Rawalsar
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Rawalsar (रवालसर) is a small town and a pilgrimage place in Mandi district of Himachal Pradesh in India. The local name for Rawalsar is Trisangam. The Rewalsar Lake is one of the most popular tourist places here.
Origin
It gets name from Naga king named Arawala (अरवाल)[1] or Aravara (अरवाड).[2]
Variants
- Araväla (अरवाल) Mahavansa/Chapter 12
- Arawala (अरवाल) (AS, p.38)
- Rawalsar/ Ravalsar (रवालसर), हि.प्र., (AS, p.778)
- Rewalsar/ Revalsar (रेवालसर)
- Rewalsar Lake (रेवालसर झील)
- Revasara (रेवासर) दे. - Ravalsar (रवालसर) (AS, p.801)
- Royaleshvara रोयलेश्वर = Ravalsar रवालसर = Roruka रोरुक (AS, p.804)
- Trisangam
- Tso Pema (Tibetan)
- Aravara (अरवाड)
Location
Rewalsar is located at an altitude of 1360 m above sea level. It is connected to Mandi by a motorable road and is about 25 km from Mandi. Lying in the Southern Himalayan belt, winters in Rewalsar can be freezing, while summers are generally pleasant.
History
Aravala (अरवाल) is a lake mentioned in Mahavansha. It is identified with Rawalsar in Mandi district of Himachal Pradesh.[3]
In Mahavansha
Mahavansa/Chapter 12 tells....When Mogaliputra brought the (third) council of Buddhism to an end he had beheld the founding of the religion in adjacent countries, he sent forth monks to various countries .....Majjhantika was sent to Kasmira and Gandhara.....At that time Kasmira and Gandhära were ruled by the naga-king of wondrous power, Araväla.
अरवाल
विजयेन्द्र कुमार माथुर[4] ने लेख किया है ...अरवाल (AS, p.38) सरोवर का उल्लेख महावंश 12-9-11 में है। अरवाल का अभिज्ञान ज़िला मंडी (हिमाचल प्रदेश) में स्थित रवालसर के साथ किया गया है। महावंश के वर्णन के अनुसार मुज्झन्तिक स्थविर ने इस सरोवर के निकट रहने वाले एक क्रूर नागराज का गर्व चूर किया था। सरोवर की स्थिति कश्मीर-गंधार देश में बताई गई है।
रवालसर
विजयेन्द्र कुमार माथुर[5] ने लेख किया है ...रवालसर (AS, p.778) हिमाचल प्रदेश का ऐतिहासिक स्थान है। इस स्थान का प्राचीन नाम 'रोयलेश्वर' था। यहाँ पुराने समय का एक बौद्ध मंदिर है, जिसमें पद्मसम्भव नामक बौद्ध भिक्षु की एक विशाल मूर्ति है। यहाँ स्थित बौद्ध मंदिर में भित्ति चित्र भी हैं। पद्मसम्भव ने तिब्बत जाकर बौद्ध धर्म का प्रचार किया था। ऐसा जान [p.779]: पड़ता है कि संभवत: वे इस स्थान पर कुछ समय तक रहे होंगे। रवालसर का संबंध महर्षि लोमश तथा पांडवों से भी बताया जाता है। गुरुगोविंद सिंह जी यहां कुछ काल पर्यान्त रहे थे। भारत से तिब्बत को जाने वाला प्राचीन मार्ग रवालसर होकर ही जाता था। इस स्थान का एक पुराना नाम 'रेवासर' भी है।