Amrit Kalash/Chapter-15
स्वतंत्रता सेनानी प्रसिद्ध कवि एवं समाज सुधारक - चौ. धर्मपाल सिंह भालोठिया - अमृत कलश (भजनावली),
लेखक - सुरेंद्र सिंह भालोठिया और डॉ स्नेहलता सिंह, बाबा पब्लिकेशन, जयपुर
1. उठो अब देश की बहनों
- गीत-1
तर्ज:- दया कर दान भक्ति का...........
उठो अब देश की बहनों, तुम्हें भी काम करना है ।
अपने देश भारत को, स्वर्ग का धाम करना है ।। टेक ।।
सुनो छोटी बड़ी बहना, इतना मान लो कहना ।
पहन लो विद्या का गहना, यही इन्तजाम करना है ।। 1 ।।
बनो दुर्गा भवानी तुम, बनो झाँसी की रानी तुम ।
पढो उनकी कहानी तुम, वही प्रोग्राम करना है ।। 2 ।।
यदि पैदा करो संतान, योद्धा दानी और विद्वान ।
अपनी कोख से हनुमान, भरत और राम करना है ।। 3 ।।
बनो श्री जनक दुलारी तुम, बनो दमयन्ती प्यारी तुम ।
देवकी बन महतारी तुम, पैदा घनश्याम करना है ।। 4 ।।
बनी कृष्णा कुमारी तुम, कभी नहीं हिम्मत हारी तुम ।
विदुषी बनके नारी तुम, जगत में नाम करना है ।। 5 ।।
लगादो घर घर में आवाज, बदलना होगा सकल समाज ।
जेवर परदे का रिवाज, खतम तमाम करना है ।। 6 ।।
मिटादो आपस की तकरार, झुकेगा फिर सारा संसार ।
घर-घर विद्या का प्रचार, सुबह और शाम करना है।। 7 ।।
कहे धर्मपाल सिंह आओ, देश की शान बन जाओ ।
आम का आम बनाओ, गुठली का दाम करना है ।। 8 ।।
2. देश दीवानी, एक क्षत्राणी
- गीत-2
देश दीवानी एक क्षत्राणी, हँस के यूँ बोली पियाजी ।
केसरिया रंग में रंगवादो, मेरी ये चोली पियाजी ।। टेक ।।
जितनी आप समझते हमको, समझो मत भोली पियाजी ।
वक्त के ऊपर पूरी उतरी, जिस दिन भी तोली पियाजी ।। 1 ।।
जिस दिन हम मैदान में आई, मिलकर हमजोली पियाजी ।
आसमान को हिला दिया था, धरती भी डोली पियाजी ।। 2 ।।
देश के ऊपर दुश्मन चढके, आया दिन धोली पियाजी।
टैंक हवाई तोप के गोले, बरसा रहे गोली पियाजी ।। 3 ।।
चले फौज में भरती होके, टोली की टोली पियाजी।
लाहौर में जाकर के खून से, खेलेंगी होली पियाजी ।। 4 ।।
हथियारों की कमी पै ले लें, मूसल लठोली पियाजी ।
पत्थर मार-मार सिर फोड़ें, भर-भर के झोली पियाजी ।। 5 ।।
भालोठिया का गाना सुनके, आँखें मैं खोली पियाजी ।
भारत माँ की भेंट चढा दूँ ,जिन्दगी अनमोली पियाजी ।। 6 ।।
3.देश की बहनों, तुमने रखी
- गीत-3
तर्ज:- इस फैशन ने, म्हारे देश की, कती बिगाड़ी चाल..........
देश की बहनों, तुमने रखी, अपने देश की लाज ।
- आज तुम भूल गई क्या ।। टेक ।।
जिस दिन तुम शिक्षित थी, अपने धर्म कर्म को जाने थी ।
जगत गुरू इस आर्यवर्त को, सारी दुनिया माने थी ।
तुम्हारे कारण, दुनिया में था, चक्रवर्ती राज ।
- आज तुम भूल गई क्या ।। 1 ।।
सीता तारा दमयन्ती रही, दुख में पति के साथ में ।
पाण्डवों की इज्जत रही थी, द्रोपदी के हाथ में ।
सूट बूट और जेवर के लिए, नहीं होती नाराज ।
- आज तुम भूल गई क्या ।। 2 ।।
तुम्हीं मातृशक्ति थी, तुम देवी और भवानी थी।
गाँव गाँव में ईंटों की नहीं, शीतला सेढ़-मसानी थी।
औषधि से करवाती, रोग बीमारी का इलाज।
- आज तुम भूल गई क्या ।। 3 ।।
घर में बन्द नहीं रहती थी, जो होती थी क्षत्राणी ।
युद्धभूमि में साथ पति के, लड़ी अनेकों मरदानी ।
सिंहनी की तरह फिरती, नहीं था परदे का रिवाज ।
- आज तुम भूल गई क्या ।। 4 ।।
वीर किशोरी रानी भरतपुर, दिल्ली जीत के आई थी ।
दुर्गावती और महामाया, झाँसी की लक्ष्मीबाई थी ।
दुश्मन दल पै टूट पड़ी थी, ज्यूँ चिड़ियों पर बाज ।
- आज तुम भूल गई क्या ।। 5 ।।
आज देश का हर एक व्यक्ति, अपना कर्तव्य भूल गया ।
ब्लैक चोरी रिश्वतखोरी, अपस्वार्थ में टूल गया ।
भालोठिया कहे तुम्हें बचाना, एक अरब का जहाज ।
- आज तुम भूल गई क्या ।। 6 ।।
4. जागो जागो हे भारत की देवियो
- गीत-4
तर्ज:- लोकगीत
जागो जागो हे भारत की देवियो, सोई सोई हजारों साल,
- अविद्या रूपी नींद में ।। टेक ।।
कभी वेद हमारा धर्म था, आज गई वेद की हे चाल,
- अविद्या रूपी नींद में ।। 1 ।।
कभी सोने की चिड़िया देश था, आज हो गया कंगाल,
- अविद्या रूपी नींद में ।। 2 ।।
कभी हीरा मोती जवाहरात थे, आज गये किरोड़ीलाल,
- अविद्या रूपी नींद में ।। 3 ।।
कभी देवी तुम्हारा नाम था, आज हुआ हाल बेहाल,
- अविद्या रूपी नींद में ।। 4 ।।
कभी भोजन हलवा पूरी खीर था, आज अंडे मांस के थाल,
- अविद्या रूपी नींद में ।। 5 ।।
कभी दूध दही का था पीवणा, आज पीवें शराब चांडाल,
- अविद्या रूपी नींद में ।। 6 ।।
कभी छियानवें करोड़ गऊ देश में, आज लाखों मरें हर साल,
- अविद्या रूपी नींद में ।। 7 ।।
कहे धर्मपाल सिंह भालोठिया, अब तो करल्यो खयाल,
- अविद्या रूपी नींद में ।। 8 ।।
5. सखी हमें करना हे, नव भारत का निर्माण
- गीत-5
तर्ज:- साथण चल पड़ी हे ......
सखी हमें करना हे, नव भारत का निर्माण ।। टेक ।।
टीलों को नीचा करना हे, झीलों में मिट्टी भरना हे ।
- भूमि हो एक समान ।। 1 ।।
धरती का कोना कोना हे, पानी से आज भिगोना हे ।
- बाड़ी,ईंख और धान ।। 2 ।।
पक्की सभी गली बनानी हे, गन्दगी की मिटे निशानी हे,
- सभी सुखी रहें ईन्सान ।। 3 ।।
नगरी हों एक सी सारी हे,नई नई हों चित्रकारी हे,
- सुन्दर लगें मकान ।। 4 ।।
नहरों का जाल बिछाना हे, सड़कों से सड़क मिलाना हे,
- हमें करना है श्रमदान ।। 5 ।।
लाडो और सिणगारी हे, हों बी.ए., एम. ए. सारी हे,
- फिर बनें कुटुम्ब की शान ।। 6 ।।
धापां जहरो माड़ी हे, चलें पहन के साड़ी हे ,
- सुन्दर लगे पहरान ।। 7 ।।
होजा दूर कंगाली हे, खुश होकर हाळी पाळी हे,
- सुनों भालोठिया का गान ।। 8 ।।
6. मेरे देवर ल्यादे, ऐसी रंगीली साड़़ी
- ।। गीत-6 ।। (देशभक्ति)
तर्ज:- सांगीत - मरण दे जननी,मौका यो ठीक बताया........
मेरे देवर ल्यादे, इसी रंगीली साड़ी ।। टेक ।।
पढ़ा लिखा रंगरेज हो, साड़ी में अजब कमाल दिखादे ।
देशभक्त और शूरवीर सब, भारत माँ के लाल दिखादे ।
लाल किला पर झंडा चढ़ा, वह सैंतालीस का साल दिखादे ।
आजादी का पहला पुजारी, महर्षि दयानन्द दिखादे ।
गुलामी के विरोध में होता, सारा भारत बन्द दिखादे ।
गाँधी पटेल तिलक गोखले, ताँत्या बाल मुकन्द दिखादे ।
राज गैर का बुरा बताके, ऋषि ने पोल उघाड़ी ।। 1 ।।
आजादी की लड़ी लड़ाई, उसका सारा खेल दिखादे ।
लाला लाजपत श्रद्धानन्द, नेहरू और पटेल दिखादे ।
जहाँ भगतसिंह फांसी टूटा, वो लाहौर की जेल दिखादे ।
झाँसी वाली लक्ष्मीबाई, घोड़े पर सवार दिखादे ।
कमर के ऊपर बच्चा, दोनों हाथों में तलवार दिखादे ।
अंग्रेजों की फौज में बड़गी, करती मारोमार दिखादे ।
भरती खजानी लड़ती दिखादे, धापां जहरो माड़ी ।। 2 ।।
अंग्रेजों को चकमा दे गया, सुभाष चन्द्र बोस दिखादे ।
जर्मन और जापान में पहुँचा, होकर के रूपोस दिखादे ।
आजाद हिन्द फौज बनाके, भरा गजब का जोश दिखादे ।
डायर ने गोली चलवाई, वह जलियाँवाला बाग दिखादे ।
देश के सपूत वीरों ने वहाँ, खेला खून से फाग दिखादे ।
घर-घर से फूंकार मारते, लिकड़े काले नाग दिखादे ।
जोश देखके अंग्रेजो की, बन्द हो गई नाड़ी ।। 3 ।।
रानी किशोरी जवाहर सिंह ओर, जवाहर सिंह का बाप दिखादे ।
गुरू गोविन्दसिंह वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप दिखादे ।
हल्दीघाटी के युद्ध में चेतक, घोड़े के टाप दिखादे ।
किसान और मजदूर का नेता, चौधरी छोटूराम दिखादे ।
जननायक श्री देवीलाल का, चौटाला धाम दिखादे ।
धर्मपाल सिंह भालोठिया का, जोशीला प्रोग्राम दिखादे ।
हरा भरा हरियाणा दिखादे, खिली हुई फुलवाड़ी ।। 4 ।।