Chuna Ram Fageria

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Subedar Chuna Ram Fageria, MVC

Chuna Ram Fageria (Subedar) (29.12.1923 - 30.05.1995) was the first winner of Mahavir Chakra in 1948 in Indo-Pak war.[1] He was born in Village Dalmas Ki Dhani in Laxmangarh tahsil in Dist- Sikar in year 1923. He was a wrestler. He retired from Army on 29.12.1968 and died on 30.05.1995. :Unit – Rajputana Rifles

Mahavir Chakra Award

SUB- Chuna Ram Fageria MVC (JCO 15110) was awarded MVC on June 15,1948 For Capturing of PT 5460 During J & K Operations of Link up with Poonch & Raujori

In June 1948 a company of 2 Rajputana Rifles was ordered to dislodge the enemy from the hills overlooking the Rajouri-Thana Mandi Road, in Kashmir.

Havildar Chuna Ram, Commander of the reserve platoon of the company was asked to silence the guns on the spur. The havildar moved up with two sections of his platoon. When they neared the objective, the enemy lobbed hand grenades at them, but, that could not stop Chuna Ram. He charged the enemy post with a sten gun. He killed two and wounded three enemy soldiers and silenced the guns. Then bleeding profusely from his wounds, he fell down, the life ebbing from his body.

Havildar Chuna Ram was awarded Mahavir Chakra for gallantry and leadership of a very high order. [2]

Unit – Rajputana Rifles (Raj. Rif. Regt. Centre. Delhi. Cantt.)

  • Date of Enrollment 29-12-1940,
  • Date of Discharge 29-12-1968

Family

  • Brothers – Hardeva Ram, Khuma Ram, Kheta Ram, Pokhar Mal, Chuna Ram (Himself)
  • Sisters – Kasturi, Parmeshawari, Chhoti, Anchi, Kanchan,
  • MVC’S Sons- Puranmal, Ramratan, Hanuman, Rajendra Prasad,
  • Father’s Name Biru Ram Fageria
  • Mother’s Name Kisani Devi
  • Wife’s Name Chandari Devi

Medals and Awards

Subedar Chuna Ram Fageria received the following medals for his meritorious service in the Indian Army:

  • Star Medal,
  • War Medal,
  • Indian Service Medal,
  • Independence Medal,
  • Burma Star,
  • Mahavir Chakra,
  • Raksha Medal,
  • Sauray Seva Medal,
  • General Seva Medal.

War Service

War Service-

  • J & K 8-2-1948 to 27-8-1948
  • J & K 6-11-1953 to 7-7-1954; 3-12-1954 to 2-2-1955
  • Concessional Area 19-7-1951 to 4-10-1951; 4-12-1951 to 8-3-1952

What a tragedy ?

Such a brave hero, about whom army records say unstoppable and large number of awards and medals of bravery to his credit, has no mention in any of records except a website [3] which says Havildar Chuna Ram was awarded Mahavir Chakra posthumously for gallantry and leadership of a very high order.

I contacted Mansukh Ranwa from Sikar who went to his village Dalmas in Sikar district and collected photo and some details. These have been provided here. Munsukh Ranwa has sent me information that the hero Chua Ram died on 31 May 1995 and was cremated like an ordinary person without any army honour entitled by the receipants of MVC.

हवलदार चूनाराम फगेड़िया

हवलदार चूनाराम फगेड़िया

29-12-1923 - 30-05-1995

महावीर चक्र

यूनिट - 2 राजपुताना राइफल्स

भारत-पाक युद्ध 1947-48

हवलदार चूनाराम का जन्म ब्रिटिश भारत में 29 दिसंबर 1923 को वर्तमान राजस्थान के सीकर जिले की लक्षमणगढ़ तहसील के डालमास की ढाणी गांव में श्री बीरूराम फगेड़िया एवं श्रीमती किसनी देवी के परिवार में हुआ था। बाल्यकाल से वह मल्लयुद्ध में रूचि रखते थे। 29 दिसंबर 1940 को वह ब्रिटिश-भारतीय सेना की राजपुताना राइफल्स रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे। प्रारंभिक प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 2 राजरिफ बटालियन में राइफलमैन के पद पर नियुक्त किया गया था।

स्वतंत्रता के पश्चात कश्मीर पर पाकिस्तान के कबाइली आक्रमण में भारतीय सेनाएं पुंछ-राजौरी की ओर बढ़ रही थी। कुछ पहाड़ियोंं पर शत्रु का अधिकार था और इन पहाड़ियों से राजौरी-थाना मंडी सड़क का अवलोकन किया जा सकता था। शत्रु वहां से प्रभावी गोला वृष्टि कर रहा था। 15 जून 1948 को 2 राजपुताना राइफल्स की एक रिजर्व कंपनी को उन पहाड़ियों से शत्रु को निष्कासित करने का आदेश दिया गया।

कंपनी के एक प्लाटून के कमांडर हवलदार चूनाराम को पॉइंट 5460 से गोलीवर्षा कर रही शत्रु की मशीनगन पोस्ट को शांत करने का कार्य दिया गया। हवलदार चूनाराम अपनी प्लाटून के दो सेक्शन के साथ आगे बढ़े। जब वे अपने लक्ष्य के समीप पहुंचे, तो शत्रु ने उन पर हथगोले फेंके व अंधाधुंध गोलियां चलाईं, किंतु, यह भीषण विस्फोट भी अभीत हवलदार चूनाराम का मार्ग नहीं रोक पाए।

"राजा रामचंद्र की जय" का सिंहनाद करते हुए उन्होंने स्टेन गन से शत्रु की मशीन गन पोस्ट पर प्रचंड आक्रमण किया। उन्होंने दो शत्रु सैनिकों को मार गिराया, तीन को घायल कर दिया व भयानक गोलीवर्षा कर रही शत्रु की मशीनगन को शांत कर दिया। इस साहसिक कार्रवाई में हवलदार चूनाराम गंभीर रूप से घायल हो गए। उनके घावों से अत्यधिक रक्त बह रहा था। वह अचेत हो कर वहीं गिर गए। अंतत: उनकी प्लाटून ने उस पोस्ट पर अधिकार कर लिया। उन्हें उपचार के लिए भेजा गया। सौभाग्य से उनका जीवन सुरक्षित रह गया।

हवलदार चूनाराम को शत्रु के समक्ष अति उच्च कोटि के नेतृत्व, अदम्य साहस और वीरता प्रदर्शन के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।

29 दिसंबर 1968 को सूबेदार के रूप में वह सेवानिवृत्त हुए थे। सेना के रिकॉर्ड में उन्हें "अजेय चूनाराम" लिखा गया। 30 मई 1995 को गांव में उनका निधन हुआ था।

Gallery

Source

References


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