Sirohi Rajasthan

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Map of ‎Sirohi District

Sirohi (सिरोही) is a city and district in southern Rajasthan. Nearest railway station to Sirohi is Sirohi Road station.

Variants

Tahsils in Sirohi district

Villages in Sirohi tahsil

Akoona, Amlari, Amli, Angore, Badeli, Bag, Balda, Balda (V), Baoli, Barloot, Belangari, Bhutgaon, Chadooal, Darbari Khera, Deldar, Dhanta, Dodua, Ewadi, Gol, Goyli, Gura, Guwari Khera, Haliwara, Jaila, Jamotara, Jawal, Kakendra, Kalandri, Karjal, Khambal, Kooma, Kotra, Krishnganj, Madiya, Mamawali, Mandawariya, Mandwa, Mandwara, Mankroda, Manora, Mirpur, Mermandwara, Mohabbat Nagar, Nawara, Nembora, Noon, Padeev, Padroo Khera, Palri, Peepalki, Phachariya, Phalwadi, Phoogni, Poseetara, Punawa, Rajpura, Rajpura Khera, Rampura, Rampura, Ranela, Roda Khera, Sanpur, Sarneshwarji, Sartara, Satapura, Savrata, Sildar, Siloiya, Sindrath, Sirodki, Sirohi (M), Siya Kara, Tawari, Telpi Khera, Tua, Ud, Unta Khera, Vadakhera, Valdara, Varal, Verapura, Verusa Padar, Warada,

Jat Gotras

History

Vadhina Inscription of 1302 AD

वधीणा के शांतिनाथ मन्दिर का लेख १३०२ ई.

सिरोही के वधीणा ग्राम में शान्तिनाथ का मन्दिर है उसके निमित्त सोलंकियों ने सामूहिक रूप से ग्राम व खेत और कुंए के हिसाब से मंदिर के निमित्त कुछ अनुदान की व्यवस्था की. इसमें सेई शब्द सेर के तोल के लिये तथा ढीवडा कुंए के लिये और अरहट रहट के लिये प्रयुक्त किये गये हैं. लेख का मूल पाठ इस प्रकार है[1]:

"संवत १३५९ वर्षे वैशाख शुदि १० शनि दिने.... लदेशे वाधसीण ग्रामे महाराज श्री सामंतसिंह देव कल्याण विजयराज्ये वर्तमाने सोलं-षा भट पु. रजर सोलंगादेव पु अंगद मंडलिक सोल सीमाल पु कुंताधारा सो. माला पु. मोहन त्रिभुवन पट्टा सोहरपाल सो. धूमण पट वायत वणिग सीहा सर्व सोलंकी समुदायेन वाधसीण ग्रामीय अरहट अरहट प्रति गोधूम सं ४ ढीवडा प्रति गोधूम सेई २ तथा धूलिया ग्रामे सो. नयणसिंह पु जयतमाल सो. मंडलिक अरहट प्रति गोधूम सेई ४ ढीवडा प्रति गोधूम सेई २ सेतिका २ श्री शान्तिनाथ देवस्य यात्रा महोत्सव निमित्तं दत्ता. एतत आदानं सोलंकी समुदाय: दातव्यं पालनीयंच. आचंद्रार्क . यस्य यस्य यदा भूमि तस्य तस्य तदा फ़लं. मंगलं भवतु."

शिवि गण

डॉ. धर्मचंद्र विद्यालंकार[2] ने लिखा है....शिवि गण ने राजस्थान में जाकर सिरोही (शिवि रोही) और मेवाड़ तक में अपना शिवि जनपद बसाया था; जिसके मुद्रांक हमें उत्खनन में मिलते हैं. इसी नाम की एक जाति वहां पर वर्तमान में भी शिरवी कहलाती है. संभवत: मद्र-देश (स्यालकोट) से प्रवाजित होने के ही कारण उन्हीं का एक नाम मद्र से बिगड़ कर मेड और मेव तक भी हो गया है. शायद मेवाड़ नाम शिवि जनपद का होने के कारण हुआ होगा. अजमेर का भी पुरातन नाम मेरवाड़ा ही है. [p.16]: कठ कबिले ने ही ईसा की आरंभिक शताब्दियों में जाकर सौराष्ट्र या शकराष्ट्र को अपना काठियावाड़ नाम दिया था. शकों के राज्य की सूचना हमें केवल सुदर्शन झील के जीर्णोद्धार के अवसर पर अंकित चौथी शताब्दी के शकराज रुद्रदामन के अभिलेख से ही मिलती है. शकराष्ट्र से ही बिगड़ कर सौराष्ट्र नाम पड़ा था तो कठों के अधिकार के पश्चात ही काठियावाड़ नाम हुआ होगा.

Notable persons

External Links

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References

  1. डॉ गोपीनाथ शर्मा: 'राजस्थान के इतिहास के स्त्रोत', 1983, पृ.१२३-१२४
  2. Patanjali Ke Jartagana or Jnatrika Kaun The,p.15-16

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