Rameshwar Lal Paraswal
Rameshwar Lal Paraswal (Naik) (15.10.1990- 13.01.2020) is a martyr of Militancy at Machil area in Kupwara district of Jammu and Kashmir. Earlier he had served at Doklam area also which was a point of dispute between India aand China. He was in 45 (Jat) Rashtriya Rifles/ 98 FD Regiment of the Indian Army. He was resident of village Sindhupura, tah Nawa, district Nagaur, Rajasthan.
पारिवारिक परिचय
शहीद रामेश्वरलाल परसवाल का जन्म नागौर जिले के नावां तहसील के गाँव सिंधुपुरा हिराणी मे 15 जुलाई 1990 को पिता स्व. श्री बुधाराम जी के घर माता श्रीमति स्व. पेफादेवी की कोख से हुआ । आप 4 भाई बहनों में सबसे छौटे थे। आपके दादाजी मूलतः दांता रामगढ तहसिल के अमानीपुरा गांव से आकर यहां बसे थे।आपका विवाह पांचोता निवासी श्री भंवरजी बिजारणियां की पुत्री राजु देवी के साथ 26 फरवरी 2009 को सम्पन्न हुआ । आपके दो पुत्र आर्यन (6वर्ष) वियान (3वर्ष) है।
शिक्षा
शहीद रामेश्वरलाल ने राजकीय प्राथमिक विधालय, दीपपुरा से प्राथमिक शिक्षा ली तत्पश्चात ग्राम भांवता से आठवीं तक पढे । कक्षा 9-12 की शिक्षा आपने लाल बहादुर शिक्षण संस्थान, कुचामन सिटी से ली।
सेना में चयन
अध्यापन काल के दौरान ही आपने सेना मेँ जाकर भारत माँ की सेवा करने को अपना लक्ष्य बना लिया । शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात आप सेना मेँ चयन हेतु जी-तोड़ मेहनत करने लगे और इस तरह 1 अक्टूबर 2009 मेँ आपका चयन भारतीय सेना की राष्ट्रीय राइफल मेँ सिपाही के रूप मेँ हुआ। आपने अपनी ट्रेनिंग हैदराबाद से पूरी की। उसके बाद क्रमश: हिमाचल प्रदेश, जौधपुर, फिरोजपुर, गंगटोक में रहते हुए आपने देश के संवेदनशील सीमावर्ती इलाकों में अपने कर्तव्य का बखूबी निर्वहन किया। सिपाही के पद से चयनित हो कर अपने 10 वर्ष की सेवा में लांसनायक व नायक की रेंक तक का आपने सफर किया।
डोकलाम विवाद
पिछले साल भारतीय सेना व चीनी सेना के मध्य उपजे डोकलाम विवाद के दौरान आप उसी जगह अपनी सेवा दे रहे थे, जहां यह विवाद शुरू हुआ था। आपकी युनिट जिसमें ज्यादातर जाट सिपाही थे, सरकार ने वहां चीनी सेना के सामने मजबूती के लिए लगाया था। आप व आपकी युनिट ने वहां बेहतरीन कार्य किया और चीनी सेना के नापाक इरादों को सफल होने से रोका।
देशसेवा में बलिदान
वर्ष 2020 मेँ आप श्रीनगर के कुपवाड़ा जिले के मच्छल सैक्टर मेँ 45 (जाट) राष्ट्रीय राइफल में तैनात थे। 13 जनवरी 2020 को इनकी युनिट के कुछ जवानों पर हिमस्खलन हुआ। जवानों को बचाने के लिए सेना द्वारा 'ऑपरेशन रक्षक' चलाया गया। इस ऑपरेशन के तहत अपनी युनिट के जवानों के साथ आपको भी भेजा गया, जहां आपने LOC पर इन सैनिकों को सकुशल बाहर निकाल लिया। जब आप सभी घायल सैनिकों को सकुशल बाहर निकाल चुके थे तभी फिर से भारी हिमस्खलन शुरू हो गया। आप अपने 3 साथियों के साथ बर्फ के नीचे दफन हो गये। सेना द्वारा फिर से रेस्क्यू चलाया गया। 6 घंटे चले इस रेस्क्यू में सभी जवानों को बाहर निकाल दिया गया, लेकिन तब तक इन चार वीर जवानों ने देशहित में अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया था। आप शहादत से 6 दिन बाद 20 जनवरी 2020 को छुट्टी पर घर आने वाले थे। लेकिन उससे पहले ही देशहित में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर शहीद हो गए।
- "किसी का चिह्न वोटोँ पे,
- किसी का चित्र नोटोँ पे,
- शहीदोँ तुम ह्रदय मेँ हो,
- तुम्हारा नाम होठोँ पे"
शहीद का अंतिम संस्कार
दिनांक 16 जनवरी को रात्री 8:00 बजे शहीद रामेश्वर लाल का पार्थिव देह कुचामन सिटी के रविंद्रनाथ टैगोर शिक्षण संस्थान में लाया गया । प्रातः श्रृदांजलि सभा रखने के पश्चात कुचामन शहर के विभिन्न स्थानों से होता हुआ शहीद का काफिला पैतृक गांव पहुंचा। समस्त ग्रामवासीयोँ की आँखे इस बेटे का मुख देखकर छलछला उठी । शहीद के अंतिम संस्कार मेँ हजारोँ की तादाद मेँ लोग इक्कठे हुए । नागौर जिले के पदाधिकारी, राजनितिक शख्सियतोँ ने अंतिम यात्रा मेँ सम्मिलित हो शहीद को विदाई दी । शहीद रामेश्वरलाल की अंतिम यात्रा मेँ नागौर सासंद हनुमान बेनिवाल, उच्च शिक्षा मंत्री भंवरसिंह भाटी, पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी, नावां विधायक महेंद्र चौधरी, पूर्व विधायक विजय सिंह, परबतसर विधायक रामनिवास गावड़िया, डीडवाना विधायक चेतन डूडी, मकराना विधायक रूपाराम मुरावतिया, दीपपुरा सरपंच अर्जुन कड़वा सहित सैंकड़ों जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक अधिकारी सम्मिलित हुए। नागौर जिला कलक्टर व नागौर SP सहित क्षेत्र के हजारोँ लोग सम्मिलित हुए ।
शहीद स्मारक
नागौर सासंद हनुमान जी बेनिवाल ने शहीद स्मारक, शहीद की मूर्ति, व चारदीवारी तथा एक ट्यूबवेल कू स्वीकृति अपने सासंद कोटे से स्वीकृति करवाया। जिसका कार्य लॉकडाउन के पश्चात शुरू हो जायेगा।
समस्त देशवासियोँ को इन वीर सैनिको पर नाज है, जो अपने प्राणोँ की आहूति दे कर करोड़ोँ जानोँ की हिफाजत करते हैँ । शहीद रामेश्वर लाल की शहादत को देश युगोँ युगोँ तक याद रखेगा ।
॥ जय हिँद ॥
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