Rajasthani Language Idioms and Phrases: Difference between revisions
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* घड़ी को सिर हाल दियो, ढीयै को जबान कोनी हलाई। | |||
* घणी की कांच दाबण गई, आ पड़ी आपकी। | |||
* घणी रे घणी म्हारा निघण घणी। तूं बैठ्यां म्हारै चिन्ता घणी। | |||
* तंगी में कुण संगी ? ''हिंदी– कमी मेँ किसी का सहार नहीँ मिलता।'' | * तंगी में कुण संगी ? ''हिंदी– कमी मेँ किसी का सहार नहीँ मिलता।'' | ||
* तंगी में कुण संगी? | * तंगी में कुण संगी? | ||
* तड़कै तो ल्यो चकांचक? कह, कैं कै? कह, आ भी सांची है! | * तड़कै तो ल्यो चकांचक? कह, कैं कै? कह, आ भी सांची है! | ||
* तरवार को घाव भर ज्या, बात को कोनी भरै? | * तरवार को घाव भर ज्या, बात को कोनी भरै? | ||
* तरवार को घाव भरज्या बात को कोनी भरै । | |||
* तलै तो हूँ पर ऊपर टांग मेरी ई है। | * तलै तो हूँ पर ऊपर टांग मेरी ई है। | ||
* तवै की काची नै, सासरै की भाजी नै कठेई ठोड कोनी। | * तवै की काची नै, सासरै की भाजी नै कठेई ठोड कोनी। | ||
* तवै की काची नै, सासरै की भाजी नै कठैई ठोड़ कोनी । ''हिंदी– कच्ची रोटी तथा ससुराल को छोड़कर जाने वाली स्त्री का कोई ठौर–ठिकाना नहीँ रहता है।'' | |||
* तवै चढ़ै नै धाड़ खाय । | |||
* तवै चढ़ै नै धाड़ खाय। | * तवै चढ़ै नै धाड़ खाय। | ||
* ताण्यां तेरै मांय बास आयै है, कह, मेरी बासो बी कठे है। | * ताण्यां तेरै मांय बास आयै है, कह, मेरी बासो बी कठे है। | ||
* ताण्यूं कुणसी पोसांका में। | * ताण्यूं कुणसी पोसांका में। | ||
* ताता पाणी सैं कसी बाड़ बलै? | * ताता पाणी सैं कसी बाड़ बलै? | ||
* ताता पाणी सैं कसी बाड़ बळै । ''हिंदी– मात्र क्रोध मेँ किसी को कुछ कहने से उसका कुछ भी नहीँ बिगड़ता है।'' | |||
* तातो खावै छायाँ सोवै, बैंको बैद पिछोकड़ रोवै । | |||
* तातो खावै छायां सोवै, बैंको बैद पिछोकड़ रोवै। | * तातो खावै छायां सोवै, बैंको बैद पिछोकड़ रोवै। | ||
* तारा तग-तग करैँ, अम्बर नीला हुन्त। पड़ै पटल पाणी तणी, जद संज्या फुलन्त॥ ''हिंदी– नीले आसमान मेँ तारे टिमटिमाएं तथा सांझ फूले तो वर्षा आने की प्रबल सम्भावना हो जाती है।'' | |||
* ताली लाग्यां तालो खुलै | ''हिंदी– युक्ति से ही कार्य होता है।'' | |||
* ताली लाग्यां तालो खुलै। | * ताली लाग्यां तालो खुलै। | ||
* ताळी लाग्यां ताळो खुलै । | |||
* तावलो सो बावलो। | * तावलो सो बावलो। | ||
* तावळो सो बावळो । | |||
* तिरिया चरित न जाणे कोय, खसम मार के सत्ती होय । | |||
* तिरिया चरित न जाणे कोय, खसम मारके सत्ती होय। | * तिरिया चरित न जाणे कोय, खसम मारके सत्ती होय। | ||
* तिल देखो, तिलां की धार देखो। | * तिल देखो, तिलां की धार देखो। | ||
* तीज त्युंहारां बावड़ी, ले डूबी गणगौर । | |||
* तीज त्युंहारां बावड़ी, ले डूबी गणगौर। | * तीज त्युंहारां बावड़ी, ले डूबी गणगौर। | ||
* तीजां पाछै तीजड़ी, होळी पाछै ढूंढ, फेरां पाछै चुनड़ी, मार खसम कै मूंड । | |||
* तीजां पीछै तीजड़ी, होली पाछै ढूंढ। फेरां पाछै चुनड़ी, मार खसमकै मूंड। | * तीजां पीछै तीजड़ी, होली पाछै ढूंढ। फेरां पाछै चुनड़ी, मार खसमकै मूंड। | ||
* तीतर कै मूंडै कुसल है। | * तीतर कै मूंडै कुसल है। | ||
* तीतर कै मूंडै कुसळ है । | |||
* तीतर छोड बणी में दीया, भटजी हो गया नीराला। | * तीतर छोड बणी में दीया, भटजी हो गया नीराला। | ||
* तीतर पंखी बादली, विधवा काजल रेख। बा बरसै बा घर करै, ई में मीन न मेख। | * तीतर पंखी बादली, विधवा काजल रेख। बा बरसै बा घर करै, ई में मीन न मेख। | ||
* तीतर पंखी बादली, विधवा काली रेख। या बरसै या वध करै, इसमेँ मीन न मेख॥ ''हिंदी– तीतर जैसी आकृति के छोटे–छोटे बादल छाने पर निश्चित रूप से वर्षा होती है।'' | |||
* तीतर पंखी बादळी, विधवा काजळ रेख । बा बरसे बा घर करै, ई में मीन न मेख ।। | |||
* तीन तेरा घर बिखरै । | |||
* तीन तेरा घर बिखरै। | * तीन तेरा घर बिखरै। | ||
* तीन बुलांया तेरा आया, भई राम की बाणी। राधो चेतन यूं कहै, द्यो दाल में पाणी। | * तीन बुलांया तेरा आया, भई राम की बाणी। राधो चेतन यूं कहै, द्यो दाल में पाणी। | ||
* तीन बुलाया तेरा आया, भई राम की बाणी । राघो चेतन यूँ कहै, द्यो दाळ में पाणी ।। | |||
* तीन सुहाली, तेरा थाली, बांटण वाली सतर जणी। | * तीन सुहाली, तेरा थाली, बांटण वाली सतर जणी। | ||
* तीन सुहाळी, तेरा थाळी । बांटण वाळी सतर जणी ।। | |||
* तीसरे सूखो आठवैं अकाल। | * तीसरे सूखो आठवैं अकाल। | ||
* तीसरे सूखो आठवैं अकाळ - राजस्थान के लिए प्रयोग किया गया है । | |||
* तुरकणी कात्योड़े में ही फिदकड़ो। | |||
* तुरकणी कै रांध्योड़ा में कसर? | * तुरकणी कै रांध्योड़ा में कसर? | ||
* तुरकणी | * तुरकणी कै रान्ध्योड़ा में के कसर । | ||
* तुरकणी रे कात्योडे में ही फिदकड़ो । | |||
* तू आवे ढिग एक बार तो मैं आऊं ढिक अट्ठ। तू म्हां सै करड़ो रहै तो म्हे बी करड़ा लट्ठ। | |||
* तू काणूं मैं खोड़ो, राम मिलायो जोड़ो। | |||
* तू चालै तो चाल निगोड्या, मैं तो गंगा न्हाऊंगी। | |||
* तू रोवे है छाक नै, मैं बूझण आई कै उधारो की कै ऊँ ल्याऊं। | |||
* तूं आंटीली मैं अणखीली क्यूंकर होय खटाव? | * तूं आंटीली मैं अणखीली क्यूंकर होय खटाव? | ||
* तूं ई गांव को चोधरी, तूं ई नम्बरदार। | * तूं ई गांव को चोधरी, तूं ई नम्बरदार। | ||
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* तूं डाल-डाल मैं पात-पात। | * तूं डाल-डाल मैं पात-पात। | ||
* तूं बी राणी मैं बी राणी, कूण भरै पैंडे को पाणी? | * तूं बी राणी मैं बी राणी, कूण भरै पैंडे को पाणी? | ||
* | * तूं है देसी रूंखड़ो, परदेसी लोग, म्हांने अकबर तेड़िया तूं किम आयो फोग। ''अर्थ - दूर देस में अपनी भूमि के पौधे '''फोग''' को देखकर अपनापन जताना महज देस से दूरी का वियोग नहीं है अपितु अपनी हर उपज का सम्मान यहां के लोग बड़े सलीके से करते हैं।'' | ||
* तेरा मेरा दो गैला। | * तेरा मेरा दो गैला। | ||
* तेरी आंख में ताकू द्यूं हूं, कायर मना हुए। | * तेरी आंख में ताकू द्यूं हूं, कायर मना हुए। | ||
* तेरी मेरी बोली में ई को सलै ना। | * तेरी मेरी बोली में ई को सलै ना। | ||
* तेरै ल्होड़िये नै न्यूतो है, कह, मेरै तो सगला ढाई सेर्या है। | * तेरै ल्होड़िये नै न्यूतो है, कह, मेरै तो सगला ढाई सेर्या है। | ||
* तेल तो तिलां सै ही निकलसी | ''हिंदी– तेल तिलोँ से ही निकलता है।'' | |||
* तेल तो तिल्यां में सै ही निकलसी। | * तेल तो तिल्यां में सै ही निकलसी। | ||
* तेल बलै बाती बलै, नांव दिवा को होय। | * तेल बलै बाती बलै, नांव दिवा को होय। | ||
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* तेली की जोरू ल्हूखो क्यूं खाय? | * तेली की जोरू ल्हूखो क्यूं खाय? | ||
* तेली सूं खल ऊतरी, हुई बलीतै जोग। | * तेली सूं खल ऊतरी, हुई बलीतै जोग। | ||
* थारा बायेङा कदै ऊग्या हा के । | |||
* थारी म्हारी बोली में, इतरो ही फरक्ख। तू तो कहै फरेस्ता र मैँ कहूं जरक्ख। | * थारी म्हारी बोली में, इतरो ही फरक्ख। तू तो कहै फरेस्ता र मैँ कहूं जरक्ख। | ||
* थावर की थावर ही किसा गांव बलै है। | * थावर की थावर ही किसा गांव बलै है। | ||
* थावर कीजे थरपना बुध कीजै व्योहार | ''हिंदी– शनिवार को स्थापना तथा व्यवहार बुधवार को शुरु किया जाना अच्छा होता है।'' | |||
* थोथो चणो बाजै घणो | ''हिंदी– अवगुणी अधिक बढ़–चढ़कर बातेँ करते हैँ।'' | |||
* थोथो चणो बाजै घणो। | * थोथो चणो बाजै घणो। | ||
* थोथो शंख पराई फूँक सै बाजै | ''हिंदी– जिस व्यक्ति मेँ स्वयं मेँ कोई गुण नहीँ होता वह दूसरोँ की सलाह से ही कार्य करता है।'' | |||
* थोथो संख पराई फूंक सैं बाजै। | * थोथो संख पराई फूंक सैं बाजै। | ||
* दगाबाज दूणू नवै, चीतो चोर कबाण। | * दगाबाज दूणू नवै, चीतो चोर कबाण। | ||
* दगो कैंको सगो नहीं। | * दगो कैंको सगो नहीं। | ||
* दग्गड दग्गड खाऊंगी, बोलैगो तो मारूंगी मर ज्याऊंगी। | |||
* दबी मूसी कान कटावै। | * दबी मूसी कान कटावै। | ||
* दमड़ां को लोभी बातां सै कोनी रीझै। | * दमड़ां को लोभी बातां सै कोनी रीझै। | ||
* दमड़ी का छाणा धुआंधार मचाई। | * दमड़ी का छाणा धुआंधार मचाई। | ||
* दलाल कै दिवालो नहीँ, महजित कै तालो नहीँ | ''हिंदी– दलाल को घाटा नहीँ है, मस्जिद मेँ कोई समान न होने पर ताला लगाने की आवश्यकता नहीँ।'' | |||
* दलाल कै दिवालो नहीं, महजीत कै तालो नहीं। | * दलाल कै दिवालो नहीं, महजीत कै तालो नहीं। | ||
* दस दिन को दसरावो अर बीसैं दिन दिवाळी । | |||
* दसां डावडो, बीसां बावलो, तीसां तीखो, चालीसां चोखो। पचासां पाको, साठां थाको, सतरां सूलो, अस्सी लूलो। नब्बे नांगो सोवां तो भागी ई भागो। | * दसां डावडो, बीसां बावलो, तीसां तीखो, चालीसां चोखो। पचासां पाको, साठां थाको, सतरां सूलो, अस्सी लूलो। नब्बे नांगो सोवां तो भागी ई भागो। | ||
* दांत दरांतो दायमो, दारी और दरबान। ये पांचू दद्दा बुरा, पत राखै भगवान। | * दांत दरांतो दायमो, दारी और दरबान। ये पांचू दद्दा बुरा, पत राखै भगवान। | ||
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* दांतला कसम को रोवता को बेरो पड़ै न हांसता को। | * दांतला कसम को रोवता को बेरो पड़ै न हांसता को। | ||
* दाई सै पेट छानो कोनी। | * दाई सै पेट छानो कोनी। | ||
* दाणै दाणै म्होर-छाप है। | |||
* दाता दे, भंडारी को पेट बलै। | * दाता दे, भंडारी को पेट बलै। | ||
* दाता सैं सूम भलो, जो झट दे उत्तर देय। | * दाता सैं सूम भलो, जो झट दे उत्तर देय। | ||
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* दादो घी खायो, म्हारी हथेली सूंघल्यो। | * दादो घी खायो, म्हारी हथेली सूंघल्यो। | ||
* दान की बाछी का दांत कुण देख्या? | * दान की बाछी का दांत कुण देख्या? | ||
* दाल भात लम्बा जीकारा, ऐ बाई! परताप तुम्हारा। | * दाल भात लम्बा जीकारा, ऐ बाई! परताप तुम्हारा। | ||
* दास सदा उदास। | * दास सदा उदास। | ||
* दिग्मरां के गाँव में धोबी को के काम । | |||
* दिन आयां रावण मरै। | * दिन आयां रावण मरै। | ||
* दिन करै सौ बैरी कोन्या करै। | * दिन करै सौ बैरी कोन्या करै। | ||
* | * दिन खोटो हुवै जणा ऊंट पर चढेङा न गनडकङो खा ज्याय । | ||
* दिन चिलकारो दे फटकारो । | |||
* दिन जातां बार कोनी लागै। | * दिन जातां बार कोनी लागै। | ||
* दिन दीखै न फूड़ पीसै। | * दिन दीखै न फूड़ पीसै। | ||
* दिनगे को भूल्योड़ो संज्या घरा आज्याय तो भूल्योड़ो कोनी बाजै। | |||
* दियेङो भूल ज्याणूं लियेङो नहीं भूलणूं । | |||
* दियो लियो आडो आवै । | |||
* दिलां का दिल साईदार है। | * दिलां का दिल साईदार है। | ||
* दिल्ली की कमाई, दिल्ली में लुटाई। | * दिल्ली की कमाई, दिल्ली में लुटाई। | ||
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* दुश्मन की किरपा बुरी, भली सैन की त्रास। आर्डग कर गरमी करे, जद बरसण की आस। | * दुश्मन की किरपा बुरी, भली सैन की त्रास। आर्डग कर गरमी करे, जद बरसण की आस। | ||
* दूजवर की गोरड़ी, हाथां परली मोरड़ी। | * दूजवर की गोरड़ी, हाथां परली मोरड़ी। | ||
* दूद दयां का पावणां, छाछ नै अणखावणा। | * दूद दयां का पावणां, छाछ नै अणखावणा। | ||
* दूध को दूध पाणी को पाणी। | * दूध को दूध पाणी को पाणी। | ||
* दूध चुंघावै मायड़ी, नांव धाय को होय। | * दूध चुंघावै मायड़ी, नांव धाय को होय। | ||
* दूध पीती बिलाई गंडकड़ां मैं जा पड़ी। | * दूध पीती बिलाई गंडकड़ां मैं जा पड़ी। | ||
* दूध पीती बिलाई गंडका कै मायं पड़गी । | |||
* दूध बी राख, दुहारी भी राख। | |||
* दूध बेचो भांवै पूत बेचो। | * दूध बेचो भांवै पूत बेचो। | ||
* दूध भी धोलो, छाय भी धोली। | * दूध भी धोलो, छाय भी धोली। | ||
* दूध हाली की लात बी सहणी पड़ै। | * दूध हाली की लात बी सहणी पड़ै। | ||
* दूबड़ी तो चरवाटै ही हो छै। | * दूबड़ी तो चरवाटै ही हो छै। | ||
* दूबली खेती घणै नै मारै। | |||
* दूबली पर दो साढ़। | |||
* दूबलै पर दो लदै। | * दूबलै पर दो लदै। | ||
* | * दूबलो जेठ देवरां बराबर। | ||
* दूबलो धीणूं दूसरा की छाय सै खोवै। | * दूबलो धीणूं दूसरा की छाय सै खोवै। | ||
* दूर का ढोल सुहावणा लागै। | * दूर का ढोल सुहावणा लागै। | ||
* दूर जंवाई फूल बरोबर, गांव जंवाई आदो। घर जांवई गधै बरोबर, चाये जितणो लादो। | * दूर जंवाई फूल बरोबर, गांव जंवाई आदो। घर जांवई गधै बरोबर, चाये जितणो लादो। | ||
* दूसरां कै घरां च्यार खाटां पर कमर खुलै। | * दूसरां कै घरां च्यार खाटां पर कमर खुलै। | ||
* | * दूसरां को माल तूंतड़ा की धड़ मैँ जाय | ''हिंदी– दूसरोँ का धन लापरवाही से खर्च करना।'' | ||
* दूसरां पर बुरी चीतै जणा आप पर ई पड़ै। | * दूसरां पर बुरी चीतै जणा आप पर ई पड़ै। | ||
* दूसरे की थाळी मँ घी ज्यादा दीखॅ। | |||
* दूसरे की थाळी में सदा हि ज्यादा लाडू दीखैं । | |||
* दूसरै की थाली में घणू दीखै। | * दूसरै की थाली में घणू दीखै। | ||
* | * दूसरों को माल तूंतड़ा की धड़ में जाय। | ||
* दे रै पांड्या असीस, मैं के देऊं, मेरी आत्मा ही देसी। | |||
* देख खुरड़ कहे ढेढ की, कथा टूटे नेह। लेई चढ़ै न चामड़ै, मुकता बरसै मेह॥ ''हिंदी– जूता बनाते समय चमड़े पर लेई का चढ़ना वर्षा आने का सूचक होता है।'' | |||
* देख पराई चूपड़ी मत ललचावै जी। ल्हूखी-सुखी खाय कर ठंडो पाणी पी। | * देख पराई चूपड़ी मत ललचावै जी। ल्हूखी-सुखी खाय कर ठंडो पाणी पी। | ||
* देख पराई चोपड़ी, पड़ मर बेईमान। दो घड़ी की सरमा सरमी, आठ पहर आराम। | * देख पराई चोपड़ी, पड़ मर बेईमान। दो घड़ी की सरमा सरमी, आठ पहर आराम। | ||
* देखते नैणां चालते गोडां | ''हिंदी– देखने व चलने की शक्ति रहते हुए ही मृत्यु हो जाये तो अच्छा।'' | |||
* देखते नैणां, चालते गोड़ां। | |||
* देख्या ख्याल खुदाय का, किसा रचाया रंग। खानजादा खेती करै तेली चढै तरंग। | * देख्या ख्याल खुदाय का, किसा रचाया रंग। खानजादा खेती करै तेली चढै तरंग। | ||
* देख्या देस बंगाला, दांत लाल मूं काला। | |||
* देख्यां-देखी साधै जोग, छीजै काया, बधै रोग। | * देख्यां-देखी साधै जोग, छीजै काया, बधै रोग। | ||
* देख्यो नांही जैपरियो, कल में आकर के करियो। | * देख्यो नांही जैपरियो, कल में आकर के करियो। | ||
* देणूं अर मरणूं बराबर है। | * देणूं अर मरणूं बराबर है। | ||
* देबा नै लेबा नै रामजी को नांव है। | * देबा नै लेबा नै रामजी को नांव है। | ||
* देव जिसाई पुजारा। | * देव जिसाई पुजारा। | ||
* देव देख्या अर जात पुरी हुई। | * देव देख्या अर जात पुरी हुई। | ||
* देवां सै दाना बड्डा होय है। | * देवां सै दाना बड्डा होय है। | ||
* देस जिसाई भेस। | * देस जिसाई भेस। | ||
* देसी कुतिया, बिलायती बोली। | * देसी कुतिया, बिलायती बोली। | ||
* देसी चोरी, परदेशी भीख। | |||
* दो तो चून का भी बुरा। | * दो तो चून का भी बुरा। | ||
* दो दाणा की खातर घोड़ी बेची जायगी के? | * दो दाणा की खातर घोड़ी बेची जायगी के? | ||
* दो बुरां बुराई हुवै। | |||
* दो सावण, दो भादवा, दो कातिक, दो मा। ढांडी-ढोरी बेच करं, नाज बिसावण जा। | |||
* दोनूं हाथ मिलायां ही धुपै। | * दोनूं हाथ मिलायां ही धुपै। | ||
* | * दोन्यू हाथ मिलायां ई धुपै | ''हिंदी– दोनोँ पक्षोँ के मिलने पर ही बात बनती है।'' | ||
* दोय दोय गयंद न बंधसी, एकै कंबू ठाण। | * दोय दोय गयंद न बंधसी, एकै कंबू ठाण। | ||
* दोय मूसा दोय कातरा, दोय टीडी दोय ताव। दोय री बादी जल हरै, दोय बीसर दो बाव। | * दोय मूसा दोय कातरा, दोय टीडी दोय ताव। दोय री बादी जल हरै, दोय बीसर दो बाव। | ||
* दोय लड़ै, जठे एक पड़ै। | * दोय लड़ै, जठे एक पड़ै। | ||
* दोयती तो कुंआरो डोलै, नानी का नो-नो फेरा। | |||
* दौलत सूं दोलत बधै। | * दौलत सूं दोलत बधै। | ||
* | * धणी बिना गीत सूना तो सिरदार बिना फौज निकांमी। | ||
* | * धणी रो धन नीं देखणों, धणी रो मन देखणों । | ||
* धन को तेरा, मकर पचीस, जाड़े दिन, दो कम चालीस। | * धन को तेरा, मकर पचीस, जाड़े दिन, दो कम चालीस। | ||
* धन खेती, धिक चाकरी। | * धन खेती, धिक चाकरी। | ||
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* धनवन्ता कै कांटो लाग्यो, स्हाय करी सब कोय। निरधन पड्यो पहाड़ सूं, बात न पूछी कोय। | * धनवन्ता कै कांटो लाग्यो, स्हाय करी सब कोय। निरधन पड्यो पहाड़ सूं, बात न पूछी कोय। | ||
* धनवान को के कंजूस अर गरीब को के दातार। | * धनवान को के कंजूस अर गरीब को के दातार। | ||
* धन्ना जाट का हरिसों हेत, बिना बीज के निपजँ खेत। | |||
* धरतियां सोवणियूं संकड़ेल क्यूं भुगतै? | * धरतियां सोवणियूं संकड़ेल क्यूं भुगतै? | ||
* धरती करिया बिछावणा, अम्बर करिया गलेफ। पोढो राजा भरतरी, चोकी देवै अलेख। | |||
* धरती परै सरक ज्याए, छैला पांव धरैंगा ए। | * धरती परै सरक ज्याए, छैला पांव धरैंगा ए। | ||
* धरती माता थूं बड़ी, थां सूं बड़ो न कोय। उठ संवारै पग धरां, बाळ न बांका होय।। | |||
* धरम की जड़ सदा हरी। | * धरम की जड़ सदा हरी। | ||
* धरम को धरम, करम को करम | ''हिंदी– स्वार्थ व परमार्थ दोनोँ का साथ–साथ पूरा होना।'' | |||
* धरम को धरम, करम को करम। | * धरम को धरम, करम को करम। | ||
* धान पुराणा धृत नया, त्यूं कुलवन्ती नार। चौथी पीठ तुंरग की, सुरक निसानी चार। | * धान पुराणा धृत नया, त्यूं कुलवन्ती नार। चौथी पीठ तुंरग की, सुरक निसानी चार। | ||
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* धायो जाट गाड़ी रो बाद काढ़ै। | * धायो जाट गाड़ी रो बाद काढ़ै। | ||
* धायो धपनूं पेदी हाला पग करै। | * धायो धपनूं पेदी हाला पग करै। | ||
* धायो मीर, भूखो फकीर, मरयां पाछै पीर | ''हिंदी– मुसलमान तृप्त हो तो अमीर, भूखा हो तो फकीर तथा मरने के बाद पीर कहलाता है।'' | |||
* धायो मीर, भूखो फकीर, मर्यां पाछै पीर। | * धायो मीर, भूखो फकीर, मर्यां पाछै पीर। | ||
* धायो रांगड धन हरै, भूखो तजै पिराण। | * धायो रांगड धन हरै, भूखो तजै पिराण। | ||
* धीणूं भैंस को, हो भांवै सेर ही। | |||
* धीणोड़ी कै सागै हीणोडी मर ज्यावै। | * धीणोड़ी कै सागै हीणोडी मर ज्यावै। | ||
* | * धीणोड़ी सागै हीणोड़ी मर ज्याय | ''हिंदी– दुधारी गाय के होने पर बिना दूध वाली गाय को कोई नहीँ पूछता।'' | ||
* धीरे धीरे ठाकरां, धीरे सब कुछ होय। माली सीँचै सो घड़ा, रुत आयां फल होय। | * धीरे धीरे ठाकरां, धीरे सब कुछ होय। माली सीँचै सो घड़ा, रुत आयां फल होय। | ||
* धूल खायां किसो पेट भरै? | * धूल खायां किसो पेट भरै? | ||
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* धोबण सै के तेलण घाट, ऊंकै मोगरी, ऊंकै लाठ। | * धोबण सै के तेलण घाट, ऊंकै मोगरी, ऊंकै लाठ। | ||
* धोबी की हांते गधो खाय। | * धोबी की हांते गधो खाय। | ||
* धोबी की हांते, गधो खाय | ''हिंदी– नीच का धन नीच खाता है।'' | |||
* धोबी कै घर में बड़गा चोर, डूब्या और ई और। | * धोबी कै घर में बड़गा चोर, डूब्या और ई और। | ||
* धोबी कै बसो चाहै कुम्हार कै, गधो तो लदसी। | * धोबी कै बसो चाहै कुम्हार कै, गधो तो लदसी। | ||
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* धोबी बेटा चान-सा, चोटी न पट्टा। | * धोबी बेटा चान-सा, चोटी न पट्टा। | ||
* धोलै पर दाग लागै। | * धोलै पर दाग लागै। | ||
* धोळां मैं धूळ - बुजुर्ग का अनादर । | |||
* न कोई की राई में, न कोई की दुहाई में। | |||
* न कोई की राई मैँ, न दुहाई मैँ | ''हिंदी– अपने काम से काम रखना।'' | |||
* न नानेरै, घोड़ो दादेरै। | |||
* न नो मण तेल होय, न राधा नाचै। | |||
* न भेवै काकड़ो तो क्यूं टेरै हाली लाकड़ो? | |||
* नंदी कनलौ जांट, कद होण बिनास | ''हिंदी– नदी किनारे लगा वृक्ष कभी भी नष्ट हो सकता है।'' | |||
* नंदी परलो रुंखड़ो-जद, कद होण विलास। | * नंदी परलो रुंखड़ो-जद, कद होण विलास। | ||
* नई नो दिन, पुराणी सो दिन। | * नई नो दिन, पुराणी सो दिन। | ||
* नकटा देव, सूरजा पूजारा। | * नकटा देव, सूरजा पूजारा। | ||
* नकटा देव, सूरड़ा पुजारा | ''हिंदी– जैसे देवता वैसे पुजारी।'' | |||
* नकटा, नांक कटी, कह, मेरी तो सवा गज बधी! | * नकटा, नांक कटी, कह, मेरी तो सवा गज बधी! | ||
* नकटी देवी, ऊत पुजारी | ''हिंदी– जैसा राजा वैसी जनता।'' | |||
* नकटी-बूची को जागी खसम। | * नकटी-बूची को जागी खसम। | ||
* नखरो नायण को, बतलावणों ब्यावण को। | * नखरो नायण को, बतलावणों ब्यावण को। | ||
* नगद नाणा, बीन परणै काणा। | * नगद नाणा, बीन परणै काणा। | ||
* नगारा में तूती की आवाज कुण सुणै? | * नगारा में तूती की आवाज कुण सुणै? | ||
* नगारा मैँ तूती की आवाज कुण/कोन्या सुणै | ''हिंदी– बड़े लोगोँ मेँ छोटोँ की उपेक्षा।'' | |||
* नट विद्या आ जावै, जट विद्या कोनी आवै। | |||
* नट-विद्या आ ज्याय पण जट-विद्या कोनी आवै। | * नट-विद्या आ ज्याय पण जट-विद्या कोनी आवै। | ||
* नणद को नणदोई गलै लगाकर रोई, पाछै फिर कर देख्यो तो सगो न सोई। | * नणद को नणदोई गलै लगाकर रोई, पाछै फिर कर देख्यो तो सगो न सोई। | ||
* नथ खोई नणद नैं दीनी। | * नथ खोई नणद नैं दीनी। | ||
* नदी किनारै बैठ की क्यूं न हाथ पखालै? | * नदी किनारै बैठ की क्यूं न हाथ पखालै? | ||
* नयी जोगण काठ की मुद्रा। | * नयी जोगण काठ की मुद्रा। | ||
* नयो बलद खूंटो तोड़ै। | * नयो बलद खूंटो तोड़ै। | ||
* | * नर नानेरै, घोड़ो दादेरै | ''हिंदी– स्वभाव तथा बनावट मेँ पुरुष ननिहाल पर जाता है जबकि घोड़ा पितृकुल पर।'' | ||
* नर में नाई आगलो, पंखेरू में काग, पाणी मांगो काछबो, तीनूं दग्गाबाज। | * नर में नाई आगलो, पंखेरू में काग, पाणी मांगो काछबो, तीनूं दग्गाबाज। | ||
* नरुका नै नरूको मारै, के मारै करतार। | * नरुका नै नरूको मारै, के मारै करतार। | ||
Line 1,412: | Line 1,402: | ||
* नष्ट देव की भ्रष्ट पूजा। | * नष्ट देव की भ्रष्ट पूजा। | ||
* नसीब की खोटी, प्याज और रोटी। | * नसीब की खोटी, प्याज और रोटी। | ||
* ना कोई सैं दोसती, ना कोई सै बैर। | |||
* ना घर तेरा, ना घर मेरा, एक दिन होगा जंगल डेरा। | |||
* नांव गंगाधर, न्हावै कोनी उमर में। | * नांव गंगाधर, न्हावै कोनी उमर में। | ||
* नांव तो बंशीधर, आवै कोनी अलगोजो बजाणूं ही। | * नांव तो बंशीधर, आवै कोनी अलगोजो बजाणूं ही। | ||
Line 1,417: | Line 1,409: | ||
* नांव मोटा, घर में टोटा। | * नांव मोटा, घर में टोटा। | ||
* नांव राखै गीतड़ा के भींतड़ा। | * नांव राखै गीतड़ा के भींतड़ा। | ||
* नांव राखै गीतड़ा कै भीँतड़ा | ''हिंदी– काव्य निर्माण से या घर निर्माण से व्यक्ति का यश चिरस्थाई रहता है।'' | |||
* नांव लिछमीधर, कन्नै कोनी छिदाम ही। | * नांव लिछमीधर, कन्नै कोनी छिदाम ही। | ||
* नांव लियां हिरण खोड़ा होय। | * नांव लियां हिरण खोड़ा होय। | ||
Line 1,428: | Line 1,421: | ||
* नाई बामण कुत्तो, जाते देख हू हूकरतो। | * नाई बामण कुत्तो, जाते देख हू हूकरतो। | ||
* नाई हालो ठोलो, बाणिया हालो टक्को। | * नाई हालो ठोलो, बाणिया हालो टक्को। | ||
* | * नागा को लाय में के दाजै? | ||
* नागा बूचो, सै सैं ऊंचो। | |||
* नागां का रामजी परो कर गैला होबो करै है। | * नागां का रामजी परो कर गैला होबो करै है। | ||
* नागाई को लाल तुर्रो। | * नागाई को लाल तुर्रो। | ||
* नागी के धोवै अर के निचोवै? | * नागी के धोवै अर के निचोवै? | ||
* नाचण ई लागी जब घूंघट क्यां को? | * नाचण ई लागी जब घूंघट क्यां को? | ||
* नाचूं क्यां? आंगणूं बांको। | * नाचूं क्यां? आंगणूं बांको। | ||
* नाजरली, जेल बधो। कै बस म्हां ताणी ही है। | * नाजरली, जेल बधो। कै बस म्हां ताणी ही है। | ||
* नाजुरतिये की लुगाई, जगत की भोजाई | ''हिंदी– कमजोर व्यक्ति की वस्तु पर सबका अधिकार। | |||
* नाजुरतिये की लुगाई, जगत की भोजाई। | * नाजुरतिये की लुगाई, जगत की भोजाई। | ||
* नाजो नाज बिना रह न्याय, काजल टीकी बिना कोनी रवै। | * नाजो नाज बिना रह न्याय, काजल टीकी बिना कोनी रवै। | ||
Line 1,448: | Line 1,440: | ||
* नाना मिनख नजीक, उमरावां आदर नहीं। बीं ठाकर नै ठीक, रण में पड़सी राजिया। | * नाना मिनख नजीक, उमरावां आदर नहीं। बीं ठाकर नै ठीक, रण में पड़सी राजिया। | ||
* नानी कसम करै, दूयती नैं डंड। | * नानी कसम करै, दूयती नैं डंड। | ||
* नानी कसम करै, दोयती नै डंड | ''हिंदी– नानी के दूसरा पति कर लेने पर उसकी दोहिती तक को सामाजिक दंड मिलता है।'' | |||
* नानी फंड करै, दोहितो दंड भरै । | |||
* नानी रांड कुंवारी मरगी, दोयती का नो-नो फेरा। | * नानी रांड कुंवारी मरगी, दोयती का नो-नो फेरा। | ||
* नापै सो गज, फाड़ै कोन्या एक गज। | * नापै सो गज, फाड़ै कोन्या एक गज। | ||
Line 1,453: | Line 1,447: | ||
* नायां की जनेत में सब क ई ठाकर। | * नायां की जनेत में सब क ई ठाकर। | ||
* नारनोल की आग पटकीड़ो दाजै। | * नारनोल की आग पटकीड़ो दाजै। | ||
* नारनौल की आग पटीकड़ै दाजै | ''हिंदी– बुरे कर्म कोई करता है, फल किसी को मिलता है।'' | |||
* नारां का मूंडा कुण धोया है? | * नारां का मूंडा कुण धोया है? | ||
* नारी को एक बी चोखो, सूरी का बारा बी के काम का? | * नारी को एक बी चोखो, सूरी का बारा बी के काम का? | ||
Line 1,459: | Line 1,454: | ||
* निकमो नाई पाटड़ा मूंडै। | * निकमो नाई पाटड़ा मूंडै। | ||
* निकली होठां, चढ़ी कोठां। | * निकली होठां, चढ़ी कोठां। | ||
* निकली होठां, चढ़ी होठां | ''हिंदी– होठोँ से बाहर आते ही बात का फैलना।'' | |||
* निकासी कै बखत घोड़ो चाये, कै फिरतो सो आजे। | * निकासी कै बखत घोड़ो चाये, कै फिरतो सो आजे। | ||
* नीचो कर्यो कांधो, देखण हालो आंधो। | * नीचो कर्यो कांधो, देखण हालो आंधो। | ||
* नीत गैल बरकत है | ''हिंदी– जैसी नियत होती है वैसा ही प्राप्त होता है।'' | |||
* नीत गैल बरकत है। | * नीत गैल बरकत है। | ||
* नीम तलै सोगन खा ज्याय, पीपल तलै नट ज्याय। | * नीम तलै सोगन खा ज्याय, पीपल तलै नट ज्याय। | ||
* नीम न मीठ होय, सींचो गुड़ धीव सै, जिणका पड्या सुभाव क जासी जीव सै। | * नीम न मीठ होय, सींचो गुड़ धीव सै, जिणका पड्या सुभाव क जासी जीव सै। | ||
* नेकी-बदी साथ चालै। | * नेकी-बदी साथ चालै। | ||
* नेपॅ की रुख खेड़ा'ई बतादें । | |||
* नेम निभाणा, धर्म ठिकाणा | ''हिंदी– नियम–धर्म संयमी के पास ही रहते हैँ।'' | |||
* नेम निमाणा, धर्म ठिकाणा। | |||
* नेम में निमेख घटै, सीख में मुजरो घटै। | * नेम में निमेख घटै, सीख में मुजरो घटै। | ||
* | * नो नेसां, दस केसां। | ||
* नो पूरबिया, तेरा चोका। | |||
* नो पेठा तेरा लगवाल, घोड़तै नै लेगो कोतवाल। | |||
* नो सौ मूसा मार कर बिल्ली गंगाजी चली। | |||
* नोकर खाय ठोकर। | * नोकर खाय ठोकर। | ||
* नोकर मालिक का हां क बैंगण का? | * नोकर मालिक का हां क बैंगण का? | ||
Line 1,472: | Line 1,475: | ||
* नोकरी ना करी। | * नोकरी ना करी। | ||
* नोकरी है क भाई-बन्दी? | * नोकरी है क भाई-बन्दी? | ||
* न्यारा घरां का न्यारा बारणा। | * न्यारा घरां का न्यारा बारणा। | ||
* न्यारा घरां का न्यारा बारणां | ''हिंदी– सब घरोँ की अलग–अलग रीति।'' | |||
* न्हाये न्हाये ई पुण्य। | * न्हाये न्हाये ई पुण्य। | ||
Revision as of 17:23, 4 January 2012
यहां आप राजस्थानी भाषा के मुहावरे और लोकोक्तियां पढ या लिख सकते हैं | कुछ मुहावरों और लोकोक्तियों के अर्थ हिंदी में नीचे दिए गए हैं. शेष के विस्तार की आवश्यकता है
- To write in Hindi see हिन्दी में कैसे लिखें
अ-अः
- अंधा की माखी राम उड़ावै।
- अंधाधुंध की साहबी, घटाटोप को राज।
- अंबर कै थेगलीं कोनी लागै।
- अकल बिना ऊंट उभाणा फिरैं । हिन्दी – मूर्ख व्यक्ति साधन होते हुए भी उनका उपयोग नहीँ कर पाते।
- अक्कल उधारी कोनी मिलै।
- अक्कल कोई कै बाप की कोनी।
- अक्कल बड़ी के भैंस।
- अक्कल में खुदा पिछाणो।
- अक्खा रोहण बायरी, राखी सरबन न होय । पो ही मूल न होय तो, म्ही दूलन्ती जोय ।।
- अगम् बुद्धी बाणियो पिच्छम् बुद्धी जाट । तुर्त बुद्धी तुरकड़ो, बामण सपनपाट ।।
- अगस्त ऊगा, मेह पूगा ।
- अग्रे अग्रे ब्राह्मणा, नदी नाला बरजन्ते । हिंदी – ब्राह्मण सभी कामोँ मेँ आगे रहता है परन्तु खतरोँ के समय पीछे ही रहता है।
- अछूकाळ कादा में पीवै ।
- अजमेर को घालणिया नै चेरासाई त्यार है।
- अटक्यो बोरो उधार दे ।
- अठे किसा काचर खाय है |
- अठे गुड़ गीलो कोनी अथवा इसो गुड़ गीलो कोनी।
- अठे चाय जैंकी उठे बी चाय।
- अठे ही रेवड़ को रिवाड़ो, अठे ही भेड्या री घुरी।
- अणदेखी न नै दोख, बीनै गति न मोख | हिन्दी – निर्दोष पर दोष लगाने वाले की कहीँ गति नहीँ होती।
- अणमांग्या मोती मिलै, मांगी मिलै न भीख।
- अणमिले का सै जती हैं।
- अणसमझ को कुछ नहीं, समझदार की मौत।
- अणी चूकी धार मारी।
- अत पितवालो आदमी, सोए निद्रा घोर। अण पढ़िया आतम कही, मेघ आवै अति घोर |हिन्दी - अधिक पित्त प्रकृति का व्यक्ति यदि दिन मेँ भी अधिक सोए तो यह भारी वर्षा का सूचक है।
- अदपढ़ी विद्या धुवै चिन्त्या धुवे सरीर |
- अनहोणी होणी नहीं, होणी होय सो होय |
- अनिर्यूं नाचै, अनिर्यूं कूदै, अनिर्यूं तोड़ै तान।
- अब तो बीरा तन्नै कैगो जिकोई मन्ने कैगो।
- अबे तबे का एक रूपैया, अठे कठे का आना बार।
- अभागियो टाबर त्युंहार नै रूसै । हिन्दी – सुअवसर से भी लाभ न उठा पाना।
- अमरो तो मैं मरतो देख्यो, भाजत देख्यो सूरो । चोधर तो मैं खुसती देखी, लाछ बुहारी कूडो ।। आगै हूँ पाछो भलो, नांव भलो लैटूरो ।।। (देखें - नाम में क्या रखा है)
- अम्बर कै थेगळी कोनी लागै ।
- अम्बर राच्यो, मेह माच्यो | हिन्दी – आसमान का लाल होना वर्षा का सूचक है।
- अम्मर को तारो हाथ सै कोनी टूटै । हिन्दी– आकाश का तारा हाथ से नहीँ टूटता।
- अम्मर पीळो में सीळो ।
- अय्याँ ही रांडा रोळा करसी अर अय्याँ ही पावणा जिमबो करसी ।
- अय्यां ही रांड रोला करसी अर अय्यां ही पावणां जीमबो करसी।
- अरजन जसा ही फरजन ।
- अरड़ावतां ऊँट लदै । हिंदी – दीन पुकार पर भी ध्यान न देना।
- अल्ला अल्ला खैर सल्ला ।
- असलेखा बूठां, बैदां घरे बधावणा । हिंदी - असलेखा नक्षत्र में वर्षा हो तो बैद-हकीमों के घर बधाई बँटे, मतलब रोग बढ़ते हैं ।
- असवार तो को थी ना पण ठाडां करदी - हिंदी - किस्सा यों है कि एक औरत को एक डाकू जबरदस्ती उठा कर ले जा रहा था. ऊँट तेजी से दोड़ रहा था. रास्ते में उस औरत का एक परिचित मिल गया. उसने पूछा, 'आरी तू ऐसी सवार कब से हो गयी जो ऊँट को इतने जोरों से भगा रही है ?' तब उसने उत्तर में ऊपर की कहावत कही जिसका अर्थ है कि मैं सवार तो नही थी, जबर्दस्तों ने मुझे सवार बना दिया ।
- असाई म्हे असाई म्हारा सगा, असी रातां का अस्सा ही तड़का।
- असाई म्हे असाई म्हारा सगा, बां कै टोपी न म्हारे झगा ।
- असी रातां का अस्सा ही तड़का ।
- असो भगवान्यू भोळो कोनी जको भूखो भैसां में जाय । हिंदी – कोई मूर्ख होगा जो प्रतिफल की इच्छा के बगैर कार्य करे।
- अस्सी बरस पूरा हुया तो भी मन फेरां में रह्या ।
- अहारे ब्योहारे लज्जा न कारे।
- आ छाय तो ढोलियां जोगी ही| हिंदी – बेकार वस्तु के नुकसान का दुःख न होना।
- आ नई काया सोने की, बार बार नहीं होणै की।
- आ बलद मनै मार।
- आ रै मेरा सम्पटपाट! मैं तनै चाटूं, मनै चाट।
- आ ले पड़ोसण झूंपड़ी, नित उठ करती राड़।
- आ सुन्दर मन्दर चलां तो बिन रह्यो न जाय। माता देवी आसकां, बै दिन पूंच्या आय॥
- आँ तिलां मैँ तेल कोनी | हिंदी – क्षमता का अभाव।
- आँख फड़कै दहणी, लात घमूका सहणी ।
- आँख फड़कै बांई, के बीर मिलै के सांई ।
- आँख कान को च्यार आंगल को फरक है।
- आँख कान को च्यार आंगळ को फरक है ।
- आँख गई संसार गयो, कान गयां हंकार गयो।
- आँख फड़के दहणी, लात घमूका सहणी।
- आँख फड़ूकै बांई, के बीर मिले के सांई।
- आँख फुड़ाई मूंड मुन्डायो, घर को फेरयो द्वार । दोन्यू बोई रै बूबना, आदेश न जुहार ।।
- आँख मीच्यां अंधेरो होय । हिंदी – ध्यान न देने पर अहसास का न होना।
- आँखन, कान, मोती, करम, ढोल, बोल अर नार। अ तो फूट्या ना भला, ढाल, ताल, तलवार॥ हिंदी – ये सभी चीजेँ न ही टूटे-फूटे तो ही अच्छा है।
- आँख्यां देखी परसराम, कदे न झूठी होय।
- आँख्यां में गीड पड़ै, नांव मिरगानैणी।
- आँख्यां सै आँधो, नांव नैणसुख।
- आँण गाँव को बींद र गांव को छोरा।
- आं तिला में तेल कोनी।
- आंख गयी संसार गयो, कान गया हँकार गयो । हिंदी - आँख फूटने पर संसार दिखाई नहीँ देता वैसे ही बहरा होने पर अहंकार समाप्त हो जाता है।
- आंख्याँ में गीड पड़ै, नांव मिरगानैणी ।
- आंख्याँ देखी परसराम, कदे न झूठी होय । हिंदी – आँखोँ देखी घटना कभी झूँठी नहीँ होती।
- आंख्याँ सै आन्धो, नांव नैनसुख ।
- आंगल्यां सूं नूं परै कोनी हुवै।
- आंट में आयोड़ो लो टूटै।
- आंटै आई मैरे बिलाई
- आंधा आगे ढोल बाजै, आ डमडमी क्यां की?
- आंधा की गफ्फी, बहरा को बटको । राम छुटावै तो छूटै नहीं सिर ही पटको ।।
- आंधा नै तो लाठी चाये।
- आंधा पीसै कुत्ता खाय।
- आंधा भागे रोवै, अपना दीदा खोवै।
- आंधा मेँ काणोँ राव | हिंदी – मूर्खोँ मेँ कम गुणी व्यक्ति का भी आदर होता है।
- आंधा सुसरा में क्यांकी लाज?
- आंधी आई ही कोनी, सूंसाट पैली ही माचगो ।
- आंधी भैंस बरू में चरै ।
- आंधी मा पूत को माथो नोज देखै।
- आंधै कै भांवै किंवाड़ ई पापड़।
- आंधो बांटै सीरणी, घरकां नै ही दे।
- आंधों के जाणै सावण की भार।
- आंध्यां की माखी राम उडावै ।
- आई रुत खेती, क्यूं करै पछैती।
- आई ही छाय नै, घर की धिराणी बण बैठी।
- आए लाडी आरो घालां, कह पूंछ ई आरै में तुड़ाई है।
- आक को कीड़ो आक में, ढाक को कीड़ो ढाक में ।
- आक में ईख, फोग में जीरो।
- आक सींचै पण पीपल कोनी सींचै।
- आकाश में थूकै जणा आपके ई मूं पर पड़ै।
- आकास में बिजली चिमकै, गधेड़ो लात बावै।
- आखर रामजी कै घर न्याव है।
- आगली दाल नै ई पाणी कोनी।
- आगलै सै पाछलो भलो।
- आगे थारो पीछे म्हारो | हिंदी – जैसा आप करेँगे वैसा ही हम।
- आगै आग न गैल्यां पाणी।
- आगै आग न पीछै भींटकी
- आगै मांडै पाछै दे, घट्या बध्या कागद सैं ले।
- आगो थारो, पीछो म्हारो।
- आज मरयो दिन दूसरो | हिंदी – जो हुआ सो हुआ।
- आज मरां काल मरां, मर्या मर्या फिरां।
- आज मरै जकै ने काल कद आवै।
- आज मर्यो दिन दूसरो जो गया सो गया।
- आज हमां और काल थमां | हिंदी – जो आज हम भुगत रहे हैँ, कल तुम भुगतोगे।
- आज ही मोडियो मूंड मूंडायो आज ही ओला पड्या।
- आटो कांटो घी घड़ो, खुल्लै केसां नार।
- आठ पूरबिया नो चूल्हा।
- आठ फिरंगी नो गोरा लड़ें जाट के दो छोरा ।
- आडा आया माँ का जाया | हिंदी – कठिनाई मेँ सगे सम्बन्धी (भाई) सहायता करते हैँ।
- आडू कै तो खाय मरै, कै उठा मरै।
- आडू चाल्या हाट, न ताखड़ी न बाट | हिंदी – मूर्ख का कार्य अव्यवस्थित होना।
- आडै दिन सै बास्योड़ो ही चोखो।
- आत्मा सो परमात्मा।
- आथणवचाई को मेह अर पावणूं आयो रहै।
- आदम्यां की माया, बिरखां की छाया।
- आदर खादर बाजे बाव , झूंपङ पङिया झोला खाय ।
- आदरा बाजै बाये, झूंपड़ी झोला खाय।
- आदरा भरै खाबड़ा, पुनबसु भरै तलाव।
- आदै थाणी न्याय होय | हिंदी – बुरे/बेईमान को फल मिलता है।
- आदै पाणी न्याव होय।
- आधा में देई देवता, आधा में खेतरपाल।
- आधाक सोवै, आधाक जागे, जद बातां का रंग दोराई लागै।
- आधी छोड़ एक नै धावै, बाकी आदी मुंह से जावै।
- आधे जेठ अमाव्साय रवि आथिमतो जोय।
- आधै माह कांधे कामल बाह।
- आधो घाल्यो ऊँखली, आधो घाल्यो छाज। सांगर साटै घण गई, मघरो मघरो राज।
- आधो धरती में, आधो बारणै।
- आधो बगड़ बुहारती, सारो बगड़ बुहार।
- आप आपकी मूंछो कै सै ताव दे हैं।
- आप आपकी रोट्यां नीचे सै आंच देवै।
- आप आपके दाणै पाणी मे मसत है।
- आप आपको जी सै नैं प्यारो।
- आप कमाडा कामडा, दई न दीजे दोस | हिंदी – व्यक्ति के किये गए कर्मोँ के लिए ईश्वर को दोष नहीँ देना चाहिए।
- आप की चाय गधा नै बाप बणावै।
- आप गुरुजी कातरा मारै, चेला नै परमोद सिखावै | हिंदी – निठल्ले गुरुजी का शिष्योँ को उपदेश देना।
- आप डुबन्तो पांडियो ले डूब्यो जजमान।
- आप भलो तो जग भलो।
- आप मरयां बिना सुरग कठै | हिंदी – काम स्वयं ही करना पड़ता है।
- आप मर्यां जुग परलै।
- आप में अक्कल घणी दीखै, दूसरै कनै घन घणूं दीखै।
- आपका फाड्या की सै बुझावै।
- आपकी एक फूटी को दुख कोनी, पड़ोसी को दोनों फूटी चाये।
- आपकी खोल में सै मस्त।
- आपकी गयां को दुख कोनी, जेठ की रह्यां को दुख है।
- आपकी गली में कुत्ता नार।
- आपकी छाय नै कोइ खाटी कोनी बतावै।
- आपकी छोड़ पराई तक्कै, आवै ओसर कै धक्कै।
- आपकी जांघ उघाड्यां आप ही लाजां मरै।
- आपकी पराई और पराई आपकी।
- आपकी मां ने डाकण कुण बतावै?
- आपके लागै हीक में, दूसरो के लागे भीत में।
- आपको कोढ़ सांमर सांमर ओढ़।
- आपको ठको टको दूसरै को टको टकुलड़ी।
- आपको बिगाड़यां बिना दूसरां को कोनी सुधरै।
- आपको सो आपको और बिराणू लोग।
- आपको हाथ जगन्नाथ!
- आपनै उपजै कोनी, दूसरां की मानै कोनी।
- आबरू लैर उधार दै।
- आभ के अणी नहीं, वेश्या के धणी नहीं।
- आभा की सी बीजली, होली की सी झल।
- आभा राता मेह माता, आभा पीला मे सीला।
- आम खाणा क पेड़ गिणना | हिंदी – मतलब से मतलब रखना।
- आम नींबू बाणियो, कंठ भींच्यां जाणियो।
- आम फलै नीचो नवै, अरंड आकासां जाय।
- आया ही समाई पण गया की समाई कोनी।
- आयी गूगा जांटी, बकरी दूधां नाटी।
- आयो चैत निवायो फूडां मैल गंवायो।
- आयो रात, गयो परभात।
- आरिषड़ा सबब जोय कर समय बताऊँ तोय। भादूड़ो जुग रेलसी छठ अनुराधा होय।
- आल के भाव को के बेरो।
- आल पड़ै तो खेलुं मालूं, सूक पड़ै घर जाऊँ।
- आलकसण ने रोट्याँ रो साग ।
- आला बंचै न आप सै, सूका बंचै न कोई कै बाप सैं।
- आवो मीयां खाणा खावो, बिसमिल्ला झट हाथ धुवावो। आवो मीयां छान उठावो, हम बूढ़ा कोई ज्वान बुलावो॥
- आषाढ़ की पूनम, निरमल उगै चंद। कोई सिँध कोई मालवे जायां कट सी फंद॥ हिंदी – आषाढ़ की पूर्णिमा को चाँद के साथ बादल न होने पर अकाल की शंका व्यक्त की जाती है।
- आसवाणी, भागवाणी।
- आसाडां धुर अस्टमी, चन्द सेवरा छाय। च्यार मास चूतो रहै, जिउं भांडै रै राय॥
- आसाडे धुर अष्टमी, चन्द उगन्तो जोय।
- आसाडे सुद नवी नै बादल ना बीज। हलड़ फाडो ईंधन करो, बैठा चाबो बीज॥
- आसाढ़ै सुद नोमी, घण बादल घण बीज। कोठा खेर खंखेर दो, राखो बलद ने बीज॥
- आसी च्यानण छठ, ताकर मरसी पट। रूआयी चांदा छठ, कातरो मरसी पट॥
- आसू जितरै मेह।
- आसोजां का पड्या तावडा जोगी बणग्या जाट ।
- आसोजी रा मेहड़ा, दोय बात बिनास। बोरटियां बोर नहीं, बिणयाँ नहीं कपास॥
- आसोज्यां में पिछवा चाली, भर भर गाडा ल्याई।
- इकलक के दोलक कै (इ क लग के अर दोलग कै)।
- इजगर पूछै बिजगरा, कहा करत हो मिन्त। पड्या रहां हां धूल में, हरी करते है चिंत॥
- इज्जत की लहजत ही और हुवै है।
- इज्जत भरम की अर कमाई करम की।
- इन्दर की मा भी तिसाई ही रही।
- इन्नै पड़ै को कुवो, उन्नै पड़ै तो खाई।
- इब ताणी तो बेटी बाप कै ही है | हिंदी – अभी कुछ नहीँ बिगड़ा।
- इब ताणी तो बेटी बाप कै ही है।
- इब पछतायां के बणै द चिड़िया चुग गई खेत।
- इमरत तो रत्ती ही चोखो, झैर मण भी के काम को।
- इसी खाट इस्या ही पाया, इस रांड इस्या ही जाया।
- इसे परथावां का इसा ही गीत | हिंदी – जैसा विवाह वैसे ही गीत।
- इसो ई तेरो खाणू दाणूं, इसो ई तेरो काम कराणुं।
- इसो ई हरि गुण गायो, ईसो ई संख बजायो।
- इस्समी खाण का इसा ही हीरा, इसी भैण का इसा ही बीरा।
- ई की मा तो ई नै ही जायो | हिंदी – इसके बारे मेँ अनुमान नहीँ लगाया जा सकता।
- ईसरो रो परमेसरो।
- ईसानी बीसानी।
- उघाड़ै वारणै धाड़ नहीं, उजाड़ गांव में राड़ नहीं।
- उझल्या समदरा ना डटै।
- उठै का मुरदा उठै बलेगा, अठे का अठे | हिंदी – एक स्थान की वस्तु दूसरे स्थान पर अनुपयोगी है।
- उठो राणी, काढो बुहारी, आंगण आया, किरसन मुरारी।
- उणीं गांव में पीर उणी में सासरो।
- उतर भैंस मेरी बारी।
- उतारदी लोई, के करैगो कोई।
- उत्तम धरती मध्यम काया, उठो देव, जंगळ कूं आया।
- उत्तर पातर, मैँ मियाँ तू चाकर | हिंदी – उऋण होने मेँ संतोष का द्योतक है।
- उधार दियोड़ो आवै घर लेखै, नींतर हर लेखै ।
- उन्नाळै खाटु भळी सियाळे अजमेर। नागाणौ नितको भळो सावणं बिकानेर॥
- उललतै पालड़ै को कोई भी सीरी कोनी।
- उल्टी गत गोपाल की, गई सिटल्लु मांय।
- उल्टो चोर कोतवाल नै डांटै।
- उल्टो दिन बूझ कर कोनी लागै।
- उल्टो पाणी चीलां चढ़ै | हिंदी – अनहोनी की आशंका को व्यक्त करता है।
- ऊँखली मै सिर दे जिको धमका सै के डरै | हिंदी – कठिन काम करने के लिए तैयार हो जाने पर विपत्तियोँ से कैसा डरना।
- ऊँचे चढ़ चढ़ डोली डाकै, मरद नै थापै। राधो चेतो यूं कहै, थक्यां रहैगी आपै॥
- ऊँचै गड का ऊंचा कांगरा।
- ऊँचै चढ़ कर देखो, घर घर यो ही लेखो।
- ऊँचो नाग चढ़ै तर ओड़े, दिस पिछमांण बादला दौड़े।
- ऊँट कै मूं में जीरै सै के हुवै?
- ऊँट को पाद धरती को न आकास को।
- ऊँट को रोग रैबारी जाणै।
- ऊँट खो ज्याय तो टोपली उतार लिये।
- ऊँट चढ्या नै कुत्तो खाय।
- ऊँटां नै सुहाल्यां सै के होय।
- ऊं बात नै घोड़ा ई को नावड़ै ना।
- ऊंखली में सिर दे जिको धमकां सैं के डरै।
- ऊंट मिठाई इस्तरी, सोनो गहणो शाह। पांच चीज पिरथी सिरै, वाह बीकाणा वाह । हिंदी - काव्य पंक्तियां मरुधरा की ऐसी पांच विशिष्टताओं को उल्लेखित करती है जिनकी सराहना समूची दुनिया में हो रही है।
- ऊंदरी को जायो बिल ही खोदै।
- ऊंधै ही अर बिछायो लाद्यो।
- ऊजड़ खेड़ा फिर बसै, निरधनियां धन होय। जबन गयो न बावड़ै मतना द्यो थे खोय॥
- ऊत गये की चिट्ठी आई, बांचै जीनै राम दुहाई।
- ऊत गयो दक्खन, उठे का ल्यायो लक्खन।
- ऊत गांव में अरंड ही रूंख।
- ऊत गांव में कुम्हारा ही महतो।
- ऊतां कै के सींग होय है।
- ऊदलती का किस दायजा?
- ऊन'रै को जायेड़ो बिल ही खोदै ।
- ऊपर तो लहर्यो पण नीचे के पहर्यो।
- ऊपर राम चढ्यो देखै है।
- ऊबर बागा, घर में नागा।
- ऊबो मूतै सूत्यो खाय, जैंको दालद कदे न जाय।
- ऊमस कर घृत माढ गमावे, झांड कीड़ी बहार लावे | नीर बिनां चिडियां रज न्हावै, तो मेह बरसे धर मांह न मावै।
- ऊलै गैले चालै, खत्ता खाय।
- एक आंख को के मीचै के खोलै।
- एक आदर्यो हाथ लग ज्याय पछै तो करसो राजी।
- एक ई बेल का तूमड़ा है।
- एक करोट की रोटी बल उठै।
- एक कांजी को टोपो दूध की भरी झाकरी नै बिगाड़ दे।
- एक कांणू एक खोड़ो, राम मिलायो जोडो।
- एक घर तो डाकण ही टालै है।
- एक घर में बहुमता र जड़ां मूल सै जाय।
- एक चणो दो दाल।
- एक जणैं की हलाई डोर हालै।
- एक जाड़ खाय, एक जाड़ तरसै।
- एक टको मेरी गांठी, मगद खांऊं क मांठी।
- एक दिन पावणूं, दूजै दिन अनखावणो, तीजै दिन बाप को मुंघावणूं।
- एक नन्नो सो दुख हड़ै।
- एक पग उठावै अर दूसरै की आस कोनी।
- एक पती बिन पाव रती।
- एक पहिये सैं गाड़ी कौन्या चालै।
- एक पीसा की पैदा नहीं, र घडी की फुरसत नहीं।
- एक पैड वाली कोन्यार बाबा तिसाई।
- एक बांदरी कै रूस्यां के अयोध्यां खाली हो ज्यासी।
- एक बार योगी, दो बार भोगी, तीन बार रोगी।
- एक भेड़ कुवै में पड़ै तो सै जा पड़ै।
- एक म्यान में दो तलवार कोनी खटावै।
- एक रती बिन पाव रती को।
- एक लरड़ी तूगी जद के हुयो।
- एक सैं दो भला।
- एक सो एक अर दो सो दो।
- एक हल हत्या, दो हल काज, तीन हल खेती, च्यार हल राज।
- एक हाथ मैँ घोड़ो एक मैँ गधो है | हिंदी – भलाई-बुराई का साथ-साथ रहना।
- एक हाथ लील में, एक हाथ कसूमा में।
- एक हाथ सै ताली कोनी बाजै।
- एकली लकड़ी ना जलैर नाय उजालो होय।
- ऐ घर घोड़ी आपणा, बा छी बीकानेर। घास घणेरो घालस्यां, बांणू द्यूं ना सेर॥
- ऐ विधनारा अंक, राई घटै न राजिया।
- ऐँ बाई नै घर घणा | हिंदी – योग्य व्यक्ति हर जगह आदर पाता है।
- ऐरण की चोरी करी, कर्यो सुई को दान। ऊपर चढ़ कर देखण लाग्यो, कद आवै बीमाण॥
- ऐसा को तैसा मिल्या, बामण को नाई। बो दीना आसकां, बो आरसी दिखाई॥
- ओ क्यां टो टाबर ? खाय बराबर।
- ओ ही काल को पड़बो, ओ ही बाप को मरबो | हिंदी – कठिनाईयाँ एक साथ आती हैँ।
- ओई पूत पटेलां में, ओई गोबर भारा में।
- ओगड़ बेटो क्यांसू मोटो, लावो गिणै न टोटो।
- ओछा की प्रीत कटारी को मरबो | हिंदी – ओछा अर्थात् निकृष्ट का साथ तथा कटारी से मरना दोनोँ ही एक समान हैँ।
- ओछी गोडी ने सकड़, बहै उलाला बग्ग। बो ओठी बो करल हो, आयण होय अलग्ग॥
- ओछी पूंजी घणै नै खाय।
- ओछी पोटी में मोटी बात कोनी खटावै।
- ओछै की प्रीत, बालू की सी भींत।
- ओछै की मातैगगी, चाकी मांलो बास।
- ओछो बोरो, गोदो को छोरो, बिना मुरै की सांड, नातै की रांड कदेई न्ह्याल कोनी करै।
- ओडी भली न टोडी भली, खुल्लै केंसा नार।
- ओस चाट्यां कसो पेट भरै।
- ओसर चूकी डूमणी, गावै आलपताल।
- ओसर चूक्या नै मोसर नहीं मिलै।
- ओसर चूक्यां नै मौसर नहीँ मिलै | हिंदी – चूक होने पर अवसर नहीँ मिलता।
- ओसां सै घड़ियो कोनी भरै।
- औ और तो नार पड़्यो है पण काम में डबको।
- और राड्या राड कराँ, ठाला बैठ्या के कराँ।
- और सदा सूतो भलो ऊभो भणो असाढ़।
- और सब सांग आ ज्मायं, बोरै वालो सांग कोन्या आवै।
- और सब सांग आ ज्यायं, बोरै वालो सांग कोन्या आवै | हिंदी – निर्धन बोहरे (धनी) का स्वांग नहीँ भर सकता।
क-घ
- क ख ग घ ड़, काको खोटा क्यों घडै ।
- कंगाल छैल गाँव नै भारी | हिंदी – गरीब शौकीन व्यक्ति गाँव पर भारी पड़ता है।
- कंवरजी म्हैलां से उतर्या, भोड़ल को भलको।
- कंवारा का के न्यारा गांव बसै है।
- कक्कै को फूट्यो आंक ई को आवै अरनाम विद्याधर।
- कटे तो काऊ का, सीखे तो नाऊ का।
- कठे राजा भोज, कठे गांगलो तेली।
- कठे राम राम, कठे ट्यां ट्यां!
- कड़वी बेल की कड़वी तुमड़ी, अड़सठ तीरथ न्हाई। गंगा न्हाई, गोमती न्हाई, मिटी नहीं कड़वाई।
- कण कण भीतर रामजी, ज्यूं चकमक में आग।
- कद नटणी बांस चढै, कद भोजन पावै।
- कद राजा आवै, कद दाल दलूं।
- कदे गधो गूण पर, कदे गूण गधा पर।
- कदे घई घणा, कदे मूठी चणा।
- कदे न घोड़ा ही सिया, कदे न खीँच्या तंग। कदे न रांड्या रण चढ्या, कदे न बाजी जंग॥ हिंदी – कायर पुरुष कभी भी साहसपूर्ण कार्य नहीँ कर सकता।
- कदे नाव गाडी पर, कदे गाडी नाव पर।
- कनकड़ा दोन्यू दीन बिगाड़्यो | हिंदी – निकृष्ट साधु दोनोँ ही धर्महीन हो जाते हैँ।
- कनफडा दोन्यू हीन बिगाड्या।
- कपड़ा फाट गरीबी आई, जूती टूटी चाल गमाई।
- कपूत जायो भलो न आयो।
- कपूत हूँ नपूत भलो ।
- कबित सोवै भाट नै, खेती सोवै जाट नै।
- कबूतर नै कुवो ही दीखै | हिंदी – प्रत्येक व्यक्ति को स्वार्थपरक लक्ष्य ही दिखाई देता है।
- कबूतर नै कुवो ही दीखै।
- कम खालेणा पण कम कायदे नहीं रहणा।
- कमजरो गुस्सा ज्यादा, ऐई मारा खाणै का रादा।
- कमजोर की लुगाई, सबकी भौजाई।
- कमजोर को हिमायती हारै।
- कमाई गैल समाई।
- कमाऊ आवै डरतो, निखटू आवै लड़तो | हिंदी – कमाने वाला डरता हुआ तथा निकम्मा व्यक्ति लड़ता हुआ आता है।
- कमाऊड़ै नै घी, खाऊड़ै नै दुर छी! हिंदी - कमाने वाले का सर्वत्र सम्मान होता है और उड़ाने वाले को सभी अवज्ञा की नजर से देखते हैं।
- कमावै थोड़ो खरचै घणूं, पैलो मूरख उणनै गिणूँ।
- कमावै धोती हाला, खा ज्याय टोपी हाला।
- कमेड़ी बाज नै कोनी जीतै | हिंदी – कमजोर बलवान से नहीँ जीत सकता।
- कर ये महती मालपुआ, बो लेसी हुया हुया।
- कर रै बेटा फाटको, खड्यो पी दूध को बाटको ।
- कर ले सो काम, भज ले सो राम ।
- करड़ी बाँघै पगड़ी घुरड़ लिववै नक्ख। करड़ी पैरे मोचड़ी, अणसरज्या ही दुक्ख॥
- करणी जिसी भरणी।
- करणी पार उतरणी।
- करणी भोगै आपकी, के बेटो के बाप।
- करन्ता सो भोगन्ता खोदन्ता सो पड़न्ता।
- करम कमेड़ी को सो, मन राजा को सो।
- करम फूटया नै भाग फूट्या ही मिलै।
- करम में घोड़ी लिखी, खोल कुण ले ज्याय?
- करम में लिख्या कंकर तो के करै शिवशंकर?
- करम लिखा कंकर तो के करै शिव शंकर ।
- करमहीण किसनियो, जान कठै सूं जाय । करमां लिखी खीचड़ी, घी कठै सूं खाय ।।
- करमहीण खेती करे, के हळ भागे के बळद मरे ।
- करमहीन खेती कैर, के काल पडै के बलद मरै।
- करैगो टहल तो पावैगो महल।
- करैगो सेवा तो पावैगो मेवा।
- कर्क मैद को के भाव? कै चोट जाणिये।
- कर्म की सगलै बाजै है।
- कल सूं कल दबै है।
- कलह कलासै पैँडे को पाणी नासै | हिंदी – घर मेँ क्लेश होने पर परीँडे का पानी भी नष्ट हो जाता है।
- कसम मरे को धोखो कोनी, सुपनू सांचो होणूं चाये।
- कसाई कै दाणै नै बकरी थोड़ी ही खा सकै है?
- कसो हाक मार्यां कूवो खुदै है।
- कांई गोडियो कैवै अर कांई पूंगी कैवे।
- कांट कटीली झाखडी लागै मीठा बोर।
- कांटे सै कांटो नीसरै।
- कांदा खाय कमधजां, घी खायो गोलांह। चुरू चाली ठाकरां, बाजंतै ढोलांह॥
- कांदे वाला छिलका है, ऊंची दे जितणी ही बास आवै | हिंदी – बुराई को जितने पास से देखोगे उतनी ही अधिक बुराई दिखाई देगी।
- कांधियो थोड़ा ई बलै है।
- कांधे पर छोरो, गांव में ढिंढोरो।
- काकड़ी की चोरी अर मूकां की मार।
- काका खोखो पायो, कह, काका कै सागै तो ऐ है गैरा करैगी।
- काग कुहाड़ो नर, काटै ही काटै।
- काग पढ़ायो पींजरै, पढगो च्यारूं वेद, समझायो, समझ्यो नहीं, रह्यो ढेढ को ढेढ।
- कागलां की दुर्शीष ऊं ऊंट कोनी मरै ।
- कागलां कै काछड़ा होता तो उड़ता कोन्या दीखता? हिंदी – मनुष्य के गुण स्पष्ट दिखाई देते हैँ।
- कागलां कै सराप सूं ऊंट कोनी मरै।
- कागलो हंस, हाली सीखै हो सो आप हाली भी भूलगो।
- कागा किसका धन हरे, कोयल किसकूं देय। जभड़ल्यां के कारणै, जग अपनो कर लेय॥
- कागा कुत्ता कुमाणसा, तीन्यूं एक निकास। ज्यां ज्यां सेर्यां नीसरै, त्यां त्यां करे बिनास॥
- कागा हंस न गधा जती।
- काच कटोरो, नैण जल, मोती दूध अर मन्न।
- काच की भट्टा मांइ मांय धवै।
- काचो दूध खटाई फाड़ै, तातो दूद जमावै।
- काजल सै आंख भरी कोनी हुवै।
- काजी के मार्योड़ो हलाल होवै है।
- काटर कै हेज घणोँ |हिंदी – दूध न देने वाली गाय बछड़े से प्रेम प्रदर्शित करती है।
- काठ की हांडी दूसरां कोनी चढ़ै।
- काठ डूबै लोडा तिरै।
- काणती भाभी छाय घाल, घालस्यूं दहीं, तु सुप्यार भोत बोल्या ना।
- काणती भेड़ को न्यारो ही रयाड़ो/गवाड़ो | हिंदी – निकृष्ट व्यक्तियोँ को जब विशिष्ट लोगोँ मेँ स्थान नहीँ मिलता तो वे अपना संगठन अलग ही बना लेते हैँ।
- काणियां पांड्या राम राम। देखी रै तैरी ट्याम ट्याम॥
- काणी के ब्याह में सौ टेड ।
- काणी कै ब्या में सौ कोतिक।
- काणी कै ब्या मैं फेरां तांई खोट।
- काणी को काडल भी कोनी सुहावै।
- काणी छोरी तनै कुण ब्यावैगो, कह ना सरी, मैं मेरै भायां नै खिलाऊंगी।
- काणी भाभी पाणी प्याई, कै लक्खण तो दूधआळा है।
- काणूं खोड़ो कायरो, ऐंचताणूं होय।इण नै जद ही छोड़िये, हाथ घेसलो होय॥
- कातिक की छांट बुरी, बाणियां की नांट बुरी, भायां की आंट बुरी, राज की डांट बुरी।
- कातिक राज, कीर्तियां, मंगसिर हिरणियां, पोवां पारधी जोड़ा, काटी कटै न घोड़ा।
- काती कुत्ती माह बिलाई, फागण मर्द अर ब्याह लुगाई।
- काती रो मेह कटक बराबर है।
- काती सब साथी।
- कात्या जी का सूत, जाया जी का पूत।
- कादा नै छैड़ै, छाटां भरै।
- कान में कीटी अन्तर अर लगास्यूं।
- कानां ने मुंदरा होसी तो सै आपै आदेस कहसी।
- कानूड़ो कल में आयो, रात बड़ी दिन छोटा ल्याओ।
- काम अर लाम को बैर है।
- काम करल्यो सो कामण कर्या।
- काम करै कोई, मोज उड़ावै कोई।
- काम का ना काज का ... ढाई मण अनाज का ।
- काम की माँ उरैसी, पूत की माँ परैसी | हिंदी – कर्मठ व्यक्ति सभी को अच्छा लगता है, अकर्मण्य किसी को अच्छा नहीँ लगता।
- काम तो करेङो ई भलो ।
- काम नै काम सीखावै।
- काम पड्यो जद सेठजी तमेलै चढ़गा।
- काम सर्यो जुग बीसर्यो, कुणबो बाराबाट।
- कामी कै साख नहीं, लोभी कै जात नहीं।
- काल कुसम्मै ना मरै, बामण बकरी ऊंट। ब मांगे बा फिर चरै, बो सूखा चाबै ठूंठ॥
- काल जाय पण कलंक नहीं जाय।
- काल बागड़ सैं नीपजै, बुरो बामण सै होय।
- काल मरी सासू, आज आयो आंसू।
- काला कनै बैठ्यां काला लागै | हिंदी – दुर्जन के संग से कलंक लगता ही है।
- काला रै तूं मलमल न्हाय, तेरी कालूंस कदै नहिं जाय।
- काली भली न कोड्याली।
- काली हांडी कनै बैठ्यां कालूस लागै।
- कालै कै कालो नहीं जामै तो कोड्यालो तो जरूर ही जामै।
- कालै गाबा को कालो दाग कोई कोनी देखै।
- कालो आंक भैंस बराबर।
- कालो वै तो करवरो, घोलो वै तो सुगाल। जे चंदो निरमल हुवै तो पड़ै अचिन्तो काल॥
- काळी बहू अर जल्योड़ो दूध पीढ्याँ ताईं लजावै ।
- काळी हांडी रै कनै बैठयाँ काळस न सरी काट तो लाग्यां सरै ।
- काळो कै काळो न जलमे तो किल्ड काबरो जरुर जलमै ।
- किमै गुड़ ढीलो, किमैं बाणियूं ढीलो।
- कियां फिरै जाणै बिगड्योड़ै ब्याव में नाई फिरै ज्यूं।
- किरती एक जबूकड़ो, ओगन सह गलिया।
- किरपण कै दालद नही, ना सूरां कै सीस। दातारां कै धन नहीं, ना कायर कै रीस॥
- किसन करी सो लीली, म्है बाजां लंगवाड़ा।
- किसाक बाजा बजै, किसाक रंग लागै।
- कीड़ी नै कण, हाथ नै मण।
- कीड़ी पर के कटक?
- कीड़ी सचै तीतर खाय, पापी को धन परलै जाय।
- कुंदन जड़े न जड़ाव, जमे सलामत कीट। कहे जडिया सुण ले जगत, उड़े मेह की रीठ॥ हिंदी – यदि नगीने जड़ते समय कुंदा न लगे तथा सलाइयोँ पर कीट जमने लगे तो वर्षा की सम्भावना होगी।
- कुंभार रे घर में फूटी हांडी।
- कुए की मांटी कुए में लाग ज्या है।
- कुए मैँ पड़कर सूको कोई भी निकलै ना | हिंदी – जैसा कार्य वैसा फल।
- कुछ लख्या सो मन में राख।
- कुण सी बाड़ी को बथवो है।
- कुत्ता तेरी काण कै तेरै घणी की।
- कुत्तां कै पाड़ौस सै कसौ पैरो लाग्यो।
- कुत्ती क्यूं भुसै है, कै टुकड़ै खातर।
- कुत्तै की पूँछ बार बरस दबी रही पण जद निकली जद टेढ़ी की टेढ़ी।
- कुन्या फूले, तुल फले, वृश्चिक ल्यावै लाण।
- कुमाणस आयो भलो न जायो।
- कुम्हार की गधी, घर घर लदी।
- कुम्हार कुम्हारी नै तो कोनी जीतै, गधैड़ै का कान मरोड़ै।
- कुम्हार नै कह, गधै पर चढ़ जद तो को चढ़ै ना, पाछै आप चढ़ै।
- कुल बिना लाज ना, जूं बिना खाज ना।
- कुवै में पड़ कर सूको कोई बी नीकलै ना।
- कूआ सै कूओ कोनी मिलै, आदमी सै आदमी मिल जाय।
- कूण किसी कै आवै, दाणू पाणी ल्यावै।
- कूदिये ने कूवै खेलिये न जूवै।
- कूद्यो पेड़ खजरू सूं, राम करै सो होय।
- कूरा करास खाय, गेहूँ जीमै बाणिया।
- कूवो खोदे जैनै खाड त्यार है।
- के कुत्ती कै पाणई गाडो चालै है?
- के गीतड़ां से भींतड़ा।
- के गूजर को दायजो कै बकरी कै भेड़।
- के तो घोड़ो घोड्यां में के चोरां लियो लेय (के चोर लेईगा)।
- के तो फूड़ चालै कोनी अर चालै जद नो गांव की सीम फोड़ै।
- के नागी धोवै अर के नागी निचोवै।
- के फूँक सै पहाड़ उड़ै है?
- के बाड़ पर सोनूं सूकै है?
- के बेटी जेठ के स्हारै जाई है?
- के बेरो ऊँट के करोट बैठे?
- के मारै बादल को घाम, के मारै बैरी को जाम।
- के मारै सीरी को काम, कै मारे काटर की जाम।
- के मीयां मरगा, क रोजा घटगा।
- के मोड्यो बांधै पागड़ी, कै रहै उघाड़ी टाट।
- के रोऊं ऐ जणी! तूं आंगी दी न तणी।
- के सर्व सुहागण के फरहड़ रांड़।
- के सहरां, के डहरां।
- के सोवै बंबी को सांप, के सोवै जी के माई यन बाप।
- केले की सी कामड़ी होली की सी झल!
- केश वेश पाणी आकास नहीं चितेरो देखै आस।
- कै जागै जैंकै घर में सांप, कै जागै बेटी को बाप।
- कै जाणै भेड़ सुपारी सार।
- कै डूबै अररोला कै डूबै बोला।
- कै तो गैली पैरै कोनी अर पैंरे तो खोलै कोनी।
- कै तो पैल बलद चालै कोनी, र चालै तो सात गांवां की सींव फोड़ै।
- कै तो बावलो गांव जा कोन्या अर जा तो बावडै कोन्या।
- कै हंसा मोती चुगै कै लंघन कर ज्याय।
- कैं लड़ै लड़ाकडो कै लड़ै अणजाण।
- कैर को ठुंठ टूट ज्यागो, लुलैगो नहीं।
- कोई कै बैंगण बायला, कोई कै बैंगण पच्छ कोई कै बादी करै, कोई कै जाय जच्च।
- कोई को हाथ चालै तो कोई की जीभ चालै।
- कोई गावै होली का, कोई गावै दिवाली का।
- कोई भी मा का पैट से सीख कर कोनी आवै।
- कोई मानै न तानै, मैं तो लाडै की भुवा। (कोई मानै ना तानै ना, मैं लाडो की भुवा)
- कोई स्यान मस्त, कोई ध्यान मस्त, कोई हाल मस्त, कोई माल मस्त।
- कोडी कोडी करतां बी लंग लागै है।
- कोडी कोडी धन जुड़ै।
- कोडी चालै डौकरी, कैंका काडै खोज। काई थारो खो गयो पूछै राजा भोज॥
- कोयलां की दलाली में काला हाथ।
- कोस चाली कोन्या अर तिसाई।
- कौड़ी बिन कीमत नहीं सगा नॅ राखै साथ, हुवै जे नामों (रूपया) हाथ मैं बैरी बूझै बात।
- कौण सुणै किण नै कहूँ, सुणै तो समझौ नाहि।कहबो सुणबो समझबो, मन ही को मन मांहि॥
- क्यूं आंधो न्यूंतै, क्यूं दो बुलावै।
- क्यूं धो चीकणा, क्यूं कुंहाड़ो भूंठो।
- क्यूं लो खोटो, क्यूं लुहार खोटो।
- क्रितिका करे किरकिरो, रोहिणी काल सुकाल। थे मत आबो मृगशिरी हड़हड़ करती काल॥
- खटमल कुत्तो दायमो, जय्यो मांछर जूं।
- खर घूघ मरख नरां सदा सुखी प्रिथिराज।
- खर बाऊं बिस दाहणूं।
- खर, घूघू, मूरख नरा सदा सुखी प्रिथिराज | हिंदी – गधा, उल्लू तथा मूर्ख मनुष्य सदा सुखी रहते हैँ क्योँकि ये चिन्ता नहीँ करते।
- खरी कमाई घणी कमाई ।
- खरी मजुरी चोखा दाम।
- खल खाई न भल आई, सासरै गई न भू कुहाई।
- खल गुड एकै भाव।
- खां साब लकड़ी तोड़ो तो कै ये काफरका काम, खां साब खीचड़ी खावो तो कै बिसमिल्ला।
- खांड गली का सै सिरी, रोग गली का कोई नहीं।
- खाईये त्यूंहार, चालिए व्यौहार।
- खाज पर आंगली सीदी जाय।
- खाणू पीणू खेलणू, सोणू खूंटी ताण। आछी डोबी कंथड़ा, नामदी के पाण॥
- खाणू माँ का हाथ को होवो भलांई झैर ई, चालणू गैलै को होवो भलाई फेर ई, बैठणू, भायां को होवो भलांई बैर ई, छाया मौके की होवै भलांई कैर ई, जीमणूं, प्रेम को होवो भलांई झैर ई।
- खाणै में दळिया, मिनखां में थळिया।
- खाणो मन भातो, पैरणो जग भातो।
- खात अर पाण, के करै बिनाणी।
- खाबो खीर को अर बाबो तीर को।
- खाबो सीरा को अर मिलबो वीरा को।
- खाय कर सो ज्यांणू, मार कर भाग ज्याणूं (खा कर सो ज्याणू अर मारकर भाग ज्याणू)
- खाय धणी को, गीत गावै बीरै का।
- खाये जैंको गाये।
- खारी बेल की खारी तूमड़ी।
- खाल पराई लीकड़ो ज्याणूं भूस में जाय।
- खाली लल्लोई सीख्यो है, दद्दो कोनी सीख्यो।
- खावण का सांख, पावणा का बासा।
- खावै तो डाकण, ना खावै तो डाकण |हिंदी – बद से बदनाम बुरा होता है।
- खावै पुणू–जीवै दुणू | हिंदी – कम खाने वाला अधिक जीता है
- खावै पूणुं, जीवै दूणु।
- खिजूर खाय सो झाड़ पर चढ़ै।
- खिजूर खाय सौ झाड़ पर चढ़ै | हिंदी – खतरा वही उठाता है जिसे लाभ की आशा होती है।
- खिलाया को नांव कोनी होय, रुवाया को नांव हो जाय।
- खींचिये न कब्बान छोड़िये न जब्बान।
- खीर खीचड़ी मन्दी आंच।
- खुपरी जाण खोपरा, बीज जाण हीरा, बीकाणो भंडार रा मीठा हुवै मतीरा । हिंदी - बीकानेरी मरुधरा की वनस्पतियों के राजा मतीरे की तुलना हीरे-जवाहरातों से की गई हैं।
- खुले किंवाड़ा पोल धसै।
- खूट्यो बाण्यो जूना खत जोवै।
- खेत नै खोवे गैली, मोडा नै खोवै चेली।
- खेत बड़ा, घर सांकड़ा।
- खेत हुवै तो गांव सैं आथूणों ही हूवै।
- खेती करै नॅ बिणजी जाय, विद्या कै बल बैठ्यो खाय ।
- खेती करै बिणज नै ध्यावै, दो मांआडी एक न आवै।
- खेती धण्यां सेंती । हिंदी – मालिक की देखरेख से ही खेती (कार्य) अच्छी होती/ता है।
- खेती बादल में हैं।
- खेती सदा सुख देती।
- खेल कोठा में पाणी कुवै मैँ सैं ई आवै।
- खेल खिलाड्यां को, घोडा असवारां का।
- खैरात बंटै जठै मंगता आपे ही पूंच ज्यावै | हिंदी – जहाँ खैरात बँट रही हो, भिखारी पहुँच ही जाते हैँ।
- खो की मांटी खो में लागै।
- खोई नथ बटोड़ा में नणद को नांव।
- खोखा म्हांने चोखा लागै, खेजड़लो ज्यूं खजूर। निंबोळी-अंबोळी सिरखी, रस देवै भरपूर ||हिंदी - इसमें खेजड़ी को खजूर से बेहतर और निंबोळी को आम से मीठी व रसीली मानने का लेख है|
- खोखा व्है तो खावां, गीत व्है तो गावां। हिंदी - जैसी परिस्थिति हो उसी के अनुसार चलना चाहिए।
- खोटा काम ठेठ सूं कीन्या, घर खातो नै मांग्या दीन्या।
- खोटो पीसो खोटो बेटो, ओडी वर को माल।
- खोडली खाट खोड़ला पाया, खोड़ली रांड खोडला ई जाया।
- खोपड़ी खोपड़ी की मत न्यारी।
- खोयो ऊँट घड़ा मैँ ढूँढै | हिंदी – अत्यधिक ठगे जाने पर असम्भव भी सम्भव लगता है।
- खोली रै तो पूर आप ही घल ज्या।
- गंगा गयां गंगादास, जमना गयां जमनादास।
- गंगा तूतिये मैँ कोनी नावड़ै | हिंदी – गंगा नदी छोटे पात्र मेँ नहीँ आ सकती।
- गंगा रो गटोळियो, लोटो पाणी ढोळियो, धोया कान अर होया सिनान।
- गंगाजी को न्हावणूं, बिपरां को ब्योहार। डूब जाय तो पार है, पार जाय तो पार॥
- गंजो अर कांकरां में लोटै।
- गंजो नाई को के धरावै?
- गंडक की पूंछ तो बांकी ही रहसी ।
- गंडक कै भरोसै गाडो कोनी चालै।
- गंडक नारेल को के करै?
- गंडक नै देख कर गंडक रोवै।
- गंडकड़ो तो लूह लूह मरगो, धणी कै भांवै ही कोनी।
- गई आबरु पाछी कोनी आवै।
- गई चीज को के पिस्तावो?
- गई तिथ बामण ही को बांचै ना।
- गई बहू गयो काम, आई बहू आयो काम | '['हिंदी – किसी के भरोसे काम नहीँ रुक सकता।
- गई बात नै घोड़ा भी कोनी नावड़ै।
- गई बात नै जाण दे, हुई बात नै सीख।
- गई भू गयो काम, आयी भू आयो काम।
- गई ही छाय ल्यावण नै, दुहारी भी दे आई।
- गटमण गटमण माला फेरै, ऐ ही काम सिधां का। दीखत का बाबाजी दीखै, नीचै खोज गधां का।
- गड़गड़ हंसै कुम्हार की, माली का चर रया बुंट। तू मत हंसै कुम्हार की, किस कड़ बैठे ऊँट।
- गढ़ बैरी अर केहरी, सगो जंवाई जी। इतणा तो अलग भला, जब सुख पावै जी।
- गढां कै गढ ही जाया।
- गणगोर रूसै तो आपको सुहाग राखै।
- गणगोर्यां नै ही घोड़ी न दौड़े तो कद दोडै? हिंदी – मौके को चूकना।
- गधा ने घी दियो तो कै आंख फोड़ै है।
- गधा नै घी कुण दे?
- गधा नै नुहायां घोड़ो थोड़ो ई हो ज्याय।
- गधेड़ी चावल ल्यावै तो बा थोड़ी ही खाय।
- गधेड़ै कै जेओठ में धूदी चढ़ै।
- गधेड़ै को मांस तो खार घाल्यां ही सीजै।
- गधेड़ो ई मुलक जीत ले तो घोड़ नै कुण पूछै?
- गधेड़ो कुरड़ी पर रंजै।
- गधै में ज्ञान नहीं, मूसल कै म्यान नहीं।
- गधो घोड़ो एक भाव।
- गधो मिसरी को कै करै?
- गम बड़ी चीज है।
- गया कनागत आई देवी बामण जीमै खीर जलेबी।
- गया कनागत टूटी आस, बामण रोवै चूल्है पास।
- गरज दीवानी गूजरी नूंत जिमावै खीर, गरज मिटी गूजरी नटी, छाछ नही रे बीर ।
- गरज सरी अर वैद बैरी ।
- गरजवान की अक्कल जाय, वरदवान की सिक्कल जाय।
- गरजै जिसोक बरसै कोनी!
- गरीब की लुगाई, जगत की भोजाई।
- गरीब की हाय बुरी।
- गरीब को बेली राम।
- गरीब री हाय, जड़ामूल सूं जाय ।
- गरीबदास की तो हवा-हवा है।
- गले अमल गुल री हुवै गारी, रवि सिस रे दोली कुंडारी। सुरपत धनक करै विध सारी (तो) एरापत मघवा असवारी॥
- गहण लाग्यो कोन्या मंगता पैलाई फिरगा।
- गहणो चांदी को अर नखरो बांदी को।
- गाँवहाला कूटै तो माईतां कनै जावै, माईत कूटै तो कठै जावै ।
- गांठ को जाय अर लोक हंसाई होय।
- गांधी बेटा टोटा खाय, डेढ़ा दूणा कठे न जाय।
- गांव करै सो गैली करै।
- गांव की नैपे खेड़ा ही कहदी है।
- गांव को ठाकर केरड़ी मार दी, पण म्हे क्यूं कहां?
- गांव गयो, सूत्यो जागै।
- गांव गांव खेजड़ी अर गांव गांव गूगो।
- गांव बलै डूम त्युंवारी मांगै।
- गांव बसायो बाणियो, पार पड़ै जद जाणियो।
- गांव में घर ना, रोडी में खेत ना।
- गांव में पड्यो भजांड़ो, के करैगो सामी तारो।
- गांव हुवै जठे ढेढवाड़ो ही हुवै।
- गाछ गैल बेल बधै।
- गाजर की पूंगी बाजी तो बाजी नहीं तोड़ खाई।
- गाजै जिको बरसै कोनी।
- गाडा को फाचरो अर लुगाई को चाचरो, कुट्योडो ही चोखो।
- गाडा टलै हाडा नही टलै।
- गाडा नै देख कर पाडा का पग सूजगा।
- गाडा नै देखकै पाडा का पग सूजगा | हिंदी – संकट के समय डर जाना।
- गाडा में छाजला को के भार?
- गाडिये लुहार को कुण सो गांव?
- गाडी उलट्यां पछै विनायक मनायां के होय?
- गाडी को पहियो अर आदमी की जीभ तो चालती ही चोखी।
- गाडी सै अर लाडी सै बच कर रैणूं।
- गाडै लीक सौ गाडी लीक।
- गादड़ मारी पालखी, में धडूक्यां हालसी।
- गादड़ै की तावलां सै बेर थोड़ाई पाकै।
- गादड़ै की मार्योडी सिकार नार थोड़ा ई खाय।
- गादड़ै की मोत आवै जणा गांव कानी भागै।
- गादड़ै कै मूंडै न्याय।
- गाय अर कन्या ने जिन्नै हांकदे, उन्नै ही चाल पड़ै।
- गाय की बाछी नींद आवै आछी।
- गाय की भैंस के लागी?
- गाय ल्याये न्याणै की, भू ल्याये घरियाणै की।
- गायां भायां बामणां, भाग्यां ही भला।
- गायां में कुण गयो, गोदो, कह मार दे बिलोवणो मोदो।
- गारड बिना झैर कोनी उतरै।
- गारै में पग, गिदरां पर बैठबा दे।
- गाल्यां सै गूमड़ा कोनी होय।
- गावणू अर रोवणू सैने आवै है।
- गिरगिट रंग-बिरंग हो, मक्खी चटके देह। मकड़ियां चह-चह करे, जब अठ जोर मेह॥ हिंदी – गिरगिट बार-बार रंग बदलता हो, मक्खी शरीर पर चिपके तथा मकड़ी आवाज करे तो वर्षा होने का अनुमान लगाया जाता है।
- गीत में गाण जोगो ना, रोज में रोवण जोगो ना।
- गीवूं ल्यावै तो गधी अर खाय अमीर।
- गुड़ की डली दे दे नहीं बाणिये की बेटी बण ज्याऊंगी।
- गुड़ कोनी गुलगुला करती, ल्याती तेल उधारो, परींडा में पाणी कोनी, बलीतो कोनी न्यारो। कड़ायो तो मांग कर ल्याती पण आटा को दुख न्यारो।
- गुड़ खाय गुडियानी को पछ करै।
- गुड़ गीलो हो तो मांखी कदेस की चाट ज्याती।
- गुड़ डलियां, घी आंगलियां।
- गुड़ तो अंधरै में बी मीठो।
- गुड़ देता मरै बिनै झैर क्यूं देणूं | हिंदी – यदि मीठे वचन से काम निकलता हो तो कठोर वचन क्योँ बोला जाये।
- गुड़ बिना किसी चोथ?
- गुड़ा घालै जितणो ही मीठो।
- गुड़ै गुवाड़ै, फोज पापड़ै आवै।
- गुण गैल पूजा | हिंदी – गुणवान की प्रतिष्ठा।
- गुर-गुर विद्या, सिर-सिर बुद्धि।
- गुरु की चोट विद्या की पोट ।
- गुरु सै चेलो आगला।
- गुरू चेलो लालची, दोनूं खेलै दाव। दोनूं कदेक डूबसी, बैठ पत्थर की नाव।
- गुलगुला भावै पण तेल कठे सूं आवै।
- गुवाड़ को जायो की नै बाबो कै।
- गूंगा तेरी सैन में समझौ कुल में दोय। के गूंगा की मावड़ी के गूंगा की जोय॥
- गूंगी अर गीता गावै।
- गूंगो बड़ो क राम, कै बड़ो तो है सो है ही पण सांपा से कुण बैर करै।
- गूजर उठे ही गुजरात।
- गूजर किसकी पालती, किसका मित्र कलाल?
- गूजर सै ऊजड़ भली।
- गेरदी लोई तो के करैगो कोई | हिंदी – निर्लज्ज होने पर कोई कुछ नहीँ कर सकता।
- गैब को धन ऐब में जाय।
- गैली रांड का गैला पूत | हिंदी – पागल स्त्री की पागल सन्तान।
- गैली सारां पैली | हिंदी – अकर्मण्य हर जगह टांग अड़ाता है।
- गैलो भलो न कोस को, बेटी भली न एक। मांगत भली न बाप की, साहेब राखै टेक॥
- गोकुल सै मथरा न्यारी।
- गोद को छोरो, राखणूं दोरो।
- गोद लडायो गीगलो, चढ्यो कचेड्या जाट। पीर लड़ आई पदमणी, तीन्यू ही बारा बाट॥ हिंदी – अधिक प्यार मेँ पला हुआ लड़का, कचहरियोँ मेँ मुकदमेबाजी मेँ उलझा रहने वाला जाट तथा लड़कर पीहर गई स्त्री, ये तीनोँ बर्बाद हो जाते हैँ।
- गोदी कां नै गेर कर पेट कां की आस करै।
- गोदी मैं छोरो गळी मैं हेरो ।
- गोबर को घड़ो, काठ की तलवार।
- गोबर में तो घींघला ही पड़ै।
- गोरी में गुण होगो तो ढोलो आपै ही आ मिलैगौ।
- गोला किसका गुण करै, ओगणगारा आप, माता जिण की खाबली, सोला जिण का बाप।
- गोलै के सिर ठोलो।
- गोलो अर मूंज पराये बल आंवसै |हिंदी – जिस प्रकार मूँज पानी का बल पाकर ऐँठती है उसी प्रकार दास अपने स्वामी के बल पर अकड़ता है।
- गोलो र मूंज पराये बल आंवसै।
- गोह चाली गूगै नै, सांडो बोल्यो-मेरी भी जात है।
- गौले को गुर जूत।
- ग्यारस को कडदो बारस नै ग्रहण को दान, गंगा को असमान।
- ग्रह बिन घात नहीं, भेद बिन चोरी नहीं।
- घटतोला मिठ बोला।
- घड़ी को ठिकाणूं कोनी अर नाम अमरचन्द।
- घड़ै कुम्हार, भरै संसार।
- घड़ै गैल ठीकरी, मा गैल डीकरी।
- घड़ै सुनार, पैरे नार।
- घड़ै ही गडुओ, होगी भेर।
- घड़ो फूट कर गिरगण ही हाथ आवै।
- घण जाया घण ओलमा, घण जाये घण हाण |हिंदी– अधिक सन्तान होने से अधिक उपालम्भ मिलते हैँ तथा गालियां भी सुननी पड़ती हैँ।
- घण जायां घण नास |हिंदी– अधिक सन्तान कुटुम्ब की एकता का नाश कर देती हैँ।
- घण जीते, सूरमों हारै।
- घण बूंठा कण हाण।
- घणै मीठा मैँ कीड़ा पड़ै | हिंदी– अत्यधिक प्रेम से खरास पड़ती है।
- घणा जायां घण ओलमा, घणा जायं घण हाण।
- घणा हेत टूटण का, बड़ा नैण फूटण का।
- घणी तीन-पांच आछी कोन्या।
- घणी दाई घणा पेट फाड़ै।
- घणी सराही खीचड़ी दांतां कै चिपै।
- घणी सुधी छिपकली चुग चुग जिनावर खाय । हिंदी– अधिक सीधा या चतुर व्यक्ति कभी–कभी अधिक खतरनाक होता है।
- घणूं खाय ज्यूं घणूं मरै।
- घणूं बल करया घूंडो पड़ै | हिंदी– खीँचातान से वैमनस्य बढ़ता है।
- घणूं बल भर्यां घूंडी पड़ै।
- घणूं सियाणो कागलो दे गोबर में चांच।
- घणों सयाणों कागलो हुवै जको गू मे चांच दे ।
- घर आयो पावणो रोवतड़ी हँस।
- घर का टाबर काणा भी सोवणा।
- घर का टाबर खीर खा, देवता भलो मानै।
- घर का पूत कुंवारा डोलै, पाडोसी का नो नो फेरा।
- घर की आदी ई भली।
- घर की खांड किरकिरी लागै, गुड़ चोरी को मीठो।
- घर की खाय, सदा सुख पाय।
- घर की छीज लोक की हांसी।
- घर की डाकन घर का नै ही खाय ।
- घर को जोगी जोगणूं आन गांव को सिद्ध।
- घर को देव अर घर का पूजारा।
- घर गयां की छांग उसी का केरड़ा, बेटां री बोताज क नैड़ा खेतड़ा।
- घर गैल पावणूं या पावणा गैल घर।
- घर जाए का दिन गिणूँ क दांत।
- घर तो घोस्यां का बी बलसी, पण सुख ऊंदरा भी कोनी पावै।
- घर तो नागर बेल पड़ी, पड़ौसन को खोसै फूस | हिंदी– व्यक्ति के पास सब कुछ होते हुए भी वह दूसरे के माल पर नजर रखता है।
- घर नै खोवाई साळो ।
- घर नै खोवै सालो, भीँत नै खोवै आलो।
- घर बळतो कोनी दीखै, डूंगर बळतो दीखै
- घर ब्याह, भू पीपलां।
- घर में अंधेरो तिलां की सी रास।
- घर में आई जोय, टेडी पगड़ी सीधी होय।
- घर में कसालो, ओढ़ै दुसालो।
- घर में कोन्या तेल न ताई, रांड मरै गुलगुलां तांई।
- घर में घीणा होय क हुडी चोलणा, एता दे करतार फेर नह बोलणा।
- घर में नाही अखत को बीज, रांड पूजै आखा तीज।
- घर में सालो, दीवाल में आलो, आज नहीं तो काल दिवालो।
- घर मैँ कोन्या तेल न ताई, रांड मरै गुलगुला तांई | हिंदी– घर मेँ तेल भी नहीँ है तथा रांड गुलगुले खाने के लिए लालायित है।
- घर मोटो टोटो घणूं, मोटो पिव को नांव ऐं कारण धण दुबली, म्हारो रसता ऊपर गांव।
- घर रोक्यो सालां, भींत रोकी आलां।
- घर वासे ही रांड अर गोद की बेटी गिरलाई न्ह्याल करै।
- घर सै उठ बनै में गया अर वन में लागी लाय।
- घर सै बेटी नीसरी, भांवै जम ल्यो भांवै जंवाई ल्यो।
- घरकां नै मारणूं, चोरां नै धारणूं।
- घर-घर माटी का चूल्हा | हिंदी– सभी की एक सी स्थिति।
- घर-बार थारा, पण ताला कूंची म्हारा।
- घरै घाणी, तेली लूखो क्यूं खावै?
- घाघरी को साख नजीक को हो ज्याय।
- घायल गत घूमैह, रै भूमी मारवाड़ री। राळो रुं रुं मेह, साहित इमरत सूरमों॥
- घिरत ढुल्यो मूंगा कै मांय।
- घी खाणूं तो पगड़ी राख कर खाणूं।
- घी घाल्योड़ो तो अंधेरा में बी छान्यूं कोन्या रैवै।
- घी जाट को, तेल हाट को।
- घी सक्कर, अरू दूध क ऊपर पप्पड़ा, सात भयां कै बीच सवाया कप्पड़ा।
- घी सुधारै खीचड़ी नाम बहू को होय।
- घी सुधारै खीचड़ी, और बड्डी बहू का नाम ।
- घुरी में गादड़ो ई सेर।
- घूंघटा सै सती नहीँ, मुंडाया जती नहीँ | हिंदी– स्त्री घूंघट निकालने से सती नहीँ होती तथा पुरुष सिर मुंडा लेने मात्र से संन्यासी नहीँ हो जाता।
- घूंस चालती तो बाणियो धरमराज नै भी घूंस दे देतो।
- घूमटा सैं सती नहीं, मुंडाया सै जती नहीं।
- घूमर हाली कै बिछिया चाये।
- घैरगडी सासू छोटी भू बडी ।
- घोड़तां कै ब्या में गादड़ा ही गीत गावै।
- घोड़ा तो ठाण बिकै।
- घोड़ै के अवसार को अर बूडली माई को साथ?
- घोड़ै कै नाल जड़तां गधेड़ो ही पग उठावै।
- घोड़ै को लात सूं घोड़ो थोडी ही मरै।
- घोड़ो घास सैं यारी करै तो खाय के?
- घोड़ो चाये निकासी नै, बावड़तो सो आए।
- घोड़ो तो ठाण बिकै | हिंदी– गुणी की कीमत उसके स्थान पर ही होती है।
- घोड़ो दौड़े दौडे, कुण जाणै।
- घोड़ो मर्द मकोड़ो, पकड्यां छोड़ै थोड़ो।
- चाली जैसो तिकूं रा बोलणा, एता दे करतार फेर न बोलण।
- बतलाया बोले नहीं अर बोलै तो डबको॥
- म्हरै सैं थारै गई जैंका काडूं खोज। थारै सैं बी जायगी मत गरबावै भोज॥
च-झ
- चक्कू खरबूजै पर पड़ै तो खरबूजै को नास, खरबूजो चक्कू पर पड़ै तो खरबूजै को नास।
- चडती जवानी हर भर्योडी आंट कितना औगण कोनी करै?
- चढसी जिका नै गिर्यां सरसी।
- चढ्योड़ो जाट तूम्बो ई चबा जावै ।
- चणा चाब कहै, म्हे चावण खाया, नहीं छान पर फूस, म्हे हेली से आया।
- चणा जठे दांत ना अर दांत जठे चणा ना।
- चणूं उछल कर किसो भाड़ नै फोड़ गेरसी?
- चतर नै चोगणी, मूरख नै सोगणी।
- चमारी अर रावलै जा आयी।
- चलती को नांव गाडी है।
- चांच देई जठे चुग्गो भी त्यार है।
- चांद को गण गंडक नै भार्यो।
- चांद सूरज कै भी कलंक लागै।
- चांदी देख्या चेतना, मुख देख्या त्यौहार | हिंदी– चाँदी के सामने होने पर चेतना तथा व्यक्ति के आमने–सामने होने पर व्यवहार किया जाता है।
- चाए जिता पालो, पाँख उगता ईँ उड़ ज्यासी | हिंदी– पक्षी के बच्चे को कितने ही लाड़–प्यार से रखो, वह पंख लगते ही उड़ जाता है।
- चाए जिता पालो, पांख उगतां ही उड़ ज्यासी।
- चाकरी सै सूं आकरी | हिंदी– नौकरी सबसे कठिन है।'['
- चाकी में पड़ कर सापतो कोनी नीसरै।
- चान आगै लूंगत कतीक बार छिपै।
- चाम को के प्यारो, काम प्यारो है।
- चालणी को चाम, घोडै की लगाम, संजोगी को जाम, कदे न आवै काम।
- चालणी मैँ दूध दुवै, करमां नै दोस देवै | हिंदी– खुद मेँ अच्छे लक्षण नहीँ होने पर व्यर्थ ही भाग्य को कोसना।
- चाली पिरवा पून मतीरी पीली।
- चावलां की भग्गर को के हुवै, बाजरै की को तो सोक्यूं हो।
- चावलां को खाणो, फलसै ताईँ जाणो | हिंदी– चावल खाने वाले मेँ शक्ति नहीँ होती, वह केवल दरवाजे तक जा सकता है।
- चिड़पिड़ै सुहाग सूं रंडापो ही चोखो।
- चिड़ा-चिड़ी की के लड़ाई, चाल चिड़ा मैँ आई | हिंदी– चिड़िया व चिड़े की कैसी लड़ाई अर्थात् पति-पत्नी के बीच का मनमुटाव क्षणिक होता है।
- चिड़ी की चांच में सो मण को लकड़ो।
- चिड़ी जो न्हावै धूल मैँ, हा आवण हार। जल मैँ न्हावै चिड़कली, मेह विदातिण बार॥ हिंदी– चिड़िया के धूल मेँ नहाने पर वर्षा की सम्भावना होती है तथा पानी मेँ नहाने पर वर्षा काल समाप्ति की सम्भावना होती है।
- चित्रा दीपक चेतवे, स्वाते गोबरधन। डक कहे हे भड्ड़ली अथग नीपजै अन्न॥
- चींचड़ी र खाज।
- चीकणी चोटी का सै लगवाल | हिंदी– धनवान से कुछ प्राप्त करने की सभी की इच्छा होती है।
- चीकणै घड़े पर बूँद न लागै, जे लागै तो चीठौ | हिंदी– चिकने घड़े पर पानी नहीँ ठहरता पर मैल जम जाता है।
- चीकणै घड़ै पर पानी की बूंद को ठहरै ना।
- चील को मांस तो चुटक्यां में ही जासी।
- चुस्सी को सिकार और ग्यारा तोप।
- चूंटी चून घड़ा दस पाणी का।
- चूंटी टूंटी को भी लंक लागै है क्यूं कै नित बड़ी है।
- चून को लोभी बातां सूं कद मानै | हिंदी– आटे का लोभी बातोँ से कैसे मान सकता है।
- चूनड़ ओढ़ै गांठ की, नांव पीर को होय।
- चूसै का जाया तो बिल ई खोदैगा।
- चूसै के बिल में ऊंट कैयां समावै।
- चेला ल्यावै मांग कर, बैठा खावै महन्त। राम भजन को नांव है, पेट भरण को पन्थ॥
- चैत चिड़पडो सावण खरखड़ा।
- चैत पीछलै पाख, नो दिन तो बरसन्तो राख।
- चैत मसा उजाले पख, नव दिन बीज लुकोई रख। आठम नम नीरत कर जोय, जां बरसे जां दुरभख होय।
- चैत महिने बीज लुकोवे धुर बैंसाखां केसू धोवै।
- चैत मास नै पख अंधियारा, आठम चवदस हो दिन सारा।
- चोखो करगो, नाम धरगो | हिंदी– अच्छा करने वाले की ख्याति रहती है।
- चोटी काट्यां चेलो कोनो होय।
- चोटी राख कर घी खाणूं।
- चोपड़ी अर दो दो।
- चोपदरां कै सैं कुण परोसो ले?
- चोर की जड़ चोर ही दाबै।
- चोर की मा घड़ै में मुंह देकर रोवै।
- चोर की मां रो बी कोनी सकै।
- चोर कै छाती है, पण पग कोनी।
- चोर कै बागली ही कोनी।
- चोर चोरी करै पण घरां सांची बतावै ।
- चोर चोरी सै गयो, जूती बदलण सै थोड़ो ई गयो।
- चोर नै के मारे, चोर की मां नै मारे।
- चोर पेई लेगो, ले जाओ ताली तो मेर कन्नै है।
- चोरी अर सीना जोरी।
- चोरी को धन मोरी में जाय।
- चोरी चोरी करे पण घर आव ने ता साच बोले है।
- चोरी जैड़ो रुजगार नीं, जे पड़ती व्है मार नीं ।
- चौमासे को गोबर लीपण को, न थापण को।
- च्यार कूंट सै मथुरा न्यारी है।
- च्यार चोर चोरासी बाणिया, के करै बापड़ा एकला बणिया।
- च्यार चोर चौरासी बाणिया, बाणिया बापड़ा के करँ ।
- च्यार दिनां री चानणी, फेर अँधेरी रात | हिंदी– सुख का समय कम रहता है।
- च्यार पाव चून चौबारे रसोई
- छड़ी पड़ै छमाछम, विद्या आवै धमाधम।
- छदाम को छाजलो, छै टका गंठाई का।
- छन में छाज उड़ावै, पल मैं करै निहाल।
- छाज तो बोलै से बोलै पण चालणी भी बोलै जिकै ठोतरसो बेज | हिंदी– निर्दोष दूसरोँ को सीख देने का अधिकार रखता है पर दोषी किसी को क्या सीख देगा?
- छींक खाये, छींकत पीये, छींकत रहिये सोय। छींकत पर घर कदे न जाये, आछी कदे न होय॥
- छुट्येडा तीर पाछा कोनी आवै।
- छेली दूद तो देवै पण देवै मींगणी करकै।
- छोटी–छोटी कामणी सगळी विष की बेल | हिंदी– कामिनियाँ जहर की बेल के समान हैँ।
- छोटो उतणूं ही खोटो।
- छोडा छोलणं बूंट उपाड़न, थपथपियो, ओ नाई एता चेला न करो, गरुजी काम न आवै कांई।
- छोड़ो ईस, बैठो बीस।
- छोरा! तेरी पेट तो बांको, कहै, ढाई सेर राबड़ी तो ऐं ही में उलझाल्यूं।
- छोरा! पेट क्यूं टूटगो? कै मांटी खाऊं हूं।
- छोरा, बार मत जाजै, बीजली मार देगी, कह- ऐ जाटां हाला ना खेलै है, कह, ऐ तो बीजली का मार्योड़ो ही है।
- छोरी ऐं गांव में चौधर कैं कै, कह, भई पहल काणैं तो म्हारै खेत निपज्यो हो सो चौधर म्हारे थी। इबकै बाजरी मेरै काका कै हो गई सो चौधर ऊंकै चली गई।
- छोरो बगल में, ढूंढै जंगल में।
- छोर्यां सै ही घर बस ज्याय तो बाबो बूडली क्यूं ल्यावै?
- जंगल जाट न छोड़िये,हाटां बीच किराड़। रांगड़ कदे न छोड़िये,ये हरदम करे बिगाड़।।
- जगत की चोर, रोकड़ को रुखालो।
- जट खोस्यां किसा ऊंट मरै है?
- जटा बधे बडरी जब जांणा, बादल तीतर-पंख बखाणां, अवस नील रंग व्है असमाणां, घण बरसे जल रो घमसाणां।
- जठे देखै तवा परात, उठे नाचै सारी रात।
- जठे पड़ै मूसल, उठै ही खेम कूसल।
- जद कद दिल्ली तंवरां।
- जननी जल्मे तो दोय जण, के दाता के सूर, नातर रहजे बांझड़ी, मती गंवावे नूर।
- जब लग तेरे पुण्य को, बीत्यो नही करार। तब लग मेरी माफ है, औगण करो हजार।
- जबान मैँ रस, जबान मैँ विष | हिंदी– बोली मेँ ही रस होता है तथा बोली मेँ ही जहर भी घुला रहता है अर्थात् बोली ही महत्त्वपूर्ण है।
- जमी जोरू जोर की, जोर हट्यां और की।
- जमींदार कै बावन हाथ हुवै।
- जमीन ऍर जोरु जोर की नहीं तो कोई और की।
- जमीन को सोवणियो अर झूठ को बोलणियो संकड़ेलो क्यूं भूगतै?
- जयो चींचड़ी, दायमू, खटमल, माछर जूं, अकल गई करतार की, अता बणाया क्यूं।
- जल का जामा पहर कर, हर का मंदर देख।
- जल को डूब्यो तिर कै निकलै, तिरिया डूब्यो बह जाय | हिंदी– पानी मेँ डूबा हुआ तैर कर बाहर आ सकता है परन्तु पर स्त्री आसक्त अवश्य डूबता है।
- जलम अकारथ ही गयो गोरी गले न लग्ग।
- जलम को आंधो नाम नैणसुख।
- जलम को दुख्यारो, नांव सदासुखराय।
- जलम घड़ी अर मरण घड़ी टाली कोनी टलै।
- जलम रात अर फेरा टाली कोनी टलै।
- जळ ऊँड़ा थळ उजळा नारि नवळे वेश। पुरुष पट्टाधर निपजे आई मरुधर देश॥ हिंदी - गहरे पानी और गहरी सोच वाले यहां के पटादर पुरुष सिर्फ इंसानों से ही नहीं मरुभूमि की उपज से भी प्यार करते हैँ|
- जसा देव, बसा ई पूजारा।
- जसा बोलै डोकरा, बसा बोलै छोकरा।
- जसा साजन, उसा भोजन।
- जसो राजा, बसी ही परजा।
- जहर खायगो सो मरैगो।
- जहर नै जहर मारै।
- जां का मरग्या बादस्याह, रुलता फिरै वजीर।
- जांट चढै जको सीरणी बांटै।
- जांटी चढे जको सीरणी बाँट | हिंदी - जो समी के पेड़ पर चढ़ता है, वही खतरे के निवारण हेतू देवता का प्रसाद बोलता है ।
- जांन में कुण-कुण आया? कै बीन अर बीन रो भाई, खोड़ियो ऊंट अर कांणियो नाई।
- जाओ लाख रैवो साख, गई साख तो बची राख ।
- जागता की भैंस पाडी ल्यावै ।
- जागता नै पगाथ्यां गेरै ।
- जागै सो पावै, सोवै जो खोवै।
- जाट ओर जाट भाई॥
- जाट और घोयरा तावडॆ मॆ ही निकला करे।
- जाट करै ना दोस्ती, जाट करै ना प्यार जो साचा इंसान हो, वो-ए इसका यार । चुगलखोर और दुतेड़े दुश्मन इनके खास चाहे पायां पड़े रहो, कोन्यां आवैं रास ||
- जाट कहे सुण जाटणी, इसी ना कदे होय । चाकी पीसे ठाकरां, भांडा मांजै जोय ।।
- जाट कहै सुण जाटणी इणी गांव में रैणो। ऊंट बिलाई ले गई हांजी हांजी कहणों।
- जाट की छोरी र' फलकै बिना दोरी ।
- जाट की बेटी और काकोजी की सूं | हिंदी - छोटा भी जब ज्यादा नजाकत दिखाने लगता है तब प्रयोग किया जाता है ।
- जाट कै बुद्धि गेल न हुवै ।
- जाट को के जजमान, राबडी को के पकवान ।
- जाट गंगाजी नहा आयो के ? कह, खुदाई कुण है ।
- जाट जंगल मत छेड़िये, हाट्यां बीच किराड़। रंघड़ कदे न छेड़िये, जद द करै बिगाड़।
- जाट जंवाई भाणजा, रैबारी सुनार । कदे न होसी आपणा, कर देखो व्योहार ।।
- जाट जंवाई भाणजो, रेवारी सुनार । ऐता नहीं है आपणा, कर देखो उपकार ।।
- जाट जठे ठाठ बठे।
- जाट जठे ठाठ।
- जाट जडूलै मारिये, कागलिये ने आळै । मोठ बगर में पाडि़ये, चोदू हो सो बाळै | हिंदी - जाट जब तक वयस्क नहीं हो जाता, कौवा जब तक उड़ना नहीं सीख लेता तब तक ही ये वश में आते हैं । मोठों पर जब तक बगर आया रहता है तब तक ही उपाड़ना ठीक है ।
- जाट जाट तेरो पेट बांको, कह, मैं ई मैं दो रोटी अलजा ल्यूंगो ।
- जाट जाट तेरो पेट बांको, कह, मैं ऐ मैं ई दो रोटी राबड़ी अलजा ल्यूंगो।
- जाट डूबै धोळी धार, बानियों डूबै काळी धार ।
- जाट न जायो गुण करै, चणैं न मानी बाह, चन्नण बिड़ो कटायकी, अब क्यों रोव बराह ।
- जाट पहाडा: एक जाट-जाट, दो जाट-मौज, तीन जाट-कंपनी, चार जाट-फौज |
- जाट बलवान जय भगवान ।
- जाट मरा जब जानिये जब चालिसा होय ।
- जाट रे जाट ! तेरे सिर पर खाट, कह, मियाँ रे मियाँ ! तेरे सिर पर कोल्हू, कह, तुक तो मिली ना, कह, बोझ्याँ तो मरैगा ।
- जाटणी की छोरी र भलकै बिना दोरी।
- जाण न पिछाण मैं लाडा की भुवा।
- जाण मारै बाणियूं, पिछाण मारै चोर।
- जातरी धाणकी र कैवे भींट्योडो को खावूं नी।
- जातै चोर का झींटा ही चोखा।
- जायां पहलां न्हाण किसो?
- जावण लाग्या दूद जमै।
- जावो कलकत्तै सूं आगै, करम छाँवली सागै | हिंदी– भाग्य व्यक्ति के साथ रहता है।
- जावो भांव जमी के ओड़, यो ई माथो यो ई खोड़।
- जावो लाख रहो साख।
- जिकै गांव नहीं जांणू, ऊंको गैलोही क्यूं पूछणूं?
- जिण का पड्या सुभाव क जासी जीव सूं। नीम न मीठो होय, सींचो गुड़ र घींव सूं।
- जिण दिस बादलण जिण दिस मेह, जिण दिस निरमल जिण दिस खेह।
- जितणा मूंडा, उतणी बात।
- जितणै की ताल कोनी, उतणै का मजीरा फूटगा।
- जिसी करणी, उसी भरणी।
- जी को चून, ऊंको पुन्न।
- जी को बाप बीजली सै मरै, बो कड़कै सैं डरै।
- जी जोड़ै सो तौड़ै।
- जी नै देख्यां ताप आवै, बो ही निगोड़्यो ब्यावण आवै।
- जी हांडी में खाय, बी में ही छेद करै।
- जीँ की खाई बाजरी, ऊं की भरी हाजरी | हिंदी– व्यक्ति जिसका दिया खाता है उसी की खुशामद भी करनी पड़ती है।
- जीं हांडी में सीर नई, बा चडती ई फूटै।
- जींकै घर में दूजै गाय, सो क्यूं छाछ पराई जाय?
- जीभड़ली मेरी आलपताल कडकोला खा मेरो लाड़लो कपाल।
- जीभड़ल्यां इमरत बसै, जीभड़ल्यां विष होय। बोलण सूं ई ठा पड़ै, कागा-कोयल दोय।।
- जीमण अर झगड़ौ, पराये घरां आछो लागै ।
- जीमणों सोरो जीमाणो दोरौ ।
- जीम्या जिनै जीमांणा ई पडे ।
- जीम्यां छोडै पांवणौ, मरयाँ छोडै ब्याज ।
- जीम्यां पाछै चलू होय है।
- जीम्यांर पातल फाड़ी।
- जीव को जीव लागू।
- जीवडल्यां घर उजड़ै, जीवडल्यां घर होय | हिंदी– बुरी वाणी से घर उजड़ जाते हैँ तथा अच्छी वाणी से घर बस जाते हैँ।
- जीवतड़ा नहीं दान, मर्यांने पकवान।
- जीवतां लाख का, मर्यां सवा लाख का।
- जीवती माखी कोन्या गिटी जावै | हिंदी– जानते हुए बुरा काम नहीँ किया जा सकता।
- जीवैगा नर तो करैगा घर।
- जीवो बात को कहणियुं जीवो हुंकारा दीणियुं।
- जुग देख र जीणूं है | हिंदी– समय के अनुसार कार्य करना चाहिए।
- जुग फाट्याँ स्यार मरै | हिंदी– संगठन टूटने से हानि है।
- जुगत जाणनुं हांसी खेल कोनी।
- जूती चालैगी कतीक, कह, बीमारी जाणिये।
- जे टूट्यां तो टोडा।
- जेठ गल्यो गूजर पल्यो।
- जेठ जी की पोल में जेठ जी ही पोढ़ै।
- जेठ बदी दशमी, जे शनिवार होय। कण ई होय न धरण मैँ, बिरला जीवै कोय॥ हिंदी– जेठ कृष्णा दशमी शनिवार को पड़ने पर वर्षा नहीँ होती।
- जेठ बीती पहली पड़वा, जो अम्बर धरहड़ै। आसाढ सावण काड कोरो, भादरवै बिरखा करै।
- जेठ मूंगा सदा सूंगा।
- जेठा अन्त बिगाड़िया, पूनम नै पड़वा।
- जेठा बेटा अर जेठा बाजरा राम दे तो पावै | हिंदी– ज्येष्ठ पुत्र तथा ज्येष्ठ माह मेँ बढ़ा हुआ बाजर भाग्य से ही प्राप्त होते हैँ।
- जेठा बेटा भाई बराबर।
- जेठा बेटा र बेठा बाजरा राम दे तो पावै।
- जेबां घाल्या हाथ जणा ही जाणिया, रुठ्योडो भूपाल क टूठ्या बाणियां।
- जेर सैँ ई सेर हुया करै है | हिंदी– बच्चोँ की उपेक्षा न करेँ क्योँकि वे भविष्य मेँ बलवान हो जाते हैँ।
- जेवड़ी बलज्या पण बल कोनी जाय।
- जै की चाबै घूघरी, बैंका गावै गीत।
- जै तूं गेरैगो तोड़-मरोड़, मैं निकलूं गी कोठी फोड़।
- जै धन दीखै जावतो, आधो दीजै बांट।
- जै बाण्या तेरे पड़ गया टोटो, बड़जया घी का कोटा में, खीर खांड का भोजन करले, यो भी टोटा टोटा में।
- जै भीज्यो ना काकड़ो तो क्यां फेरै हाली लाकड़ो?
- जै रिण तारे बाप को तो साडा मूंग बुहाय।
- जैं करी सरम, बैंका फूट्या करम ।
- जैं की टाट, जैं की ही मोगरी।
- जैतलदे बिना किसो रातीजुगो।
- जैसा कंता घर भला, वैसा भला विदेश।
- जो गुड़ सैं मरै बी'नै जहर की के जरुरत।
- जोजरै घड़ै ही जोरी अवाज।
- ज्यादा लाड सै टाबर बिगड़ै।
- ज्यादा स्याणु कागलो गू मैं चांच दे ।
- ज्यूं-ज्यूं बड़ो हुवै ज्यूं-ज्यूं पत्थर पड़ै है।
- ज्वर जाचक अर पावणो, चोथे मंगणहार। लंघण तीन कराय दे, कदे न आसी द्वार।
- झखत विद्या, पचत खेती।
- झगड़ै ही झगड़ै तेरो कींणू तो देख।
- झगड़ो अर भेंट बधावै जितनी ई बधै।
- झट काढी पट बाई।
- झलकणै सूं सोनी कोनी होय।
- झूठ की डागलां ताईँ दौड़ | हिंदी– झूठ अधिक दिन नहीँ चलती।
- झूठ बिना झगड़ो नहीं धूल बिना घड़ो नहीं।
- झूठ बोलणियों र धरती पर सोवणियों संकड़ेलो क्यूं भगतै?
- झूठी राख छाणी, ल्हादी न दाजी धांणी।
- झूठै की के पिछाण, कै बो सोगन खाय।
- झैर नै झैर मारै।
ट-ढ
- टका दाई ले गी अर कून्डो फोड़गी ।
- टका लेगी ऊर कूंडो फोड़गी।
- टकै की हांडी फूटी, गंडक की जात पिछाणी । हिंदी– थोड़े से नुकसान से नीच की पहचान होना।
- टकै-टकै न्यूत है।
- टको टूंसी एक न यार, तोरण मारण होग्यो त्यार ।
- टक्को टूंसी एक न यार, तोरण मारण होग्यो त्यार।
- टक्को लाग्यो न पातड़ी, घर में भू दड़कदे आ पड़ी।
- टपकण लागी टापरी, भीजण लागी खाट।
- टांडो क्यूं हो? कै सांड हां। गोबर क्यूं करो? कै गऊ का जाया हां।
- टाटी कै घर नै फेरतां के बार लागै?
- टाबर है पण बड़ा का कान कतरै।
- टाबरां की टोली बुरी, घर में नार बोली बुरी।
- टुकड़ा दे दे बछड़ा पाल्या, सींग हुया जद मारण चाल्या।
- टूट गई डाली, उड़ गया मोर। धी मरी, जंवाई चोर।
- टूटतै आकास कै बलो कोनी लागै।
- टूटी की बूटी कोनी | हिंदी– वृद्धावस्था मेँ जब आयु शेष नहीँ रहती तो दवा भी काम नहीँ करती है।
- टूटी नाड़ बुढापो आयो, टूटी खाट दलिद्दर छायो।
- टोलै मिलकी कांवली, आय थला बैठत। दिन चौथे के पाँचवैँ, जल थल एक करंत॥ हिंदी– जब बड़ी संख्या मेँ चीलेँ एक स्थान पर इकट्ठी हो जायेँ तो वर्षा की सम्भावना होती है।
- ठंडो लौह तातै नै काटै | हिंदी– धैर्यशील व्यक्ति, दूसरे के गुस्से को शांत कर देता है।
- ठगां कै ठग पावणा।
- ठग्यां ठग, ठगायां ठाकर।
- ठठेरै की बिल्ली खुड़कां सै कोनी डरै।
- ठांगर कै हेज घणूं, नापीरी कै तेज घणूं।
- ठाकर आया ए ठुकराणी! चूले आग न पंडै पाणी।
- ठाकर गया अर ठग रह्या मुलक का चोर। बै ठुकराणी मर गई, जणती ठाकर और।
- ठाकर तो कूलै मांड्योड़ो बी बुरो।
- ठाकर री गोळी, गांवरी सिरमोळी ।
- ठाकर व्है वो जाण समज्झै अक्खरां। सीरोही तरवार बहे सिर बक्करां।
- ठाकरण भागो किसाक ? कह, गैल की मार जाणिये ।
- ठाकरां ऊत गई। कह, गयां ही जाय है।
- ठाकरां की टाबर टीकर है? कह, भाई रे साले रे दो डावड़ा है। ठाकरां क्यूं गावो, कह, रोवण में ही कोनी धापां।
- ठाकरां खल खावो हो, कह, आ ही कुत्ता हूं खोसी है।
- ठाकरां गैर बखत कठे, कह, गैर बखत तो म्हे ही हां।
- ठाकरां ठाडा किसाक? कमजोर का तो बैरी ही पड्यां हां।
- ठाकरां धोला आवगा और भागो हो, कह, भाग-भाग तो धोला किया है, नहीं तो कालां में ही मार गेरता।
- ठाकरां भागो किसाक? कह, गैल की मार जाणिये।
- ठाकरां, घोड़ी ठेका तीन देसी। ठाकर यार तो पैली ही ठेकै आसी, दोय तो एकली देसी।
- ठाकरां, पूंचो पतलो दीखै है? कह, लाग्यां बेरो पड़सी।
- ठाकरां, ब्याया क कुवांरा? कह, आधा। आधा क्यूं? म्हे तो त्यार हां, आगलो मिल ज्याय तो पूरा हो ज्यावां।
- ठाकरां, मर्या सुण्या? कह, सांपरत खड्या हां नी।
- ठाडा का दो बांटा।
- ठाडै कै धन को बोजो–बोजो रुखाळो है | हिंदी– शक्तिशाली का धन कोई नहीँ रख सकता।
- ठाडै को ठींगो सिर पर।
- ठाडै को डोको डांग नै फाड़ै ।
- ठाडै हीणै का दोय गैला।
- ठाडो मारै अर रोवण भी कोन्या दे ।
- ठाली ठुकराणी को पेई में हाथ जाय ।
- ठाली बैठी डोकरी, घर में घाल्यो घोड़ो ।
- ठालै बैठ्याँ सूँ बेगार भली ।
- ठिकाणे ठाकुर पूजीजै ।
- ठिकाणै सै ई ठाकर बाजै।
- ठोकर खार हुन्स्यार होय । हिंदी– मनुष्य को ठोकर लगकर ही अक्ल आती है।
- डर तो घणै खाय को है | हिंदी– डर तो अधिक खाने का है।
- डांगर के हेज घणूं, नापैरी के तेज घणूं | हिंदी– दूध न देने वाली गाय बछड़े से अधिक प्रेम करती है, पीहर न होने पर स्त्री अधिक झल्लाती है।
- डाकण अर जरख चढी।
- डाकण बेटा ले क दे?
- डाकणां के ब्यावां में नूतारां का गटका।
- डाकणां सै गांव का नला के छाना है।
- डाडी कै लाग्यां आपके पहलां बुझावै।
- डिगमरां कै गांव में धोबी को के काम?
- डूंगर चढ़तो पांगळो, सीस अणीतो भार ।
- डूंगर तो देखै बा का ही होय है।
- डूंगर बळती दिखै, पगां बळती कोनी दिखै ।
- डूंगरा नै छाया कोनी होय | हिंदी– महापुरुष अपनी मदद स्वयं करते हैँ, यह जनसाधारण के बस की बात नहीँ है।
- डूबतो सिंवाळां न हाथ घालै ।
- डूम गाय-गाय मरै, धणीड़ै कै भांवै ही कोन्या।
- डूमकी जाणै तो बखाणै।
- डूमणी रे रोवण में ही राग।
- डूर्मा आडी डोकरी, बलदां आडी भैंस।
- डेड घड़ा अर डीडवाणु पाऊं।
- डेढ छैल की नगरी में ढाई छैल आयो है, ठग्गैगो, ठगावैगो नहीं।
- डोकरी मुसाण कैंका? आये गये का?
- डोकरी र राज कथा कोय।
- ढक्योड़ो मत उघाड़ और भू घर तेरो ई है ।
- ढबां खेती,ढबां न्याव ।
- ढल्यो घोटी, हुयो माटी ।
- ढांढा मारण, खेत सुकावण, तू क्यूं चाली आधै सावण | हिंदी– आधे सावन के बीत जाने पर मनोरम हवा पशुओँ तथा कृषि के लिए हानिप्रद होती है।
- ढींगा कतरा ही घलाले, पतासो एक घालूं ना।
- ढेढ़ रे साथे धाप'र जीमो भांवै आंगळी भर कर चाखो ।
- ढेढ़ रो पल्लो लगावो, भांवै बाथे पड़ो ।
- ढेढ़ को मन ल्याह्वड़ै में ही ।
- ढेढ नै सुरग में भी बेगार।
- ढेढ रे साथे धाप र जीमो भांवै आंगली भर कर चाखो।
- ढेढ रो पल्लो लगावो, भांवै बाथे पड़ो।
- ढेढणी और रावळै जा आई ।
- ढेढ़ां की दुर्सीस सूं दाव थोड़ा ई मरै ।
- ढोल दमामा दुडबड़ी, बैठे सादर बाज। कहे डोम दिन तीन मेँ, इन्द्र करे आवाज॥ हिंदी– यदि चमड़े से मढ़े ढोल नगाड़े आवाज न करेँ तो शीघ्र वर्षा आने की सम्भावना होती है।
- ढोली गावतो अर टाबर रोवतो चोखो लागै ।
- ढोसी का डूंगर चीकमा होता तो नारनोल का कुत्ता कदेस का चाट ज्याता।
- पातां सामी पांत क पैल परूसणा। एक दे करतार फेर क्या चावणा।
त-न
- घड़ी को सिर हाल दियो, ढीयै को जबान कोनी हलाई।
- घणी की कांच दाबण गई, आ पड़ी आपकी।
- घणी रे घणी म्हारा निघण घणी। तूं बैठ्यां म्हारै चिन्ता घणी।
- तंगी में कुण संगी ? हिंदी– कमी मेँ किसी का सहार नहीँ मिलता।
- तंगी में कुण संगी?
- तड़कै तो ल्यो चकांचक? कह, कैं कै? कह, आ भी सांची है!
- तरवार को घाव भर ज्या, बात को कोनी भरै?
- तरवार को घाव भरज्या बात को कोनी भरै ।
- तलै तो हूँ पर ऊपर टांग मेरी ई है।
- तवै की काची नै, सासरै की भाजी नै कठेई ठोड कोनी।
- तवै की काची नै, सासरै की भाजी नै कठैई ठोड़ कोनी । हिंदी– कच्ची रोटी तथा ससुराल को छोड़कर जाने वाली स्त्री का कोई ठौर–ठिकाना नहीँ रहता है।
- तवै चढ़ै नै धाड़ खाय ।
- तवै चढ़ै नै धाड़ खाय।
- ताण्यां तेरै मांय बास आयै है, कह, मेरी बासो बी कठे है।
- ताण्यूं कुणसी पोसांका में।
- ताता पाणी सैं कसी बाड़ बलै?
- ताता पाणी सैं कसी बाड़ बळै । हिंदी– मात्र क्रोध मेँ किसी को कुछ कहने से उसका कुछ भी नहीँ बिगड़ता है।
- तातो खावै छायाँ सोवै, बैंको बैद पिछोकड़ रोवै ।
- तातो खावै छायां सोवै, बैंको बैद पिछोकड़ रोवै।
- तारा तग-तग करैँ, अम्बर नीला हुन्त। पड़ै पटल पाणी तणी, जद संज्या फुलन्त॥ हिंदी– नीले आसमान मेँ तारे टिमटिमाएं तथा सांझ फूले तो वर्षा आने की प्रबल सम्भावना हो जाती है।
- ताली लाग्यां तालो खुलै | हिंदी– युक्ति से ही कार्य होता है।
- ताली लाग्यां तालो खुलै।
- ताळी लाग्यां ताळो खुलै ।
- तावलो सो बावलो।
- तावळो सो बावळो ।
- तिरिया चरित न जाणे कोय, खसम मार के सत्ती होय ।
- तिरिया चरित न जाणे कोय, खसम मारके सत्ती होय।
- तिल देखो, तिलां की धार देखो।
- तीज त्युंहारां बावड़ी, ले डूबी गणगौर ।
- तीज त्युंहारां बावड़ी, ले डूबी गणगौर।
- तीजां पाछै तीजड़ी, होळी पाछै ढूंढ, फेरां पाछै चुनड़ी, मार खसम कै मूंड ।
- तीजां पीछै तीजड़ी, होली पाछै ढूंढ। फेरां पाछै चुनड़ी, मार खसमकै मूंड।
- तीतर कै मूंडै कुसल है।
- तीतर कै मूंडै कुसळ है ।
- तीतर छोड बणी में दीया, भटजी हो गया नीराला।
- तीतर पंखी बादली, विधवा काजल रेख। बा बरसै बा घर करै, ई में मीन न मेख।
- तीतर पंखी बादली, विधवा काली रेख। या बरसै या वध करै, इसमेँ मीन न मेख॥ हिंदी– तीतर जैसी आकृति के छोटे–छोटे बादल छाने पर निश्चित रूप से वर्षा होती है।
- तीतर पंखी बादळी, विधवा काजळ रेख । बा बरसे बा घर करै, ई में मीन न मेख ।।
- तीन तेरा घर बिखरै ।
- तीन तेरा घर बिखरै।
- तीन बुलांया तेरा आया, भई राम की बाणी। राधो चेतन यूं कहै, द्यो दाल में पाणी।
- तीन बुलाया तेरा आया, भई राम की बाणी । राघो चेतन यूँ कहै, द्यो दाळ में पाणी ।।
- तीन सुहाली, तेरा थाली, बांटण वाली सतर जणी।
- तीन सुहाळी, तेरा थाळी । बांटण वाळी सतर जणी ।।
- तीसरे सूखो आठवैं अकाल।
- तीसरे सूखो आठवैं अकाळ - राजस्थान के लिए प्रयोग किया गया है ।
- तुरकणी कात्योड़े में ही फिदकड़ो।
- तुरकणी कै रांध्योड़ा में कसर?
- तुरकणी कै रान्ध्योड़ा में के कसर ।
- तुरकणी रे कात्योडे में ही फिदकड़ो ।
- तू आवे ढिग एक बार तो मैं आऊं ढिक अट्ठ। तू म्हां सै करड़ो रहै तो म्हे बी करड़ा लट्ठ।
- तू काणूं मैं खोड़ो, राम मिलायो जोड़ो।
- तू चालै तो चाल निगोड्या, मैं तो गंगा न्हाऊंगी।
- तू रोवे है छाक नै, मैं बूझण आई कै उधारो की कै ऊँ ल्याऊं।
- तूं आंटीली मैं अणखीली क्यूंकर होय खटाव?
- तूं ई गांव को चोधरी, तूं ई नम्बरदार।
- तूं क्यूं लाडो उणमणी तेरै सेलीवालो साथ।
- तूं खत्राणी मैं पाडियो, तूं बेस्या मैं भांड। तेरे जिमाये मेरे जीमणै में पत्थर पड़ियो रै रांड।
- तूं डाल-डाल मैं पात-पात।
- तूं बी राणी मैं बी राणी, कूण भरै पैंडे को पाणी?
- तूं है देसी रूंखड़ो, परदेसी लोग, म्हांने अकबर तेड़िया तूं किम आयो फोग। अर्थ - दूर देस में अपनी भूमि के पौधे फोग को देखकर अपनापन जताना महज देस से दूरी का वियोग नहीं है अपितु अपनी हर उपज का सम्मान यहां के लोग बड़े सलीके से करते हैं।
- तेरा मेरा दो गैला।
- तेरी आंख में ताकू द्यूं हूं, कायर मना हुए।
- तेरी मेरी बोली में ई को सलै ना।
- तेरै ल्होड़िये नै न्यूतो है, कह, मेरै तो सगला ढाई सेर्या है।
- तेल तो तिलां सै ही निकलसी | हिंदी– तेल तिलोँ से ही निकलता है।
- तेल तो तिल्यां में सै ही निकलसी।
- तेल बलै बाती बलै, नांव दिवा को होय।
- तेल बाकला भैंरू पूजा।
- तेली की जोरू ल्हूखो क्यूं खाय?
- तेली सूं खल ऊतरी, हुई बलीतै जोग।
- थारा बायेङा कदै ऊग्या हा के ।
- थारी म्हारी बोली में, इतरो ही फरक्ख। तू तो कहै फरेस्ता र मैँ कहूं जरक्ख।
- थावर की थावर ही किसा गांव बलै है।
- थावर कीजे थरपना बुध कीजै व्योहार | हिंदी– शनिवार को स्थापना तथा व्यवहार बुधवार को शुरु किया जाना अच्छा होता है।
- थोथो चणो बाजै घणो | हिंदी– अवगुणी अधिक बढ़–चढ़कर बातेँ करते हैँ।
- थोथो चणो बाजै घणो।
- थोथो शंख पराई फूँक सै बाजै | हिंदी– जिस व्यक्ति मेँ स्वयं मेँ कोई गुण नहीँ होता वह दूसरोँ की सलाह से ही कार्य करता है।
- थोथो संख पराई फूंक सैं बाजै।
- दगाबाज दूणू नवै, चीतो चोर कबाण।
- दगो कैंको सगो नहीं।
- दग्गड दग्गड खाऊंगी, बोलैगो तो मारूंगी मर ज्याऊंगी।
- दबी मूसी कान कटावै।
- दमड़ां को लोभी बातां सै कोनी रीझै।
- दमड़ी का छाणा धुआंधार मचाई।
- दलाल कै दिवालो नहीँ, महजित कै तालो नहीँ | हिंदी– दलाल को घाटा नहीँ है, मस्जिद मेँ कोई समान न होने पर ताला लगाने की आवश्यकता नहीँ।
- दलाल कै दिवालो नहीं, महजीत कै तालो नहीं।
- दस दिन को दसरावो अर बीसैं दिन दिवाळी ।
- दसां डावडो, बीसां बावलो, तीसां तीखो, चालीसां चोखो। पचासां पाको, साठां थाको, सतरां सूलो, अस्सी लूलो। नब्बे नांगो सोवां तो भागी ई भागो।
- दांत दरांतो दायमो, दारी और दरबान। ये पांचू दद्दा बुरा, पत राखै भगवान।
- दांत भलांई टूच ज्यावो, लो कोनी चबै।
- दांतला कसम को रोवता को बेरो पड़ै न हांसता को।
- दाई सै पेट छानो कोनी।
- दाणै दाणै म्होर-छाप है।
- दाता दे, भंडारी को पेट बलै।
- दाता सैं सूम भलो, जो झट दे उत्तर देय।
- दादू दुवारा में कांगसियां को के काम?
- दादो असो सावो काढ्यो के जान दिन कै दिन आई रही।
- दादो घी खायो, म्हारी हथेली सूंघल्यो।
- दान की बाछी का दांत कुण देख्या?
- दाल भात लम्बा जीकारा, ऐ बाई! परताप तुम्हारा।
- दास सदा उदास।
- दिग्मरां के गाँव में धोबी को के काम ।
- दिन आयां रावण मरै।
- दिन करै सौ बैरी कोन्या करै।
- दिन खोटो हुवै जणा ऊंट पर चढेङा न गनडकङो खा ज्याय ।
- दिन चिलकारो दे फटकारो ।
- दिन जातां बार कोनी लागै।
- दिन दीखै न फूड़ पीसै।
- दिनगे को भूल्योड़ो संज्या घरा आज्याय तो भूल्योड़ो कोनी बाजै।
- दियेङो भूल ज्याणूं लियेङो नहीं भूलणूं ।
- दियो लियो आडो आवै ।
- दिलां का दिल साईदार है।
- दिल्ली की कमाई, दिल्ली में लुटाई।
- दिल्ली में रह कर भी भाड़ झोंकी।
- दीपक कै भांवै नहीं, जल जल मरै पतंग।
- दीवा बीती पंचमी, जो शनि मूल पड़न्त। बिवणा तिवणा चौगणा, महंगा नाज करन्त।
- दीवा बीती पंचमी, मूल नछतर होय। खप्पर ले हाथां फिरै, भीख न घालै कोय।
- दीवा बीती पंचमी, सोम शुकर गुरु मूल। डंक कहे हे भड्ड़ली, निपजे सातूं तूल।
- दीवाली का दीवा दीठा, काचर बोर मतीरा मीठा।
- दुखां को भांडो, नांव सदासुखराय।
- दुनिया की जीभ कुण पकड़ै?
- दुनिया दुरंगी है।
- दुनिया देखै जैसी कह दे।
- दुनिया नै कुण जीतै?
- दुनिया पराये सुख दुबली है।
- दुनिया में दो गरीब है, कै बेटी, कै बैल।
- दुनिया है अर मतलब है।
- दुश्मन की किरपा बुरी, भली सैन की त्रास। आर्डग कर गरमी करे, जद बरसण की आस।
- दूजवर की गोरड़ी, हाथां परली मोरड़ी।
- दूद दयां का पावणां, छाछ नै अणखावणा।
- दूध को दूध पाणी को पाणी।
- दूध चुंघावै मायड़ी, नांव धाय को होय।
- दूध पीती बिलाई गंडकड़ां मैं जा पड़ी।
- दूध पीती बिलाई गंडका कै मायं पड़गी ।
- दूध बी राख, दुहारी भी राख।
- दूध बेचो भांवै पूत बेचो।
- दूध भी धोलो, छाय भी धोली।
- दूध हाली की लात बी सहणी पड़ै।
- दूबड़ी तो चरवाटै ही हो छै।
- दूबली खेती घणै नै मारै।
- दूबली पर दो साढ़।
- दूबलै पर दो लदै।
- दूबलो जेठ देवरां बराबर।
- दूबलो धीणूं दूसरा की छाय सै खोवै।
- दूर का ढोल सुहावणा लागै।
- दूर जंवाई फूल बरोबर, गांव जंवाई आदो। घर जांवई गधै बरोबर, चाये जितणो लादो।
- दूसरां कै घरां च्यार खाटां पर कमर खुलै।
- दूसरां को माल तूंतड़ा की धड़ मैँ जाय | हिंदी– दूसरोँ का धन लापरवाही से खर्च करना।
- दूसरां पर बुरी चीतै जणा आप पर ई पड़ै।
- दूसरे की थाळी मँ घी ज्यादा दीखॅ।
- दूसरे की थाळी में सदा हि ज्यादा लाडू दीखैं ।
- दूसरै की थाली में घणू दीखै।
- दूसरों को माल तूंतड़ा की धड़ में जाय।
- दे रै पांड्या असीस, मैं के देऊं, मेरी आत्मा ही देसी।
- देख खुरड़ कहे ढेढ की, कथा टूटे नेह। लेई चढ़ै न चामड़ै, मुकता बरसै मेह॥ हिंदी– जूता बनाते समय चमड़े पर लेई का चढ़ना वर्षा आने का सूचक होता है।
- देख पराई चूपड़ी मत ललचावै जी। ल्हूखी-सुखी खाय कर ठंडो पाणी पी।
- देख पराई चोपड़ी, पड़ मर बेईमान। दो घड़ी की सरमा सरमी, आठ पहर आराम।
- देखते नैणां चालते गोडां | हिंदी– देखने व चलने की शक्ति रहते हुए ही मृत्यु हो जाये तो अच्छा।
- देखते नैणां, चालते गोड़ां।
- देख्या ख्याल खुदाय का, किसा रचाया रंग। खानजादा खेती करै तेली चढै तरंग।
- देख्या देस बंगाला, दांत लाल मूं काला।
- देख्यां-देखी साधै जोग, छीजै काया, बधै रोग।
- देख्यो नांही जैपरियो, कल में आकर के करियो।
- देणूं अर मरणूं बराबर है।
- देबा नै लेबा नै रामजी को नांव है।
- देव जिसाई पुजारा।
- देव देख्या अर जात पुरी हुई।
- देवां सै दाना बड्डा होय है।
- देस जिसाई भेस।
- देसी कुतिया, बिलायती बोली।
- देसी चोरी, परदेशी भीख।
- दो तो चून का भी बुरा।
- दो दाणा की खातर घोड़ी बेची जायगी के?
- दो बुरां बुराई हुवै।
- दो सावण, दो भादवा, दो कातिक, दो मा। ढांडी-ढोरी बेच करं, नाज बिसावण जा।
- दोनूं हाथ मिलायां ही धुपै।
- दोन्यू हाथ मिलायां ई धुपै | हिंदी– दोनोँ पक्षोँ के मिलने पर ही बात बनती है।
- दोय दोय गयंद न बंधसी, एकै कंबू ठाण।
- दोय मूसा दोय कातरा, दोय टीडी दोय ताव। दोय री बादी जल हरै, दोय बीसर दो बाव।
- दोय लड़ै, जठे एक पड़ै।
- दोयती तो कुंआरो डोलै, नानी का नो-नो फेरा।
- दौलत सूं दोलत बधै।
- धणी बिना गीत सूना तो सिरदार बिना फौज निकांमी।
- धणी रो धन नीं देखणों, धणी रो मन देखणों ।
- धन को तेरा, मकर पचीस, जाड़े दिन, दो कम चालीस।
- धन खेती, धिक चाकरी।
- धन दायजा बहगा, छाती फूटा रहगा।
- धन धणिया को गुवाल कै हाथ में लकड़ी।
- धनवन्ता कै कांटो लाग्यो, स्हाय करी सब कोय। निरधन पड्यो पहाड़ सूं, बात न पूछी कोय।
- धनवान को के कंजूस अर गरीब को के दातार।
- धन्ना जाट का हरिसों हेत, बिना बीज के निपजँ खेत।
- धरतियां सोवणियूं संकड़ेल क्यूं भुगतै?
- धरती करिया बिछावणा, अम्बर करिया गलेफ। पोढो राजा भरतरी, चोकी देवै अलेख।
- धरती परै सरक ज्याए, छैला पांव धरैंगा ए।
- धरती माता थूं बड़ी, थां सूं बड़ो न कोय। उठ संवारै पग धरां, बाळ न बांका होय।।
- धरम की जड़ सदा हरी।
- धरम को धरम, करम को करम | हिंदी– स्वार्थ व परमार्थ दोनोँ का साथ–साथ पूरा होना।
- धरम को धरम, करम को करम।
- धान पुराणा धृत नया, त्यूं कुलवन्ती नार। चौथी पीठ तुंरग की, सुरक निसानी चार।
- धानी धन की भूख क साका की?
- धाया तेरी छा राबड़ी, तेरै गंडकड़ां सैं तो कढ़ाय।
- धायो जाट गाड़ी रो बाद काढ़ै।
- धायो धपनूं पेदी हाला पग करै।
- धायो मीर, भूखो फकीर, मरयां पाछै पीर | हिंदी– मुसलमान तृप्त हो तो अमीर, भूखा हो तो फकीर तथा मरने के बाद पीर कहलाता है।
- धायो मीर, भूखो फकीर, मर्यां पाछै पीर।
- धायो रांगड धन हरै, भूखो तजै पिराण।
- धीणूं भैंस को, हो भांवै सेर ही।
- धीणोड़ी कै सागै हीणोडी मर ज्यावै।
- धीणोड़ी सागै हीणोड़ी मर ज्याय | हिंदी– दुधारी गाय के होने पर बिना दूध वाली गाय को कोई नहीँ पूछता।
- धीरे धीरे ठाकरां, धीरे सब कुछ होय। माली सीँचै सो घड़ा, रुत आयां फल होय।
- धूल खायां किसो पेट भरै?
- धूल धाणी, राख छाणी।
- धेला की न्यूतार, थांम कै बांथ घालै।
- धेलै की हांडी फूटी, गंडक की जात पिछाणी।
- धोती में सब उघाड़ा है।
- धोबण सै के तेलण घाट, ऊंकै मोगरी, ऊंकै लाठ।
- धोबी की हांते गधो खाय।
- धोबी की हांते, गधो खाय | हिंदी– नीच का धन नीच खाता है।
- धोबी कै घर में बड़गा चोर, डूब्या और ई और।
- धोबी कै बसो चाहै कुम्हार कै, गधो तो लदसी।
- धोबी को गधो घर को न घाट को।
- धोबी को गधो, स्वामी की गाय। राजा को नोकर, तीनूं गत्तां से जाय।
- धोबी बेटा चान-सा, चोटी न पट्टा।
- धोलै पर दाग लागै।
- धोळां मैं धूळ - बुजुर्ग का अनादर ।
- न कोई की राई में, न कोई की दुहाई में।
- न कोई की राई मैँ, न दुहाई मैँ | हिंदी– अपने काम से काम रखना।
- न नानेरै, घोड़ो दादेरै।
- न नो मण तेल होय, न राधा नाचै।
- न भेवै काकड़ो तो क्यूं टेरै हाली लाकड़ो?
- नंदी कनलौ जांट, कद होण बिनास | हिंदी– नदी किनारे लगा वृक्ष कभी भी नष्ट हो सकता है।
- नंदी परलो रुंखड़ो-जद, कद होण विलास।
- नई नो दिन, पुराणी सो दिन।
- नकटा देव, सूरजा पूजारा।
- नकटा देव, सूरड़ा पुजारा | हिंदी– जैसे देवता वैसे पुजारी।
- नकटा, नांक कटी, कह, मेरी तो सवा गज बधी!
- नकटी देवी, ऊत पुजारी | हिंदी– जैसा राजा वैसी जनता।
- नकटी-बूची को जागी खसम।
- नखरो नायण को, बतलावणों ब्यावण को।
- नगद नाणा, बीन परणै काणा।
- नगारा में तूती की आवाज कुण सुणै?
- नगारा मैँ तूती की आवाज कुण/कोन्या सुणै | हिंदी– बड़े लोगोँ मेँ छोटोँ की उपेक्षा।
- नट विद्या आ जावै, जट विद्या कोनी आवै।
- नट-विद्या आ ज्याय पण जट-विद्या कोनी आवै।
- नणद को नणदोई गलै लगाकर रोई, पाछै फिर कर देख्यो तो सगो न सोई।
- नथ खोई नणद नैं दीनी।
- नदी किनारै बैठ की क्यूं न हाथ पखालै?
- नयी जोगण काठ की मुद्रा।
- नयो बलद खूंटो तोड़ै।
- नर नानेरै, घोड़ो दादेरै | हिंदी– स्वभाव तथा बनावट मेँ पुरुष ननिहाल पर जाता है जबकि घोड़ा पितृकुल पर।
- नर में नाई आगलो, पंखेरू में काग, पाणी मांगो काछबो, तीनूं दग्गाबाज।
- नरुका नै नरूको मारै, के मारै करतार।
- नवै चन्द्रमा नै सै राम-राम करै।
- नष्ट देव की भ्रष्ट पूजा।
- नसीब की खोटी, प्याज और रोटी।
- ना कोई सैं दोसती, ना कोई सै बैर।
- ना घर तेरा, ना घर मेरा, एक दिन होगा जंगल डेरा।
- नांव गंगाधर, न्हावै कोनी उमर में।
- नांव तो बंशीधर, आवै कोनी अलगोजो बजाणूं ही।
- नांव धापली, फिरै टुकड़ा मांगती।
- नांव मोटा, घर में टोटा।
- नांव राखै गीतड़ा के भींतड़ा।
- नांव राखै गीतड़ा कै भीँतड़ा | हिंदी– काव्य निर्माण से या घर निर्माण से व्यक्ति का यश चिरस्थाई रहता है।
- नांव लिछमीधर, कन्नै कोनी छिदाम ही।
- नांव लियां हिरण खोड़ा होय।
- नांव लेवा न पाणी देवा।
- नांव विद्याधर, आवै कोनी कक्को ही।
- नांव सीतलदास, दुर्वासा-सो झाली।
- नांवच हजारीलाल, घाटो ग्यारा सै को।
- नाई की परख नूंवां में है।
- नाई दाई बैद कसाई, इण को सूतक कदे न जाई।
- नाई नाई, बाल कताक? कह, जजमान! मूंडै आगे आ ज्याय है।
- नाई बामण कुत्तो, जाते देख हू हूकरतो।
- नाई हालो ठोलो, बाणिया हालो टक्को।
- नागा को लाय में के दाजै?
- नागा बूचो, सै सैं ऊंचो।
- नागां का रामजी परो कर गैला होबो करै है।
- नागाई को लाल तुर्रो।
- नागी के धोवै अर के निचोवै?
- नाचण ई लागी जब घूंघट क्यां को?
- नाचूं क्यां? आंगणूं बांको।
- नाजरली, जेल बधो। कै बस म्हां ताणी ही है।
- नाजुरतिये की लुगाई, जगत की भोजाई | हिंदी– कमजोर व्यक्ति की वस्तु पर सबका अधिकार।
- नाजुरतिये की लुगाई, जगत की भोजाई।
- नाजो नाज बिना रह न्याय, काजल टीकी बिना कोनी रवै।
- नाड़ां टांकण बलद बिकावण, तू मत चालै आधै सावण।
- नादान की दोस्ती जीव का जंजाल।
- नादीदी का नो फेरा।
- नादीदी कै लोटो हुयो, रात्यूं उठ-उठ पाणी पियो।
- नादीदी कै हुई कटोरी, पाणी पी-पी पदोरी।
- नादीदी को खसम आयो, दिन में दीओ जोयो।
- नाना मिनख नजीक, उमरावां आदर नहीं। बीं ठाकर नै ठीक, रण में पड़सी राजिया।
- नानी कसम करै, दूयती नैं डंड।
- नानी कसम करै, दोयती नै डंड | हिंदी– नानी के दूसरा पति कर लेने पर उसकी दोहिती तक को सामाजिक दंड मिलता है।
- नानी फंड करै, दोहितो दंड भरै ।
- नानी रांड कुंवारी मरगी, दोयती का नो-नो फेरा।
- नापै सो गज, फाड़ै कोन्या एक गज।
- नामी चोर मार्यो जाय, नामी साह कमा खाय।
- नायां की जनेत में सब क ई ठाकर।
- नारनोल की आग पटकीड़ो दाजै।
- नारनौल की आग पटीकड़ै दाजै | हिंदी– बुरे कर्म कोई करता है, फल किसी को मिलता है।
- नारां का मूंडा कुण धोया है?
- नारी को एक बी चोखो, सूरी का बारा बी के काम का?
- नारी नर की खान।
- नाहर ने रजपूत ने रेकारे री गाल।
- निकमो नाई पाटड़ा मूंडै।
- निकली होठां, चढ़ी कोठां।
- निकली होठां, चढ़ी होठां | हिंदी– होठोँ से बाहर आते ही बात का फैलना।
- निकासी कै बखत घोड़ो चाये, कै फिरतो सो आजे।
- नीचो कर्यो कांधो, देखण हालो आंधो।
- नीत गैल बरकत है | हिंदी– जैसी नियत होती है वैसा ही प्राप्त होता है।
- नीत गैल बरकत है।
- नीम तलै सोगन खा ज्याय, पीपल तलै नट ज्याय।
- नीम न मीठ होय, सींचो गुड़ धीव सै, जिणका पड्या सुभाव क जासी जीव सै।
- नेकी-बदी साथ चालै।
- नेपॅ की रुख खेड़ा'ई बतादें ।
- नेम निभाणा, धर्म ठिकाणा | हिंदी– नियम–धर्म संयमी के पास ही रहते हैँ।
- नेम निमाणा, धर्म ठिकाणा।
- नेम में निमेख घटै, सीख में मुजरो घटै।
- नो नेसां, दस केसां।
- नो पूरबिया, तेरा चोका।
- नो पेठा तेरा लगवाल, घोड़तै नै लेगो कोतवाल।
- नो सौ मूसा मार कर बिल्ली गंगाजी चली।
- नोकर खाय ठोकर।
- नोकर मालिक का हां क बैंगण का?
- नोकरी की जड़ धरती सैं सवा हाथ ऊंची।
- नोकरी ना करी।
- नोकरी है क भाई-बन्दी?
- न्यारा घरां का न्यारा बारणा।
- न्यारा घरां का न्यारा बारणां | हिंदी– सब घरोँ की अलग–अलग रीति।
- न्हाये न्हाये ई पुण्य।
प-म
- पड़–पड़ कई सवार होय है | हिंदी– मनुष्य गलतियोँ से सीखता है।
- पर नारी पैनी छुरी, तीन ओड सै खाय। धन छीजे, जोबन हडै, पत पंचा मैँ जाय॥ हिंदी– पर स्त्री ऐसी तेज छुरी के समान होती है जो तीन प्रकार की हानि करती है— इससे धन क्षीण होता है, यौवन का नाश हो जाता है तथा लोक मेँ बदनामी होती है।
- पपैया पीऊ–पीऊ करेँ, मोरा घणी अजग्म। छत्र करै मोरिया सिरे, नदिया बहे अथग्म॥ हिंदी– मोर के नाचने पर तथा पपीहे के पीहू–पीहू करने पर भारी वर्षा सम्भावित रहती है।
- पवन गिरि छूटे पुरवाई। धर गिर छोबा, इन्द्र धपाई॥ हिंदी– पूरब से हवा चलने पर वर्षा धरती व पर्वत तक को तृप्त करेगी।
- पपैया पीऊ–पीऊ करेँ, मोरा घणी अजग्म। छत्र करै मोरिया सिरे, नदिया बहे अथग्म॥ हिंदी– मोर के नाचने पर तथा पपीहे के पीहू–पीहू करने पर भारी वर्षा सम्भावित रहती है।
- पवन गिरि छूटे पुरवाई। धर गिर छोबा, इन्द्र धपाई॥ हिंदी– पूरब से हवा चलने पर वर्षा धरती व पर्वत तक को तृप्त करेगी।
- पाप को घड़ो भर कै फूटै | हिंदी– अत्यधिक पाप बढ़ जाने पर पापी का विनाश हो ही जाता है।
- पावणां सूं पीढ़ी कोनी चालै, जवायाँ सूं खेती कोनी चालै ।
- पावणां रे खीर रांधू जनाड़े आजे ।
- पीरकां की आस करै जकी भाईड़ां नै रोवै | हिंदी– जिससे या जिस स्थान से कुछ न मिले वहाँ से कोई भी आशा रखना व्यर्थ है।
- पीसो गाँठ को, हथियार हाथ को | हिंदी– गाँठ यानि पास रखा धन तथा हाथ मेँ उठाया हथियार ही काम मेँ आता है।
- पुल का बाया मोती निपजै | हिंदी– अवसर पर किया गया कार्य ही फल देता है।
- पूत का पग पालणै ही दिख्यावै | हिंदी– बालक का भविष्य बचपन मेँ ही दिखाई देने लगता है।
- पैली पडवा गाजै, दिन बहत्तर बाजै | हिंदी– आषाढ़ की प्रतिपदा को बादल गरजने पर हवा तो चलेगी पर बरसात नहीँ होगी।
- पेड़ की जड धरती और लूगाई की जड़ रसोई ।
- पूत का पग पालणें में ही दीख जा हीं ।
- पत्थर का बाट - जत्ता भी तोलो, घाट-ही-घाट ।
- पीसो हाथ को, भाई साथ को ही काम आवै ।
- फन पड़े तो यूं कहे, सुण तरुवर बनराय। इबका बिछड्या कब मिलां, दूर पडांगा जाय॥ हिंदी– पत्ता पेड़ से कहता है कि तरुवर अब मैँ टूट गया हूँ पता नहीँ फिर कब मिलूँगा।
- फाड़णियाँ नै सीमणियाँ कोनी नावड़ै | हिंदी– अत्यधिक व्यय करने पर कितनी भी कमाई हो, वह कम ही रहती है।
- फूटेड़ो ढोल अर कूटेड़ो ढोली चीं नीं करै ।
- फूहड़ रो मैल फागण में उतरै।
- फोग आलो ई बळै, सासू सूदी ई लड़ै।
- फोगलो फूट्यो, मिणमिणी ब्याई। भैंस री धिरियाणी, छाछ नै आई।
- फोगलै रो रायतो, काचरी रो साग। बाजरी री रोटड़ी, जाग्या म्हारा भाग
- बड़ा–बड़ा गाँव जाऊँ, बड़ा–बड़ा लाडू खाऊँ | हिंदी– स्वप्न मेँ ही धनी बनने की सोचना अथवा हवाई किले बनाना।
- बड़ै लोगां कै कान होय है, आँख नहीँ | हिंदी– बड़े लोग सुनी–सुनाई बात पर ही विश्वास कर लेते हैँ, स्वयं जाँच–परख नहीँ कराते।
- बजनस पवन सुरिया बाजै। घड़ी पलक मांही मेह गाजै॥ हिंदी– उत्तर–पश्चिम से हवा चलने पर शीघ्र वर्षा होगी।
- बाड़ कै सहारै दूब बधै | हिंदी– कमजोर व्यक्ति भी आश्रय पाकर बढ़ता है।
- बादल रहे रात को बासी, तो जाणो चोकस मेह आसी | हिंदी– पहले वाली रात के बादल सुबह तक छाये रहेँ तो वर्षा निश्चित रूप से होती है।
- बालक देखै हीयो, बूढ़ो देखै किणै | हिंदी– बालक प्रेमभाव को पहचानता है जबकि वृद्ध केवल काम की बात को देखता है।
- बावै सो लूणै | हिंदी– जैसा कर्म वैसा फल।
- बिगड़ी घिरत बिलोवणो, नारी होय उदास। असवारी मेँह की, रहे छास की छास॥ हिंदी– दही बिलौने पर घी बिखर–बिखर जाये तो समझो जोर की वर्षा होगी।
- बड़ सींचूं बड़ोली सींचूं, सींचूं बड़ की डाळी, राम झरोखै बैठ कर सींचै सींचण वाळी
- बड़ी रातां का बड़ा ही तड़का ।
- बहुआं हाथ चोर मरावै, चोर बहू का भाई ।
- बाई का फूल बाई कै | हिंदी- जितनी कमाई उतना खर्च ।
- बाङ खेत नै खाय - अपनों द्वारा अपने का नुकसान ।
- बाड़ में मूत्यां कसौ बैर नीकळै ।
- बाड़ में हाथ घालण सैं तो काँटा ही लाग ।
- बातां रीझै बाणियूं, गीतां सै रजपूत । बामण रीझै लाडुवां, बाकळ रीझै भूत ।
- बात में हुंकारो, फौज में नंगारो ।
- बाप ना मारी मांखी, बेटो तीरंदाज ।
- बाबो सगळां'नॅ लड़ॅ, बाबॅ'न कुण लड़ॅ ।
- बामण नै दियां पीछै गाय पराई हो जावै, परबारे हाथां में गयां पीछै रकम पराई हो जावै, पर्णीज्यां पीछै बेटी पराई हो जावै ।
- बायेड़ो उगै अर लिखेड़ो चूगै ।
- बावाड़ेड़ो पाहुणों भूत बिरौबर ।
- बिना बुलाया पावणा, घी घालूं कॅ तेल ।
- बिना रोऍ तो मा'ई बोबो कोनी दे ।
- बीन कॅ'ई लाळ पड़ँ जणा बराती के करँ ।
- बींद मरौ बींदणी मरौ, बांमण रै टक्कौ त्यार। ठाकर ग्या ठग रिया, रिया मुळक रा चोर॥
- बूढळी रै कह्यां खीर कुण रांधै?
- बुरो टेम आवे जनां ऊँट पर बैठ्या ने गंडक खा ज्याय॥
- बैठणो छाया मैं हुओ भलां कैर ही, रहणो भायां मैं हुओ भलां बैर ही ।
- बुध बावण्यां भिसपत लावण्यां ।
- भला जाया बेमाता ।
- भाठै सूं भाठो भिड्याँ बिजली चमकै | हिंदी– दो दुष्टोँ की लड़ाई मेँ नाश हो जाता है।
- भोजन में लाडू अर सगाँ में साडू ।
- भौंकँ जका काटँ कोनी ।
- मतलब की मनुहार, जगत जिमावै चूरमा | हिंदी– स्वार्थ हेतु दूसरोँ की खुशामद करना।
- मन कै पाज कोनी | हिंदी– मन चंचल है, उसकी मर्यादा नहीँ होती।
- मन का लाडु छोटा क्यों ।
- मन सूं रान्धेड़ो खाटो ई खीर लागै ।
- मँगो रोवे ऐक बार, सस्तो रोवे सो बार ।
- मन मीठो तो सै मीठा, मन खाटो तो सै खाटा ।
- मनै घङगी अर बाङ मैं बङगी ।
- मैं कुणसी मोल्डी क भाटा की दी ही ।
- मरद की कूब्बत राड़ में, लुगाई की कूब्बत रान्धणें में |
- मरु रो पत माळवो नाळी बिकानेर। कवियाँ ने काठी भळा आँधा ने अजमेर॥
- मांटी की भीँत डिगती बार कोनी लगावै | हिंदी– मिट्टी की दीवार गिरने मेँ समय नहीँ लगता।
- मां मरी आधी रात, बाप मर्यो परभात | हिंदी– बार–बार विपत्तियाँ आना।
- माया अंट की, विद्या कंठ की | हिंदी– जो पैसा अपने पास हो तथा जो ज्ञान कंठस्थ हो वही काम आता है।
- मारणूं ऊंदरो, खोदणूं डूंगर | हिंदी– छोटे कार्य के लिए बड़ा कष्ट उठाना।
- माल सैँ चाल आवै | हिंदी– धन आने पर अक्ल पैदा हो जाती है।
- मानो तो देव नहीं तो भींत को लेव।
- मां, घोड़ा री पूंछ पकड़ूं, कांईं दे'सी कै घोड़ो मतै ई दे दे'सी। अर्थ - गलत काम का अंजाम हमेशा बुरा होता है।
- मां कैवतां मूंडो भरीजै।मां, मायड़भोम अर मायड़भासा रौ दरजौ सुरग सूं ईं उचौ हुवै ।
- मां री गाळियां, घी री नाळियां। अर्थ - मां की गालियां, घी की नालियां। मां ललकारती-फटकारती है तो संतान के भले की खातिर। उसके मन में दूर-दूर तक कोई दुर्भावना नहीं रहती। मां की गालियां ममता का ही दूसरा रूप है।
- मिनख कमावै च्यार पहर, ब्याज कमावै आठ पहर ।
- मिनख बाण रो गोलौ ।
- मींडका नै तिरणूं कुण सिखावै | हिंदी– मेँढक को तैरना कौन सिखाता है अर्थात् यह तो उसका स्वाभाविक गुण है।
- मेवा तो बरसँता भला, होणी होवॅ सो होय ।
- मेह की रुख तो भदवड़ा'ई बता दें ।
- मुंडै सूं नीसरी बात, कमाण सूं नीसरयो तीर, अर परमात्मा री पोळ गयोड़ा पराण पाछा नीं बावडै ।
- मुं करे है छाछ सो
- मूं करै झ्याउलया को सो - मुंह बनाना ।
- मोटो ब्याज मूल नै खावै ।
- मोर जंगल में नाच्योहो पण कुण देख्यो ।
- मोर नाचै घणूं ई पण पगां न देख र रोवै ।
य-व
- यारी को घर दूर है | हिंदी – दोस्ती निभाना कठिन है।
- रजपूत की जात जमी ।
- राख पत, रखाय पत | हिंदी– दूसरोँ का सम्मान करने पर वे भी सम्मान करते हैँ।
- रात च्यानणी, बात आँख्या देखी मानणी | हिंदी– चांदनी रात ही अच्छी होती है तथा आँखोँ देखी बात पर ही विश्वास करना चाहिए।
- राजपूती धोरां में रळगी, ऊपर चढ़ गई रेत ।
- राजा री आस करणी, पण आसंगो नीं कारणों ।
- रांड आगै गाळ कोनी ।
- रांड कै मारयोड़ै की अर गाँव में फिरयोड़ै की दाद-फिराद कोनी ।
- राई का भाव रात ही गया ।
- राई बिना किसो रायतो ।
- राजा करै सो न्याव, पासो पड़ै सो डाव ।
- राजा जोगी अगन जळ, इण की उलटी रीत । डरता रहियो परसराम, ये थोडी पाळै प्रीत ।।
- राड़ को घर हांसी, रोग को घर खांसी ।
- राड़ सैं बाड़ भली ।
- रात आगै उँवार कोनी, रांड ऊं बड्डी गाळ कोनी ।
- रात च्यानणी, बात आंख्या देखी मानणी ।
- राबड़ी को नांव गुलसफ्फा ।
- राबड़ी बी कहै मन दांतां सै खावो ।
- राबड़ी में गुण होता तो ब्या में नां रान्धता ।
- राबड़ी में राख रांधै, चून पाटै पीसती । देखो रै या फ़ूड रांड, चालै पल्ला घींसती ।।
- रामदेव जी ने ढेढ़ इ ढेढ़ मिल्या ।
- राम बनाई जोड़ी, एक काणूं अर एक कोढ़ी ।
- ऋण अर बैर कत्ती जूणां ई नीं जावै ।
- रांड स्याणी हुवै पण खसम मरयां फेर ।
- रूप की रोवै करम की खावै । हिंदी – रूपवती स्त्री भी दुःखी रहती है परन्तु कर्मशील कुरूप स्त्री भी भूखी नहीँ रहती।
- रूपयो होवै रोकड़ी सोरो, आवै सांस, संपत होय तो घर भलो, नहीं भलो परदेस।
- रोंवता जांय बै मरेडां की खबर ल्यावैं ।
- रोयाँ बना माँ बी बोबो कोनी दे ।
- रोयां राबड़ी कुण घालै | हिंदी – परिश्रम से सब कुछ प्राप्त होता है, केवल रोने से कुछ नहीँ होता।
- रोवती रांड सासरे में के न्याहल करै ।
- लालबही छप्पन रो पानो, बोहरो रोवै छानो-छानो ।
- लोहा, लकड़ा, चामड़ा, पहला किसा बखाण। बहु, बछेरा, डीकरा, नीमटियो पछाण॥ हिंदी – लोहे का, लकड़ी तथा चमड़े का पहले से पता लगाना मुश्किल है। बहू, लड़का तथा घोड़े के बच्चोँ के गुणोँ का पता वयस्क होने पर ही चलता है।
- वात, पित युक्त देह ज्यांक, होय रहे धाम–धूम। अण भणियां आलम कथी कहे मेहा अतिघोर॥ हिंदी – वातयुक्त व्यक्ति को यदि गर्मी से सिर दर्द करे तो वर्षा की सम्भावना होती है।
श-ह
- शुक्रवार की बादली, रही शनिचर छाय। डंक कहे है, भडली बरस्यां बिना न जाय॥ हिंदी – शुक्रवार को आकाश पर बने बादल यदि शनिवार तक रहेँ तो वर्षा अवश्य होती है।
- संवारता बार लागै, बिगाड़तां कोनी लागै | हिंदी – काम बनाने मेँ समय लगता है बिगाड़ने मेँ नहीँ।
- संवारै रो गाजियो ऐलौ नहीँ जाय | हिंदी – सुबह मेघ–गर्जन निश्चित रूप से वर्षा का संकेत है।
- संपत हुवै तो घर, नींतर भलो परदेस।
- सगलै गुण की बूज है | हिंदी– गुणी का हर जगह सम्मान होता है।
- सदा न जुग जीवणा, सदा न काला केस | हिंदी – संसार मेँ हमेशा कोई नहीँ रहता, इसी प्रकार यौवन भी साथ छोड़ देता है।
- सरलायो छूंदरो, बद्दां बंध्यो जाट । मदमाती गूजरी, तीनों वारां बाट ।।
- सांप, गोयरा, डेडरा, कीड़ी–मकोड़ी जाण। दर छोड़ै बाहर भागे, नहीँ मेह की हाण॥ हिंदी – यदि मेँढक, चीँटी, साँप आदि अपने–अपने स्थान पर जाने लगेँ तो भारी वर्षा की सम्भावना होती है।
- साँच कही थी मावडी, झूठ कह था लोग। खारी लागी मावडी, मीठा लाग्या लोग॥ हिंदी – माता का सच भी झूठ नजर आया जबकि लोग ही झूठ बोल रहे थे, क्योँकि लोग मधुर बोल रहे थे तथा माता कटु बोल रही थी।
- सांप कै मांवसियां की के साख | हिंदी – दुष्ट का क्या भरोसा?
- साबत रैसी सर तो घणाई बससीं घर।
- सात्यूं घर तो डाकण भी छोड दिया करै है ।
- सावण भलो सूर'यो भादुड़ो पिरवाय, आसोजां मैं पछवा चाली गाडा भर भर ल्याव ।
- सावण का आना नै हरयो ई हरयो दीखै ।
- सासरौ सुख आसरौ, जे ढबै दिन चार । जे बसै दिन दस बीस, हाथ में खुरपी माथै भार ।।
- सासरौ सुख बासरौ, चार दिनां को आसरौ, जै रवे मास दो मास, देस्याँ खुरपी खुदास्याँ घास ।
- सिर चढ़ाई गादड़ी गाँव ई फूंकै लागी | हिंदी – निकृष्ट को मुँह लगाने पर हानिकारक हो जाता है।
- सिर बड़ो सपूत को, पग बड़ा कपूत का |
- सुई सुहागो सापुरुष, सांठै ही सांठै।
- सूखै घसीजै हळबांणी, आलै घसीजै चवू। सांवण घसीजै डीकरी, काती घसीजै बहू ।
- सूरज कुंड और चन्द्र जलेरी। टूट्या टीबा भरगी डेरी॥ हिंदी – चन्द्रमा के चारोँ ओर जलेरी तथा सूरज के चारोँ ओर कुण्ड होने पर भारी वर्षा की सम्भावना होती है।
- सोनै कै काट कोन्या लागै | हिंदी – सज्जन पुरुषोँ पर कलंक नहीँ लगाया जा सकता।
- हथेळी मैं सिरस्यूं कोनी उगै ।
- हाँसी-हाँसी में हो-ज्यासी खाँसी ।
- हिल्योडो चोर गुलगुला खाय ।
- हतकार की रोटी चौवटे ढकार | हिंदी – मुफ्त मेँ उपभोग करना तथा अहंकार का प्रदर्शन करना।
- हर बड़ा क हिरणा बड़ा, सगुणा बड़ा क श्याम। अरजन रथ नै हांक दे, भली करै भगवान॥ हिंदी – यह माना जाता है कि हरिण जब बाँयी ओर आ जाये तो अपशकुन होता है। हरिणोँ के बाँयी ओर आने पर अर्जुन ने रथ रोक दिया परन्तु किसी ने कहा कि भगवान साथ होने पर कुछ भी अपशकुन नहीँ होता है।
- हांसी मैँ खांसी हो ज्याय | हिंदी – हँसी-मजाक मेँ लड़ाई हो जाती है।
- हाकिमी गरमाई की, दुकनदारी नरमाई की हिंदी – अफसर को कड़क तथा दुकानदार को विनम्र रहना चाहिए।
- होत की भाण, अणहोत को भाई |हिंदी – बहिन धनी को भाई बनाती है जबकि भाई विपत्ति मेँ भी साथ देता है।
क्ष-ज्ञ
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