Urden
Urden (उरदेन) is a village in Raisen tahsil in Raisen district in Madhya Pradesh. About 10000 BC ancient Evidences of farming in rock-paintings at Urden (Madhya Pradesh) have been discovered by Archaeologists.
Jat Gotras
History
डॉ नथन सिंह (जाट इतिहास, पृ.49 ) ने लेख किया है कि मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के गाँव उरदेन के पास पुरातत्ववेताओं को खुदाई में कुछ शैल-चित्र मिले हैं, जो वहां 10000 वर्ष ई.पू. खेती होने के प्रमाण प्रस्तुत करते हैं. (दैनिक जागरण:1 फ़रवरी -1999).
स्पेन के दल ने किया मानव सभ्यता पर अध्ययन
स्पेन से आए दल ने खरबई के निकट स्थित मकोडिय़ा और उर्देन की पहाड़ी में बने शैलाश्रय और शैल चित्रों का अध्ययन किया। इसके अलावा टिकोदा के पास डामडोंगरी में मिले प्राचीन मानव बसाहट का भी अवलोकन किया। भारतीय इतिहास संकलन समिति एवं सेंर्टो डीस्टूडियो स्पेन के संयुक्त दल ने शैलाश्रय एवं शैलचित्रों के सर्वेक्षण के बाद यह निष्कर्ष निकला कि ये चित्र 10 से 12 हजार वर्ष प्राचीन हैं। यहां पर रहने वाले मानवों ने बड़े ही सुंदर हिरण, हाथी, मानव आकृतियों सहित अनेक विषयों पर सुंदर चित्रांकन किया है, अनेक चित्र उच्चकोटि के हैं। संयुक्त दल का यह मत है कि इन शैलाश्रयों एवं शैलचित्रों का संरक्षण शासन द्वारा किया जाना चाहिए। इसके बाद स्पेन से आए मि.फेरर, इलियास, ए. पारो, एनरीक्यूर एवं दिल्ली से ललित कला अकादमी से डॉ. राहस मोहंती, भोपाल से डॉ. नारायण व्यास और रायसेन राजीव चौबे, जीपी मुद्गल सहित दल के अन्य सदस्य सागर रोड स्थित टिकोदा गांव के निकट डामडोंगरी पहुंचे। यहां पर डेक्कन कॉलेज पुणे एवं भारतीय सर्वेक्षण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में कई सालों से कैंप लगाकर उत्खनन किया जा रहा है।
पुरातत्वविद डॉ. नारायण व्यास ने बताया कि इस क्षेत्र में अत्यंत प्राचीन मानव बसाहट के प्रमाण प्राप्त हो रहे हैं। यह पूरा क्षेत्र पाषाण युग में मानवों की बसाहट का प्रमुख केन्द्र था। यहां पाषाण निर्मित शस्त्रों को जमीन के ऊपर सहज ही देखा जा सकता है। ये पाषाण निर्मित औजार उच्चकोटि के हैं, ऐसा अनुमान है कि यह बसाहट 14 से 15 लाख वर्ष प्राचीन हो सकती हैं। इस पर अंतिम मत प्रयोगशाला में भेजे गए नमूनों के परिणाम आने के बाद हो सकेगा। यदि प्रयोगयशाला से इस मत की पुष्टि हो सकती है तो यह बसाहट विश्व की सबसे प्राचीन बसाहट होगी।
यहां पर मानव के विकास की क्रमबद्ध कडिय़ां दृष्टिगोचर होती हैं। उन्होंने बताया कि ग्राम डामडोंगरी के घुमक्कड़ मानव बसाहट के अवशेष मिले हैं, जो पत्थरों के औजार बनाकर उनसे आत्मरक्षा एवं शिकार करता था फिर बाद में निकट ही उसने पुतलीकरार के शैलाश्रयों में निवास करना शुरू किया एवं वहां अनेक शैलचित्र भी बनाए हैं।
भारतीय संकलन समिति के विनोद तिवारी ने बताया कि स्पेन के दल ने रायसेन जिले में मानव सभ्यता के बारे में खोज करने के लिए कई जानकारियां जुटाई हैं। ये विदेशी मेहमान देश भर में मौजूद शैलाश्रय की प्राचीनता पर शोध पर उसका गहराई से अध्ययन कर रहे हैं ताकि भारत में मानव सभ्यता के विकास काल का पता चल सके। इस दल का उद्देशय स्पेन में पाए गए शैलचित्रों और भारत में पाए गए शैलचित्रों के बीच प्राचीनता की तुलना के अलावा दोनों की सभ्यता व संस्कृति के बीच अंतर व समानता पर पर शोध करना भी है।[1]
Notable persons
External links
References
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