Mangali: Difference between revisions
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'''पाड़''' के 5 पुत्र हुये – 1. अमृता, 2. बसुदेव, 3. पद्मा, 4. अब्भा, 5. लौआ. '''अमृता''' ने [[Khurana|खूड़ाना]] गाँव बसाया जो रियासत [[Patiala|पटियाला]] में है। '''बसुदेव''' ने [[Bhiwani|भिवानी]] नगर बसाया जो अब हिसार की तहसील है। [[Bhiwani|भिवानी]] से 7 कोस के अंतर पर [[Bawani Khera|बवानी खेड़ा]] और [[Balyali|बलियाली]] ग्राम भी बसुदेव ने बसाये जो अब तहसील [[Hansi|हांसी]] में हैं। बलियाली ग्राम के सारे राजपूत अब मुस्लिम हैं। [[Bawani Khera|बवानी खेड़ा]] के आधे राजपूत हिन्दू मत में और आधे मुस्लिम हैं। भवानी नगर के सारे राजपूत हिन्दू मत के हैं। [[Bhiwani|भिवानी]], [[Bawani Khera|बवानी खेड़ा]] और [[Balyali|बलियाली]] के राजपूत वसुदेव की संतान हैं। भारत में जब महम्मदी लोगों का राज्य हो गया था तब बलियाली ग्राम के सारे और बवानी खेड़ा के आधे मुस्लिम बन गए थे। '''पद्मा''' ने [[Siwani Bhiwani|सवाणी]] और [[Mangali|मंगाली]] ने दो ग्राम बसाये थे ये जिला हिसार में हैं। दोनों ग्रामों के राजपूत लोग मुस्लिम हो गए। <ref>[[Jat Varna Mimansa]] (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, pp.11-12 </ref> | '''पाड़''' के 5 पुत्र हुये – 1. अमृता, 2. बसुदेव, 3. पद्मा, 4. अब्भा, 5. लौआ. '''अमृता''' ने [[Khurana|खूड़ाना]] गाँव बसाया जो रियासत [[Patiala|पटियाला]] में है। '''बसुदेव''' ने [[Bhiwani|भिवानी]] नगर बसाया जो अब हिसार की तहसील है। [[Bhiwani|भिवानी]] से 7 कोस के अंतर पर [[Bawani Khera|बवानी खेड़ा]] और [[Balyali|बलियाली]] ग्राम भी बसुदेव ने बसाये जो अब तहसील [[Hansi|हांसी]] में हैं। बलियाली ग्राम के सारे राजपूत अब मुस्लिम हैं। [[Bawani Khera|बवानी खेड़ा]] के आधे राजपूत हिन्दू मत में और आधे मुस्लिम हैं। भवानी नगर के सारे राजपूत हिन्दू मत के हैं। [[Bhiwani|भिवानी]], [[Bawani Khera|बवानी खेड़ा]] और [[Balyali|बलियाली]] के राजपूत वसुदेव की संतान हैं। भारत में जब महम्मदी लोगों का राज्य हो गया था तब बलियाली ग्राम के सारे और बवानी खेड़ा के आधे मुस्लिम बन गए थे। '''पद्मा''' ने [[Siwani Bhiwani|सवाणी]] और [[Mangali|मंगाली]] ने दो ग्राम बसाये थे ये जिला हिसार में हैं। दोनों ग्रामों के राजपूत लोग मुस्लिम हो गए। | ||
'''अब्भा''' ने [[Patli Hajipur|पातली]] और [[Hindwan|हिन्दू वाना]] ग्राम बसाये थे। पातली जिला [[Gurgaon|गुड़गांव]] में है और सारा जाटों का है। [[Hindwan|हिंदवाना]] जिला हिसार में है और यह भी सारा जाटों का है। <ref>[[Jat Varna Mimansa]] (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, pp.11-12 </ref> | |||
==Jat Gotras== | ==Jat Gotras== |
Revision as of 05:16, 14 July 2017
Mangali (मंगाली) is a village in Hissar tahsil and district in Haryana.
Founder
Location
Origin
History
इतिहास
जयपुर रियासत के शेखावाटी भाग में गूगौर और बागौर नाम के दो गाँव थे। इनके स्वामी जयपरतनामी चौहान थे। जयपरतनामी के 4 पुत्र हुये 1. जाटू, 2. सतरोल, 3. राघू, और 4. जरावता. जाटू का विवाह सिरसा नगर के सरोहा गोत्री ठाकुर की पुत्री के साथ हुआ। जाटू के दो पुत्र हुये पाड़ और हरपाल। पाड़ ने राजली ग्राम बसाया जो अब जिला हिसार में पड़ता है। [p.11] राजली सारा जाटों का गाँव है जिसके स्वामी भी जाट हैं। हरपाल ने गुराणा गाँव बसाया जो राजली के पास ही है। यह ग्राम भी जाटों का है। [2]
पाड़ के 5 पुत्र हुये – 1. अमृता, 2. बसुदेव, 3. पद्मा, 4. अब्भा, 5. लौआ. अमृता ने खूड़ाना गाँव बसाया जो रियासत पटियाला में है। बसुदेव ने भिवानी नगर बसाया जो अब हिसार की तहसील है। भिवानी से 7 कोस के अंतर पर बवानी खेड़ा और बलियाली ग्राम भी बसुदेव ने बसाये जो अब तहसील हांसी में हैं। बलियाली ग्राम के सारे राजपूत अब मुस्लिम हैं। बवानी खेड़ा के आधे राजपूत हिन्दू मत में और आधे मुस्लिम हैं। भवानी नगर के सारे राजपूत हिन्दू मत के हैं। भिवानी, बवानी खेड़ा और बलियाली के राजपूत वसुदेव की संतान हैं। भारत में जब महम्मदी लोगों का राज्य हो गया था तब बलियाली ग्राम के सारे और बवानी खेड़ा के आधे मुस्लिम बन गए थे। पद्मा ने सवाणी और मंगाली ने दो ग्राम बसाये थे ये जिला हिसार में हैं। दोनों ग्रामों के राजपूत लोग मुस्लिम हो गए।
अब्भा ने पातली और हिन्दू वाना ग्राम बसाये थे। पातली जिला गुड़गांव में है और सारा जाटों का है। हिंदवाना जिला हिसार में है और यह भी सारा जाटों का है। [3]
Jat Gotras
Population
Notable Persons
External Links
References
- ↑ Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.11-12
- ↑ Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, pp.10-11
- ↑ Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, pp.11-12
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