Rajiv Kumar Joon
Major Rajiv Kumar Joon (05.12.1969 - 16.09.1994) became martyr on 16 September 1994 fighting militants in Pulwama of Anantnag district in Jammu & Kashmir. For his bravery, he was posthumously awarded the Ashoka Chakra and Shaurya Chakra. He was from village Garhi Kheddi of tahsil and district, Rohtak, Haryana.
Early life
He was born on 5 December 1969 in village Garhi Kheddi (गढ़ी खेड़ी) of tahsil and district, Rohtak, Haryana. The eldest son of Shri Dharam Singh andSmt. Shanti Devi, he had four sisters and one brother. He lost his father at the age of 11 in 1980 and shouldered the responsibility of his family boldly. Rajiv was a brave and sincee boy from his childhood, he looked after the family affairs and continued his studies at the same time.
He passed his 10+2 from Sainik School Kunjpura in 1987. In June 1987 he joined the National Defence Academy at Khadakvasla and was commissioned from the Indian Military Academy on 8 June 1991 and was posted to 22 Grenadiers.
on 16 September 1994, he was leading a search operation for militants in the Pulwama of Jammu and Kashmir when his team came under heavy fire from the militants. He crawled forward to the militant hideout and lobbed hand grenades, killing a militant. Although he sustained serious injuries, he hesitated to be evacuated and killed another militant. Later, he succumbed to his injuries. For his bravery, he was posthumously awarded the Ashoka Chakra and Shaurya Chakra.
Housing Project in the name of Major Rajiv Kumar Joon
June 3, 2016: Foundation stone of Jai Jawan Awas Yojna (JJAY), an initiative to provide affordable housing to serving and retired JCOs and Other Ranks, was laid by Manohar Lal Khattar, the Honourable Chief Minister of Haryana, at Bahadurgarh, Haryana today. General Dalbir Singh, Chief of Army Staff was the Guest of Honour during the event. Lieutenant General KJ Singh Western Army Commander was also present apart from large number of Veterans & Veer Naaris.
The project is being executed by Army Welfare Housing Organization and aims to provide low cost housing. This housing project has been named in the memory of Late Major Rajiv Kumar Joon, recipient of Ashok Chakra and Shaurya Chakra, who had attained martyrdom fighting militants in Anantnag district of Jammu & Kashmir. On this occasion, his brother Paramjit Singh Joon was felicitated by the Chief Minister of Haryana.
The event was followed by an address of the Veterans Rally by the Chief Minister of Haryana and the COAS. Gen Dalbir Singh announced that the residential project at Bahadurgarh would be pitched at a very low cost for the benefit of JCOs and Other Ranks. He praised Late Major Rajiv Joon for setting a sterling example of bravery and sacrifice. Gen Dalbir Singh thanked the Haryana Chief Minister for all the assistance provided for the project and added that the Chief Minister had granted dispensation in construction which permitted construction of about 500 dwelling units instead of 400 planned earlier. COAS also brought out that a similar dwelling project was being planned at Karnal for which land has been promised by the Chief Minister.[1]
शहीद जून की जयंती पर 100 यूनिट रक्तदान
शहीद जून की जयंती पर 100 यूनिट रक्तदान - रोहतक, 5 दिसम्बर 2016 - भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान अशोक चक्र एवं शौर्य चक्र विजेता शहीद मेजर राजीव कुमार जून की 47वीं जयंती गांव गद्दी खेड़ी में मनाई गई। शहीद मेजर राजीव कुमार जून राजकीय माध्यमिक विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में सेना के कर्नल विक्रम गिल ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की। कार्यक्रम में हरयाणवी गायक राममेहर मैहला, रामकेश जीवनपुर वाला व हरकेश चावरिया ने अपनी प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया। स्कूली बच्चों द्वारा सामूहिक एवं एकल गान व नृत्य प्रतियोगितायें आयोजित की गईं तो रक्तदान शिविर भी लगा जिसमें 100 यूनिट से अधिक रक्त एकत्र किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत में कर्नल सरताज व कैप्टन संदीप सिंह ने अपनी टीम के साथ शहीद मेजर राजीव कुमार जून को सलामी दी। कर्नल विक्रम गिल ने कहा कि हरियाणा की मिट्टी में वो वीर जवान पैदा होते हैं जिन पर पूरा देश गर्व करता है। 5 दिसम्बर 1969 को हरियाणा की मिट्टी में जन्म लेने वाले मेजर राजीव कुमार जून 16 सितम्बर 1994 को अनन्तनाग जिले में आतंकवादियों से भिड़ गए और कई आतंकवादियों को मार गिराने में सफल हुए। (संदर्भ: दैनिक भास्कर दिनांक 6 दिसम्बर 2016)
मेजर राजीव कुमार जून का परिचय
मेजर राजीव कुमार जून
05-12-1969 - 16 -09-1994
अशोक चक्र (मरणोपरांत), सेना मेडल
यूनिट - 22 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट
ऑपरेशन रक्षक 1994
मेजर राजीव कुमार जून का जन्म 5 दिसंबर 1969 को हरियाणा के रोहतक जिले की रोहतक तहसील के गढ़ी खेड़ी गाँव में श्री धर्म सिंह एवं श्रीमती शांतिदेवी के परिवार में हुआ था। वे जब 11 वर्ष के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया था। उनकी माता ने उनका पालन - पोषण किया। वे अपनी चार बहनों और दो भाइयों में सबसे बड़े थे। सर छोटू राम मेमोरियल पब्लिक स्कूल, रोहतक से प्राथमिक शिक्षा के बाद, उनकी पढ़ाई सैनिक स्कूल कुंजपुरा (करनाल) में हुई। सीनियर सैकेंडरी तक शिक्षा के उपरांत वह प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) खडकवासला में शामिल हुए। 8 जून 1991 को उन्हें भारतीय सेना की ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट में कमीशन प्राप्त हुआ। उन्हें 22 ग्रेनेडियर्स में तैनात किया गया।
वर्ष 1994 में 22 ग्रेनेडियर्स को आतंकवादियों से निपटने के लिए जम्मू व कश्मीर में तैनात किया गया। 16 अप्रैल 1994 को एक ऑपरेशन के समय हुई मुठभेड़ में उन्होंने कैप्टन के रुप में घातक प्लाटून का नेतृत्व किया और 3 आतंकवादियों को ढ़ेर कर दिया। इस वीरतापूर्ण कार्रवाई के लिए उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था।
16 सितंबर 1994 को गोपनीय सूत्रों से यूनिट को विश्वसनीय सूचना मिली की अनंतनाग जिले के एक गाँव में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी छिपे हुए हैं। मेजर जून के नेतृत्व में बटालियन को गांव की घेराबंदी करके खोज अभियान चलाने का आदेश मिला। खोज के समय मेजर जून ने देखा कि दो आतंकवादी एक मकान के अंदर कमरे की छत तथा किवाड़ के बीच की दीवार में छिपे हुए थे। छिपे हुए आतंकवादियों को बाहर आने के लिए कहा गया ; किंतु आतंकवादी अंधाधुंध फायरिंग करते हुए बाहर निकले, जिससे एक सैनिक उन आतंकवादियों की चलाई गोली लगने से घायल हो गया।
परिस्थिति की गंभीरता को देखते मेजर राजीव कुमार जून ने अपने दल को आदेश दिया कि वे निरंतर गोलीबारी करते हुए आतंकवादियों का ध्यान बँटाए रहें। इसी बीच वे आतंकवादी एक तहखाने में कूद गए और एक खिड़की से खोजी दल पर गोलीबारी करने लगे। मेजर जून अपने जीवन की सुरक्षा पर ध्यान दिए बिना तहखाने के बाहर की ओर बनी एक खिड़की तक रेंगते हुए पहुँचे और उस खिड़की में दो हथगोले सरका कर उन हथगोलों पर गोली दाग दी। परिणामस्वरूप हुए भयानक विस्फोट से एक खतरनाक आतंकवादी मारा गया। दूसरा आतंकवादी तब भी प्रचंड गोलीबारी करता रहा।
मेजर जून उस खिड़की से होते हुए अंधेरे में उस आतंकवादी के ठीक सामने जा पहुंचे। आतंकवादी ने तो उन्हें देख लिया पर वह आतंकवादी को नहीं देख पाए। अंधेरे का लाभ उठाते हुए उस आतंकवादी ने अंधाधुंध गोलियां चलाई जिससे मेजर जून गले व छाती पर गोलियां लगने से गंभीर रूप से घायल हो गए। रक्त से सरोबार मेजर जून ने अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की पूरी तरह उपेक्षा करते हुए अंतिम प्रयास में पूरे तहखाने में गोलियों की बौछार कर दी। जिसके परिणामस्वरूप वह आतंकवादी भी मारा गया। उन्हें श्रीनगर स्थित बेस अस्पताल ले जाते समय वह वीरगति को प्राप्त हुए।
मेजर राजीव कुमार जून ने असाधारण साहस, अद्वितीय वीरता एवं दृढ़ निश्चय का प्रदर्शन करते हुए अकेले ही दो आतंकवादियों को मार गिराया और अपने साथियों के जीवन की रक्षा की। बाद में ज्ञात हुआ कि मारे गए उन दो आतंकवादियों में से एक हिजबुल मुजाहिदीन का स्वघोषित कमांडर बशीर अहमद पदर उर्फ नूर-उल-हक था, जो जम्मू-कश्मीर के एक पूर्व कैबिनेट मंत्री तथा मुस्तफा अहमद खांडे मुदस्सर का हत्यारा था। इस ऑपरेशन में तीन मैगजीनों सहित दो ए.के.-56 राइफलें तथा गोला-बारूद के 22 राउंड बरामद किए गए।
मेजर राजीव कुमार जून को उनकी अद्भुत वीरता के लिए मरणोपरांत 'अशोक चक्र' से सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी की किलो स्क्वाड्रन में उनकी तस्वीर लगाई गई। जिसका अनावरण उनकी माता श्रीमती शांतिदेवी के द्वारा करवाया गया।
मेजर राजीव कुमार जून के बलिदान का देश युगों युगों तक स्मरण करेगा।
स्रोत: रमेश शर्मा
Gallery
-
Rajiv Kumar Joon
-
Rajiv Kumar Joon
External Links
References
Back to The Martyrs