Amrit Kalash/Chapter-17
स्वतंत्रता सेनानी प्रसिद्ध कवि एवं समाज सुधारक - चौ. धर्मपाल सिंह भालोठिया - अमृत कलश (भजनावली),
लेखक - सुरेंद्र सिंह भालोठिया और डॉ स्नेहलता सिंह, बाबा पब्लिकेशन, जयपुर
16. पतिव्रता की खाऽऽऽस मैं
- ।। भजन-16 ।। (पतिव्रता के लक्षण)
- तर्ज : गंगाजी तेरे खेत में........
पतिव्रता की खाऽऽऽस मैं , दर्शाऊँ पहचान ।
पतिव्रता नाऽऽऽर की, हो पूजा घर घर मेंऽऽऽ ।। टेक ।।
पतिव्रता पति के संग, महल में निवास करे ।
पतिव्रता पति के संग, झोंपड़ी में वास करे ।
पतिव्रता पति के संग, फकीरी लिबास करे ।
पतिव्रता का जंग में भी, यदि प्राणनाथ चले ।
पतिव्रता फौज में हो, भरती उसके साथ चले ।
पतिव्रता का रण में, बिजली की भांति हाथ चले।
पतिव्रता करूँ पाऽऽऽस में, हो जिसको धर्म का ज्ञान ।
- पतिव्रता नाऽऽऽर की ......... ।। 1 ।।
पतिव्रता प्रेम से, पति के सिर की पाग बने।
पतिव्रता कामी नर के, लिये काला नाग बने।
पतिव्रता अन्धेरे के, घर का चिराग बने ।
पतिव्रता जग में रोशन, पति का नाम करे।
पतिव्रता अपने घर को, स्वर्ग का धाम करे।
पतिव्रता सन्ध्या हवन,सुबह और शाम करे।
पतिव्रता के विश्वाऽऽऽस में, पति और भगवान ।
- पतिव्रता नाऽऽऽर की ......... ।। 2 ।।
पतिव्रता करती स्याणे, सेवड़े से बात नहीं।
पतिव्रता कभी देती,गठजोड़े की जात नहीं।
पतिव्रता कभी देती, पीर को सौगात नहीं।
पतिव्रता गंगा जमना ,पुष्कर में न्हावे नहीं।
पतिव्रता मुर्गा बकरा, देवी पर चढ़ावे नहीं।
पतिव्रता मैड़ी बाल ,बच्चों के कटवावे नहीं।
पतिव्रता का दाऽऽऽस मैं, जो होती बच्चों की शान ।
- पतिव्रता नाऽऽऽर की ......... ।। 3 ।।
पतिव्रता सहनक कभी,चौराहे पर धरे नहीं।
पतिव्रता भूत और भूतणी से डरे नहीं।
पतिव्रता सच्ची सती, आत्महत्या करे नहीं।
पतिव्रता डोरी गंडा,झाड़ा लगवावे नहीं।
पतिव्रता कभी कहीं,बूझा करवावे नहीं।
पतिव्रता अपना हाथ, डाकोत को दिखावे नहीं।
पतिव्रता का इतिहाऽऽऽस मैं,भालोठिया करूँ बयान ।
- पतिव्रता नाऽऽऽर की ......... ।। 4 ।।
17. बीर मनै पढ़ण बैठादे रे
- गीत-17
- तर्ज:- लोक गीत
बीर मनै पढ़ण बैठादे रे, बिना विद्या पशु समान,
- ज्ञान बिना सूनी काया रे ।। टेक ।।
बीर मेरा नाम लिखा दे रे, तेरा भूलूँ नहीं एहसान,
- ज्ञान बिना सूनी काया रे ।। 1 ।।
बीर विद्या से होता रे, अपने धर्म का ज्ञान,
- ज्ञान बिना सूनी काया रे ।। 2 ।।
बीर हम घर की लक्ष्मी रे, हो पढ़ लिखकर विद्वान,
- ज्ञान बिना सूनी काया रे ।। 3 ।।
बीर हम देवी भवानी रे, जन्में ऋषि मुनि बलवान,
- ज्ञान बिना सूनी काया रे ।। 4 ।।
वीर माताओं ने जाये रे, अंगद राम कृष्ण हनुमान ,
- ज्ञान बिना सूनी काया रे ।। 5 ।।
बीर जो अनपढ़ नारी रे, उसकी मूर्ख सन्तान,
- ज्ञान बिना सूनी काया रे ।। 6 ।।
बीर पढ़े छोटा भाई रे, मेरा क्यों नहीं ध्यान,
- ज्ञान बिना सूनी काया रे ।। 7 ।।
बीर भालोठिया का गान , मैंने सुना लगा कर ध्यान,
- ज्ञान बिना सूनी काया रे ।। 8 ।।
18. मेरे तख्ती बसता हाथ में
- गीत – 18
तर्ज:- मेरे सिर पर बंटा टोकनी ……
मेरे तख्ती बस्ता हाथ में, मैं स्कूल में हुई तैयार,
- मै बाबुल के लाडली ।। टेक ।।
एक पढ़ी मैं दो पढ़ी, मैं पढ़ी तीन और चार,
- मैं बाबुल के लाडली ।। 1 ।।
मन लाके पढ़ती रही, मैं पढ़णें मे हुशियार,
- मैं बाबुल के लाडली ।। 2 ।।
मैं पढ़ लिखकर स्याणी हुई, मेरा कर दिया ब्याह संस्कार,
- मैं मेरे पिया के लाडली ।। 3 ।।
शादी होके मैं चली, सुसरा जी के द्वार,
- मैं ससुरा के लाडली ।। 4 ।।
सासू के चरणों पड़ी, मेरी सासुजी करे प्यार,
- मैं सासु के लाडली ।। 5 ।।
होली दिवाली तीज ने, मेरा वीर गया लणिहार,
- मैं मेरे वीरा के लाडली ।। 6 ।।
चाची ताई मात को, करूँ हाथ जोड़ नमस्कार,
- मैं कुणबा में लाडली ।। 7 ।।
भालोठिया के गीत सुन, मेरी भावज करे सत्कार,
- मैं भावज के लाडली ।। 8 ।।
19. गुरूकुल जांगी रे
- गीत-19
- तर्ज:- लोक गीत
गुरूकुल जांगी रे, मेरे हुये आर्य भाई ।। टेक ।।
ना पूजूँ देव पत्थर का हे, म्हारे पति देवता घर का हे ।
- जिसके मैं ब्याही आई ।। 1 ।।
ना पूजूँ पीर निगोड़ा हे, म्हारे पूजन जोगा बूढ़ा हे ।
- पोळी में देत दिखाई ।। 2 ।।
ना पूजूँ सेढ मसानी हे, ये डाकण बच्चे खाणी हे ।
- घर बुढ़िया सास बताई ।। 3 ।।
ना पूजूँ देवी पत्थर की हे, म्हारे नणदल देवी घर की हे ।
- मेरी सास की जाई ।। 4 ।।
ना घंटे टाल बजाऊँ हे, मैं ओउ्म नाम को ध्याऊँ हे ।
- जिसने ये दुनिया बनाई ।। 5 ।।
नहीं स्याणे सेवड़े बुलवाऊँ, नहीं झाड़ा बुझा करवाऊँ ।
- अब रोग की मिले दवाई ।। 6 ।।
जब स्वामी दयानन्द आए हे, हमें चारों वेद सुनाए हे ।
- पोपों में पड़ी दुहाई ।। 7 ।।
सुनो धर्मपाल का गाना हे, यहां होता है रोजाना हे ।
- जिन नई नई तर्ज बताई ।। 8 ।।
20. जीजा विद्या पढ़ाइयो हमारी बेबे न
- गीत 20 (जीजा)
तर्ज :-जीजा टेवटो घड़ा दे, सोनों है सस्तो …….
जीजा विद्या पढाइयो हमारी बेबे न ।। टेक ।।
जीजा जितने कर्म गृहस्थी के, जीजा सारे बताइयो,
- हमारी बेबे न ।। 1 ।।
जीजा प्रेम से काम कराओ सारा, जीजा मत धमकाइयो,
- हमारी बेबे न ।। 2 ।।
जीजा गलती हो समझा देना, जीजा मतना सताइयो,
- हमारी बेबे न ।। 3 ।।
जीजा जितना जेवर विद्या का, जीजा सारा पहनाइयो,
- हमारी बेबे न ।। 4 ।।
जीजा पत्थर पूजा छुड़वाके, जीजा संध्या सिखाइयो,
- हमारी बेबे न ।। 5 ।।
जीजा जहां पर जात दई जाती, जीजा मत ले जाइयो,
- हमारी बेबे न ।। 6 ।।
जीजा धर्मपाल सिंह बुलवाके, जीजा गाना सुनवाइयो,
- हमारी बेबे न ।। 7 ।।