Sampuran Singh
Sampuran Singh, Veer Chakra, Sepoy (3364799), Unit: 6 Sikh Regiment, DOB: 10.1.1949, From Sundran Kheri, Ropar, Punjab, Father: Pritam Singh, Nomination: 10.1.1969, Award Date: 3.12.1971
सिपाही संपूरण सिंह
सिपाही संपूरण सिंह
यूनिट - 6 सिख रेजिमेंट
ऑपरेशन कैक्टस लिली
भारत-पाक युद्ध 1971
सिपाही संपूरण सिंह का जन्म 10 जनवरी 1949 को पंजाब के रोपड़ (अब पटियाला) जिले के सुंदरन खेड़ी गांव में सरदार प्रीतम सिंह के घर में हुआ था। 10 जनवरी 1969 को वह भारतीय सेना की सिख रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे। प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 6 सिख बटालियन में सिपाही के पद पर नियुक्त किया गया था।
3 दिसंबर 1971 को, सिपाही संपूरण सिंह जम्मू-कश्मीर के एक क्षेत्र में एक रक्षित क्षेत्र के आगे तैनात लिसनिंग पोस्ट के अवयव थे। जब युद्ध आरंभ हुआ, तो शत्रु बटालियन के संख्याबल में इस रक्षित क्षेत्र के निकट पहुंचा गया, तो सिपाही संपूरण सिंह लाइट मशीन गन के साथ शत्रु से संघर्ष करते हुए लिसनिंग पोस्ट पर डटे रहे और दो घंटे से अधिक समय तक संख्यात्मक रूप से प्रबल शत्रु के आक्रमण में हस्तक्षेप किया।
सिपाही संपूरण सिंह गंभीर रूप से घायल होते हुए भी पूर्ण रूप से अचेत होने तक तक अपनी लाइट मशीन गन से फायरिंग करते रहे।
इस कार्रवाई में सिपाही संपूरण सिंह ने उच्च कोटि के साहस, दृढ़ संकल्प और कर्तव्य के प्रति समर्पण का परिचय दिया। उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया।
जीवन परिचय
सिपाही संपूरण सिंह जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में एक रक्षित इलाके के आगे तैनात लिसनिंग पोस्ट पर थे। जब दुश्मन इस इलाके में पूरी बटालियन के साथ आ पहुंचा तब भी वे अपनी चौकी पर डेट रहे और हल्की मशीनगन से उनका बुकाबला करते हुये दो घंटे से भी ज्यादा देर तक रोके रहे। बुरी तरह जख्मी होने के बावज़ूद सिपाही संपूरण सिंह उस समय तक गोलियां चलाते रहे जब तक कि वे बेहोश न हो गए। इस कार्रवाई के दौरान सिपाही शेर सिंह ने उच्चकोटि की वीरता , दृढ़ निश्चय और कर्तव्यनिष्ठा का परिचय दिया। (Jat Gatha, 5/2017, p.25)
गैलरी
स्रोत
References
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