Magadvipa

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Magadvipa (मगद्वीप) is the place mentioned in Bhivishya Purana where Samba, son of Krishna, settled the Maga families brought from Shakasthana for the worship of Sun Temple constructed by himself. [1]

Origin

Variants

History

मगद्वीप

विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...मगद्वीप (AS, p.691): भविष्यपुराण 39 में वर्णित जनपद जहाँ के निवासी मगों के सोलह मग परिवारों को कृष्ण के पुत्र साम्ब ने स्वनिर्मित सूर्य मन्दिर में सूर्योपासना के लिए शकस्थान से लाकर बसाया था. कृष्ण के पुत्र साम्ब ने दुर्वासा के शाप के परिणामस्वरूप कुष्ठ रोग से पीड़ित होने पर सूर्य की उपासना की थी. मग निवासियों का वर्णन यह प्रमाणित करता है कि ये लोग ईरान देश से आए थे. यह लोग पारसियों की भांति कटि-मेखला पहनते, मृत शरीर को छूना पाप समझते, खाते समय मौन रहते और प्रार्थना के समय मुख को कपड़े से ढका रखते थे. वास्तव में प्राचीन इरानी साम्राज्य की मीडिया नामक नमक नगर की एक जाति को मग या मागी कहते थे. (इसी से अंग्रेजी शब्द मैजिशियन (Magician) बना है). मगों का संबंध शाकलद्वीप या सियालकोट से भी जान पड़ता है जहां ये भारत में आने पर बस गए थे. वाराह मिहिर की बृहद संहिता 58 में वर्णित सूर्य-प्रतिमाओं के वेश तथा आकृति से विशेषत: कटि-मेखला तथा आजानू जूतों से यह तथ्य पुष्ट होता है कि भारत में सूर्योपासना के केंद्रों में ईरानी लोगों का काफी प्रभाव था. कालांतर में मगों को हिंदू समाज में ब्राह्मणों के रुप में सम्मिलित कर लिया गया. इन्हें आज भी मग, शाकल या शाकलद्वीपी ब्राह्मण कहा जाता है.

मुलतान, पाकिस्तान

विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है .... मुलतान, पाकिस्तान, (AS, p.753) : जनश्रुति के अनुसार मुल्तान का वास्तविक नाम मूलस्थान. यह एक प्राचीन सूर्य मन्दिर के लिए दूर-दूर तक विख्यात था। भविष्यपुराण 39 की एक कथा में वर्णित है किकृष्ण के पुत्र साम्ब ने दुर्वासा के शाप के परिणामस्वरूप कुष्ठ रोग से पीड़ित होने पर सूर्य की उपासना की थी और मूलस्थान (मुल्तान) में सूर्य मन्दिर बनवाया था। उसने मगद्वीप से सूर्योपासना में दक्ष सोलह मग परिवारों को बुलाया था। ये मग लोग शायद ईरान के निवासी थे और शाकल द्वीप में बसे हुए थे। इस सूर्य मन्दिर के खण्डहर मुल्तान में आज भी स्थित हैं। (दे. मगद्वीप).

स्कन्दपुराण के प्रभासक्षेत्र-माहात्म्य, अध्याय 278 में इस मन्दिर को देविका नदी के तट पर स्थित बताया गया है- 'ततो गच्छेन महादेविमूलस्थानमिति श्रुतम, देविकायास्तट रम्ये भास्करं वारितस्करम'। देविका वर्तमान देह नदी है। युवानच्वांग के समय में सिन्धु और मुल्तान पड़ौसी देश थे। अलबेरूनी ने सौवीर देश का विस्तार मुल्तान तक बताया है। एक प्राचीन किवदंती में मुल्तान को विष्णु के भक्त प्रह्लाद का जन्म स्थान तथा हिरण्यकशिपु की राजधानी माना जाता है। प्रह्लाद के नाम से एक प्रसिद्ध मन्दिर भी यहाँ स्थित है।

External links

References