Yashpal Singh Narwat
Yashpal Singh Narwat became Martyr of militancy in Operation Rakshak on 4 June 2001 in Kupwada district of Jammu and Kashmir. [1] He was from Kheri Kalan village in Faridabad district of Haryana. Unit - 30 Rashtriya Rifles/290 Field Regiment
गनर यशपाल नरवत
गनर यशपाल नरवत
14423332A
यूनिट - 30 राष्ट्रीय राइफल्स/290 फील्ड रेजिमेंट
आतंकवाद विरोधी अभियान
गनर यशपाल का जन्म हरियाणा के ग्रेटर फरीदाबाद के खेड़ी कलां गांव में श्री भरत लाल नरवत एवं श्रीमती धर्मपाली के परिवार में हुआ था। यशपाल चार भाइयों में सबसे लघु थे। अपने सैनिक पिता और भाई के आदर्शों पर चलते हुए 28 अप्रैल 1997 को नासिक से वह भारतीय सेना की रेजिमेंट ऑफ आर्टिलरी में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे।
प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 290 फील्ड रेजिमेंट में गनर के पद पर नियुक्त किया गया था। वर्ष 2001 में वह प्रतिनियुक्ति पर जम्मू-कश्मीर के आतंकवाद विरोधी अभियानों में 30 राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन के साथ संलग्न थे। उस समय घाटी में आतंकवाद चरम पर था और उनकी बटालियन को कुपवाड़ा में आतंकवाद विरोधी अभियानों का उत्तरदायित्व सौंपा गया था।
4 जून 2001 को गनर यशपाल अपने गश्ती दल के साथ कुपवाड़ा में गश्त कर रहे थे। उसी समय छिपकर बैठे आतंकवादियों ने उनके गश्ती दल पर घात लगाकर आक्रमण (AMBUSH) किया और अंधाधुंध फायरिंग आरंभ कर दी।
गनर यशपाल ने अपने सहकर्मियों के साथ अदम्य साहस, दृढ़ निश्चय और वीरता से आतंकवादियों से संघर्ष किया। भीषण मुठभेड़ में उनकी छाती पर अनेक गोलियां लग गई। गंभीर घायल होते हुए भी अंतिम श्वास तक फायर करते हुए अंततः वह वीरगति को प्राप्त हो गए।
शहीद को सम्मान
गैलरी
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गनर यशपाल की प्रतिमा
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गनर यशपाल के स्मारक पर स्थापित शिलालेख
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स्रोत
संदर्भ
- ↑ Jat Samaj Patrika:Agra, September 2001
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