Rajasthani Language Idioms and Phrases: Difference between revisions
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यहां आप '''[[राजस्थानी भाषा]]''' के मुहावरे और लोकोक्तियां पढ या लिख सकते हैं | कुछ मुहावरों और लोकोक्तियों के अर्थ मुहावरे के साथ हिंदी में दिए गए हैं. शेष के विस्तार की आवश्यकता है | | यहां आप '''[[राजस्थानी भाषा]]''' के मुहावरे और लोकोक्तियां पढ या लिख सकते हैं | कुछ मुहावरों और लोकोक्तियों के अर्थ मुहावरे के साथ हिंदी में दिए गए हैं. शेष के विस्तार की आवश्यकता है | | ||
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* अंधाधुंध की साहबी, घटाटोप को राज। | * अंधाधुंध की साहबी, घटाटोप को राज। | ||
* अंबर कै थेगलीं कोनी लागै। | * अंबर कै थेगलीं कोनी लागै। | ||
* अकल बिना ऊंट उभाणा फिरैं । ''हिन्दी – | * अकल बिना ऊंट उभाणा फिरैं । ''हिन्दी – मूर्ख व्यक्ति साधन होते हुए भी उनका उपयोग नहीँ कर पाते।'' | ||
* अक्कल उधारी कोनी मिलै। | |||
* अक्कल कोई कै बाप की कोनी। | |||
* अक्कल बड़ी के भैंस। | |||
* अक्कल में खुदा पिछाणो। | |||
* अक्खा रोहण बायरी, राखी सरबन न होय । पो ही मूल न होय तो, म्ही दूलन्ती जोय ।। | |||
* अगम् बुद्धी बाणियो पिच्छम् बुद्धी [[जाट]] । तुर्त बुद्धी तुरकड़ो, बामण सपनपाट ।। | |||
* अगस्त ऊगा, मेह पूगा । | |||
* अग्रे अग्रे ब्राह्मणा, नदी नाला बरजन्ते ।'' हिंदी – ब्राह्मण सभी कामोँ मेँ आगे रहता है परन्तु खतरोँ के समय पीछे ही रहता है।'' | |||
* अछूकाळ कादा में पीवै । | |||
* अजमेर को घालणिया नै चेरासाई त्यार है। | |||
* अटक्यो बोरो उधार दे । | |||
* अठे किसा काचर खाय है | | |||
* अठे गुड़ गीलो कोनी अथवा इसो गुड़ गीलो कोनी। | |||
* अठे चाय जैंकी उठे बी चाय। | |||
* अठे ही रेवड़ को रिवाड़ो, अठे ही भेड्या री घुरी। | |||
* अणदेखी न नै दोख, बीनै गति न मोख | ''हिन्दी – निर्दोष पर दोष लगाने वाले की कहीँ गति नहीँ होती।'' | |||
* अणमांग्या मोती मिलै, मांगी मिलै न भीख। | |||
* अणमिले का सै जती हैं। | |||
* अणसमझ को कुछ नहीं, समझदार की मौत। | |||
* अणी चूकी धार मारी। | |||
* अत पितवालो आदमी, सोए निद्रा घोर। अण पढ़िया आतम कही, मेघ आवै अति घोर |''हिन्दी - अधिक पित्त प्रकृति का व्यक्ति यदि दिन मेँ भी अधिक सोए तो यह भारी वर्षा का सूचक है।'' | |||
* अदपढ़ी विद्या धुवै चिन्त्या धुवे सरीर | | |||
* अनहोणी होणी नहीं, होणी होय सो होय | | |||
* अनिर्यूं नाचै, अनिर्यूं कूदै, अनिर्यूं तोड़ै तान। | |||
* अब तो बीरा तन्नै कैगो जिकोई मन्ने कैगो। | |||
* अबे तबे का एक रूपैया, अठे कठे का आना बार। | |||
* अभागियो टाबर त्युंहार नै रूसै । ''हिन्दी – सुअवसर से भी लाभ न उठा पाना।'' | |||
* अमरो तो मैं मरतो देख्यो, भाजत देख्यो सूरो । चोधर तो मैं खुसती देखी, लाछ बुहारी कूडो ।। आगै हूँ पाछो भलो, नांव भलो लैटूरो ।।। (देखें - [http://www.jatland.com/home/%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AE_%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82_%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE_%E0%A4%B0%E0%A4%96%E0%A4%BE_%E0%A4%B9%E0%A5%88 नाम में क्या रखा है]) | |||
* अम्बर कै थेगळी कोनी लागै । | |||
* अम्बर राच्यो, मेह माच्यो | ''हिन्दी – आसमान का लाल होना वर्षा का सूचक है।'' | |||
* अम्मर को तारो हाथ सै कोनी टूटै । ''हिन्दी– आकाश का तारा हाथ से नहीँ टूटता।'' | |||
* अम्मर पीळो में सीळो । | |||
* अय्याँ ही रांडा रोळा करसी अर अय्याँ ही पावणा जिमबो करसी । | |||
* अय्यां ही रांड रोला करसी अर अय्यां ही पावणां जीमबो करसी। | |||
* अरजन जसा ही फरजन । | |||
* अरड़ावतां ऊँट लदै । ''हिंदी – दीन पुकार पर भी ध्यान न देना।'' | |||
* अल्ला अल्ला खैर सल्ला । | |||
* असलेखा बूठां, बैदां घरे बधावणा । ''हिंदी - असलेखा नक्षत्र में वर्षा हो तो बैद-हकीमों के घर बधाई बँटे, मतलब रोग बढ़ते हैं ।'' | |||
* असवार तो को थी ना पण ठाडां करदी - ''हिंदी - किस्सा यों है कि एक औरत को एक डाकू जबरदस्ती उठा कर ले जा रहा था. ऊँट तेजी से दोड़ रहा था. रास्ते में उस औरत का एक परिचित मिल गया. उसने पूछा, 'आरी तू ऐसी सवार कब से हो गयी जो ऊँट को इतने जोरों से भगा रही है ?' तब उसने उत्तर में ऊपर की कहावत कही जिसका अर्थ है कि मैं सवार तो नही थी, जबर्दस्तों ने मुझे सवार बना दिया । | |||
* असाई म्हे असाई म्हारा सगा, असी रातां का अस्सा ही तड़का। | |||
* असाई म्हे असाई म्हारा सगा, बां कै टोपी न म्हारे झगा । | |||
* असी रातां का अस्सा ही तड़का । | |||
* असो भगवान्यू भोळो कोनी जको भूखो भैसां में जाय । ''हिंदी – कोई मूर्ख होगा जो प्रतिफल की इच्छा के बगैर कार्य करे।'' | |||
* अस्सी बरस पूरा हुया तो भी मन फेरां में रह्या । | |||
* अहारे ब्योहारे लज्जा न कारे। | |||
* आ छाय तो ढोलियां जोगी ही| ''हिंदी – बेकार वस्तु के नुकसान का दुःख न होना।'' | |||
* आ नई काया सोने की, बार बार नहीं होणै की। | |||
* आ बलद मनै मार। | |||
* आ रै मेरा सम्पटपाट! मैं तनै चाटूं, मनै चाट। | |||
* आ ले पड़ोसण झूंपड़ी, नित उठ करती राड़। | |||
* आ सुन्दर मन्दर चलां तो बिन रह्यो न जाय। माता देवी आसकां, बै दिन पूंच्या आय॥ | |||
* आँ तिलां मैँ तेल कोनी | हिंदी – क्षमता का अभाव। | |||
* आँख फड़कै दहणी, लात घमूका सहणी । | |||
* आँख फड़कै बांई, के बीर मिलै के सांई । | |||
* आँख कान को च्यार आंगल को फरक है। | |||
* आँख कान को च्यार आंगळ को फरक है । | |||
* आँख गई संसार गयो, कान गयां हंकार गयो। | |||
* आँख फड़के दहणी, लात घमूका सहणी। | |||
* आँख फड़ूकै बांई, के बीर मिले के सांई। | |||
* आँख फुड़ाई मूंड मुन्डायो, घर को फेरयो द्वार । दोन्यू बोई रै बूबना, आदेश न जुहार ।। | |||
* आँख मीच्यां अंधेरो होय । ''हिंदी – ध्यान न देने पर अहसास का न होना।'' | |||
* आँखन, कान, मोती, करम, ढोल, बोल अर नार। अ तो फूट्या ना भला, ढाल, ताल, तलवार॥ ''हिंदी – ये सभी चीजेँ न ही टूटे-फूटे तो ही अच्छा है।'' | |||
* आँख्यां देखी परसराम, कदे न झूठी होय। | |||
* आँख्यां में गीड पड़ै, नांव मिरगानैणी। | |||
* आँख्यां सै आँधो, नांव नैणसुख। | |||
* आँण गाँव को बींद र गांव को छोरा। | |||
* आं तिला में तेल कोनी। | |||
* आंख गयी संसार गयो, कान गया हँकार गयो । ''हिंदी - आँख फूटने पर संसार दिखाई नहीँ देता वैसे ही बहरा होने पर अहंकार समाप्त हो जाता है।'' | |||
* आंख्याँ में गीड पड़ै, नांव मिरगानैणी । | |||
* आंख्याँ देखी परसराम, कदे न झूठी होय । ''हिंदी – आँखोँ देखी घटना कभी झूँठी नहीँ होती।'' | |||
* आंख्याँ सै आन्धो, नांव नैनसुख । | |||
* आंगल्यां सूं नूं परै कोनी हुवै। | |||
* आंट में आयोड़ो लो टूटै। | |||
* आंटै आई मैरे बिलाई | |||
* आंधा आगे ढोल बाजै, आ डमडमी क्यां की? | |||
* आंधा की गफ्फी, बहरा को बटको । राम छुटावै तो छूटै नहीं सिर ही पटको ।। | |||
* आंधा नै तो लाठी चाये। | |||
* आंधा पीसै कुत्ता खाय। | |||
* आंधा भागे रोवै, अपना दीदा खोवै। | |||
* आंधा मेँ काणोँ राव | ''हिंदी – मूर्खोँ मेँ कम गुणी व्यक्ति का भी आदर होता है।'' | |||
* आंधा सुसरा में क्यांकी लाज? | |||
* आंधी आई ही कोनी, सूंसाट पैली ही माचगो । | |||
* आंधी भैंस बरू में चरै । | |||
* आंधी मा पूत को माथो नोज देखै। | |||
* आंधै कै भांवै किंवाड़ ई पापड़। | |||
* आंधो बांटै सीरणी, घरकां नै ही दे। | |||
* आंधों के जाणै सावण की भार। | |||
* आंध्यां की माखी राम उडावै । | |||
* आई रुत खेती, क्यूं करै पछैती। | |||
* आई ही छाय नै, घर की धिराणी बण बैठी। | |||
* आए लाडी आरो घालां, कह पूंछ ई आरै में तुड़ाई है। | |||
* आक को कीड़ो आक में, ढाक को कीड़ो ढाक में । | |||
* आक में ईख, फोग में जीरो। | |||
* आक सींचै पण पीपल कोनी सींचै। | |||
* आकाश में थूकै जणा आपके ई मूं पर पड़ै। | |||
* आकास में बिजली चिमकै, गधेड़ो लात बावै। | |||
* आखर रामजी कै घर न्याव है। | |||
* आगली दाल नै ई पाणी कोनी। | |||
* आगलै सै पाछलो भलो। | |||
* आगे थारो पीछे म्हारो | ''हिंदी – जैसा आप करेँगे वैसा ही हम।'' | |||
* आगै आग न गैल्यां पाणी। | |||
* आगै आग न पीछै भींटकी | |||
* आगै मांडै पाछै दे, घट्या बध्या कागद सैं ले। | |||
* आगो थारो, पीछो म्हारो। | |||
* आज मरयो दिन दूसरो | ''हिंदी – जो हुआ सो हुआ।'' | |||
* आज मरां काल मरां, मर्या मर्या फिरां। | |||
* आज मरै जकै ने काल कद आवै। | |||
* आज मर्यो दिन दूसरो जो गया सो गया। | |||
* आज हमां और काल थमां | ''हिंदी – जो आज हम भुगत रहे हैँ, कल तुम भुगतोगे।'' | |||
* आज ही मोडियो मूंड मूंडायो आज ही ओला पड्या। | |||
* आटो कांटो घी घड़ो, खुल्लै केसां नार। | |||
* आठ पूरबिया नो चूल्हा। | |||
* आठ फिरंगी नो गोरा लड़ें जाट के दो छोरा । | |||
* आडा आया माँ का जाया | ''हिंदी – कठिनाई मेँ सगे सम्बन्धी (भाई) सहायता करते हैँ।'' | |||
* आडू कै तो खाय मरै, कै उठा मरै। | |||
* आडू चाल्या हाट, न ताखड़ी न बाट | ''हिंदी – मूर्ख का कार्य अव्यवस्थित होना।'' | |||
* आडै दिन सै बास्योड़ो ही चोखो। | |||
* आत्मा सो परमात्मा। | |||
* आथणवचाई को मेह अर पावणूं आयो रहै। | |||
* आदम्यां की माया, बिरखां की छाया। | |||
* आदर खादर बाजे बाव , झूंपङ पङिया झोला खाय । | |||
* आदरा बाजै बाये, झूंपड़ी झोला खाय। | |||
* आदरा भरै खाबड़ा, पुनबसु भरै तलाव। | |||
* आदै थाणी न्याय होय | ''हिंदी – बुरे/बेईमान को फल मिलता है।'' | |||
* आदै पाणी न्याव होय। | |||
* आधा में देई देवता, आधा में खेतरपाल। | |||
* आधाक सोवै, आधाक जागे, जद बातां का रंग दोराई लागै। | |||
* आधी छोड़ एक नै धावै, बाकी आदी मुंह से जावै। | |||
* आधे जेठ अमाव्साय रवि आथिमतो जोय। | |||
* आधै माह कांधे कामल बाह। | |||
* आधो घाल्यो ऊँखली, आधो घाल्यो छाज। सांगर साटै घण गई, मघरो मघरो राज। | |||
* आधो धरती में, आधो बारणै। | |||
* आधो बगड़ बुहारती, सारो बगड़ बुहार। | |||
* आप आपकी मूंछो कै सै ताव दे हैं। | |||
* आप आपकी रोट्यां नीचे सै आंच देवै। | |||
* आप आपके दाणै पाणी मे मसत है। | |||
* आप आपको जी सै नैं प्यारो। | |||
* आप कमाडा कामडा, दई न दीजे दोस | ''हिंदी – व्यक्ति के किये गए कर्मोँ के लिए ईश्वर को दोष नहीँ देना चाहिए।'' | |||
* आप की चाय गधा नै बाप बणावै। | |||
* आप गुरुजी कातरा मारै, चेला नै परमोद सिखावै | ''हिंदी – निठल्ले गुरुजी का शिष्योँ को उपदेश देना।'' | |||
* आप डुबन्तो पांडियो ले डूब्यो जजमान। | |||
* आप भलो तो जग भलो। | |||
* आप मरयां बिना सुरग कठै | ''हिंदी – काम स्वयं ही करना पड़ता है।'' | |||
* आप मर्यां जुग परलै। | |||
* आप में अक्कल घणी दीखै, दूसरै कनै घन घणूं दीखै। | |||
* आपका फाड्या की सै बुझावै। | |||
* आपकी एक फूटी को दुख कोनी, पड़ोसी को दोनों फूटी चाये। | |||
* आपकी खोल में सै मस्त। | |||
* आपकी गयां को दुख कोनी, जेठ की रह्यां को दुख है। | |||
* आपकी गली में कुत्ता नार। | |||
* आपकी छाय नै कोइ खाटी कोनी बतावै। | |||
* आपकी छोड़ पराई तक्कै, आवै ओसर कै धक्कै। | |||
* आपकी जांघ उघाड्यां आप ही लाजां मरै। | |||
* आपकी पराई और पराई आपकी। | |||
* आपकी मां ने डाकण कुण बतावै? | |||
* आपके लागै हीक में, दूसरो के लागे भीत में। | |||
* आपको कोढ़ सांमर सांमर ओढ़। | |||
* आपको ठको टको दूसरै को टको टकुलड़ी। | |||
* आपको बिगाड़यां बिना दूसरां को कोनी सुधरै। | |||
* आपको सो आपको और बिराणू लोग। | |||
* आपको हाथ जगन्नाथ! | |||
* आपनै उपजै कोनी, दूसरां की मानै कोनी। | |||
* आबरू लैर उधार दै। | |||
* आभ के अणी नहीं, वेश्या के धणी नहीं। | |||
* आभा की सी बीजली, होली की सी झल। | |||
* आभा राता मेह माता, आभा पीला मे सीला। | |||
* आम खाणा क पेड़ गिणना | ''हिंदी – मतलब से मतलब रखना।'' | |||
* आम नींबू बाणियो, कंठ भींच्यां जाणियो। | |||
* आम फलै नीचो नवै, अरंड आकासां जाय। | |||
* आया ही समाई पण गया की समाई कोनी। | |||
* आयी गूगा जांटी, बकरी दूधां नाटी। | |||
* आयो चैत निवायो फूडां मैल गंवायो। | |||
* आयो रात, गयो परभात। | |||
* आरिषड़ा सबब जोय कर समय बताऊँ तोय। भादूड़ो जुग रेलसी छठ अनुराधा होय। | |||
* आल के भाव को के बेरो। | |||
* आल पड़ै तो खेलुं मालूं, सूक पड़ै घर जाऊँ। | |||
* आलकसण ने रोट्याँ रो साग । | |||
* आला बंचै न आप सै, सूका बंचै न कोई कै बाप सैं। | |||
* आवो मीयां खाणा खावो, बिसमिल्ला झट हाथ धुवावो। आवो मीयां छान उठावो, हम बूढ़ा कोई ज्वान बुलावो॥ | |||
* आषाढ़ की पूनम, निरमल उगै चंद। कोई सिँध कोई मालवे जायां कट सी फंद॥ ''हिंदी – आषाढ़ की पूर्णिमा को चाँद के साथ बादल न होने पर अकाल की शंका व्यक्त की जाती है।'' | |||
* आसवाणी, भागवाणी। | |||
* आसाडां धुर अस्टमी, चन्द सेवरा छाय। च्यार मास चूतो रहै, जिउं भांडै रै राय॥ | |||
* आसाडे धुर अष्टमी, चन्द उगन्तो जोय। | |||
* आसाडे सुद नवी नै बादल ना बीज। हलड़ फाडो ईंधन करो, बैठा चाबो बीज॥ | |||
* आसाढ़ै सुद नोमी, घण बादल घण बीज। कोठा खेर खंखेर दो, राखो बलद ने बीज॥ | |||
* आसी च्यानण छठ, ताकर मरसी पट। रूआयी चांदा छठ, कातरो मरसी पट॥ | |||
* आसू जितरै मेह। | |||
* आसोजां का पड्या तावडा जोगी बणग्या जाट । | |||
* आसोजी रा मेहड़ा, दोय बात बिनास। बोरटियां बोर नहीं, बिणयाँ नहीं कपास॥ | |||
* आसोज्यां में पिछवा चाली, भर भर गाडा ल्याई। | |||
* इकलक के दोलक कै (इ क लग के अर दोलग कै)। | |||
* इजगर पूछै बिजगरा, कहा करत हो मिन्त। पड्या रहां हां धूल में, हरी करते है चिंत॥ | |||
* इज्जत की लहजत ही और हुवै है। | |||
* इज्जत भरम की अर कमाई करम की। | |||
* इन्दर की मा भी तिसाई ही रही। | |||
* इन्नै पड़ै को कुवो, उन्नै पड़ै तो खाई। | |||
* इब ताणी तो बेटी बाप कै ही है | ''हिंदी – अभी कुछ नहीँ बिगड़ा।'' | |||
* इब ताणी तो बेटी बाप कै ही है। | |||
* इब पछतायां के बणै द चिड़िया चुग गई खेत। | |||
* इमरत तो रत्ती ही चोखो, झैर मण भी के काम को। | |||
* इसी खाट इस्या ही पाया, इस रांड इस्या ही जाया। | |||
* इसे परथावां का इसा ही गीत | ''हिंदी – जैसा विवाह वैसे ही गीत।'' | |||
* इसो ई तेरो खाणू दाणूं, इसो ई तेरो काम कराणुं। | |||
* इसो ई हरि गुण गायो, ईसो ई संख बजायो। | |||
* इस्समी खाण का इसा ही हीरा, इसी भैण का इसा ही बीरा। | |||
* ई की मा तो ई नै ही जायो | ''हिंदी – इसके बारे मेँ अनुमान नहीँ लगाया जा सकता।'' | |||
* ईसरो रो परमेसरो। | |||
* ईसानी बीसानी। | |||
* उघाड़ै वारणै धाड़ नहीं, उजाड़ गांव में राड़ नहीं। | |||
* उझल्या समदरा ना डटै। | |||
* उठै का मुरदा उठै बलेगा, अठे का अठे | ''हिंदी – एक स्थान की वस्तु दूसरे स्थान पर अनुपयोगी है।'' | |||
* उठो राणी, काढो बुहारी, आंगण आया, किरसन मुरारी। | |||
* उणीं गांव में पीर उणी में सासरो। | |||
* उतर भैंस मेरी बारी। | |||
* उतारदी लोई, के करैगो कोई। | |||
* उत्तम धरती मध्यम काया, उठो देव, जंगळ कूं आया। | |||
* उत्तर पातर, मैँ मियाँ तू चाकर | ''हिंदी – उऋण होने मेँ संतोष का द्योतक है।'' | |||
* उधार दियोड़ो आवै घर लेखै, नींतर हर लेखै । | |||
* उन्नाळै खाटु भळी सियाळे अजमेर। नागाणौ नितको भळो सावणं बिकानेर॥ | |||
* उललतै पालड़ै को कोई भी सीरी कोनी। | |||
* उल्टी गत गोपाल की, गई सिटल्लु मांय। | |||
* उल्टो चोर कोतवाल नै डांटै। | |||
* उल्टो दिन बूझ कर कोनी लागै। | |||
* उल्टो पाणी चीलां चढ़ै | ''हिंदी – अनहोनी की आशंका को व्यक्त करता है।'' | |||
* ऊँखली मै सिर दे जिको धमका सै के डरै | ''हिंदी – कठिन काम करने के लिए तैयार हो जाने पर विपत्तियोँ से कैसा डरना।'' | |||
* ऊँचे चढ़ चढ़ डोली डाकै, मरद नै थापै। राधो चेतो यूं कहै, थक्यां रहैगी आपै॥ | |||
* ऊँचै गड का ऊंचा कांगरा। | |||
* ऊँचै चढ़ कर देखो, घर घर यो ही लेखो। | |||
* ऊँचो नाग चढ़ै तर ओड़े, दिस पिछमांण बादला दौड़े। | |||
* ऊँट कै मूं में जीरै सै के हुवै? | |||
* ऊँट को पाद धरती को न आकास को। | |||
* ऊँट को रोग रैबारी जाणै। | |||
* ऊँट खो ज्याय तो टोपली उतार लिये। | |||
* ऊँट चढ्या नै कुत्तो खाय। | |||
* ऊँटां नै सुहाल्यां सै के होय। | |||
* ऊं बात नै घोड़ा ई को नावड़ै ना। | |||
* ऊंखली में सिर दे जिको धमकां सैं के डरै। | |||
* ऊंट मिठाई इस्तरी, सोनो गहणो शाह। पांच चीज पिरथी सिरै, वाह बीकाणा वाह । ''हिंदी - काव्य पंक्तियां मरुधरा की ऐसी पांच विशिष्टताओं को उल्लेखित करती है जिनकी सराहना समूची दुनिया में हो रही है।'' | |||
* ऊंदरी को जायो बिल ही खोदै। | |||
* ऊंधै ही अर बिछायो लाद्यो। | |||
* ऊजड़ खेड़ा फिर बसै, निरधनियां धन होय। जबन गयो न बावड़ै मतना द्यो थे खोय॥ | |||
* ऊत गये की चिट्ठी आई, बांचै जीनै राम दुहाई। | |||
* ऊत गयो दक्खन, उठे का ल्यायो लक्खन। | |||
* ऊत गांव में अरंड ही रूंख। | |||
* ऊत गांव में कुम्हारा ही महतो। | |||
* ऊतां कै के सींग होय है। | |||
* ऊदलती का किस दायजा? | |||
* ऊन'रै को जायेड़ो बिल ही खोदै । | |||
* ऊपर तो लहर्यो पण नीचे के पहर्यो। | |||
* ऊपर राम चढ्यो देखै है। | |||
* ऊबर बागा, घर में नागा। | |||
* ऊबो मूतै सूत्यो खाय, जैंको दालद कदे न जाय। | |||
* ऊमस कर घृत माढ गमावे, झांड कीड़ी बहार लावे | नीर बिनां चिडियां रज न्हावै, तो मेह बरसे धर मांह न मावै। | |||
* ऊलै गैले चालै, खत्ता खाय। | |||
* एक आंख को के मीचै के खोलै। | |||
* एक आदर्यो हाथ लग ज्याय पछै तो करसो राजी। | |||
* एक ई बेल का तूमड़ा है। | |||
* एक करोट की रोटी बल उठै। | |||
* एक कांजी को टोपो दूध की भरी झाकरी नै बिगाड़ दे। | |||
* एक कांणू एक खोड़ो, राम मिलायो जोडो। | |||
* एक घर तो डाकण ही टालै है। | |||
* एक घर में बहुमता र जड़ां मूल सै जाय। | |||
* एक चणो दो दाल। | |||
* एक जणैं की हलाई डोर हालै। | |||
* एक जाड़ खाय, एक जाड़ तरसै। | |||
* एक टको मेरी गांठी, मगद खांऊं क मांठी। | |||
* एक दिन पावणूं, दूजै दिन अनखावणो, तीजै दिन बाप को मुंघावणूं। | |||
* एक नन्नो सो दुख हड़ै। | |||
* एक पग उठावै अर दूसरै की आस कोनी। | |||
* एक पती बिन पाव रती। | |||
* एक पहिये सैं गाड़ी कौन्या चालै। | |||
* एक पीसा की पैदा नहीं, र घडी की फुरसत नहीं। | |||
* एक पैड वाली कोन्यार बाबा तिसाई। | |||
* एक बांदरी कै रूस्यां के अयोध्यां खाली हो ज्यासी। | |||
* एक बार योगी, दो बार भोगी, तीन बार रोगी। | |||
* एक भेड़ कुवै में पड़ै तो सै जा पड़ै। | |||
* एक म्यान में दो तलवार कोनी खटावै। | |||
* एक रती बिन पाव रती को। | |||
* एक लरड़ी तूगी जद के हुयो। | |||
* एक सैं दो भला। | |||
* एक सो एक अर दो सो दो। | |||
* एक हल हत्या, दो हल काज, तीन हल खेती, च्यार हल राज। | |||
* एक हाथ मैँ घोड़ो एक मैँ गधो है | ''हिंदी – भलाई-बुराई का साथ-साथ रहना।'' | |||
* एक हाथ लील में, एक हाथ कसूमा में। | |||
* एक हाथ सै ताली कोनी बाजै। | |||
* एकली लकड़ी ना जलैर नाय उजालो होय। | |||
* ऐ घर घोड़ी आपणा, बा छी बीकानेर। घास घणेरो घालस्यां, बांणू द्यूं ना सेर॥ | |||
* ऐ विधनारा अंक, राई घटै न राजिया। | |||
* ऐँ बाई नै घर घणा | ''हिंदी – योग्य व्यक्ति हर जगह आदर पाता है।'' | |||
* ऐरण की चोरी करी, कर्यो सुई को दान। ऊपर चढ़ कर देखण लाग्यो, कद आवै बीमाण॥ | |||
* ऐसा को तैसा मिल्या, बामण को नाई। बो दीना आसकां, बो आरसी दिखाई॥ | |||
* ओ क्यां टो टाबर ? खाय बराबर। | |||
* ओ ही काल को पड़बो, ओ ही बाप को मरबो | ''हिंदी – कठिनाईयाँ एक साथ आती हैँ।'' | |||
* ओई पूत पटेलां में, ओई गोबर भारा में। | |||
* ओगड़ बेटो क्यांसू मोटो, लावो गिणै न टोटो। | |||
* ओछा की प्रीत कटारी को मरबो | ''हिंदी – ओछा अर्थात् निकृष्ट का साथ तथा कटारी से मरना दोनोँ ही एक समान हैँ।'' | |||
* ओछी गोडी ने सकड़, बहै उलाला बग्ग। बो ओठी बो करल हो, आयण होय अलग्ग॥ | |||
* ओछी पूंजी घणै नै खाय। | |||
* ओछी पोटी में मोटी बात कोनी खटावै। | |||
* ओछै की प्रीत, बालू की सी भींत। | |||
* ओछै की मातैगगी, चाकी मांलो बास। | |||
* ओछो बोरो, गोदो को छोरो, बिना मुरै की सांड, नातै की रांड कदेई न्ह्याल कोनी करै। | |||
* ओडी भली न टोडी भली, खुल्लै केंसा नार। | |||
* ओस चाट्यां कसो पेट भरै। | |||
* ओसर चूकी डूमणी, गावै आलपताल। | |||
* ओसर चूक्या नै मोसर नहीं मिलै। | |||
* ओसर चूक्यां नै मौसर नहीँ मिलै | ''हिंदी – चूक होने पर अवसर नहीँ मिलता।'' | |||
* ओसां सै घड़ियो कोनी भरै। | |||
* औ और तो नार पड़्यो है पण काम में डबको। | |||
* और राड्या राड कराँ, ठाला बैठ्या के कराँ। | |||
* और सदा सूतो भलो ऊभो भणो असाढ़। | |||
* और सब सांग आ ज्मायं, बोरै वालो सांग कोन्या आवै। | |||
* और सब सांग आ ज्यायं, बोरै वालो सांग कोन्या आवै | ''हिंदी – निर्धन बोहरे (धनी) का स्वांग नहीँ भर सकता।'' | |||
==क-घ== | |||
* क ख ग घ ड़, काको खोटा क्यों घडै । | |||
* कंगाल छैल गाँव नै भारी | ''हिंदी – गरीब शौकीन व्यक्ति गाँव पर भारी पड़ता है।'' | |||
* कंवरजी म्हैलां से उतर्या, भोड़ल को भलको। | |||
* कंवारा का के न्यारा गांव बसै है। | |||
* कक्कै को फूट्यो आंक ई को आवै अरनाम विद्याधर। | |||
* कटे तो काऊ का, सीखे तो नाऊ का। | |||
* कठे राजा भोज, कठे गांगलो तेली। | |||
* कठे राम राम, कठे ट्यां ट्यां! | |||
* कड़वी बेल की कड़वी तुमड़ी, अड़सठ तीरथ न्हाई। गंगा न्हाई, गोमती न्हाई, मिटी नहीं कड़वाई। | |||
* कण कण भीतर रामजी, ज्यूं चकमक में आग। | |||
* कद नटणी बांस चढै, कद भोजन पावै। | |||
* कद राजा आवै, कद दाल दलूं। | |||
* कदे गधो गूण पर, कदे गूण गधा पर। | |||
* कदे घई घणा, कदे मूठी चणा। | |||
* कदे न घोड़ा ही सिया, कदे न खीँच्या तंग। कदे न रांड्या रण चढ्या, कदे न बाजी जंग॥ ''हिंदी – कायर पुरुष कभी भी साहसपूर्ण कार्य नहीँ कर सकता।'' | |||
* कदे नाव गाडी पर, कदे गाडी नाव पर। | |||
* कनकड़ा दोन्यू दीन बिगाड़्यो | ''हिंदी – निकृष्ट साधु दोनोँ ही धर्महीन हो जाते हैँ।'' | |||
* कनफडा दोन्यू हीन बिगाड्या। | |||
* कपड़ा फाट गरीबी आई, जूती टूटी चाल गमाई। | |||
* कपूत जायो भलो न आयो। | |||
* कपूत हूँ नपूत भलो । | |||
* कबित सोवै भाट नै, खेती सोवै जाट नै। | |||
* कबूतर नै कुवो ही दीखै | ''हिंदी – प्रत्येक व्यक्ति को स्वार्थपरक लक्ष्य ही दिखाई देता है।'' | |||
* कबूतर नै कुवो ही दीखै। | |||
* कम खालेणा पण कम कायदे नहीं रहणा। | |||
* कमजरो गुस्सा ज्यादा, ऐई मारा खाणै का रादा। | |||
* कमजोर की लुगाई, सबकी भौजाई। | |||
* कमजोर को हिमायती हारै। | |||
* कमाई गैल समाई। | |||
* कमाऊ आवै डरतो, निखटू आवै लड़तो | ''हिंदी – कमाने वाला डरता हुआ तथा निकम्मा व्यक्ति लड़ता हुआ आता है।'' | |||
* कमाऊड़ै नै घी, खाऊड़ै नै दुर छी! ''हिंदी - कमाने वाले का सर्वत्र सम्मान होता है और उड़ाने वाले को सभी अवज्ञा की नजर से देखते हैं।'' | |||
* कमावै थोड़ो खरचै घणूं, पैलो मूरख उणनै गिणूँ। | |||
* कमावै धोती हाला, खा ज्याय टोपी हाला। | |||
* कमेड़ी बाज नै कोनी जीतै | ''हिंदी – कमजोर बलवान से नहीँ जीत सकता।'' | |||
* कर ये महती मालपुआ, बो लेसी हुया हुया। | |||
* कर रै बेटा फाटको, खड्यो पी दूध को बाटको । | |||
* कर ले सो काम, भज ले सो राम । | |||
* करड़ी बाँघै पगड़ी घुरड़ लिववै नक्ख। करड़ी पैरे मोचड़ी, अणसरज्या ही दुक्ख॥ | |||
* करणी जिसी भरणी। | |||
* करणी पार उतरणी। | |||
* करणी भोगै आपकी, के बेटो के बाप। | |||
* करन्ता सो भोगन्ता खोदन्ता सो पड़न्ता। | |||
* करम कमेड़ी को सो, मन राजा को सो। | |||
* करम फूटया नै भाग फूट्या ही मिलै। | |||
* करम में घोड़ी लिखी, खोल कुण ले ज्याय? | |||
* करम में लिख्या कंकर तो के करै शिवशंकर? | |||
* करम लिखा कंकर तो के करै शिव शंकर । | |||
* करमहीण किसनियो, जान कठै सूं जाय । करमां लिखी खीचड़ी, घी कठै सूं खाय ।। | |||
* करमहीण खेती करे, के हळ भागे के बळद मरे । | |||
* करमहीन खेती कैर, के काल पडै के बलद मरै। | |||
* करैगो टहल तो पावैगो महल। | |||
* करैगो सेवा तो पावैगो मेवा। | |||
* कर्क मैद को के भाव? कै चोट जाणिये। | |||
* कर्म की सगलै बाजै है। | |||
* कल सूं कल दबै है। | |||
* कलह कलासै पैँडे को पाणी नासै | ''हिंदी – घर मेँ क्लेश होने पर परीँडे का पानी भी नष्ट हो जाता है।'' | |||
* कसम मरे को धोखो कोनी, सुपनू सांचो होणूं चाये। | |||
* कसाई कै दाणै नै बकरी थोड़ी ही खा सकै है? | |||
* कसो हाक मार्यां कूवो खुदै है। | |||
* कांई गोडियो कैवै अर कांई पूंगी कैवे। | |||
* कांट कटीली झाखडी लागै मीठा बोर। | |||
* कांटे सै कांटो नीसरै। | |||
* कांदा खाय कमधजां, घी खायो गोलांह। चुरू चाली ठाकरां, बाजंतै ढोलांह॥ | |||
* कांदे वाला छिलका है, ऊंची दे जितणी ही बास आवै | ''हिंदी – बुराई को जितने पास से देखोगे उतनी ही अधिक बुराई दिखाई देगी।'' | |||
* कांधियो थोड़ा ई बलै है। | |||
* कांधे पर छोरो, गांव में ढिंढोरो। | |||
* काकड़ी की चोरी अर मूकां की मार। | |||
* काका खोखो पायो, कह, काका कै सागै तो ऐ है गैरा करैगी। | |||
* काग कुहाड़ो नर, काटै ही काटै। | |||
* काग पढ़ायो पींजरै, पढगो च्यारूं वेद, समझायो, समझ्यो नहीं, रह्यो ढेढ को ढेढ। | |||
* कागलां की दुर्शीष ऊं ऊंट कोनी मरै । | |||
* कागलां कै काछड़ा होता तो उड़ता कोन्या दीखता? ''हिंदी – मनुष्य के गुण स्पष्ट दिखाई देते हैँ।'' | |||
* कागलां कै सराप सूं ऊंट कोनी मरै। | |||
* कागलो हंस, हाली सीखै हो सो आप हाली भी भूलगो। | |||
* कागा किसका धन हरे, कोयल किसकूं देय। जभड़ल्यां के कारणै, जग अपनो कर लेय॥ | |||
* कागा कुत्ता कुमाणसा, तीन्यूं एक निकास। ज्यां ज्यां सेर्यां नीसरै, त्यां त्यां करे बिनास॥ | |||
* कागा हंस न गधा जती। | |||
* काच कटोरो, नैण जल, मोती दूध अर मन्न। | |||
* काच की भट्टा मांइ मांय धवै। | |||
* काचो दूध खटाई फाड़ै, तातो दूद जमावै। | |||
* काजल सै आंख भरी कोनी हुवै। | |||
* काजी के मार्योड़ो हलाल होवै है। | |||
* काटर कै हेज घणोँ |''हिंदी – दूध न देने वाली गाय बछड़े से प्रेम प्रदर्शित करती है।'' | |||
* काठ की हांडी दूसरां कोनी चढ़ै। | |||
* काठ डूबै लोडा तिरै। | |||
* काणती भाभी छाय घाल, घालस्यूं दहीं, तु सुप्यार भोत बोल्या ना। | |||
* काणती भेड़ को न्यारो ही रयाड़ो/गवाड़ो | ''हिंदी – निकृष्ट व्यक्तियोँ को जब विशिष्ट लोगोँ मेँ स्थान नहीँ मिलता तो वे अपना संगठन अलग ही बना लेते हैँ।'' | |||
* काणियां पांड्या राम राम। देखी रै तैरी ट्याम ट्याम॥ | |||
* काणी के ब्याह में सौ टेड । | |||
* काणी कै ब्या में सौ कोतिक। | |||
* काणी कै ब्या मैं फेरां तांई खोट। | |||
* काणी को काडल भी कोनी सुहावै। | |||
* काणी छोरी तनै कुण ब्यावैगो, कह ना सरी, मैं मेरै भायां नै खिलाऊंगी। | |||
* काणी भाभी पाणी प्याई, कै लक्खण तो दूधआळा है। | |||
* काणूं खोड़ो कायरो, ऐंचताणूं होय।इण नै जद ही छोड़िये, हाथ घेसलो होय॥ | |||
* कातिक की छांट बुरी, बाणियां की नांट बुरी, भायां की आंट बुरी, राज की डांट बुरी। | |||
* कातिक राज, कीर्तियां, मंगसिर हिरणियां, पोवां पारधी जोड़ा, काटी कटै न घोड़ा। | |||
* काती कुत्ती माह बिलाई, फागण मर्द अर ब्याह लुगाई। | |||
* काती रो मेह कटक बराबर है। | |||
* काती सब साथी। | |||
* कात्या जी का सूत, जाया जी का पूत। | |||
* कादा नै छैड़ै, छाटां भरै। | |||
* कान में कीटी अन्तर अर लगास्यूं। | |||
* कानां ने मुंदरा होसी तो सै आपै आदेस कहसी। | |||
* कानूड़ो कल में आयो, रात बड़ी दिन छोटा ल्याओ। | |||
* काम अर लाम को बैर है। | |||
* काम करल्यो सो कामण कर्या। | |||
* काम करै कोई, मोज उड़ावै कोई। | |||
* काम का ना काज का ... ढाई मण अनाज का । | |||
* काम की माँ उरैसी, पूत की माँ परैसी | ''हिंदी – कर्मठ व्यक्ति सभी को अच्छा लगता है, अकर्मण्य किसी को अच्छा नहीँ लगता।'' | |||
* काम तो करेङो ई भलो । | |||
* काम नै काम सीखावै। | |||
* काम पड्यो जद सेठजी तमेलै चढ़गा। | |||
* काम सर्यो जुग बीसर्यो, कुणबो बाराबाट। | |||
* कामी कै साख नहीं, लोभी कै जात नहीं। | |||
* काल कुसम्मै ना मरै, बामण बकरी ऊंट। ब मांगे बा फिर चरै, बो सूखा चाबै ठूंठ॥ | |||
* काल जाय पण कलंक नहीं जाय। | |||
* काल बागड़ सैं नीपजै, बुरो बामण सै होय। | |||
* काल मरी सासू, आज आयो आंसू। | |||
* काला कनै बैठ्यां काला लागै | ''हिंदी – दुर्जन के संग से कलंक लगता ही है।'' | |||
* काला रै तूं मलमल न्हाय, तेरी कालूंस कदै नहिं जाय। | |||
* काली भली न कोड्याली। | |||
* काली हांडी कनै बैठ्यां कालूस लागै। | |||
* कालै कै कालो नहीं जामै तो कोड्यालो तो जरूर ही जामै। | |||
* कालै गाबा को कालो दाग कोई कोनी देखै। | |||
* कालो आंक भैंस बराबर। | |||
* कालो वै तो करवरो, घोलो वै तो सुगाल। जे चंदो निरमल हुवै तो पड़ै अचिन्तो काल॥ | |||
* काळी बहू अर जल्योड़ो दूध पीढ्याँ ताईं लजावै । | |||
* काळी हांडी रै कनै बैठयाँ काळस न सरी काट तो लाग्यां सरै । | |||
* काळो कै काळो न जलमे तो किल्ड काबरो जरुर जलमै । | |||
* किमै गुड़ ढीलो, किमैं बाणियूं ढीलो। | |||
* कियां फिरै जाणै बिगड्योड़ै ब्याव में नाई फिरै ज्यूं। | |||
* किरती एक जबूकड़ो, ओगन सह गलिया। | |||
* किरपण कै दालद नही, ना सूरां कै सीस। दातारां कै धन नहीं, ना कायर कै रीस॥ | |||
* किसन करी सो लीली, म्है बाजां लंगवाड़ा। | |||
* किसाक बाजा बजै, किसाक रंग लागै। | |||
* कीड़ी नै कण, हाथ नै मण। | |||
* कीड़ी पर के कटक? | |||
* कीड़ी सचै तीतर खाय, पापी को धन परलै जाय। | |||
* कुंदन जड़े न जड़ाव, जमे सलामत कीट। कहे जडिया सुण ले जगत, उड़े मेह की रीठ॥ ''हिंदी – यदि नगीने जड़ते समय कुंदा न लगे तथा सलाइयोँ पर कीट जमने लगे तो वर्षा की सम्भावना होगी।'' | |||
* कुंभार रे घर में फूटी हांडी। | |||
* कुए की मांटी कुए में लाग ज्या है। | |||
* कुए मैँ पड़कर सूको कोई भी निकलै ना | ''हिंदी – जैसा कार्य वैसा फल।'' | |||
* कुछ लख्या सो मन में राख। | |||
* कुण सी बाड़ी को बथवो है। | |||
* कुत्ता तेरी काण कै तेरै घणी की। | |||
* कुत्तां कै पाड़ौस सै कसौ पैरो लाग्यो। | |||
* कुत्ती क्यूं भुसै है, कै टुकड़ै खातर। | |||
* कुत्तै की पूँछ बार बरस दबी रही पण जद निकली जद टेढ़ी की टेढ़ी। | |||
* कुन्या फूले, तुल फले, वृश्चिक ल्यावै लाण। | |||
* कुमाणस आयो भलो न जायो। | |||
* कुम्हार की गधी, घर घर लदी। | |||
* कुम्हार कुम्हारी नै तो कोनी जीतै, गधैड़ै का कान मरोड़ै। | |||
* कुम्हार नै कह, गधै पर चढ़ जद तो को चढ़ै ना, पाछै आप चढ़ै। | |||
* कुल बिना लाज ना, जूं बिना खाज ना। | |||
* कुवै में पड़ कर सूको कोई बी नीकलै ना। | |||
* कूआ सै कूओ कोनी मिलै, आदमी सै आदमी मिल जाय। | |||
* कूण किसी कै आवै, दाणू पाणी ल्यावै। | |||
* कूदिये ने कूवै खेलिये न जूवै। | |||
* कूद्यो पेड़ खजरू सूं, राम करै सो होय। | |||
* कूरा करास खाय, गेहूँ जीमै बाणिया। | |||
* कूवो खोदे जैनै खाड त्यार है। | |||
* के कुत्ती कै पाणई गाडो चालै है? | |||
* के गीतड़ां से भींतड़ा। | |||
* के गूजर को दायजो कै बकरी कै भेड़। | |||
* के तो घोड़ो घोड्यां में के चोरां लियो लेय (के चोर लेईगा)। | |||
* के तो फूड़ चालै कोनी अर चालै जद नो गांव की सीम फोड़ै। | |||
* के नागी धोवै अर के नागी निचोवै। | |||
* के फूँक सै पहाड़ उड़ै है? | |||
* के बाड़ पर सोनूं सूकै है? | |||
* के बेटी जेठ के स्हारै जाई है? | |||
* के बेरो ऊँट के करोट बैठे? | |||
* के मारै बादल को घाम, के मारै बैरी को जाम। | |||
* के मारै सीरी को काम, कै मारे काटर की जाम। | |||
* के मीयां मरगा, क रोजा घटगा। | |||
* के मोड्यो बांधै पागड़ी, कै रहै उघाड़ी टाट। | |||
* के रोऊं ऐ जणी! तूं आंगी दी न तणी। | |||
* के सर्व सुहागण के फरहड़ रांड़। | |||
* के सहरां, के डहरां। | |||
* के सोवै बंबी को सांप, के सोवै जी के माई यन बाप। | |||
* केले की सी कामड़ी होली की सी झल! | |||
* केश वेश पाणी आकास नहीं चितेरो देखै आस। | |||
* कै जागै जैंकै घर में सांप, कै जागै बेटी को बाप। | |||
* कै जाणै भेड़ सुपारी सार। | |||
* कै डूबै अररोला कै डूबै बोला। | |||
* कै तो गैली पैरै कोनी अर पैंरे तो खोलै कोनी। | |||
* कै तो पैल बलद चालै कोनी, र चालै तो सात गांवां की सींव फोड़ै। | |||
* कै तो बावलो गांव जा कोन्या अर जा तो बावडै कोन्या। | |||
* कै हंसा मोती चुगै कै लंघन कर ज्याय। | |||
* कैं लड़ै लड़ाकडो कै लड़ै अणजाण। | |||
* कैर को ठुंठ टूट ज्यागो, लुलैगो नहीं। | |||
* कोई कै बैंगण बायला, कोई कै बैंगण पच्छ कोई कै बादी करै, कोई कै जाय जच्च। | |||
* कोई को हाथ चालै तो कोई की जीभ चालै। | |||
* कोई गावै होली का, कोई गावै दिवाली का। | |||
* कोई भी मा का पैट से सीख कर कोनी आवै। | |||
* कोई मानै न तानै, मैं तो लाडै की भुवा। (कोई मानै ना तानै ना, मैं लाडो की भुवा) | |||
* कोई स्यान मस्त, कोई ध्यान मस्त, कोई हाल मस्त, कोई माल मस्त। | |||
* कोडी कोडी करतां बी लंग लागै है। | |||
* कोडी कोडी धन जुड़ै। | |||
* कोडी चालै डौकरी, कैंका काडै खोज। काई थारो खो गयो पूछै राजा भोज॥ | |||
* कोयलां की दलाली में काला हाथ। | |||
* कोस चाली कोन्या अर तिसाई। | |||
* कौड़ी बिन कीमत नहीं सगा नॅ राखै साथ, हुवै जे नामों (रूपया) हाथ मैं बैरी बूझै बात। | |||
* कौण सुणै किण नै कहूँ, सुणै तो समझौ नाहि।कहबो सुणबो समझबो, मन ही को मन मांहि॥ | |||
* क्यूं आंधो न्यूंतै, क्यूं दो बुलावै। | |||
* क्यूं धो चीकणा, क्यूं कुंहाड़ो भूंठो। | |||
* क्यूं लो खोटो, क्यूं लुहार खोटो। | |||
* क्रितिका करे किरकिरो, रोहिणी काल सुकाल। थे मत आबो मृगशिरी हड़हड़ करती काल॥ | |||
* खटमल कुत्तो दायमो, जय्यो मांछर जूं। | |||
* खर घूघ मरख नरां सदा सुखी प्रिथिराज। | |||
* खर बाऊं बिस दाहणूं। | |||
* खर, घूघू, मूरख नरा सदा सुखी प्रिथिराज | ''हिंदी – गधा, उल्लू तथा मूर्ख मनुष्य सदा सुखी रहते हैँ क्योँकि ये चिन्ता नहीँ करते।'' | |||
* खरी कमाई घणी कमाई । | |||
* खरी मजुरी चोखा दाम। | |||
* खल खाई न भल आई, सासरै गई न भू कुहाई। | |||
* खल गुड एकै भाव। | |||
* खां साब लकड़ी तोड़ो तो कै ये काफरका काम, खां साब खीचड़ी खावो तो कै बिसमिल्ला। | |||
* खांड गली का सै सिरी, रोग गली का कोई नहीं। | |||
* खाईये त्यूंहार, चालिए व्यौहार। | |||
* खाज पर आंगली सीदी जाय। | |||
* खाणू पीणू खेलणू, सोणू खूंटी ताण। आछी डोबी कंथड़ा, नामदी के पाण॥ | |||
* खाणू माँ का हाथ को होवो भलांई झैर ई, चालणू गैलै को होवो भलाई फेर ई, बैठणू, भायां को होवो भलांई बैर ई, छाया मौके की होवै भलांई कैर ई, जीमणूं, प्रेम को होवो भलांई झैर ई। | |||
* खाणै में दळिया, मिनखां में थळिया। | |||
* खाणो मन भातो, पैरणो जग भातो। | |||
* खात अर पाण, के करै बिनाणी। | |||
* खाबो खीर को अर बाबो तीर को। | |||
* खाबो सीरा को अर मिलबो वीरा को। | |||
* खाय कर सो ज्यांणू, मार कर भाग ज्याणूं (खा कर सो ज्याणू अर मारकर भाग ज्याणू) | |||
* खाय धणी को, गीत गावै बीरै का। | |||
* खाये जैंको गाये। | |||
* खारी बेल की खारी तूमड़ी। | |||
* खाल पराई लीकड़ो ज्याणूं भूस में जाय। | |||
* खाली लल्लोई सीख्यो है, दद्दो कोनी सीख्यो। | |||
* खावण का सांख, पावणा का बासा। | |||
* खावै तो डाकण, ना खावै तो डाकण |''हिंदी – बद से बदनाम बुरा होता है।'' | |||
* खावै पुणू–जीवै दुणू | हिंदी – कम खाने वाला अधिक जीता है | |||
* खावै पूणुं, जीवै दूणु। | |||
* खिजूर खाय सो झाड़ पर चढ़ै। | |||
* खिजूर खाय सौ झाड़ पर चढ़ै | ''हिंदी – खतरा वही उठाता है जिसे लाभ की आशा होती है।'' | |||
* खिलाया को नांव कोनी होय, रुवाया को नांव हो जाय। | |||
* खींचिये न कब्बान छोड़िये न जब्बान। | |||
* खीर खीचड़ी मन्दी आंच। | |||
* खुपरी जाण खोपरा, बीज जाण हीरा, बीकाणो भंडार रा मीठा हुवै मतीरा । ''हिंदी - बीकानेरी मरुधरा की वनस्पतियों के राजा मतीरे की तुलना हीरे-जवाहरातों से की गई हैं।'' | |||
* खुले किंवाड़ा पोल धसै। | |||
* खूट्यो बाण्यो जूना खत जोवै। | |||
* खेत नै खोवे गैली, मोडा नै खोवै चेली। | |||
* खेत बड़ा, घर सांकड़ा। | |||
* खेत हुवै तो गांव सैं आथूणों ही हूवै। | |||
* खेती करै नॅ बिणजी जाय, विद्या कै बल बैठ्यो खाय । | |||
* खेती करै बिणज नै ध्यावै, दो मांआडी एक न आवै। | |||
* खेती धण्यां सेंती । ''हिंदी – मालिक की देखरेख से ही खेती (कार्य) अच्छी होती/ता है।'' | |||
* खेती बादल में हैं। | |||
* खेती सदा सुख देती। | |||
* खेल कोठा में पाणी कुवै मैँ सैं ई आवै। | |||
* खेल खिलाड्यां को, घोडा असवारां का। | |||
* खैरात बंटै जठै मंगता आपे ही पूंच ज्यावै | ''हिंदी – जहाँ खैरात बँट रही हो, भिखारी पहुँच ही जाते हैँ।'' | |||
* खो की मांटी खो में लागै। | |||
* खोई नथ बटोड़ा में नणद को नांव। | |||
* खोखा म्हांने चोखा लागै, खेजड़लो ज्यूं खजूर। निंबोळी-अंबोळी सिरखी, रस देवै भरपूर ||''हिंदी - इसमें खेजड़ी को खजूर से बेहतर और निंबोळी को आम से मीठी व रसीली मानने का लेख है|'' | |||
* खोखा व्है तो खावां, गीत व्है तो गावां। ''हिंदी - जैसी परिस्थिति हो उसी के अनुसार चलना चाहिए।'' | |||
* खोटा काम ठेठ सूं कीन्या, घर खातो नै मांग्या दीन्या। | |||
* खोटो पीसो खोटो बेटो, ओडी वर को माल। | |||
* खोडली खाट खोड़ला पाया, खोड़ली रांड खोडला ई जाया। | |||
* खोपड़ी खोपड़ी की मत न्यारी। | |||
* खोयो ऊँट घड़ा मैँ ढूँढै | ''हिंदी – अत्यधिक ठगे जाने पर असम्भव भी सम्भव लगता है।'' | |||
* खोली रै तो पूर आप ही घल ज्या। | |||
* गंगा गयां गंगादास, जमना गयां जमनादास। | |||
* गंगा तूतिये मैँ कोनी नावड़ै | ''हिंदी – गंगा नदी छोटे पात्र मेँ नहीँ आ सकती।'' | |||
* गंगा रो गटोळियो, लोटो पाणी ढोळियो, धोया कान अर होया सिनान। | |||
* गंगाजी को न्हावणूं, बिपरां को ब्योहार। डूब जाय तो पार है, पार जाय तो पार॥ | |||
* गंजो अर कांकरां में लोटै। | |||
* गंजो नाई को के धरावै? | |||
* गंडक की पूंछ तो बांकी ही रहसी । | |||
* गंडक कै भरोसै गाडो कोनी चालै। | |||
* गंडक नारेल को के करै? | |||
* गंडक नै देख कर गंडक रोवै। | |||
* गंडकड़ो तो लूह लूह मरगो, धणी कै भांवै ही कोनी। | |||
* गई आबरु पाछी कोनी आवै। | |||
* गई चीज को के पिस्तावो? | |||
* गई तिथ बामण ही को बांचै ना। | |||
* गई बहू गयो काम, आई बहू आयो काम | '['हिंदी – किसी के भरोसे काम नहीँ रुक सकता।'' | |||
* गई बात नै घोड़ा भी कोनी नावड़ै। | |||
* गई बात नै जाण दे, हुई बात नै सीख। | |||
* गई भू गयो काम, आयी भू आयो काम। | |||
* गई ही छाय ल्यावण नै, दुहारी भी दे आई। | |||
* गटमण गटमण माला फेरै, ऐ ही काम सिधां का। दीखत का बाबाजी दीखै, नीचै खोज गधां का। | |||
* गड़गड़ हंसै कुम्हार की, माली का चर रया बुंट। तू मत हंसै कुम्हार की, किस कड़ बैठे ऊँट। | |||
* गढ़ बैरी अर केहरी, सगो जंवाई जी। इतणा तो अलग भला, जब सुख पावै जी। | |||
* गढां कै गढ ही जाया। | |||
* गणगोर रूसै तो आपको सुहाग राखै। | |||
* गणगोर्यां नै ही घोड़ी न दौड़े तो कद दोडै? ''हिंदी – मौके को चूकना।'' | |||
* गधा ने घी दियो तो कै आंख फोड़ै है। | |||
* गधा नै घी कुण दे? | |||
* गधा नै नुहायां घोड़ो थोड़ो ई हो ज्याय। | |||
* गधेड़ी चावल ल्यावै तो बा थोड़ी ही खाय। | |||
* गधेड़ै कै जेओठ में धूदी चढ़ै। | |||
* गधेड़ै को मांस तो खार घाल्यां ही सीजै। | |||
* गधेड़ो ई मुलक जीत ले तो घोड़ नै कुण पूछै? | |||
* गधेड़ो कुरड़ी पर रंजै। | |||
* गधै में ज्ञान नहीं, मूसल कै म्यान नहीं। | |||
* गधो घोड़ो एक भाव। | |||
* गधो मिसरी को कै करै? | |||
* गम बड़ी चीज है। | |||
* गया कनागत आई देवी बामण जीमै खीर जलेबी। | |||
* गया कनागत टूटी आस, बामण रोवै चूल्है पास। | |||
* गरज दीवानी गूजरी नूंत जिमावै खीर, गरज मिटी गूजरी नटी, छाछ नही रे बीर । | |||
* गरज सरी अर वैद बैरी । | |||
* गरजवान की अक्कल जाय, वरदवान की सिक्कल जाय। | |||
* गरजै जिसोक बरसै कोनी! | |||
* गरीब की लुगाई, जगत की भोजाई। | |||
* गरीब की हाय बुरी। | |||
* गरीब को बेली राम। | |||
* गरीब री हाय, जड़ामूल सूं जाय । | |||
* गरीबदास की तो हवा-हवा है। | |||
* गले अमल गुल री हुवै गारी, रवि सिस रे दोली कुंडारी। सुरपत धनक करै विध सारी (तो) एरापत मघवा असवारी॥ | |||
* गहण लाग्यो कोन्या मंगता पैलाई फिरगा। | |||
* गहणो चांदी को अर नखरो बांदी को। | |||
* गाँवहाला कूटै तो माईतां कनै जावै, माईत कूटै तो कठै जावै । | |||
* गांठ को जाय अर लोक हंसाई होय। | |||
* गांधी बेटा टोटा खाय, डेढ़ा दूणा कठे न जाय। | |||
* गांव करै सो गैली करै। | |||
* गांव की नैपे खेड़ा ही कहदी है। | |||
* गांव को ठाकर केरड़ी मार दी, पण म्हे क्यूं कहां? | |||
* गांव गयो, सूत्यो जागै। | |||
* गांव गांव खेजड़ी अर गांव गांव गूगो। | |||
* गांव बलै डूम त्युंवारी मांगै। | |||
* गांव बसायो बाणियो, पार पड़ै जद जाणियो। | |||
* गांव में घर ना, रोडी में खेत ना। | |||
* गांव में पड्यो भजांड़ो, के करैगो सामी तारो। | |||
* गांव हुवै जठे ढेढवाड़ो ही हुवै। | |||
* गाछ गैल बेल बधै। | |||
* गाजर की पूंगी बाजी तो बाजी नहीं तोड़ खाई। | |||
* गाजै जिको बरसै कोनी। | |||
* गाडा को फाचरो अर लुगाई को चाचरो, कुट्योडो ही चोखो। | |||
* गाडा टलै हाडा नही टलै। | |||
* गाडा नै देख कर पाडा का पग सूजगा। | |||
* गाडा नै देखकै पाडा का पग सूजगा | ''हिंदी – संकट के समय डर जाना।'' | |||
* गाडा में छाजला को के भार? | |||
* गाडिये लुहार को कुण सो गांव? | |||
* गाडी उलट्यां पछै विनायक मनायां के होय? | |||
* गाडी को पहियो अर आदमी की जीभ तो चालती ही चोखी। | |||
* गाडी सै अर लाडी सै बच कर रैणूं। | |||
* गाडै लीक सौ गाडी लीक। | |||
* गादड़ मारी पालखी, में धडूक्यां हालसी। | |||
* गादड़ै की तावलां सै बेर थोड़ाई पाकै। | |||
* गादड़ै की मार्योडी सिकार नार थोड़ा ई खाय। | |||
* गादड़ै की मोत आवै जणा गांव कानी भागै। | |||
* गादड़ै कै मूंडै न्याय। | |||
* गाय अर कन्या ने जिन्नै हांकदे, उन्नै ही चाल पड़ै। | |||
* गाय की बाछी नींद आवै आछी। | |||
* गाय की भैंस के लागी? | |||
* गाय ल्याये न्याणै की, भू ल्याये घरियाणै की। | |||
* गायां भायां बामणां, भाग्यां ही भला। | |||
* गायां में कुण गयो, गोदो, कह मार दे बिलोवणो मोदो। | |||
* गारड बिना झैर कोनी उतरै। | |||
* गारै में पग, गिदरां पर बैठबा दे। | |||
* गाल्यां सै गूमड़ा कोनी होय। | |||
* गावणू अर रोवणू सैने आवै है। | |||
* गिरगिट रंग-बिरंग हो, मक्खी चटके देह। मकड़ियां चह-चह करे, जब अठ जोर मेह॥ ''हिंदी – गिरगिट बार-बार रंग बदलता हो, मक्खी शरीर पर चिपके तथा मकड़ी आवाज करे तो वर्षा होने का अनुमान लगाया जाता है।'' | |||
* गीत में गाण जोगो ना, रोज में रोवण जोगो ना। | |||
* गीवूं ल्यावै तो गधी अर खाय अमीर। | |||
* गुड़ की डली दे दे नहीं बाणिये की बेटी बण ज्याऊंगी। | |||
* गुड़ कोनी गुलगुला करती, ल्याती तेल उधारो, परींडा में पाणी कोनी, बलीतो कोनी न्यारो। कड़ायो तो मांग कर ल्याती पण आटा को दुख न्यारो। | |||
* गुड़ खाय गुडियानी को पछ करै। | |||
* गुड़ गीलो हो तो मांखी कदेस की चाट ज्याती। | |||
* गुड़ डलियां, घी आंगलियां। | |||
* गुड़ तो अंधरै में बी मीठो। | |||
* गुड़ देता मरै बिनै झैर क्यूं देणूं | ''हिंदी – यदि मीठे वचन से काम निकलता हो तो कठोर वचन क्योँ बोला जाये।'' | |||
* गुड़ बिना किसी चोथ? | |||
* गुड़ा घालै जितणो ही मीठो। | |||
* गुड़ै गुवाड़ै, फोज पापड़ै आवै। | |||
* गुण गैल पूजा | ''हिंदी – गुणवान की प्रतिष्ठा।'' | |||
* गुर-गुर विद्या, सिर-सिर बुद्धि। | |||
* गुरु की चोट विद्या की पोट । | |||
* गुरु सै चेलो आगला। | |||
* गुरू चेलो लालची, दोनूं खेलै दाव। दोनूं कदेक डूबसी, बैठ पत्थर की नाव। | |||
* गुलगुला भावै पण तेल कठे सूं आवै। | |||
* गुवाड़ को जायो की नै बाबो कै। | |||
* गूंगा तेरी सैन में समझौ कुल में दोय। के गूंगा की मावड़ी के गूंगा की जोय॥ | |||
* गूंगी अर गीता गावै। | |||
* गूंगो बड़ो क राम, कै बड़ो तो है सो है ही पण सांपा से कुण बैर करै। | |||
* गूजर उठे ही गुजरात। | |||
* गूजर किसकी पालती, किसका मित्र कलाल? | |||
* गूजर सै ऊजड़ भली। | |||
* गेरदी लोई तो के करैगो कोई | ''हिंदी – निर्लज्ज होने पर कोई कुछ नहीँ कर सकता।'' | |||
* गैब को धन ऐब में जाय। | |||
* गैली रांड का गैला पूत | ''हिंदी – पागल स्त्री की पागल सन्तान।'' | |||
* गैली सारां पैली | ''हिंदी – अकर्मण्य हर जगह टांग अड़ाता है।'' | |||
* गैलो भलो न कोस को, बेटी भली न एक। मांगत भली न बाप की, साहेब राखै टेक॥ | |||
* गोकुल सै मथरा न्यारी। | |||
* गोद को छोरो, राखणूं दोरो। | |||
* गोद लडायो गीगलो, चढ्यो कचेड्या [[जाट]]। पीर लड़ आई पदमणी, तीन्यू ही बारा बाट॥ ''हिंदी – अधिक प्यार मेँ पला हुआ लड़का, कचहरियोँ मेँ मुकदमेबाजी मेँ उलझा रहने वाला जाट तथा लड़कर पीहर गई स्त्री, ये तीनोँ बर्बाद हो जाते हैँ।'' | |||
* गोदी कां नै गेर कर पेट कां की आस करै। | |||
* गोदी मैं छोरो गळी मैं हेरो । | |||
* गोबर को घड़ो, काठ की तलवार। | |||
* गोबर में तो घींघला ही पड़ै। | |||
* गोरी में गुण होगो तो ढोलो आपै ही आ मिलैगौ। | |||
* गोला किसका गुण करै, ओगणगारा आप, माता जिण की खाबली, सोला जिण का बाप। | |||
* गोलै के सिर ठोलो। | |||
* गोलो अर मूंज पराये बल आंवसै |''हिंदी – जिस प्रकार मूँज पानी का बल पाकर ऐँठती है उसी प्रकार दास अपने स्वामी के बल पर अकड़ता है।'' | |||
* गोलो र मूंज पराये बल आंवसै। | |||
* गोह चाली गूगै नै, सांडो बोल्यो-मेरी भी जात है। | |||
* गौले को गुर जूत। | |||
* ग्यारस को कडदो बारस नै ग्रहण को दान, गंगा को असमान। | |||
* ग्रह बिन घात नहीं, भेद बिन चोरी नहीं। | |||
* घटतोला मिठ बोला। | |||
* घड़ी को सिर हाल दियो, ढीयै को जबान कोनी हलाई। | |||
* घड़ी को ठिकाणूं कोनी अर नाम अमरचन्द। | |||
* घड़ै कुम्हार, भरै संसार। | |||
* घड़ै गैल ठीकरी, मा गैल डीकरी। | |||
* घड़ै सुनार, पैरे नार। | |||
* घड़ै ही गडुओ, होगी भेर। | |||
* घड़ो फूट कर गिरगण ही हाथ आवै। | |||
* घण जाया घण ओलमा, घण जाये घण हाण |''हिंदी– अधिक सन्तान होने से अधिक उपालम्भ मिलते हैँ तथा गालियां भी सुननी पड़ती हैँ।'' | |||
* घण जायां घण नास |''हिंदी– अधिक सन्तान कुटुम्ब की एकता का नाश कर देती हैँ।'' | |||
* घण जीते, सूरमों हारै। | |||
* घण बूंठा कण हाण। | |||
* घणै मीठा मैँ कीड़ा पड़ै | ''हिंदी– अत्यधिक प्रेम से खरास पड़ती है।'' | |||
* घणा जायां घण ओलमा, घणा जायं घण हाण। | |||
* घणा हेत टूटण का, बड़ा नैण फूटण का। | |||
* घणी की कांच दाबण गई, आ पड़ी आपकी। | |||
* घणी रे घणी म्हारा निघण घणी। तूं बैठ्यां म्हारै चिन्ता घणी। | |||
* घणी तीन-पांच आछी कोन्या। | |||
* घणी दाई घणा पेट फाड़ै। | |||
* घणी सराही खीचड़ी दांतां कै चिपै। | |||
* घणी सुधी छिपकली चुग चुग जिनावर खाय । ''हिंदी– अधिक सीधा या चतुर व्यक्ति कभी–कभी अधिक खतरनाक होता है।'' | |||
* घणूं खाय ज्यूं घणूं मरै। | |||
* घणूं बल करया घूंडो पड़ै | ''हिंदी– खीँचातान से वैमनस्य बढ़ता है।'' | |||
* घणूं बल भर्यां घूंडी पड़ै। | |||
* घणूं सियाणो कागलो दे गोबर में चांच। | |||
* घणों सयाणों कागलो हुवै जको गू मे चांच दे । | |||
* घर आयो पावणो रोवतड़ी हँस। | |||
* घर का टाबर काणा भी सोवणा। | |||
* घर का टाबर खीर खा, देवता भलो मानै। | |||
* घर का पूत कुंवारा डोलै, पाडोसी का नो नो फेरा। | |||
* घर की आदी ई भली। | |||
* घर की खांड किरकिरी लागै, गुड़ चोरी को मीठो। | |||
* घर की खाय, सदा सुख पाय। | |||
* घर की छीज लोक की हांसी। | |||
* घर की डाकन घर का नै ही खाय । | |||
* घर को जोगी जोगणूं आन गांव को सिद्ध। | |||
* घर को देव अर घर का पूजारा। | |||
* घर गयां की छांग उसी का केरड़ा, बेटां री बोताज क नैड़ा खेतड़ा। | |||
* घर गैल पावणूं या पावणा गैल घर। | |||
* घर जाए का दिन गिणूँ क दांत। | |||
* घर तो घोस्यां का बी बलसी, पण सुख ऊंदरा भी कोनी पावै। | |||
* घर तो नागर बेल पड़ी, पड़ौसन को खोसै फूस | ''हिंदी– व्यक्ति के पास सब कुछ होते हुए भी वह दूसरे के माल पर नजर रखता है।'' | |||
* घर नै खोवाई साळो । | |||
* घर नै खोवै सालो, भीँत नै खोवै आलो। | |||
* घर बळतो कोनी दीखै, डूंगर बळतो दीखै | |||
* घर ब्याह, भू पीपलां। | |||
* घर में अंधेरो तिलां की सी रास। | |||
* घर में आई जोय, टेडी पगड़ी सीधी होय। | |||
* घर में कसालो, ओढ़ै दुसालो। | |||
* घर में कोन्या तेल न ताई, रांड मरै गुलगुलां तांई। | |||
* घर में घीणा होय क हुडी चोलणा, एता दे करतार फेर नह बोलणा। | |||
* घर में नाही अखत को बीज, रांड पूजै आखा तीज। | |||
* घर में सालो, दीवाल में आलो, आज नहीं तो काल दिवालो। | |||
* घर मैँ कोन्या तेल न ताई, रांड मरै गुलगुला तांई | ''हिंदी– घर मेँ तेल भी नहीँ है तथा रांड गुलगुले खाने के लिए लालायित है।'' | |||
* घर मोटो टोटो घणूं, मोटो पिव को नांव ऐं कारण धण दुबली, म्हारो रसता ऊपर गांव। | |||
* घर रोक्यो सालां, भींत रोकी आलां। | |||
* घर वासे ही रांड अर गोद की बेटी गिरलाई न्ह्याल करै। | |||
* घर सै उठ बनै में गया अर वन में लागी लाय। | |||
* घर सै बेटी नीसरी, भांवै जम ल्यो भांवै जंवाई ल्यो। | |||
* घरकां नै मारणूं, चोरां नै धारणूं। | |||
* घर-घर माटी का चूल्हा | ''हिंदी– सभी की एक सी स्थिति।'' | |||
* घर-बार थारा, पण ताला कूंची म्हारा। | |||
* घरै घाणी, तेली लूखो क्यूं खावै? | |||
* घाघरी को साख नजीक को हो ज्याय। | |||
* घायल गत घूमैह, रै भूमी मारवाड़ री। राळो रुं रुं मेह, साहित इमरत सूरमों॥ | |||
* घिरत ढुल्यो मूंगा कै मांय। | |||
* घी खाणूं तो पगड़ी राख कर खाणूं। | |||
* घी घाल्योड़ो तो अंधेरा में बी छान्यूं कोन्या रैवै। | |||
* घी [[जाट]] को, तेल हाट को। | |||
* घी सक्कर, अरू दूध क ऊपर पप्पड़ा, सात भयां कै बीच सवाया कप्पड़ा। | |||
* घी सुधारै खीचड़ी नाम बहू को होय। | |||
* घी सुधारै खीचड़ी, और बड्डी बहू का नाम । | |||
* घुरी में गादड़ो ई सेर। | |||
* घूंघटा सै सती नहीँ, मुंडाया जती नहीँ | ''हिंदी– स्त्री घूंघट निकालने से सती नहीँ होती तथा पुरुष सिर मुंडा लेने मात्र से संन्यासी नहीँ हो जाता।'' | |||
* घूंस चालती तो बाणियो धरमराज नै भी घूंस दे देतो। | |||
* घूमटा सैं सती नहीं, मुंडाया सै जती नहीं। | |||
* घूमर हाली कै बिछिया चाये। | |||
* घैरगडी सासू छोटी भू बडी । | |||
* घोड़तां कै ब्या में गादड़ा ही गीत गावै। | |||
* घोड़ा तो ठाण बिकै। | |||
* घोड़ै के अवसार को अर बूडली माई को साथ? | |||
* घोड़ै कै नाल जड़तां गधेड़ो ही पग उठावै। | |||
* घोड़ै को लात सूं घोड़ो थोडी ही मरै। | |||
* घोड़ो घास सैं यारी करै तो खाय के? | |||
* घोड़ो चाये निकासी नै, बावड़तो सो आए। | |||
* घोड़ो तो ठाण बिकै | ''हिंदी– गुणी की कीमत उसके स्थान पर ही होती है।'' | |||
* घोड़ो दौड़े दौडे, कुण जाणै। | |||
* घोड़ो मर्द मकोड़ो, पकड्यां छोड़ै थोड़ो। | |||
* चाली जैसो तिकूं रा बोलणा, एता दे करतार फेर न बोलण। | |||
* बतलाया बोले नहीं अर बोलै तो डबको॥ | |||
* म्हरै सैं थारै गई जैंका काडूं खोज। थारै सैं बी जायगी मत गरबावै भोज॥ | |||
==च-झ== | |||
* चक्कू खरबूजै पर पड़ै तो खरबूजै को नास, खरबूजो चक्कू पर पड़ै तो खरबूजै को नास। | |||
* चडती जवानी हर भर्योडी आंट कितना औगण कोनी करै? | |||
* चढसी जिका नै गिर्यां सरसी। | |||
* चढ्योड़ो जाट तूम्बो ई चबा जावै । | |||
* चणा चाब कहै, म्हे चावण खाया, नहीं छान पर फूस, म्हे हेली से आया। | |||
* चणा जठे दांत ना अर दांत जठे चणा ना। | |||
* चणूं उछल कर किसो भाड़ नै फोड़ गेरसी? | |||
* चतर नै चोगणी, मूरख नै सोगणी। | |||
* चमारी अर रावलै जा आयी। | |||
* चलती को नांव गाडी है। | |||
* चांच देई जठे चुग्गो भी त्यार है। | |||
* चांद को गण गंडक नै भार्यो। | |||
* चांद सूरज कै भी कलंक लागै। | |||
* चांदी देख्या चेतना, मुख देख्या त्यौहार | ''हिंदी– चाँदी के सामने होने पर चेतना तथा व्यक्ति के आमने–सामने होने पर व्यवहार किया जाता है।'' | |||
* चाए जिता पालो, पाँख उगता ईँ उड़ ज्यासी | ''हिंदी– पक्षी के बच्चे को कितने ही लाड़–प्यार से रखो, वह पंख लगते ही उड़ जाता है।'' | |||
* चाए जिता पालो, पांख उगतां ही उड़ ज्यासी। | |||
* चाकरी सै सूं आकरी | ''हिंदी– नौकरी सबसे कठिन है।'[' | |||
* चाकी में पड़ कर सापतो कोनी नीसरै। | |||
* चान आगै लूंगत कतीक बार छिपै। | |||
* चाम को के प्यारो, काम प्यारो है। | |||
* चालणी को चाम, घोडै की लगाम, संजोगी को जाम, कदे न आवै काम। | |||
* चालणी मैँ दूध दुवै, करमां नै दोस देवै | ''हिंदी– खुद मेँ अच्छे लक्षण नहीँ होने पर व्यर्थ ही भाग्य को कोसना।'' | |||
* चाली पिरवा पून मतीरी पीली। | |||
* चावलां की भग्गर को के हुवै, बाजरै की को तो सोक्यूं हो। | |||
* चावलां को खाणो, फलसै ताईँ जाणो | ''हिंदी– चावल खाने वाले मेँ शक्ति नहीँ होती, वह केवल दरवाजे तक जा सकता है।'' | |||
* चिड़पिड़ै सुहाग सूं रंडापो ही चोखो। | |||
* चिड़ा-चिड़ी की के लड़ाई, चाल चिड़ा मैँ आई | ''हिंदी– चिड़िया व चिड़े की कैसी लड़ाई अर्थात् पति-पत्नी के बीच का मनमुटाव क्षणिक होता है।'' | |||
* चिड़ी की चांच में सो मण को लकड़ो। | |||
* चिड़ी जो न्हावै धूल मैँ, हा आवण हार। जल मैँ न्हावै चिड़कली, मेह विदातिण बार॥ ''हिंदी– चिड़िया के धूल मेँ नहाने पर वर्षा की सम्भावना होती है तथा पानी मेँ नहाने पर वर्षा काल समाप्ति की सम्भावना होती है। | |||
* चित्रा दीपक चेतवे, स्वाते गोबरधन। डक कहे हे भड्ड़ली अथग नीपजै अन्न॥ | |||
* चींचड़ी र खाज। | |||
* चीकणी चोटी का सै लगवाल | ''हिंदी– धनवान से कुछ प्राप्त करने की सभी की इच्छा होती है।'' | |||
* चीकणै घड़े पर बूँद न लागै, जे लागै तो चीठौ | ''हिंदी– चिकने घड़े पर पानी नहीँ ठहरता पर मैल जम जाता है।'' | |||
* चीकणै घड़ै पर पानी की बूंद को ठहरै ना। | |||
* चील को मांस तो चुटक्यां में ही जासी। | |||
* चुस्सी को सिकार और ग्यारा तोप। | |||
* चूंटी चून घड़ा दस पाणी का। | |||
* चूंटी टूंटी को भी लंक लागै है क्यूं कै नित बड़ी है। | |||
* चून को लोभी बातां सूं कद मानै | ''हिंदी– आटे का लोभी बातोँ से कैसे मान सकता है।'' | |||
* चूनड़ ओढ़ै गांठ की, नांव पीर को होय। | |||
* चूसै का जाया तो बिल ई खोदैगा। | |||
* चूसै के बिल में ऊंट कैयां समावै। | |||
* चेला ल्यावै मांग कर, बैठा खावै महन्त। राम भजन को नांव है, पेट भरण को पन्थ॥ | |||
* चैत चिड़पडो सावण खरखड़ा। | |||
* चैत पीछलै पाख, नो दिन तो बरसन्तो राख। | |||
* चैत मसा उजाले पख, नव दिन बीज लुकोई रख। आठम नम नीरत कर जोय, जां बरसे जां दुरभख होय। | |||
* चैत महिने बीज लुकोवे धुर बैंसाखां केसू धोवै। | |||
* चैत मास नै पख अंधियारा, आठम चवदस हो दिन सारा। | |||
* चोखो करगो, नाम धरगो | ''हिंदी– अच्छा करने वाले की ख्याति रहती है।'' | |||
* चोटी काट्यां चेलो कोनो होय। | |||
* चोटी राख कर घी खाणूं। | |||
* चोपड़ी अर दो दो। | |||
* चोपदरां कै सैं कुण परोसो ले? | |||
* चोर की जड़ चोर ही दाबै। | |||
* चोर की मा घड़ै में मुंह देकर रोवै। | |||
* चोर की मां रो बी कोनी सकै। | |||
* चोर कै छाती है, पण पग कोनी। | |||
* चोर कै बागली ही कोनी। | |||
* चोर चोरी करै पण घरां सांची बतावै । | |||
* चोर चोरी सै गयो, जूती बदलण सै थोड़ो ई गयो। | |||
* चोर नै के मारे, चोर की मां नै मारे। | |||
* चोर पेई लेगो, ले जाओ ताली तो मेर कन्नै है। | |||
* चोरी अर सीना जोरी। | |||
* चोरी को धन मोरी में जाय। | |||
* चोरी चोरी करे पण घर आव ने ता साच बोले है। | |||
* चोरी जैड़ो रुजगार नीं, जे पड़ती व्है मार नीं । | |||
* चौमासे को गोबर लीपण को, न थापण को। | |||
* च्यार कूंट सै मथुरा न्यारी है। | |||
* च्यार चोर चोरासी बाणिया, के करै बापड़ा एकला बणिया। | |||
* च्यार चोर चौरासी बाणिया, बाणिया बापड़ा के करँ । | |||
* च्यार दिनां री चानणी, फेर अँधेरी रात | ''हिंदी– सुख का समय कम रहता है।'' | |||
* च्यार पाव चून चौबारे रसोई | |||
* छड़ी पड़ै छमाछम, विद्या आवै धमाधम। | |||
* छदाम को छाजलो, छै टका गंठाई का। | |||
* छन में छाज उड़ावै, पल मैं करै निहाल। | |||
* छाज तो बोलै से बोलै पण चालणी भी बोलै जिकै ठोतरसो बेज | ''हिंदी– निर्दोष दूसरोँ को सीख देने का अधिकार रखता है पर दोषी किसी को क्या सीख देगा?'' | |||
* छींक खाये, छींकत पीये, छींकत रहिये सोय। छींकत पर घर कदे न जाये, आछी कदे न होय॥ | |||
* छुट्येडा तीर पाछा कोनी आवै। | |||
* छेली दूद तो देवै पण देवै मींगणी करकै। | |||
* छोटी–छोटी कामणी सगळी विष की बेल | ''हिंदी– कामिनियाँ जहर की बेल के समान हैँ।'' | |||
* छोटो उतणूं ही खोटो। | |||
* छोडा छोलणं बूंट उपाड़न, थपथपियो, ओ नाई एता चेला न करो, गरुजी काम न आवै कांई। | |||
* छोड़ो ईस, बैठो बीस। | |||
* छोरा! तेरी पेट तो बांको, कहै, ढाई सेर राबड़ी तो ऐं ही में उलझाल्यूं। | |||
* छोरा! पेट क्यूं टूटगो? कै मांटी खाऊं हूं। | |||
* छोरा, बार मत जाजै, बीजली मार देगी, कह- ऐ जाटां हाला ना खेलै है, कह, ऐ तो बीजली का मार्योड़ो ही है। | |||
* छोरी ऐं गांव में चौधर कैं कै, कह, भई पहल काणैं तो म्हारै खेत निपज्यो हो सो चौधर म्हारे थी। इबकै बाजरी मेरै काका कै हो गई सो चौधर ऊंकै चली गई। | |||
* छोरो बगल में, ढूंढै जंगल में। | |||
* छोर्यां सै ही घर बस ज्याय तो बाबो बूडली क्यूं ल्यावै? | |||
* जंगल जाट न छोड़िये,हाटां बीच किराड़। रांगड़ कदे न छोड़िये,ये हरदम करे बिगाड़।। | |||
* जगत की चोर, रोकड़ को रुखालो। | |||
* जट खोस्यां किसा ऊंट मरै है? | |||
* जटा बधे बडरी जब जांणा, बादल तीतर-पंख बखाणां, अवस नील रंग व्है असमाणां, घण बरसे जल रो घमसाणां। | |||
* जठे देखै तवा परात, उठे नाचै सारी रात। | |||
* जठे पड़ै मूसल, उठै ही खेम कूसल। | |||
* जद कद दिल्ली तंवरां। | |||
* जननी जल्मे तो दोय जण, के दाता के सूर, नातर रहजे बांझड़ी, मती गंवावे नूर। | |||
* जब लग तेरे पुण्य को, बीत्यो नही करार। तब लग मेरी माफ है, औगण करो हजार। | |||
* जबान मैँ रस, जबान मैँ विष | ''हिंदी– बोली मेँ ही रस होता है तथा बोली मेँ ही जहर भी घुला रहता है अर्थात् बोली ही महत्त्वपूर्ण है।'' | |||
* जमी जोरू जोर की, जोर हट्यां और की। | |||
* जमींदार कै बावन हाथ हुवै। | |||
* जमीन ऍर जोरु जोर की नहीं तो कोई और की। | |||
* जमीन को सोवणियो अर झूठ को बोलणियो संकड़ेलो क्यूं भूगतै? | |||
* जयो चींचड़ी, दायमू, खटमल, माछर जूं, अकल गई करतार की, अता बणाया क्यूं। | |||
* जल का जामा पहर कर, हर का मंदर देख। | |||
* जल को डूब्यो तिर कै निकलै, तिरिया डूब्यो बह जाय | ''हिंदी– पानी मेँ डूबा हुआ तैर कर बाहर आ सकता है परन्तु पर स्त्री आसक्त अवश्य डूबता है।'' | |||
* जलम अकारथ ही गयो गोरी गले न लग्ग। | |||
* जलम को आंधो नाम नैणसुख। | |||
* जलम को दुख्यारो, नांव सदासुखराय। | |||
* जलम घड़ी अर मरण घड़ी टाली कोनी टलै। | |||
* जलम रात अर फेरा टाली कोनी टलै। | |||
* जळ ऊँड़ा थळ उजळा नारि नवळे वेश। पुरुष पट्टाधर निपजे आई मरुधर देश॥ ''हिंदी - गहरे पानी और गहरी सोच वाले यहां के पटादर पुरुष सिर्फ इंसानों से ही नहीं मरुभूमि की उपज से भी प्यार करते हैँ|'' | |||
* जसा देव, बसा ई पूजारा। | |||
* जसा बोलै डोकरा, बसा बोलै छोकरा। | |||
* जसा साजन, उसा भोजन। | |||
* जसो राजा, बसी ही परजा। | |||
* जहर खायगो सो मरैगो। | |||
* जहर नै जहर मारै। | |||
* जां का मरग्या बादस्याह, रुलता फिरै वजीर। | |||
* जांट चढै जको सीरणी बांटै। | |||
* जांटी चढे जको सीरणी बाँट | ''हिंदी - जो समी के पेड़ पर चढ़ता है, वही खतरे के निवारण हेतू देवता का प्रसाद बोलता है ।'' | |||
* जांन में कुण-कुण आया? कै बीन अर बीन रो भाई, खोड़ियो ऊंट अर कांणियो नाई। | |||
* जाओ लाख रैवो साख, गई साख तो बची राख । | |||
* जागता की भैंस पाडी ल्यावै । | |||
* जागता नै पगाथ्यां गेरै । | |||
* जागै सो पावै, सोवै जो खोवै। | |||
* जाट ओर जाट भाई॥ | |||
* जाट और घोयरा तावडॆ मॆ ही निकला करे। | |||
* जाट करै ना दोस्ती, जाट करै ना प्यार जो साचा इंसान हो, वो-ए इसका यार । चुगलखोर और दुतेड़े दुश्मन इनके खास चाहे पायां पड़े रहो, कोन्यां आवैं रास || | |||
* जाट कहे सुण जाटणी, इसी ना कदे होय । चाकी पीसे ठाकरां, भांडा मांजै जोय ।। | |||
* जाट कहै सुण जाटणी इणी गांव में रैणो। ऊंट बिलाई ले गई हांजी हांजी कहणों। | |||
* जाट की छोरी र' फलकै बिना दोरी । | |||
* जाट की बेटी और काकोजी की सूं | ''हिंदी - छोटा भी जब ज्यादा नजाकत दिखाने लगता है तब प्रयोग किया जाता है ।'' | |||
* जाट कै बुद्धि गेल न हुवै । | |||
* जाट को के जजमान, राबडी को के पकवान । | |||
* जाट गंगाजी नहा आयो के ? कह, खुदाई कुण है । | |||
* जाट जंगल मत छेड़िये, हाट्यां बीच किराड़। रंघड़ कदे न छेड़िये, जद द करै बिगाड़। | |||
* जाट जंवाई भाणजा, रैबारी सुनार । कदे न होसी आपणा, कर देखो व्योहार ।। | |||
* जाट जंवाई भाणजो, रेवारी सुनार । ऐता नहीं है आपणा, कर देखो उपकार ।। | |||
* जाट जठे ठाठ बठे। | |||
* जाट जठे ठाठ। | |||
* जाट जडूलै मारिये, कागलिये ने आळै । मोठ बगर में पाडि़ये, चोदू हो सो बाळै | ''हिंदी - [[जाट]] जब तक वयस्क नहीं हो जाता, कौवा जब तक उड़ना नहीं सीख लेता तब तक ही ये वश में आते हैं । मोठों पर जब तक बगर आया रहता है तब तक ही उपाड़ना ठीक है ।'' | |||
* जाट जाट तेरो पेट बांको, कह, मैं ई मैं दो रोटी अलजा ल्यूंगो । | |||
* जाट जाट तेरो पेट बांको, कह, मैं ऐ मैं ई दो रोटी राबड़ी अलजा ल्यूंगो। | |||
* जाट डूबै धोळी धार, बानियों डूबै काळी धार । | |||
* जाट न जायो गुण करै, चणैं न मानी बाह, चन्नण बिड़ो कटायकी, अब क्यों रोव बराह । | |||
* जाट पहाडा: एक जाट-जाट, दो जाट-मौज, तीन जाट-कंपनी, चार जाट-फौज | | |||
* जाट बलवान जय भगवान । | |||
* जाट मरा जब जानिये जब चालिसा होय । | |||
* जाट रे जाट ! तेरे सिर पर खाट, कह, मियाँ रे मियाँ ! तेरे सिर पर कोल्हू, कह, तुक तो मिली ना, कह, बोझ्याँ तो मरैगा । | |||
* जाटणी की छोरी र भलकै बिना दोरी। | |||
* जाण न पिछाण मैं लाडा की भुवा। | |||
* जाण मारै बाणियूं, पिछाण मारै चोर। | |||
* जातरी धाणकी र कैवे भींट्योडो को खावूं नी। | |||
* जातै चोर का झींटा ही चोखा। | |||
* जायां पहलां न्हाण किसो? | |||
* जावण लाग्या दूद जमै। | |||
* जावो कलकत्तै सूं आगै, करम छाँवली सागै | ''हिंदी– भाग्य व्यक्ति के साथ रहता है।'' | |||
* जावो भांव जमी के ओड़, यो ई माथो यो ई खोड़। | |||
* जावो लाख रहो साख। | |||
* जिकै गांव नहीं जांणू, ऊंको गैलोही क्यूं पूछणूं? | |||
* जिण का पड्या सुभाव क जासी जीव सूं। नीम न मीठो होय, सींचो गुड़ र घींव सूं। | |||
* जिण दिस बादलण जिण दिस मेह, जिण दिस निरमल जिण दिस खेह। | |||
* जितणा मूंडा, उतणी बात। | |||
* जितणै की ताल कोनी, उतणै का मजीरा फूटगा। | |||
* जिसी करणी, उसी भरणी। | |||
* जी को चून, ऊंको पुन्न। | |||
* जी को बाप बीजली सै मरै, बो कड़कै सैं डरै। | |||
* जी जोड़ै सो तौड़ै। | |||
* जी नै देख्यां ताप आवै, बो ही निगोड़्यो ब्यावण आवै। | |||
* जी हांडी में खाय, बी में ही छेद करै। | |||
* जीँ की खाई बाजरी, ऊं की भरी हाजरी | ''हिंदी– व्यक्ति जिसका दिया खाता है उसी की खुशामद भी करनी पड़ती है।'' | |||
* जीं हांडी में सीर नई, बा चडती ई फूटै। | |||
* जींकै घर में दूजै गाय, सो क्यूं छाछ पराई जाय? | |||
* जीभड़ली मेरी आलपताल कडकोला खा मेरो लाड़लो कपाल। | |||
* जीभड़ल्यां इमरत बसै, जीभड़ल्यां विष होय। बोलण सूं ई ठा पड़ै, कागा-कोयल दोय।। | |||
* जीमण अर झगड़ौ, पराये घरां आछो लागै । | |||
* जीमणों सोरो जीमाणो दोरौ । | |||
* जीम्या जिनै जीमांणा ई पडे । | |||
* जीम्यां छोडै पांवणौ, मरयाँ छोडै ब्याज । | |||
* जीम्यां पाछै चलू होय है। | |||
* जीम्यांर पातल फाड़ी। | |||
* जीव को जीव लागू। | |||
* जीवडल्यां घर उजड़ै, जीवडल्यां घर होय | ''हिंदी– बुरी वाणी से घर उजड़ जाते हैँ तथा अच्छी वाणी से घर बस जाते हैँ।'' | |||
* जीवतड़ा नहीं दान, मर्यांने पकवान। | |||
* जीवतां लाख का, मर्यां सवा लाख का। | |||
* जीवती माखी कोन्या गिटी जावै | ''हिंदी– जानते हुए बुरा काम नहीँ किया जा सकता।'' | |||
* जीवैगा नर तो करैगा घर। | |||
* जीवो बात को कहणियुं जीवो हुंकारा दीणियुं। | |||
* जुग देख र जीणूं है | ''हिंदी– समय के अनुसार कार्य करना चाहिए।'' | |||
* जुग फाट्याँ स्यार मरै | ''हिंदी– संगठन टूटने से हानि है।'' | |||
* जुगत जाणनुं हांसी खेल कोनी। | |||
* जूती चालैगी कतीक, कह, बीमारी जाणिये। | |||
* जे टूट्यां तो टोडा। | |||
* जेठ गल्यो गूजर पल्यो। | |||
* जेठ जी की पोल में जेठ जी ही पोढ़ै। | |||
* जेठ बदी दशमी, जे शनिवार होय। कण ई होय न धरण मैँ, बिरला जीवै कोय॥ ''हिंदी– जेठ कृष्णा दशमी शनिवार को पड़ने पर वर्षा नहीँ होती।'' | |||
* जेठ बीती पहली पड़वा, जो अम्बर धरहड़ै। आसाढ सावण काड कोरो, भादरवै बिरखा करै। | |||
* जेठ मूंगा सदा सूंगा। | |||
* जेठा अन्त बिगाड़िया, पूनम नै पड़वा। | |||
* जेठा बेटा अर जेठा बाजरा राम दे तो पावै | ''हिंदी– ज्येष्ठ पुत्र तथा ज्येष्ठ माह मेँ बढ़ा हुआ बाजर भाग्य से ही प्राप्त होते हैँ।'' | |||
* जेठा बेटा भाई बराबर। | |||
* जेठा बेटा र बेठा बाजरा राम दे तो पावै। | |||
* जेबां घाल्या हाथ जणा ही जाणिया, रुठ्योडो भूपाल क टूठ्या बाणियां। | |||
* जेर सैँ ई सेर हुया करै है | ''हिंदी– बच्चोँ की उपेक्षा न करेँ क्योँकि वे भविष्य मेँ बलवान हो जाते हैँ।'' | |||
* जेवड़ी बलज्या पण बल कोनी जाय। | |||
* जै की चाबै घूघरी, बैंका गावै गीत। | |||
* जै तूं गेरैगो तोड़-मरोड़, मैं निकलूं गी कोठी फोड़। | |||
* जै धन दीखै जावतो, आधो दीजै बांट। | |||
* जै बाण्या तेरे पड़ गया टोटो, बड़जया घी का कोटा में, खीर खांड का भोजन करले, यो भी टोटा टोटा में। | |||
* जै भीज्यो ना काकड़ो तो क्यां फेरै हाली लाकड़ो? | |||
* जै रिण तारे बाप को तो साडा मूंग बुहाय। | |||
* जैं करी सरम, बैंका फूट्या करम । | |||
* जैं की टाट, जैं की ही मोगरी। | |||
* जैतलदे बिना किसो रातीजुगो। | |||
* जैसा कंता घर भला, वैसा भला विदेश। | |||
* जो गुड़ सैं मरै बी'नै जहर की के जरुरत। | |||
* जोजरै घड़ै ही जोरी अवाज। | |||
* ज्यादा लाड सै टाबर बिगड़ै। | |||
* ज्यादा स्याणु कागलो गू मैं चांच दे । | |||
* ज्यूं-ज्यूं बड़ो हुवै ज्यूं-ज्यूं पत्थर पड़ै है। | |||
* ज्वर जाचक अर पावणो, चोथे मंगणहार। लंघण तीन कराय दे, कदे न आसी द्वार। | |||
* झखत विद्या, पचत खेती। | |||
* झगड़ै ही झगड़ै तेरो कींणू तो देख। | |||
* झगड़ो अर भेंट बधावै जितनी ई बधै। | |||
* झट काढी पट बाई। | |||
* झलकणै सूं सोनी कोनी होय। | |||
* झूठ की डागलां ताईँ दौड़ | ''हिंदी– झूठ अधिक दिन नहीँ चलती।'' | |||
* झूठ बिना झगड़ो नहीं धूल बिना घड़ो नहीं। | |||
* झूठ बोलणियों र धरती पर सोवणियों संकड़ेलो क्यूं भगतै? | |||
* झूठी राख छाणी, ल्हादी न दाजी धांणी। | |||
* झूठै की के पिछाण, कै बो सोगन खाय। | |||
* झैर नै झैर मारै। | |||
==ट-ढ== | |||
* टका दाई ले गी अर कून्डो फोड़गी । | |||
* टका लेगी ऊर कूंडो फोड़गी। | |||
* टकै की हांडी फूटी, गंडक की जात पिछाणी । ''हिंदी– थोड़े से नुकसान से नीच की पहचान होना।'' | |||
* टकै-टकै न्यूत है। | |||
* टको टूंसी एक न यार, तोरण मारण होग्यो त्यार । | |||
* टक्को टूंसी एक न यार, तोरण मारण होग्यो त्यार। | |||
* टक्को लाग्यो न पातड़ी, घर में भू दड़कदे आ पड़ी। | |||
* टपकण लागी टापरी, भीजण लागी खाट। | |||
* टांडो क्यूं हो? कै सांड हां। गोबर क्यूं करो? कै गऊ का जाया हां। | |||
* टाटी कै घर नै फेरतां के बार लागै? | |||
* टाबर है पण बड़ा का कान कतरै। | |||
* टाबरां की टोली बुरी, घर में नार बोली बुरी। | |||
* टुकड़ा दे दे बछड़ा पाल्या, सींग हुया जद मारण चाल्या। | |||
* टूट गई डाली, उड़ गया मोर। धी मरी, जंवाई चोर। | |||
* टूटतै आकास कै बलो कोनी लागै। | |||
* टूटी की बूटी कोनी | ''हिंदी– वृद्धावस्था मेँ जब आयु शेष नहीँ रहती तो दवा भी काम नहीँ करती है।'' | |||
* टूटी नाड़ बुढापो आयो, टूटी खाट दलिद्दर छायो। | |||
* टोलै मिलकी कांवली, आय थला बैठत। दिन चौथे के पाँचवैँ, जल थल एक करंत॥ ''हिंदी– जब बड़ी संख्या मेँ चीलेँ एक स्थान पर इकट्ठी हो जायेँ तो वर्षा की सम्भावना होती है।'' | |||
* ठंडो लौह तातै नै काटै | ''हिंदी– धैर्यशील व्यक्ति, दूसरे के गुस्से को शांत कर देता है।'' | |||
* ठगां कै ठग पावणा। | |||
* ठग्यां ठग, ठगायां ठाकर। | |||
* ठठेरै की बिल्ली खुड़कां सै कोनी डरै। | |||
* ठांगर कै हेज घणूं, नापीरी कै तेज घणूं। | |||
* ठाकर आया ए ठुकराणी! चूले आग न पंडै पाणी। | |||
* ठाकर गया अर ठग रह्या मुलक का चोर। बै ठुकराणी मर गई, जणती ठाकर और। | |||
* ठाकर तो कूलै मांड्योड़ो बी बुरो। | |||
* ठाकर री गोळी, गांवरी सिरमोळी । | |||
* ठाकर व्है वो जाण समज्झै अक्खरां। सीरोही तरवार बहे सिर बक्करां। | |||
* ठाकरण भागो किसाक ? कह, गैल की मार जाणिये । | |||
* ठाकरां ऊत गई। कह, गयां ही जाय है। | |||
* ठाकरां की टाबर टीकर है? कह, भाई रे साले रे दो डावड़ा है। ठाकरां क्यूं गावो, कह, रोवण में ही कोनी धापां। | |||
* ठाकरां खल खावो हो, कह, आ ही कुत्ता हूं खोसी है। | |||
* ठाकरां गैर बखत कठे, कह, गैर बखत तो म्हे ही हां। | |||
* ठाकरां ठाडा किसाक? कमजोर का तो बैरी ही पड्यां हां। | |||
* ठाकरां धोला आवगा और भागो हो, कह, भाग-भाग तो धोला किया है, नहीं तो कालां में ही मार गेरता। | |||
* ठाकरां भागो किसाक? कह, गैल की मार जाणिये। | |||
* ठाकरां, घोड़ी ठेका तीन देसी। ठाकर यार तो पैली ही ठेकै आसी, दोय तो एकली देसी। | |||
* ठाकरां, पूंचो पतलो दीखै है? कह, लाग्यां बेरो पड़सी। | |||
* ठाकरां, ब्याया क कुवांरा? कह, आधा। आधा क्यूं? म्हे तो त्यार हां, आगलो मिल ज्याय तो पूरा हो ज्यावां। | |||
* ठाकरां, मर्या सुण्या? कह, सांपरत खड्या हां नी। | |||
* ठाडा का दो बांटा। | |||
* ठाडै कै धन को बोजो–बोजो रुखाळो है | ''हिंदी– शक्तिशाली का धन कोई नहीँ रख सकता।'' | |||
* ठाडै को ठींगो सिर पर। | |||
* ठाडै को डोको डांग नै फाड़ै । | |||
* ठाडै हीणै का दोय गैला। | |||
* ठाडो मारै अर रोवण भी कोन्या दे । | |||
* ठाली ठुकराणी को पेई में हाथ जाय । | |||
* ठाली बैठी डोकरी, घर में घाल्यो घोड़ो । | |||
* ठालै बैठ्याँ सूँ बेगार भली । | |||
* ठिकाणे ठाकुर पूजीजै । | |||
* ठिकाणै सै ई ठाकर बाजै। | |||
* ठोकर खार हुन्स्यार होय । ''हिंदी– मनुष्य को ठोकर लगकर ही अक्ल आती है।'' | |||
* डर तो घणै खाय को है | ''हिंदी– डर तो अधिक खाने का है।'' | |||
* डांगर के हेज घणूं, नापैरी के तेज घणूं | ''हिंदी– दूध न देने वाली गाय बछड़े से अधिक प्रेम करती है, पीहर न होने पर स्त्री अधिक झल्लाती है।'' | |||
* डाकण अर जरख चढी। | |||
* डाकण बेटा ले क दे? | |||
* डाकणां के ब्यावां में नूतारां का गटका। | |||
* डाकणां सै गांव का नला के छाना है। | |||
* डाडी कै लाग्यां आपके पहलां बुझावै। | |||
* डिगमरां कै गांव में धोबी को के काम? | |||
* डूंगर चढ़तो पांगळो, सीस अणीतो भार । | |||
* डूंगर तो देखै बा का ही होय है। | |||
* डूंगर बळती दिखै, पगां बळती कोनी दिखै । | |||
* डूंगरा नै छाया कोनी होय | ''हिंदी– महापुरुष अपनी मदद स्वयं करते हैँ, यह जनसाधारण के बस की बात नहीँ है।'' | |||
* डूबतो सिंवाळां न हाथ घालै । | |||
* डूम गाय-गाय मरै, धणीड़ै कै भांवै ही कोन्या। | |||
* डूमकी जाणै तो बखाणै। | |||
* डूमणी रे रोवण में ही राग। | |||
* डूर्मा आडी डोकरी, बलदां आडी भैंस। | |||
* डेड घड़ा अर [[Didwana|डीडवाणु]] पाऊं। | |||
* डेढ छैल की नगरी में ढाई छैल आयो है, ठग्गैगो, ठगावैगो नहीं। | |||
* डोकरी मुसाण कैंका? आये गये का? | |||
* डोकरी र राज कथा कोय। | |||
* ढक्योड़ो मत उघाड़ और भू घर तेरो ई है । | |||
* ढबां खेती,ढबां न्याव । | |||
* ढल्यो घोटी, हुयो माटी । | |||
* ढांढा मारण, खेत सुकावण, तू क्यूं चाली आधै सावण | ''हिंदी– आधे सावन के बीत जाने पर मनोरम हवा पशुओँ तथा कृषि के लिए हानिप्रद होती है।'' | |||
* ढींगा कतरा ही घलाले, पतासो एक घालूं ना। | |||
* ढेढ़ रे साथे धाप'र जीमो भांवै आंगळी भर कर चाखो । | |||
* ढेढ़ रो पल्लो लगावो, भांवै बाथे पड़ो । | |||
* ढेढ़ को मन ल्याह्वड़ै में ही । | |||
* ढेढ नै सुरग में भी बेगार। | |||
* ढेढ रे साथे धाप र जीमो भांवै आंगली भर कर चाखो। | |||
* ढेढ रो पल्लो लगावो, भांवै बाथे पड़ो। | |||
* ढेढणी और रावळै जा आई । | |||
* ढेढ़ां की दुर्सीस सूं दाव थोड़ा ई मरै । | |||
* ढोल दमामा दुडबड़ी, बैठे सादर बाज। कहे डोम दिन तीन मेँ, इन्द्र करे आवाज॥ ''हिंदी– यदि चमड़े से मढ़े ढोल नगाड़े आवाज न करेँ तो शीघ्र वर्षा आने की सम्भावना होती है।'' | |||
* ढोली गावतो अर टाबर रोवतो चोखो लागै । | |||
* ढोसी का डूंगर चीकमा होता तो नारनोल का कुत्ता कदेस का चाट ज्याता। | |||
* पातां सामी पांत क पैल परूसणा। एक दे करतार फेर क्या चावणा। | |||
==त-न== | |||
* तंगी में कुण संगी ? ''हिंदी– कमी मेँ किसी का सहार नहीँ मिलता।'' | |||
* तड़कै तो ल्यो चकांचक? कह, कैं कै? कह, आ भी सांची है! | |||
* तरवार को घाव भर ज्या, बात को कोनी भरै? | |||
* तलै तो हूँ पर ऊपर टांग मेरी ई है। | |||
* तवै की काची नै, सासरै की भाजी नै कठैई ठोड़ कोनी । ''हिंदी– कच्ची रोटी तथा ससुराल को छोड़कर जाने वाली स्त्री का कोई ठौर–ठिकाना नहीँ रहता है।'' | |||
* तवै चढ़ै नै धाड़ खाय। | |||
* ताण्यां तेरै मांय बास आयै है, कह, मेरी बासो बी कठे है। | |||
* ताण्यूं कुणसी पोसांका में। | |||
* ताता पाणी सैं कसी बाड़ बळै । ''हिंदी– मात्र क्रोध मेँ किसी को कुछ कहने से उसका कुछ भी नहीँ बिगड़ता है।'' | |||
* तातो खावै छायां सोवै, बैंको बैद पिछोकड़ रोवै। | |||
* तारा तग-तग करैँ, अम्बर नीला हुन्त। पड़ै पटल पाणी तणी, जद संज्या फुलन्त॥ ''हिंदी– नीले आसमान मेँ तारे टिमटिमाएं तथा सांझ फूले तो वर्षा आने की प्रबल सम्भावना हो जाती है।'' | |||
* ताली लाग्यां तालो खुलै | ''हिंदी– युक्ति से ही कार्य होता है।'' | |||
* ताळी लाग्यां ताळो खुलै । | |||
* तावळो सो बावळो । | |||
* तिरिया चरित न जाणे कोय, खसम मारके सत्ती होय। | |||
* तिल देखो, तिलां की धार देखो। | |||
* तीज त्युंहारां बावड़ी, ले डूबी गणगौर। | |||
* तीजां पाछै तीजड़ी, होळी पाछै ढूंढ, फेरां पाछै चुनड़ी, मार खसम कै मूंड । | |||
* तीतर कै मूंडै कुसळ है । | |||
* तीतर छोड बणी में दीया, भटजी हो गया नीराला। | |||
* तीतर पंखी बादली, विधवा काली रेख। या बरसै या वध करै, इसमेँ मीन न मेख॥ ''हिंदी– तीतर जैसी आकृति के छोटे–छोटे बादल छाने पर निश्चित रूप से वर्षा होती है।'' | |||
* तीतर पंखी बादळी, विधवा काजळ रेख । बा बरसे बा घर करै, ई में मीन न मेख ।। | |||
* तीन तेरा घर बिखरै। | |||
* तीन बुलाया तेरा आया, भई राम की बाणी । राघो चेतन यूँ कहै, द्यो दाळ में पाणी ।। | |||
* तीन सुहाळी, तेरा थाळी । बांटण वाळी सतर जणी ।। | |||
* तीसरे सूखो आठवैं अकाळ - राजस्थान के लिए प्रयोग किया गया है । | |||
* तुरकणी कात्योड़े में ही फिदकड़ो। | |||
* तुरकणी कै रांध्योड़ा में कसर? | |||
* तुरकणी कै रान्ध्योड़ा में के कसर । | |||
* तू आवे ढिग एक बार तो मैं आऊं ढिक अट्ठ। तू म्हां सै करड़ो रहै तो म्हे बी करड़ा लट्ठ। | |||
* तू काणूं मैं खोड़ो, राम मिलायो जोड़ो। | |||
* तू चालै तो चाल निगोड्या, मैं तो गंगा न्हाऊंगी। | |||
* तू रोवे है छाक नै, मैं बूझण आई कै उधारो की कै ऊँ ल्याऊं। | |||
* तूं आंटीली मैं अणखीली क्यूंकर होय खटाव? | |||
* तूं ई गांव को चोधरी, तूं ई नम्बरदार। | |||
* तूं क्यूं लाडो उणमणी तेरै सेलीवालो साथ। | |||
* तूं खत्राणी मैं पाडियो, तूं बेस्या मैं भांड। तेरे जिमाये मेरे जीमणै में पत्थर पड़ियो रै रांड। | |||
* तूं डाल-डाल मैं पात-पात। | |||
* तूं बी राणी मैं बी राणी, कूण भरै पैंडे को पाणी? | |||
* तूं है देसी रूंखड़ो, परदेसी लोग, म्हांने अकबर तेड़िया तूं किम आयो फोग। ''अर्थ - दूर देस में अपनी भूमि के पौधे '''फोग''' को देखकर अपनापन जताना महज देस से दूरी का वियोग नहीं है अपितु अपनी हर उपज का सम्मान यहां के लोग बड़े सलीके से करते हैं।'' | |||
* तेरा मेरा दो गैला। | |||
* तेरी आंख में ताकू द्यूं हूं, कायर मना हुए। | |||
* तेरी मेरी बोली में ई को सलै ना। | |||
* तेरै ल्होड़िये नै न्यूतो है, कह, मेरै तो सगला ढाई सेर्या है। | |||
* तेल तो तिलां सै ही निकलसी | ''हिंदी– तेल तिलोँ से ही निकलता है।'' | |||
* तेल बलै बाती बलै, नांव दिवा को होय। | |||
* तेल बाकला भैंरू पूजा। | |||
* तेली की जोरू ल्हूखो क्यूं खाय? | |||
* तेली सूं खल ऊतरी, हुई बलीतै जोग। | |||
* थारा बायेङा कदै ऊग्या हा के । | |||
* थारी म्हारी बोली में, इतरो ही फरक्ख। तू तो कहै फरेस्ता र मैँ कहूं जरक्ख। | |||
* थावर की थावर ही किसा गांव बलै है। | |||
* थावर कीजे थरपना बुध कीजै व्योहार | ''हिंदी– शनिवार को स्थापना तथा व्यवहार बुधवार को शुरु किया जाना अच्छा होता है।'' | |||
* थोथो चणो बाजै घणो | ''हिंदी– अवगुणी अधिक बढ़–चढ़कर बातेँ करते हैँ।'' | |||
* थोथो शंख पराई फूँक सै बाजै | ''हिंदी– जिस व्यक्ति मेँ स्वयं मेँ कोई गुण नहीँ होता वह दूसरोँ की सलाह से ही कार्य करता है।'' | |||
* दगाबाज दूणू नवै, चीतो चोर कबाण। | |||
* दगो कैंको सगो नहीं। | |||
* दग्गड दग्गड खाऊंगी, बोलैगो तो मारूंगी मर ज्याऊंगी। | |||
* दबी मूसी कान कटावै। | |||
* दमड़ां को लोभी बातां सै कोनी रीझै। | |||
* दमड़ी का छाणा धुआंधार मचाई। | |||
* दलाल कै दिवालो नहीँ, महजित कै तालो नहीँ | ''हिंदी– दलाल को घाटा नहीँ है, मस्जिद मेँ कोई समान न होने पर ताला लगाने की आवश्यकता नहीँ।'' | |||
* दलाल कै दिवालो नहीं, महजीत कै तालो नहीं। | |||
* दस दिन को दसरावो अर बीसैं दिन दिवाळी । | |||
* दसां डावडो, बीसां बावलो, तीसां तीखो, चालीसां चोखो। पचासां पाको, साठां थाको, सतरां सूलो, अस्सी लूलो। नब्बे नांगो सोवां तो भागी ई भागो। | |||
* दांत दरांतो दायमो, दारी और दरबान। ये पांचू दद्दा बुरा, पत राखै भगवान। | |||
* दांत भलांई टूच ज्यावो, लो कोनी चबै। | |||
* दांतला कसम को रोवता को बेरो पड़ै न हांसता को। | |||
* दाई सै पेट छानो कोनी। | |||
* दाणै दाणै म्होर-छाप है। | |||
* दाता दे, भंडारी को पेट बलै। | |||
* दाता सैं सूम भलो, जो झट दे उत्तर देय। | |||
* दादू दुवारा में कांगसियां को के काम? | |||
* दादो असो सावो काढ्यो के जान दिन कै दिन आई रही। | |||
* दादो घी खायो, म्हारी हथेली सूंघल्यो। | |||
* दान की बाछी का दांत कुण देख्या? | |||
* दाल भात लम्बा जीकारा, ऐ बाई! परताप तुम्हारा। | |||
* दास सदा उदास। | |||
* दिग्मरां के गाँव में धोबी को के काम । | |||
* दिन आयां रावण मरै। | |||
* दिन करै सौ बैरी कोन्या करै। | |||
* दिन खोटो हुवै जणा ऊंट पर चढेङा न गनडकङो खा ज्याय । | |||
* दिन चिलकारो दे फटकारो । | |||
* दिन जातां बार कोनी लागै। | |||
* दिन दीखै न फूड़ पीसै। | |||
* दिनगे को भूल्योड़ो संज्या घरा आज्याय तो भूल्योड़ो कोनी बाजै। | |||
* दियेङो भूल ज्याणूं लियेङो नहीं भूलणूं । | |||
* दियो लियो आडो आवै । | |||
* दिलां का दिल साईदार है। | |||
* दिल्ली नै कदै मंगल गातां देख्या ना। | |||
* दिल्ली की कमाई, दिल्ली में लुटाई। | |||
* दिल्ली में रह कर भी भाड़ झोंकी। | |||
* दीपक कै भांवै नहीं, जल जल मरै पतंग। | |||
* दीवा बीती पंचमी, जो शनि मूल पड़न्त। बिवणा तिवणा चौगणा, महंगा नाज करन्त। | |||
* दीवा बीती पंचमी, मूल नछतर होय। खप्पर ले हाथां फिरै, भीख न घालै कोय। | |||
* दीवा बीती पंचमी, सोम शुकर गुरु मूल। डंक कहे हे भड्ड़ली, निपजे सातूं तूल। | |||
* दीवाली का दीवा दीठा, काचर बोर मतीरा मीठा। | |||
* दुखां को भांडो, नांव सदासुखराय। | |||
* दुनिया की जीभ कुण पकड़ै? | |||
* दुनिया दुरंगी है। | |||
* दुनिया देखै जैसी कह दे। | |||
* दुनिया नै कुण जीतै? | |||
* दुनिया पराये सुख दुबली है। | |||
* दुनिया में दो गरीब है, कै बेटी, कै बैल। | |||
* दुनिया है अर मतलब है। | |||
* दुश्मन की किरपा बुरी, भली सैन की त्रास। आर्डग कर गरमी करे, जद बरसण की आस। | |||
* दूजवर की गोरड़ी, हाथां परली मोरड़ी। | |||
* दूद दयां का पावणां, छाछ नै अणखावणा। | |||
* दूध को दूध पाणी को पाणी। | |||
* दूध चुंघावै मायड़ी, नांव धाय को होय। | |||
* दूध पीती बिलाई गंडकड़ां मैं जा पड़ी। | |||
* दूध पीती बिलाई गंडका कै मायं पड़गी । | |||
* दूध बी राख, दुहारी भी राख। | |||
* दूध बेचो भांवै पूत बेचो। | |||
* दूध भी धोलो, छाय भी धोली। | |||
* दूध'आली की लात बी सहणी पड़ै। | |||
* दूबड़ी तो चरवाटै ही हो छै। | |||
* दूबली खेती घणै नै मारै। | |||
* दूबली पर दो साढ़। | |||
* दूबलै पर दो लदै। | |||
* दूबलो जेठ देवरां बराबर। | |||
* दूबलो धीणूं दूसरा की छाय सै खोवै। | |||
* दूर का ढोल सुहावणा लागै। | |||
* दूर जंवाई फूल बरोबर, गांव जंवाई आदो। घर जांवई गधै बरोबर, चाये जितणो लादो। | |||
* दूसरां कै घरां च्यार खाटां पर कमर खुलै। | |||
* दूसरां को माल तूंतड़ा की धड़ मैँ जाय | ''हिंदी– दूसरोँ का धन लापरवाही से खर्च करना।'' | |||
* दूसरां पर बुरी चीतै जणा आप पर ई पड़ै। | |||
* दूसरे की थाळी मँ घी ज्यादा दीखॅ। | |||
* दूसरे की थाळी में सदा हि ज्यादा लाडू दीखैं । | |||
* दूसरै की थाली में घणू दीखै। | |||
* दूसरों को माल तूंतड़ा की धड़ में जाय। | |||
* दे रै पांड्या असीस, मैं के देऊं, मेरी आत्मा ही देसी। | |||
* देख खुरड़ कहे ढेढ की, कथा टूटे नेह। लेई चढ़ै न चामड़ै, मुकता बरसै मेह॥ ''हिंदी– जूता बनाते समय चमड़े पर लेई का चढ़ना वर्षा आने का सूचक होता है।'' | |||
* देख पराई चूपड़ी मत ललचावै जी। ल्हूखी-सुखी खाय कर ठंडो पाणी पी। | |||
* देख पराई चोपड़ी, पड़ मर बेईमान। दो घड़ी की सरमा सरमी, आठ पहर आराम। | |||
* देखते नैणां चालते गोडां | ''हिंदी– देखने व चलने की शक्ति रहते हुए ही मृत्यु हो जाये तो अच्छा।'' | |||
* देखते नैणां, चालते गोड़ां। | |||
* देख्या ख्याल खुदाय का, किसा रचाया रंग। खानजादा खेती करै तेली चढै तरंग। | |||
* देख्या देस बंगाला, दांत लाल मूं काला। | |||
* देख्यां-देखी साधै जोग, छीजै काया, बधै रोग। | |||
* देख्यो नांही जैपरियो, कल में आकर के करियो। | |||
* देणूं अर मरणूं बराबर है। | |||
* देबा नै लेबा नै रामजी को नांव है। | |||
* देव जिसाई पुजारा। | |||
* देव देख्या अर जात पुरी हुई। | |||
* देवां सै दाना बड्डा होय है। | |||
* देस जिसाई भेस। | |||
* देसी कुतिया, बिलायती बोली। | |||
* देसी चोरी, परदेशी भीख। | |||
* दो तो चून का भी बुरा। | |||
* दो दाणा की खातर घोड़ी बेची जायगी के? | |||
* दो बुरां बुराई हुवै। | |||
* दो सावण, दो भादवा, दो कातिक, दो मा। ढांडी-ढोरी बेच करं, नाज बिसावण जा। | |||
* दोनूं हाथ मिलायां ही धुपै। | |||
* दोन्यू हाथ मिलायां ई धुपै | ''हिंदी– दोनोँ पक्षोँ के मिलने पर ही बात बनती है।'' | |||
* दोय दोय गयंद न बंधसी, एकै कंबू ठाण। | |||
* दोय मूसा दोय कातरा, दोय टीडी दोय ताव। दोय री बादी जल हरै, दोय बीसर दो बाव। | |||
* दोय लड़ै, जठे एक पड़ै। | |||
* दोयती तो कुंआरी डोलै, नानी का नो-नो फेरा। | |||
* दौलत सूं दोलत बधै। | |||
* धणी बिना गीत सूना तो सिरदार बिना फौज निकांमी। | |||
* धणी रो धन नीं देखणों, धणी रो मन देखणों । | |||
* धन को तेरा, मकर पचीस, जाड़े दिन, दो कम चालीस। | |||
* धन खेती, धिक चाकरी। | |||
* धन दायजा बहगा, छाती फूटा रहगा। | |||
* धन धणिया को गुवाल कै हाथ में लकड़ी। | |||
* धनवन्ता कै कांटो लाग्यो, स्हाय करी सब कोय। निरधन पड्यो पहाड़ सूं, बात न पूछी कोय। | |||
* धनवान को के कंजूस अर गरीब को के दातार। | |||
* [[Dhanna Jat|धन्ना जाट]] का हरिसों हेत, बिना बीज के निपजँ खेत। | |||
* धरतियां सोवणियूं संकड़ेल क्यूं भुगतै? | |||
* धरती करिया बिछावणा, अम्बर करिया गलेफ। पोढो राजा भरतरी, चोकी देवै अलेख। | |||
* धरती परै सरक ज्याए, छैला पांव धरैंगा ए। | |||
* धरती माता थूं बड़ी, थां सूं बड़ो न कोय। उठ संवारै पग धरां, बाळ न बांका होय।। | |||
* धरम की जड़ सदा हरी। | |||
* धरम को धरम, करम को करम | ''हिंदी– स्वार्थ व परमार्थ दोनोँ का साथ–साथ पूरा होना।'' | |||
* धान पुराणा धृत नया, त्यूं कुलवन्ती नार। चौथी पीठ तुंरग की, सुरक निसानी चार। | |||
* धानी धन की भूख क साका की? | |||
* धाया तेरी छा राबड़ी, तेरै गंडकड़ां सैं तो कढ़ाय। | |||
* धायो [[जाट]] गाड़ी रो बाद काढ़ै। | |||
* धायो धपनूं पेदी हाला पग करै। | |||
* धायो मीर, भूखो फकीर, मरयां पाछै पीर | ''हिंदी– मुसलमान तृप्त हो तो अमीर, भूखा हो तो फकीर तथा मरने के बाद पीर कहलाता है।'' | |||
* धायो मीर, भूखो फकीर, मर्यां पाछै पीर। | |||
* धायो रांगड धन हरै, भूखो तजै पिराण। | |||
* धीणूं भैंस को, हो भांवै सेर ही। | |||
* धीणोड़ी सागै हीणोड़ी मर ज्याय | ''हिंदी– दुधारी गाय के होने पर बिना दूध वाली गाय को कोई नहीँ पूछता।'' | |||
* धीरे धीरे ठाकरां, धीरे सब कुछ होय। माली सीँचै सो घड़ा, रुत आयां फल होय। | |||
* धूल खायां किसो पेट भरै? | |||
* धूल धाणी, राख छाणी। | |||
* धेला की न्यूतार, थांम कै बांथ घालै। | |||
* धेलै की हांडी फूटी, गंडक की जात पिछाणी। | |||
* धोती में सब उघाड़ा है। | |||
* धोबण सै के तेलण घाट, ऊंकै मोगरी, ऊंकै लाठ। | |||
* धोबी की हांते गधो खाय। | |||
* धोबी की हांते, गधो खाय | ''हिंदी– नीच का धन नीच खाता है।'' | |||
* धोबी कै घर में बड़गा चोर, डूब्या और ई और। | |||
* धोबी कै बसो चाहै कुम्हार कै, गधो तो लदसी। | |||
* धोबी को गधो घर को न घाट को। | |||
* धोबी को गधो, स्वामी की गाय। राजा को नोकर, तीनूं गत्तां से जाय। | |||
* धोबी बेटा चान-सा, चोटी न पट्टा। | |||
* धोलै पर दाग लागै। | |||
* धोळां मैं धूळ - बुजुर्ग का अनादर । | |||
* न कोई की राई मैँ, न दुहाई मैँ | ''हिंदी– अपने काम से काम रखना।'' | |||
* न नानेरै, घोड़ो दादेरै। | |||
* न नो मण तेल होय, न राधा नाचै। | |||
* न भेवै काकड़ो तो क्यूं टेरै हाली लाकड़ो? | |||
* नंदी कनलौ जांट, कद होण बिनास | ''हिंदी– नदी किनारे लगा वृक्ष कभी भी नष्ट हो सकता है।'' | |||
* नंदी परलो रुंखड़ो-जद, कद होण विलास। | |||
* नई नो दिन, पुराणी सो दिन। | |||
* नकटा देव, सूरड़ा पुजारा | ''हिंदी– जैसे देवता वैसे पुजारी।'' | |||
* नकटा, नांक कटी, कह, मेरी तो सवा गज बधी! | |||
* नकटी देवी, ऊत पुजारी | ''हिंदी– जैसा राजा वैसी जनता।'' | |||
* नकटी-बूची को जागी खसम। | |||
* नखरो नायण को, बतलावणों ब्यावण को। | |||
* नगद नाणा, बीन परणै काणा। | |||
* नगारा मैँ तूती की आवाज कुण/कोन्या सुणै | ''हिंदी– बड़े लोगोँ मेँ छोटोँ की उपेक्षा।'' | |||
* नट-विद्या आ ज्याय पण जट-विद्या कोनी आवै। | |||
* नणद को नणदोई गलै लगाकर रोई, पाछै फिर कर देख्यो तो सगो न सोई। | |||
* नथ खोई नणद नैं दीनी। | |||
* नदी किनारै बैठ की क्यूं न हाथ पखालै? | |||
* नयी जोगण काठ की मुद्रा। | |||
* नयो बलद खूंटो तोड़ै। | |||
* नर नानेरै, घोड़ो दादेरै | ''हिंदी– स्वभाव तथा बनावट मेँ पुरुष ननिहाल पर जाता है जबकि घोड़ा पितृकुल पर।'' | |||
* नर में नाई आगलो, पंखेरू में काग, पाणी मांगो काछबो, तीनूं दग्गाबाज। | |||
* नरुका नै नरूको मारै, के मारै करतार। | |||
* नवै चन्द्रमा नै सै राम-राम करै। | |||
* नष्ट देव की भ्रष्ट पूजा। | |||
* नसीब की खोटी, प्याज और रोटी। | |||
* ना कोई सैं दोसती, ना कोई सै बैर। | |||
* ना घर तेरा, ना घर मेरा, एक दिन होगा जंगल डेरा। | |||
* नांव गंगाधर, न्हावै कोनी उमर में। | |||
* नांव तो बंशीधर, आवै कोनी अलगोजो बजाणूं ही। | |||
* नांव धापली, फिरै टुकड़ा मांगती। | |||
* नांव मोटा, घर में टोटा। | |||
* नांव राखै गीतड़ा कै भीँतड़ा | ''हिंदी– काव्य निर्माण से या घर निर्माण से व्यक्ति का यश चिरस्थाई रहता है।'' | |||
* नांव लिछमीधर, कन्नै कोनी छिदाम ही। | |||
* नांव लियां हिरण खोड़ा होय। | |||
* नांव लेवा न पाणी देवा। | |||
* नांव विद्याधर, आवै कोनी कक्को ही। | |||
* नांव सीतलदास, दुर्वासा-सो झाली। | |||
* नांवच हजारीलाल, घाटो ग्यारा सै को। | |||
* नाई की परख नूंवां में है। | |||
* नाई दाई बैद कसाई, इण को सूतक कदे न जाई। | |||
* नाई नाई, बाल कताक? कह, जजमान! मूंडै आगे आ ज्याय है। | |||
* नाई बामण कुत्तो, जाते देख हू हूकरतो। | |||
* नाई हालो ठोलो, बाणिया हालो टक्को। | |||
* नागा को लाय में के दाजै? | |||
* नागा बूचो, सै सैं ऊंचो। | |||
* नागां का रामजी परो कर गैला होबो करै है। | |||
* नागाई को लाल तुर्रो। | |||
* नागी के धोवै अर के निचोवै? | |||
* नाचण ई लागी जब घूंघट क्यां को? | |||
* नाचूं क्यां? आंगणूं बांको। | |||
* नाजरली, जेल बधो। कै बस म्हां ताणी ही है। | |||
* नाजुरतिये की लुगाई, जगत की भोजाई | ''हिंदी– कमजोर व्यक्ति की वस्तु पर सबका अधिकार। | |||
* नाजुरतिये की लुगाई, जगत की भोजाई। | |||
* नाजो नाज बिना रह न्याय, काजल टीकी बिना कोनी रवै। | |||
* नाड़ां टांकण बलद बिकावण, तू मत चालै आधै सावण। | |||
* नादान की दोस्ती जीव का जंजाल। | |||
* नादीदी का नो फेरा। | |||
* नादीदी कै लोटो हुयो, रात्यूं उठ-उठ पाणी पियो। | |||
* नादीदी कै हुई कटोरी, पाणी पी-पी पदोरी। | |||
* नादीदी को खसम आयो, दिन में दीओ जोयो। | |||
* नाना मिनख नजीक, उमरावां आदर नहीं। बीं ठाकर नै ठीक, रण में पड़सी राजिया। | |||
* नानी कसम करै, दोयती नै डंड | ''हिंदी– नानी के दूसरा पति कर लेने पर उसकी दोहिती तक को सामाजिक दंड मिलता है।'' | |||
* नानी फंड करै, दोहितो दंड भरै । | |||
* नानी रांड कुंवारी मरगी, दोयती का नो-नो फेरा। | |||
* नापै सो गज, फाड़ै कोन्या एक गज। | |||
* नामी चोर मार्यो जाय, नामी साह कमा खाय। | |||
* नायां की जनेत में सब क ई ठाकर। | |||
* * [[Narnaul|नारनोल]] की आग पटीकड़ै दाजै | ''हिंदी– बुरे कर्म कोई करता है, फल किसी को मिलता है।'' | |||
* नारां का मूंडा कुण धोया है? | |||
* नारी को एक बी चोखो, सूरी का बारा बी के काम का? | |||
* नारी नर की खान। | |||
* नाहर ने रजपूत ने रेकारे री गाल। | |||
* निकमो नाई पाटड़ा मूंडै। | |||
* निकली होठां, चढ़ी होठां | ''हिंदी– होठोँ से बाहर आते ही बात का फैलना।'' | |||
* निकासी कै बखत घोड़ो चाये, कै फिरतो सो आजे। | |||
* नीचो कर्यो कांधो, देखण हालो आंधो। | |||
* नीत गैल बरकत है | ''हिंदी– जैसी नियत होती है वैसा ही प्राप्त होता है।'' | |||
* नीम तलै सोगन खा ज्याय, पीपल तलै नट ज्याय। | |||
* नीम न मीठ होय, सींचो गुड़ धीव सै, जिणका पड्या सुभाव क जासी जीव सै। | |||
* नेकी-बदी साथ चालै। | |||
* नेपॅ की रुख खेड़ा'ई बतादें । | |||
* नेम निभाणा, धर्म ठिकाणा | ''हिंदी– नियम–धर्म संयमी के पास ही रहते हैँ।'' | |||
* नेम में निमेख घटै, सीख में मुजरो घटै। | |||
* नो नेसां, दस केसां। | |||
* नो पूरबिया, तेरा चोका। | |||
* नो पेठा तेरा लगवाल, घोड़तै नै लेगो कोतवाल। | |||
* नो सौ मूसा मार कर बिल्ली गंगाजी चली। | |||
* नोकर खाय ठोकर। | |||
* नोकर मालिक का हां क बैंगण का? | |||
* नोकरी की जड़ धरती सैं सवा हाथ ऊंची। | |||
* नोकरी ना करी। | |||
* नोकरी है क भाई-बन्दी? | |||
* न्यारा घरां का न्यारा बारणां | ''हिंदी– सब घरोँ की अलग–अलग रीति।'' | |||
* न्हाये न्हाये ई पुण्य। | |||
==प-म== | |||
* काणै कुत्ते लीन्या सूण, करा तो ली पण ढकसी कूण। | |||
* पंच परमेसर होय है। | |||
* पंचां की बात सिर माथै, पर म्हारलो नालो अठी कर ई भवैगो। | |||
* पग कादै में अर जाजम पर बैठबा दे। | |||
* पगां पांगली, नांव फुदकी। | |||
* पगां में लीतरा, कांधै पर डुपट्टो। | |||
* पगां सैं गांठ दियोड़ी हाथां सै कोनी खुलै। | |||
* पड़ पड़ कै ई सवार होय है। | |||
* पड़–पड़ कई सवार होय है | ''हिंदी– मनुष्य गलतियोँ से सीखता है।'' | |||
* पड़ै ऊंट पर सै रूसै भाड़ैती सै। | |||
* पढ्यो तो है पण गुण्यो कोनी। | |||
* पढ्योडो पूछै है क दायमूं? | |||
* पतली छाय खाटा सैं क्यूं खोवै? | |||
* पत्थर का बाट - जत्ता भी तोलो, घाट-ही-घाट । | |||
* पपैया पीऊ–पीऊ करेँ, मोरा घणी अजग्म। छत्र करै मोरिया सिरे, नदिया बहे अथग्म॥ ''हिंदी– मोर के नाचने पर तथा पपीहे के पीहू–पीहू करने पर भारी वर्षा सम्भावित रहती है।'' | |||
* पपैया पीऊ–पीऊ करेँ, मोरा घणी अजग्म। छत्र करै मोरिया सिरे, नदिया बहे अथग्म॥ ''हिंदी– मोर के नाचने पर तथा पपीहे के पीहू–पीहू करने पर भारी वर्षा सम्भावित रहती है।'' | |||
* पर घर लागी पून ज्यूं आवै, घर लागी कित जाय? | |||
* पर नारी पैनी छुरी, तीन ओड सै खाय। धन छीजे, जोबन हडै, पत पंचा मैँ जाय॥ ''हिंदी– पर स्त्री ऐसी तेज छुरी के समान होती है जो तीन प्रकार की हानि करती है— इससे धन क्षीण होता है, यौवन का नाश हो जाता है तथा लोक मेँ बदनामी होती है।'' | |||
* पर नारी पैनी छुरी, तीन ओड सै खाय। धन छीजै, जोबन हरै, पत पंचा में जाय। | |||
* परभाते गेह डंबरा, दोफारां तापन्त। रातूं तारां निमला, चेलाकरो गछंत। | |||
* परभाते गेह डंबरा, सांजे सीला बाव। डंक कहै हे भड्डली, काला तणा सुभाव। | |||
* परमात्मा घणदेबो है। | |||
* परमारथ के काम में क्यां को पूछणुं? | |||
* परया पूत कमाई थोड़ाई घालै। | |||
* पराई खाई खीचड़ी में घी घणीं दीखै। | |||
* पराई खीचड़ी गहणै मेल्यो जीव। | |||
* पराई पीर परदेस बराबर। | |||
* परायी आस जाय निरास, आपकी आस भोग-विलास। | |||
* पवन गिरि छूटे पुरवाई। धर गिर छोबा, इन्द्र धपाई॥ ''हिंदी– पूरब से हवा चलने पर वर्षा धरती व पर्वत तक को तृप्त करेगी।'' | |||
* पवन गिरी छूटै परवाई, ऊठे घटा छटा चढ़ आई। सारो नाज करे सरसाई, घर गिल छोलां इन्द्र धपाई। | |||
* पहलां चाबां घूघरी, पाछै गावां गीत। | |||
* पहलां बाबजी फूटरा घणा, फेर टाट मुंडाली। | |||
* पहलां लिख कर पाछै देय, भूल पड्यां कागद सैं लेय। | |||
* पहली कहदे जिको घणखाऊ कोनी बाजै। | |||
* पहली पड़वा गाजै तो दिन भैतर की बाजै। | |||
* पहली पेट पूजा, फेर काम दूजा। | |||
* पहली रहतो यूँ तो तमियो जातो क्यूं। | |||
* पहली रोहण जल हरे, बीजी बहोतर खाय, तीजी रोहण तिण हरै, चौथी समन्दर जाय। | |||
* पहलो सुख नीरोगी काया, दूजो सुख हो घर में माया, तीजो सुख पुत्र अधिकारी, चोथो सुख पतिव्रता नारी, पांचवों सुख राजा में पासा, छठो सुख सुस्थाने बासा, सातवों सुख विद्याफलदाता, ए सातूं सुख रच्या विधाता। | |||
* पाँच बाई पांच ठोड, मोको आयां एक ठोड। | |||
* पांगली अर परबत लांघै। | |||
* पांगली डाकण घरकां नै ही खाय। | |||
* पांच आंगलियां पूंज्यो भारी। | |||
* पांच पंच छट्ठो पटवारी, खुल्ला केस चुरावै नारी। घिरतो फिरतो दातण करै, जैंका पाप सैं कीड़ा मरै। | |||
* पांच पंच मिल कीजै काज, हारे जीत आवे न लाज। | |||
* पांच सात की लाकड़ी एक जणै को मार। | |||
* पांचू आंगली एक सी कोनी होय। | |||
* पांत में दुभांत क्यां की? | |||
* पांव उभाणै जायसी, कोडी धज कंगाल। | |||
* पांवरी कुत्ती, पकवानी रुखाली। | |||
* पांवरी कुत्ती, पूंछ में कांगसियो। | |||
* पांवरी सांड बनाती कूंची। | |||
* पांवरी सांड, [[Narnaul|नारनोल]] को भाड़ो। | |||
* पांवरी सांड, पकवानी की भूखी। | |||
* पांवरी सांड, [[Lohagar|लुहागरजी]] को भाड़ो। | |||
* पाखी हालो पहली करकै। | |||
* पाडै को अर पराई जाई को राम बेली। | |||
* पाणी तो निवाण में जाय। | |||
* पाणी पीकर के जात पूछणी? | |||
* पाणी पीवै छाण, सगपण कीजै जाण। | |||
* पान पड़ंतो यू कहै, सून तरुवर बनराय। इबका बिछड्या कद मिलां, दूर पड़ांगा जाय। | |||
* पानी पाला पादसा, उत्तर सूं आवै। | |||
* पाप को घड़ो भर कै फूटै | ''हिंदी– अत्यधिक पाप बढ़ जाने पर पापी का विनाश हो ही जाता है।'' | |||
* पापी की पाण आये बिना कोनी रैवै। | |||
* पापी कै मन में पाप बसै। | |||
* पापी को धन परलै जाय। | |||
* पापी नाव डुबोवै। | |||
* पाव चून, चोबारै रसोई। | |||
* पाव बीगा धरती, जी में अड़ावो न्यारो। | |||
* पावणां रे खीर रांधू जनाड़े आजे । | |||
* पावणां सूं पीढ़ी कोनी चालै, जवायाँ सूं खेती कोनी चालै । | |||
* पिरवा पर पिछवा फिरै, घर बैठी पणिहार भरै। | |||
* पिव बिन किसा तिंहवार। | |||
* पिसारी कै तो चावण कोई लावो। | |||
* पीपल तलै हां भर कर कीकर तलै नट ज्याय। | |||
* पीरकां की आस करै जकी भाईड़ां नै रोवै | ''हिंदी– जिससे या जिस स्थान से कुछ न मिले वहाँ से कोई भी आशा रखना व्यर्थ है।'' | |||
* पीरा ल्यावैं दांतली, घरां कुहाड़ी जाय। | |||
* पीसां की खीर है। | |||
* पीसै कनै पीसो आवै। | |||
* पीसै हाली को बेटो झूंझणिए सै खेलै। | |||
* पीसैगी सो तो पिसाई लेगी। | |||
* पीसो गाँठ को, हथियार हाथ को | ''हिंदी– गाँठ यानि पास रखा धन तथा हाथ मेँ उठाया हथियार ही काम मेँ आता है।'' | |||
* पीसो पास को, हथियार हाथ को। | |||
* पीसो बोझां कै कोनी लागै। | |||
* पीसो माई, पीसो बाप, पीसो बिना बड़ो सन्ताप। | |||
* पीसो हाथ को मैल है। | |||
* पीसो हाथ को, भाई साथ को ही काम आवै । | |||
* पुजारी की पागड़ी, ऊंटवाल की जोय। बेजारा की मोचड़ी, पड़ी पुराणी होय। | |||
* पुराणी बहल अर चिमकणा नारा। | |||
* पुल का बाया मोती निपजै | ''हिंदी– अवसर पर किया गया कार्य ही फल देता है।'' | |||
* पूछता नर पंडित। | |||
* पूत का पग पालणै ही दिख्यावै | ''हिंदी– बालक का भविष्य बचपन मेँ ही दिखाई देने लगता है।'' | |||
* पेट की आग बुझती सी बुझै। | |||
* पेट कै आगै ना है। | |||
* पेट कै दर्द को माथा नै के बेरो? | |||
* पेट टूटै तो गोडां नै भारी। | |||
* पेट पिरोत मुंह जजमान। | |||
* पेड़ की जड धरती और लूगाई की जड़ रसोई । | |||
* पैरण नै घाघरो ई कोन्यां, नांव सिणगारी। | |||
* पैली पडवा गाजै, दिन बहत्तर बाजै | ''हिंदी– आषाढ़ की प्रतिपदा को बादल गरजने पर हवा तो चलेगी पर बरसात नहीँ होगी।'' | |||
* पोता भू की राबड़ी, दोयता भू की खीर। मीठी लागे राबड़ी खाटी लागै खीर। | |||
* पोथा सैं थोथा हुआ, पिंडत हुया न कोय। ढाई, अक्खर प्रेम का, पढ़ै सो पिंडत होय। | |||
* पोही मावस मूल बिन, रोहिण (बिन) आखातीज। श्रवण बिन सलूणियुं क्यूं बावै है बीज? | |||
* फन पड़े तो यूं कहे, सुण तरुवर बनराय। इबका बिछड्या कब मिलां, दूर पडांगा जाय॥ ''हिंदी– पत्ता पेड़ से कहता है कि तरुवर अब मैँ टूट गया हूँ पता नहीँ फिर कब मिलूँगा।'' | |||
* फलको जेट को, बालक पेट को। | |||
* फागण मर्द और ब्याह लुगाई। | |||
* फागण में सी चोगणो, जै चालैगी बाल। | |||
* फाटी घाघरी, रेसम को नाड़ो। | |||
* फाटै नै सीमै ना, रूसै नै मनावै ना, ते काम कय्यां चालै? | |||
* फाट्या कपड़ा मत देखो, घर दिल्ली है। | |||
* फाड़णियाँ नै सीमणियाँ कोनी नावड़ै | ''हिंदी– अत्यधिक व्यय करने पर कितनी भी कमाई हो, वह कम ही रहती है। | |||
* फिरै सो चरै, बंध्यो भूखां मरे। | |||
* फूंकण जुगती जीब कोन्या निचली रहै। | |||
* फूटे लाडू में सै को सीर। | |||
* फूटेड़ो ढोल अर कूटेड़ो ढोली चीं नीं करै ।'' | |||
* फूट्या बाग फकीर का, भरी चीलम ढुल ज्याय। | |||
* फूट्यो घड़ो आवाज सै पिछाण्यू जांय। | |||
* फूड़ (रांड) की फेरां तांई उच्छल। | |||
* फूड़ कै घर हुई कुंवाड़ी, कुत्ता मिल चाल्या रेवाड़ी। | |||
* फूड़ को मैल फागण में उतरै। | |||
* फूड़ चालै, नो घर हालै। | |||
* फूलां फूलगी, गैल का दिन भूलगी। | |||
* फूहड़ रो मैल फागण में उतरै। | |||
* फेरां के बखत दादी, बान बनौरे खाबा नै पोती। | |||
* फेरां कै बखत कन्या तिसाई। | |||
* फोग आलो ई बळै, सासू सूदी ई लड़ै। | |||
* फोगलै रो रायतो, काचरी रो साग। बाजरी री रोटड़ी, जाग्या म्हारा भाग | |||
* फोगलो फूट्यो, मिणमिणी ब्याई। भैंस री धिरियाणी, छाछ नै आई। | |||
* फोज कै अगाड़ी, घोड़ै कै पिछाड़ी। | |||
* फोज को आगे अर ब्याह को पाछो घणूं करड़ो हयो है। | |||
* बंधी भारी लाख की, खुल्ली बीखर जाय। | |||
* बंधी मूठी लाख को, खुल्ली मूठी राख की। | |||
* बकरी छोड्यो ढाक, ऊंट छोड्यो आक। | |||
* बकरी दूध तो दे पण मींगणी करकै। | |||
* बकरी रोवै जीवन नै, कसाई रोवै मांस नै। | |||
* बकरै की मां कद तांई खैर (कुसल) मनावै? | |||
* बखत चल्यो जाय पण बात रै ज्याय। | |||
* बखत नहीं बिणजै जको बाणियूं गंवार। | |||
* बगल में सोटो, नाम गरीबदास। | |||
* बजनस पवन सुरिया बाजै। घड़ी पलक मांही मेह गाजै॥ ''हिंदी– उत्तर–पश्चिम से हवा चलने पर शीघ्र वर्षा होगी।'' | |||
* बटोड़ै में सैं तो ऊपला ई नीकलै। | |||
* बड़ सींचूं बड़ोली सींचूं, सींचूं बड़ की डाळी, राम झरोखै बैठ कर सींचै सींचण वाळी | |||
* बडका जीता तो फोज भेली हो ज्याती। | |||
* बड़ा घरां का बड़ा ई बारणां। | |||
* बडां की बड़ी ई बात। | |||
* बड़ा–बड़ा गाँव जाऊँ, बड़ा–बड़ा लाडू खाऊँ | ''हिंदी– स्वप्न मेँ ही धनी बनने की सोचना अथवा हवाई किले बनाना। | |||
* बडी बडी बात, बगल में हाथ। | |||
* बड़ी रातां का बड़ा ही तड़का । | |||
* बड़े गांव जांऊ, बड़ा लाडू खाऊं। | |||
* बड़ै रूंखां बड़ा डाला। | |||
* बड़ै लोगां कै कान होय है, आँख नहीँ | ''हिंदी– बड़े लोग सुनी–सुनाई बात पर ही विश्वास कर लेते हैँ, स्वयं जाँच–परख नहीँ कराते।'' | |||
* बड़ो बड़कलो, बाणियूं, कांसी और कसार। ताता ही नै तोड़िये, ठंडो करै बिकार। | |||
* बड्डी भू का बड्डा भाग, छोटो बनड़ो घणो सुहाग। | |||
* बणिया लिखैं, पढ़ै करतार। | |||
* बणी बजावै बाणियूं। | |||
* बदी असाढ़ी अष्टमी, नहीं बादल, नहिं बीज, हल फाडो इंधन करो, ऊभा चाबो बीज। | |||
* बदी कोर सिर नीचो। | |||
* बदी राम बैर। | |||
* बरसै भरणी, छोड़े परणी। | |||
* बल बिना बुध बापड़ी। | |||
* बलद ब्यावै तो कोनी बूडा तो होय। | |||
* बलदां खेती घोड़ां राज, मरदां सुधरै पराया काज। | |||
* बहुआं हाथ चोर मरावै, चोर बहू का भाई । | |||
* बांका रहज्यो बालमा, बांकां आदर होय। बांकी बन में लाकड़ी, काट न सक्कै कोय। | |||
* बांझ ब्यावै तो कोनी बूडी तो होय। | |||
* बांझड़ी के जाणै जापै की पीड़? | |||
* बांट कर खाणा अर सुरग में जाणा। | |||
* बांदी कैंका घोड़ा बकस दे? | |||
* बांदी दूसरां का पग धोदे पण आपका को धोया जायं ना। | |||
* बांध्यो तो बलद ई को रैवै ना। | |||
* बांस चढ़ी नटणी कहै, हुयां न नटियो कोय, मैं नट कै नटणी हुई, नटै सो नटणी होय। | |||
* बाई का फूल बाई कै | ''हिंदी- जितनी कमाई उतना खर्च ।'' | |||
* बाई का फूल बाई ही लागगा। | |||
* बाई सोवणी तो घणी ई है पण आंख में फूलो। | |||
* बाईजी पेट में सै तो नीकल्या पण हांडी में सै कोनी नीकूल्या। | |||
* बाऊं घू घू घूमका करै (तो) लंका को राज बिभीषण करै। | |||
* बाऊं तीतर, बाऊं स्याल, बाऊं खर बोलै असराल। | |||
* बागल कै बागल पावणी, एक डाली कैं तूं भी लूमज्या। | |||
* बाङ खेत नै खाय - अपनों द्वारा अपने का नुकसान । | |||
* बाछड़ो खूंटै कै पाण कूदै। | |||
* बाजरो सलियां, मोठ फलियां। | |||
* बाजै अबला, पण छै प्रबला। | |||
* बाजै टाबर, खाय बराबर। | |||
* बाजै पर तान आवै। | |||
* बाड़ कै सहारै दूब बधै | ''हिंदी– कमजोर व्यक्ति भी आश्रय पाकर बढ़ता है।'' | |||
* बाड़ खेत नै खाय। | |||
* बाड़ में मूत्यां कसौ बैर नीकलै? बाड़ में हाथ घालण सैं तो कांटो ही लागै। | |||
* बाड़ में मूत्यां कसौ बैर नीकळै । | |||
* बाड़ में हाथ घालण सैं तो काँटा ही लाग । | |||
* बाणिया की नांट बुरी, कातिक की छांट बुरी। | |||
* बाणियूं के तो आंट में दे, के खाट में दे। | |||
* बाणिये को बेटी नै मांस कै सुवाद को के बेरो? | |||
* बाणियो खाट में तो बामण ठाठ में। | |||
* बाणियो मेवा को रूंख है। | |||
* बाण्यो लिखै, पढ़ै करतार। | |||
* बात को चालणूं अर संजोग को पीवाणूं। | |||
* बात में हुंकारो, फौज में नंगारो । | |||
* बात में हुंकारो, फौज में नंगारो। | |||
* बातां रीझै बाणियूं, गीतां सै रजपूत । बामण रीझै लाडुवां, बाकळ रीझै भूत । | |||
* बाद तो रावण का ई कोनी चाल्या। | |||
* बादल कर गर्मी करै, जद बरसण की आस। | |||
* बादल की छाया सै कै दिन काम सरै? | |||
* बादल में दिन दीखै, फूड़ दलै न पीसै। | |||
* बादल रहे रात को बासी, तो जाणो चोकस मेह आसी | ''हिंदी– पहले वाली रात के बादल सुबह तक छाये रहेँ तो वर्षा निश्चित रूप से होती है।'' | |||
* बान बनौरे पोती खाय, फेरां में बखत दादी जाय। | |||
* बाप कै धन सींत को, बेटी नै देसी रीत को। | |||
* बाप को मार्यो मानै पुकारै, पण मा को मार्यो की नै पुकारै? | |||
* बाप चराया, बाछड़ा, माय उगाई बींत। के जाणैगी बापड़ी, बड़ै घरां की रीत। | |||
* बाप न मारी लूंगटी, बेटो गोलंदाज। | |||
* बाप ना मारी मांखी, बेटो तीरंदाज । | |||
* बापमुई कहो चाहे मामुई। | |||
* बाबजी सरूप तो था ई, ऊपर सैं राखी रमाली। | |||
* बाबाजी की झोली में जेवड़ा की नीकल्या। | |||
* बाबाजी को बाबाजी, तरकारी को तरकारी। | |||
* बाबाजी धूणी तपो हो? कहो, भाया काय जाणै है। | |||
* बाबाजी बछड़ा घेरो। कह, बछड़ा घेरता तो स्यामी क्यूं होता? | |||
* बाबाजी भजन कोन्या करो। बच्चो रोवण में ई कोन्या धापां। | |||
* बाबाजी में गुण होसी तो आदेस करणियां घणा। | |||
* बाबाजी संख तो सुदियां बजायो, कह, देव को न देव कै बाप को, टका नो काट्या है। | |||
* बाबाजी, थारा ही चरणा को परसाद है। | |||
* बाबो आयो चाये, छाहे छान फाड़ कर ही आओ। | |||
* बाबो आवै न ताली बाजै। | |||
* बाबो गयो नो दिन, नो आया एक दिन। | |||
* बाबो गयो बीज नै, सिट्टा पाक्यां आयो। | |||
* बाबो मर्यो टीमली जाई, रह्या तीन का तीन। | |||
* बाबो सगळां'नॅ लड़ॅ, बाबॅ'न कुण लड़ॅ । | |||
* बाबो सीवै ऐं घर में, टांग पसारै ऊं घर में। | |||
* बाबो सै ने लड़ै, बाबा नै कुण लड़ै? | |||
* बाबोजी का भायला, कै गूजर कै गोड़! | |||
* बामण कह छूटै, बलद वह छूटै। | |||
* बामण कुत्ता हाथी, कदे न जात का साथी। | |||
* बामण कै हाथ में सोना को कचोलो है। | |||
* बामण को जी लाडू में। | |||
* बामण तो हथलेवो जुडावण को गर्जी है। | |||
* बामण नाई कूकरो, जात देख घुर्राय; कायथ कागो कूकडो जात देख हरखाय। | |||
* बामण नै दियां पीछै गाय पराई हो जावै, परबारे हाथां में गयां पीछै रकम पराई हो जावै, पर्णीज्यां पीछै बेटी पराई हो जावै । | |||
* बामण नै दी बूढ़ी गाय, पुत्र हुयोन दालद जाय। | |||
* बामण नै दे बूड़ी गाय, धर्म नहीं तो दालद जाय। | |||
* बामण नै साठ बरस तांई तो बुध आवै कोन्या, पछै जा मर। | |||
* बामण बचन परमाण। गंगाजी को मींडकी गाय करके जाण। | |||
* बामण सैं बामण मिल्यो, गैलला जलम का संस्कार। देण-लेण नै कुछ नहीं, नमस्कार ही नमस्कार। | |||
* बामण हाथी चढ्यो बी मांगै। | |||
* बामण हीर को, गुर को न पीर को। | |||
* बामणियुं बतलायो, लैरां लाग्यो आयो। | |||
* बायेड़ो उगै अर लिखेड़ो चूगै । | |||
* बारठजी की घोड़ी हाली हुई। | |||
* बारलै गांव की छोरी, लाडु बिना दोरी। | |||
* बारह बरस तांई बेड़ी में रह्यो, घड़ी तांई थोड़ी ही तुड़ासी। | |||
* बारा बरस सै बाबो बोल्यो, बोल्यो पड़ै अकाल। | |||
* बारा बरस सैं बांझ ब्याई, पूत ल्याई पांगलो। | |||
* बाल खोस्यां मुरदा हलका कोनी होय। | |||
* बाल सोनूं कान तोड़ै। | |||
* बालक देखै हीयो, बूडो देखै कीयो। ''हिंदी– बालक प्रेमभाव को पहचानता है जबकि वृद्ध केवल काम की बात को देखता है।'' | |||
* बालक राजा, सेइये, ढलती लीजे छांय। | |||
* बावड़ै तो बावड़ै, नहिं दूर निकल ज्याय। | |||
* बावला मरगा, ओलाद छोड़गा। | |||
* बावलां का कसा गांव न्यारा होय है? | |||
* बावली अर भूतां खदेड़ी। | |||
* बावलो अर भांग पीली। | |||
* बावाड़ेड़ो पाहुणों भूत बिरौबर । | |||
* बावूं भलो न दाहिणो, ल्याली जरख सुनार। | |||
* बावै सो लूणै | ''हिंदी– जैसा कर्म वैसा फल।'' | |||
* बासी बचै न कुत्ता खाय। | |||
* बाही को लणही, करही जो भरही। | |||
* बिंदगा सो मोती। | |||
* बिंदराबन में रहसी सो राधे गोविन्द कहसी। | |||
* बिगड़ी घिरत बिलोवणो, नारी होय उदास। असवारी मेँह की, रहे छास की छास॥ ''हिंदी– दही बिलौने पर घी बिखर–बिखर जाये तो समझो जोर की वर्षा होगी।'' | |||
* बिगड़ी तो चेली बिगड़ी बाबोजी तो सिद्ध का सिद्ध। | |||
* बिजनस पवन सूरिया बाजे, घड़ी पालक मांहे मेह गाजे। | |||
* बिडदायां बल आवै। | |||
* बिणज करैला बाणिया और करैला रीस। | |||
* बिणजी लाग्यो, बाणियूँ, चूंटी लागी गाय। | |||
* बित्त भर की छोकरी, गज बर की जीभ। | |||
* बिना कंठ का गावै राग, न सग, न साग, न राग। | |||
* बिना खम्भा आकास खड्यो है। | |||
* बिना ताल तूमरो कोनी बाजै। | |||
* बिना तेल दिवो कोनी चसै। | |||
* बिना पढ्यो दायमो, पढ्यो-पढ़ायो गौड़। | |||
* बिना पींदै को लोटो चाहे जिन्ने गुड़ जाय। | |||
* बिना बलदां गाडी कोनी चाले। | |||
* बिना बाप को छोरो, बिगड़ै, बिना माय की छोरी। | |||
* बिना बुलाया पावणा, घी घालूं कॅ तेल । | |||
* बिना मन का पावणां, थानै घी घालूं क तेल? बिना लिखै पावै नहीं बड़ी बस्त को भोग? बिना लूण का रांधै साग, बिना पेच का बांधै पाग। | |||
* बिना रोऍ तो मा'ई बोबो कोनी दे । | |||
* बिभीछण बिना भेद कुण बतावै? बिरछां चढ़ किरकांट बिराजे, स्याह सफेद लाल रंग साजे। | |||
* बिरडिये को गारड़ कोनी। | |||
* बिलाई को मन मलाई में। | |||
* बिल्ली बजारिया तो घणां ई करै, पण गांव का कुत्त करण के जद ना। | |||
* बींद मरौ बींदणी मरौ, बांमण रै टक्कौ त्यार। ठाकर ग्या ठग रिया, रिया मुळक रा चोर॥ | |||
* बीगड़्योड़ा तीवण कोनी सुधरै। | |||
* बीघै-बीघै भूत अर-बिसवै-बिसवै सांप। | |||
* बीजली को मार्योड़ो पलकां सैं डरै। | |||
* बीत्या दिन नह बावड़ै, मुवा न जीवै कोय। | |||
* बीन कॅ'ई लाळ पड़ँ जणा बराती के करँ । | |||
* बीन के मूंडै ही लाल पड़ै जद जनते के करै? | |||
* बीन तो आयो ई कोनी अर फेरां की त्यारी। | |||
* बीन तो बडो घणूं। कै और ना बडो होयो जाय है, अब तो जल्दी करो। | |||
* बीन बजण सैं रह गई, टूट गया सब तार। बीना बिचारी के करै, गया बजावणहार। | |||
* बीन बीनणी छोटा-मोटा घर में कोनी थाली-लोटा। | |||
* बीन बीनणी सावदान, घर में कोनी पांव धान। | |||
* बीन मरो चाये बीनणी, बामण को टक्को त्यार। | |||
* बुढ़ापै की जावै मायतां नै घणी प्यारी लागै। | |||
* बुध बावणी, शुक्कर लावणी। | |||
* बुध बावण्यां भिसपत लावण्यां । | |||
* बुध बिन विद्या वापड़ी। | |||
* बुरी बुरी बामण कै सिर। | |||
* बुरो टेम आवे जनां ऊँट पर बैठ्या ने गंडक खा ज्याय॥ | |||
* बूची बाकरी खोड़ियो गुवाल। | |||
* बूडा गिण्या न बालका, तड़को गण्योन सांझ। जण जण को मन राखतां, वेश्या रहगी बांझ। | |||
* बूडां बरकत होय है। | |||
* बूडो बडेरो मर ज्याय जद के सामर सूनी हो ज्याय। | |||
* बूढली कै घर में नार का बड़्यो। (बूढली कै घर में चोर बड़गो) | |||
* बूढली नै पापड़ बेलता बोला दिन होगा। | |||
* बूढळी रै कह्यां खीर कुण रांधै? | |||
* बूढै बाप नै अर बूढै बैल नै बाहलै जतो ही थोड़ो। | |||
* बूढो हो चाहै ज्वान, हत्या तांई काम। | |||
* बूरा का लाडू खाय सो बी पिस्तावै, न खाय सो बी पिस्तावै। | |||
* बेईमान का घोड़ा मैदान में थकै। | |||
* बेटा जाय दालद ल्याया, बेटा हुआ स्याणा, दालद हुआ बिराणा। | |||
* बेटियां की मा राणी, भरै बुढ़ापै पाणी। | |||
* बेटी अर बलद जूडो कोनी गेर्यो। | |||
* बेटी जाम जमारो हार्यो। | |||
* बेटी रहै आप सैं, नई तो रहै न सागी बाप सैं। | |||
* बेटी रूसै सासरै जाणनै, बेटो रूसै न्यारो होण नै। | |||
* बेड़ा लिखिया ना टलै, दीया अंट बुलाय। | |||
* बेमाता का घाल्योड़ा आंक टलै कोन्या। | |||
* बै चिड़कली और देख जो भरड़ दे उड़ ज्याय। | |||
* बैई कसियां बैई साज, काल करी सो करल्यो आज। | |||
* बैठणियां में बैठणियूँ, भागतडांके आगै। | |||
* बैठणो छाया मैं हुओ भलां कैर ही, रहणो भायां मैं हुओ भलां बैर ही । | |||
* बैठतो बाणियो अर उठती मालण सस्तो बेचै। | |||
* बैठी सूती डूमणी घर में घाल्यो घोड़ो। | |||
* बैद की किसी रांड को होय ना? | |||
* बैम की दारू कोनी। | |||
* बैरागी रो जाम, कदै न आवै काम। | |||
* बैरी न्यूत बुलाइया, कर भायां सैरोस। आप कमाया कामड़ा, दई न दीजै दोस। | |||
* बोई कुंहाड़ो अर बोई बैंसो। | |||
* बोखी अर भूंगड़ा चाबै। | |||
* बोड़ा घड़ा उघाड़ा पाणी, नार सुलखणी कय्यां जाणी। दाणा चाबै पीसती, चालै पल्ला घींसती। | |||
* बोलै सोई बाछड़ा खोलै। | |||
* बोल्या अर लाद्या। | |||
* बोळो बूझै बोळी नै, कै रांध्यो है होळी नै? | |||
* ब्या कर्यो काकै कोल्है, बो ऊंकै ओल्है बो ऊंकै ओल्है। | |||
* ब्या बिगाड़ै दो जणां, के मूंजी के मेह। बो पीसो खरचै नहीं, बो दड़ादड़ देह। | |||
* ब्याया नहीं तो जनेत तो गया हां। | |||
* भंगण अर भींटोय खाय है कोन्या। | |||
* भंडार हालै, कुत्तै की-सी हुई। | |||
* भगत जगत कूं ठगत। | |||
* भगतण रो जायो कै नै बाप कैवै? | |||
* भगवान तो बासना का भूखा है। | |||
* भगवान दे जणा छप्पर फाड र दे दे। | |||
* भगवानियूं इसो भोलो कोन्या जो भूखो गायां मैं जावैगो। | |||
* भठियारी पलोथण कठै सैं लगावै? | |||
* भड़भूज्यां की छोरी अर केसर का तिलक। | |||
* भदरा जां घर लागसी, जां घर रिध और सिद्ध। | |||
* भला जाया ए बापड़ी, के भाट अर के कापड़ी। | |||
* भला जाया बेमाता । | |||
* भला भली प्रिथमी छै। | |||
* भलै को बखत ई कोन्या। | |||
* भलो आदमी आपकी भलाई सैं डरै, नागो जाणै मेरे सै डरै। | |||
* भलो कर भलो होगो, सोदो कर नफो होगो। | |||
* भलो करतां बुरो होय है। | |||
* भवानी का लेख को टलै ना। | |||
* भांखड़ी कै कांटा को आगड़ै तांई जोर। | |||
* भांग भखण है सहज पण, लहरां मुसकल होय। | |||
* भांग मांगै भूंगड़ा, सुलफो मांगै घी। दारू मांगे जूतिया, खुसी हो तो पी। | |||
* भाई कै मन भाई आयो, बिना बुलाये आपै आयो। | |||
* भाई को भाई बैरी है। | |||
* भाई नै भाई कोनी सुहावै। | |||
* भाई बड़ो न भय्यो, सबसै बड़ो रूपप्यो। | |||
* भाई बेटी तो ब्यावै ना अर कसर छोड़ै ना। | |||
* भाई भूरा-लेखा पूरा। | |||
* भाई री भीड़ भुआ सुं नी भागै। | |||
* भाख फाटी, खोल-टाटी, राम देगो दाल, बाटी। | |||
* भागां का बलिया, रांधी खीर, होया दलिया। | |||
* भाग्यां पाछै बावड़ै बो बी मरद ई है। | |||
* भाठै सूं भाठो भिड्याँ बिजली चमकै | ''हिंदी– दो दुष्टोँ की लड़ाई मेँ नाश हो जाता है।'' | |||
* भाठैं सै भाठो भिड़्यां बीजली चिमकै। | |||
* भाड़ै की गधी, घर-घर लदी। | |||
* भाण कै घर भाई, अर सासरै जंवाई। | |||
* भाण कै भाई गंडक, सासरै जुंवाई गंडक। | |||
* भाण जांऊ जांऊ करै ही, बीरो लेण नै ही आयगो। | |||
* भाण राड लडूंगी, कुराड नहीं लडूंगी। | |||
* भादरवे जग रेलसी, छट अनुराधा होय। डंक कहे हे भड्डली, करो न चिंत कोय। | |||
* भादवै की रूत भली, भली घट बसन्त। | |||
* भादू की छा भूतां नै, कातिक की छा पूतां नै। | |||
* भाव को भाई के करै? भाव राखै सो भाई। | |||
* भींत गैल मांडणा अर पोत गैल रंग। | |||
* भींत गैल मांडणा आप ही आप आ ज्यावै। | |||
* भींत नै खोवै आलो, घर ने खोवै सालो। | |||
* भींतड़ा नाम कि गीतड़ा नाम। | |||
* भीख सैं भंडर कोनी भरै। | |||
* भीज्या कान हुआ असनान। | |||
* भुवां मिस लिये अर भतीजी मिस दिये। | |||
* भू आई सासू हरखी, पगां लागी पर परखी। | |||
* भू घर तेरै स्हैर पण राखियो ढक्यो-ढूम्यो। | |||
* भू घरियाणै की, अर गाय न्याणै की। | |||
* भू परोस्सया कायंगा बि मारे मन ज्यायंगा। | |||
* भू बछेरा डीकरां, नीमटियां परवाण। | |||
* भूख कै लगावण कोनी, नींद के बिछावण कोनी। | |||
* भूख न देखै जूठ्या भात। | |||
* भूखा की बावड्यावै पण झूठा की को बावड़ै ना। | |||
* भूखा कै जान कोन्या। | |||
* भूखै को थाली में पडयां ही इमान आवै। | |||
* भूखै घर की छोरी अप भलकै बिना दोरी। | |||
* भूखो ठाकर आक चाबै। | |||
* भूखो तो धायां पतीजै। | |||
* भूखो पूछै ज्योतसी, धायो पूछै बैद। | |||
* भूखो बाण्यो हंसै अर भूखा रांगड़ कमर कसै। | |||
* भूखो बामण सोवै अर भूखो जाट रोवै। | |||
* भूतां के लाडुआं में इलायची को के स्वाद? | |||
* भूल को टक्को भूल में गयो। | |||
* भूल्यो बामण भेड़ खाई, आगै खाय तो राम-दुहाई। | |||
* भेड़ की लात पगां तलै-तलै। | |||
* भेड़ खटकी नै धीजै। | |||
* भेड़ पर ऊन कुण छोड़ै? | |||
* भेड़ भगतणी पूंछड़ै में माला। | |||
* भेभण राणी चोरटी, रात्यूं सिट्टा तोड़ती। | |||
* भेलै भांडा खुड़कै ही। | |||
* भैंस आगै बांसरी बजाई तो गोबर को इनाम। | |||
* भैंस आपको रंग देखै ना, छत्तै नै देख कर बिदकै। | |||
* भैंस को पोटो सूकती सो सूकै। | |||
* भैंस खल सै यारी करै तो के खाय? | |||
* भैंस मरगी तो मरगी खरी को सबड़को तो मार ही लियो। | |||
* भैंसो मींडो बाकरो, चौथी विधवा नार। ये च्यारूं माड़ा भला, मौटा करै बिगाड़। | |||
* भोजन में लाडू अर सगाँ में साडू । | |||
* भोलै ढालै का राम रूखाला। | |||
* भोलो गजब को गोलो है। | |||
* भोलो मित्र दुश्मनी की गरज पालै। | |||
* भौंकँ जका काटँ कोनी । | |||
* मँगो रोवे ऐक बार, सस्तो रोवे सो बार । | |||
* मँहगो रोवै एक बार, सैंगो रोवै बार-बार। | |||
* मंगती अर भींट्यो खाय ई कोन्या। | |||
* मंडावो चाये लिखावो, चिड़ावो चाये खिजाओ। | |||
* मंढी एक अर मोडो घणा। | |||
* मंदर कै अगाड़ी, थाण के पिछाड़ी। | |||
* मकोड़ो कहै, मा! मैं गुड़ की भेली उठा ल्याऊं, कह, कड़तू कानी देख। | |||
* मजूरी मै के हजूरी? | |||
* मत मरज्यो बालक की मावड़ी, अर मत मरज्यो बूढ़ै की जोय। | |||
* मतलब की मनुहार जगत जिमावै चूरमा। | |||
* मतलब की मनुहार, जगत जिमावै चूरमा | ''हिंदी– स्वार्थ हेतु दूसरोँ की खुशामद करना।'' | |||
* मथरा में रहसी जको राधा किसना (राधा गोविन्द) कहसी। | |||
* मदकुमाऊ कुमावै तो कोनी, पण घरांतो आवै। | |||
* मन का लाडु छोटा क्यों । | |||
* मन कै पाज कोनी | ''हिंदी– मन चंचल है, उसकी मर्यादा नहीँ होती।'' | |||
* मन बिन मेल नही, बाड़ बिना बेल नहीं। | |||
* मन मीठो तो सै मीठा, मन खाटो तो सै खाटा । | |||
* मन राजा को, करम कमेड़ी को सो। | |||
* मन सूं रान्धेड़ो खाटो ई खीर लागै । | |||
* मन सै भावै, मूंड हिलावै। | |||
* मन होय तो बेटो दे दे, नहीं बेटी ही कोनी दे। | |||
* मन होय तो मालवै जायावै। | |||
* मनै घङगी अर बाङ मैं बङगी । | |||
* मर ज्याणूं, कबूल, पण जौ को दलियो नहीं खाणूं। | |||
* मरण नै सरोग पण मन हथलेवै में ही रयो। | |||
* मरणूं इयान सैं ना जाणूं है। | |||
* मरतां किसा गाडा जुपै है? | |||
* मरद की कूब्बत राड़ में, लुगाई की कूब्बत रान्धणें में | | |||
* मरद को जोबन साठ बरस जे घर में होय समाई। नर को जीवन तीस बरस हर बैल को जोबिन ढाई। | |||
* मरद तो जब्बान बंको, कूख बंकी गोरिया। सुहरहल तो दूधार बंकी, तेज बंकी घोड़िया। | |||
* मरद तो मूंछ्याल बंको, नैण बंकी गोरिया। सुरहल तो सींगला बंकी, पोड बंकी घोड़िया। | |||
* मरदां मणकों हक्क है, मगर पचीसी मांय। | |||
* मरबो तो हैजा को अर धन सट्टा को। | |||
* मरी क्यां? सांस कोनी आयो। | |||
* मरी रांड, हुयो बैरागी। | |||
* मरु रो पत माळवो नाळी बिकानेर। कवियाँ ने काठी भळा आँधा ने अजमेर॥ | |||
* मरै जको तो बोली सै ही मर ज्यावै, नई तो गोली सै ई कोनी मरै। | |||
* मरै पूत की आंख कचोलै सी। | |||
* मरै है पण मलार गावै है। | |||
* मरो मा, जीवो मांवसी, घी घाल्यो न, न गोडा चालसी। | |||
* मरो हांडणी नार, मरो कठखाणूं टट्टूं। | |||
* मर्या नै भूल जाय, आया नै कोनी भूलै। | |||
* महलां बैठ्यो छेड़ै, जको कुरडी बैठे सैं कुहावै। | |||
* महावतां सै यारी, अर दरवाजा सांकड़ा। | |||
* मा का पेट सै कोई सीख कर कोनी आवै। | |||
* मा कै सरायां पूत कोन्यां सरायो जाय, जगत कै सरायां सरायो जाय। | |||
* मा गैग डीकरी, घड़ गैल ठीकरी। | |||
* मा जी ई माजी, पण है तो पूण ई तेरा बरस की। | |||
* मा पर पूत पिता पर घोड़ो, घणों नही तो थोड़म थोड़ो। | |||
* मा बाप मरगा, ऐं ई घर की करगा। | |||
* मा भठियारी, पूत फतेखां। | |||
* मा मरी आधी रात, बाप मर्यो परभात। | |||
* मा मैं बड़ो हुयां बामणां ही बामणां नै मारस्यूं, कह, बेट बडो ही क्यूं होसी। | |||
* मा! मामा किसाक? बेटा, मेरा ई भाई। | |||
* मा, न मा को जायो, देसड़लो परायो। | |||
* मां कैवतां मूंडो भरीजै।मां, मायड़भोम अर मायड़भासा रौ दरजौ सुरग सूं ईं उचौ हुवै । | |||
* मां मरी आधी रात, बाप मर्यो परभात | ''हिंदी– बार–बार विपत्तियाँ आना।'' | |||
* मां री गाळियां, घी री नाळियां। ''अर्थ - मां की गालियां, घी की नालियां। मां ललकारती-फटकारती है तो संतान के भले की खातिर। उसके मन में दूर-दूर तक कोई दुर्भावना नहीं रहती। मां की गालियां ममता का ही दूसरा रूप है।'' | |||
* मां, घोड़ा री पूंछ पकड़ूं, कांईं दे'सी कै घोड़ो मतै ई दे दे'सी। ''अर्थ - गलत काम का अंजाम हमेशा बुरा होता है।'' | |||
* मांग कर छाय ल्यावै, सूरज नै छांटो दे। | |||
* मांग्यां तो मोत ई कोनी मिलै। | |||
* मांग्यो आवै माल, जांकै कांई कमी रै लाल? | |||
* मांज्या थाल! उतर्यां बार। | |||
* मांटी का ढालिया, अंग्रेजी किवाड़। | |||
* मांटी की भीँत डिगती बार कोनी लगावै | ''हिंदी– मिट्टी की दीवार गिरने मेँ समय नहीँ लगता।'' | |||
* माता कै तो सारा बेटा-बेटी इकसार होय है। | |||
* माथो मूंड्यां जती नहीं। | |||
* मान का तो मुट्ठी भूंगड़ा ही घणा। | |||
* मान बड़ा क दान? | |||
* माना चाली सासरै, मनावण हालो कुण? | |||
* मानै तो देव, नहीं भींत को लेव। | |||
* मानो तो देव नहीं तो भींत को लेव। | |||
* मामा को ब्या अर मा परोसगारी। | |||
* माया अंट की, विद्या कंठ की | ''हिंदी– जो पैसा अपने पास हो तथा जो ज्ञान कंठस्थ हो वही काम आता है।'' | |||
* माया तेरा तीन नाम, परस्या, परसो, परसराम। | |||
* माया मिलगी सूम नै, ना खरचै, ना खाय। | |||
* माया सै छाया भली। | |||
* मार कर भाग ज्याणूं, खाकर सो ज्याणूं। | |||
* मार कुसार, छाणा की मार। | |||
* मार कै आगै भूत भागै। | |||
* मारण हालै को तो हाथ पकड़्यो जाय, बोलण हालै की जीब कोनी पकड़ी जाय। | |||
* मारणियै सैं जिवाणियूं ठाडो (बडो) है। | |||
* मारणूं ऊंदरो, खोदणूं डूंगर | ''हिंदी– छोटे कार्य के लिए बड़ा कष्ट उठाना।'' | |||
* मारले सो मीर। | |||
* मारवड़ा की मूढ़ता, मिटसी दोरी मिन्त। | |||
* मारवाड़ मनसूबे डूबी, पूरबी गाणा में। खानदेस खुरदों में डूबी, दक्षिण डूबी दाणा में॥ | |||
* मारै आप, लगावै ताप। | |||
* मारै नहीं जको बलो उठावै। | |||
* मार्यो-कूट्यो एक नांव, जीम्यो-जूठ्यो (खायो-पीयो) एक नांव। | |||
* माल गैल जगात माल सैं चाल आवै। | |||
* माल सैँ चाल आवै | ''हिंदी– धन आने पर अक्ल पैदा हो जाती है।'' | |||
* मालिक को मालिक कुण? | |||
* माली अर मूला छीदा ही भला। | |||
* मावां पोवां धोंधूकार, फागण मास उड़ावै छार, चैत मासा बीज ल्हकोवै, भर बैसाखां केसू धोवै, जेठ जाय पन्तो तो कुण रोकै सावण भादवा जल बरसंतो। | |||
* मिंया नै सलाम की खातर क्यूं रूसायो? | |||
* मिनख कमावै च्यार पहर, ब्याज कमावै आठ पहर । | |||
* मिनख को के बड़ो, बीसो बडो है। | |||
* मिनख बाण रो गोलौ । | |||
* मिनख माणसियो, दो होय है। | |||
* मिनख सूण की दई रोटी खाय है। | |||
* मिनख हजार वर्ष नींव बांधे, भरोसो पलक को ई कोन्या। | |||
* मियां की दौड़ महजीत तांई। | |||
* मियां रोवो क्यूं? कै, बन्दा की सकल ही इसी है। | |||
* मियूं बीबी दो जणां, क्यूं खावै बै जो चणा? | |||
* मियूं मर्यो जद जाणियो, जद चलीसो होय। | |||
* मिल बिछड़ो मत कोय। | |||
* मिलै मुफतरो माल, सांड रैवै सोरा। | |||
* मिल्या भिंट्या अर हुंसेर पूरी हुई। | |||
* मींडका नै तिरणूं कुण सिखावै | ''हिंदी– मेँढक को तैरना कौन सिखाता है अर्थात् यह तो उसका स्वाभाविक गुण है।'' | |||
* मींडका नै तिरणूं कुण सिखावै? | |||
* मीठी छुरी अर झैर की भरी। | |||
* मीठै कै लालच जूठो खाय। | |||
* मुं करे है छाछ सो | |||
* मुंडै सूं नीसरी बात, कमाण सूं नीसरयो तीर, अर परमात्मा री पोळ गयोड़ा पराण पाछा नीं बावडै । | |||
* मुंह गैल थाप। | |||
* मुंह टोकसी-सो, नांव सरुपली। | |||
* मुंह सुई-सो, पेट कुई-सो। | |||
* मुंह सै निकल ज्या सो भाग धणी का। | |||
* मुकदमा में दो चाये, कोडा अर गोडा। | |||
* मुख में राम, बगल में छुरी। | |||
* मुतबल को संसार सनेही। | |||
* मुतलब बणतां लोग हंसै तो हँसबा द्यो। | |||
* मुरदां क साथ कांधिया कोन्या बलै। | |||
* मुरदै पर चाहै एक कस्सी गेरो, चाहै सो कस्सी गेरो। | |||
* मुर्गी के तो ताकू कोई डाम। | |||
* मूं आगै नार, पीठ पीछै पराई। | |||
* मूं करै झ्याउलया को सो - मुंह बनाना । | |||
* मूं लागी चाट कोन्या छूटै। | |||
* मूंग–मोठ में कुणं सो बडो अर कुण सो छोटो (मूंग मोठ में कुण ल्होड़ो-बडो?) | |||
* मूंछा उखाड्या सैं मुरदा हलका थोड़ा हो छै। | |||
* मूंड मुंडायां सर ज्याय जिको क्यूं कुमावै? | |||
* मूरख कह छूटै, बलद बह छूटै। | |||
* मूरख कै मांथै सींक कोनी होय। | |||
* मूरख न टक्को दे देणूं, पण अक्कल नहीं देणी। | |||
* मूरख सै काम पड़ै जब के करणूं? चुप रह ज्याणूं। | |||
* मूर्खा को माल मसकरा खाय। | |||
* मूल सैं ब्याज प्यारो। | |||
* मूसल कै अणी ना, गरीब कै धणी ना। | |||
* मूसै को जायो बिल ई खोदैगो। | |||
* मे बाबो आयो, सिट्टा-फली ल्यायो। | |||
* मेरी ई मूंड मेरी मोगरी। | |||
* मेरे खुदा बकसियो ढाई सेर की लापसी खा ज्याय, पण खा ज्या कैं भड़वा की? मेरो मियूं घर नहीं, मूझ किसी का डर नहीं। | |||
* मेरे लला के कुण-कुण यार? धोबी, छीपी अर मणियार। | |||
* मेरै छोटक्यं नै न्यूत चाहै बडोड़ा नै न्यूंत, सै ढाई सेर्या है। | |||
* मेवा तो बरसँता भला, होणी होवॅ सो होय । | |||
* मेवां की माया, बिरखां की छाया। | |||
* मेह की रुख तो भदवड़ा'ई बता दें । | |||
* मेहा तो तित बरस सी, जित राजी होसी राम। | |||
* मै गलो कटावै। | |||
* मैं कुणसी मोल्डी क भाटा की दी ही । | |||
* मैं कै गलै छरी। | |||
* मैं बी राणी, तूं बी राणी, कूण भरैं पैंडे को पाणी? | |||
* मैं मरूं मेरी आई, तूं क्यूं मरै पराई जाई? | |||
* मैं लेऊं थी तन्ने, तूं ले बैठी मन्नै। | |||
* मोटो ब्याज मूल नै खावै । | |||
* मोडा करै मलार, पराये घरां पर। | |||
* मोडा घणा, बैकुण्ड सांकड़ी। | |||
* मोडां की राड में तूंबा ई उछलै। | |||
* मोडी गाय सदा बैडकी कुहावै। | |||
* मोडो कूद्यो अर बैकुण्ड कै मांय। | |||
* मोड्यो लोटै राख में, दो पोवै दो काख में। | |||
* मोत मानगी मामलो, मन्दी मांगणहार। | |||
* मोर जंगल में नाच्योहो पण कुण देख्यो । | |||
* मोर नाचै घणूं ई पण पगां न देख र रोवै । | |||
==य-व== | |||
* या जांघ उघाड़ै तो या लाजां मरै, या उघाड़ै तो या। | |||
* या देवी बोळा भगत तार्या है। | |||
* या नै आपकी यारी सैं ही काम। | |||
* या बेटी अर यो दायजो। | |||
* यारी को घर दूर है | ''हिंदी – दोस्ती निभाना कठिन है।'' | |||
* यो टोरड़ो तो दोरो ई पार होसी। | |||
* यो ही म्हारो आसरो, के पीर के सासरो। | |||
* रंकी रीझै तो रो दे। | |||
* रजपूत की जात जमी । | |||
* रजपूती धोरां मे रलगी, ऊपर चढ़गी रेत। | |||
* रमता राम, बैठ्या सोई मुकाम। | |||
* रलायां हाथ धुपै। | |||
* रहण नै तो टापरी कोन्या, सुपनू देखै महलां को। | |||
* रही घणां दिन राज कै, बे इज्जत बरती। जाती करै जुहराड़ा, धणियां सू धरती। | |||
* रांड आगै गाळ कोनी । | |||
* रांड के सुहागन पगां लागी, मेरे जिसी तूं भी होज्या। | |||
* रांड कै मार्योड़ै की अर गांव में फिर्योडै की दाद-फिराद कोनी। | |||
* रांड स्याणी तो होवै पण होवै खसम मर्यां पाछै। | |||
* राई का भाव रात ही गया। | |||
* राई बिना किसो रायतो? | |||
* राख पत, रखाय पत | ''हिंदी– दूसरोँ का सम्मान करने पर वे भी सम्मान करते हैँ।'' | |||
* राग, रसोई पागड़ी, कदे कदे बण ज्यावै। | |||
* राजपूती धोरां में रळगी, ऊपर चढ़ गई रेत । | |||
* राजा करै सो न्याव, पासो पड़ै सो डाव । | |||
* राजा के सोनै का पागड़ा? कह, आज के दिन तो भलांई गुड़ा का कराल्यां। | |||
* राजा कै घर मोतियां की के कमी है? | |||
* राजा गढ़ां में, जोगी मढां में। | |||
* राजा जोगी अगन जळ, इण की उलटी रीत । डरता रहियो परसराम, ये थोडी पाळै प्रीत ।। | |||
* राजा बांधै दल, बैद बांधै मल। | |||
* राजा मान्या सो मानवी, मेवां मानी धरती। | |||
* राजा राज पिरजा चैन। | |||
* राजा री आस करणी, पण आसंगो नीं कारणों । | |||
* राजा रूसै तो आपको गांव राखै। | |||
* राजा सल्ला को, पीसो पल्ला को। | |||
* राजा, जोगी, अगन, जल, इण की उलटी रीत। डरता रहियो परसराम, ये थोड़ी पालै प्रीत। | |||
* राड करै तो बोलै आडो। | |||
* राड को घर हांसी, रोग को घर खांसी। | |||
* राड़ सैं बाड़ भली । | |||
* राणी नै काणी मना कहो। | |||
* रात अंधेरी, मा परोसगारी। | |||
* रात आगै उँवार कोनी, रांड ऊं बड्डी गाळ कोनी । | |||
* रात आगै उँवार कोनी। | |||
* रात की नींद गई, दिन की भूख गई। | |||
* रात च्यानणी, बात आँख्या देखी मानणी | ''हिंदी– चांदनी रात ही अच्छी होती है तथा आँखोँ देखी बात पर ही विश्वास करना चाहिए।'' | |||
* रात नै रात्यूंदो, दिन में सूजै ई कोन्या। | |||
* रात बी खोई, जगात भी दी। | |||
* राधो भलो न पिरागो। | |||
* राबड़ी के कहै, मन्नै दांतां सै खावो। | |||
* राबड़ी को नांव गुलसफ्फा । | |||
* राबड़ी बी कहै मन दांतां सै खावो । | |||
* राबड़ी में गुण होता तो ब्या में नां रान्धता । | |||
* राबड़ी में राख रांधै, चून पाटै पीसती । देखो रै या फ़ूड रांड, चालै पल्ला घींसती ।। | |||
* राम कह कर रहीम के कहणूं? | |||
* राम की डांग पर बेड़ो हैं। | |||
* राम कै घर को राम नै ही बेरो। | |||
* राम को अर राज को सिर ऊपर कै गैलो है। | |||
* राम घणी के गांव घणी। | |||
* राम झरोखै बैठ कर, सबका मुजरा लेय। जैसी देखै चाकरी, जैसा ही भर देय। | |||
* राम दे तो बाड़ में ही देदे। | |||
* राम नै लंका लूट्यां ही जुग बीतगा। | |||
* राम पुराणी बाजरो, मींडक चाल जंवार। इक्कड़ दुक्कड़ मोठिया, कीड़ी नाल गंवार। | |||
* राम बनाई जोड़ी, एक काणूं अर एक कोढ़ी । | |||
* राम रूस्योड़ो बुरो। | |||
* रामजी ऊपर चढ्यो देखै है। | |||
* रामजी को नांव सदा मिसरी, जब चाखै जब गूंद गिरी। | |||
* रामदेव जी ने ढेढ़ इ ढेढ़ मिल्या । | |||
* रामदेवजी नै मिल्या जका ढेढ ही ढेढ। | |||
* राम–राम चौधरी, सलाम मियांजी। पगे लागूं पांडिया, दंडोत बाबाजी। | |||
* रामूं कहो भावं उजाड़ कहो। | |||
* रावली घोड़ी, बावला हसवार। | |||
* रावलै को तेल पल्लै में ई चोखो। | |||
* रिपिया तेरी रात, दूजो नर जलम्यो नहीं। जे जलम्या दो च्यार, तो जुग में जीया नहीं। | |||
* रिपियो हाथ को मैल है। | |||
* रूअं धूअं अर मूंवां, जाड़ो कोनी लागै। | |||
* रूप का रूड़ा रोहीड़ै का फूल। | |||
* रूप की धणियाणी पाणी भरबा जाय। | |||
* रूप की रोवै करम की खावै । ''हिंदी – रूपवती स्त्री भी दुःखी रहती है परन्तु कर्मशील कुरूप स्त्री भी भूखी नहीँ रहती।'' | |||
* रूपयो होवै रोकड़ी सोरो, आवै सांस, संपत होय तो घर भलो, नहीं भलो परदेस। | |||
* रेवड़ में कुण गयो? बाबो! कह, बाबो भेड्या सैं भी बूरो। | |||
* रोंवता जांय बै मरेडां की खबर ल्यावैं । | |||
* रोगी की रात अर भोगी को दिन करड़ो नीसरै। | |||
* रोज में रोवण जोगो न, गीत में गावण जोगो न। | |||
* रोटी साटै रोटी, के पतली के मोटी। | |||
* रोतो जाय अर मारतो जाय। | |||
* रोयां बिना मा बी बोबो कोनी दे। | |||
* रोयां राबड़ी कुण घालै | ''हिंदी – परिश्रम से सब कुछ प्राप्त होता है, केवल रोने से कुछ नहीँ होता।'' | |||
* रोवती जाय, मुवै की खबर ल्यावै। | |||
* रोवती रांड सासरे में के न्याहल करै । | |||
* लंका में किसा दालदी कोनी बसै। | |||
* लंका में बावन हाथ का। | |||
* लंघन सै लापसी चोखी। | |||
* लखण लखेसरी का, करम भिखारी का। | |||
* लजवन्ती घर में बड़ी, फूड़ जाणै मेरे सै डरी। | |||
* लदणिया ई लद्या करैं है। | |||
* लद्योड़ा ही लदै। | |||
* लरड़ी पर ऊन कुण छोड़ है? | |||
* लहसण बी खायो, रोग बी को गयो ना। | |||
* ला कोई बीरन ऐसा नर, पीर बबरची भिस्ती खर। | |||
* लांबी बां दूर तांई पसरै। | |||
* लाखां पर लेखो, क्रोडां पर कलम। | |||
* लागै जठे पीड़। | |||
* लागै जैंकै करकै। | |||
* लाग्यो अर भाग्यो। | |||
* लाग्यो तो तीर, नहीं तुक्को ही सही। | |||
* लाज तो आंख्या की होय है। | |||
* लाठी टूटै न भांडो फूटै। | |||
* लाडू की कोर चाखै जठे ही मीठी। | |||
* लाडू फूटै उठे तो भोरा खिँडै ही। | |||
* लातां को देव बातां सै कोनी मानै। | |||
* लाबद्या को ओड कोनी। | |||
* लाम को अर काम को बैर है। | |||
* लाय लाग्यां किसो कुवो खुदै? | |||
* लालबही छप्पन रो पानो, बोहरो रोवै छानो-छानो । | |||
* लालाजी करी ग्यारस अर बा बारस की दादी। | |||
* लिखी है ललाट लेख ऊं मैं नहीं मीन-मेख। | |||
* लिछमी आई ज्यां ही गइ। | |||
* लिछमी कठे जाकर राजी हुई। | |||
* लीद की खाय तो हाथी की खाय जिंको पेट तो भर ज्याय। | |||
* लीप्यो पोत्यो आंगणूं और पहनी-ओढ़ी स्त्री सुन्दर लागै। | |||
* लुगाई की कमाई मोट्यार खाय तो टांटियै को बिस उतर ज्याय। | |||
* लुगाई कै पेट में टाबर खटा ज्याय, पण बात कोनी खटावै। | |||
* लुगाई को न्हाणू, मरद खाणूं। | |||
* लूंगा चढ़गी बांस, उतरै चौथे मास। | |||
* लूण फूट-फूट कर निकलै। | |||
* लूण बिना रसोई पूण। | |||
* लूली अर लीपै। दो जणां पकड्यां, कह आके बात? कह, आ चोखो लीपै। | |||
* ले पाड़ोसण झूंपड़ी, नित उठ करती राड। आदो बगड़ बुहारती, सारो ही बुहार। | |||
* ले ले करतां तो डाकण भी कोन्या ले। | |||
* लोडा तिरै, सिल डूबै। | |||
* लोहा, लकड़ा, चामड़ा, पहला किसा बखाण। बहु, बछेरा, डीकरा, नीमटियो पछाण॥ ''हिंदी – लोहे का, लकड़ी तथा चमड़े का पहले से पता लगाना मुश्किल है। बहू, लड़का तथा घोड़े के बच्चोँ के गुणोँ का पता वयस्क होने पर ही चलता है।'' | |||
* ल्याऊं चून उधारो कोई गुड़ दे तो। मर-पड़ की खाल्यूं-कोई ल्याकर दे तो॥ | |||
* वर घोडी घर और था, खाती दाणू घास। यह घर घोड़ी आपणां, कर गोविंद की आस॥ | |||
* वा ही नार सुलाखणी, जैंको कोठी धान। | |||
* वाकै जासी धरतड़ी, वाकै जा आसमान। | |||
* वात, पित युक्त देह ज्यांक, होय रहे धाम–धूम। अण भणियां आलम कथी कहे मेहा अतिघोर॥ ''हिंदी – वातयुक्त व्यक्ति को यदि गर्मी से सिर दर्द करे तो वर्षा की सम्भावना होती है।'' | |||
* विद्या बणिता बेल नृप, ये नहिं जात गिणन्त। जो ही इनसे प्रेम करै, ताहू कै लिपटन्त॥ | |||
* वेश्या बरस घटावै अर जोगी बधावै। | |||
* वैसुन्दर देवता घणी ई चोखो पण घर में लाग्यां बेरो पड़ै। | |||
==श-ह== | |||
* शुक्रवार की बादली, रही शनिचर छाय। डंक कहे है, भडली बरस्यां बिना न जाय॥ हिंदी – शुक्रवार को आकाश पर बने बादल यदि शनिवार तक रहेँ तो वर्षा अवश्य होती है। | |||
* संख अर खीर भर्यो। | |||
* संजोग पीवतां के बार लागै। | |||
* संदेसां बिजण अर हाथ हाथां खेती। | |||
* संपत हुवै तो घर, नींतर भलो परदेस। | |||
* संवारता बार लागै, बिगाड़तां कोनी लागै | ''हिंदी – काम बनाने मेँ समय लगता है बिगाड़ने मेँ नहीँ।'' | |||
* संवारै रो गाजियो ऐलौ नहीँ जाय | ''हिंदी – सुबह मेघ–गर्जन निश्चित रूप से वर्षा का संकेत है।'' | |||
* सक्करखोरा नै सक्कखोरो सो कोम की ऊंलाई खा कर मिल ज्याय। | |||
* सगलै गुण की बूज है | ''हिंदी– गुणी का हर जगह सम्मान होता है।'' | |||
* सगलो गांव लट्टै, कोई घालै, कोई नट्टै। | |||
* सगो कीजे जाण कर, पाणी पीजे छाण कर। | |||
* सग्गो समरथ कीजिये, जद-तद आवै जाव। | |||
* सत मत खोओ सूरमा, सत खोयं पत जाय। सत की बांधी लिच्छमी, फेर मिलै गी आय॥ | |||
* सदा दिवाली सन्त कै, आठो पहर आनन्द। | |||
* सदा न जुग जीवणा, सदा न काला केस | ''हिंदी – संसार मेँ हमेशा कोई नहीँ रहता, इसी प्रकार यौवन भी साथ छोड़ देता है।'' | |||
* सदा न बरैस बादली, सदा न सावण होय। | |||
* सदा ही इकासर दिन कोनी रैवे। | |||
* सपूत की कमाई मैँ सै को सीर। | |||
* सपूत तो पाड़ोसी को बी चोखो। | |||
* सब आप आपकै भाग की खाय है। | |||
* सब आप आपको काढ्यो पाणी पीवै है। | |||
* सब कोई झुकतै पालड़ै का सीरी है। | |||
* सबकी मय्या सांझ। | |||
* सबसूं रिलमिल चालिये, नदी नाव संजोग। | |||
* समझणहार सुजाण, नर मोसर चूकै नहीं। ओसर की अहसाण, रहे घण दिन राजिया॥ | |||
* समदर को के सूकै? | |||
* समै दिवाली पोलकर न्हाण। | |||
* सरलायो छूंदरो, बद्दां बंध्यो जाट । मदमाती गूजरी, तीनों वारां बाट ।। | |||
* सरीर कै रोगी की दवा है, मन कै रोगी की कोनी। | |||
* सलाम तांई मियां नै क्यूं रूसाणो। | |||
* साँच कही थी मावडी, झूठ कह था लोग। खारी लागी मावडी, मीठा लाग्या लोग॥ ''हिंदी – माता का सच भी झूठ नजर आया जबकि लोग ही झूठ बोल रहे थे, क्योँकि लोग मधुर बोल रहे थे तथा माता कटु बोल रही थी।'' | |||
* सांई हाथ करतणी, राखैगो उनमान। | |||
* सांकड़ी गली अर मारणां बलद। | |||
* सांगर फोग थली को मेवो। | |||
* सांच कहै थी मावड़ी, झूठ कहै था लोग। खारी लागी मावड़ी, मीठा लाग्या लोग॥ | |||
* सांच नै आंच कोन्या। | |||
* सांची कह्यां झांल उठै। | |||
* सांप की रांद झाडूलो काटै। | |||
* सांप कै चीखलै को बडो अर के छोटो? | |||
* सांप कै मांवसियां की के साख | ''हिंदी – दुष्ट का क्या भरोसा?'' | |||
* सांप कै मांवसियां को के साख? | |||
* सांप को खोयोड़ो बीछ्यां सैं के डरै? | |||
* सांप चालती मोत है। | |||
* सांप भी मर जाय और लाठी भी न टूटै। | |||
* सांप सगलै टेढो मेढो चालै पण बिल में बड़ै जद सीदो हो ज्याय। | |||
* सांप सलीट्या सदा ई देख्या, इजगर बाबो अबकै। | |||
* सांप, गोयरा, डेडरा, कीड़ी–मकोड़ी जाण। दर छोड़ै बाहर भागे, नहीँ मेह की हाण॥ ''हिंदी – यदि मेँढक, चीँटी, साँप आदि अपने–अपने स्थान पर जाने लगेँ तो भारी वर्षा की सम्भावना होती है।'' | |||
* सांप-चकचूंदर हाली हो रही है। | |||
* सांपां का ब्या में जीभां की लपालप। | |||
* सांपां कै किसा साख? | |||
* सांपां कै डर गूगो ध्यावै। | |||
* सांस जब लग आस। | |||
* सांसी कै क्यांको दिवालो? | |||
* सांसी साह सरावगी, श्रीमाल सुनार। ये सस्सा, पांचूं बूरा, पहले करो विचार॥ | |||
* साची कही, भाठा की दई। | |||
* साजा बाजा केस, गोड बंगाला देस। | |||
* साठी बुध नाठी। | |||
* सात बार, नो तिंह्वार। | |||
* साता मामा को भाणजो भूख्यो रैज्या। | |||
* सातों गैला मोकला तेरै जच्चै जठे जा। | |||
* सात्यूं घर तो डाकण भी छोड दिया करै है । | |||
* साधवां कै कसो सुवाद, आवण दे मलाई सुदां ई। | |||
* साधां की पावली ई चोखी। | |||
* साधू को धन सीर को। | |||
* सापुरसां का जीवणां थोड़ा ही भला। | |||
* साबत रैसी सर तो घणाई बससीं घर। | |||
* सामर पड्यो सो लूण। | |||
* सारी दुनी ओगणी है नै आप आपरै पड़दै भीतर उघाड़ी है। | |||
* सारी रामायण पढ़ ली, सीता कुण की भू? | |||
* सालगजी का सालगजी, गोफणियूं का गोफाणियूं। | |||
* साली छोड़ सासुओं सै ई मसकरी। | |||
* सालै बिना क्यां को सासरो? | |||
* सावण का अंधा नै हर्यो ई हर्यो दीखै। | |||
* सावण का आना नै हरयो ई हरयो दीखै । | |||
* सावण का पंचक गलै, नदी बहन्ता नीर। | |||
* सावण की छा भूतां नै, कातिक की छा पूतां नै। | |||
* सावण छाछ न घालती, भर बैसाखां दूध। गरज दिवानी गुजरी, घर में मांदो पूत॥ | |||
* सावण पहली पंचमी, जे बाजै बहु वाय। काल पड़ै सब देश में, मिनख मिनख नै खाय॥ | |||
* सावण बद एकादशी, जितनी रोहिणी होय। वितणूं समय विचारियो, जै कोइ पंडित होय॥ | |||
* सावण भलो सूर'यो भादुड़ो पिरवाय, आसोजां मैं पछवा चाली गाडा भर भर ल्याव । | |||
* सावण में तो सूर्यो चालै, भादूड़ै पुरवाई। आस्योजां में नाडा टांकण, भरभर गाडा ल्याई॥ | |||
* सावल करतां कावल पड़ै है। | |||
* सास बिना कांइ सासरो? | |||
* सासरै को बास, आपकै कुल को नास। | |||
* सासरै खटावै कोनी, पीर में सुहावै कोनी। | |||
* सासरौ सुख आसरौ, जे ढबै दिन चार । जे बसै दिन दस बीस, हाथ में खुरपी माथै भार ।। | |||
* सासरौ सुख बासरौ, चार दिनां को आसरौ, जै रवे मास दो मास, देस्याँ खुरपी खुदास्याँ घास । | |||
* सासू का भुवां नै जीकार आच्छया कोनी। | |||
* सासू जाणै करूं कलेवा, भू काढ़ै गैल का केवा। | |||
* सासू बोली—बीनणी ग्यारस करसी के? बीनणी बोली—मैं तो टाबर हूँ। | |||
* सासू मरगी कटगी बेड़ी, भू चढ़गी हरकी पेड़ी। | |||
* सिकार की बखत कुतिया हंगाई। | |||
* सिर को बोझ पगां नै भारी। | |||
* सिर चढ़ाई गादड़ी गाँव ई फूंकै लागी | ''हिंदी – निकृष्ट को मुँह लगाने पर हानिकारक हो जाता है। | |||
* सिर पर भींटको, तम्बू में बड़बादे। | |||
* सिर बड़ो सपूत को, पग बड़ा कपूत का | | |||
* सिर भारी सरदार का, बग भारी मुरदारा का। | |||
* सिरफोड़ै को मुंडफोडो भायलो। | |||
* सिरी को टाबर ताबड़ै बाल्योड़ो ही चोखो। | |||
* सिलारै नै सिरलारो कोनी देख सकै। | |||
* सिव सिव रटै, संकट कटै। | |||
* सींत को चन्नण घस रे लाल्या, तूं भी घस, तेरा घरकां नै बुलाल्या। | |||
* सींत को माल मसकरा खाय। | |||
* सीखड़ल्यां घर ऊजड़ै, सीखलड़ल्यां घर होय। | |||
* सीतला माता! मन्ने घोड़ो दिये, कह, मै ई गधे पर चढूं हूं। | |||
* सीधी आंगलिया घी कोन्या निकलै। | |||
* सीधै पर दो लदै। | |||
* सीर की होली फूंकण की ही होय है। | |||
* सीर सगाई चाकरी, सुखीदावै को काम। | |||
* सीली तो सपूती हो, सात पूत की मा हो। कह, रैणदे, तेरी आसींस नै, नौ तो पेली ई है। | |||
* सीसा मसोना सुघड़ नर, मंदरा की बोलन्त। कांसी कुत्ती कुभारजा, बिन छेड्या कूकन्त॥ | |||
* सुई सुहागो सापुरुष, सांठै ही सांठै। | |||
* सुक्करवारी बादली, रही सनीसर छाय। सहदेव कहै हे भड़ली, बिन बरसी नहिं जाय॥ | |||
* सुख की तो आधी भली, दुख की भली न एक। | |||
* सुख सोवै कुम्हार की चोर न मटिया लेय। अथवा चोर न गधिया लेय। | |||
* सुधर्यो काज बिगड़यो नांही, घी ढुल्यो मूंगा मांही। | |||
* सुरग को दरवाजो कुण देख्यो है? | |||
* सुलफो सट्टो संखियो, सुलफो और सराब। सस्सा पांचू नेठ है, खोवै मुंह की आब॥ | |||
* सुसरो बैद कुठोड़ खाई। | |||
* सूखै घसीजै हळबांणी, आलै घसीजै चवू। सांवण घसीजै डीकरी, काती घसीजै बहू । | |||
* सूत्यां की तो पाडा ही जणै। | |||
* सूदी छिपकली घणा जिनावर खाय। | |||
* सून मांथै बामण आछ्यो कोन्या। | |||
* सूनां खेत सुलाखणा, हिरणां चर चर जाय। | |||
* सूम कै घर में धूम क्यांकी? | |||
* सूरज कुंड अर चांद जलेरी, टूटा बीबा भरगी डेरी। | |||
* सूरज कुंड और चन्द्र जलेरी। टूट्या टीबा भरगी डेरी॥ ''हिंदी – चन्द्रमा के चारोँ ओर जलेरी तथा सूरज के चारोँ ओर कुण्ड होने पर भारी वर्षा की सम्भावना होती है।'' | |||
* सूरदासजी ल्यो खांड अर घी, कह सुणावै है और बापां नै, पटक तो को देना। | |||
* सूरदासजी ल्यो मोठ, कह, और मर गा के? | |||
* सेर की हांडी में सवा सेर कोनी खटावै। | |||
* सेर नै सवा सेर मिल ज्याय। | |||
* सेल घमोड़ो सो सहै, जो जागीरी जाय। | |||
* सेह कै ही मूंडै दांत होय तो दिनमें ई ना चरै। | |||
* सै भूखा उठै है, भूखा सोवै कोन्या। | |||
* सो झख्या अर एक लिख्या। | |||
* सो दिन चोर का, एक दिन साहूकार को। | |||
* सो धोती अर एक गोती। | |||
* सो नकटां में एक नाक हालो ही नक्कू बाजै। | |||
* सोक तो काचै चून की बी बूरी। | |||
* सोक नै सोक कोनी सुहावै। | |||
* सोड़ गैल पग पसारो। | |||
* सोनी की बेटी संहगी सरूप। बाणिया की बेटी महंगी करूप॥ | |||
* सोनूं गयो करण कै साथ। | |||
* सोनै कै काट कोन्या लागै | ''हिंदी – सज्जन पुरुषोँ पर कलंक नहीँ लगाया जा सकता।'' | |||
* सोनै कै थाल में तांबै की मेख। | |||
* सोमां शुक्रां सुरगुरां जे चन्दा ऊगन्त। डंक कहे हे भड्डली, जल थल एक करन्त॥ | |||
* हतकार की रोटी चौवटे ढकार | ''हिंदी – मुफ्त मेँ उपभोग करना तथा अहंकार का प्रदर्शन करना।'' | |||
* हथेळी मैं सिरस्यूं कोनी उगै । | |||
* हर बड़ा क हिरणा बड़ा, सगुणा बड़ा क श्याम। अरजन रथ नै हांक दे, भली करै भगवान॥ ''हिंदी – यह माना जाता है कि हरिण जब बाँयी ओर आ जाये तो अपशकुन होता है। हरिणोँ के बाँयी ओर आने पर अर्जुन ने रथ रोक दिया परन्तु किसी ने कहा कि भगवान साथ होने पर कुछ भी अपशकुन नहीँ होता है।'' | |||
* हाँसी-हाँसी में हो-ज्यासी खाँसी । | |||
* हांसी मैँ खांसी हो ज्याय | ''हिंदी – हँसी-मजाक मेँ लड़ाई हो जाती है।'' | |||
* हाकिमी गरमाई की, दुकनदारी नरमाई की ''हिंदी – अफसर को कड़क तथा दुकानदार को विनम्र रहना चाहिए।'' | |||
* हिल्योडो चोर गुलगुला खाय । | |||
* होत की भाण, अणहोत को भाई |''हिंदी – बहिन धनी को भाई बनाती है जबकि भाई विपत्ति मेँ भी साथ देता है।'' | |||
==क्ष त्र ज्ञ ऋ == | |||
* ऋण अर बैर कत्ती जूणां ई नीं जावै । | |||
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Revision as of 07:02, 5 January 2012

== नोट ==
यहां आप राजस्थानी भाषा के मुहावरे और लोकोक्तियां पढ या लिख सकते हैं | कुछ मुहावरों और लोकोक्तियों के अर्थ मुहावरे के साथ हिंदी में दिए गए हैं. शेष के विस्तार की आवश्यकता है |
- To write in Hindi see हिन्दी में कैसे लिखें
अ-अः
- अंधा की माखी राम उड़ावै।
- अंधाधुंध की साहबी, घटाटोप को राज।
- अंबर कै थेगलीं कोनी लागै।
- अकल बिना ऊंट उभाणा फिरैं । हिन्दी – मूर्ख व्यक्ति साधन होते हुए भी उनका उपयोग नहीँ कर पाते।
- अक्कल उधारी कोनी मिलै।
- अक्कल कोई कै बाप की कोनी।
- अक्कल बड़ी के भैंस।
- अक्कल में खुदा पिछाणो।
- अक्खा रोहण बायरी, राखी सरबन न होय । पो ही मूल न होय तो, म्ही दूलन्ती जोय ।।
- अगम् बुद्धी बाणियो पिच्छम् बुद्धी जाट । तुर्त बुद्धी तुरकड़ो, बामण सपनपाट ।।
- अगस्त ऊगा, मेह पूगा ।
- अग्रे अग्रे ब्राह्मणा, नदी नाला बरजन्ते । हिंदी – ब्राह्मण सभी कामोँ मेँ आगे रहता है परन्तु खतरोँ के समय पीछे ही रहता है।
- अछूकाळ कादा में पीवै ।
- अजमेर को घालणिया नै चेरासाई त्यार है।
- अटक्यो बोरो उधार दे ।
- अठे किसा काचर खाय है |
- अठे गुड़ गीलो कोनी अथवा इसो गुड़ गीलो कोनी।
- अठे चाय जैंकी उठे बी चाय।
- अठे ही रेवड़ को रिवाड़ो, अठे ही भेड्या री घुरी।
- अणदेखी न नै दोख, बीनै गति न मोख | हिन्दी – निर्दोष पर दोष लगाने वाले की कहीँ गति नहीँ होती।
- अणमांग्या मोती मिलै, मांगी मिलै न भीख।
- अणमिले का सै जती हैं।
- अणसमझ को कुछ नहीं, समझदार की मौत।
- अणी चूकी धार मारी।
- अत पितवालो आदमी, सोए निद्रा घोर। अण पढ़िया आतम कही, मेघ आवै अति घोर |हिन्दी - अधिक पित्त प्रकृति का व्यक्ति यदि दिन मेँ भी अधिक सोए तो यह भारी वर्षा का सूचक है।
- अदपढ़ी विद्या धुवै चिन्त्या धुवे सरीर |
- अनहोणी होणी नहीं, होणी होय सो होय |
- अनिर्यूं नाचै, अनिर्यूं कूदै, अनिर्यूं तोड़ै तान।
- अब तो बीरा तन्नै कैगो जिकोई मन्ने कैगो।
- अबे तबे का एक रूपैया, अठे कठे का आना बार।
- अभागियो टाबर त्युंहार नै रूसै । हिन्दी – सुअवसर से भी लाभ न उठा पाना।
- अमरो तो मैं मरतो देख्यो, भाजत देख्यो सूरो । चोधर तो मैं खुसती देखी, लाछ बुहारी कूडो ।। आगै हूँ पाछो भलो, नांव भलो लैटूरो ।।। (देखें - नाम में क्या रखा है)
- अम्बर कै थेगळी कोनी लागै ।
- अम्बर राच्यो, मेह माच्यो | हिन्दी – आसमान का लाल होना वर्षा का सूचक है।
- अम्मर को तारो हाथ सै कोनी टूटै । हिन्दी– आकाश का तारा हाथ से नहीँ टूटता।
- अम्मर पीळो में सीळो ।
- अय्याँ ही रांडा रोळा करसी अर अय्याँ ही पावणा जिमबो करसी ।
- अय्यां ही रांड रोला करसी अर अय्यां ही पावणां जीमबो करसी।
- अरजन जसा ही फरजन ।
- अरड़ावतां ऊँट लदै । हिंदी – दीन पुकार पर भी ध्यान न देना।
- अल्ला अल्ला खैर सल्ला ।
- असलेखा बूठां, बैदां घरे बधावणा । हिंदी - असलेखा नक्षत्र में वर्षा हो तो बैद-हकीमों के घर बधाई बँटे, मतलब रोग बढ़ते हैं ।
- असवार तो को थी ना पण ठाडां करदी - हिंदी - किस्सा यों है कि एक औरत को एक डाकू जबरदस्ती उठा कर ले जा रहा था. ऊँट तेजी से दोड़ रहा था. रास्ते में उस औरत का एक परिचित मिल गया. उसने पूछा, 'आरी तू ऐसी सवार कब से हो गयी जो ऊँट को इतने जोरों से भगा रही है ?' तब उसने उत्तर में ऊपर की कहावत कही जिसका अर्थ है कि मैं सवार तो नही थी, जबर्दस्तों ने मुझे सवार बना दिया ।
- असाई म्हे असाई म्हारा सगा, असी रातां का अस्सा ही तड़का।
- असाई म्हे असाई म्हारा सगा, बां कै टोपी न म्हारे झगा ।
- असी रातां का अस्सा ही तड़का ।
- असो भगवान्यू भोळो कोनी जको भूखो भैसां में जाय । हिंदी – कोई मूर्ख होगा जो प्रतिफल की इच्छा के बगैर कार्य करे।
- अस्सी बरस पूरा हुया तो भी मन फेरां में रह्या ।
- अहारे ब्योहारे लज्जा न कारे।
- आ छाय तो ढोलियां जोगी ही| हिंदी – बेकार वस्तु के नुकसान का दुःख न होना।
- आ नई काया सोने की, बार बार नहीं होणै की।
- आ बलद मनै मार।
- आ रै मेरा सम्पटपाट! मैं तनै चाटूं, मनै चाट।
- आ ले पड़ोसण झूंपड़ी, नित उठ करती राड़।
- आ सुन्दर मन्दर चलां तो बिन रह्यो न जाय। माता देवी आसकां, बै दिन पूंच्या आय॥
- आँ तिलां मैँ तेल कोनी | हिंदी – क्षमता का अभाव।
- आँख फड़कै दहणी, लात घमूका सहणी ।
- आँख फड़कै बांई, के बीर मिलै के सांई ।
- आँख कान को च्यार आंगल को फरक है।
- आँख कान को च्यार आंगळ को फरक है ।
- आँख गई संसार गयो, कान गयां हंकार गयो।
- आँख फड़के दहणी, लात घमूका सहणी।
- आँख फड़ूकै बांई, के बीर मिले के सांई।
- आँख फुड़ाई मूंड मुन्डायो, घर को फेरयो द्वार । दोन्यू बोई रै बूबना, आदेश न जुहार ।।
- आँख मीच्यां अंधेरो होय । हिंदी – ध्यान न देने पर अहसास का न होना।
- आँखन, कान, मोती, करम, ढोल, बोल अर नार। अ तो फूट्या ना भला, ढाल, ताल, तलवार॥ हिंदी – ये सभी चीजेँ न ही टूटे-फूटे तो ही अच्छा है।
- आँख्यां देखी परसराम, कदे न झूठी होय।
- आँख्यां में गीड पड़ै, नांव मिरगानैणी।
- आँख्यां सै आँधो, नांव नैणसुख।
- आँण गाँव को बींद र गांव को छोरा।
- आं तिला में तेल कोनी।
- आंख गयी संसार गयो, कान गया हँकार गयो । हिंदी - आँख फूटने पर संसार दिखाई नहीँ देता वैसे ही बहरा होने पर अहंकार समाप्त हो जाता है।
- आंख्याँ में गीड पड़ै, नांव मिरगानैणी ।
- आंख्याँ देखी परसराम, कदे न झूठी होय । हिंदी – आँखोँ देखी घटना कभी झूँठी नहीँ होती।
- आंख्याँ सै आन्धो, नांव नैनसुख ।
- आंगल्यां सूं नूं परै कोनी हुवै।
- आंट में आयोड़ो लो टूटै।
- आंटै आई मैरे बिलाई
- आंधा आगे ढोल बाजै, आ डमडमी क्यां की?
- आंधा की गफ्फी, बहरा को बटको । राम छुटावै तो छूटै नहीं सिर ही पटको ।।
- आंधा नै तो लाठी चाये।
- आंधा पीसै कुत्ता खाय।
- आंधा भागे रोवै, अपना दीदा खोवै।
- आंधा मेँ काणोँ राव | हिंदी – मूर्खोँ मेँ कम गुणी व्यक्ति का भी आदर होता है।
- आंधा सुसरा में क्यांकी लाज?
- आंधी आई ही कोनी, सूंसाट पैली ही माचगो ।
- आंधी भैंस बरू में चरै ।
- आंधी मा पूत को माथो नोज देखै।
- आंधै कै भांवै किंवाड़ ई पापड़।
- आंधो बांटै सीरणी, घरकां नै ही दे।
- आंधों के जाणै सावण की भार।
- आंध्यां की माखी राम उडावै ।
- आई रुत खेती, क्यूं करै पछैती।
- आई ही छाय नै, घर की धिराणी बण बैठी।
- आए लाडी आरो घालां, कह पूंछ ई आरै में तुड़ाई है।
- आक को कीड़ो आक में, ढाक को कीड़ो ढाक में ।
- आक में ईख, फोग में जीरो।
- आक सींचै पण पीपल कोनी सींचै।
- आकाश में थूकै जणा आपके ई मूं पर पड़ै।
- आकास में बिजली चिमकै, गधेड़ो लात बावै।
- आखर रामजी कै घर न्याव है।
- आगली दाल नै ई पाणी कोनी।
- आगलै सै पाछलो भलो।
- आगे थारो पीछे म्हारो | हिंदी – जैसा आप करेँगे वैसा ही हम।
- आगै आग न गैल्यां पाणी।
- आगै आग न पीछै भींटकी
- आगै मांडै पाछै दे, घट्या बध्या कागद सैं ले।
- आगो थारो, पीछो म्हारो।
- आज मरयो दिन दूसरो | हिंदी – जो हुआ सो हुआ।
- आज मरां काल मरां, मर्या मर्या फिरां।
- आज मरै जकै ने काल कद आवै।
- आज मर्यो दिन दूसरो जो गया सो गया।
- आज हमां और काल थमां | हिंदी – जो आज हम भुगत रहे हैँ, कल तुम भुगतोगे।
- आज ही मोडियो मूंड मूंडायो आज ही ओला पड्या।
- आटो कांटो घी घड़ो, खुल्लै केसां नार।
- आठ पूरबिया नो चूल्हा।
- आठ फिरंगी नो गोरा लड़ें जाट के दो छोरा ।
- आडा आया माँ का जाया | हिंदी – कठिनाई मेँ सगे सम्बन्धी (भाई) सहायता करते हैँ।
- आडू कै तो खाय मरै, कै उठा मरै।
- आडू चाल्या हाट, न ताखड़ी न बाट | हिंदी – मूर्ख का कार्य अव्यवस्थित होना।
- आडै दिन सै बास्योड़ो ही चोखो।
- आत्मा सो परमात्मा।
- आथणवचाई को मेह अर पावणूं आयो रहै।
- आदम्यां की माया, बिरखां की छाया।
- आदर खादर बाजे बाव , झूंपङ पङिया झोला खाय ।
- आदरा बाजै बाये, झूंपड़ी झोला खाय।
- आदरा भरै खाबड़ा, पुनबसु भरै तलाव।
- आदै थाणी न्याय होय | हिंदी – बुरे/बेईमान को फल मिलता है।
- आदै पाणी न्याव होय।
- आधा में देई देवता, आधा में खेतरपाल।
- आधाक सोवै, आधाक जागे, जद बातां का रंग दोराई लागै।
- आधी छोड़ एक नै धावै, बाकी आदी मुंह से जावै।
- आधे जेठ अमाव्साय रवि आथिमतो जोय।
- आधै माह कांधे कामल बाह।
- आधो घाल्यो ऊँखली, आधो घाल्यो छाज। सांगर साटै घण गई, मघरो मघरो राज।
- आधो धरती में, आधो बारणै।
- आधो बगड़ बुहारती, सारो बगड़ बुहार।
- आप आपकी मूंछो कै सै ताव दे हैं।
- आप आपकी रोट्यां नीचे सै आंच देवै।
- आप आपके दाणै पाणी मे मसत है।
- आप आपको जी सै नैं प्यारो।
- आप कमाडा कामडा, दई न दीजे दोस | हिंदी – व्यक्ति के किये गए कर्मोँ के लिए ईश्वर को दोष नहीँ देना चाहिए।
- आप की चाय गधा नै बाप बणावै।
- आप गुरुजी कातरा मारै, चेला नै परमोद सिखावै | हिंदी – निठल्ले गुरुजी का शिष्योँ को उपदेश देना।
- आप डुबन्तो पांडियो ले डूब्यो जजमान।
- आप भलो तो जग भलो।
- आप मरयां बिना सुरग कठै | हिंदी – काम स्वयं ही करना पड़ता है।
- आप मर्यां जुग परलै।
- आप में अक्कल घणी दीखै, दूसरै कनै घन घणूं दीखै।
- आपका फाड्या की सै बुझावै।
- आपकी एक फूटी को दुख कोनी, पड़ोसी को दोनों फूटी चाये।
- आपकी खोल में सै मस्त।
- आपकी गयां को दुख कोनी, जेठ की रह्यां को दुख है।
- आपकी गली में कुत्ता नार।
- आपकी छाय नै कोइ खाटी कोनी बतावै।
- आपकी छोड़ पराई तक्कै, आवै ओसर कै धक्कै।
- आपकी जांघ उघाड्यां आप ही लाजां मरै।
- आपकी पराई और पराई आपकी।
- आपकी मां ने डाकण कुण बतावै?
- आपके लागै हीक में, दूसरो के लागे भीत में।
- आपको कोढ़ सांमर सांमर ओढ़।
- आपको ठको टको दूसरै को टको टकुलड़ी।
- आपको बिगाड़यां बिना दूसरां को कोनी सुधरै।
- आपको सो आपको और बिराणू लोग।
- आपको हाथ जगन्नाथ!
- आपनै उपजै कोनी, दूसरां की मानै कोनी।
- आबरू लैर उधार दै।
- आभ के अणी नहीं, वेश्या के धणी नहीं।
- आभा की सी बीजली, होली की सी झल।
- आभा राता मेह माता, आभा पीला मे सीला।
- आम खाणा क पेड़ गिणना | हिंदी – मतलब से मतलब रखना।
- आम नींबू बाणियो, कंठ भींच्यां जाणियो।
- आम फलै नीचो नवै, अरंड आकासां जाय।
- आया ही समाई पण गया की समाई कोनी।
- आयी गूगा जांटी, बकरी दूधां नाटी।
- आयो चैत निवायो फूडां मैल गंवायो।
- आयो रात, गयो परभात।
- आरिषड़ा सबब जोय कर समय बताऊँ तोय। भादूड़ो जुग रेलसी छठ अनुराधा होय।
- आल के भाव को के बेरो।
- आल पड़ै तो खेलुं मालूं, सूक पड़ै घर जाऊँ।
- आलकसण ने रोट्याँ रो साग ।
- आला बंचै न आप सै, सूका बंचै न कोई कै बाप सैं।
- आवो मीयां खाणा खावो, बिसमिल्ला झट हाथ धुवावो। आवो मीयां छान उठावो, हम बूढ़ा कोई ज्वान बुलावो॥
- आषाढ़ की पूनम, निरमल उगै चंद। कोई सिँध कोई मालवे जायां कट सी फंद॥ हिंदी – आषाढ़ की पूर्णिमा को चाँद के साथ बादल न होने पर अकाल की शंका व्यक्त की जाती है।
- आसवाणी, भागवाणी।
- आसाडां धुर अस्टमी, चन्द सेवरा छाय। च्यार मास चूतो रहै, जिउं भांडै रै राय॥
- आसाडे धुर अष्टमी, चन्द उगन्तो जोय।
- आसाडे सुद नवी नै बादल ना बीज। हलड़ फाडो ईंधन करो, बैठा चाबो बीज॥
- आसाढ़ै सुद नोमी, घण बादल घण बीज। कोठा खेर खंखेर दो, राखो बलद ने बीज॥
- आसी च्यानण छठ, ताकर मरसी पट। रूआयी चांदा छठ, कातरो मरसी पट॥
- आसू जितरै मेह।
- आसोजां का पड्या तावडा जोगी बणग्या जाट ।
- आसोजी रा मेहड़ा, दोय बात बिनास। बोरटियां बोर नहीं, बिणयाँ नहीं कपास॥
- आसोज्यां में पिछवा चाली, भर भर गाडा ल्याई।
- इकलक के दोलक कै (इ क लग के अर दोलग कै)।
- इजगर पूछै बिजगरा, कहा करत हो मिन्त। पड्या रहां हां धूल में, हरी करते है चिंत॥
- इज्जत की लहजत ही और हुवै है।
- इज्जत भरम की अर कमाई करम की।
- इन्दर की मा भी तिसाई ही रही।
- इन्नै पड़ै को कुवो, उन्नै पड़ै तो खाई।
- इब ताणी तो बेटी बाप कै ही है | हिंदी – अभी कुछ नहीँ बिगड़ा।
- इब ताणी तो बेटी बाप कै ही है।
- इब पछतायां के बणै द चिड़िया चुग गई खेत।
- इमरत तो रत्ती ही चोखो, झैर मण भी के काम को।
- इसी खाट इस्या ही पाया, इस रांड इस्या ही जाया।
- इसे परथावां का इसा ही गीत | हिंदी – जैसा विवाह वैसे ही गीत।
- इसो ई तेरो खाणू दाणूं, इसो ई तेरो काम कराणुं।
- इसो ई हरि गुण गायो, ईसो ई संख बजायो।
- इस्समी खाण का इसा ही हीरा, इसी भैण का इसा ही बीरा।
- ई की मा तो ई नै ही जायो | हिंदी – इसके बारे मेँ अनुमान नहीँ लगाया जा सकता।
- ईसरो रो परमेसरो।
- ईसानी बीसानी।
- उघाड़ै वारणै धाड़ नहीं, उजाड़ गांव में राड़ नहीं।
- उझल्या समदरा ना डटै।
- उठै का मुरदा उठै बलेगा, अठे का अठे | हिंदी – एक स्थान की वस्तु दूसरे स्थान पर अनुपयोगी है।
- उठो राणी, काढो बुहारी, आंगण आया, किरसन मुरारी।
- उणीं गांव में पीर उणी में सासरो।
- उतर भैंस मेरी बारी।
- उतारदी लोई, के करैगो कोई।
- उत्तम धरती मध्यम काया, उठो देव, जंगळ कूं आया।
- उत्तर पातर, मैँ मियाँ तू चाकर | हिंदी – उऋण होने मेँ संतोष का द्योतक है।
- उधार दियोड़ो आवै घर लेखै, नींतर हर लेखै ।
- उन्नाळै खाटु भळी सियाळे अजमेर। नागाणौ नितको भळो सावणं बिकानेर॥
- उललतै पालड़ै को कोई भी सीरी कोनी।
- उल्टी गत गोपाल की, गई सिटल्लु मांय।
- उल्टो चोर कोतवाल नै डांटै।
- उल्टो दिन बूझ कर कोनी लागै।
- उल्टो पाणी चीलां चढ़ै | हिंदी – अनहोनी की आशंका को व्यक्त करता है।
- ऊँखली मै सिर दे जिको धमका सै के डरै | हिंदी – कठिन काम करने के लिए तैयार हो जाने पर विपत्तियोँ से कैसा डरना।
- ऊँचे चढ़ चढ़ डोली डाकै, मरद नै थापै। राधो चेतो यूं कहै, थक्यां रहैगी आपै॥
- ऊँचै गड का ऊंचा कांगरा।
- ऊँचै चढ़ कर देखो, घर घर यो ही लेखो।
- ऊँचो नाग चढ़ै तर ओड़े, दिस पिछमांण बादला दौड़े।
- ऊँट कै मूं में जीरै सै के हुवै?
- ऊँट को पाद धरती को न आकास को।
- ऊँट को रोग रैबारी जाणै।
- ऊँट खो ज्याय तो टोपली उतार लिये।
- ऊँट चढ्या नै कुत्तो खाय।
- ऊँटां नै सुहाल्यां सै के होय।
- ऊं बात नै घोड़ा ई को नावड़ै ना।
- ऊंखली में सिर दे जिको धमकां सैं के डरै।
- ऊंट मिठाई इस्तरी, सोनो गहणो शाह। पांच चीज पिरथी सिरै, वाह बीकाणा वाह । हिंदी - काव्य पंक्तियां मरुधरा की ऐसी पांच विशिष्टताओं को उल्लेखित करती है जिनकी सराहना समूची दुनिया में हो रही है।
- ऊंदरी को जायो बिल ही खोदै।
- ऊंधै ही अर बिछायो लाद्यो।
- ऊजड़ खेड़ा फिर बसै, निरधनियां धन होय। जबन गयो न बावड़ै मतना द्यो थे खोय॥
- ऊत गये की चिट्ठी आई, बांचै जीनै राम दुहाई।
- ऊत गयो दक्खन, उठे का ल्यायो लक्खन।
- ऊत गांव में अरंड ही रूंख।
- ऊत गांव में कुम्हारा ही महतो।
- ऊतां कै के सींग होय है।
- ऊदलती का किस दायजा?
- ऊन'रै को जायेड़ो बिल ही खोदै ।
- ऊपर तो लहर्यो पण नीचे के पहर्यो।
- ऊपर राम चढ्यो देखै है।
- ऊबर बागा, घर में नागा।
- ऊबो मूतै सूत्यो खाय, जैंको दालद कदे न जाय।
- ऊमस कर घृत माढ गमावे, झांड कीड़ी बहार लावे | नीर बिनां चिडियां रज न्हावै, तो मेह बरसे धर मांह न मावै।
- ऊलै गैले चालै, खत्ता खाय।
- एक आंख को के मीचै के खोलै।
- एक आदर्यो हाथ लग ज्याय पछै तो करसो राजी।
- एक ई बेल का तूमड़ा है।
- एक करोट की रोटी बल उठै।
- एक कांजी को टोपो दूध की भरी झाकरी नै बिगाड़ दे।
- एक कांणू एक खोड़ो, राम मिलायो जोडो।
- एक घर तो डाकण ही टालै है।
- एक घर में बहुमता र जड़ां मूल सै जाय।
- एक चणो दो दाल।
- एक जणैं की हलाई डोर हालै।
- एक जाड़ खाय, एक जाड़ तरसै।
- एक टको मेरी गांठी, मगद खांऊं क मांठी।
- एक दिन पावणूं, दूजै दिन अनखावणो, तीजै दिन बाप को मुंघावणूं।
- एक नन्नो सो दुख हड़ै।
- एक पग उठावै अर दूसरै की आस कोनी।
- एक पती बिन पाव रती।
- एक पहिये सैं गाड़ी कौन्या चालै।
- एक पीसा की पैदा नहीं, र घडी की फुरसत नहीं।
- एक पैड वाली कोन्यार बाबा तिसाई।
- एक बांदरी कै रूस्यां के अयोध्यां खाली हो ज्यासी।
- एक बार योगी, दो बार भोगी, तीन बार रोगी।
- एक भेड़ कुवै में पड़ै तो सै जा पड़ै।
- एक म्यान में दो तलवार कोनी खटावै।
- एक रती बिन पाव रती को।
- एक लरड़ी तूगी जद के हुयो।
- एक सैं दो भला।
- एक सो एक अर दो सो दो।
- एक हल हत्या, दो हल काज, तीन हल खेती, च्यार हल राज।
- एक हाथ मैँ घोड़ो एक मैँ गधो है | हिंदी – भलाई-बुराई का साथ-साथ रहना।
- एक हाथ लील में, एक हाथ कसूमा में।
- एक हाथ सै ताली कोनी बाजै।
- एकली लकड़ी ना जलैर नाय उजालो होय।
- ऐ घर घोड़ी आपणा, बा छी बीकानेर। घास घणेरो घालस्यां, बांणू द्यूं ना सेर॥
- ऐ विधनारा अंक, राई घटै न राजिया।
- ऐँ बाई नै घर घणा | हिंदी – योग्य व्यक्ति हर जगह आदर पाता है।
- ऐरण की चोरी करी, कर्यो सुई को दान। ऊपर चढ़ कर देखण लाग्यो, कद आवै बीमाण॥
- ऐसा को तैसा मिल्या, बामण को नाई। बो दीना आसकां, बो आरसी दिखाई॥
- ओ क्यां टो टाबर ? खाय बराबर।
- ओ ही काल को पड़बो, ओ ही बाप को मरबो | हिंदी – कठिनाईयाँ एक साथ आती हैँ।
- ओई पूत पटेलां में, ओई गोबर भारा में।
- ओगड़ बेटो क्यांसू मोटो, लावो गिणै न टोटो।
- ओछा की प्रीत कटारी को मरबो | हिंदी – ओछा अर्थात् निकृष्ट का साथ तथा कटारी से मरना दोनोँ ही एक समान हैँ।
- ओछी गोडी ने सकड़, बहै उलाला बग्ग। बो ओठी बो करल हो, आयण होय अलग्ग॥
- ओछी पूंजी घणै नै खाय।
- ओछी पोटी में मोटी बात कोनी खटावै।
- ओछै की प्रीत, बालू की सी भींत।
- ओछै की मातैगगी, चाकी मांलो बास।
- ओछो बोरो, गोदो को छोरो, बिना मुरै की सांड, नातै की रांड कदेई न्ह्याल कोनी करै।
- ओडी भली न टोडी भली, खुल्लै केंसा नार।
- ओस चाट्यां कसो पेट भरै।
- ओसर चूकी डूमणी, गावै आलपताल।
- ओसर चूक्या नै मोसर नहीं मिलै।
- ओसर चूक्यां नै मौसर नहीँ मिलै | हिंदी – चूक होने पर अवसर नहीँ मिलता।
- ओसां सै घड़ियो कोनी भरै।
- औ और तो नार पड़्यो है पण काम में डबको।
- और राड्या राड कराँ, ठाला बैठ्या के कराँ।
- और सदा सूतो भलो ऊभो भणो असाढ़।
- और सब सांग आ ज्मायं, बोरै वालो सांग कोन्या आवै।
- और सब सांग आ ज्यायं, बोरै वालो सांग कोन्या आवै | हिंदी – निर्धन बोहरे (धनी) का स्वांग नहीँ भर सकता।
क-घ
- क ख ग घ ड़, काको खोटा क्यों घडै ।
- कंगाल छैल गाँव नै भारी | हिंदी – गरीब शौकीन व्यक्ति गाँव पर भारी पड़ता है।
- कंवरजी म्हैलां से उतर्या, भोड़ल को भलको।
- कंवारा का के न्यारा गांव बसै है।
- कक्कै को फूट्यो आंक ई को आवै अरनाम विद्याधर।
- कटे तो काऊ का, सीखे तो नाऊ का।
- कठे राजा भोज, कठे गांगलो तेली।
- कठे राम राम, कठे ट्यां ट्यां!
- कड़वी बेल की कड़वी तुमड़ी, अड़सठ तीरथ न्हाई। गंगा न्हाई, गोमती न्हाई, मिटी नहीं कड़वाई।
- कण कण भीतर रामजी, ज्यूं चकमक में आग।
- कद नटणी बांस चढै, कद भोजन पावै।
- कद राजा आवै, कद दाल दलूं।
- कदे गधो गूण पर, कदे गूण गधा पर।
- कदे घई घणा, कदे मूठी चणा।
- कदे न घोड़ा ही सिया, कदे न खीँच्या तंग। कदे न रांड्या रण चढ्या, कदे न बाजी जंग॥ हिंदी – कायर पुरुष कभी भी साहसपूर्ण कार्य नहीँ कर सकता।
- कदे नाव गाडी पर, कदे गाडी नाव पर।
- कनकड़ा दोन्यू दीन बिगाड़्यो | हिंदी – निकृष्ट साधु दोनोँ ही धर्महीन हो जाते हैँ।
- कनफडा दोन्यू हीन बिगाड्या।
- कपड़ा फाट गरीबी आई, जूती टूटी चाल गमाई।
- कपूत जायो भलो न आयो।
- कपूत हूँ नपूत भलो ।
- कबित सोवै भाट नै, खेती सोवै जाट नै।
- कबूतर नै कुवो ही दीखै | हिंदी – प्रत्येक व्यक्ति को स्वार्थपरक लक्ष्य ही दिखाई देता है।
- कबूतर नै कुवो ही दीखै।
- कम खालेणा पण कम कायदे नहीं रहणा।
- कमजरो गुस्सा ज्यादा, ऐई मारा खाणै का रादा।
- कमजोर की लुगाई, सबकी भौजाई।
- कमजोर को हिमायती हारै।
- कमाई गैल समाई।
- कमाऊ आवै डरतो, निखटू आवै लड़तो | हिंदी – कमाने वाला डरता हुआ तथा निकम्मा व्यक्ति लड़ता हुआ आता है।
- कमाऊड़ै नै घी, खाऊड़ै नै दुर छी! हिंदी - कमाने वाले का सर्वत्र सम्मान होता है और उड़ाने वाले को सभी अवज्ञा की नजर से देखते हैं।
- कमावै थोड़ो खरचै घणूं, पैलो मूरख उणनै गिणूँ।
- कमावै धोती हाला, खा ज्याय टोपी हाला।
- कमेड़ी बाज नै कोनी जीतै | हिंदी – कमजोर बलवान से नहीँ जीत सकता।
- कर ये महती मालपुआ, बो लेसी हुया हुया।
- कर रै बेटा फाटको, खड्यो पी दूध को बाटको ।
- कर ले सो काम, भज ले सो राम ।
- करड़ी बाँघै पगड़ी घुरड़ लिववै नक्ख। करड़ी पैरे मोचड़ी, अणसरज्या ही दुक्ख॥
- करणी जिसी भरणी।
- करणी पार उतरणी।
- करणी भोगै आपकी, के बेटो के बाप।
- करन्ता सो भोगन्ता खोदन्ता सो पड़न्ता।
- करम कमेड़ी को सो, मन राजा को सो।
- करम फूटया नै भाग फूट्या ही मिलै।
- करम में घोड़ी लिखी, खोल कुण ले ज्याय?
- करम में लिख्या कंकर तो के करै शिवशंकर?
- करम लिखा कंकर तो के करै शिव शंकर ।
- करमहीण किसनियो, जान कठै सूं जाय । करमां लिखी खीचड़ी, घी कठै सूं खाय ।।
- करमहीण खेती करे, के हळ भागे के बळद मरे ।
- करमहीन खेती कैर, के काल पडै के बलद मरै।
- करैगो टहल तो पावैगो महल।
- करैगो सेवा तो पावैगो मेवा।
- कर्क मैद को के भाव? कै चोट जाणिये।
- कर्म की सगलै बाजै है।
- कल सूं कल दबै है।
- कलह कलासै पैँडे को पाणी नासै | हिंदी – घर मेँ क्लेश होने पर परीँडे का पानी भी नष्ट हो जाता है।
- कसम मरे को धोखो कोनी, सुपनू सांचो होणूं चाये।
- कसाई कै दाणै नै बकरी थोड़ी ही खा सकै है?
- कसो हाक मार्यां कूवो खुदै है।
- कांई गोडियो कैवै अर कांई पूंगी कैवे।
- कांट कटीली झाखडी लागै मीठा बोर।
- कांटे सै कांटो नीसरै।
- कांदा खाय कमधजां, घी खायो गोलांह। चुरू चाली ठाकरां, बाजंतै ढोलांह॥
- कांदे वाला छिलका है, ऊंची दे जितणी ही बास आवै | हिंदी – बुराई को जितने पास से देखोगे उतनी ही अधिक बुराई दिखाई देगी।
- कांधियो थोड़ा ई बलै है।
- कांधे पर छोरो, गांव में ढिंढोरो।
- काकड़ी की चोरी अर मूकां की मार।
- काका खोखो पायो, कह, काका कै सागै तो ऐ है गैरा करैगी।
- काग कुहाड़ो नर, काटै ही काटै।
- काग पढ़ायो पींजरै, पढगो च्यारूं वेद, समझायो, समझ्यो नहीं, रह्यो ढेढ को ढेढ।
- कागलां की दुर्शीष ऊं ऊंट कोनी मरै ।
- कागलां कै काछड़ा होता तो उड़ता कोन्या दीखता? हिंदी – मनुष्य के गुण स्पष्ट दिखाई देते हैँ।
- कागलां कै सराप सूं ऊंट कोनी मरै।
- कागलो हंस, हाली सीखै हो सो आप हाली भी भूलगो।
- कागा किसका धन हरे, कोयल किसकूं देय। जभड़ल्यां के कारणै, जग अपनो कर लेय॥
- कागा कुत्ता कुमाणसा, तीन्यूं एक निकास। ज्यां ज्यां सेर्यां नीसरै, त्यां त्यां करे बिनास॥
- कागा हंस न गधा जती।
- काच कटोरो, नैण जल, मोती दूध अर मन्न।
- काच की भट्टा मांइ मांय धवै।
- काचो दूध खटाई फाड़ै, तातो दूद जमावै।
- काजल सै आंख भरी कोनी हुवै।
- काजी के मार्योड़ो हलाल होवै है।
- काटर कै हेज घणोँ |हिंदी – दूध न देने वाली गाय बछड़े से प्रेम प्रदर्शित करती है।
- काठ की हांडी दूसरां कोनी चढ़ै।
- काठ डूबै लोडा तिरै।
- काणती भाभी छाय घाल, घालस्यूं दहीं, तु सुप्यार भोत बोल्या ना।
- काणती भेड़ को न्यारो ही रयाड़ो/गवाड़ो | हिंदी – निकृष्ट व्यक्तियोँ को जब विशिष्ट लोगोँ मेँ स्थान नहीँ मिलता तो वे अपना संगठन अलग ही बना लेते हैँ।
- काणियां पांड्या राम राम। देखी रै तैरी ट्याम ट्याम॥
- काणी के ब्याह में सौ टेड ।
- काणी कै ब्या में सौ कोतिक।
- काणी कै ब्या मैं फेरां तांई खोट।
- काणी को काडल भी कोनी सुहावै।
- काणी छोरी तनै कुण ब्यावैगो, कह ना सरी, मैं मेरै भायां नै खिलाऊंगी।
- काणी भाभी पाणी प्याई, कै लक्खण तो दूधआळा है।
- काणूं खोड़ो कायरो, ऐंचताणूं होय।इण नै जद ही छोड़िये, हाथ घेसलो होय॥
- कातिक की छांट बुरी, बाणियां की नांट बुरी, भायां की आंट बुरी, राज की डांट बुरी।
- कातिक राज, कीर्तियां, मंगसिर हिरणियां, पोवां पारधी जोड़ा, काटी कटै न घोड़ा।
- काती कुत्ती माह बिलाई, फागण मर्द अर ब्याह लुगाई।
- काती रो मेह कटक बराबर है।
- काती सब साथी।
- कात्या जी का सूत, जाया जी का पूत।
- कादा नै छैड़ै, छाटां भरै।
- कान में कीटी अन्तर अर लगास्यूं।
- कानां ने मुंदरा होसी तो सै आपै आदेस कहसी।
- कानूड़ो कल में आयो, रात बड़ी दिन छोटा ल्याओ।
- काम अर लाम को बैर है।
- काम करल्यो सो कामण कर्या।
- काम करै कोई, मोज उड़ावै कोई।
- काम का ना काज का ... ढाई मण अनाज का ।
- काम की माँ उरैसी, पूत की माँ परैसी | हिंदी – कर्मठ व्यक्ति सभी को अच्छा लगता है, अकर्मण्य किसी को अच्छा नहीँ लगता।
- काम तो करेङो ई भलो ।
- काम नै काम सीखावै।
- काम पड्यो जद सेठजी तमेलै चढ़गा।
- काम सर्यो जुग बीसर्यो, कुणबो बाराबाट।
- कामी कै साख नहीं, लोभी कै जात नहीं।
- काल कुसम्मै ना मरै, बामण बकरी ऊंट। ब मांगे बा फिर चरै, बो सूखा चाबै ठूंठ॥
- काल जाय पण कलंक नहीं जाय।
- काल बागड़ सैं नीपजै, बुरो बामण सै होय।
- काल मरी सासू, आज आयो आंसू।
- काला कनै बैठ्यां काला लागै | हिंदी – दुर्जन के संग से कलंक लगता ही है।
- काला रै तूं मलमल न्हाय, तेरी कालूंस कदै नहिं जाय।
- काली भली न कोड्याली।
- काली हांडी कनै बैठ्यां कालूस लागै।
- कालै कै कालो नहीं जामै तो कोड्यालो तो जरूर ही जामै।
- कालै गाबा को कालो दाग कोई कोनी देखै।
- कालो आंक भैंस बराबर।
- कालो वै तो करवरो, घोलो वै तो सुगाल। जे चंदो निरमल हुवै तो पड़ै अचिन्तो काल॥
- काळी बहू अर जल्योड़ो दूध पीढ्याँ ताईं लजावै ।
- काळी हांडी रै कनै बैठयाँ काळस न सरी काट तो लाग्यां सरै ।
- काळो कै काळो न जलमे तो किल्ड काबरो जरुर जलमै ।
- किमै गुड़ ढीलो, किमैं बाणियूं ढीलो।
- कियां फिरै जाणै बिगड्योड़ै ब्याव में नाई फिरै ज्यूं।
- किरती एक जबूकड़ो, ओगन सह गलिया।
- किरपण कै दालद नही, ना सूरां कै सीस। दातारां कै धन नहीं, ना कायर कै रीस॥
- किसन करी सो लीली, म्है बाजां लंगवाड़ा।
- किसाक बाजा बजै, किसाक रंग लागै।
- कीड़ी नै कण, हाथ नै मण।
- कीड़ी पर के कटक?
- कीड़ी सचै तीतर खाय, पापी को धन परलै जाय।
- कुंदन जड़े न जड़ाव, जमे सलामत कीट। कहे जडिया सुण ले जगत, उड़े मेह की रीठ॥ हिंदी – यदि नगीने जड़ते समय कुंदा न लगे तथा सलाइयोँ पर कीट जमने लगे तो वर्षा की सम्भावना होगी।
- कुंभार रे घर में फूटी हांडी।
- कुए की मांटी कुए में लाग ज्या है।
- कुए मैँ पड़कर सूको कोई भी निकलै ना | हिंदी – जैसा कार्य वैसा फल।
- कुछ लख्या सो मन में राख।
- कुण सी बाड़ी को बथवो है।
- कुत्ता तेरी काण कै तेरै घणी की।
- कुत्तां कै पाड़ौस सै कसौ पैरो लाग्यो।
- कुत्ती क्यूं भुसै है, कै टुकड़ै खातर।
- कुत्तै की पूँछ बार बरस दबी रही पण जद निकली जद टेढ़ी की टेढ़ी।
- कुन्या फूले, तुल फले, वृश्चिक ल्यावै लाण।
- कुमाणस आयो भलो न जायो।
- कुम्हार की गधी, घर घर लदी।
- कुम्हार कुम्हारी नै तो कोनी जीतै, गधैड़ै का कान मरोड़ै।
- कुम्हार नै कह, गधै पर चढ़ जद तो को चढ़ै ना, पाछै आप चढ़ै।
- कुल बिना लाज ना, जूं बिना खाज ना।
- कुवै में पड़ कर सूको कोई बी नीकलै ना।
- कूआ सै कूओ कोनी मिलै, आदमी सै आदमी मिल जाय।
- कूण किसी कै आवै, दाणू पाणी ल्यावै।
- कूदिये ने कूवै खेलिये न जूवै।
- कूद्यो पेड़ खजरू सूं, राम करै सो होय।
- कूरा करास खाय, गेहूँ जीमै बाणिया।
- कूवो खोदे जैनै खाड त्यार है।
- के कुत्ती कै पाणई गाडो चालै है?
- के गीतड़ां से भींतड़ा।
- के गूजर को दायजो कै बकरी कै भेड़।
- के तो घोड़ो घोड्यां में के चोरां लियो लेय (के चोर लेईगा)।
- के तो फूड़ चालै कोनी अर चालै जद नो गांव की सीम फोड़ै।
- के नागी धोवै अर के नागी निचोवै।
- के फूँक सै पहाड़ उड़ै है?
- के बाड़ पर सोनूं सूकै है?
- के बेटी जेठ के स्हारै जाई है?
- के बेरो ऊँट के करोट बैठे?
- के मारै बादल को घाम, के मारै बैरी को जाम।
- के मारै सीरी को काम, कै मारे काटर की जाम।
- के मीयां मरगा, क रोजा घटगा।
- के मोड्यो बांधै पागड़ी, कै रहै उघाड़ी टाट।
- के रोऊं ऐ जणी! तूं आंगी दी न तणी।
- के सर्व सुहागण के फरहड़ रांड़।
- के सहरां, के डहरां।
- के सोवै बंबी को सांप, के सोवै जी के माई यन बाप।
- केले की सी कामड़ी होली की सी झल!
- केश वेश पाणी आकास नहीं चितेरो देखै आस।
- कै जागै जैंकै घर में सांप, कै जागै बेटी को बाप।
- कै जाणै भेड़ सुपारी सार।
- कै डूबै अररोला कै डूबै बोला।
- कै तो गैली पैरै कोनी अर पैंरे तो खोलै कोनी।
- कै तो पैल बलद चालै कोनी, र चालै तो सात गांवां की सींव फोड़ै।
- कै तो बावलो गांव जा कोन्या अर जा तो बावडै कोन्या।
- कै हंसा मोती चुगै कै लंघन कर ज्याय।
- कैं लड़ै लड़ाकडो कै लड़ै अणजाण।
- कैर को ठुंठ टूट ज्यागो, लुलैगो नहीं।
- कोई कै बैंगण बायला, कोई कै बैंगण पच्छ कोई कै बादी करै, कोई कै जाय जच्च।
- कोई को हाथ चालै तो कोई की जीभ चालै।
- कोई गावै होली का, कोई गावै दिवाली का।
- कोई भी मा का पैट से सीख कर कोनी आवै।
- कोई मानै न तानै, मैं तो लाडै की भुवा। (कोई मानै ना तानै ना, मैं लाडो की भुवा)
- कोई स्यान मस्त, कोई ध्यान मस्त, कोई हाल मस्त, कोई माल मस्त।
- कोडी कोडी करतां बी लंग लागै है।
- कोडी कोडी धन जुड़ै।
- कोडी चालै डौकरी, कैंका काडै खोज। काई थारो खो गयो पूछै राजा भोज॥
- कोयलां की दलाली में काला हाथ।
- कोस चाली कोन्या अर तिसाई।
- कौड़ी बिन कीमत नहीं सगा नॅ राखै साथ, हुवै जे नामों (रूपया) हाथ मैं बैरी बूझै बात।
- कौण सुणै किण नै कहूँ, सुणै तो समझौ नाहि।कहबो सुणबो समझबो, मन ही को मन मांहि॥
- क्यूं आंधो न्यूंतै, क्यूं दो बुलावै।
- क्यूं धो चीकणा, क्यूं कुंहाड़ो भूंठो।
- क्यूं लो खोटो, क्यूं लुहार खोटो।
- क्रितिका करे किरकिरो, रोहिणी काल सुकाल। थे मत आबो मृगशिरी हड़हड़ करती काल॥
- खटमल कुत्तो दायमो, जय्यो मांछर जूं।
- खर घूघ मरख नरां सदा सुखी प्रिथिराज।
- खर बाऊं बिस दाहणूं।
- खर, घूघू, मूरख नरा सदा सुखी प्रिथिराज | हिंदी – गधा, उल्लू तथा मूर्ख मनुष्य सदा सुखी रहते हैँ क्योँकि ये चिन्ता नहीँ करते।
- खरी कमाई घणी कमाई ।
- खरी मजुरी चोखा दाम।
- खल खाई न भल आई, सासरै गई न भू कुहाई।
- खल गुड एकै भाव।
- खां साब लकड़ी तोड़ो तो कै ये काफरका काम, खां साब खीचड़ी खावो तो कै बिसमिल्ला।
- खांड गली का सै सिरी, रोग गली का कोई नहीं।
- खाईये त्यूंहार, चालिए व्यौहार।
- खाज पर आंगली सीदी जाय।
- खाणू पीणू खेलणू, सोणू खूंटी ताण। आछी डोबी कंथड़ा, नामदी के पाण॥
- खाणू माँ का हाथ को होवो भलांई झैर ई, चालणू गैलै को होवो भलाई फेर ई, बैठणू, भायां को होवो भलांई बैर ई, छाया मौके की होवै भलांई कैर ई, जीमणूं, प्रेम को होवो भलांई झैर ई।
- खाणै में दळिया, मिनखां में थळिया।
- खाणो मन भातो, पैरणो जग भातो।
- खात अर पाण, के करै बिनाणी।
- खाबो खीर को अर बाबो तीर को।
- खाबो सीरा को अर मिलबो वीरा को।
- खाय कर सो ज्यांणू, मार कर भाग ज्याणूं (खा कर सो ज्याणू अर मारकर भाग ज्याणू)
- खाय धणी को, गीत गावै बीरै का।
- खाये जैंको गाये।
- खारी बेल की खारी तूमड़ी।
- खाल पराई लीकड़ो ज्याणूं भूस में जाय।
- खाली लल्लोई सीख्यो है, दद्दो कोनी सीख्यो।
- खावण का सांख, पावणा का बासा।
- खावै तो डाकण, ना खावै तो डाकण |हिंदी – बद से बदनाम बुरा होता है।
- खावै पुणू–जीवै दुणू | हिंदी – कम खाने वाला अधिक जीता है
- खावै पूणुं, जीवै दूणु।
- खिजूर खाय सो झाड़ पर चढ़ै।
- खिजूर खाय सौ झाड़ पर चढ़ै | हिंदी – खतरा वही उठाता है जिसे लाभ की आशा होती है।
- खिलाया को नांव कोनी होय, रुवाया को नांव हो जाय।
- खींचिये न कब्बान छोड़िये न जब्बान।
- खीर खीचड़ी मन्दी आंच।
- खुपरी जाण खोपरा, बीज जाण हीरा, बीकाणो भंडार रा मीठा हुवै मतीरा । हिंदी - बीकानेरी मरुधरा की वनस्पतियों के राजा मतीरे की तुलना हीरे-जवाहरातों से की गई हैं।
- खुले किंवाड़ा पोल धसै।
- खूट्यो बाण्यो जूना खत जोवै।
- खेत नै खोवे गैली, मोडा नै खोवै चेली।
- खेत बड़ा, घर सांकड़ा।
- खेत हुवै तो गांव सैं आथूणों ही हूवै।
- खेती करै नॅ बिणजी जाय, विद्या कै बल बैठ्यो खाय ।
- खेती करै बिणज नै ध्यावै, दो मांआडी एक न आवै।
- खेती धण्यां सेंती । हिंदी – मालिक की देखरेख से ही खेती (कार्य) अच्छी होती/ता है।
- खेती बादल में हैं।
- खेती सदा सुख देती।
- खेल कोठा में पाणी कुवै मैँ सैं ई आवै।
- खेल खिलाड्यां को, घोडा असवारां का।
- खैरात बंटै जठै मंगता आपे ही पूंच ज्यावै | हिंदी – जहाँ खैरात बँट रही हो, भिखारी पहुँच ही जाते हैँ।
- खो की मांटी खो में लागै।
- खोई नथ बटोड़ा में नणद को नांव।
- खोखा म्हांने चोखा लागै, खेजड़लो ज्यूं खजूर। निंबोळी-अंबोळी सिरखी, रस देवै भरपूर ||हिंदी - इसमें खेजड़ी को खजूर से बेहतर और निंबोळी को आम से मीठी व रसीली मानने का लेख है|
- खोखा व्है तो खावां, गीत व्है तो गावां। हिंदी - जैसी परिस्थिति हो उसी के अनुसार चलना चाहिए।
- खोटा काम ठेठ सूं कीन्या, घर खातो नै मांग्या दीन्या।
- खोटो पीसो खोटो बेटो, ओडी वर को माल।
- खोडली खाट खोड़ला पाया, खोड़ली रांड खोडला ई जाया।
- खोपड़ी खोपड़ी की मत न्यारी।
- खोयो ऊँट घड़ा मैँ ढूँढै | हिंदी – अत्यधिक ठगे जाने पर असम्भव भी सम्भव लगता है।
- खोली रै तो पूर आप ही घल ज्या।
- गंगा गयां गंगादास, जमना गयां जमनादास।
- गंगा तूतिये मैँ कोनी नावड़ै | हिंदी – गंगा नदी छोटे पात्र मेँ नहीँ आ सकती।
- गंगा रो गटोळियो, लोटो पाणी ढोळियो, धोया कान अर होया सिनान।
- गंगाजी को न्हावणूं, बिपरां को ब्योहार। डूब जाय तो पार है, पार जाय तो पार॥
- गंजो अर कांकरां में लोटै।
- गंजो नाई को के धरावै?
- गंडक की पूंछ तो बांकी ही रहसी ।
- गंडक कै भरोसै गाडो कोनी चालै।
- गंडक नारेल को के करै?
- गंडक नै देख कर गंडक रोवै।
- गंडकड़ो तो लूह लूह मरगो, धणी कै भांवै ही कोनी।
- गई आबरु पाछी कोनी आवै।
- गई चीज को के पिस्तावो?
- गई तिथ बामण ही को बांचै ना।
- गई बहू गयो काम, आई बहू आयो काम | '['हिंदी – किसी के भरोसे काम नहीँ रुक सकता।
- गई बात नै घोड़ा भी कोनी नावड़ै।
- गई बात नै जाण दे, हुई बात नै सीख।
- गई भू गयो काम, आयी भू आयो काम।
- गई ही छाय ल्यावण नै, दुहारी भी दे आई।
- गटमण गटमण माला फेरै, ऐ ही काम सिधां का। दीखत का बाबाजी दीखै, नीचै खोज गधां का।
- गड़गड़ हंसै कुम्हार की, माली का चर रया बुंट। तू मत हंसै कुम्हार की, किस कड़ बैठे ऊँट।
- गढ़ बैरी अर केहरी, सगो जंवाई जी। इतणा तो अलग भला, जब सुख पावै जी।
- गढां कै गढ ही जाया।
- गणगोर रूसै तो आपको सुहाग राखै।
- गणगोर्यां नै ही घोड़ी न दौड़े तो कद दोडै? हिंदी – मौके को चूकना।
- गधा ने घी दियो तो कै आंख फोड़ै है।
- गधा नै घी कुण दे?
- गधा नै नुहायां घोड़ो थोड़ो ई हो ज्याय।
- गधेड़ी चावल ल्यावै तो बा थोड़ी ही खाय।
- गधेड़ै कै जेओठ में धूदी चढ़ै।
- गधेड़ै को मांस तो खार घाल्यां ही सीजै।
- गधेड़ो ई मुलक जीत ले तो घोड़ नै कुण पूछै?
- गधेड़ो कुरड़ी पर रंजै।
- गधै में ज्ञान नहीं, मूसल कै म्यान नहीं।
- गधो घोड़ो एक भाव।
- गधो मिसरी को कै करै?
- गम बड़ी चीज है।
- गया कनागत आई देवी बामण जीमै खीर जलेबी।
- गया कनागत टूटी आस, बामण रोवै चूल्है पास।
- गरज दीवानी गूजरी नूंत जिमावै खीर, गरज मिटी गूजरी नटी, छाछ नही रे बीर ।
- गरज सरी अर वैद बैरी ।
- गरजवान की अक्कल जाय, वरदवान की सिक्कल जाय।
- गरजै जिसोक बरसै कोनी!
- गरीब की लुगाई, जगत की भोजाई।
- गरीब की हाय बुरी।
- गरीब को बेली राम।
- गरीब री हाय, जड़ामूल सूं जाय ।
- गरीबदास की तो हवा-हवा है।
- गले अमल गुल री हुवै गारी, रवि सिस रे दोली कुंडारी। सुरपत धनक करै विध सारी (तो) एरापत मघवा असवारी॥
- गहण लाग्यो कोन्या मंगता पैलाई फिरगा।
- गहणो चांदी को अर नखरो बांदी को।
- गाँवहाला कूटै तो माईतां कनै जावै, माईत कूटै तो कठै जावै ।
- गांठ को जाय अर लोक हंसाई होय।
- गांधी बेटा टोटा खाय, डेढ़ा दूणा कठे न जाय।
- गांव करै सो गैली करै।
- गांव की नैपे खेड़ा ही कहदी है।
- गांव को ठाकर केरड़ी मार दी, पण म्हे क्यूं कहां?
- गांव गयो, सूत्यो जागै।
- गांव गांव खेजड़ी अर गांव गांव गूगो।
- गांव बलै डूम त्युंवारी मांगै।
- गांव बसायो बाणियो, पार पड़ै जद जाणियो।
- गांव में घर ना, रोडी में खेत ना।
- गांव में पड्यो भजांड़ो, के करैगो सामी तारो।
- गांव हुवै जठे ढेढवाड़ो ही हुवै।
- गाछ गैल बेल बधै।
- गाजर की पूंगी बाजी तो बाजी नहीं तोड़ खाई।
- गाजै जिको बरसै कोनी।
- गाडा को फाचरो अर लुगाई को चाचरो, कुट्योडो ही चोखो।
- गाडा टलै हाडा नही टलै।
- गाडा नै देख कर पाडा का पग सूजगा।
- गाडा नै देखकै पाडा का पग सूजगा | हिंदी – संकट के समय डर जाना।
- गाडा में छाजला को के भार?
- गाडिये लुहार को कुण सो गांव?
- गाडी उलट्यां पछै विनायक मनायां के होय?
- गाडी को पहियो अर आदमी की जीभ तो चालती ही चोखी।
- गाडी सै अर लाडी सै बच कर रैणूं।
- गाडै लीक सौ गाडी लीक।
- गादड़ मारी पालखी, में धडूक्यां हालसी।
- गादड़ै की तावलां सै बेर थोड़ाई पाकै।
- गादड़ै की मार्योडी सिकार नार थोड़ा ई खाय।
- गादड़ै की मोत आवै जणा गांव कानी भागै।
- गादड़ै कै मूंडै न्याय।
- गाय अर कन्या ने जिन्नै हांकदे, उन्नै ही चाल पड़ै।
- गाय की बाछी नींद आवै आछी।
- गाय की भैंस के लागी?
- गाय ल्याये न्याणै की, भू ल्याये घरियाणै की।
- गायां भायां बामणां, भाग्यां ही भला।
- गायां में कुण गयो, गोदो, कह मार दे बिलोवणो मोदो।
- गारड बिना झैर कोनी उतरै।
- गारै में पग, गिदरां पर बैठबा दे।
- गाल्यां सै गूमड़ा कोनी होय।
- गावणू अर रोवणू सैने आवै है।
- गिरगिट रंग-बिरंग हो, मक्खी चटके देह। मकड़ियां चह-चह करे, जब अठ जोर मेह॥ हिंदी – गिरगिट बार-बार रंग बदलता हो, मक्खी शरीर पर चिपके तथा मकड़ी आवाज करे तो वर्षा होने का अनुमान लगाया जाता है।
- गीत में गाण जोगो ना, रोज में रोवण जोगो ना।
- गीवूं ल्यावै तो गधी अर खाय अमीर।
- गुड़ की डली दे दे नहीं बाणिये की बेटी बण ज्याऊंगी।
- गुड़ कोनी गुलगुला करती, ल्याती तेल उधारो, परींडा में पाणी कोनी, बलीतो कोनी न्यारो। कड़ायो तो मांग कर ल्याती पण आटा को दुख न्यारो।
- गुड़ खाय गुडियानी को पछ करै।
- गुड़ गीलो हो तो मांखी कदेस की चाट ज्याती।
- गुड़ डलियां, घी आंगलियां।
- गुड़ तो अंधरै में बी मीठो।
- गुड़ देता मरै बिनै झैर क्यूं देणूं | हिंदी – यदि मीठे वचन से काम निकलता हो तो कठोर वचन क्योँ बोला जाये।
- गुड़ बिना किसी चोथ?
- गुड़ा घालै जितणो ही मीठो।
- गुड़ै गुवाड़ै, फोज पापड़ै आवै।
- गुण गैल पूजा | हिंदी – गुणवान की प्रतिष्ठा।
- गुर-गुर विद्या, सिर-सिर बुद्धि।
- गुरु की चोट विद्या की पोट ।
- गुरु सै चेलो आगला।
- गुरू चेलो लालची, दोनूं खेलै दाव। दोनूं कदेक डूबसी, बैठ पत्थर की नाव।
- गुलगुला भावै पण तेल कठे सूं आवै।
- गुवाड़ को जायो की नै बाबो कै।
- गूंगा तेरी सैन में समझौ कुल में दोय। के गूंगा की मावड़ी के गूंगा की जोय॥
- गूंगी अर गीता गावै।
- गूंगो बड़ो क राम, कै बड़ो तो है सो है ही पण सांपा से कुण बैर करै।
- गूजर उठे ही गुजरात।
- गूजर किसकी पालती, किसका मित्र कलाल?
- गूजर सै ऊजड़ भली।
- गेरदी लोई तो के करैगो कोई | हिंदी – निर्लज्ज होने पर कोई कुछ नहीँ कर सकता।
- गैब को धन ऐब में जाय।
- गैली रांड का गैला पूत | हिंदी – पागल स्त्री की पागल सन्तान।
- गैली सारां पैली | हिंदी – अकर्मण्य हर जगह टांग अड़ाता है।
- गैलो भलो न कोस को, बेटी भली न एक। मांगत भली न बाप की, साहेब राखै टेक॥
- गोकुल सै मथरा न्यारी।
- गोद को छोरो, राखणूं दोरो।
- गोद लडायो गीगलो, चढ्यो कचेड्या जाट। पीर लड़ आई पदमणी, तीन्यू ही बारा बाट॥ हिंदी – अधिक प्यार मेँ पला हुआ लड़का, कचहरियोँ मेँ मुकदमेबाजी मेँ उलझा रहने वाला जाट तथा लड़कर पीहर गई स्त्री, ये तीनोँ बर्बाद हो जाते हैँ।
- गोदी कां नै गेर कर पेट कां की आस करै।
- गोदी मैं छोरो गळी मैं हेरो ।
- गोबर को घड़ो, काठ की तलवार।
- गोबर में तो घींघला ही पड़ै।
- गोरी में गुण होगो तो ढोलो आपै ही आ मिलैगौ।
- गोला किसका गुण करै, ओगणगारा आप, माता जिण की खाबली, सोला जिण का बाप।
- गोलै के सिर ठोलो।
- गोलो अर मूंज पराये बल आंवसै |हिंदी – जिस प्रकार मूँज पानी का बल पाकर ऐँठती है उसी प्रकार दास अपने स्वामी के बल पर अकड़ता है।
- गोलो र मूंज पराये बल आंवसै।
- गोह चाली गूगै नै, सांडो बोल्यो-मेरी भी जात है।
- गौले को गुर जूत।
- ग्यारस को कडदो बारस नै ग्रहण को दान, गंगा को असमान।
- ग्रह बिन घात नहीं, भेद बिन चोरी नहीं।
- घटतोला मिठ बोला।
- घड़ी को सिर हाल दियो, ढीयै को जबान कोनी हलाई।
- घड़ी को ठिकाणूं कोनी अर नाम अमरचन्द।
- घड़ै कुम्हार, भरै संसार।
- घड़ै गैल ठीकरी, मा गैल डीकरी।
- घड़ै सुनार, पैरे नार।
- घड़ै ही गडुओ, होगी भेर।
- घड़ो फूट कर गिरगण ही हाथ आवै।
- घण जाया घण ओलमा, घण जाये घण हाण |हिंदी– अधिक सन्तान होने से अधिक उपालम्भ मिलते हैँ तथा गालियां भी सुननी पड़ती हैँ।
- घण जायां घण नास |हिंदी– अधिक सन्तान कुटुम्ब की एकता का नाश कर देती हैँ।
- घण जीते, सूरमों हारै।
- घण बूंठा कण हाण।
- घणै मीठा मैँ कीड़ा पड़ै | हिंदी– अत्यधिक प्रेम से खरास पड़ती है।
- घणा जायां घण ओलमा, घणा जायं घण हाण।
- घणा हेत टूटण का, बड़ा नैण फूटण का।
- घणी की कांच दाबण गई, आ पड़ी आपकी।
- घणी रे घणी म्हारा निघण घणी। तूं बैठ्यां म्हारै चिन्ता घणी।
- घणी तीन-पांच आछी कोन्या।
- घणी दाई घणा पेट फाड़ै।
- घणी सराही खीचड़ी दांतां कै चिपै।
- घणी सुधी छिपकली चुग चुग जिनावर खाय । हिंदी– अधिक सीधा या चतुर व्यक्ति कभी–कभी अधिक खतरनाक होता है।
- घणूं खाय ज्यूं घणूं मरै।
- घणूं बल करया घूंडो पड़ै | हिंदी– खीँचातान से वैमनस्य बढ़ता है।
- घणूं बल भर्यां घूंडी पड़ै।
- घणूं सियाणो कागलो दे गोबर में चांच।
- घणों सयाणों कागलो हुवै जको गू मे चांच दे ।
- घर आयो पावणो रोवतड़ी हँस।
- घर का टाबर काणा भी सोवणा।
- घर का टाबर खीर खा, देवता भलो मानै।
- घर का पूत कुंवारा डोलै, पाडोसी का नो नो फेरा।
- घर की आदी ई भली।
- घर की खांड किरकिरी लागै, गुड़ चोरी को मीठो।
- घर की खाय, सदा सुख पाय।
- घर की छीज लोक की हांसी।
- घर की डाकन घर का नै ही खाय ।
- घर को जोगी जोगणूं आन गांव को सिद्ध।
- घर को देव अर घर का पूजारा।
- घर गयां की छांग उसी का केरड़ा, बेटां री बोताज क नैड़ा खेतड़ा।
- घर गैल पावणूं या पावणा गैल घर।
- घर जाए का दिन गिणूँ क दांत।
- घर तो घोस्यां का बी बलसी, पण सुख ऊंदरा भी कोनी पावै।
- घर तो नागर बेल पड़ी, पड़ौसन को खोसै फूस | हिंदी– व्यक्ति के पास सब कुछ होते हुए भी वह दूसरे के माल पर नजर रखता है।
- घर नै खोवाई साळो ।
- घर नै खोवै सालो, भीँत नै खोवै आलो।
- घर बळतो कोनी दीखै, डूंगर बळतो दीखै
- घर ब्याह, भू पीपलां।
- घर में अंधेरो तिलां की सी रास।
- घर में आई जोय, टेडी पगड़ी सीधी होय।
- घर में कसालो, ओढ़ै दुसालो।
- घर में कोन्या तेल न ताई, रांड मरै गुलगुलां तांई।
- घर में घीणा होय क हुडी चोलणा, एता दे करतार फेर नह बोलणा।
- घर में नाही अखत को बीज, रांड पूजै आखा तीज।
- घर में सालो, दीवाल में आलो, आज नहीं तो काल दिवालो।
- घर मैँ कोन्या तेल न ताई, रांड मरै गुलगुला तांई | हिंदी– घर मेँ तेल भी नहीँ है तथा रांड गुलगुले खाने के लिए लालायित है।
- घर मोटो टोटो घणूं, मोटो पिव को नांव ऐं कारण धण दुबली, म्हारो रसता ऊपर गांव।
- घर रोक्यो सालां, भींत रोकी आलां।
- घर वासे ही रांड अर गोद की बेटी गिरलाई न्ह्याल करै।
- घर सै उठ बनै में गया अर वन में लागी लाय।
- घर सै बेटी नीसरी, भांवै जम ल्यो भांवै जंवाई ल्यो।
- घरकां नै मारणूं, चोरां नै धारणूं।
- घर-घर माटी का चूल्हा | हिंदी– सभी की एक सी स्थिति।
- घर-बार थारा, पण ताला कूंची म्हारा।
- घरै घाणी, तेली लूखो क्यूं खावै?
- घाघरी को साख नजीक को हो ज्याय।
- घायल गत घूमैह, रै भूमी मारवाड़ री। राळो रुं रुं मेह, साहित इमरत सूरमों॥
- घिरत ढुल्यो मूंगा कै मांय।
- घी खाणूं तो पगड़ी राख कर खाणूं।
- घी घाल्योड़ो तो अंधेरा में बी छान्यूं कोन्या रैवै।
- घी जाट को, तेल हाट को।
- घी सक्कर, अरू दूध क ऊपर पप्पड़ा, सात भयां कै बीच सवाया कप्पड़ा।
- घी सुधारै खीचड़ी नाम बहू को होय।
- घी सुधारै खीचड़ी, और बड्डी बहू का नाम ।
- घुरी में गादड़ो ई सेर।
- घूंघटा सै सती नहीँ, मुंडाया जती नहीँ | हिंदी– स्त्री घूंघट निकालने से सती नहीँ होती तथा पुरुष सिर मुंडा लेने मात्र से संन्यासी नहीँ हो जाता।
- घूंस चालती तो बाणियो धरमराज नै भी घूंस दे देतो।
- घूमटा सैं सती नहीं, मुंडाया सै जती नहीं।
- घूमर हाली कै बिछिया चाये।
- घैरगडी सासू छोटी भू बडी ।
- घोड़तां कै ब्या में गादड़ा ही गीत गावै।
- घोड़ा तो ठाण बिकै।
- घोड़ै के अवसार को अर बूडली माई को साथ?
- घोड़ै कै नाल जड़तां गधेड़ो ही पग उठावै।
- घोड़ै को लात सूं घोड़ो थोडी ही मरै।
- घोड़ो घास सैं यारी करै तो खाय के?
- घोड़ो चाये निकासी नै, बावड़तो सो आए।
- घोड़ो तो ठाण बिकै | हिंदी– गुणी की कीमत उसके स्थान पर ही होती है।
- घोड़ो दौड़े दौडे, कुण जाणै।
- घोड़ो मर्द मकोड़ो, पकड्यां छोड़ै थोड़ो।
- चाली जैसो तिकूं रा बोलणा, एता दे करतार फेर न बोलण।
- बतलाया बोले नहीं अर बोलै तो डबको॥
- म्हरै सैं थारै गई जैंका काडूं खोज। थारै सैं बी जायगी मत गरबावै भोज॥
च-झ
- चक्कू खरबूजै पर पड़ै तो खरबूजै को नास, खरबूजो चक्कू पर पड़ै तो खरबूजै को नास।
- चडती जवानी हर भर्योडी आंट कितना औगण कोनी करै?
- चढसी जिका नै गिर्यां सरसी।
- चढ्योड़ो जाट तूम्बो ई चबा जावै ।
- चणा चाब कहै, म्हे चावण खाया, नहीं छान पर फूस, म्हे हेली से आया।
- चणा जठे दांत ना अर दांत जठे चणा ना।
- चणूं उछल कर किसो भाड़ नै फोड़ गेरसी?
- चतर नै चोगणी, मूरख नै सोगणी।
- चमारी अर रावलै जा आयी।
- चलती को नांव गाडी है।
- चांच देई जठे चुग्गो भी त्यार है।
- चांद को गण गंडक नै भार्यो।
- चांद सूरज कै भी कलंक लागै।
- चांदी देख्या चेतना, मुख देख्या त्यौहार | हिंदी– चाँदी के सामने होने पर चेतना तथा व्यक्ति के आमने–सामने होने पर व्यवहार किया जाता है।
- चाए जिता पालो, पाँख उगता ईँ उड़ ज्यासी | हिंदी– पक्षी के बच्चे को कितने ही लाड़–प्यार से रखो, वह पंख लगते ही उड़ जाता है।
- चाए जिता पालो, पांख उगतां ही उड़ ज्यासी।
- चाकरी सै सूं आकरी | हिंदी– नौकरी सबसे कठिन है।'['
- चाकी में पड़ कर सापतो कोनी नीसरै।
- चान आगै लूंगत कतीक बार छिपै।
- चाम को के प्यारो, काम प्यारो है।
- चालणी को चाम, घोडै की लगाम, संजोगी को जाम, कदे न आवै काम।
- चालणी मैँ दूध दुवै, करमां नै दोस देवै | हिंदी– खुद मेँ अच्छे लक्षण नहीँ होने पर व्यर्थ ही भाग्य को कोसना।
- चाली पिरवा पून मतीरी पीली।
- चावलां की भग्गर को के हुवै, बाजरै की को तो सोक्यूं हो।
- चावलां को खाणो, फलसै ताईँ जाणो | हिंदी– चावल खाने वाले मेँ शक्ति नहीँ होती, वह केवल दरवाजे तक जा सकता है।
- चिड़पिड़ै सुहाग सूं रंडापो ही चोखो।
- चिड़ा-चिड़ी की के लड़ाई, चाल चिड़ा मैँ आई | हिंदी– चिड़िया व चिड़े की कैसी लड़ाई अर्थात् पति-पत्नी के बीच का मनमुटाव क्षणिक होता है।
- चिड़ी की चांच में सो मण को लकड़ो।
- चिड़ी जो न्हावै धूल मैँ, हा आवण हार। जल मैँ न्हावै चिड़कली, मेह विदातिण बार॥ हिंदी– चिड़िया के धूल मेँ नहाने पर वर्षा की सम्भावना होती है तथा पानी मेँ नहाने पर वर्षा काल समाप्ति की सम्भावना होती है।
- चित्रा दीपक चेतवे, स्वाते गोबरधन। डक कहे हे भड्ड़ली अथग नीपजै अन्न॥
- चींचड़ी र खाज।
- चीकणी चोटी का सै लगवाल | हिंदी– धनवान से कुछ प्राप्त करने की सभी की इच्छा होती है।
- चीकणै घड़े पर बूँद न लागै, जे लागै तो चीठौ | हिंदी– चिकने घड़े पर पानी नहीँ ठहरता पर मैल जम जाता है।
- चीकणै घड़ै पर पानी की बूंद को ठहरै ना।
- चील को मांस तो चुटक्यां में ही जासी।
- चुस्सी को सिकार और ग्यारा तोप।
- चूंटी चून घड़ा दस पाणी का।
- चूंटी टूंटी को भी लंक लागै है क्यूं कै नित बड़ी है।
- चून को लोभी बातां सूं कद मानै | हिंदी– आटे का लोभी बातोँ से कैसे मान सकता है।
- चूनड़ ओढ़ै गांठ की, नांव पीर को होय।
- चूसै का जाया तो बिल ई खोदैगा।
- चूसै के बिल में ऊंट कैयां समावै।
- चेला ल्यावै मांग कर, बैठा खावै महन्त। राम भजन को नांव है, पेट भरण को पन्थ॥
- चैत चिड़पडो सावण खरखड़ा।
- चैत पीछलै पाख, नो दिन तो बरसन्तो राख।
- चैत मसा उजाले पख, नव दिन बीज लुकोई रख। आठम नम नीरत कर जोय, जां बरसे जां दुरभख होय।
- चैत महिने बीज लुकोवे धुर बैंसाखां केसू धोवै।
- चैत मास नै पख अंधियारा, आठम चवदस हो दिन सारा।
- चोखो करगो, नाम धरगो | हिंदी– अच्छा करने वाले की ख्याति रहती है।
- चोटी काट्यां चेलो कोनो होय।
- चोटी राख कर घी खाणूं।
- चोपड़ी अर दो दो।
- चोपदरां कै सैं कुण परोसो ले?
- चोर की जड़ चोर ही दाबै।
- चोर की मा घड़ै में मुंह देकर रोवै।
- चोर की मां रो बी कोनी सकै।
- चोर कै छाती है, पण पग कोनी।
- चोर कै बागली ही कोनी।
- चोर चोरी करै पण घरां सांची बतावै ।
- चोर चोरी सै गयो, जूती बदलण सै थोड़ो ई गयो।
- चोर नै के मारे, चोर की मां नै मारे।
- चोर पेई लेगो, ले जाओ ताली तो मेर कन्नै है।
- चोरी अर सीना जोरी।
- चोरी को धन मोरी में जाय।
- चोरी चोरी करे पण घर आव ने ता साच बोले है।
- चोरी जैड़ो रुजगार नीं, जे पड़ती व्है मार नीं ।
- चौमासे को गोबर लीपण को, न थापण को।
- च्यार कूंट सै मथुरा न्यारी है।
- च्यार चोर चोरासी बाणिया, के करै बापड़ा एकला बणिया।
- च्यार चोर चौरासी बाणिया, बाणिया बापड़ा के करँ ।
- च्यार दिनां री चानणी, फेर अँधेरी रात | हिंदी– सुख का समय कम रहता है।
- च्यार पाव चून चौबारे रसोई
- छड़ी पड़ै छमाछम, विद्या आवै धमाधम।
- छदाम को छाजलो, छै टका गंठाई का।
- छन में छाज उड़ावै, पल मैं करै निहाल।
- छाज तो बोलै से बोलै पण चालणी भी बोलै जिकै ठोतरसो बेज | हिंदी– निर्दोष दूसरोँ को सीख देने का अधिकार रखता है पर दोषी किसी को क्या सीख देगा?
- छींक खाये, छींकत पीये, छींकत रहिये सोय। छींकत पर घर कदे न जाये, आछी कदे न होय॥
- छुट्येडा तीर पाछा कोनी आवै।
- छेली दूद तो देवै पण देवै मींगणी करकै।
- छोटी–छोटी कामणी सगळी विष की बेल | हिंदी– कामिनियाँ जहर की बेल के समान हैँ।
- छोटो उतणूं ही खोटो।
- छोडा छोलणं बूंट उपाड़न, थपथपियो, ओ नाई एता चेला न करो, गरुजी काम न आवै कांई।
- छोड़ो ईस, बैठो बीस।
- छोरा! तेरी पेट तो बांको, कहै, ढाई सेर राबड़ी तो ऐं ही में उलझाल्यूं।
- छोरा! पेट क्यूं टूटगो? कै मांटी खाऊं हूं।
- छोरा, बार मत जाजै, बीजली मार देगी, कह- ऐ जाटां हाला ना खेलै है, कह, ऐ तो बीजली का मार्योड़ो ही है।
- छोरी ऐं गांव में चौधर कैं कै, कह, भई पहल काणैं तो म्हारै खेत निपज्यो हो सो चौधर म्हारे थी। इबकै बाजरी मेरै काका कै हो गई सो चौधर ऊंकै चली गई।
- छोरो बगल में, ढूंढै जंगल में।
- छोर्यां सै ही घर बस ज्याय तो बाबो बूडली क्यूं ल्यावै?
- जंगल जाट न छोड़िये,हाटां बीच किराड़। रांगड़ कदे न छोड़िये,ये हरदम करे बिगाड़।।
- जगत की चोर, रोकड़ को रुखालो।
- जट खोस्यां किसा ऊंट मरै है?
- जटा बधे बडरी जब जांणा, बादल तीतर-पंख बखाणां, अवस नील रंग व्है असमाणां, घण बरसे जल रो घमसाणां।
- जठे देखै तवा परात, उठे नाचै सारी रात।
- जठे पड़ै मूसल, उठै ही खेम कूसल।
- जद कद दिल्ली तंवरां।
- जननी जल्मे तो दोय जण, के दाता के सूर, नातर रहजे बांझड़ी, मती गंवावे नूर।
- जब लग तेरे पुण्य को, बीत्यो नही करार। तब लग मेरी माफ है, औगण करो हजार।
- जबान मैँ रस, जबान मैँ विष | हिंदी– बोली मेँ ही रस होता है तथा बोली मेँ ही जहर भी घुला रहता है अर्थात् बोली ही महत्त्वपूर्ण है।
- जमी जोरू जोर की, जोर हट्यां और की।
- जमींदार कै बावन हाथ हुवै।
- जमीन ऍर जोरु जोर की नहीं तो कोई और की।
- जमीन को सोवणियो अर झूठ को बोलणियो संकड़ेलो क्यूं भूगतै?
- जयो चींचड़ी, दायमू, खटमल, माछर जूं, अकल गई करतार की, अता बणाया क्यूं।
- जल का जामा पहर कर, हर का मंदर देख।
- जल को डूब्यो तिर कै निकलै, तिरिया डूब्यो बह जाय | हिंदी– पानी मेँ डूबा हुआ तैर कर बाहर आ सकता है परन्तु पर स्त्री आसक्त अवश्य डूबता है।
- जलम अकारथ ही गयो गोरी गले न लग्ग।
- जलम को आंधो नाम नैणसुख।
- जलम को दुख्यारो, नांव सदासुखराय।
- जलम घड़ी अर मरण घड़ी टाली कोनी टलै।
- जलम रात अर फेरा टाली कोनी टलै।
- जळ ऊँड़ा थळ उजळा नारि नवळे वेश। पुरुष पट्टाधर निपजे आई मरुधर देश॥ हिंदी - गहरे पानी और गहरी सोच वाले यहां के पटादर पुरुष सिर्फ इंसानों से ही नहीं मरुभूमि की उपज से भी प्यार करते हैँ|
- जसा देव, बसा ई पूजारा।
- जसा बोलै डोकरा, बसा बोलै छोकरा।
- जसा साजन, उसा भोजन।
- जसो राजा, बसी ही परजा।
- जहर खायगो सो मरैगो।
- जहर नै जहर मारै।
- जां का मरग्या बादस्याह, रुलता फिरै वजीर।
- जांट चढै जको सीरणी बांटै।
- जांटी चढे जको सीरणी बाँट | हिंदी - जो समी के पेड़ पर चढ़ता है, वही खतरे के निवारण हेतू देवता का प्रसाद बोलता है ।
- जांन में कुण-कुण आया? कै बीन अर बीन रो भाई, खोड़ियो ऊंट अर कांणियो नाई।
- जाओ लाख रैवो साख, गई साख तो बची राख ।
- जागता की भैंस पाडी ल्यावै ।
- जागता नै पगाथ्यां गेरै ।
- जागै सो पावै, सोवै जो खोवै।
- जाट ओर जाट भाई॥
- जाट और घोयरा तावडॆ मॆ ही निकला करे।
- जाट करै ना दोस्ती, जाट करै ना प्यार जो साचा इंसान हो, वो-ए इसका यार । चुगलखोर और दुतेड़े दुश्मन इनके खास चाहे पायां पड़े रहो, कोन्यां आवैं रास ||
- जाट कहे सुण जाटणी, इसी ना कदे होय । चाकी पीसे ठाकरां, भांडा मांजै जोय ।।
- जाट कहै सुण जाटणी इणी गांव में रैणो। ऊंट बिलाई ले गई हांजी हांजी कहणों।
- जाट की छोरी र' फलकै बिना दोरी ।
- जाट की बेटी और काकोजी की सूं | हिंदी - छोटा भी जब ज्यादा नजाकत दिखाने लगता है तब प्रयोग किया जाता है ।
- जाट कै बुद्धि गेल न हुवै ।
- जाट को के जजमान, राबडी को के पकवान ।
- जाट गंगाजी नहा आयो के ? कह, खुदाई कुण है ।
- जाट जंगल मत छेड़िये, हाट्यां बीच किराड़। रंघड़ कदे न छेड़िये, जद द करै बिगाड़।
- जाट जंवाई भाणजा, रैबारी सुनार । कदे न होसी आपणा, कर देखो व्योहार ।।
- जाट जंवाई भाणजो, रेवारी सुनार । ऐता नहीं है आपणा, कर देखो उपकार ।।
- जाट जठे ठाठ बठे।
- जाट जठे ठाठ।
- जाट जडूलै मारिये, कागलिये ने आळै । मोठ बगर में पाडि़ये, चोदू हो सो बाळै | हिंदी - जाट जब तक वयस्क नहीं हो जाता, कौवा जब तक उड़ना नहीं सीख लेता तब तक ही ये वश में आते हैं । मोठों पर जब तक बगर आया रहता है तब तक ही उपाड़ना ठीक है ।
- जाट जाट तेरो पेट बांको, कह, मैं ई मैं दो रोटी अलजा ल्यूंगो ।
- जाट जाट तेरो पेट बांको, कह, मैं ऐ मैं ई दो रोटी राबड़ी अलजा ल्यूंगो।
- जाट डूबै धोळी धार, बानियों डूबै काळी धार ।
- जाट न जायो गुण करै, चणैं न मानी बाह, चन्नण बिड़ो कटायकी, अब क्यों रोव बराह ।
- जाट पहाडा: एक जाट-जाट, दो जाट-मौज, तीन जाट-कंपनी, चार जाट-फौज |
- जाट बलवान जय भगवान ।
- जाट मरा जब जानिये जब चालिसा होय ।
- जाट रे जाट ! तेरे सिर पर खाट, कह, मियाँ रे मियाँ ! तेरे सिर पर कोल्हू, कह, तुक तो मिली ना, कह, बोझ्याँ तो मरैगा ।
- जाटणी की छोरी र भलकै बिना दोरी।
- जाण न पिछाण मैं लाडा की भुवा।
- जाण मारै बाणियूं, पिछाण मारै चोर।
- जातरी धाणकी र कैवे भींट्योडो को खावूं नी।
- जातै चोर का झींटा ही चोखा।
- जायां पहलां न्हाण किसो?
- जावण लाग्या दूद जमै।
- जावो कलकत्तै सूं आगै, करम छाँवली सागै | हिंदी– भाग्य व्यक्ति के साथ रहता है।
- जावो भांव जमी के ओड़, यो ई माथो यो ई खोड़।
- जावो लाख रहो साख।
- जिकै गांव नहीं जांणू, ऊंको गैलोही क्यूं पूछणूं?
- जिण का पड्या सुभाव क जासी जीव सूं। नीम न मीठो होय, सींचो गुड़ र घींव सूं।
- जिण दिस बादलण जिण दिस मेह, जिण दिस निरमल जिण दिस खेह।
- जितणा मूंडा, उतणी बात।
- जितणै की ताल कोनी, उतणै का मजीरा फूटगा।
- जिसी करणी, उसी भरणी।
- जी को चून, ऊंको पुन्न।
- जी को बाप बीजली सै मरै, बो कड़कै सैं डरै।
- जी जोड़ै सो तौड़ै।
- जी नै देख्यां ताप आवै, बो ही निगोड़्यो ब्यावण आवै।
- जी हांडी में खाय, बी में ही छेद करै।
- जीँ की खाई बाजरी, ऊं की भरी हाजरी | हिंदी– व्यक्ति जिसका दिया खाता है उसी की खुशामद भी करनी पड़ती है।
- जीं हांडी में सीर नई, बा चडती ई फूटै।
- जींकै घर में दूजै गाय, सो क्यूं छाछ पराई जाय?
- जीभड़ली मेरी आलपताल कडकोला खा मेरो लाड़लो कपाल।
- जीभड़ल्यां इमरत बसै, जीभड़ल्यां विष होय। बोलण सूं ई ठा पड़ै, कागा-कोयल दोय।।
- जीमण अर झगड़ौ, पराये घरां आछो लागै ।
- जीमणों सोरो जीमाणो दोरौ ।
- जीम्या जिनै जीमांणा ई पडे ।
- जीम्यां छोडै पांवणौ, मरयाँ छोडै ब्याज ।
- जीम्यां पाछै चलू होय है।
- जीम्यांर पातल फाड़ी।
- जीव को जीव लागू।
- जीवडल्यां घर उजड़ै, जीवडल्यां घर होय | हिंदी– बुरी वाणी से घर उजड़ जाते हैँ तथा अच्छी वाणी से घर बस जाते हैँ।
- जीवतड़ा नहीं दान, मर्यांने पकवान।
- जीवतां लाख का, मर्यां सवा लाख का।
- जीवती माखी कोन्या गिटी जावै | हिंदी– जानते हुए बुरा काम नहीँ किया जा सकता।
- जीवैगा नर तो करैगा घर।
- जीवो बात को कहणियुं जीवो हुंकारा दीणियुं।
- जुग देख र जीणूं है | हिंदी– समय के अनुसार कार्य करना चाहिए।
- जुग फाट्याँ स्यार मरै | हिंदी– संगठन टूटने से हानि है।
- जुगत जाणनुं हांसी खेल कोनी।
- जूती चालैगी कतीक, कह, बीमारी जाणिये।
- जे टूट्यां तो टोडा।
- जेठ गल्यो गूजर पल्यो।
- जेठ जी की पोल में जेठ जी ही पोढ़ै।
- जेठ बदी दशमी, जे शनिवार होय। कण ई होय न धरण मैँ, बिरला जीवै कोय॥ हिंदी– जेठ कृष्णा दशमी शनिवार को पड़ने पर वर्षा नहीँ होती।
- जेठ बीती पहली पड़वा, जो अम्बर धरहड़ै। आसाढ सावण काड कोरो, भादरवै बिरखा करै।
- जेठ मूंगा सदा सूंगा।
- जेठा अन्त बिगाड़िया, पूनम नै पड़वा।
- जेठा बेटा अर जेठा बाजरा राम दे तो पावै | हिंदी– ज्येष्ठ पुत्र तथा ज्येष्ठ माह मेँ बढ़ा हुआ बाजर भाग्य से ही प्राप्त होते हैँ।
- जेठा बेटा भाई बराबर।
- जेठा बेटा र बेठा बाजरा राम दे तो पावै।
- जेबां घाल्या हाथ जणा ही जाणिया, रुठ्योडो भूपाल क टूठ्या बाणियां।
- जेर सैँ ई सेर हुया करै है | हिंदी– बच्चोँ की उपेक्षा न करेँ क्योँकि वे भविष्य मेँ बलवान हो जाते हैँ।
- जेवड़ी बलज्या पण बल कोनी जाय।
- जै की चाबै घूघरी, बैंका गावै गीत।
- जै तूं गेरैगो तोड़-मरोड़, मैं निकलूं गी कोठी फोड़।
- जै धन दीखै जावतो, आधो दीजै बांट।
- जै बाण्या तेरे पड़ गया टोटो, बड़जया घी का कोटा में, खीर खांड का भोजन करले, यो भी टोटा टोटा में।
- जै भीज्यो ना काकड़ो तो क्यां फेरै हाली लाकड़ो?
- जै रिण तारे बाप को तो साडा मूंग बुहाय।
- जैं करी सरम, बैंका फूट्या करम ।
- जैं की टाट, जैं की ही मोगरी।
- जैतलदे बिना किसो रातीजुगो।
- जैसा कंता घर भला, वैसा भला विदेश।
- जो गुड़ सैं मरै बी'नै जहर की के जरुरत।
- जोजरै घड़ै ही जोरी अवाज।
- ज्यादा लाड सै टाबर बिगड़ै।
- ज्यादा स्याणु कागलो गू मैं चांच दे ।
- ज्यूं-ज्यूं बड़ो हुवै ज्यूं-ज्यूं पत्थर पड़ै है।
- ज्वर जाचक अर पावणो, चोथे मंगणहार। लंघण तीन कराय दे, कदे न आसी द्वार।
- झखत विद्या, पचत खेती।
- झगड़ै ही झगड़ै तेरो कींणू तो देख।
- झगड़ो अर भेंट बधावै जितनी ई बधै।
- झट काढी पट बाई।
- झलकणै सूं सोनी कोनी होय।
- झूठ की डागलां ताईँ दौड़ | हिंदी– झूठ अधिक दिन नहीँ चलती।
- झूठ बिना झगड़ो नहीं धूल बिना घड़ो नहीं।
- झूठ बोलणियों र धरती पर सोवणियों संकड़ेलो क्यूं भगतै?
- झूठी राख छाणी, ल्हादी न दाजी धांणी।
- झूठै की के पिछाण, कै बो सोगन खाय।
- झैर नै झैर मारै।
ट-ढ
- टका दाई ले गी अर कून्डो फोड़गी ।
- टका लेगी ऊर कूंडो फोड़गी।
- टकै की हांडी फूटी, गंडक की जात पिछाणी । हिंदी– थोड़े से नुकसान से नीच की पहचान होना।
- टकै-टकै न्यूत है।
- टको टूंसी एक न यार, तोरण मारण होग्यो त्यार ।
- टक्को टूंसी एक न यार, तोरण मारण होग्यो त्यार।
- टक्को लाग्यो न पातड़ी, घर में भू दड़कदे आ पड़ी।
- टपकण लागी टापरी, भीजण लागी खाट।
- टांडो क्यूं हो? कै सांड हां। गोबर क्यूं करो? कै गऊ का जाया हां।
- टाटी कै घर नै फेरतां के बार लागै?
- टाबर है पण बड़ा का कान कतरै।
- टाबरां की टोली बुरी, घर में नार बोली बुरी।
- टुकड़ा दे दे बछड़ा पाल्या, सींग हुया जद मारण चाल्या।
- टूट गई डाली, उड़ गया मोर। धी मरी, जंवाई चोर।
- टूटतै आकास कै बलो कोनी लागै।
- टूटी की बूटी कोनी | हिंदी– वृद्धावस्था मेँ जब आयु शेष नहीँ रहती तो दवा भी काम नहीँ करती है।
- टूटी नाड़ बुढापो आयो, टूटी खाट दलिद्दर छायो।
- टोलै मिलकी कांवली, आय थला बैठत। दिन चौथे के पाँचवैँ, जल थल एक करंत॥ हिंदी– जब बड़ी संख्या मेँ चीलेँ एक स्थान पर इकट्ठी हो जायेँ तो वर्षा की सम्भावना होती है।
- ठंडो लौह तातै नै काटै | हिंदी– धैर्यशील व्यक्ति, दूसरे के गुस्से को शांत कर देता है।
- ठगां कै ठग पावणा।
- ठग्यां ठग, ठगायां ठाकर।
- ठठेरै की बिल्ली खुड़कां सै कोनी डरै।
- ठांगर कै हेज घणूं, नापीरी कै तेज घणूं।
- ठाकर आया ए ठुकराणी! चूले आग न पंडै पाणी।
- ठाकर गया अर ठग रह्या मुलक का चोर। बै ठुकराणी मर गई, जणती ठाकर और।
- ठाकर तो कूलै मांड्योड़ो बी बुरो।
- ठाकर री गोळी, गांवरी सिरमोळी ।
- ठाकर व्है वो जाण समज्झै अक्खरां। सीरोही तरवार बहे सिर बक्करां।
- ठाकरण भागो किसाक ? कह, गैल की मार जाणिये ।
- ठाकरां ऊत गई। कह, गयां ही जाय है।
- ठाकरां की टाबर टीकर है? कह, भाई रे साले रे दो डावड़ा है। ठाकरां क्यूं गावो, कह, रोवण में ही कोनी धापां।
- ठाकरां खल खावो हो, कह, आ ही कुत्ता हूं खोसी है।
- ठाकरां गैर बखत कठे, कह, गैर बखत तो म्हे ही हां।
- ठाकरां ठाडा किसाक? कमजोर का तो बैरी ही पड्यां हां।
- ठाकरां धोला आवगा और भागो हो, कह, भाग-भाग तो धोला किया है, नहीं तो कालां में ही मार गेरता।
- ठाकरां भागो किसाक? कह, गैल की मार जाणिये।
- ठाकरां, घोड़ी ठेका तीन देसी। ठाकर यार तो पैली ही ठेकै आसी, दोय तो एकली देसी।
- ठाकरां, पूंचो पतलो दीखै है? कह, लाग्यां बेरो पड़सी।
- ठाकरां, ब्याया क कुवांरा? कह, आधा। आधा क्यूं? म्हे तो त्यार हां, आगलो मिल ज्याय तो पूरा हो ज्यावां।
- ठाकरां, मर्या सुण्या? कह, सांपरत खड्या हां नी।
- ठाडा का दो बांटा।
- ठाडै कै धन को बोजो–बोजो रुखाळो है | हिंदी– शक्तिशाली का धन कोई नहीँ रख सकता।
- ठाडै को ठींगो सिर पर।
- ठाडै को डोको डांग नै फाड़ै ।
- ठाडै हीणै का दोय गैला।
- ठाडो मारै अर रोवण भी कोन्या दे ।
- ठाली ठुकराणी को पेई में हाथ जाय ।
- ठाली बैठी डोकरी, घर में घाल्यो घोड़ो ।
- ठालै बैठ्याँ सूँ बेगार भली ।
- ठिकाणे ठाकुर पूजीजै ।
- ठिकाणै सै ई ठाकर बाजै।
- ठोकर खार हुन्स्यार होय । हिंदी– मनुष्य को ठोकर लगकर ही अक्ल आती है।
- डर तो घणै खाय को है | हिंदी– डर तो अधिक खाने का है।
- डांगर के हेज घणूं, नापैरी के तेज घणूं | हिंदी– दूध न देने वाली गाय बछड़े से अधिक प्रेम करती है, पीहर न होने पर स्त्री अधिक झल्लाती है।
- डाकण अर जरख चढी।
- डाकण बेटा ले क दे?
- डाकणां के ब्यावां में नूतारां का गटका।
- डाकणां सै गांव का नला के छाना है।
- डाडी कै लाग्यां आपके पहलां बुझावै।
- डिगमरां कै गांव में धोबी को के काम?
- डूंगर चढ़तो पांगळो, सीस अणीतो भार ।
- डूंगर तो देखै बा का ही होय है।
- डूंगर बळती दिखै, पगां बळती कोनी दिखै ।
- डूंगरा नै छाया कोनी होय | हिंदी– महापुरुष अपनी मदद स्वयं करते हैँ, यह जनसाधारण के बस की बात नहीँ है।
- डूबतो सिंवाळां न हाथ घालै ।
- डूम गाय-गाय मरै, धणीड़ै कै भांवै ही कोन्या।
- डूमकी जाणै तो बखाणै।
- डूमणी रे रोवण में ही राग।
- डूर्मा आडी डोकरी, बलदां आडी भैंस।
- डेड घड़ा अर डीडवाणु पाऊं।
- डेढ छैल की नगरी में ढाई छैल आयो है, ठग्गैगो, ठगावैगो नहीं।
- डोकरी मुसाण कैंका? आये गये का?
- डोकरी र राज कथा कोय।
- ढक्योड़ो मत उघाड़ और भू घर तेरो ई है ।
- ढबां खेती,ढबां न्याव ।
- ढल्यो घोटी, हुयो माटी ।
- ढांढा मारण, खेत सुकावण, तू क्यूं चाली आधै सावण | हिंदी– आधे सावन के बीत जाने पर मनोरम हवा पशुओँ तथा कृषि के लिए हानिप्रद होती है।
- ढींगा कतरा ही घलाले, पतासो एक घालूं ना।
- ढेढ़ रे साथे धाप'र जीमो भांवै आंगळी भर कर चाखो ।
- ढेढ़ रो पल्लो लगावो, भांवै बाथे पड़ो ।
- ढेढ़ को मन ल्याह्वड़ै में ही ।
- ढेढ नै सुरग में भी बेगार।
- ढेढ रे साथे धाप र जीमो भांवै आंगली भर कर चाखो।
- ढेढ रो पल्लो लगावो, भांवै बाथे पड़ो।
- ढेढणी और रावळै जा आई ।
- ढेढ़ां की दुर्सीस सूं दाव थोड़ा ई मरै ।
- ढोल दमामा दुडबड़ी, बैठे सादर बाज। कहे डोम दिन तीन मेँ, इन्द्र करे आवाज॥ हिंदी– यदि चमड़े से मढ़े ढोल नगाड़े आवाज न करेँ तो शीघ्र वर्षा आने की सम्भावना होती है।
- ढोली गावतो अर टाबर रोवतो चोखो लागै ।
- ढोसी का डूंगर चीकमा होता तो नारनोल का कुत्ता कदेस का चाट ज्याता।
- पातां सामी पांत क पैल परूसणा। एक दे करतार फेर क्या चावणा।
त-न
- तंगी में कुण संगी ? हिंदी– कमी मेँ किसी का सहार नहीँ मिलता।
- तड़कै तो ल्यो चकांचक? कह, कैं कै? कह, आ भी सांची है!
- तरवार को घाव भर ज्या, बात को कोनी भरै?
- तलै तो हूँ पर ऊपर टांग मेरी ई है।
- तवै की काची नै, सासरै की भाजी नै कठैई ठोड़ कोनी । हिंदी– कच्ची रोटी तथा ससुराल को छोड़कर जाने वाली स्त्री का कोई ठौर–ठिकाना नहीँ रहता है।
- तवै चढ़ै नै धाड़ खाय।
- ताण्यां तेरै मांय बास आयै है, कह, मेरी बासो बी कठे है।
- ताण्यूं कुणसी पोसांका में।
- ताता पाणी सैं कसी बाड़ बळै । हिंदी– मात्र क्रोध मेँ किसी को कुछ कहने से उसका कुछ भी नहीँ बिगड़ता है।
- तातो खावै छायां सोवै, बैंको बैद पिछोकड़ रोवै।
- तारा तग-तग करैँ, अम्बर नीला हुन्त। पड़ै पटल पाणी तणी, जद संज्या फुलन्त॥ हिंदी– नीले आसमान मेँ तारे टिमटिमाएं तथा सांझ फूले तो वर्षा आने की प्रबल सम्भावना हो जाती है।
- ताली लाग्यां तालो खुलै | हिंदी– युक्ति से ही कार्य होता है।
- ताळी लाग्यां ताळो खुलै ।
- तावळो सो बावळो ।
- तिरिया चरित न जाणे कोय, खसम मारके सत्ती होय।
- तिल देखो, तिलां की धार देखो।
- तीज त्युंहारां बावड़ी, ले डूबी गणगौर।
- तीजां पाछै तीजड़ी, होळी पाछै ढूंढ, फेरां पाछै चुनड़ी, मार खसम कै मूंड ।
- तीतर कै मूंडै कुसळ है ।
- तीतर छोड बणी में दीया, भटजी हो गया नीराला।
- तीतर पंखी बादली, विधवा काली रेख। या बरसै या वध करै, इसमेँ मीन न मेख॥ हिंदी– तीतर जैसी आकृति के छोटे–छोटे बादल छाने पर निश्चित रूप से वर्षा होती है।
- तीतर पंखी बादळी, विधवा काजळ रेख । बा बरसे बा घर करै, ई में मीन न मेख ।।
- तीन तेरा घर बिखरै।
- तीन बुलाया तेरा आया, भई राम की बाणी । राघो चेतन यूँ कहै, द्यो दाळ में पाणी ।।
- तीन सुहाळी, तेरा थाळी । बांटण वाळी सतर जणी ।।
- तीसरे सूखो आठवैं अकाळ - राजस्थान के लिए प्रयोग किया गया है ।
- तुरकणी कात्योड़े में ही फिदकड़ो।
- तुरकणी कै रांध्योड़ा में कसर?
- तुरकणी कै रान्ध्योड़ा में के कसर ।
- तू आवे ढिग एक बार तो मैं आऊं ढिक अट्ठ। तू म्हां सै करड़ो रहै तो म्हे बी करड़ा लट्ठ।
- तू काणूं मैं खोड़ो, राम मिलायो जोड़ो।
- तू चालै तो चाल निगोड्या, मैं तो गंगा न्हाऊंगी।
- तू रोवे है छाक नै, मैं बूझण आई कै उधारो की कै ऊँ ल्याऊं।
- तूं आंटीली मैं अणखीली क्यूंकर होय खटाव?
- तूं ई गांव को चोधरी, तूं ई नम्बरदार।
- तूं क्यूं लाडो उणमणी तेरै सेलीवालो साथ।
- तूं खत्राणी मैं पाडियो, तूं बेस्या मैं भांड। तेरे जिमाये मेरे जीमणै में पत्थर पड़ियो रै रांड।
- तूं डाल-डाल मैं पात-पात।
- तूं बी राणी मैं बी राणी, कूण भरै पैंडे को पाणी?
- तूं है देसी रूंखड़ो, परदेसी लोग, म्हांने अकबर तेड़िया तूं किम आयो फोग। अर्थ - दूर देस में अपनी भूमि के पौधे फोग को देखकर अपनापन जताना महज देस से दूरी का वियोग नहीं है अपितु अपनी हर उपज का सम्मान यहां के लोग बड़े सलीके से करते हैं।
- तेरा मेरा दो गैला।
- तेरी आंख में ताकू द्यूं हूं, कायर मना हुए।
- तेरी मेरी बोली में ई को सलै ना।
- तेरै ल्होड़िये नै न्यूतो है, कह, मेरै तो सगला ढाई सेर्या है।
- तेल तो तिलां सै ही निकलसी | हिंदी– तेल तिलोँ से ही निकलता है।
- तेल बलै बाती बलै, नांव दिवा को होय।
- तेल बाकला भैंरू पूजा।
- तेली की जोरू ल्हूखो क्यूं खाय?
- तेली सूं खल ऊतरी, हुई बलीतै जोग।
- थारा बायेङा कदै ऊग्या हा के ।
- थारी म्हारी बोली में, इतरो ही फरक्ख। तू तो कहै फरेस्ता र मैँ कहूं जरक्ख।
- थावर की थावर ही किसा गांव बलै है।
- थावर कीजे थरपना बुध कीजै व्योहार | हिंदी– शनिवार को स्थापना तथा व्यवहार बुधवार को शुरु किया जाना अच्छा होता है।
- थोथो चणो बाजै घणो | हिंदी– अवगुणी अधिक बढ़–चढ़कर बातेँ करते हैँ।
- थोथो शंख पराई फूँक सै बाजै | हिंदी– जिस व्यक्ति मेँ स्वयं मेँ कोई गुण नहीँ होता वह दूसरोँ की सलाह से ही कार्य करता है।
- दगाबाज दूणू नवै, चीतो चोर कबाण।
- दगो कैंको सगो नहीं।
- दग्गड दग्गड खाऊंगी, बोलैगो तो मारूंगी मर ज्याऊंगी।
- दबी मूसी कान कटावै।
- दमड़ां को लोभी बातां सै कोनी रीझै।
- दमड़ी का छाणा धुआंधार मचाई।
- दलाल कै दिवालो नहीँ, महजित कै तालो नहीँ | हिंदी– दलाल को घाटा नहीँ है, मस्जिद मेँ कोई समान न होने पर ताला लगाने की आवश्यकता नहीँ।
- दलाल कै दिवालो नहीं, महजीत कै तालो नहीं।
- दस दिन को दसरावो अर बीसैं दिन दिवाळी ।
- दसां डावडो, बीसां बावलो, तीसां तीखो, चालीसां चोखो। पचासां पाको, साठां थाको, सतरां सूलो, अस्सी लूलो। नब्बे नांगो सोवां तो भागी ई भागो।
- दांत दरांतो दायमो, दारी और दरबान। ये पांचू दद्दा बुरा, पत राखै भगवान।
- दांत भलांई टूच ज्यावो, लो कोनी चबै।
- दांतला कसम को रोवता को बेरो पड़ै न हांसता को।
- दाई सै पेट छानो कोनी।
- दाणै दाणै म्होर-छाप है।
- दाता दे, भंडारी को पेट बलै।
- दाता सैं सूम भलो, जो झट दे उत्तर देय।
- दादू दुवारा में कांगसियां को के काम?
- दादो असो सावो काढ्यो के जान दिन कै दिन आई रही।
- दादो घी खायो, म्हारी हथेली सूंघल्यो।
- दान की बाछी का दांत कुण देख्या?
- दाल भात लम्बा जीकारा, ऐ बाई! परताप तुम्हारा।
- दास सदा उदास।
- दिग्मरां के गाँव में धोबी को के काम ।
- दिन आयां रावण मरै।
- दिन करै सौ बैरी कोन्या करै।
- दिन खोटो हुवै जणा ऊंट पर चढेङा न गनडकङो खा ज्याय ।
- दिन चिलकारो दे फटकारो ।
- दिन जातां बार कोनी लागै।
- दिन दीखै न फूड़ पीसै।
- दिनगे को भूल्योड़ो संज्या घरा आज्याय तो भूल्योड़ो कोनी बाजै।
- दियेङो भूल ज्याणूं लियेङो नहीं भूलणूं ।
- दियो लियो आडो आवै ।
- दिलां का दिल साईदार है।
- दिल्ली नै कदै मंगल गातां देख्या ना।
- दिल्ली की कमाई, दिल्ली में लुटाई।
- दिल्ली में रह कर भी भाड़ झोंकी।
- दीपक कै भांवै नहीं, जल जल मरै पतंग।
- दीवा बीती पंचमी, जो शनि मूल पड़न्त। बिवणा तिवणा चौगणा, महंगा नाज करन्त।
- दीवा बीती पंचमी, मूल नछतर होय। खप्पर ले हाथां फिरै, भीख न घालै कोय।
- दीवा बीती पंचमी, सोम शुकर गुरु मूल। डंक कहे हे भड्ड़ली, निपजे सातूं तूल।
- दीवाली का दीवा दीठा, काचर बोर मतीरा मीठा।
- दुखां को भांडो, नांव सदासुखराय।
- दुनिया की जीभ कुण पकड़ै?
- दुनिया दुरंगी है।
- दुनिया देखै जैसी कह दे।
- दुनिया नै कुण जीतै?
- दुनिया पराये सुख दुबली है।
- दुनिया में दो गरीब है, कै बेटी, कै बैल।
- दुनिया है अर मतलब है।
- दुश्मन की किरपा बुरी, भली सैन की त्रास। आर्डग कर गरमी करे, जद बरसण की आस।
- दूजवर की गोरड़ी, हाथां परली मोरड़ी।
- दूद दयां का पावणां, छाछ नै अणखावणा।
- दूध को दूध पाणी को पाणी।
- दूध चुंघावै मायड़ी, नांव धाय को होय।
- दूध पीती बिलाई गंडकड़ां मैं जा पड़ी।
- दूध पीती बिलाई गंडका कै मायं पड़गी ।
- दूध बी राख, दुहारी भी राख।
- दूध बेचो भांवै पूत बेचो।
- दूध भी धोलो, छाय भी धोली।
- दूध'आली की लात बी सहणी पड़ै।
- दूबड़ी तो चरवाटै ही हो छै।
- दूबली खेती घणै नै मारै।
- दूबली पर दो साढ़।
- दूबलै पर दो लदै।
- दूबलो जेठ देवरां बराबर।
- दूबलो धीणूं दूसरा की छाय सै खोवै।
- दूर का ढोल सुहावणा लागै।
- दूर जंवाई फूल बरोबर, गांव जंवाई आदो। घर जांवई गधै बरोबर, चाये जितणो लादो।
- दूसरां कै घरां च्यार खाटां पर कमर खुलै।
- दूसरां को माल तूंतड़ा की धड़ मैँ जाय | हिंदी– दूसरोँ का धन लापरवाही से खर्च करना।
- दूसरां पर बुरी चीतै जणा आप पर ई पड़ै।
- दूसरे की थाळी मँ घी ज्यादा दीखॅ।
- दूसरे की थाळी में सदा हि ज्यादा लाडू दीखैं ।
- दूसरै की थाली में घणू दीखै।
- दूसरों को माल तूंतड़ा की धड़ में जाय।
- दे रै पांड्या असीस, मैं के देऊं, मेरी आत्मा ही देसी।
- देख खुरड़ कहे ढेढ की, कथा टूटे नेह। लेई चढ़ै न चामड़ै, मुकता बरसै मेह॥ हिंदी– जूता बनाते समय चमड़े पर लेई का चढ़ना वर्षा आने का सूचक होता है।
- देख पराई चूपड़ी मत ललचावै जी। ल्हूखी-सुखी खाय कर ठंडो पाणी पी।
- देख पराई चोपड़ी, पड़ मर बेईमान। दो घड़ी की सरमा सरमी, आठ पहर आराम।
- देखते नैणां चालते गोडां | हिंदी– देखने व चलने की शक्ति रहते हुए ही मृत्यु हो जाये तो अच्छा।
- देखते नैणां, चालते गोड़ां।
- देख्या ख्याल खुदाय का, किसा रचाया रंग। खानजादा खेती करै तेली चढै तरंग।
- देख्या देस बंगाला, दांत लाल मूं काला।
- देख्यां-देखी साधै जोग, छीजै काया, बधै रोग।
- देख्यो नांही जैपरियो, कल में आकर के करियो।
- देणूं अर मरणूं बराबर है।
- देबा नै लेबा नै रामजी को नांव है।
- देव जिसाई पुजारा।
- देव देख्या अर जात पुरी हुई।
- देवां सै दाना बड्डा होय है।
- देस जिसाई भेस।
- देसी कुतिया, बिलायती बोली।
- देसी चोरी, परदेशी भीख।
- दो तो चून का भी बुरा।
- दो दाणा की खातर घोड़ी बेची जायगी के?
- दो बुरां बुराई हुवै।
- दो सावण, दो भादवा, दो कातिक, दो मा। ढांडी-ढोरी बेच करं, नाज बिसावण जा।
- दोनूं हाथ मिलायां ही धुपै।
- दोन्यू हाथ मिलायां ई धुपै | हिंदी– दोनोँ पक्षोँ के मिलने पर ही बात बनती है।
- दोय दोय गयंद न बंधसी, एकै कंबू ठाण।
- दोय मूसा दोय कातरा, दोय टीडी दोय ताव। दोय री बादी जल हरै, दोय बीसर दो बाव।
- दोय लड़ै, जठे एक पड़ै।
- दोयती तो कुंआरी डोलै, नानी का नो-नो फेरा।
- दौलत सूं दोलत बधै।
- धणी बिना गीत सूना तो सिरदार बिना फौज निकांमी।
- धणी रो धन नीं देखणों, धणी रो मन देखणों ।
- धन को तेरा, मकर पचीस, जाड़े दिन, दो कम चालीस।
- धन खेती, धिक चाकरी।
- धन दायजा बहगा, छाती फूटा रहगा।
- धन धणिया को गुवाल कै हाथ में लकड़ी।
- धनवन्ता कै कांटो लाग्यो, स्हाय करी सब कोय। निरधन पड्यो पहाड़ सूं, बात न पूछी कोय।
- धनवान को के कंजूस अर गरीब को के दातार।
- धन्ना जाट का हरिसों हेत, बिना बीज के निपजँ खेत।
- धरतियां सोवणियूं संकड़ेल क्यूं भुगतै?
- धरती करिया बिछावणा, अम्बर करिया गलेफ। पोढो राजा भरतरी, चोकी देवै अलेख।
- धरती परै सरक ज्याए, छैला पांव धरैंगा ए।
- धरती माता थूं बड़ी, थां सूं बड़ो न कोय। उठ संवारै पग धरां, बाळ न बांका होय।।
- धरम की जड़ सदा हरी।
- धरम को धरम, करम को करम | हिंदी– स्वार्थ व परमार्थ दोनोँ का साथ–साथ पूरा होना।
- धान पुराणा धृत नया, त्यूं कुलवन्ती नार। चौथी पीठ तुंरग की, सुरक निसानी चार।
- धानी धन की भूख क साका की?
- धाया तेरी छा राबड़ी, तेरै गंडकड़ां सैं तो कढ़ाय।
- धायो जाट गाड़ी रो बाद काढ़ै।
- धायो धपनूं पेदी हाला पग करै।
- धायो मीर, भूखो फकीर, मरयां पाछै पीर | हिंदी– मुसलमान तृप्त हो तो अमीर, भूखा हो तो फकीर तथा मरने के बाद पीर कहलाता है।
- धायो मीर, भूखो फकीर, मर्यां पाछै पीर।
- धायो रांगड धन हरै, भूखो तजै पिराण।
- धीणूं भैंस को, हो भांवै सेर ही।
- धीणोड़ी सागै हीणोड़ी मर ज्याय | हिंदी– दुधारी गाय के होने पर बिना दूध वाली गाय को कोई नहीँ पूछता।
- धीरे धीरे ठाकरां, धीरे सब कुछ होय। माली सीँचै सो घड़ा, रुत आयां फल होय।
- धूल खायां किसो पेट भरै?
- धूल धाणी, राख छाणी।
- धेला की न्यूतार, थांम कै बांथ घालै।
- धेलै की हांडी फूटी, गंडक की जात पिछाणी।
- धोती में सब उघाड़ा है।
- धोबण सै के तेलण घाट, ऊंकै मोगरी, ऊंकै लाठ।
- धोबी की हांते गधो खाय।
- धोबी की हांते, गधो खाय | हिंदी– नीच का धन नीच खाता है।
- धोबी कै घर में बड़गा चोर, डूब्या और ई और।
- धोबी कै बसो चाहै कुम्हार कै, गधो तो लदसी।
- धोबी को गधो घर को न घाट को।
- धोबी को गधो, स्वामी की गाय। राजा को नोकर, तीनूं गत्तां से जाय।
- धोबी बेटा चान-सा, चोटी न पट्टा।
- धोलै पर दाग लागै।
- धोळां मैं धूळ - बुजुर्ग का अनादर ।
- न कोई की राई मैँ, न दुहाई मैँ | हिंदी– अपने काम से काम रखना।
- न नानेरै, घोड़ो दादेरै।
- न नो मण तेल होय, न राधा नाचै।
- न भेवै काकड़ो तो क्यूं टेरै हाली लाकड़ो?
- नंदी कनलौ जांट, कद होण बिनास | हिंदी– नदी किनारे लगा वृक्ष कभी भी नष्ट हो सकता है।
- नंदी परलो रुंखड़ो-जद, कद होण विलास।
- नई नो दिन, पुराणी सो दिन।
- नकटा देव, सूरड़ा पुजारा | हिंदी– जैसे देवता वैसे पुजारी।
- नकटा, नांक कटी, कह, मेरी तो सवा गज बधी!
- नकटी देवी, ऊत पुजारी | हिंदी– जैसा राजा वैसी जनता।
- नकटी-बूची को जागी खसम।
- नखरो नायण को, बतलावणों ब्यावण को।
- नगद नाणा, बीन परणै काणा।
- नगारा मैँ तूती की आवाज कुण/कोन्या सुणै | हिंदी– बड़े लोगोँ मेँ छोटोँ की उपेक्षा।
- नट-विद्या आ ज्याय पण जट-विद्या कोनी आवै।
- नणद को नणदोई गलै लगाकर रोई, पाछै फिर कर देख्यो तो सगो न सोई।
- नथ खोई नणद नैं दीनी।
- नदी किनारै बैठ की क्यूं न हाथ पखालै?
- नयी जोगण काठ की मुद्रा।
- नयो बलद खूंटो तोड़ै।
- नर नानेरै, घोड़ो दादेरै | हिंदी– स्वभाव तथा बनावट मेँ पुरुष ननिहाल पर जाता है जबकि घोड़ा पितृकुल पर।
- नर में नाई आगलो, पंखेरू में काग, पाणी मांगो काछबो, तीनूं दग्गाबाज।
- नरुका नै नरूको मारै, के मारै करतार।
- नवै चन्द्रमा नै सै राम-राम करै।
- नष्ट देव की भ्रष्ट पूजा।
- नसीब की खोटी, प्याज और रोटी।
- ना कोई सैं दोसती, ना कोई सै बैर।
- ना घर तेरा, ना घर मेरा, एक दिन होगा जंगल डेरा।
- नांव गंगाधर, न्हावै कोनी उमर में।
- नांव तो बंशीधर, आवै कोनी अलगोजो बजाणूं ही।
- नांव धापली, फिरै टुकड़ा मांगती।
- नांव मोटा, घर में टोटा।
- नांव राखै गीतड़ा कै भीँतड़ा | हिंदी– काव्य निर्माण से या घर निर्माण से व्यक्ति का यश चिरस्थाई रहता है।
- नांव लिछमीधर, कन्नै कोनी छिदाम ही।
- नांव लियां हिरण खोड़ा होय।
- नांव लेवा न पाणी देवा।
- नांव विद्याधर, आवै कोनी कक्को ही।
- नांव सीतलदास, दुर्वासा-सो झाली।
- नांवच हजारीलाल, घाटो ग्यारा सै को।
- नाई की परख नूंवां में है।
- नाई दाई बैद कसाई, इण को सूतक कदे न जाई।
- नाई नाई, बाल कताक? कह, जजमान! मूंडै आगे आ ज्याय है।
- नाई बामण कुत्तो, जाते देख हू हूकरतो।
- नाई हालो ठोलो, बाणिया हालो टक्को।
- नागा को लाय में के दाजै?
- नागा बूचो, सै सैं ऊंचो।
- नागां का रामजी परो कर गैला होबो करै है।
- नागाई को लाल तुर्रो।
- नागी के धोवै अर के निचोवै?
- नाचण ई लागी जब घूंघट क्यां को?
- नाचूं क्यां? आंगणूं बांको।
- नाजरली, जेल बधो। कै बस म्हां ताणी ही है।
- नाजुरतिये की लुगाई, जगत की भोजाई | हिंदी– कमजोर व्यक्ति की वस्तु पर सबका अधिकार।
- नाजुरतिये की लुगाई, जगत की भोजाई।
- नाजो नाज बिना रह न्याय, काजल टीकी बिना कोनी रवै।
- नाड़ां टांकण बलद बिकावण, तू मत चालै आधै सावण।
- नादान की दोस्ती जीव का जंजाल।
- नादीदी का नो फेरा।
- नादीदी कै लोटो हुयो, रात्यूं उठ-उठ पाणी पियो।
- नादीदी कै हुई कटोरी, पाणी पी-पी पदोरी।
- नादीदी को खसम आयो, दिन में दीओ जोयो।
- नाना मिनख नजीक, उमरावां आदर नहीं। बीं ठाकर नै ठीक, रण में पड़सी राजिया।
- नानी कसम करै, दोयती नै डंड | हिंदी– नानी के दूसरा पति कर लेने पर उसकी दोहिती तक को सामाजिक दंड मिलता है।
- नानी फंड करै, दोहितो दंड भरै ।
- नानी रांड कुंवारी मरगी, दोयती का नो-नो फेरा।
- नापै सो गज, फाड़ै कोन्या एक गज।
- नामी चोर मार्यो जाय, नामी साह कमा खाय।
- नायां की जनेत में सब क ई ठाकर।
- * नारनोल की आग पटीकड़ै दाजै | हिंदी– बुरे कर्म कोई करता है, फल किसी को मिलता है।
- नारां का मूंडा कुण धोया है?
- नारी को एक बी चोखो, सूरी का बारा बी के काम का?
- नारी नर की खान।
- नाहर ने रजपूत ने रेकारे री गाल।
- निकमो नाई पाटड़ा मूंडै।
- निकली होठां, चढ़ी होठां | हिंदी– होठोँ से बाहर आते ही बात का फैलना।
- निकासी कै बखत घोड़ो चाये, कै फिरतो सो आजे।
- नीचो कर्यो कांधो, देखण हालो आंधो।
- नीत गैल बरकत है | हिंदी– जैसी नियत होती है वैसा ही प्राप्त होता है।
- नीम तलै सोगन खा ज्याय, पीपल तलै नट ज्याय।
- नीम न मीठ होय, सींचो गुड़ धीव सै, जिणका पड्या सुभाव क जासी जीव सै।
- नेकी-बदी साथ चालै।
- नेपॅ की रुख खेड़ा'ई बतादें ।
- नेम निभाणा, धर्म ठिकाणा | हिंदी– नियम–धर्म संयमी के पास ही रहते हैँ।
- नेम में निमेख घटै, सीख में मुजरो घटै।
- नो नेसां, दस केसां।
- नो पूरबिया, तेरा चोका।
- नो पेठा तेरा लगवाल, घोड़तै नै लेगो कोतवाल।
- नो सौ मूसा मार कर बिल्ली गंगाजी चली।
- नोकर खाय ठोकर।
- नोकर मालिक का हां क बैंगण का?
- नोकरी की जड़ धरती सैं सवा हाथ ऊंची।
- नोकरी ना करी।
- नोकरी है क भाई-बन्दी?
- न्यारा घरां का न्यारा बारणां | हिंदी– सब घरोँ की अलग–अलग रीति।
- न्हाये न्हाये ई पुण्य।
प-म
- काणै कुत्ते लीन्या सूण, करा तो ली पण ढकसी कूण।
- पंच परमेसर होय है।
- पंचां की बात सिर माथै, पर म्हारलो नालो अठी कर ई भवैगो।
- पग कादै में अर जाजम पर बैठबा दे।
- पगां पांगली, नांव फुदकी।
- पगां में लीतरा, कांधै पर डुपट्टो।
- पगां सैं गांठ दियोड़ी हाथां सै कोनी खुलै।
- पड़ पड़ कै ई सवार होय है।
- पड़–पड़ कई सवार होय है | हिंदी– मनुष्य गलतियोँ से सीखता है।
- पड़ै ऊंट पर सै रूसै भाड़ैती सै।
- पढ्यो तो है पण गुण्यो कोनी।
- पढ्योडो पूछै है क दायमूं?
- पतली छाय खाटा सैं क्यूं खोवै?
- पत्थर का बाट - जत्ता भी तोलो, घाट-ही-घाट ।
- पपैया पीऊ–पीऊ करेँ, मोरा घणी अजग्म। छत्र करै मोरिया सिरे, नदिया बहे अथग्म॥ हिंदी– मोर के नाचने पर तथा पपीहे के पीहू–पीहू करने पर भारी वर्षा सम्भावित रहती है।
- पपैया पीऊ–पीऊ करेँ, मोरा घणी अजग्म। छत्र करै मोरिया सिरे, नदिया बहे अथग्म॥ हिंदी– मोर के नाचने पर तथा पपीहे के पीहू–पीहू करने पर भारी वर्षा सम्भावित रहती है।
- पर घर लागी पून ज्यूं आवै, घर लागी कित जाय?
- पर नारी पैनी छुरी, तीन ओड सै खाय। धन छीजे, जोबन हडै, पत पंचा मैँ जाय॥ हिंदी– पर स्त्री ऐसी तेज छुरी के समान होती है जो तीन प्रकार की हानि करती है— इससे धन क्षीण होता है, यौवन का नाश हो जाता है तथा लोक मेँ बदनामी होती है।
- पर नारी पैनी छुरी, तीन ओड सै खाय। धन छीजै, जोबन हरै, पत पंचा में जाय।
- परभाते गेह डंबरा, दोफारां तापन्त। रातूं तारां निमला, चेलाकरो गछंत।
- परभाते गेह डंबरा, सांजे सीला बाव। डंक कहै हे भड्डली, काला तणा सुभाव।
- परमात्मा घणदेबो है।
- परमारथ के काम में क्यां को पूछणुं?
- परया पूत कमाई थोड़ाई घालै।
- पराई खाई खीचड़ी में घी घणीं दीखै।
- पराई खीचड़ी गहणै मेल्यो जीव।
- पराई पीर परदेस बराबर।
- परायी आस जाय निरास, आपकी आस भोग-विलास।
- पवन गिरि छूटे पुरवाई। धर गिर छोबा, इन्द्र धपाई॥ हिंदी– पूरब से हवा चलने पर वर्षा धरती व पर्वत तक को तृप्त करेगी।
- पवन गिरी छूटै परवाई, ऊठे घटा छटा चढ़ आई। सारो नाज करे सरसाई, घर गिल छोलां इन्द्र धपाई।
- पहलां चाबां घूघरी, पाछै गावां गीत।
- पहलां बाबजी फूटरा घणा, फेर टाट मुंडाली।
- पहलां लिख कर पाछै देय, भूल पड्यां कागद सैं लेय।
- पहली कहदे जिको घणखाऊ कोनी बाजै।
- पहली पड़वा गाजै तो दिन भैतर की बाजै।
- पहली पेट पूजा, फेर काम दूजा।
- पहली रहतो यूँ तो तमियो जातो क्यूं।
- पहली रोहण जल हरे, बीजी बहोतर खाय, तीजी रोहण तिण हरै, चौथी समन्दर जाय।
- पहलो सुख नीरोगी काया, दूजो सुख हो घर में माया, तीजो सुख पुत्र अधिकारी, चोथो सुख पतिव्रता नारी, पांचवों सुख राजा में पासा, छठो सुख सुस्थाने बासा, सातवों सुख विद्याफलदाता, ए सातूं सुख रच्या विधाता।
- पाँच बाई पांच ठोड, मोको आयां एक ठोड।
- पांगली अर परबत लांघै।
- पांगली डाकण घरकां नै ही खाय।
- पांच आंगलियां पूंज्यो भारी।
- पांच पंच छट्ठो पटवारी, खुल्ला केस चुरावै नारी। घिरतो फिरतो दातण करै, जैंका पाप सैं कीड़ा मरै।
- पांच पंच मिल कीजै काज, हारे जीत आवे न लाज।
- पांच सात की लाकड़ी एक जणै को मार।
- पांचू आंगली एक सी कोनी होय।
- पांत में दुभांत क्यां की?
- पांव उभाणै जायसी, कोडी धज कंगाल।
- पांवरी कुत्ती, पकवानी रुखाली।
- पांवरी कुत्ती, पूंछ में कांगसियो।
- पांवरी सांड बनाती कूंची।
- पांवरी सांड, नारनोल को भाड़ो।
- पांवरी सांड, पकवानी की भूखी।
- पांवरी सांड, लुहागरजी को भाड़ो।
- पाखी हालो पहली करकै।
- पाडै को अर पराई जाई को राम बेली।
- पाणी तो निवाण में जाय।
- पाणी पीकर के जात पूछणी?
- पाणी पीवै छाण, सगपण कीजै जाण।
- पान पड़ंतो यू कहै, सून तरुवर बनराय। इबका बिछड्या कद मिलां, दूर पड़ांगा जाय।
- पानी पाला पादसा, उत्तर सूं आवै।
- पाप को घड़ो भर कै फूटै | हिंदी– अत्यधिक पाप बढ़ जाने पर पापी का विनाश हो ही जाता है।
- पापी की पाण आये बिना कोनी रैवै।
- पापी कै मन में पाप बसै।
- पापी को धन परलै जाय।
- पापी नाव डुबोवै।
- पाव चून, चोबारै रसोई।
- पाव बीगा धरती, जी में अड़ावो न्यारो।
- पावणां रे खीर रांधू जनाड़े आजे ।
- पावणां सूं पीढ़ी कोनी चालै, जवायाँ सूं खेती कोनी चालै ।
- पिरवा पर पिछवा फिरै, घर बैठी पणिहार भरै।
- पिव बिन किसा तिंहवार।
- पिसारी कै तो चावण कोई लावो।
- पीपल तलै हां भर कर कीकर तलै नट ज्याय।
- पीरकां की आस करै जकी भाईड़ां नै रोवै | हिंदी– जिससे या जिस स्थान से कुछ न मिले वहाँ से कोई भी आशा रखना व्यर्थ है।
- पीरा ल्यावैं दांतली, घरां कुहाड़ी जाय।
- पीसां की खीर है।
- पीसै कनै पीसो आवै।
- पीसै हाली को बेटो झूंझणिए सै खेलै।
- पीसैगी सो तो पिसाई लेगी।
- पीसो गाँठ को, हथियार हाथ को | हिंदी– गाँठ यानि पास रखा धन तथा हाथ मेँ उठाया हथियार ही काम मेँ आता है।
- पीसो पास को, हथियार हाथ को।
- पीसो बोझां कै कोनी लागै।
- पीसो माई, पीसो बाप, पीसो बिना बड़ो सन्ताप।
- पीसो हाथ को मैल है।
- पीसो हाथ को, भाई साथ को ही काम आवै ।
- पुजारी की पागड़ी, ऊंटवाल की जोय। बेजारा की मोचड़ी, पड़ी पुराणी होय।
- पुराणी बहल अर चिमकणा नारा।
- पुल का बाया मोती निपजै | हिंदी– अवसर पर किया गया कार्य ही फल देता है।
- पूछता नर पंडित।
- पूत का पग पालणै ही दिख्यावै | हिंदी– बालक का भविष्य बचपन मेँ ही दिखाई देने लगता है।
- पेट की आग बुझती सी बुझै।
- पेट कै आगै ना है।
- पेट कै दर्द को माथा नै के बेरो?
- पेट टूटै तो गोडां नै भारी।
- पेट पिरोत मुंह जजमान।
- पेड़ की जड धरती और लूगाई की जड़ रसोई ।
- पैरण नै घाघरो ई कोन्यां, नांव सिणगारी।
- पैली पडवा गाजै, दिन बहत्तर बाजै | हिंदी– आषाढ़ की प्रतिपदा को बादल गरजने पर हवा तो चलेगी पर बरसात नहीँ होगी।
- पोता भू की राबड़ी, दोयता भू की खीर। मीठी लागे राबड़ी खाटी लागै खीर।
- पोथा सैं थोथा हुआ, पिंडत हुया न कोय। ढाई, अक्खर प्रेम का, पढ़ै सो पिंडत होय।
- पोही मावस मूल बिन, रोहिण (बिन) आखातीज। श्रवण बिन सलूणियुं क्यूं बावै है बीज?
- फन पड़े तो यूं कहे, सुण तरुवर बनराय। इबका बिछड्या कब मिलां, दूर पडांगा जाय॥ हिंदी– पत्ता पेड़ से कहता है कि तरुवर अब मैँ टूट गया हूँ पता नहीँ फिर कब मिलूँगा।
- फलको जेट को, बालक पेट को।
- फागण मर्द और ब्याह लुगाई।
- फागण में सी चोगणो, जै चालैगी बाल।
- फाटी घाघरी, रेसम को नाड़ो।
- फाटै नै सीमै ना, रूसै नै मनावै ना, ते काम कय्यां चालै?
- फाट्या कपड़ा मत देखो, घर दिल्ली है।
- फाड़णियाँ नै सीमणियाँ कोनी नावड़ै | हिंदी– अत्यधिक व्यय करने पर कितनी भी कमाई हो, वह कम ही रहती है।
- फिरै सो चरै, बंध्यो भूखां मरे।
- फूंकण जुगती जीब कोन्या निचली रहै।
- फूटे लाडू में सै को सीर।
- फूटेड़ो ढोल अर कूटेड़ो ढोली चीं नीं करै ।
- फूट्या बाग फकीर का, भरी चीलम ढुल ज्याय।
- फूट्यो घड़ो आवाज सै पिछाण्यू जांय।
- फूड़ (रांड) की फेरां तांई उच्छल।
- फूड़ कै घर हुई कुंवाड़ी, कुत्ता मिल चाल्या रेवाड़ी।
- फूड़ को मैल फागण में उतरै।
- फूड़ चालै, नो घर हालै।
- फूलां फूलगी, गैल का दिन भूलगी।
- फूहड़ रो मैल फागण में उतरै।
- फेरां के बखत दादी, बान बनौरे खाबा नै पोती।
- फेरां कै बखत कन्या तिसाई।
- फोग आलो ई बळै, सासू सूदी ई लड़ै।
- फोगलै रो रायतो, काचरी रो साग। बाजरी री रोटड़ी, जाग्या म्हारा भाग
- फोगलो फूट्यो, मिणमिणी ब्याई। भैंस री धिरियाणी, छाछ नै आई।
- फोज कै अगाड़ी, घोड़ै कै पिछाड़ी।
- फोज को आगे अर ब्याह को पाछो घणूं करड़ो हयो है।
- बंधी भारी लाख की, खुल्ली बीखर जाय।
- बंधी मूठी लाख को, खुल्ली मूठी राख की।
- बकरी छोड्यो ढाक, ऊंट छोड्यो आक।
- बकरी दूध तो दे पण मींगणी करकै।
- बकरी रोवै जीवन नै, कसाई रोवै मांस नै।
- बकरै की मां कद तांई खैर (कुसल) मनावै?
- बखत चल्यो जाय पण बात रै ज्याय।
- बखत नहीं बिणजै जको बाणियूं गंवार।
- बगल में सोटो, नाम गरीबदास।
- बजनस पवन सुरिया बाजै। घड़ी पलक मांही मेह गाजै॥ हिंदी– उत्तर–पश्चिम से हवा चलने पर शीघ्र वर्षा होगी।
- बटोड़ै में सैं तो ऊपला ई नीकलै।
- बड़ सींचूं बड़ोली सींचूं, सींचूं बड़ की डाळी, राम झरोखै बैठ कर सींचै सींचण वाळी
- बडका जीता तो फोज भेली हो ज्याती।
- बड़ा घरां का बड़ा ई बारणां।
- बडां की बड़ी ई बात।
- बड़ा–बड़ा गाँव जाऊँ, बड़ा–बड़ा लाडू खाऊँ | हिंदी– स्वप्न मेँ ही धनी बनने की सोचना अथवा हवाई किले बनाना।
- बडी बडी बात, बगल में हाथ।
- बड़ी रातां का बड़ा ही तड़का ।
- बड़े गांव जांऊ, बड़ा लाडू खाऊं।
- बड़ै रूंखां बड़ा डाला।
- बड़ै लोगां कै कान होय है, आँख नहीँ | हिंदी– बड़े लोग सुनी–सुनाई बात पर ही विश्वास कर लेते हैँ, स्वयं जाँच–परख नहीँ कराते।
- बड़ो बड़कलो, बाणियूं, कांसी और कसार। ताता ही नै तोड़िये, ठंडो करै बिकार।
- बड्डी भू का बड्डा भाग, छोटो बनड़ो घणो सुहाग।
- बणिया लिखैं, पढ़ै करतार।
- बणी बजावै बाणियूं।
- बदी असाढ़ी अष्टमी, नहीं बादल, नहिं बीज, हल फाडो इंधन करो, ऊभा चाबो बीज।
- बदी कोर सिर नीचो।
- बदी राम बैर।
- बरसै भरणी, छोड़े परणी।
- बल बिना बुध बापड़ी।
- बलद ब्यावै तो कोनी बूडा तो होय।
- बलदां खेती घोड़ां राज, मरदां सुधरै पराया काज।
- बहुआं हाथ चोर मरावै, चोर बहू का भाई ।
- बांका रहज्यो बालमा, बांकां आदर होय। बांकी बन में लाकड़ी, काट न सक्कै कोय।
- बांझ ब्यावै तो कोनी बूडी तो होय।
- बांझड़ी के जाणै जापै की पीड़?
- बांट कर खाणा अर सुरग में जाणा।
- बांदी कैंका घोड़ा बकस दे?
- बांदी दूसरां का पग धोदे पण आपका को धोया जायं ना।
- बांध्यो तो बलद ई को रैवै ना।
- बांस चढ़ी नटणी कहै, हुयां न नटियो कोय, मैं नट कै नटणी हुई, नटै सो नटणी होय।
- बाई का फूल बाई कै | हिंदी- जितनी कमाई उतना खर्च ।
- बाई का फूल बाई ही लागगा।
- बाई सोवणी तो घणी ई है पण आंख में फूलो।
- बाईजी पेट में सै तो नीकल्या पण हांडी में सै कोनी नीकूल्या।
- बाऊं घू घू घूमका करै (तो) लंका को राज बिभीषण करै।
- बाऊं तीतर, बाऊं स्याल, बाऊं खर बोलै असराल।
- बागल कै बागल पावणी, एक डाली कैं तूं भी लूमज्या।
- बाङ खेत नै खाय - अपनों द्वारा अपने का नुकसान ।
- बाछड़ो खूंटै कै पाण कूदै।
- बाजरो सलियां, मोठ फलियां।
- बाजै अबला, पण छै प्रबला।
- बाजै टाबर, खाय बराबर।
- बाजै पर तान आवै।
- बाड़ कै सहारै दूब बधै | हिंदी– कमजोर व्यक्ति भी आश्रय पाकर बढ़ता है।
- बाड़ खेत नै खाय।
- बाड़ में मूत्यां कसौ बैर नीकलै? बाड़ में हाथ घालण सैं तो कांटो ही लागै।
- बाड़ में मूत्यां कसौ बैर नीकळै ।
- बाड़ में हाथ घालण सैं तो काँटा ही लाग ।
- बाणिया की नांट बुरी, कातिक की छांट बुरी।
- बाणियूं के तो आंट में दे, के खाट में दे।
- बाणिये को बेटी नै मांस कै सुवाद को के बेरो?
- बाणियो खाट में तो बामण ठाठ में।
- बाणियो मेवा को रूंख है।
- बाण्यो लिखै, पढ़ै करतार।
- बात को चालणूं अर संजोग को पीवाणूं।
- बात में हुंकारो, फौज में नंगारो ।
- बात में हुंकारो, फौज में नंगारो।
- बातां रीझै बाणियूं, गीतां सै रजपूत । बामण रीझै लाडुवां, बाकळ रीझै भूत ।
- बाद तो रावण का ई कोनी चाल्या।
- बादल कर गर्मी करै, जद बरसण की आस।
- बादल की छाया सै कै दिन काम सरै?
- बादल में दिन दीखै, फूड़ दलै न पीसै।
- बादल रहे रात को बासी, तो जाणो चोकस मेह आसी | हिंदी– पहले वाली रात के बादल सुबह तक छाये रहेँ तो वर्षा निश्चित रूप से होती है।
- बान बनौरे पोती खाय, फेरां में बखत दादी जाय।
- बाप कै धन सींत को, बेटी नै देसी रीत को।
- बाप को मार्यो मानै पुकारै, पण मा को मार्यो की नै पुकारै?
- बाप चराया, बाछड़ा, माय उगाई बींत। के जाणैगी बापड़ी, बड़ै घरां की रीत।
- बाप न मारी लूंगटी, बेटो गोलंदाज।
- बाप ना मारी मांखी, बेटो तीरंदाज ।
- बापमुई कहो चाहे मामुई।
- बाबजी सरूप तो था ई, ऊपर सैं राखी रमाली।
- बाबाजी की झोली में जेवड़ा की नीकल्या।
- बाबाजी को बाबाजी, तरकारी को तरकारी।
- बाबाजी धूणी तपो हो? कहो, भाया काय जाणै है।
- बाबाजी बछड़ा घेरो। कह, बछड़ा घेरता तो स्यामी क्यूं होता?
- बाबाजी भजन कोन्या करो। बच्चो रोवण में ई कोन्या धापां।
- बाबाजी में गुण होसी तो आदेस करणियां घणा।
- बाबाजी संख तो सुदियां बजायो, कह, देव को न देव कै बाप को, टका नो काट्या है।
- बाबाजी, थारा ही चरणा को परसाद है।
- बाबो आयो चाये, छाहे छान फाड़ कर ही आओ।
- बाबो आवै न ताली बाजै।
- बाबो गयो नो दिन, नो आया एक दिन।
- बाबो गयो बीज नै, सिट्टा पाक्यां आयो।
- बाबो मर्यो टीमली जाई, रह्या तीन का तीन।
- बाबो सगळां'नॅ लड़ॅ, बाबॅ'न कुण लड़ॅ ।
- बाबो सीवै ऐं घर में, टांग पसारै ऊं घर में।
- बाबो सै ने लड़ै, बाबा नै कुण लड़ै?
- बाबोजी का भायला, कै गूजर कै गोड़!
- बामण कह छूटै, बलद वह छूटै।
- बामण कुत्ता हाथी, कदे न जात का साथी।
- बामण कै हाथ में सोना को कचोलो है।
- बामण को जी लाडू में।
- बामण तो हथलेवो जुडावण को गर्जी है।
- बामण नाई कूकरो, जात देख घुर्राय; कायथ कागो कूकडो जात देख हरखाय।
- बामण नै दियां पीछै गाय पराई हो जावै, परबारे हाथां में गयां पीछै रकम पराई हो जावै, पर्णीज्यां पीछै बेटी पराई हो जावै ।
- बामण नै दी बूढ़ी गाय, पुत्र हुयोन दालद जाय।
- बामण नै दे बूड़ी गाय, धर्म नहीं तो दालद जाय।
- बामण नै साठ बरस तांई तो बुध आवै कोन्या, पछै जा मर।
- बामण बचन परमाण। गंगाजी को मींडकी गाय करके जाण।
- बामण सैं बामण मिल्यो, गैलला जलम का संस्कार। देण-लेण नै कुछ नहीं, नमस्कार ही नमस्कार।
- बामण हाथी चढ्यो बी मांगै।
- बामण हीर को, गुर को न पीर को।
- बामणियुं बतलायो, लैरां लाग्यो आयो।
- बायेड़ो उगै अर लिखेड़ो चूगै ।
- बारठजी की घोड़ी हाली हुई।
- बारलै गांव की छोरी, लाडु बिना दोरी।
- बारह बरस तांई बेड़ी में रह्यो, घड़ी तांई थोड़ी ही तुड़ासी।
- बारा बरस सै बाबो बोल्यो, बोल्यो पड़ै अकाल।
- बारा बरस सैं बांझ ब्याई, पूत ल्याई पांगलो।
- बाल खोस्यां मुरदा हलका कोनी होय।
- बाल सोनूं कान तोड़ै।
- बालक देखै हीयो, बूडो देखै कीयो। हिंदी– बालक प्रेमभाव को पहचानता है जबकि वृद्ध केवल काम की बात को देखता है।
- बालक राजा, सेइये, ढलती लीजे छांय।
- बावड़ै तो बावड़ै, नहिं दूर निकल ज्याय।
- बावला मरगा, ओलाद छोड़गा।
- बावलां का कसा गांव न्यारा होय है?
- बावली अर भूतां खदेड़ी।
- बावलो अर भांग पीली।
- बावाड़ेड़ो पाहुणों भूत बिरौबर ।
- बावूं भलो न दाहिणो, ल्याली जरख सुनार।
- बावै सो लूणै | हिंदी– जैसा कर्म वैसा फल।
- बासी बचै न कुत्ता खाय।
- बाही को लणही, करही जो भरही।
- बिंदगा सो मोती।
- बिंदराबन में रहसी सो राधे गोविन्द कहसी।
- बिगड़ी घिरत बिलोवणो, नारी होय उदास। असवारी मेँह की, रहे छास की छास॥ हिंदी– दही बिलौने पर घी बिखर–बिखर जाये तो समझो जोर की वर्षा होगी।
- बिगड़ी तो चेली बिगड़ी बाबोजी तो सिद्ध का सिद्ध।
- बिजनस पवन सूरिया बाजे, घड़ी पालक मांहे मेह गाजे।
- बिडदायां बल आवै।
- बिणज करैला बाणिया और करैला रीस।
- बिणजी लाग्यो, बाणियूँ, चूंटी लागी गाय।
- बित्त भर की छोकरी, गज बर की जीभ।
- बिना कंठ का गावै राग, न सग, न साग, न राग।
- बिना खम्भा आकास खड्यो है।
- बिना ताल तूमरो कोनी बाजै।
- बिना तेल दिवो कोनी चसै।
- बिना पढ्यो दायमो, पढ्यो-पढ़ायो गौड़।
- बिना पींदै को लोटो चाहे जिन्ने गुड़ जाय।
- बिना बलदां गाडी कोनी चाले।
- बिना बाप को छोरो, बिगड़ै, बिना माय की छोरी।
- बिना बुलाया पावणा, घी घालूं कॅ तेल ।
- बिना मन का पावणां, थानै घी घालूं क तेल? बिना लिखै पावै नहीं बड़ी बस्त को भोग? बिना लूण का रांधै साग, बिना पेच का बांधै पाग।
- बिना रोऍ तो मा'ई बोबो कोनी दे ।
- बिभीछण बिना भेद कुण बतावै? बिरछां चढ़ किरकांट बिराजे, स्याह सफेद लाल रंग साजे।
- बिरडिये को गारड़ कोनी।
- बिलाई को मन मलाई में।
- बिल्ली बजारिया तो घणां ई करै, पण गांव का कुत्त करण के जद ना।
- बींद मरौ बींदणी मरौ, बांमण रै टक्कौ त्यार। ठाकर ग्या ठग रिया, रिया मुळक रा चोर॥
- बीगड़्योड़ा तीवण कोनी सुधरै।
- बीघै-बीघै भूत अर-बिसवै-बिसवै सांप।
- बीजली को मार्योड़ो पलकां सैं डरै।
- बीत्या दिन नह बावड़ै, मुवा न जीवै कोय।
- बीन कॅ'ई लाळ पड़ँ जणा बराती के करँ ।
- बीन के मूंडै ही लाल पड़ै जद जनते के करै?
- बीन तो आयो ई कोनी अर फेरां की त्यारी।
- बीन तो बडो घणूं। कै और ना बडो होयो जाय है, अब तो जल्दी करो।
- बीन बजण सैं रह गई, टूट गया सब तार। बीना बिचारी के करै, गया बजावणहार।
- बीन बीनणी छोटा-मोटा घर में कोनी थाली-लोटा।
- बीन बीनणी सावदान, घर में कोनी पांव धान।
- बीन मरो चाये बीनणी, बामण को टक्को त्यार।
- बुढ़ापै की जावै मायतां नै घणी प्यारी लागै।
- बुध बावणी, शुक्कर लावणी।
- बुध बावण्यां भिसपत लावण्यां ।
- बुध बिन विद्या वापड़ी।
- बुरी बुरी बामण कै सिर।
- बुरो टेम आवे जनां ऊँट पर बैठ्या ने गंडक खा ज्याय॥
- बूची बाकरी खोड़ियो गुवाल।
- बूडा गिण्या न बालका, तड़को गण्योन सांझ। जण जण को मन राखतां, वेश्या रहगी बांझ।
- बूडां बरकत होय है।
- बूडो बडेरो मर ज्याय जद के सामर सूनी हो ज्याय।
- बूढली कै घर में नार का बड़्यो। (बूढली कै घर में चोर बड़गो)
- बूढली नै पापड़ बेलता बोला दिन होगा।
- बूढळी रै कह्यां खीर कुण रांधै?
- बूढै बाप नै अर बूढै बैल नै बाहलै जतो ही थोड़ो।
- बूढो हो चाहै ज्वान, हत्या तांई काम।
- बूरा का लाडू खाय सो बी पिस्तावै, न खाय सो बी पिस्तावै।
- बेईमान का घोड़ा मैदान में थकै।
- बेटा जाय दालद ल्याया, बेटा हुआ स्याणा, दालद हुआ बिराणा।
- बेटियां की मा राणी, भरै बुढ़ापै पाणी।
- बेटी अर बलद जूडो कोनी गेर्यो।
- बेटी जाम जमारो हार्यो।
- बेटी रहै आप सैं, नई तो रहै न सागी बाप सैं।
- बेटी रूसै सासरै जाणनै, बेटो रूसै न्यारो होण नै।
- बेड़ा लिखिया ना टलै, दीया अंट बुलाय।
- बेमाता का घाल्योड़ा आंक टलै कोन्या।
- बै चिड़कली और देख जो भरड़ दे उड़ ज्याय।
- बैई कसियां बैई साज, काल करी सो करल्यो आज।
- बैठणियां में बैठणियूँ, भागतडांके आगै।
- बैठणो छाया मैं हुओ भलां कैर ही, रहणो भायां मैं हुओ भलां बैर ही ।
- बैठतो बाणियो अर उठती मालण सस्तो बेचै।
- बैठी सूती डूमणी घर में घाल्यो घोड़ो।
- बैद की किसी रांड को होय ना?
- बैम की दारू कोनी।
- बैरागी रो जाम, कदै न आवै काम।
- बैरी न्यूत बुलाइया, कर भायां सैरोस। आप कमाया कामड़ा, दई न दीजै दोस।
- बोई कुंहाड़ो अर बोई बैंसो।
- बोखी अर भूंगड़ा चाबै।
- बोड़ा घड़ा उघाड़ा पाणी, नार सुलखणी कय्यां जाणी। दाणा चाबै पीसती, चालै पल्ला घींसती।
- बोलै सोई बाछड़ा खोलै।
- बोल्या अर लाद्या।
- बोळो बूझै बोळी नै, कै रांध्यो है होळी नै?
- ब्या कर्यो काकै कोल्है, बो ऊंकै ओल्है बो ऊंकै ओल्है।
- ब्या बिगाड़ै दो जणां, के मूंजी के मेह। बो पीसो खरचै नहीं, बो दड़ादड़ देह।
- ब्याया नहीं तो जनेत तो गया हां।
- भंगण अर भींटोय खाय है कोन्या।
- भंडार हालै, कुत्तै की-सी हुई।
- भगत जगत कूं ठगत।
- भगतण रो जायो कै नै बाप कैवै?
- भगवान तो बासना का भूखा है।
- भगवान दे जणा छप्पर फाड र दे दे।
- भगवानियूं इसो भोलो कोन्या जो भूखो गायां मैं जावैगो।
- भठियारी पलोथण कठै सैं लगावै?
- भड़भूज्यां की छोरी अर केसर का तिलक।
- भदरा जां घर लागसी, जां घर रिध और सिद्ध।
- भला जाया ए बापड़ी, के भाट अर के कापड़ी।
- भला जाया बेमाता ।
- भला भली प्रिथमी छै।
- भलै को बखत ई कोन्या।
- भलो आदमी आपकी भलाई सैं डरै, नागो जाणै मेरे सै डरै।
- भलो कर भलो होगो, सोदो कर नफो होगो।
- भलो करतां बुरो होय है।
- भवानी का लेख को टलै ना।
- भांखड़ी कै कांटा को आगड़ै तांई जोर।
- भांग भखण है सहज पण, लहरां मुसकल होय।
- भांग मांगै भूंगड़ा, सुलफो मांगै घी। दारू मांगे जूतिया, खुसी हो तो पी।
- भाई कै मन भाई आयो, बिना बुलाये आपै आयो।
- भाई को भाई बैरी है।
- भाई नै भाई कोनी सुहावै।
- भाई बड़ो न भय्यो, सबसै बड़ो रूपप्यो।
- भाई बेटी तो ब्यावै ना अर कसर छोड़ै ना।
- भाई भूरा-लेखा पूरा।
- भाई री भीड़ भुआ सुं नी भागै।
- भाख फाटी, खोल-टाटी, राम देगो दाल, बाटी।
- भागां का बलिया, रांधी खीर, होया दलिया।
- भाग्यां पाछै बावड़ै बो बी मरद ई है।
- भाठै सूं भाठो भिड्याँ बिजली चमकै | हिंदी– दो दुष्टोँ की लड़ाई मेँ नाश हो जाता है।
- भाठैं सै भाठो भिड़्यां बीजली चिमकै।
- भाड़ै की गधी, घर-घर लदी।
- भाण कै घर भाई, अर सासरै जंवाई।
- भाण कै भाई गंडक, सासरै जुंवाई गंडक।
- भाण जांऊ जांऊ करै ही, बीरो लेण नै ही आयगो।
- भाण राड लडूंगी, कुराड नहीं लडूंगी।
- भादरवे जग रेलसी, छट अनुराधा होय। डंक कहे हे भड्डली, करो न चिंत कोय।
- भादवै की रूत भली, भली घट बसन्त।
- भादू की छा भूतां नै, कातिक की छा पूतां नै।
- भाव को भाई के करै? भाव राखै सो भाई।
- भींत गैल मांडणा अर पोत गैल रंग।
- भींत गैल मांडणा आप ही आप आ ज्यावै।
- भींत नै खोवै आलो, घर ने खोवै सालो।
- भींतड़ा नाम कि गीतड़ा नाम।
- भीख सैं भंडर कोनी भरै।
- भीज्या कान हुआ असनान।
- भुवां मिस लिये अर भतीजी मिस दिये।
- भू आई सासू हरखी, पगां लागी पर परखी।
- भू घर तेरै स्हैर पण राखियो ढक्यो-ढूम्यो।
- भू घरियाणै की, अर गाय न्याणै की।
- भू परोस्सया कायंगा बि मारे मन ज्यायंगा।
- भू बछेरा डीकरां, नीमटियां परवाण।
- भूख कै लगावण कोनी, नींद के बिछावण कोनी।
- भूख न देखै जूठ्या भात।
- भूखा की बावड्यावै पण झूठा की को बावड़ै ना।
- भूखा कै जान कोन्या।
- भूखै को थाली में पडयां ही इमान आवै।
- भूखै घर की छोरी अप भलकै बिना दोरी।
- भूखो ठाकर आक चाबै।
- भूखो तो धायां पतीजै।
- भूखो पूछै ज्योतसी, धायो पूछै बैद।
- भूखो बाण्यो हंसै अर भूखा रांगड़ कमर कसै।
- भूखो बामण सोवै अर भूखो जाट रोवै।
- भूतां के लाडुआं में इलायची को के स्वाद?
- भूल को टक्को भूल में गयो।
- भूल्यो बामण भेड़ खाई, आगै खाय तो राम-दुहाई।
- भेड़ की लात पगां तलै-तलै।
- भेड़ खटकी नै धीजै।
- भेड़ पर ऊन कुण छोड़ै?
- भेड़ भगतणी पूंछड़ै में माला।
- भेभण राणी चोरटी, रात्यूं सिट्टा तोड़ती।
- भेलै भांडा खुड़कै ही।
- भैंस आगै बांसरी बजाई तो गोबर को इनाम।
- भैंस आपको रंग देखै ना, छत्तै नै देख कर बिदकै।
- भैंस को पोटो सूकती सो सूकै।
- भैंस खल सै यारी करै तो के खाय?
- भैंस मरगी तो मरगी खरी को सबड़को तो मार ही लियो।
- भैंसो मींडो बाकरो, चौथी विधवा नार। ये च्यारूं माड़ा भला, मौटा करै बिगाड़।
- भोजन में लाडू अर सगाँ में साडू ।
- भोलै ढालै का राम रूखाला।
- भोलो गजब को गोलो है।
- भोलो मित्र दुश्मनी की गरज पालै।
- भौंकँ जका काटँ कोनी ।
- मँगो रोवे ऐक बार, सस्तो रोवे सो बार ।
- मँहगो रोवै एक बार, सैंगो रोवै बार-बार।
- मंगती अर भींट्यो खाय ई कोन्या।
- मंडावो चाये लिखावो, चिड़ावो चाये खिजाओ।
- मंढी एक अर मोडो घणा।
- मंदर कै अगाड़ी, थाण के पिछाड़ी।
- मकोड़ो कहै, मा! मैं गुड़ की भेली उठा ल्याऊं, कह, कड़तू कानी देख।
- मजूरी मै के हजूरी?
- मत मरज्यो बालक की मावड़ी, अर मत मरज्यो बूढ़ै की जोय।
- मतलब की मनुहार जगत जिमावै चूरमा।
- मतलब की मनुहार, जगत जिमावै चूरमा | हिंदी– स्वार्थ हेतु दूसरोँ की खुशामद करना।
- मथरा में रहसी जको राधा किसना (राधा गोविन्द) कहसी।
- मदकुमाऊ कुमावै तो कोनी, पण घरांतो आवै।
- मन का लाडु छोटा क्यों ।
- मन कै पाज कोनी | हिंदी– मन चंचल है, उसकी मर्यादा नहीँ होती।
- मन बिन मेल नही, बाड़ बिना बेल नहीं।
- मन मीठो तो सै मीठा, मन खाटो तो सै खाटा ।
- मन राजा को, करम कमेड़ी को सो।
- मन सूं रान्धेड़ो खाटो ई खीर लागै ।
- मन सै भावै, मूंड हिलावै।
- मन होय तो बेटो दे दे, नहीं बेटी ही कोनी दे।
- मन होय तो मालवै जायावै।
- मनै घङगी अर बाङ मैं बङगी ।
- मर ज्याणूं, कबूल, पण जौ को दलियो नहीं खाणूं।
- मरण नै सरोग पण मन हथलेवै में ही रयो।
- मरणूं इयान सैं ना जाणूं है।
- मरतां किसा गाडा जुपै है?
- मरद की कूब्बत राड़ में, लुगाई की कूब्बत रान्धणें में |
- मरद को जोबन साठ बरस जे घर में होय समाई। नर को जीवन तीस बरस हर बैल को जोबिन ढाई।
- मरद तो जब्बान बंको, कूख बंकी गोरिया। सुहरहल तो दूधार बंकी, तेज बंकी घोड़िया।
- मरद तो मूंछ्याल बंको, नैण बंकी गोरिया। सुरहल तो सींगला बंकी, पोड बंकी घोड़िया।
- मरदां मणकों हक्क है, मगर पचीसी मांय।
- मरबो तो हैजा को अर धन सट्टा को।
- मरी क्यां? सांस कोनी आयो।
- मरी रांड, हुयो बैरागी।
- मरु रो पत माळवो नाळी बिकानेर। कवियाँ ने काठी भळा आँधा ने अजमेर॥
- मरै जको तो बोली सै ही मर ज्यावै, नई तो गोली सै ई कोनी मरै।
- मरै पूत की आंख कचोलै सी।
- मरै है पण मलार गावै है।
- मरो मा, जीवो मांवसी, घी घाल्यो न, न गोडा चालसी।
- मरो हांडणी नार, मरो कठखाणूं टट्टूं।
- मर्या नै भूल जाय, आया नै कोनी भूलै।
- महलां बैठ्यो छेड़ै, जको कुरडी बैठे सैं कुहावै।
- महावतां सै यारी, अर दरवाजा सांकड़ा।
- मा का पेट सै कोई सीख कर कोनी आवै।
- मा कै सरायां पूत कोन्यां सरायो जाय, जगत कै सरायां सरायो जाय।
- मा गैग डीकरी, घड़ गैल ठीकरी।
- मा जी ई माजी, पण है तो पूण ई तेरा बरस की।
- मा पर पूत पिता पर घोड़ो, घणों नही तो थोड़म थोड़ो।
- मा बाप मरगा, ऐं ई घर की करगा।
- मा भठियारी, पूत फतेखां।
- मा मरी आधी रात, बाप मर्यो परभात।
- मा मैं बड़ो हुयां बामणां ही बामणां नै मारस्यूं, कह, बेट बडो ही क्यूं होसी।
- मा! मामा किसाक? बेटा, मेरा ई भाई।
- मा, न मा को जायो, देसड़लो परायो।
- मां कैवतां मूंडो भरीजै।मां, मायड़भोम अर मायड़भासा रौ दरजौ सुरग सूं ईं उचौ हुवै ।
- मां मरी आधी रात, बाप मर्यो परभात | हिंदी– बार–बार विपत्तियाँ आना।
- मां री गाळियां, घी री नाळियां। अर्थ - मां की गालियां, घी की नालियां। मां ललकारती-फटकारती है तो संतान के भले की खातिर। उसके मन में दूर-दूर तक कोई दुर्भावना नहीं रहती। मां की गालियां ममता का ही दूसरा रूप है।
- मां, घोड़ा री पूंछ पकड़ूं, कांईं दे'सी कै घोड़ो मतै ई दे दे'सी। अर्थ - गलत काम का अंजाम हमेशा बुरा होता है।
- मांग कर छाय ल्यावै, सूरज नै छांटो दे।
- मांग्यां तो मोत ई कोनी मिलै।
- मांग्यो आवै माल, जांकै कांई कमी रै लाल?
- मांज्या थाल! उतर्यां बार।
- मांटी का ढालिया, अंग्रेजी किवाड़।
- मांटी की भीँत डिगती बार कोनी लगावै | हिंदी– मिट्टी की दीवार गिरने मेँ समय नहीँ लगता।
- माता कै तो सारा बेटा-बेटी इकसार होय है।
- माथो मूंड्यां जती नहीं।
- मान का तो मुट्ठी भूंगड़ा ही घणा।
- मान बड़ा क दान?
- माना चाली सासरै, मनावण हालो कुण?
- मानै तो देव, नहीं भींत को लेव।
- मानो तो देव नहीं तो भींत को लेव।
- मामा को ब्या अर मा परोसगारी।
- माया अंट की, विद्या कंठ की | हिंदी– जो पैसा अपने पास हो तथा जो ज्ञान कंठस्थ हो वही काम आता है।
- माया तेरा तीन नाम, परस्या, परसो, परसराम।
- माया मिलगी सूम नै, ना खरचै, ना खाय।
- माया सै छाया भली।
- मार कर भाग ज्याणूं, खाकर सो ज्याणूं।
- मार कुसार, छाणा की मार।
- मार कै आगै भूत भागै।
- मारण हालै को तो हाथ पकड़्यो जाय, बोलण हालै की जीब कोनी पकड़ी जाय।
- मारणियै सैं जिवाणियूं ठाडो (बडो) है।
- मारणूं ऊंदरो, खोदणूं डूंगर | हिंदी– छोटे कार्य के लिए बड़ा कष्ट उठाना।
- मारले सो मीर।
- मारवड़ा की मूढ़ता, मिटसी दोरी मिन्त।
- मारवाड़ मनसूबे डूबी, पूरबी गाणा में। खानदेस खुरदों में डूबी, दक्षिण डूबी दाणा में॥
- मारै आप, लगावै ताप।
- मारै नहीं जको बलो उठावै।
- मार्यो-कूट्यो एक नांव, जीम्यो-जूठ्यो (खायो-पीयो) एक नांव।
- माल गैल जगात माल सैं चाल आवै।
- माल सैँ चाल आवै | हिंदी– धन आने पर अक्ल पैदा हो जाती है।
- मालिक को मालिक कुण?
- माली अर मूला छीदा ही भला।
- मावां पोवां धोंधूकार, फागण मास उड़ावै छार, चैत मासा बीज ल्हकोवै, भर बैसाखां केसू धोवै, जेठ जाय पन्तो तो कुण रोकै सावण भादवा जल बरसंतो।
- मिंया नै सलाम की खातर क्यूं रूसायो?
- मिनख कमावै च्यार पहर, ब्याज कमावै आठ पहर ।
- मिनख को के बड़ो, बीसो बडो है।
- मिनख बाण रो गोलौ ।
- मिनख माणसियो, दो होय है।
- मिनख सूण की दई रोटी खाय है।
- मिनख हजार वर्ष नींव बांधे, भरोसो पलक को ई कोन्या।
- मियां की दौड़ महजीत तांई।
- मियां रोवो क्यूं? कै, बन्दा की सकल ही इसी है।
- मियूं बीबी दो जणां, क्यूं खावै बै जो चणा?
- मियूं मर्यो जद जाणियो, जद चलीसो होय।
- मिल बिछड़ो मत कोय।
- मिलै मुफतरो माल, सांड रैवै सोरा।
- मिल्या भिंट्या अर हुंसेर पूरी हुई।
- मींडका नै तिरणूं कुण सिखावै | हिंदी– मेँढक को तैरना कौन सिखाता है अर्थात् यह तो उसका स्वाभाविक गुण है।
- मींडका नै तिरणूं कुण सिखावै?
- मीठी छुरी अर झैर की भरी।
- मीठै कै लालच जूठो खाय।
- मुं करे है छाछ सो
- मुंडै सूं नीसरी बात, कमाण सूं नीसरयो तीर, अर परमात्मा री पोळ गयोड़ा पराण पाछा नीं बावडै ।
- मुंह गैल थाप।
- मुंह टोकसी-सो, नांव सरुपली।
- मुंह सुई-सो, पेट कुई-सो।
- मुंह सै निकल ज्या सो भाग धणी का।
- मुकदमा में दो चाये, कोडा अर गोडा।
- मुख में राम, बगल में छुरी।
- मुतबल को संसार सनेही।
- मुतलब बणतां लोग हंसै तो हँसबा द्यो।
- मुरदां क साथ कांधिया कोन्या बलै।
- मुरदै पर चाहै एक कस्सी गेरो, चाहै सो कस्सी गेरो।
- मुर्गी के तो ताकू कोई डाम।
- मूं आगै नार, पीठ पीछै पराई।
- मूं करै झ्याउलया को सो - मुंह बनाना ।
- मूं लागी चाट कोन्या छूटै।
- मूंग–मोठ में कुणं सो बडो अर कुण सो छोटो (मूंग मोठ में कुण ल्होड़ो-बडो?)
- मूंछा उखाड्या सैं मुरदा हलका थोड़ा हो छै।
- मूंड मुंडायां सर ज्याय जिको क्यूं कुमावै?
- मूरख कह छूटै, बलद बह छूटै।
- मूरख कै मांथै सींक कोनी होय।
- मूरख न टक्को दे देणूं, पण अक्कल नहीं देणी।
- मूरख सै काम पड़ै जब के करणूं? चुप रह ज्याणूं।
- मूर्खा को माल मसकरा खाय।
- मूल सैं ब्याज प्यारो।
- मूसल कै अणी ना, गरीब कै धणी ना।
- मूसै को जायो बिल ई खोदैगो।
- मे बाबो आयो, सिट्टा-फली ल्यायो।
- मेरी ई मूंड मेरी मोगरी।
- मेरे खुदा बकसियो ढाई सेर की लापसी खा ज्याय, पण खा ज्या कैं भड़वा की? मेरो मियूं घर नहीं, मूझ किसी का डर नहीं।
- मेरे लला के कुण-कुण यार? धोबी, छीपी अर मणियार।
- मेरै छोटक्यं नै न्यूत चाहै बडोड़ा नै न्यूंत, सै ढाई सेर्या है।
- मेवा तो बरसँता भला, होणी होवॅ सो होय ।
- मेवां की माया, बिरखां की छाया।
- मेह की रुख तो भदवड़ा'ई बता दें ।
- मेहा तो तित बरस सी, जित राजी होसी राम।
- मै गलो कटावै।
- मैं कुणसी मोल्डी क भाटा की दी ही ।
- मैं कै गलै छरी।
- मैं बी राणी, तूं बी राणी, कूण भरैं पैंडे को पाणी?
- मैं मरूं मेरी आई, तूं क्यूं मरै पराई जाई?
- मैं लेऊं थी तन्ने, तूं ले बैठी मन्नै।
- मोटो ब्याज मूल नै खावै ।
- मोडा करै मलार, पराये घरां पर।
- मोडा घणा, बैकुण्ड सांकड़ी।
- मोडां की राड में तूंबा ई उछलै।
- मोडी गाय सदा बैडकी कुहावै।
- मोडो कूद्यो अर बैकुण्ड कै मांय।
- मोड्यो लोटै राख में, दो पोवै दो काख में।
- मोत मानगी मामलो, मन्दी मांगणहार।
- मोर जंगल में नाच्योहो पण कुण देख्यो ।
- मोर नाचै घणूं ई पण पगां न देख र रोवै ।
य-व
- या जांघ उघाड़ै तो या लाजां मरै, या उघाड़ै तो या।
- या देवी बोळा भगत तार्या है।
- या नै आपकी यारी सैं ही काम।
- या बेटी अर यो दायजो।
- यारी को घर दूर है | हिंदी – दोस्ती निभाना कठिन है।
- यो टोरड़ो तो दोरो ई पार होसी।
- यो ही म्हारो आसरो, के पीर के सासरो।
- रंकी रीझै तो रो दे।
- रजपूत की जात जमी ।
- रजपूती धोरां मे रलगी, ऊपर चढ़गी रेत।
- रमता राम, बैठ्या सोई मुकाम।
- रलायां हाथ धुपै।
- रहण नै तो टापरी कोन्या, सुपनू देखै महलां को।
- रही घणां दिन राज कै, बे इज्जत बरती। जाती करै जुहराड़ा, धणियां सू धरती।
- रांड आगै गाळ कोनी ।
- रांड के सुहागन पगां लागी, मेरे जिसी तूं भी होज्या।
- रांड कै मार्योड़ै की अर गांव में फिर्योडै की दाद-फिराद कोनी।
- रांड स्याणी तो होवै पण होवै खसम मर्यां पाछै।
- राई का भाव रात ही गया।
- राई बिना किसो रायतो?
- राख पत, रखाय पत | हिंदी– दूसरोँ का सम्मान करने पर वे भी सम्मान करते हैँ।
- राग, रसोई पागड़ी, कदे कदे बण ज्यावै।
- राजपूती धोरां में रळगी, ऊपर चढ़ गई रेत ।
- राजा करै सो न्याव, पासो पड़ै सो डाव ।
- राजा के सोनै का पागड़ा? कह, आज के दिन तो भलांई गुड़ा का कराल्यां।
- राजा कै घर मोतियां की के कमी है?
- राजा गढ़ां में, जोगी मढां में।
- राजा जोगी अगन जळ, इण की उलटी रीत । डरता रहियो परसराम, ये थोडी पाळै प्रीत ।।
- राजा बांधै दल, बैद बांधै मल।
- राजा मान्या सो मानवी, मेवां मानी धरती।
- राजा राज पिरजा चैन।
- राजा री आस करणी, पण आसंगो नीं कारणों ।
- राजा रूसै तो आपको गांव राखै।
- राजा सल्ला को, पीसो पल्ला को।
- राजा, जोगी, अगन, जल, इण की उलटी रीत। डरता रहियो परसराम, ये थोड़ी पालै प्रीत।
- राड करै तो बोलै आडो।
- राड को घर हांसी, रोग को घर खांसी।
- राड़ सैं बाड़ भली ।
- राणी नै काणी मना कहो।
- रात अंधेरी, मा परोसगारी।
- रात आगै उँवार कोनी, रांड ऊं बड्डी गाळ कोनी ।
- रात आगै उँवार कोनी।
- रात की नींद गई, दिन की भूख गई।
- रात च्यानणी, बात आँख्या देखी मानणी | हिंदी– चांदनी रात ही अच्छी होती है तथा आँखोँ देखी बात पर ही विश्वास करना चाहिए।
- रात नै रात्यूंदो, दिन में सूजै ई कोन्या।
- रात बी खोई, जगात भी दी।
- राधो भलो न पिरागो।
- राबड़ी के कहै, मन्नै दांतां सै खावो।
- राबड़ी को नांव गुलसफ्फा ।
- राबड़ी बी कहै मन दांतां सै खावो ।
- राबड़ी में गुण होता तो ब्या में नां रान्धता ।
- राबड़ी में राख रांधै, चून पाटै पीसती । देखो रै या फ़ूड रांड, चालै पल्ला घींसती ।।
- राम कह कर रहीम के कहणूं?
- राम की डांग पर बेड़ो हैं।
- राम कै घर को राम नै ही बेरो।
- राम को अर राज को सिर ऊपर कै गैलो है।
- राम घणी के गांव घणी।
- राम झरोखै बैठ कर, सबका मुजरा लेय। जैसी देखै चाकरी, जैसा ही भर देय।
- राम दे तो बाड़ में ही देदे।
- राम नै लंका लूट्यां ही जुग बीतगा।
- राम पुराणी बाजरो, मींडक चाल जंवार। इक्कड़ दुक्कड़ मोठिया, कीड़ी नाल गंवार।
- राम बनाई जोड़ी, एक काणूं अर एक कोढ़ी ।
- राम रूस्योड़ो बुरो।
- रामजी ऊपर चढ्यो देखै है।
- रामजी को नांव सदा मिसरी, जब चाखै जब गूंद गिरी।
- रामदेव जी ने ढेढ़ इ ढेढ़ मिल्या ।
- रामदेवजी नै मिल्या जका ढेढ ही ढेढ।
- राम–राम चौधरी, सलाम मियांजी। पगे लागूं पांडिया, दंडोत बाबाजी।
- रामूं कहो भावं उजाड़ कहो।
- रावली घोड़ी, बावला हसवार।
- रावलै को तेल पल्लै में ई चोखो।
- रिपिया तेरी रात, दूजो नर जलम्यो नहीं। जे जलम्या दो च्यार, तो जुग में जीया नहीं।
- रिपियो हाथ को मैल है।
- रूअं धूअं अर मूंवां, जाड़ो कोनी लागै।
- रूप का रूड़ा रोहीड़ै का फूल।
- रूप की धणियाणी पाणी भरबा जाय।
- रूप की रोवै करम की खावै । हिंदी – रूपवती स्त्री भी दुःखी रहती है परन्तु कर्मशील कुरूप स्त्री भी भूखी नहीँ रहती।
- रूपयो होवै रोकड़ी सोरो, आवै सांस, संपत होय तो घर भलो, नहीं भलो परदेस।
- रेवड़ में कुण गयो? बाबो! कह, बाबो भेड्या सैं भी बूरो।
- रोंवता जांय बै मरेडां की खबर ल्यावैं ।
- रोगी की रात अर भोगी को दिन करड़ो नीसरै।
- रोज में रोवण जोगो न, गीत में गावण जोगो न।
- रोटी साटै रोटी, के पतली के मोटी।
- रोतो जाय अर मारतो जाय।
- रोयां बिना मा बी बोबो कोनी दे।
- रोयां राबड़ी कुण घालै | हिंदी – परिश्रम से सब कुछ प्राप्त होता है, केवल रोने से कुछ नहीँ होता।
- रोवती जाय, मुवै की खबर ल्यावै।
- रोवती रांड सासरे में के न्याहल करै ।
- लंका में किसा दालदी कोनी बसै।
- लंका में बावन हाथ का।
- लंघन सै लापसी चोखी।
- लखण लखेसरी का, करम भिखारी का।
- लजवन्ती घर में बड़ी, फूड़ जाणै मेरे सै डरी।
- लदणिया ई लद्या करैं है।
- लद्योड़ा ही लदै।
- लरड़ी पर ऊन कुण छोड़ है?
- लहसण बी खायो, रोग बी को गयो ना।
- ला कोई बीरन ऐसा नर, पीर बबरची भिस्ती खर।
- लांबी बां दूर तांई पसरै।
- लाखां पर लेखो, क्रोडां पर कलम।
- लागै जठे पीड़।
- लागै जैंकै करकै।
- लाग्यो अर भाग्यो।
- लाग्यो तो तीर, नहीं तुक्को ही सही।
- लाज तो आंख्या की होय है।
- लाठी टूटै न भांडो फूटै।
- लाडू की कोर चाखै जठे ही मीठी।
- लाडू फूटै उठे तो भोरा खिँडै ही।
- लातां को देव बातां सै कोनी मानै।
- लाबद्या को ओड कोनी।
- लाम को अर काम को बैर है।
- लाय लाग्यां किसो कुवो खुदै?
- लालबही छप्पन रो पानो, बोहरो रोवै छानो-छानो ।
- लालाजी करी ग्यारस अर बा बारस की दादी।
- लिखी है ललाट लेख ऊं मैं नहीं मीन-मेख।
- लिछमी आई ज्यां ही गइ।
- लिछमी कठे जाकर राजी हुई।
- लीद की खाय तो हाथी की खाय जिंको पेट तो भर ज्याय।
- लीप्यो पोत्यो आंगणूं और पहनी-ओढ़ी स्त्री सुन्दर लागै।
- लुगाई की कमाई मोट्यार खाय तो टांटियै को बिस उतर ज्याय।
- लुगाई कै पेट में टाबर खटा ज्याय, पण बात कोनी खटावै।
- लुगाई को न्हाणू, मरद खाणूं।
- लूंगा चढ़गी बांस, उतरै चौथे मास।
- लूण फूट-फूट कर निकलै।
- लूण बिना रसोई पूण।
- लूली अर लीपै। दो जणां पकड्यां, कह आके बात? कह, आ चोखो लीपै।
- ले पाड़ोसण झूंपड़ी, नित उठ करती राड। आदो बगड़ बुहारती, सारो ही बुहार।
- ले ले करतां तो डाकण भी कोन्या ले।
- लोडा तिरै, सिल डूबै।
- लोहा, लकड़ा, चामड़ा, पहला किसा बखाण। बहु, बछेरा, डीकरा, नीमटियो पछाण॥ हिंदी – लोहे का, लकड़ी तथा चमड़े का पहले से पता लगाना मुश्किल है। बहू, लड़का तथा घोड़े के बच्चोँ के गुणोँ का पता वयस्क होने पर ही चलता है।
- ल्याऊं चून उधारो कोई गुड़ दे तो। मर-पड़ की खाल्यूं-कोई ल्याकर दे तो॥
- वर घोडी घर और था, खाती दाणू घास। यह घर घोड़ी आपणां, कर गोविंद की आस॥
- वा ही नार सुलाखणी, जैंको कोठी धान।
- वाकै जासी धरतड़ी, वाकै जा आसमान।
- वात, पित युक्त देह ज्यांक, होय रहे धाम–धूम। अण भणियां आलम कथी कहे मेहा अतिघोर॥ हिंदी – वातयुक्त व्यक्ति को यदि गर्मी से सिर दर्द करे तो वर्षा की सम्भावना होती है।
- विद्या बणिता बेल नृप, ये नहिं जात गिणन्त। जो ही इनसे प्रेम करै, ताहू कै लिपटन्त॥
- वेश्या बरस घटावै अर जोगी बधावै।
- वैसुन्दर देवता घणी ई चोखो पण घर में लाग्यां बेरो पड़ै।
श-ह
- शुक्रवार की बादली, रही शनिचर छाय। डंक कहे है, भडली बरस्यां बिना न जाय॥ हिंदी – शुक्रवार को आकाश पर बने बादल यदि शनिवार तक रहेँ तो वर्षा अवश्य होती है।
- संख अर खीर भर्यो।
- संजोग पीवतां के बार लागै।
- संदेसां बिजण अर हाथ हाथां खेती।
- संपत हुवै तो घर, नींतर भलो परदेस।
- संवारता बार लागै, बिगाड़तां कोनी लागै | हिंदी – काम बनाने मेँ समय लगता है बिगाड़ने मेँ नहीँ।
- संवारै रो गाजियो ऐलौ नहीँ जाय | हिंदी – सुबह मेघ–गर्जन निश्चित रूप से वर्षा का संकेत है।
- सक्करखोरा नै सक्कखोरो सो कोम की ऊंलाई खा कर मिल ज्याय।
- सगलै गुण की बूज है | हिंदी– गुणी का हर जगह सम्मान होता है।
- सगलो गांव लट्टै, कोई घालै, कोई नट्टै।
- सगो कीजे जाण कर, पाणी पीजे छाण कर।
- सग्गो समरथ कीजिये, जद-तद आवै जाव।
- सत मत खोओ सूरमा, सत खोयं पत जाय। सत की बांधी लिच्छमी, फेर मिलै गी आय॥
- सदा दिवाली सन्त कै, आठो पहर आनन्द।
- सदा न जुग जीवणा, सदा न काला केस | हिंदी – संसार मेँ हमेशा कोई नहीँ रहता, इसी प्रकार यौवन भी साथ छोड़ देता है।
- सदा न बरैस बादली, सदा न सावण होय।
- सदा ही इकासर दिन कोनी रैवे।
- सपूत की कमाई मैँ सै को सीर।
- सपूत तो पाड़ोसी को बी चोखो।
- सब आप आपकै भाग की खाय है।
- सब आप आपको काढ्यो पाणी पीवै है।
- सब कोई झुकतै पालड़ै का सीरी है।
- सबकी मय्या सांझ।
- सबसूं रिलमिल चालिये, नदी नाव संजोग।
- समझणहार सुजाण, नर मोसर चूकै नहीं। ओसर की अहसाण, रहे घण दिन राजिया॥
- समदर को के सूकै?
- समै दिवाली पोलकर न्हाण।
- सरलायो छूंदरो, बद्दां बंध्यो जाट । मदमाती गूजरी, तीनों वारां बाट ।।
- सरीर कै रोगी की दवा है, मन कै रोगी की कोनी।
- सलाम तांई मियां नै क्यूं रूसाणो।
- साँच कही थी मावडी, झूठ कह था लोग। खारी लागी मावडी, मीठा लाग्या लोग॥ हिंदी – माता का सच भी झूठ नजर आया जबकि लोग ही झूठ बोल रहे थे, क्योँकि लोग मधुर बोल रहे थे तथा माता कटु बोल रही थी।
- सांई हाथ करतणी, राखैगो उनमान।
- सांकड़ी गली अर मारणां बलद।
- सांगर फोग थली को मेवो।
- सांच कहै थी मावड़ी, झूठ कहै था लोग। खारी लागी मावड़ी, मीठा लाग्या लोग॥
- सांच नै आंच कोन्या।
- सांची कह्यां झांल उठै।
- सांप की रांद झाडूलो काटै।
- सांप कै चीखलै को बडो अर के छोटो?
- सांप कै मांवसियां की के साख | हिंदी – दुष्ट का क्या भरोसा?
- सांप कै मांवसियां को के साख?
- सांप को खोयोड़ो बीछ्यां सैं के डरै?
- सांप चालती मोत है।
- सांप भी मर जाय और लाठी भी न टूटै।
- सांप सगलै टेढो मेढो चालै पण बिल में बड़ै जद सीदो हो ज्याय।
- सांप सलीट्या सदा ई देख्या, इजगर बाबो अबकै।
- सांप, गोयरा, डेडरा, कीड़ी–मकोड़ी जाण। दर छोड़ै बाहर भागे, नहीँ मेह की हाण॥ हिंदी – यदि मेँढक, चीँटी, साँप आदि अपने–अपने स्थान पर जाने लगेँ तो भारी वर्षा की सम्भावना होती है।
- सांप-चकचूंदर हाली हो रही है।
- सांपां का ब्या में जीभां की लपालप।
- सांपां कै किसा साख?
- सांपां कै डर गूगो ध्यावै।
- सांस जब लग आस।
- सांसी कै क्यांको दिवालो?
- सांसी साह सरावगी, श्रीमाल सुनार। ये सस्सा, पांचूं बूरा, पहले करो विचार॥
- साची कही, भाठा की दई।
- साजा बाजा केस, गोड बंगाला देस।
- साठी बुध नाठी।
- सात बार, नो तिंह्वार।
- साता मामा को भाणजो भूख्यो रैज्या।
- सातों गैला मोकला तेरै जच्चै जठे जा।
- सात्यूं घर तो डाकण भी छोड दिया करै है ।
- साधवां कै कसो सुवाद, आवण दे मलाई सुदां ई।
- साधां की पावली ई चोखी।
- साधू को धन सीर को।
- सापुरसां का जीवणां थोड़ा ही भला।
- साबत रैसी सर तो घणाई बससीं घर।
- सामर पड्यो सो लूण।
- सारी दुनी ओगणी है नै आप आपरै पड़दै भीतर उघाड़ी है।
- सारी रामायण पढ़ ली, सीता कुण की भू?
- सालगजी का सालगजी, गोफणियूं का गोफाणियूं।
- साली छोड़ सासुओं सै ई मसकरी।
- सालै बिना क्यां को सासरो?
- सावण का अंधा नै हर्यो ई हर्यो दीखै।
- सावण का आना नै हरयो ई हरयो दीखै ।
- सावण का पंचक गलै, नदी बहन्ता नीर।
- सावण की छा भूतां नै, कातिक की छा पूतां नै।
- सावण छाछ न घालती, भर बैसाखां दूध। गरज दिवानी गुजरी, घर में मांदो पूत॥
- सावण पहली पंचमी, जे बाजै बहु वाय। काल पड़ै सब देश में, मिनख मिनख नै खाय॥
- सावण बद एकादशी, जितनी रोहिणी होय। वितणूं समय विचारियो, जै कोइ पंडित होय॥
- सावण भलो सूर'यो भादुड़ो पिरवाय, आसोजां मैं पछवा चाली गाडा भर भर ल्याव ।
- सावण में तो सूर्यो चालै, भादूड़ै पुरवाई। आस्योजां में नाडा टांकण, भरभर गाडा ल्याई॥
- सावल करतां कावल पड़ै है।
- सास बिना कांइ सासरो?
- सासरै को बास, आपकै कुल को नास।
- सासरै खटावै कोनी, पीर में सुहावै कोनी।
- सासरौ सुख आसरौ, जे ढबै दिन चार । जे बसै दिन दस बीस, हाथ में खुरपी माथै भार ।।
- सासरौ सुख बासरौ, चार दिनां को आसरौ, जै रवे मास दो मास, देस्याँ खुरपी खुदास्याँ घास ।
- सासू का भुवां नै जीकार आच्छया कोनी।
- सासू जाणै करूं कलेवा, भू काढ़ै गैल का केवा।
- सासू बोली—बीनणी ग्यारस करसी के? बीनणी बोली—मैं तो टाबर हूँ।
- सासू मरगी कटगी बेड़ी, भू चढ़गी हरकी पेड़ी।
- सिकार की बखत कुतिया हंगाई।
- सिर को बोझ पगां नै भारी।
- सिर चढ़ाई गादड़ी गाँव ई फूंकै लागी | हिंदी – निकृष्ट को मुँह लगाने पर हानिकारक हो जाता है।
- सिर पर भींटको, तम्बू में बड़बादे।
- सिर बड़ो सपूत को, पग बड़ा कपूत का |
- सिर भारी सरदार का, बग भारी मुरदारा का।
- सिरफोड़ै को मुंडफोडो भायलो।
- सिरी को टाबर ताबड़ै बाल्योड़ो ही चोखो।
- सिलारै नै सिरलारो कोनी देख सकै।
- सिव सिव रटै, संकट कटै।
- सींत को चन्नण घस रे लाल्या, तूं भी घस, तेरा घरकां नै बुलाल्या।
- सींत को माल मसकरा खाय।
- सीखड़ल्यां घर ऊजड़ै, सीखलड़ल्यां घर होय।
- सीतला माता! मन्ने घोड़ो दिये, कह, मै ई गधे पर चढूं हूं।
- सीधी आंगलिया घी कोन्या निकलै।
- सीधै पर दो लदै।
- सीर की होली फूंकण की ही होय है।
- सीर सगाई चाकरी, सुखीदावै को काम।
- सीली तो सपूती हो, सात पूत की मा हो। कह, रैणदे, तेरी आसींस नै, नौ तो पेली ई है।
- सीसा मसोना सुघड़ नर, मंदरा की बोलन्त। कांसी कुत्ती कुभारजा, बिन छेड्या कूकन्त॥
- सुई सुहागो सापुरुष, सांठै ही सांठै।
- सुक्करवारी बादली, रही सनीसर छाय। सहदेव कहै हे भड़ली, बिन बरसी नहिं जाय॥
- सुख की तो आधी भली, दुख की भली न एक।
- सुख सोवै कुम्हार की चोर न मटिया लेय। अथवा चोर न गधिया लेय।
- सुधर्यो काज बिगड़यो नांही, घी ढुल्यो मूंगा मांही।
- सुरग को दरवाजो कुण देख्यो है?
- सुलफो सट्टो संखियो, सुलफो और सराब। सस्सा पांचू नेठ है, खोवै मुंह की आब॥
- सुसरो बैद कुठोड़ खाई।
- सूखै घसीजै हळबांणी, आलै घसीजै चवू। सांवण घसीजै डीकरी, काती घसीजै बहू ।
- सूत्यां की तो पाडा ही जणै।
- सूदी छिपकली घणा जिनावर खाय।
- सून मांथै बामण आछ्यो कोन्या।
- सूनां खेत सुलाखणा, हिरणां चर चर जाय।
- सूम कै घर में धूम क्यांकी?
- सूरज कुंड अर चांद जलेरी, टूटा बीबा भरगी डेरी।
- सूरज कुंड और चन्द्र जलेरी। टूट्या टीबा भरगी डेरी॥ हिंदी – चन्द्रमा के चारोँ ओर जलेरी तथा सूरज के चारोँ ओर कुण्ड होने पर भारी वर्षा की सम्भावना होती है।
- सूरदासजी ल्यो खांड अर घी, कह सुणावै है और बापां नै, पटक तो को देना।
- सूरदासजी ल्यो मोठ, कह, और मर गा के?
- सेर की हांडी में सवा सेर कोनी खटावै।
- सेर नै सवा सेर मिल ज्याय।
- सेल घमोड़ो सो सहै, जो जागीरी जाय।
- सेह कै ही मूंडै दांत होय तो दिनमें ई ना चरै।
- सै भूखा उठै है, भूखा सोवै कोन्या।
- सो झख्या अर एक लिख्या।
- सो दिन चोर का, एक दिन साहूकार को।
- सो धोती अर एक गोती।
- सो नकटां में एक नाक हालो ही नक्कू बाजै।
- सोक तो काचै चून की बी बूरी।
- सोक नै सोक कोनी सुहावै।
- सोड़ गैल पग पसारो।
- सोनी की बेटी संहगी सरूप। बाणिया की बेटी महंगी करूप॥
- सोनूं गयो करण कै साथ।
- सोनै कै काट कोन्या लागै | हिंदी – सज्जन पुरुषोँ पर कलंक नहीँ लगाया जा सकता।
- सोनै कै थाल में तांबै की मेख।
- सोमां शुक्रां सुरगुरां जे चन्दा ऊगन्त। डंक कहे हे भड्डली, जल थल एक करन्त॥
- हतकार की रोटी चौवटे ढकार | हिंदी – मुफ्त मेँ उपभोग करना तथा अहंकार का प्रदर्शन करना।
- हथेळी मैं सिरस्यूं कोनी उगै ।
- हर बड़ा क हिरणा बड़ा, सगुणा बड़ा क श्याम। अरजन रथ नै हांक दे, भली करै भगवान॥ हिंदी – यह माना जाता है कि हरिण जब बाँयी ओर आ जाये तो अपशकुन होता है। हरिणोँ के बाँयी ओर आने पर अर्जुन ने रथ रोक दिया परन्तु किसी ने कहा कि भगवान साथ होने पर कुछ भी अपशकुन नहीँ होता है।
- हाँसी-हाँसी में हो-ज्यासी खाँसी ।
- हांसी मैँ खांसी हो ज्याय | हिंदी – हँसी-मजाक मेँ लड़ाई हो जाती है।
- हाकिमी गरमाई की, दुकनदारी नरमाई की हिंदी – अफसर को कड़क तथा दुकानदार को विनम्र रहना चाहिए।
- हिल्योडो चोर गुलगुला खाय ।
- होत की भाण, अणहोत को भाई |हिंदी – बहिन धनी को भाई बनाती है जबकि भाई विपत्ति मेँ भी साथ देता है।
क्ष त्र ज्ञ ऋ
- ऋण अर बैर कत्ती जूणां ई नीं जावै ।
बाहरी कड़ियां
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