Maharaja Ratan Singh
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Maharaja Ratan Singh (महाराजा रतन सिंह, भरतपुर) was the ruler of princely state of Bharatpur (1768-1769). He ascended to throne on the death of Maharaja Jawahar Singh. Jawahar Singh had no son, hence he was succeeded by his incapable, licentious and luxuriant brother Ratan Singh. Ratan Singh was ultimately killed by a juggler at Mathura. His son Maharaja Kehri Singh succeeded him in 1769.[1]
महाराज रतनसिंह
ठाकुर देशराज लिखते हैं कि जवाहरसिंह की मृत्यु के पश्चात् मई 1968 में महाराज रतनसिंह गद्दी पर बैठा। यह जवाहरसिंह का छोटा भाई था। परन्तु उसमें शासन-योग्यता की कमी थी। उसके शासन-काल में विशेष उल्लेखनीय घटना नहीं हुई। दुस्सादत के लेखक अनुसार उसने दस महीने तेरह दिन राज्य किया। कहते हैं कि वह एक जादूगर गुसाईं के बहकावे में आ गया। उसने उन्हें सोना बनाकर दिखाने का चमत्कार बतलाया। जब महाराज ने उसे बना हुआ सोना दिखलाने के लिए कहा तो उसने एकान्त में अकेले राजा को दिखाने का वायदा किया और जब राजा को अकेला पाया तो तो उन्हें तलवार से मार डाला और स्वयं भी मर गया।[2]
Reference
- ↑ Ram Swarup Joon: History of Jats, Rohtak
- ↑ जाट इतिहास:ठाकुर देशराज,पृष्ठ-660
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