Purimatala

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Purimatala (पुरिमताल) is the name of a village visited by Mahāvīra during his eighth year of spiritual-exertion. [1][2] It is name of Prayaga (Allahabad) in Jaina sources. [3]

Origin

Variants

History

From Lohārgalā the Lord Mahavira moved to Purimatāla and stood in meditation at the ‘Śakaṭamukha’ garden outside the city. From there, passing through 'Unnāga' and ‘Gobhūmi’, he arrived at Rājagṛha.[4][5]

पुरिमताल

विजयेन्द्र कुमार माथुर[6] ने लेख किया है .....पुरिमताल (AS, p.565) जैन साहित्य में उल्लिखित प्रयाग (इलाहाबाद) का एक नाम है। जैन ग्रंथों से विदित होता है कि 14वीं शती तक जैन परम्परा में यह नाम प्रचलित था। माना जाता है कि ऋषभदेव को कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति पुरिमताल में ही हुई थी। 'कल्पसूत्र' में पुरिमताल का उल्लेख इस प्रकार है- 'जैसे हेमंताणं चउत्थे मासे सत्तमे पक्खे फग्गुण बहुले तस्सणं फग्गुण बहुलस्स इक्कारसी पक्खेणं पुब्वष्हकाल समयंसि पुरिमतालस्स नयरस्स बहिया सगडमुहंसि उज्जाणांसि नग्गोहवर पायवस्स अहे'। 11वीं शती में रचित श्री जिनेश्वर सूरि के 'कथाकोश' में भी इसी प्रकार का उल्लेख है- 'अण्णया पुरिमताले सपतस्स अहे नग्गोहपाययेस्सझाणं तंरियाए वट्टमाणस्स भगवओ समुप्पणं केवल नाणं'-- कथाकोश प्रकरण, पृष्ठ 52. 'विविधतीर्थकल्प' में 'पुरिम ताले आदिनाथ:' वाक्य आया है। 'धर्मोपदेशमाला' (पृष्ठ 124) में भी पुरिमताल का उल्लेख हुआ है।

External links

References