Achru Ladhora
Achru Ladhora (अचरु) is a village in Mat tehsil of Mathura district in Uttar Pradesh.
Location
History
Jat Gotras
अमर बलिदानी राजा देबी सिंह जी
राजा देबी सिंह जी का जन्म राया परगना जिला मथुरा के अचरु ग्राम के एक जाट परिवार में हुआ था। राया की स्थापना उनके पूर्वज राजा रायसेन गोदर जी ने करवाई थी। उनके पूर्वजों का इस क्षेत्र पर राज रहा। लेकिन मुगलों के समय उनका राज छीन लिया गया था जिसे पाने की कोशिश गोदर लंबे समय से कर रहे थे। देवी सिंह जी के पास 14 गांवों की जागीर भी थी जिससे प्राप्त आमदनी को वह जरूरतमंदों के लिए लगाते थे। राजा देवी सिंह एक बड़े तगड़े कुश्ती के पहलवान थे। वह गठीले शरीर और सुंदर रूप के धनी व श्रेष्ठ यौद्धा थे।
एक बार अखाड़े में वह व्यायाम व कुश्ती खेल रहे थे, तब गांव के किसी व्यक्ति ने उन पर ताना कसा कि इस गठीले व ताकतवर शरीर का क्या फायदा तुम्हारी भूमी पर तो ग़ौरों का राज है और यहां अखाड़े में ताकत दिखाने से कोई मतलब नहीं जब तक भारत भूमी विदेशी अंग्रेजों की गुलाम है। यह सब सुनकर देवी सिंह जी सन्न रह गए। उन्हें रात भर नींद न आई और वे सोचते रहे। इसके बाद सुबह उन्होंने गांव व आस-पास के जाटों को एकत्रित करके कहा कि अब फिर से पूर्वजों की भूमि को आजाद करवाना है और भारत को अंग्रेजों के चंगुल से छुटाना है वरना हमारा जीवन व्यर्थ है जो भी इस पवित्र कार्य में मेरी मदद करना चाहे वह मेरे साथ आये, सब युवा एक स्वर में बोले कि हम आखिरी सांस तक तन-मन-धन से आपके साथ हैं, फिर देवी सिंह जी ने हथियार इकट्ठा करके एक सेना तैयार की और 10-मई-1857 को शुरू हुई क्रांति के दिन ही राया में विद्रोह कर दिया।
गोदर खाप का सम्मेलन किया गया वो जटवाड़ा रीति-रिवाज से उनका राजतिलक किया गया।
राजा साहब ने आस-पास के सब अंग्रेजो कि नींद उड़ा ली उनका खजाना कचहरी सब लूट लिया व क्रांतिकारियों और गरीबो में बांट दिया। उन्होंने अनेकों अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया। मथुरा के अंग्रेज मजिस्ट्रेट मार्क थोर्नबिल यह सब देखकर राया छोड़कर जैसे-तैसे करके भाग निकला। राया के सब अंग्रेज अधिकारी भाग गए या मारे गए। राया के किले पर राजा देवी सिंह जी का कब्जा हो गया।
बल्लभगढ़ हरयाणा के क्रांतिवीर राजा नाहर सिंह जी के कहने पर दिल्ली के बादशाह बहादुर शाह जफर ने उन्हें राजा की पदवी आधिकारिक रूप से प्रदान कर दी थी, उन्होंने राया शहर में कचहरी लगानी शुरू कर दी और वहां सबकी समस्या सुनते व उनका निदान करते। उन्होंने अपनी सेना में युवकों को भर्ती करना शुरू कर दिया।
उनके राज में मजदूर से लेकर किसान तक, व्यापारी से लेकर जवान तक सब खुशहाल थे। उनका राजा लगभग एक साल तक खुलेआम चला। उनके राज्य में किसी अंग्रेज को घुसने नहीं दिया जाता था। अगर घुसता तो उसे काट दिया जाता था, धीरे-धीरे उन्होंने राया क्षेत्र के 80 गांवों पर अपना राज कायम कर लिया था।
उनकी ताकत बढ़ती देखकर अंग्रेजी सरकार परेशान हो गयी। इसलिये उन्होंने एक बड़ी सेना भेजने का फैसला क़िया। थोर्नबिल के नेतृत्व में आधुनिक हथियारों से लैस बड़ी सेना भेजी गई। राया राज्य के सब सैनिकों समेत राजा देवी सिंह जी ने उनका वीरता से सामना किया, भयंकर युद्ध चलता रहा, बहुत से अंग्रेज मारे गए एवं क्रांतिकारी शहीद हो गए।
इसी बीच राजा देवी सिंह जी के पास गोला बारूद खत्म हो गया। अंग्रेजों ने राजा को आत्मसमर्पण करने को कहा और जागीर का लालच दिया। मगर राजा ने साफ़ मना कर दिया और कहा कि ये क्रांति तो भारत की आजादी के साथ ही रुक सकती है वर्ना ऐसे ही अंत समय तक युद्ध जारी हुआ।
राजा व उनकी सेना ने बिना गोली बारूद तलवारों एवं लाठी पत्थर आदि देशी हथियारों से मुकाबला शुरू कर दिया, बहुत से वीर शहीद हो गए राजा साहब को बन्दी बना लिया गया और 15 जून 1858 को उन्हें सबके सामने खुलेआम फांसी पर लटका दिया गया। उन्होंने फांसी का फंदा चूमते हुए कहा कि जब तक भारतभूमि गुलामी की जंजीरों में जकड़ी हुई है तब तक हथियार उठाये रखना भले ही कितने ही देवी सिंहों के रक्त की आहुति देनी देनी पड़े हमें यह स्वतंन्त्रता का कर्म सफल बनाना है।
इस तरह 15 जून 1858 को भारत माता के एक महान सपूत राजा देवी सिंह जी ने स्वतंन्त्रता कि बलिवेदी में अपने प्राणों की आहुति दे दी।
हमें लाख कोशिश करके भी अपने देश की इस स्वतंत्रता को सुरक्षित रखना है। हमारे पूर्वजों ने कितने ही बलिदान मात्र इसलिए दिए हैं कि हम सब खुली स्वतंत्र हवा में सांस ले सकें।
भारत के अमर वीर पुत्र राजा देवी सिंह जी के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम
Population
Notable Persons
- Raja Devi Singh Godara (b.?-d.1857) (राजा देवीसिंह गोदारा) was a ruler of Raya Mathura in Mathura district of Uttar Pradesh. He was hanged to death by the British Govt on 15 June 1858.
External Links
References
Back to Jat Villages