Gusainji: Difference between revisions

From Jatland Wiki
No edit summary
No edit summary
Line 15: Line 15:
बाबा रामदेवजी के परिवार वाले भी यहाँ अपनी जात का जडूला चढाने जुन्जाला आया करते थे. यहाँ मन्दिर में एक पुरानी जाल का पेड़ है जिसके नीचे बाबा रामदेवजी का जडूला उतरा हुआ है. इसलिए जो लोग रामदेवरा जाते थे वह सब यात्री जुंजाला आने पर ही उनकी यात्रा पूरी मानी जाती है. इसलिए भादवा और माघ के महीने में मेला लग जाता है.  
बाबा रामदेवजी के परिवार वाले भी यहाँ अपनी जात का जडूला चढाने जुन्जाला आया करते थे. यहाँ मन्दिर में एक पुरानी जाल का पेड़ है जिसके नीचे बाबा रामदेवजी का जडूला उतरा हुआ है. इसलिए जो लोग रामदेवरा जाते थे वह सब यात्री जुंजाला आने पर ही उनकी यात्रा पूरी मानी जाती है. इसलिए भादवा और माघ के महीने में मेला लग जाता है.  


==External links ==
*http://nagaur.nic.in/fairs.htm
*[http://www.sundeepbooks.com/servlet/sugetbiblio?bno=000195 Arabic Persian and Urdu Inscriptions of West India by Dr.Z.A. Desai]
*[http://www.nizariismaili.com/sitemap.php/encyclopedia-view-664.html Golden Jubilee Darbar Visits 2007-2008 - Shia Imami Nizari Ismaili ...]
----
----
Back to [[Jat Deities]]
Back to [[Jat Deities]]

Revision as of 11:39, 19 October 2008

Gusainji Temple Junjala

Gusainji (गुसांई) is kuladevata of many communities. Gusainji temple is situated at village Junjala (जुन्जाला) in Nagaur district in Rajasthan.

Gusainji as Vithalnathji is mentioned in Hindu scriptures as follows: In Agni Purana, in a chapter titled "Bhavishiyotar" (Future Avatar (birth)), God himself professed that: "In future I will come as son of Shree Vallabhacharya and I will be known as Shree Vithal."

गुसांई जी की कथा

एक समय राजा बलि इस धरती पर राज करता था. राजा बलि ने अश्वमेघ यग्य और अग्नि होम किए. उसने इस तरह ९९ यज्ञ संपन्न कर दिए. राजा बलि का यश चारों और फैलने लगा और वह इन्द्रलोक का राजा बनने की सोचने लगा. राजा बलि ने १०० वें यज्ञ के आयोजन रखा और इसके लिए निमंन्त्रण भेजे. सारी नगरी को इस अवसर के अनुरूप सजाया गया. सारी नगरी को न्योता दिया गया.

भगवान ने सोचा कि राजा बलि घमंड में आकर कहीं इन्द्र का राज न लेले. भगवान ने बावन अवतार का रूप धारण किया. अपना शरीर ५२ अंगुल के बराबर लंबा किया और राजा बलि की नगरी के समीप धूना जमा लिया. राजा बलि ने यज्ञ शुरू किया और मंत्रियों को हुक्म दिया कि नगरी के आस पास कोई भी मनुष्य यहाँ आए बिना न रहे. मंत्रियों ने छानबीन की तो पता चला कि भगवान रूप बावन अपनी जगह बैठा है. मंत्रियों के कहने पर वह नहीं आए. तब राजा बलि ने ख़ुद जाकर महाराज से निवेदन किया. महाराज ने राजा से कहा कि मैं आपके नगर में तब प्रवेश करुँ जब मेरे पास कम से कम तीन पावंदा जमीन मेरे घर की हो. इस पर राजा बलि को हँसी आ गई और कहा की शर्त मंजूर है.

राजा बलि का वचन पाकर भगवान ने अपनी देह को इतना लंबा किया कि पूरी पृथ्वी को दो पवंदा(कदम) में ही नाप लिया. और पूछा कि तीसरा कदम कहाँ रखू. इस पर राजा बलि घबरा गए और थर थर कांपने लगे. राजा बलि ने कहा कि यह तीसरा कदम मेरे सर पर रखें. इस पर भगवान ने तीसरा पैर राजा बलि के सर पर रख कर उसको पाताल भेज दिया. कहते हैं कि जब भगवान ने वामन अवतार धारण कर पृथ्वी का नाप किया तो पहला कदम मक्का मदीना में रखा गया था. जहाँ अभी मुसलमान पूजा करते हैं और हज करते हैं. दूसरा कदम कुरुक्षेत्र में रखा था जहा अभी पवित्र नहाने का सरोवर है. तीसरा पैर ग्राम जुन्जाला के राम सरोवर के पास रखा जहाँ आज मन्दिर है. तीर्थ राम सरोवर में हिंदू और मुसलमान दोनों धर्मों के लोग आते हैं. हिंदू इसे गुसांईजी महाराज कहते हैं तो मुसलमान इसे बाबा कदम रसूल बोलते हैं.

यह मन्दिर एतिहासिक दृष्टि से बहुत पुराना है. यहाँ पर हर साल एक तो नव रात्रा के पहले दिन चैत्र सुदी १ व २ को तथा दूसरा आसोज सुदी १ व २ को मेला लगता है. यहाँ राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश आदि राज्यों से यात्री आते हैं.

बाबा रामदेवजी के परिवार वाले भी यहाँ अपनी जात का जडूला चढाने जुन्जाला आया करते थे. यहाँ मन्दिर में एक पुरानी जाल का पेड़ है जिसके नीचे बाबा रामदेवजी का जडूला उतरा हुआ है. इसलिए जो लोग रामदेवरा जाते थे वह सब यात्री जुंजाला आने पर ही उनकी यात्रा पूरी मानी जाती है. इसलिए भादवा और माघ के महीने में मेला लग जाता है.

External links


Back to Jat Deities