Pashupatinath
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Pashupatinath (पशुपतिनाथ) is a famous and sacred Shiva temple located on the banks of the Bagmati River, approximately 5 km north-east of Kathmandu in the eastern part of Kathmandu Valley,[1] the capital of Nepal. This temple complex was inscribed on the UNESCO World Heritage Sites's list in 1979.
Variants
- Pashupatinatha पशुपतिनाथ, नेपाल, (AS, p.536)
History
The temple was erected in the 5th century by Lichchavi King Prachanda Dev after the previous building was consumed by termites.[2] Over time, many more temples have been erected around this two-storied temple. These include the Vaishnava temple complex with a Rama temple from the 14th century and the Guhyeshwari Temple mentioned in an 11th-century manuscript.
Legend surrounding the origin of the temple: Pashupatinath Temple is the oldest Hindu temple in Kathmandu. It is not known for certain when Pashupatinath Temple was built. But according to Nepal Mahatmaya and Himvatkhanda,[3] the deity here gained great fame there as Pashupati, the Lord of all Pashus, which are living as well as non-living beings. Pashupatinath Temple's existence dates back to 400 B.C. The richly ornamented pagoda houses the sacred linga or holy symbol of Lord Shiva. There are many legends describing as to how the temple of Lord Aalok Pashupatinath came to existence here.
पशुपतिनाथ
विजयेन्द्र कुमार माथुर[4] ने लेख किया है ...पशुपतिनाथ (AS, p.536): नेपाल, काठमांडू से 2 मील उत्तर में बसे हुए इस स्थान पर विष्णुमती नदी के तट पर प्रसिद्ध शिवमंदिर स्थित है. पशुपतिनाथ का मंदिर बहुत प्राचीन है और शायद महाभारत में इसी को पशुभूमि नाम से अभिहित किया गया है. शिवरात्रि के दिन यहां भारत और नेपाल भर के यात्री पहुंचते हैं. (देखें पशुभूमि)
पशुपतिनाथ मंदिर
पशुपतिनाथ मंदिर काठमांडू (नेपाल) के पूर्वी हिस्से में बागमती नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर हिन्दू धर्म के आठ सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। नेपाल में यह भगवान शिव का सबसे पवित्र मंदिर है। मंदिर दुनिया भर के हिन्दू तीर्थ यात्रियों के अलावा गैर हिन्दू पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी रहा है। यह मंदिर यूनेस्को विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल की सूची में शामिल है।
पशुपतिनाथ मंदिर में आने वाले गैर हिन्दू आगंतुकों को बागमती नदी के दूसरे किनारे से बाहर से मंदिर को देखने की अनुमति है। नेपाल में भगवान शिव का यह मंदिर विश्वभर में विख्यात है। इसका असाधारण महत्त्व भारत के अमरनाथ व केदारनाथ से किसी भी प्रकार कम नहीं है। इस अंतर्राष्ट्रीय तीर्थ के दर्शन के लिए भारत के ही नहीं, अपितु विदेशों के भी असंख्य यात्री और पर्यटक काठमांडू पहुंचते हैं। इस नगर के चारों ओर पर्वत मालाएँ हैं, जिनकी घाटियों में यह नगर अपना पर्वतीय सौंदर्य को बिखेरने के लिए थोड़ी-सी भी कंजूसी नहीं करता।
प्राचीन समय इस नगर का नाम 'कांतिपुर' था। काठमांडू में बागमती व विष्णुमती नदियों का संगम है। मंदिर का शिखर स्वर्णवर्णी छटा बिखेरता रहता है। इसके साथ ही डमरू और त्रिशूल भी प्रमुख है। मंदिर एक मीटर ऊँचे चबूतरे पर स्थापित है। मंदिर के चारों ओर पशुपतिनाथ जी के सामने चार दरवाज़े हैं। दक्षिणी द्वार पर तांबे की परत पर स्वर्ण जल चढ़ाया हुआ है। बाकी तीन पर चांदी की परत है। मंदिर की संरचना चौकोर आकार की है। मंदिर की दोनों छतों के चार कोनों पर उत्कृष्ट कोटि की कारीगरी से सिंह की आकृति उकेरी गई है। मुख्य मंदिर में महिष रूपधारी भगवान शिव का शिरोभाग है, जिसका पिछला हिस्सा केदारनाथ में है। इस प्रसंग का उल्लेख स्कंदपुराण में भी हुआ है। मंदिर का अधिकतर भाग काष्ठ से निर्मित है। गर्भगृह में पंचमुखी शिवलिंग का विग्रह है, जो अन्यत्र नहीं है। मंदिर परिसर में अनेक मंदिर हैं, जिनमें पूर्व की ओर गणेश का मंदिर है। मंदिर के प्रांगण की दक्षिणी दिशा में एक द्वार है, जिसके बाहर एक सौ चौरासी शिवलिंगों की कतारें हैं।
पशुपतिनाथ मंदिर की सेवा आदि के लिए 1747 से ही नेपाल के राजाओं ने भारतीय ब्राह्मणों को आमंत्रित करना शुरू किया। उनकी धारणा थी कि भारतीय ब्राह्माण हिन्दू धर्मशास्त्रों और रीतियों में ज्यादा पारंगत होते हैं। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए 'माल्ला राजवंश' के एक राजा ने एक दक्षिण भारतीय ब्राह्मण को पशुपतिनाथ मंदिर का प्रधान पुरोहित नियुक्त किया था। यही परंपरा आने वाले दिनों में भी रही। दक्षिण भारतीय भट्ट ब्राह्मण ही इस मंदिर के प्रधान पुजारी नियुक्त होते रहे हैं।
संदर्भ: भारतकोश-पशुपतिनाथ मंदिर
External links
References
- ↑ "5th-century pashupatinath temple". 2014-08-02
- ↑ Robertson McCarta and Nelles Verlag: Nelles Guide to Nepal, First Edition, 1990, page 94
- ↑ "Sacred destinations". Kathmandu, Nepal: Sacred destinations.
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.536