Singhpur Caves

From Jatland Wiki
Author: Laxman Burdak IFS (R)

Tourist Map

Singhpur Caves or Singhanpur Caves is one of the attractive tourist places in Raigarh, Chhattisgarh. Singhanpur Cave is situated 20 km away from Raigarh.

Variants

Location

Singhanpur Cave is situated 20 km away from Raigarh. Dhupdevpur is the nearest railway station on the south-eastern railway.

Tourism

These old mysterious caves have since their discovery in 1910 by C.W. Anderson had remained a source of attraction amongst archeologist and anthropologist from across the globe. [1] Two of the caves of Singhpur are nearly 25-30 feet deep. In the third cave one can observe pictures in bright red colour. In the illustrated pictures which mostly depict the life of man, some are straight and the others diagonal in the form of steps. These are drawn with straight and vertical lines. In the one of pictures one can see a man following an animal. [2]

Singhanpur Caves is one of the attractive tourist places in Raigarh, Chhattisgarh. Singhanpur Cave is most popular ancient caves, situated 20 kms. away from Raigarh. It is an most popular tourist spot in Raigarh. The rock painting of Singhanpur caves are said to be oldest sculptures on earth and this place offers wonderful trekking experience through Jungle.[3]

शैलाश्रय,सिंघनपुर,रायगढ़

छत्तीसगढ़ राज्य के रायगढ़ जिले में सिंघनपुर नामक स्थान पर एक चित्रित शैलाश्रय स्थित है।[4] यह शैलाश्रय दक्षिणाभिमुखी है और रायगढ़ से 20 किलोमीटर पश्चिम में एक पहाड़ी पर वर्षों पूर्व प्रकृति द्वारा निर्मित है। मध्य दक्षिण पूर्वी रेलमार्ग के बिलासपुर झारसगुड़ा सेक्शन पर स्थित भूपदेवपुर नामक स्टेशन से यह स्थल दक्षिण में एक किलो मीटर की दूरी पर है। यह छत्तीसगढ़ में प्राप्त प्राचीन शैलचित्र युक्त शैलाश्रयों में से एक है, जिसकी तिथि लगभग ईसापूर्व 30 हज़ार वर्ष निर्धारित की गई है। इनकी खोज एंडरसन द्वारा 1910 के आसपास की गई थी। इंडिया पेंटिग्स 1918 में तथा इन्साइक्लोपिडिया ब्रिटेनिका के 13वें अंक में रायगढ़ जिले के सिंघनपुर के शैलचित्रों का प्रकाशन पहली बार हुआ था।[5] तत्पश्चात श्री अमरनाथ दत्त ने 1923 से 1927 के मध्य रायगढ़ तथा समीपस्थ क्षेत्रों में शैल चित्रों का सर्वेक्षण किया। डॉ एन. घोष, डी. एच. गार्डन द्वारा इस सम्बन्ध में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। तत्पश्चात स्व. पंडित श्री लोचनप्रसाद पांडेय द्वारा भी शैलचित्रो के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करायी गई।[6]

इस शैलाश्रय के चित्र अधिक समय बीत जाने एवं प्राकृतिक दुष्प्रभावों के कारण धूमिल हो गए हैं। अंकित चित्रों में सीढ़ीनुमा पुरुष, मत्स्यांगना, शिकार दृश्य, पंक्तिबद्ध नर्तक टोली एवं मानवाकृतियाँ सम्मिलित हैं। मत्स्यांगना, कंगारू सदृश पशु, गोह एवं सर्पाकृति के अंकन अद्वितीय हैं। इस शैलाश्रय में पहले 23 कलाकृतियाँ देखी गयी थीं जिनमें से अब केवल 13 ही बची हैं। यहाँ की सीढ़ीनुमा लम्बी मानवाकृति की तुलना आस्ट्रेलिया में प्राप्त सीढ़ीनुमा पुरुष से की जाती है। विविध पशु आकृतियाँ, वन भैंसा, बंदर, छिपकली तथा अन्य चित्रों के अंकन में आदिमानवों की कला-संस्कृति आज भी जीवित है। चित्रित शैलाश्रयों के चित्रों के अध्ययन से वहाँ रहने वाले निवासियों के उस काल के जीवन और पर्यावरण तथा प्रकृति की जानकारी प्राप्त होती है। मध्याश्वीय काल से लेकर ऐतिहासिक काल तक के चित्र रायगढ़, बस्तर, कांकेर, दुर्ग कोरिया आदि जिलों के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित शैलाश्रयों में पाए गए हैं। यह स्मारक छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा संरक्षित है।[7]

External links

References

  1. https://www.raigarhonline.in/city-guide/rock-art-sites-of-raigarh
  2. Madhya Pradesh A-Z, MPTDC, March 1994,p.95
  3. https://www.tripuntold.com/chhattisgarh/raigarh/singhanpur-caves/
  4. https://www.cgculture.in/hindi/archaelogy/shailashya.htm
  5. https://cgnews.in/permanent/Chhattisgarh/TOURISM/new_page_1.htm
  6. छत्तीसगढ़ में करोड़ो वर्ष पुराने शैलचित्र"
  7. संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग, छत्तीसगढ़ शासन (जनवरी २००६). धरोहर:राज्य के संरक्षित स्मारक. रायपुर: छत्तीसगढ़ शासन. पृ॰ 33