Tara Choudhary

From Jatland Wiki
Jump to navigation Jump to search

Tara Choudhary (Pooniya) from village Jalipa, district Barmer, Rajasthan is a teacher and social worker. She has done commendable work for the girls educations in the desert area of Rajasthan.

तारा चौधरी का जीवन परिचय

कहते है न नारी हमारे समाज की जननी है, जिसके बिना पूरा संसार अधूरा है। इसी वजह से आज हमारे समाज में नारी काे एक उच्च दर्जा प्राप्त है। नारी हर क्षेत्र में सबसे आगे है भले ही वाे बाॅलीवुड फिल्मों से जुड़ा हुआ हाे, डॉक्टर, शिक्षा, राजनीति क्षेत्र हाे, काेर्इ तकनीकी रूप हाे, या फिर खेल का मैदान इत्यादि हाे। हर क्षेत्र में नारी की अपनी एक अलग पहचान और उनका योगदन सराहनीय रहा है। आज के दौर में हर रुप में नारी निखर कर सामने आ रही है। इन्ही में से एक शख्सियत तारा चौधरी भी है जो हम सब के लिए प्रेरणा बनी हुई है साथ ही इस क्षेत्र में बालिका शिक्षा में अलख जगाने का काम कर रही है ! पश्चिमी राजस्थान जो एक समय था जब बालिका शिक्षा को लेकर कोई सोच भी नहीं सकता था। लेकिन आज इस क्षेत्र में तारा चौधरी है जिन्हाेंने अपनी बहादुरी अपने ज्जबे की अलग मिसाल कायम की है, बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित देने व यहां की महिलाओ की प्रेरणा श्रोत बनी प्रखर वक्ता तारा चौधरी का मानना है कि किसी भी समाज की प्रगति के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है.

बालिका शिक्षा में योगदान

बालिकाओं को शिक्षित करने व उन्हें आगे बढ़ाने के लिए राजस्थान के पश्चिमी इलाके बाड़मेर जेसलमेर में विशेष रूप से अपना योगदान दे रही तारा चौधरी का जन्म दिनांक 17 सितम्बर 1979 को हुआ. आज इनकी बदौलत राजकीय बालिका छात्रावास बाड़मेर से पढ़कर निकली छात्राएं अलग-अलग जगहों पर नाम ऊंचा कर रही हैं। यहां की छात्राएं इस बात पर भी गौरवान्वित हो सकती है कि मौजूदा समय में इनको शिक्षा दे रहीं शिक्षिकाएं भी यही से पढ़ी हुई हैं। यहां पढ़ने वाली छात्राओं को देश और समाज की सेवा के लिए तैयार किया जाता है। पढ़ाई के साथ यहां की छात्राएं एनसीसी, स्काउट-गाइड, क्रीड़ा, सांस्कृतिक कार्यक्रम, साहित्यिक गतिविधियों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती हैं। बाड़मेर में स्थित बालिका छात्रावास में समस्त वर्ग की छात्राओं को पारिवारिक वातावरण में रखते हुए शिक्षा के लिए प्रेरित कर शत प्रतिशत परीक्षा परिणाम रखने एंव नारी शक्ति के रूप में अग्रसर रहते हुए सराहनीय कार्य करने के लिए बीते शिक्षक दिवस पर आपको राजधानी जयपुर में राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान एंव विद्यालय रत्न समान से नवाजा गया !

पद्रह वर्ष से लगातार शिक्षण क्षेत्र से जुड़कर कार्य कर रही हैं। इसके लिए बाड़मेर जिला स्तर पर प्रकई कीर्तिमान हासिल करने पर 26 जनवरी 2011 और 26 जनवरी 2015 दो बार जिला स्तर से सम्मान प्राप्त हुआ । इन्होंने सहयोगी शिक्षिकाओं के साथ बच्चियों को शिक्षा के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सरहानीय कार्य किया , ये कुशल निर्देशन की देन है कि आज बच्चियां विशेष अवसरों व राष्ट्रीय पर्व के साथ साम्प्रदायिक सौहार्द मेला, महोत्सव कार्यक्रमो की ये बालिकाए शोभा बढ़ा रही हैं।

आपका परिवार

मूलत: बाड़मेर के जालिपा गांव निवासी हेमाराम चौधरी के घर जन्म लेकर तारा चौधरी बीते 15 वर्ष से शिक्षण का कार्य कर रही हैं। आप M.A. history, Med इतिहास ओर राजनतीक विज्ञान और इस समय PHD अध्ययनरत है.

आपके बड़े भाई नवल किशोर पूनिया CRPF कमांडेंट। छोटा भाई जोगिंदर कुमार पुनिया IPS 2007 । छोटी बहन मीरा एसीटीओ सुमेरपुर में कार्यरत है. तारा चौधरी का जन्म 17 सितम्बर 1979 में हुआ और 2003 से शिक्षा विभाग में कार्यरत है.

शिक्षा व सेवा की ललक

जुलाई 2008 से राजकीय बालिका छात्रावास माध्यमिक बाड़मेर में अधीक्षक के पद पर कार्यरत तारा चौधरी द्वारा विद्यालय में नियमित विद्याध्ययन के साथ-साथ बालिका छात्रावास को पारिवारिक वातावरण में बालिकाओं का सुसंचालन करने का सराहनीय कार्य के लिए जिला स्तर पर 26 जनवरी 2011 और 26 जनवरी 2015 दो बार जिला स्तर से सम्मान प्राप्त हुआ । शिक्षा में सराहनीय कार्य के लिए पुष्कर शिक्षक फॉर्म राजस्थान द्वारा शिक्षक दिवस 2018 को राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान एवं विद्यालय रत्न सम्मान प्रदान किया । वर्तमान में आप कुंभाराम आर्य किसान फाउंडेशन के जिला अध्यक्ष है. फाउंडेशन का उद्देश्य किसान वर्ग चेतना, बालिका शिक्षा ,किसान वर्ग के समाज में फैली सामाजिक कुरीतियों को दूर करना । 2017 में जिला स्तर पर थार नारी शक्ति अवार्ड भी प्राप्त हुआ । बाड़मेर जिले में पहली बार आओ ऐंकर बने कार्यक्रम का 45 दिवस दिवस निशुल्क प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने के सराहनीय कार्य के लिए जिला कलेक्टर द्वारा सम्मान प्रदान किया गया ।

तारा चौधरी ने इस पिछड़े क्षेत्र की बालिकाओं को विद्यालय से जोड़ने में योगदान दिया, वहीं बीच में ही विद्यालय छोड़ने वाली बालिकाओं के माता-पिता से संपर्क करके पुन: नामांकन कराया। इसके साथ विद्यालय पर नियमित उपस्थिति दर्ज कराकर बच्चियों को प्रोत्साहित कर सतत शिक्षा में अलख जगाने में बड़ा योगदान दिया है। इनके माध्यम से अभिभावकों में जहां बालिका शिक्षा के प्रति जागरुकता पैदा किया, वहीं बालिकाओं में आत्म सम्मान जाग्रत किया। अपने महत्व व शिक्षा के अधिकारों के प्रति समझ बढ़ाकर आज गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में योगदान दे रही हैं।

संदर्भ