Tirukkalikundaram
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Tirukkalikundaram (तिरुक्कलिकुंदरम्) is a city and Taluk in Kanchipuram Distrtict, Tamil Nadu.
Origin
Variants
- Tirukkalikundaram तिरुक्कलिकुंदरम् = Pakshitirtha पक्षितीर्थ (AS, p.401)
- Thirukkalikundram
- Pakshitirtha पक्षीतीर्थ (AS, p.519)
History
तिरुक्कलिकुंदरम्
विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ...तिरुक्कलिकुंदरम् (AS, p.401) तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम ज़िले में स्थित एक नगर है। तिरुक्कलिकुंदरम को 'पक्षितीर्थ' भी कहा जाता है। यह एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। 500 फुट ऊँची पहाड़ी पर बने मंदिर में प्राचीन काल से दो पक्षी (क्षेमकरी) नित्य भोजनार्थ निश्चित समय पर यहाँ आते हैं। इन पक्षियों के विषय में अनेक कपोल कल्पित कथाएँ प्रचलित हैं। यह स्थल कम से कम 18वीं शती में भी इसी प्रकार से प्रख्यात था, क्योंकि तत्कालीन उल्लेखों से यह बात प्रमाणित होती है।
पक्षीतीर्थ
विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...पक्षितीर्थ (AS, p.519) चेंगलपेट रेलवे स्टेशन से यह 9 मील दूर पहाड़ी के ऊपर स्थित यह दक्षिण भारत प्रसिद्ध तीर्थ है. मध्यानह के समय प्रतिदिन, दो पक्षी (क्षेमकरी) नित्य आकार पुजारी के हाथ से भोजन करती हैं. इनके बारे में तरह-तरह की किंवदंतियाँ प्रसिद्ध हैं. (दे. चिंगलपेट, वेदगिरि)
पक्षीतीर्थ परिचय
दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम ज़िले में स्थित एक नगर है। यह हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। पक्षितीर्थ का स्थानीय नाम तिरुक्कलिकुंदरम है। चेंगलपेट रेलवे स्टेशन से यह 9 मील दूर है। मद्रास (वर्तमान चेन्नई) से चेंगल पेट होते हुए बसें जाती हैं, इस मार्ग से भी यहाँ पहुँचा जा सकता है। यहाँ ठहरने के लिए धर्मशालाएँ भी हैं।
धार्मिक मान्यता: उत्तर भारत में जैसे गिरिराज गोवर्धन और कामदगिरि पर्वत ही भगवद रूप माने जाते हैं, वैसे ही दक्षिण भारत में तीन पर्वत त्रिदेवों के स्वरूप माने जाते हैं। इनमें पक्षितीर्थ का वेदगिरि ब्रह्मा का स्वरूप, अरुणाचलम शिवस्वरूप और वेंकटाचल (तिरुपति) विष्णु स्वरूप माना जाता है। यहाँ लोग वेदगिरि की परिक्रमा करते हैं। यहाँ का परिक्रमा मार्ग अच्छा है।
मुख्य तीर्थ एवं दर्शनीय स्थल: पक्षितीर्थ के बाज़ार में शंखतीर्थ सरोवर है। कहते हैं कि 12 वर्ष में जब गुरु कन्याराशि पर आते हैं तो इस सरोवर में शंख उत्पन्न होता है। उस समय यहाँ बड़ा मेला लगता है। बाज़ार के दूसरे किनारे विशाल प्राचीन शिवमंदिर है। उसमें रुद्रकोटि लिंग प्रतिष्ठित है। अभिराम नायकी नामक पार्वती मंदिर उसके भीतर ही है। समीप में रुद्र कोटि तीर्थ सरोवर है। बाज़ार से ही पक्षितीर्थ जाने के लिए वेदगिरि पर सीढ़ियाँ बनी हैं। 500 सीढ़ियाँ चढ़ना पड़ता है। शिखर पर शिव मंदिर है। मार्ग संकीर्ण है। परिक्रमा करते हुये मंदिर में जाना पड़ता है। कदली स्तम्भ के समान दक्षिणामूर्ति (आचार्य विग्रह) लिंग यहाँ है। दर्शन करके परिक्रमा करके लौटने पर संकीर्ण गली में छोटे द्वार से जाकर कुछ नीचे गुफा में पार्वती मूर्ति है। यहाँ बहुत अधिक शिव भक्तों ने तप किया है। वेद-गिरि के पूर्व में इंद्र-तीर्थ, अग्निकोण में रुद्र-तीर्थ, दक्षिण में वशिष्ठ-तीर्थ, नैऋत्य में अगस्त्य-तीर्थ, मार्कण्डेय-तीर्थ, विश्वामित्र-तीर्थ पश्चिम नन्दी एवं वरुण तीर्थ तथा वायव्य में अकलिका-तीर्थ हैं।
पक्षि दर्शन: यहाँ इस मंदिर से कुछ सीढ़ियाँ नीचे उतरकर समतल खुली भूमि है। यहीं लोग पक्षी के दर्शन करते हैं। यहीं एक ऊँची शिला है और समीप गृद्धतीर्थ नामक कुंड है। पुजारी दस बजे दोपहर में आता है। वह शिला पर कटोरी तश्तरी पटककर बार-बार संकेत करता है। पक्षियों के आने का समय दस बजे से दो बजे के मध्य है। इस बीच वे कभी भी आते हैं। दो काँक (चमरगीधा) जाति के पक्षी हैं। कभी वे बारी-बारी से आते हैं और कभी साथ आ जाते हैं। पुजारी के हाथ से भोजन करते हैं और पानी पीकर उड़ जाते हैं। यहाँ का यह पर्वत ही तीर्थ है। यही पुण्यदर्शन मंदिर माना जाता है।
संदर्भ: भारतकोश-पक्षितीर्थ