Sharabhanga Ashrama

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(Redirected from Śarabhaṅgāśrama)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

District map of Satna

Sharabhanga Ashrama (शरभङ्गाश्रम) refers to the name of a Tīrtha (pilgrim’s destination) mentioned in the Mahābhārata (cf. III.83.39).

Origin

Variants

History

In Mahabharata

Sharabhangashrama (शरभङ्गाश्रम) (Tirtha) Mahabharata (III.83.39)

Vana Parva, Mahabharata/Book III Chapter 83 mentions names of Pilgrims. Sharabhangashrama (शरभङ्गाश्रम) (Tirtha) is mentioned in Mahabharata (III.83.39).[1].....Proceeding next to the asylum of Sarabhanga (शरभङ्गाश्रम) (III.83.39) and that of the illustrious Shuka (शुक) (3.83.39), one acquireth immunity from misfortune, besides sanctifying his race.

शरभंगाश्रम

विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...शरभंगाश्रम (AS, p.890) : ज़िला बांदा (उत्तर प्रदेश) में इलाहबाद-मानिकपुर रेलमार्ग के जैतवारा स्टेशन से लगभग 15 मील दूर वनप्रांत में स्थित शरभंग के नाम से प्रसिद्ध स्थान को शरभंगाश्रम कहा जाता है। (दे.ऊनकेश्वर). यहाँ श्रीराम का एक मन्दिर स्थित है। शरभंगाश्रम का उल्लेख बाल्मीकि तथा कालिदास के अतिरिक्त तुलसीदास ने भी किया है- ‘पुनि आये जहं मुनि सरभंगा, सुन्दर अनुज जानकी संगा’। यह स्थान विराधवन के निकट ही स्थित था। (दे. विराधाकुंड). अध्यात्म. आरण्य. 2,1 में इसका वर्णन इस प्रकार है- ‘विराधे स्वर्गते रामो लक्ष्मणेन च सीतया, जगाम शरभंगस्य वनं सर्वसुखाबहम्’।रामायण की कथा के प्रसंग से इसकी अवस्थिति को ऊनकेश्वर की अपेक्षा जिला बांदा में मानना अधिक समीचीन जान पड़ता है. (दे. सुतीक्षणाश्रम)

सुतीक्ष्णाश्रम

विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ... सुतीक्ष्णाश्रम (AS, p.973), जिला बंदा, उ.प्र. में इलाहाबाद-मानिकपुर रेल मार्ग पर जैतवारा स्टेशन से 20 मील और शरभंग आश्रम से सीधे जाने पर 10 मील पर स्थित है. वाल्मीकि रामायण में चित्रकूट से आगे जाने पर अनेक मुनियों के आश्रम से होते हुए राम-लक्ष्मण-सीता के ऋषि सुतीक्षण के आश्रम में पहुंचने का उल्लेख है. यहां वे वनवास काल के दसवें वर्ष के व्यतीत होने पर पहुंचे थे--'रमतः च आनुकूल्येन ययुः संवत्सरा दश । परिसृत्य च धर्मज्ञः राघवः सह सीतया ॥३-११-२७॥ सुतीक्ष्णस्य आश्रमम् श्रीमान् पुनर् एव आजगाम ह । स तम् आश्रमम् आगम्य मुनिभिः परिपूजितः ॥३-११-२८॥ तत्र अपि न्यवसत् रामः कंचित् कालम् अरिन्दमः । अथ आश्रमस्थो विनयात् कदाचित् तम् महामुनिम् ॥३-११-२९॥' अरण्यकांड 11,27-28-29. यहां से वे सुतीक्षण के गुरु अगस्त्य के आश्रम में पहुंचे थे. रघुवंश, 13,41 में पुष्पकविमानारूढ राम सुतीक्ष्ण का वर्णन इस प्रकार करते हैं,'हविर्भुजां एधवतां चतुर्णां मध्ये ललाटंतपसप्तसप्तिः । असौ तपस्यत्यपरस्तपस्वी नाम्ना सुतीक्ष्णश्चरितेन दान्तः ' सुतीक्षण आश्रम के आगे शरभंग आश्रम का तथा फिर चित्रकूट का वर्णन रघुवंश-13 में होने से सुतीक्ष्ण आश्रम की स्थिति उपर्युक्त अभिज्ञान के अनुसार ठीक समझी जा सकती है, क्योंकि चित्रकूट इस स्थान से अधिक दूर नहीं होना चाहिए. चित्रकूट भी जिला बांदा में ही है. अध्यात्म रामायण अरण्यकांड 2,55 में सुतीक्षण के आश्रम का इस प्रकार वर्णन है--'सुतीक्ष्णास्याश्रमं प्रागात्प्रख्यातमृषीसंकुलम्, सर्वतुर्गुण सम्पन्नं सर्वकालसुखावहम्' तुलसीदास ने रामचरितमानस, अरण्यकांड दोहा-9 के आगे सुतीक्ष्ण-राम-मिलन का मधुर वर्णन किया है. (देखें शरभंग आश्रम)

External links

References

  1. शरभङ्गाश्रमं गत्वा शुकस्य च महात्मनाः, न दुर्गतिम अवाप्नॊति पुनाति च कुलं नरः (III.83.39)
  2. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.890-891
  3. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.973