Pramanakoti

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(Redirected from Pramana)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Pramanakoti (प्रमाणकोटि) was a sacred place on the banks of the river Gaṅgā. There is a great banyan tree named Pramāṇa at this place. It was at this spot of the river that Duryodhana poisoned Bhimasena and threw him into the river, bound hand and foot. The Pāṇḍavas who went for their exile in the forests spent their first night at this spot. (Śloka 41, Chapter 1, Vana Parva). [1][2]

Origin

Variants

History

In Mahabharata

Pramanakoti (प्रमाणकॊटि) in Mahabharata (III.13.74)

Vana Parva, Mahabharata/Book III Chapter 13 mentions Pramanakoti (प्रमाणकॊटि) in Mahabharata (III.13.74). [3]...It is that sinful wretch, who, horrible to relate, mixed in Bhima's food fresh and virulent poison in full dose. But, O Janardana, Bhima digested that poison with the food, without sustaining any injury, for, O best of men and mighty-armed one, Bhima's days had not been ended! O Krishna, it is Duryodhana who at the house standing by the banyan called Pramana bound Bhima sleeping unsuspectingly, and casting him into the Ganges returned to the city. But the powerful Bhimasena the son of Kunti, possessed of mighty arms, on waking from sleep, tore his bonds and rose from the water.

प्रमाणकोटि

विजयेन्द्र कुमार माथुर[4] ने लेख किया है .....प्रमाणकोटि (AS, p.584): प्रमाणकोटि महाभारत में उल्लिखित, गंगा तटवर्ती एक स्थान था- 'उदकक्रीडनं नाम कारयामास भारत, प्रमाणकोट्यां तं देशं स्थलंकिचिदुपेत्य ह'- महाभारत, आदिपर्व 127, 33. यहीं बचपन में पांडव और कौरव जल विहार के लिए गए थे और कौरवों ने भीमसेन को गंगा में डुबो दिया था, जिसके फलस्वरूप वे नागलोक जा पहुँचे थे। [p.585]:प्रमाणकोटि का नाम सम्भवत: 'प्रमाण' नामक महावट के कारण हुआ था- 'निवृत्तेषु तु पौरेषु रथानास्थाय पांडवा: आजग्मुर्जाह्नवीतीरे प्रमाणाख्यं महावटम्' महाभारत, वनपर्व, 3, 30.[5] जान पड़ता है कि प्रमाणकोटि हस्तिनापुर के निकट ही गंगा तट पर कोई स्थान था, जहाँ हस्तिनापुर के निवासी सुविधापूर्वक जल विहार के लिए जा सकते थे।


प्रमाणकोटि का उल्लेख महाभारत में हुआ है। इसकी स्थिति हस्तिनापुर के निकट मानी जाती है। महाभारत के अनुसार द्यूत में पराजित होकर पांडव जिस समय हस्तिनापुर से चले, तो उनके पीछे नगर निवासी भी कुछ दूर तक गए थे। उनको लौटा कर पहली रात पांडवों ने 'प्रमाणकोटि' नामक स्थान पर व्यतीत की थी। दूसरे दिन वह विप्रों के साथ काम्यकवन की ओर चले गए। महाभारत, वनपर्व, 3, 30.[6]

External links

References

  1. Source: archive.org: Puranic Encyclopaedia
  2. https://www.wisdomlib.org/definition/pramanakoti
  3. प्रमाण कॊट्यां विश्वस्तं तथा सुप्तं वृकॊदरम, बद्ध्वैनं कृष्ण गङ्गायां परक्षिप्य पुनर आव्रजत (III.13.74)
  4. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.584-585
  5. महाभारतम्-03-आरण्यकपर्व-001.39
  6. भारतकोश-प्रमाणकोटि