Subarnarekha
Author:Laxman Burdak, IFS (Retd.) |
Subarnarekha River (सुवर्णरेखा) flows through the Indian states of Jharkhand, West Bengal and Odisha.
Variants of name
- Suvarnarekha सुवर्णरेखा (AS, p.980)
- Sonarekha सोनरेखा = Suvarnarekha सुवर्णरेखा (2) (AS, p.988)
- Svarnarekha स्वर्णरेखा = Suvarnarekha सुवर्णरेखा (AS, p.1004)
- Subarnarekha River
- Suvarnarekha
- Swarnarekha
- Swarnarekha River
- Svarnarekha
- Svarnarekha River
Origin of name
As per tradition, gold was mined near the origin of the river at a village named Piska near Ranchi. This is why it was named Swarnarekha, meaning "streak of gold". Legend has it that traces of gold were found in the river bed. Even now, people look for traces of gold particles in its sandy beds. The name is a combination of two words meaning gold and line/ streak in Indian languages.
Course
After originating near Piska/ Nagri, near Ranchi, the capital of Jharkhand,[9] the Subarnarekha traverses a long distance through Ranchi, Seraikela Kharsawan and East Singhbhum districts in the state. Thereafter, it flows for shorter distances through Paschim Medinipur district in West Bengal for 83 kms and Balasore district of Odisha. There, it flows for 79 kms and joins the Bay of Bengal near Talsari. The total length of the river is 395 kms.
Tributaries
The prominent tributaries of the Subarnarekha are Kharkai, Roro, Kanchi, Harmu Nadi, Damra, Karru, Chinguru, Karakari, Gurma, Garra, Singaduba, Kodia, Dulunga and Khaijori. The Kharkai meets the Subarnarekha at Sonari (Domuhani), a neighborhood of Jamshedpur.
सुवर्णरेखा
विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ... सुवर्णरेखा (AS, p.980): 1. जिला मयूरभंज उड़ीसा, मयूरभंज के उत्तरी भाग में बहने वाली एक नदी जिस के निकट बंगाल के सेन राजाओं की प्रथम राजधानी काशीपुरीबसी हुई थी. (देखें काशीपुरी)
2. जूनागढ़ (गुजरात) के निकट प्रवाहित होने वाली नदी; वर्तमान सोन रेखा. सुवर्णरेखा (देखें सुवर्णसिक्ता) और पलाशिनी (वर्तमान पलाशियों) का उल्लेख गिरनार के चट्टान पर अंकित सम्राट स्कन्दगुप्त के प्रसिद्ध अभिलेख में है. इस वर्णन के अनुसार इन दोनों नदियों का पानी रोककर सिंचाई के लिए झील बनाई गई थी. 453 ई. में उसका बांध घोर वर्षा के कारण टूट गया और तब स्कंद गुप्त के अधीन सौराष्ट्र के शासक चक्रपालित ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था.
सुवर्णरेखा परिचय
सुवर्णरेखा या स्वर्णरेखा भारत के झारखण्ड, पश्चिम बंगाल और ओड़िशा राज्यों में बहने वाली एक नदी है। यह राँची नगर से 16 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित नगड़ी गाँव में रानी चुआं नामक स्थान से निकलती है और उत्तर पूर्व की ओर बढ़ती हुई मुख्य पठार को छोड़कर प्रपात के रूप में गिरती है। इस प्रपात (झरना) को हुन्डरु जलप्रपात (Hundrughagh) कहते हैं। प्रपात के रूप में गिरने के बाद नदी का बहाव पूर्व की ओर हो जाता है और मानभूम जिले के तीन संगम बिंदुओं के आगे यह दक्षिण पूर्व की ओर मुड़कर सिंहभूम में बहती हुई उत्तर पश्चिम से मिदनापुर जिले में प्रविष्टि होती है। इस जिले के पश्चिमी भूभाग के जंगलों में बहती हुई बालेश्वर जिले में पहुँचती है। यह पूर्व पश्चिम की ओर टेढ़ी-मेढ़ी बहती हुई बालेश्वर नामक स्थान पर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इस नदी की कुल लंबाई 474 किलोमीटर है और लगभग 28928 वर्ग किलोमीटर का जल निकास इसके द्वारा होता है। इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ काँची एवं कर्कारी हैं। भारत का प्रसिद्ध एवं पहला लोहे तथा इस्पात का कारखाना इसके किनारे स्थापित हुआ। कारखाने के संस्थापक जमशेद जी टाटा के नाम पर बसा यहाँ का नगर जमशेदपुर या टाटानगर कहा जाता है। अपने मुहाने से ऊपर की ओर यह 16 मील तक देशी नावों के लिए नौगम्य (navigable) है।
External links
References
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