Satvir Singh Nohvar
Satvir Singh Nohvar (Havaldar) (1981 - 31.03.2019) became martyr due to Landslide in Kupwara district of Jammu and Kashmir on 31.03.2019 while performing his duty during Operation Rakshak. Unit: 16 Jat Regiment/45 Rashtriya Rifles. He was from Khajpur village in Mat tahsil in Mathura district in Uttar Pradesh.
हवलदार सतवीर सिंह नोहवार
हवलदार सतवीर सिंह नोहवार
1981 - 31-03-2019
वीरांगना - श्रीमती नीरज देवी
यूनिट - 16 जाट रेजिमेंट/45 राष्ट्रीय राइफल्स
ऑपरेशन रक्षक 2019
हवलदार सतवीर सिंह का जन्म वर्ष 1981 में उत्तरप्रदेश के मथुरा जिले के नौहझील ब्लॉक के खाजपुर गांव में किसान परिवार में स्वर्गीय श्री देवी सिंह नोहवार एवं श्रीमती प्रेम देवी के घर में हुआ था। वर्ष 2000 में वह भारतीय सेना की जाट रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे।
प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 16 जाट बटालियन में सिपाही के पद पर नियुक्त किया गया था। अपनी बटालियन में भिन्न-भिन्न स्थानों और परिचालन परिस्थितियों में सेवाएं देते हुए वर्ष 2019 तक वह हवलदार के पद पर पदोन्नत हो गए थे।
वर्ष 2019 में हवलदार सतवीर सिंह की बटालियन को 45 राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन के साथ कश्मीर घाटी में नियंत्रण रेखा पर तैनात किया गया था। बटालियन के सैनिक नियंत्रण रेखा पर कुपवाड़ा जिले में अग्रिम चौकियों की देखरेख कर रहे थे। चौकियों पर कार्य करने के अतिरिक्त, बटालियन के सैनिकों को अपने उत्तरदायित्व के क्षेत्र की निगरानी के लिए नियमित रूप से सशस्त्र गश्त करनी पड़ती थी।
चौकियां ऊंचाई वाले क्षेत्रों में, अनुपयुक्त जलवायु की स्थिति और ऊबड़-खाबड़ मार्ग के क्षेत्र में स्थित थीं। सर्दी के मौसम में अनेक चौकियां और सैनिकों के गश्ती मार्ग बर्फीले तूफान और अप्रत्याशित हिमस्खलन से ग्रस्त होते थे। 31 मार्च 2019 को, ऐसा ही एक हिमस्खलन 16 जाट की चौकी पर हुआ। हवलदार सतवीर सिंह भी उस टुकड़ी के सदस्य थे जो उस दिन चौकी की कमान संभाल रही थी।
हिमस्खलन के विस्तार और आकस्मिकता ने सैनिकों को रक्षण करने का किंचित अवसर भी नहीं दिया। हवलदार सतवीर सिंह और उनके साथी खो गए और भारी मात्रा में बर्फ के नीचे दब गए। अत्यधिक प्रतिकूल जलवायु की स्थिति के उपरांत भी सेना ने विशेष उपकरणों के साथ व्यापक स्तर पर रक्षण अभियान चलाया।
अंततः व्यापक खोज के पश्चात रक्षण दल ने हवलदार सतवीर सिंह के शव को निकालने में सफलता प्राप्त की। दीर्घ समय तक अत्यधिक शीत की स्थिति में रहने के कारण हवलदार सतवीर सिंह वीरगति को प्राप्त हो गए।
हवलदार सतवीर सिंह का उनके घर के निकट खेत पर ही पूर्ण सैन्य और राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किया गया। उनके पांच वर्ष के पुत्र चिराग ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। हवलदार सतवीर सिंह के परिवार में उनकी माता श्रीमती प्रेम देवी, वीरांगना श्रीमती नीरज देवी, पुत्री अंशुल व पुत्र चिराग हैं।
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हवलदार सतवीर सिंह
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हवलदार सतवीर सिंह
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मुखाग्नि देते हुए हवलदार सतवीर सिंह के पांच वर्षीय पुत्र चिराग।
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