Subhash
क्या करूँ मैं क्या करूँ जब लाचार हो गये
घर से निकल कर वीर वह फ़रार हो गये
दुनियां तो कहती है मुसीबत में फ़ंस गया
घर से निकल कर घर में बस गया
गया थे अकेला अनगिनत भाई मिल गए
आजाद हिन्द फ़ौज के सिपाही मिल गए
युद्ध करने के वास्ते नये मैदान मिल गए
३० लाख भारत के युवा जवान मिल गए
हथियार मोटर मिल गए विमान मिल गए
बन्दूकची मिल गए तीरन्दाज मिल गए
हिन्दू ईसाई मिल गए मुसलमान मिल गए
ढिल्लो सह्गल मिल गए शाहनवाज मिल गए
कलयुग को मिटाया है नेता सुभाष ने
दिखलाया श्री राम का त्राता सुभाष ने
श्री राम की तरह सब सामान मिल गए
सुग्रीव मिल गए हनुमान मिल गए
घोङ सुत्तर मिल गए फ़ील मिल गए
जामवन्त मिल गए नल नील मिल गए
सारे भारत वर्ष का एक बाप मिल गया
बेधङक राजा महेन्द्र प्रताप मिल गया
Digital text (Wiki version) of the printed book prepared by - Vijay Singh विजय सिंह |
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