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'''Tapoo (तापू)''' is a Village in [[Osian]] tahsil of [[Jodhpur]] district in [[Rajasthan]].  
'''Tapoo (तापू)''' is a Village in [[Osian]] tahsil of [[Jodhpur]] district in [[Rajasthan]].  
 
== Founders ==
Tapoo was founded by [[Bairad]] clan in 1367 AD.
== Jat Gotras ==
== Jat Gotras ==


*[[Bairad]]
*[[Bairad]]
== History ==
== History ==
बैरड़ लोगों ने ब्राह्मणी माता के आशीर्वाद से वि. स. 1122 (='''1065''' ई.) में '''[[Kajlasar|काजलासर]]''' गाँव की नींव डाली। यहाँ से जाकर वि. स. 1300 (='''1243''' ई.) में '''[[Dhelki Ka Khera|ढेलकी का खेड़ा]]''' गाँव की नींव रखी। इसके बाद यह गाँव छोडकर  वि. स. 1385 (='''1328''' ई.) में '''[[Ladamsar|लाडमसर]]''' गाँव बसाया। <ref>अमेश बैरड:बेरड़ जाति का गौरवपूर्ण इतिहास, पृ.6</ref>
बैरड़ लोगों [[Ladamsar|लाडमसर]]  गाँव छोडकर '''[[Tapoo|तापू]]''' आए और तापू को बसाया। वहाँ वि. स. 1424 (='''1367''' ई.) में '[[Gado Wala Bas|गाडो वाला बास]]' बसाया। 'गाडो वाला बास' नाम इसलिए पड़ा कि बैरड़  जब अजमेर छोडकर आए तो अपना सामान बैलगाड़ियों पर लाद कर लाये थे। ये गाडियाँ जब [[Tapoo|तापू]] आकर रुकी तो जहां वे रुके थे उस बस्ती का नाम 'गाडो वाला बास' दे दिया। बैरड़ों ने वहाँ '''हनुमानसागर''' नामक कुआ भी खोदा जो आज भी दर्शनीय है। <ref>अमेश बैरड:बेरड़ जाति का गौरवपूर्ण इतिहास, पृ.6</ref>
'''[[Tapoo|तापू]]''' नामक गाँव में ही '''हिम्मीरजी बैरड़''' पैदा हुये। इनके तीन पुत्र पैदा हुये: 1. कंवरपाल, 2. मुमदेव और 3. पन्नाराम। <ref>अमेश बैरड:बेरड़ जाति का गौरवपूर्ण इतिहास, पृ.6</ref>
'''[[Tapoo|तापू]]''' में हिम्मीरजी बैरड़ का रावले के ठाकुर उदय सिंह से झगड़ा हो गया और उन्होने उदयसिंह को मार दिया। इसके बाद '''[[Tapoo|तापू]]''' गाँव छोडकर अन्यत्र स्थान के लिए रवाना हो गए। हिम्मीरजी बैरड़ की एक कुँवारी पुत्री दुर्गा थी जिसके लिए वे चिंतित थे। ब्राह्मणी माता ने आशीर्वाद दिया कि चिंता मत करो चलते जाओ जहां गाड़ी रुक जाए वहीं बस जाना। आपके वंश की खूब बढ़ोतरी होगी और ब्राह्मणी माता हमेशा आपके साथ रहेगी। गाड़ियों का काफिला '''[[Cherai|चेराई]]''' नामक गाँव में आकर रुका। हिम्मीरजी बैरड़ के पुत्र कंवरपाल ने ब्राह्मणी माता के आदेशानुसार वहीं गाडियाँ रोक कर गाँव की नींव वि.स. 1532 ('''1475''' ई.) में रखी तब जोधपुर में राव जोधा का शासन था। <ref>अमेश बैरड:बेरड़ जाति का गौरवपूर्ण इतिहास, पृ.6</ref>
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गाँव [[Cherai|चेराई]] की नींव हिम्मीरजी बैरड़ के पुत्र कंवरपाल ने वि.स. 1532 ('''1475''' ई.) में रखी। कंवरपाल ने ही [[Kajla|काजला]] नामक क्षेत्र बसाया। <ref>अमेश बैरड:बेरड़ जाति का गौरवपूर्ण इतिहास, पृ.7</ref>
कंवरपाल के छोटे भाई मुमदेव ने वि.स. 1532 ('''1475''' ई.) में '''[[Kiramsariya|किरमसरिया]]''' गाँव (तहसील [[Osian|ओसियां]]) की नींव रखी। इसी गाँव में नाड़ी पर किसी कारण झगड़ा हो गया जिसमें बैरड़ गोत्र के तीन सपूत जुझार हो गए। आज इस गाँव में इनके थान मौजूद हैं जो पूजनीय हैं। <ref>अमेश बैरड:बेरड़ जाति का गौरवपूर्ण इतिहास, पृ.7</ref>


कंवरपाल के छोटे भाई पन्नाराम ने विशनोई संप्रदाय को आगे बढ़ाया। वह जंभोजी के अनुयाई हो गए। उन्होने [[Moriya Munjar|मोरिया मुंजार]] (तहसील [[Falaudi|फलौदी]]) गाँव बसाया।<ref>अमेश बैरड:बेरड़ जाति का गौरवपूर्ण इतिहास, पृ.7</ref>
== Notable persons ==
== Notable persons ==



Latest revision as of 05:21, 1 April 2016

Location of Osiyan in Jodhpur district

Tapoo (तापू) is a Village in Osian tahsil of Jodhpur district in Rajasthan.

Founders

Tapoo was founded by Bairad clan in 1367 AD.

Jat Gotras

History

बैरड़ लोगों ने ब्राह्मणी माता के आशीर्वाद से वि. स. 1122 (=1065 ई.) में काजलासर गाँव की नींव डाली। यहाँ से जाकर वि. स. 1300 (=1243 ई.) में ढेलकी का खेड़ा गाँव की नींव रखी। इसके बाद यह गाँव छोडकर वि. स. 1385 (=1328 ई.) में लाडमसर गाँव बसाया। [1]

बैरड़ लोगों लाडमसर गाँव छोडकर तापू आए और तापू को बसाया। वहाँ वि. स. 1424 (=1367 ई.) में 'गाडो वाला बास' बसाया। 'गाडो वाला बास' नाम इसलिए पड़ा कि बैरड़ जब अजमेर छोडकर आए तो अपना सामान बैलगाड़ियों पर लाद कर लाये थे। ये गाडियाँ जब तापू आकर रुकी तो जहां वे रुके थे उस बस्ती का नाम 'गाडो वाला बास' दे दिया। बैरड़ों ने वहाँ हनुमानसागर नामक कुआ भी खोदा जो आज भी दर्शनीय है। [2]

तापू नामक गाँव में ही हिम्मीरजी बैरड़ पैदा हुये। इनके तीन पुत्र पैदा हुये: 1. कंवरपाल, 2. मुमदेव और 3. पन्नाराम। [3]

तापू में हिम्मीरजी बैरड़ का रावले के ठाकुर उदय सिंह से झगड़ा हो गया और उन्होने उदयसिंह को मार दिया। इसके बाद तापू गाँव छोडकर अन्यत्र स्थान के लिए रवाना हो गए। हिम्मीरजी बैरड़ की एक कुँवारी पुत्री दुर्गा थी जिसके लिए वे चिंतित थे। ब्राह्मणी माता ने आशीर्वाद दिया कि चिंता मत करो चलते जाओ जहां गाड़ी रुक जाए वहीं बस जाना। आपके वंश की खूब बढ़ोतरी होगी और ब्राह्मणी माता हमेशा आपके साथ रहेगी। गाड़ियों का काफिला चेराई नामक गाँव में आकर रुका। हिम्मीरजी बैरड़ के पुत्र कंवरपाल ने ब्राह्मणी माता के आदेशानुसार वहीं गाडियाँ रोक कर गाँव की नींव वि.स. 1532 (1475 ई.) में रखी तब जोधपुर में राव जोधा का शासन था। [4]


गाँव चेराई की नींव हिम्मीरजी बैरड़ के पुत्र कंवरपाल ने वि.स. 1532 (1475 ई.) में रखी। कंवरपाल ने ही काजला नामक क्षेत्र बसाया। [5]

कंवरपाल के छोटे भाई मुमदेव ने वि.स. 1532 (1475 ई.) में किरमसरिया गाँव (तहसील ओसियां) की नींव रखी। इसी गाँव में नाड़ी पर किसी कारण झगड़ा हो गया जिसमें बैरड़ गोत्र के तीन सपूत जुझार हो गए। आज इस गाँव में इनके थान मौजूद हैं जो पूजनीय हैं। [6]

कंवरपाल के छोटे भाई पन्नाराम ने विशनोई संप्रदाय को आगे बढ़ाया। वह जंभोजी के अनुयाई हो गए। उन्होने मोरिया मुंजार (तहसील फलौदी) गाँव बसाया।[7]

Notable persons

External links

References

  1. अमेश बैरड:बेरड़ जाति का गौरवपूर्ण इतिहास, पृ.6
  2. अमेश बैरड:बेरड़ जाति का गौरवपूर्ण इतिहास, पृ.6
  3. अमेश बैरड:बेरड़ जाति का गौरवपूर्ण इतिहास, पृ.6
  4. अमेश बैरड:बेरड़ जाति का गौरवपूर्ण इतिहास, पृ.6
  5. अमेश बैरड:बेरड़ जाति का गौरवपूर्ण इतिहास, पृ.7
  6. अमेश बैरड:बेरड़ जाति का गौरवपूर्ण इतिहास, पृ.7
  7. अमेश बैरड:बेरड़ जाति का गौरवपूर्ण इतिहास, पृ.7

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