Podanapura

From Jatland Wiki
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Podanapura (पोदनपुर) is the historical name for Bodhan, situated in Nizamabad District of Telangana,India. The original Jina temple of this place was afterwards destroyed by the Muslims, and converted into a mosque. [1][2]

Origin

Variants

  • Podanapura पोदनपुर (AS, p.578)
  • Bodhan बोधान = बोधायन, जिला निजामाबाद, तेलंगाना, (AS, p.647)

History

Bodhan is identified as the ancient Podana town (Podanapura), which was probably the capital of Vinayaditya, an 8th century ruler of the Vemulavada Chalukya dynasty.[3] Bodhan is believed to be the birthplace of the dynasty's Kannada-language court poet Pampa. The samadhi (burial place) of Pampa is also believed to be located at Bodhan: it was discovered in the 1970s, when historian Yadagiri Rao deciphered a form of the old Kannada script. The samadhi is of an unidentified saint, who is believed to be Pampa.[4]

Bodhan had a Jina temple (a Jain shrine), which was destroyed by the Muslims, who converted it into a mosque. [5]

Rakasipet is a part of the Bodhan town which has historical significance. It is considered that "Pandavas" while doing "Aranyavas" stayed near Bodhan.The mythology says that Bheema (strong man of the Pandavas) killed "Bakasura" near Rakasipet (Bodhan). That place is called Bhimuni Gutta.

बोधान

विजयेन्द्र कुमार माथुर[6] ने लेख किया है ..... बोधान = बोधायन, जिला निजामाबाद, तेलंगाना, (AS, p.647): इस स्थान पर प्राचीन काल में एक सुंदर मंदिर था जिसे मोहम्मद तुगलक [p.648]: के समय में मस्जिद के रूप में परिवर्तित कर दिया गया था जैसा कि यहां अंकित दो फारसी अभिलेखों से ज्ञात होता है. इसे अब भी देवल मस्जिद कहते हैं. बोधान के राष्ट्रकूट नरेशों के शासनकाल के कन्नड़-तेलुगू के कई अभिलेख प्राप्त हुए हैं. इस स्थान का प्राचीन नाम शायद बोधायन था.

पोदनपुर

विजयेन्द्र कुमार माथुर[7] ने लेख किया है .....पोदनपुर (AS, p.578) पर जैन तीर्थंकर ऋषभदेव के पुत्र गोमटेश्वर का शासन था। मैसूर राज्य में प्राप्त एक शिलालेख के अनुसार गोमटेश्वर जैनों के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव के पुत्र थे। इनको 'बाहुबली' या 'भुजबली' भी कहते थे। इनमें और इनके ज्येष्ठ भ्राता भरत में ऋषभदेव के विरक्त होने पर राज्य के लिए युद्ध हुआ। बाहुबली ने विजयी होने पर भी राज्य भरत को सौंप दिया और स्वयं तपस्या करने वन में चले गए। भरत ने पोदनपुर में, जहाँ बाहुबली ने राज्य किया था, उनकी पावन स्मृति में उनकी शरीराकृति के अनुरूप ही 525 धनुषों के प्रमाण की एक प्रस्तर प्रतिमा स्थापित करवाई। कालान्तर में मूर्ति के आस-पास का प्रदेश वन कुक्कुटों तथा सर्पों से व्याप्त हो गया, जिससे लोग मूर्ति को ही कुक्कुटेश्वर कहने लगे। समय के साथ-साथ यह मूर्ति लुप्त हो गई और

[p.579]: उसके दर्शन अलभ्य हो गये। गंग वंशीय रायमल्ल के मंत्री चामुंडा राय ने इस मूर्ति का वृत्तांत सुनकर इसके दर्शन करने चाहे, किन्तु पोदनपुर की यात्रा कठिन समझकर श्रवणबेलगोला में उन्होंने पोदनपुर की मूर्ति के अनुरूप ही गोमटेश्वर की मूर्ति का निर्माण करवाया। गोमटेश्वर की मूर्ति संसार की विशालतम मूर्तियों में से एक मानी जाती है। (दे. श्रवणबेलगोला)

External links

See also

References

  1. Source: Jainworld: Jain History (h)
  2. https://www.wisdomlib.org/definition/podanapura
  3. Jaisetty Ramanaiah (1989). Temples of South India: A Study of Hindu, Jain, and Buddhist Monuments of the Deccan. Concept. p. 22. ISBN 978-81-7022-223-1.
  4. Kannada aadikavi Pampa’s samadhi lies in ruins at Bodhan
  5. K. C. Jain. Ancient Jain Tïrthas and historical places
  6. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.647
  7. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.578