह होते ही विधवा हो गई हूं, जिन्दगी का लुत्फ तनिक भी नहीं मिला। मेरे ससुराल और मायके वाले कौमी रस्म के लिहाज से करेवा नहीं करते और मेरी इच्छा करेवा (पुनर्विवाह) करने की है क्योंकि छिपकर पाप करना मैं बुरा समझती हूं। मैं इस जगह अपने पल्ले का मर्द ढ़ूंढने की इच्छा से बैठी रहती हूं। सरदारों ने उससे कहा कि - हम में से तुझे जो भी मंजूर हो, उसी के साथ करेवा कर ले। सुन्दरी ने स्वीकार करते हुए कहा कि - आप लोग एक-एक करके मेरे आगे से निकलिये, जिसे मैं पसन्द करूंगी अपना पति बना लूंगी। सरदार एक-एक करके उसके आगे से गुजरे। उसने उनमें से रावदल के लड़के रतनपाल को पसन्द किया। साथ ही उससे वचन लिया कि सरदार जी! यदि मेरे वारिश तुम्हारा पीछा करें और तुम कदाचित उन्हें जीत न सको तो मुझे मार डालना, क्योंकि मैं उनका मुंह नहीं देखना


जाट इतिहास:ठाकुर देशराज, पृष्ठान्त-443


चाहती हूं। सरदार रतनपाल ने स्वीकार करके उसको अपने पीछे घोड़े पर बिठा लिया। राठौरों को खबर लगी तो मुकाबले को आये किन्तु वराड़-वंशी जाट वीरों ने उन्हें मार कर भगा दिया। मौजा अबलू में पहुंचने पर समय पाकर इस सरदारिनी के एक लड़का पैदा हुआ जिसका नाम हरीसिंह रक्खा गया। फिर सरदारिनी मय-बच्चा के पंजगराई में आ रही। हरीसिंह सदैव अपनी कौम के जाट सरदारों के साथ युद्ध में शत्रुओं से लड़ने के लिए जाया करता था।....

भुल्लनसिंह के छोटे भाई के एक लड़का था, जिसकी उम्र उस समय केवल 6 या 7 वर्ष की थी, नाम उसका कपूरसिंह था। यह छोटा रईस अपने बाप-दादों की जागीर की क्या रक्षा कर सकता था? पारिवारिक जनों ने भी इस बात के साथ कोई सहानुभूति का व्यवहार न किया। जिसके मन में जहां आया इलाके में लूटमार करके गुजारा करने लगा। शाही टैक्स का जो देना होता था, वह भी शेष रहने लगा। पटियाला वाले भी इलाके में हाथ मारने लगे। इस बच्चे का कोई अपना न था, किन्तु उसकी ताई और मां उसका बड़ी सावधानी से लालन-पालन कर रही थीं। मवेशी और नौकर काफी रख छोड़े थे, इनके सहारे खान-पान चलता था। जब बच्चा नौजवान हुआ तो जंगल में शिकार खेलने लगा। सैनिक बनने के सारे साधन उसे प्राप्त थे। साधु-सन्तों की भी खूब सेवा करते थे। एक समय गुरु हरराय पंजगराई में पधारे। अन्य लोगों ने भी उनका सत्कार करना चाहा, पर वह सरदार कपूरसिंह के घर पर ही ठहरे और कपूरसिंह की महमानदारी से बहुत खुश हुए तथा दुआ भी दी। [1]

Notable persons

Sant Singh Gill.jpg
  • Sant Singh Gill (Brigadier) (12.07.1921 - 09.12.2015) played very important role of bravery in Junagarh operation-1947, Indo-Pak War-1965 and Indo-Pak War-1971. He was twice awarded Mahavir Chakra for his acts of bravery. He retired in 1973 as Brigadier. He died on 09.12.2015. He was from Panjgrain Kalan village in tahsil and district Faridkot of Punjab.
Unit - 5 Sikh Light Infantry

External links

References


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