Jaton ki Gauravgatha
Author of this article is Laxman Burdak लक्ष्मण बुरड़क |
Jaton ki Gauravgatha (जाटों की गौरवगाथा), is the title of book by Dr Pema Ram & Dr Vikramaditya Chaudhary.
Publisher - Rajasthani Granthagar, Jodhpur, Ph 0291-2623933, 2623933 (O), 2432567 (R), Second Edition 2008, Price Rs. 300/-
Abstract in English
This book includes chapters on Social Reformers and the Freedom Fighters from Rajasthan, who have played very important role in awakening of the society in general and Jats in particular.
पुस्तक की विषय सूची
प्रोफेसर पेमाराम और डॉ विक्रमादित्य चौधरी द्वारा लिखित 'जाटों की गौरवगाथा' पुस्तक की विषय सूची इस प्रकार है:
- 1 लोकदेवता वीर तेजाजी....9-20
- 2 धन्ना भगत....21-34
- 3 भक्त शिरोमणि रानाबाई ....35-56
- 4 चौधरी बहादुरसिंह भौबिया....57-67
- 5 चौधरी बलदेवराम मिर्धा....68-82
- 6 चौधरी मूलचंद सिहाग नागौर....83-103
- 7 बाबू गुल्लाराम रतकुड़िया....104-116
- 8 चौधरी रामदान बाड़मेर....117-129
- 9 चौधरी भींयाराम सिहाग परबतसर....130-136
- 10 प्रसिद्ध इतिहासकर ठाकुर देशराज भरतपुर....137-153
- 11 महान शिक्षाविद व कर्मयोगी स्वामी केशवानन्द संगरिया....154-167
- 12 चौधरी कुंभाराम आर्य....168-182
- 13 प्रोफेसर घासीराम वर्मा....183-187
- 14 सिद्ध जसनाथजी एवं उनका पंथ-जसनाथी संप्रदाय....188-204
- 15 वात्सल्य भक्ति की प्रतिमूर्ति करमां बाई....205-211
- 16 अथ कारमांबाई री परची लिख्यते....212-215
- 17 संत शिरोमणि फूलीबाई....216-244
- 18 शेखावटी के लोहपुरुष सरदार हरलालसिंह हनुमानपुरा....245-268
- 19 लोकदेवता जुंझार वीर बिग्गाजी....269-283
- 20 जनसेवक कुँवर नेतरामसिंह गौरीर....284-304
पुस्तक समीक्षा
प्रोफेसर पेमाराम और डॉ विक्रमादित्य चौधरी द्वारा लिखित 'जाटों की गौरवगाथा' पुस्तक का प्रकाशन राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर द्वारा किया गया है। इस पुस्तक का प्रथम संस्करण इतना लोकप्रिय हुआ कि शीघ्र ही उसका दूसरा संस्करण निकालना पड़ा। द्वितीय संस्करण में अनेक नए पाठ जोड़े गए यथा - महिला संतों में फूलीबाई व भक्त करमाबाई, पुरुष संतों में सिद्ध जसनाथजी और उनके द्वारा स्थापित जसनाथी संप्रदाय, किसानों के हितेषी सरदार हरलाल सिंह, हनुमानपुरा तथा प्रसिद्ध लोकदेवता बिग्गाजी आदि। इन पाठों के जुड़ जाने से पुस्तक की उपयोगिता बढ़ गई है।
प्रोफेसर पेमाराम ने राजस्थान की जाट कौम के बारे में तीन ग्रंथ लिखे हैं। प्रोफेसर पेमाराम का जाट कौम के बारे में पहला ग्रंथ 'जाटों की गौरवगाथा' नाम से प्रकाशित हुआ है। इसमें जाट कौम के उन महान चरित्र नायकों का वर्णन किया है जिन्होने अज्ञानता और अंधकार में सोई हुई जाट कौम को जगाने के लिए अनेक कष्ट सहे और अपने जीवन के अमूल्य समय को इस दिशा में लगाकर जाटों के जीवन को सुखमय बनाने का प्रयास किया। जाट कौम के ऐसे अनेक महान व्यक्तियों में जिनका लेख किया गया है वे हैं :
- चौधरी बहादुरसिंह भौबिया
- चौधरी बलदेवराम मिर्धा
- चौधरी मूलचंद सिहाग, नागौर
- बाबू गुल्लाराम बैंदा
- चौधरी रामदान डउकिया, बाड़मेर
- चौधरी भींयाराम सिहाग, नागौर
- ठाकुर देशराज : प्रसिद्ध इतिहासकार
- स्वामी केशवानन्द : महान शिक्षाविद
- चौधरी कुंभाराम आर्य
- सरदार हरलाल सिंह, हनुमानपुरा
- प्रोफेसर घासीराम वर्मा
- कुँवर नेतराम सिंह गौरीर
इनके साथ ही राजस्थान में समय-समय पर अनेक जाट विभूतियाँ पैदा हुई हैं जिन्होने लोगों की धार्मिक आस्थाओं को बनाए रखने व उन्हें सन्मार्ग पर चलने को प्रेरित करने में भरपूर योगदान दिया है। इन विभूतियों में प्रमुख हैं:
जाट कौम के ऐसे महान चरित्र नायकों के कृत्यों को लिखकर समाज में डॉ. पेमाराम ने जाट कौम के गौरव को बढ़ाने का कार्य किया है। इन चरित्र नायकों के बारे में पढ़कर भावी पीढ़ी को उत्साह और प्रेरणा मिलेगी। जाट कौम ने इस ग्रंथ को बहुत पसंद किया और यही कारण था कि थोड़े ही समय में इसके चार संस्करण निकाले गए।
संदर्भ
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