Rudrol: Difference between revisions

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'''''Note''''' - Before 2017, this village was part of [[Bhiwani]] district (Charkhi Dadri district was created on 1 November 2016).  
'''''Note''''' - Before 2017, this village was part of [[Bhiwani]] district (Charkhi Dadri district was created on 1 November 2016).  
== Gotras ==
== Gotras ==
*[[Vijayrania]]
*[[Bijayraniya]
 
== History ==
== History ==
[[Jind|जींद रियासत]] में दादरी के गाँव रुदडौल में घर पर कचहरी लगाकर न्याय प्रियता का परिचय देकर '''चौधरी श्योलाल बिजारणियां आनरेरी मजिस्ट्रेट''' ने जाट समाज में अपना यश कमाया है। जिला दादरी में सबसे बड़ा भूपति और बाहुबली था , उन्होंने मृतक भोज (काज) का बहिष्कार और मूर्तिपूजा को त्यागने का आह्वान किया उनके 13 पुत्र थे। सभी बलशाली, सुंदर, स्वस्थ और रूपवान थे। चौधरी श्योलाल  बिजारणिया आनरेरी मजिस्ट्रेट के पिता एक राजस्व मंत्री और सेना नायक थे। उनका नाम जंग-ए-शेर पीरदान बिजारणिया था जिसने [[Chhuchhakwas|छुछकवास]] ([[Jhajjar|झझर]]) के पास अङ्ग्रेज़ी सेना को शिकस्त दी थी। रुदडौल गाँव दादरी जिले का एतिहासिक गाँव है। इस गाँव में चौधरी हरपतसिंह आर्य चार वेदों का विद्वान था। और उनके आर्य समाज के बड़े नाम स्वामी ओमानन्द जी से घनिष्ठ संबंध थे । चौधरी दलपतसिंह साढ़े 6 फूट का जवान था। जिसने नरभक्षी बाघ को एक लाठी से मार दिया। इनका बेटा भौम सिंह भी 6.5 फूट का है। चौधरी मनसाराम तेज धावक और प्रसिद्ध पहलवान था। उसका पुत्र महिपाल सिंह आर्य एक राष्ट्रवादी चिंतक है। राजकपूर, जोगिंद्र, दीपक, कार्तिक, वैभव, वेदप्रकाश, प्रदीप, कर्मवीर जागरूक नौजवान हैं।  
[[Jind|जींद रियासत]] में दादरी के गाँव रुदडौल में घर पर कचहरी लगाकर न्याय प्रियता का परिचय देकर '''चौधरी श्योलाल बिजारणियां आनरेरी मजिस्ट्रेट''' ने जाट समाज में अपना यश कमाया है। जिला दादरी में सबसे बड़ा भूपति और बाहुबली था , उन्होंने मृतक भोज (काज) का बहिष्कार और मूर्तिपूजा को त्यागने का आह्वान किया उनके 13 पुत्र थे। सभी बलशाली, सुंदर, स्वस्थ और रूपवान थे। चौधरी श्योलाल  बिजारणिया आनरेरी मजिस्ट्रेट के पिता एक राजस्व मंत्री और सेना नायक थे। उनका नाम जंग-ए-शेर पीरदान बिजारणिया था जिसने [[Chhuchhakwas|छुछकवास]] ([[Jhajjar|झझर]]) के पास अङ्ग्रेज़ी सेना को शिकस्त दी थी। रुदडौल गाँव दादरी जिले का एतिहासिक गाँव है। इस गाँव में चौधरी हरपतसिंह आर्य चार वेदों का विद्वान था। और उनके आर्य समाज के बड़े नाम स्वामी ओमानन्द जी से घनिष्ठ संबंध थे । चौधरी दलपतसिंह साढ़े 6 फूट का जवान था। जिसने नरभक्षी बाघ को एक लाठी से मार दिया। इनका बेटा भौम सिंह भी 6.5 फूट का है। चौधरी मनसाराम तेज धावक और प्रसिद्ध पहलवान था। उसका पुत्र महिपाल सिंह आर्य एक राष्ट्रवादी चिंतक है। राजकपूर, जोगिंद्र, दीपक, कार्तिक, वैभव, वेदप्रकाश, प्रदीप, कर्मवीर जागरूक नौजवान हैं।  

Revision as of 18:37, 1 July 2020

Rudrol (रुडरौळ/ रुदडौल) is a medium-size village in Charkhi Dadri Tehsil and district, Haryana.

Note - Before 2017, this village was part of Bhiwani district (Charkhi Dadri district was created on 1 November 2016).

Gotras

  • [[Bijayraniya]

History

जींद रियासत में दादरी के गाँव रुदडौल में घर पर कचहरी लगाकर न्याय प्रियता का परिचय देकर चौधरी श्योलाल बिजारणियां आनरेरी मजिस्ट्रेट ने जाट समाज में अपना यश कमाया है। जिला दादरी में सबसे बड़ा भूपति और बाहुबली था , उन्होंने मृतक भोज (काज) का बहिष्कार और मूर्तिपूजा को त्यागने का आह्वान किया उनके 13 पुत्र थे। सभी बलशाली, सुंदर, स्वस्थ और रूपवान थे। चौधरी श्योलाल बिजारणिया आनरेरी मजिस्ट्रेट के पिता एक राजस्व मंत्री और सेना नायक थे। उनका नाम जंग-ए-शेर पीरदान बिजारणिया था जिसने छुछकवास (झझर) के पास अङ्ग्रेज़ी सेना को शिकस्त दी थी। रुदडौल गाँव दादरी जिले का एतिहासिक गाँव है। इस गाँव में चौधरी हरपतसिंह आर्य चार वेदों का विद्वान था। और उनके आर्य समाज के बड़े नाम स्वामी ओमानन्द जी से घनिष्ठ संबंध थे । चौधरी दलपतसिंह साढ़े 6 फूट का जवान था। जिसने नरभक्षी बाघ को एक लाठी से मार दिया। इनका बेटा भौम सिंह भी 6.5 फूट का है। चौधरी मनसाराम तेज धावक और प्रसिद्ध पहलवान था। उसका पुत्र महिपाल सिंह आर्य एक राष्ट्रवादी चिंतक है। राजकपूर, जोगिंद्र, दीपक, कार्तिक, वैभव, वेदप्रकाश, प्रदीप, कर्मवीर जागरूक नौजवान हैं।

लेखक - महिपाल सिंह आर्य, सुपुत्र श्री मनसाराम आर्य, गाँव रुदडौल, चरखी दादरी, भिवानी। जाट गाथा, मई-2016,पृ.17

Population

1992 persons (2011 Census)[1]

Notable persons

External Links

References

  1. http://www.census2011.co.in/data/subdistrict/402-dadri-bhiwani-haryana.html
  2. Ganesh Berwal: 'Jan Jagaran Ke Jan Nayak Kamred Mohar Singh', 2016, ISBN 978.81.926510.7.1, p.139

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