Riri

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(Redirected from Ridi)
Location of Riri village in Bikaner district

Riri (रीड़ी) is an old town in tahsil Dungargarh of Bikaner district in Rajasthan.

Location

Origin

The Founders

It was capital of Jakhar Jats. Bigga Ji Jakhar (1301 - 1336) from this village rose to the status of folk-deity of Jangladesh area of Rajasthan.

History

Bigga Ji Jakhar

जाखड़ जाटों का ठिकाना बिग्गा, तहसील डूंगरगढ़ में था । इनका गोत्र पड़िहार बतलाया गया है । कहते हैं कि कोलियोजी पड़िहार पहले पहल मंडोर से आकर ग्राम केऊ तहसील डूंगरगढ़़ में बसा था । इसका बेटा जक्खा हुआ जिसने अपने नाम पर जाखासर बसाया । कहते हैं उसने अपने परिवार के रिश्ते वहां बसे जाटों में करने आरंभ कर दिए थे तथा 'नए जाट गोत्र' जाखड़ का जनक कहलाया । उसकी एक लड़की का नाम रिड़ी था, जिसके नाम पर रिड़ी गाँव बसाया । जक्खा का बेटा मैहन था, जिसका बेटा बिग्गा बड़ा शूरवीर हुआ । कहते हैं की बिग्गा ने गायों की रक्षा के लिए राठ मुसलमानों से युद्ध किया जिसमें गौरक्षार्थ वह संवत 1393 (1336) में काम आया । पाऊलेट ने बीकानेर गजेटियर में बिग्गा की म्रत्यु का समय 1315 दिया है । बिग्गाजी का जन्म विक्रम संवत 1358 (1301) में रिड़ी में हुआ रहा । बिग्गा और उसके आसपास के एरिया में बिग्गा गौरक्षक लोकदेवता के रूप में पूजे जाते हैं । [1] गाँव बिग्गारिड़ी में जाखड़ जाटों का भोमिचारा था और लंबे समय तक जाखड़ों का इन पर अधिकार बना रहा ।[2]


Bigga Ji Jakhar (1301 - 1336) (also called Bigga Ji or Biggaji) is a folk-deity of Jangladesh area of Rajasthan. He was a Jat ruler of Jakhar gotra of a small democratic republic state. He was born in the year 1301 AD at place called Riri, which was capital of Jakhars and is in present tahsil Dungargarh of the Bikaner district in Rajasthan, India. His great grandfather was Rao Lakhoji Chuhad and father was Rao Mehandji. His mother was Sultani daughter of Chuhadji Godara chieftain of Kapoorisar. He was a great warrior, protector of Hindu religion and cows. He was killed in war with Rath Muslims in the year 1336.

Jat Gotras

Population

Notable Persons

See also

External Links

References

  1. पाऊलेट, बीकानेर गजेटियर, p. 90
  2. Dr Pema Ram, The Jats Vol. 3, ed. Dr Vir Singh,Originals, Delhi, 2007 p. 206

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