Amrit Kalash/Chapter-3
स्वतंत्रता सेनानी प्रसिद्ध कवि एवं समाज सुधारक - चौ. धर्मपाल सिंह भालोठिया - अमृत कलश (भजनावली),
लेखक - सुरेंद्र सिंह भालोठिया और डॉ स्नेहलता सिंह, बाबा पब्लिकेशन, जयपुर
12. हे भगवान दयालु अब तो
- भजन-12
तर्ज:- चौकलिया
हे भगवान दयालु अब तो, तेरा ही शरणा होगा ।
जो सपने में नहीं सुना, आज देख-देख मरणा होगा ।। टेक ।।
कभी यहाँ सत्यवादी थे, आज धर्म ईमान बेचते हैं ।
कभी यहाँ भोजन मुफ्त मिले था, आज जलपान बेचते हैं।
कभी यहाँ शिक्षा दान बड़ा था, आज यहाँ ज्ञान बेचते हैं।
कभी यहाँ स्वयंवर शादी थी, आज संतान बेचते हैं।
अब माँ- बापों को बेचेंगे, इसलिए मुझे अब डरणा होगा।।
- जो सपने में नहीं सुना.....।। 1 ।।
कभी छोरी थी वीर विदुशी, जिनकी बात बताई जां ।
आज छोरी नंगी नाचें, पिक्चर में रोज दिखाई जा ।
कभी धर्म पर सती हुई थी, जिनकी कथा सुनाई जां ।
आज ढ़ोंग रचते हैं ढोंगी, जबरन सती बनाई जां ।
जति सती के लक्षण क्या, इनका पेटा भरणा होगा ।।
- जो सपने में नहीं सुना....।। 2 ।।
एक सीता के कारण कभी, लंका के आग लगाई यहाँ ।
आज हजारों सीता जां, घर-घर से रोज उठाई यहाँ ।
एक द्रौपदी के कारण हुई, महाभारत की लड़ाई यहाँ ।
आज हजारों द्रोपदी जाती, डाल के तेल जलाई यहाँ ।
घर-घर में आज दुर्योधन और रावण का खरणा होगा ।।
- जो सपने में नहीं सुना.....।। 3 ।।
रक्षक बन गये भक्षक, जो कभी जनता के रखवाली थे ।
सुअर चरावण लाग रहे, जो कभी गऊवों के पाली थे ।
मुर्गा फार्म चला रहे, जो कभी खेत में हाली थे ।
मछली पालन करते हैं, जो कभी बाग में माली थे ।
मनुष्य बना मांसाहारी, शेरों को घास चरणा होगा ।।
- जो सपने में नहीं सुना.....।। 4 ।।
आर्यवर्त से भारत बना और भारत से बना हिन्दोस्तान ।
हिन्दोस्तान से बना इंडिया, अलग बना कुछ पाकिस्तान ।
अलफा खाड़कू उग्रवादी, नागा नाच रहे शैतान ।
और देश का क्या होगा, अब आगे तू जाने भगवान ।
अबके जो कुछ बचेगा उसका, नया नाम धरणा होगा ।।
- जो सपने में नहीं सुना.....।। 5 ।।
घर को क्वाटर, पानी को वाटर, खुराक को डाइट बोलें ।
माँ को मम्मी पिता को डैडी, ऊँचे को हाइट बोलें ।
भाई को ब्रादर बहन को सिस्टर, रोशनी को लाइट बोलें ।
ताऊ को अंकल ताई को आंटी, रात्रि को नाइट बोलें ।
भालोठिया कहे सुभाष अब, गुड मोर्निंग करणा होगा ।।
- जो सपने में नहीं सुना.....।। 6 ।।
13. मैं क्या गाऊँ, तुम क्या सुनोगे
- भजन-13
तर्ज:- चौकलिया
मै क्या गाऊँ तुम क्या सुनोगे, गाने का ढंग बदल गया ।
ब्याह शादी का मनोरंजन और भक्ति सत्संग बदल गया ।। टेक ।।
भक्ति के आज बन रहे अड्डे, जगह जगह मोडां के मठ ।
इकतारा खरताल बजें और बदमाशों का जुड़जा ठठ ।
चेला चेली पैर दबावें, गद्दी पर एक बैठा शठ ।
भक्त भक्तणी न्यू बतलावें, सत्संग में आज गडग्या लठ ।
साक्षात ईश्वर के रूप में, ढोंगी मलंग बदल गया ।।
- ब्याह शादी का मनोरंजन ...........।। 1 ।।
ब्याह शादी में समधी-समधी, एक एक को जाँच रहे ।
दूध दही का नाम नहीं, पी पी के शराब माँच रहे ।
बाप और बेटा दादा पोता, ससुरा जंवाई नाच रहे ।
ऊत गयां की चिट्ठी आई, सत्यानाशी बाँच रहे ।
कुकर्म कर निर्दोष बनें, कहें जमाने का रंग बदल गया ।।
- ब्याह शादी का मनोरंजन .........।। 2 ।।
बनडे़ की घुड़चढ़ी हुई जब, गाँव में हुई मनादी सै ।
महिलाओं को शादी में, मनोरंजन की आजादी सै ।
भुआ बहन भतीजी आ गई, चाची ताई दादी सै ।
सारी गावें गीत आज, मेरे यार की शादी सै ।
डबल बैड के रूप में, शादी का पलंग बदल गया ।।
- ब्याह शादी का मनोरंजन ........।। 3 ।।
गावणियाँ ने जोर लगा लिया,फिर भी भरा नहीं पेटा ।
टेलीविजन रेडियो ने भी, आपका बहम नहीं मेटा ।
घर में कैसेट बजा रहे, मैं बाहर सुनूं लेटा-लेटा ।
पति नाच रहा पत्नी बोली, रोग काट दिया वाह बेटा ।
पत्नी पति को बेटा कहे तो, क्या ये रिश्ता बदल गया ।।
- ब्याह शादी का मनोरंजन.........।। 4 ।।
भेड़ बिनौले खाने लगी और उलटी पहाड़ चढ़ी गंगा ।
छोरी बेचणियां आज छोरा, बेच रहा होकर नंगा ।
थोड़ा दान देख विदा पर, समधी ने कर दिया दंगा ।
फिरें बिचोला भाग्या भाग्या, बनवारी और बजरंगा ।
बिचौलों को गाली देता, लोभी लफंग बदल गया ।।
- ब्याह शादी का मनोरंजन .........।। 5 ।।
सांगियो ने नाच नाच के, तखत हजारों तोड़ दिये ।
कम्पीटीशन वालों ने भी, देश के मटके फोड़ दिये ।
हारमोनियम सारंगी ढोलक, साज सुरीले छोड़ दिये ।
एक तखती में दो तार जोड़, खूँटी के कान मरोड़ दिये ।
भालोठिया कहे सुभाष भी, होकर के तंग बदल गया ।।
- ब्याह शादी का मनोरंजन .........।। 6 ।।
14. नर नारी खुद जुल्म कर
- भजन-14
तर्ज:- चौकलिया
नर नारी खुद जुल्म करें,फिर कहें जमाना बदल गया ।
नहीं जमाना बदला आज, इन्सान दीवाना बदल गया ।। टेक ।।
दिन और रात नहीं बदले, धरती आकाश नहीं बदला ।
सूरज चाँद नहीं बदले, इनका प्रकाश नहीं बदला ।
सप्तऋषि और अरूंधती, ध्रुवतारा खास नहीं बदला ।
चारों दिशा नहीं बदली, पर्वत कैलाश नहीं बदला ।
बारह मास नहीं बदले, एक सिर्फ बहाना बदल गया ।। 1 ।।
जहाँ जवाहर, मोती हीरा, कोहिनूर किरोड़ी लाल ।
जहाँ भोजन के बर्तन होते, सोने और चांदी के थाल ।
जहाँ खजाना कुबेर का था, जिसमें रहा अथाह धनमाल ।
उस देश के मालिक बनगे डाकू, दुष्टों ने कर दिया कंगाल ।
धन गया विदेशों में सारा, भारत का खजाना बदल गया ।। 2 ।।
सबर का फल मीठा होता, ये घर-घर बात चला करती ।
भूखा बने कुबेर नहीं, झूठे की दाल गला करती ।
सत्य मत छोडे़ सूरमा, नहीं सत्य की घड़ी टला करती ।
सत्य की बाँदी लक्ष्मी कभी, आके फेर मिला करती ।
लक्ष्मी का अपहरण हो रहा, उसका ठिकाना बदल गया ।। 3 ।।
त्याग शर्म, करते कुकर्म, फिर करें हजारों तीर्थ धाम ।
लोहागर, पुष्कर, गलताजी, कोई पहुँच गया खाटूश्याम ।
हरिद्वार तैं कांवड़ ल्यावण, चाले डाकू चोर तमाम ।
सारे पाप माफ करवाल्यूं , लागें नहीं गाँठ से दाम ।
तीर्थ धाम अदालत बन गये, तहसील थाना बदल गया ।। 4 ।।
खान पान गया बिगड़ चरित्र, दूषित हुआ नगर खेड़ा ।
अण्डे मांस बने उस घर में, जहाँ खाते लड्डू पेड़ा ।
के तो कुछ मिल गया आपको, या आ गया जान गेड़ा ।
ऐसे लक्षण दीख रहे, मझधार में डूबेगा बेड़ा ।
भालोठिया कहे दूध,दही घी, खाना पीना बदल गया ।। 5 ।।
15. दुनिया हमेशा मरती आई, तीन के ऊपर
- भजन-15
तर्ज:- चौकलिया
दुनिया हमेशा मरती आई, तीन के ऊपर ।
ये झगड़े सारे जर, जोरू और जमीन के ऊपर ।। टेक ।।
इन तीनों की भूख जगत में, सबसे न्यारी हो ।
कभी नहीं मिटती जीवन में, विकट बीमारी हो ।
इन तीनों के चक्कर में, फिरे दुनिया सारी हो ।
दिन और रात कत्ल डाके, और चोरी जारी हो ।
तैयारी हो जंग की, अपनी तोहीन के ऊपर ।। 1 ।।
जर के लिए मनुष्य, अपना ईमान बेचता है ।
जगत सेठ भी चाय और बीड़ी पान बेचता है ।
गृहस्थी जर के लिए, अपनी संतान बेचता है ।
साधु सन्यासी जगत गुरू, बन ज्ञान बेचता है ।
ज्यान बेचता है डाकू , संगीन के ऊपर ।। 2 ।।
जोरू के लिए जगह-जगह, पर झगड़ा होता है ।
बलवान भाग जा लेकर, फिर कमजोर रोता है ।
कोई अदालतों में, झूठे झगडे़ झोता है ।
कोई जोरू के लिए ही, अपनी जान खोता है ।
टोहता है आनन्द ज्यो, विषयर बीन के ऊपर ।। 3 ।।
जमीन के लिए छोटे बड़े, सब लोग झगड़ते हैं।
भाई-भाई का गल काटे, जेलों में सड़ते हैं ।
जमीन के लिए राजा और बादशाह लड़ते हैं ।
चले दनादन गोली, बम धड़ाधड़ पड़ते हैं ।
चढ़ते हैं भालोठिया, कोई मशीन के ऊपर ।। 4 ।।
16. एजी एजी देश का, पलट रहा इतिहास
- भजन-16
तर्ज:- सांगीत - एजी एजी जगत में आयेगा तूफान,
- कौन जियेगा कौन मरेगा ये जाने भगवान ......
एजी एजी देश का, पलट रहा इतिहास ।
थोडे़ दिन के अन्दर-अन्दर, कितना हुआ विकास ।। टेक ।।
होते ही आजाद मुल्क, देश का हर भाई बदला ।
हिन्दु मुसलमान बदला, सिख और ईसाई बदला ।
धाणक और चमार बदला, तेली धोबी नाई बदला ।
खाती और सुनार स्वामी, जोगी और गुसाई बदला ।
ब्राह्मण बनिया राजपूत, अहीर गुर्जर जाट बदला ।
बाजीगर बावरिया मीणा, चारण बही भाट बदला ।
छत्तीस बिरादरी नहावे, पुष्कर का घाट बदला ।
तीन टेम चाय पीवे, ये बुड्ढा खुर्रांट बदला ।
- भर-भर रोज गिलास ।। 1 ।।
बाड़ की जगह पर पक्की, दीवारें खड़ी आज ।
नीम का था काठ जहाँ पै, साल की कड़ी आज ।
छान की जगह पै, छत लैन्टर की पड़ी आज ।
खेत में हाली के पास, रेडियो और घड़ी आज ।
पैर उभाणे फिरते उनके, बाटा के बूट आज ।
तणियाँ बाँधा करते उनके, इक्यावन सौ का सूट आज ।
इन्दिरा नहर गई वहाँ, पाणी की लूट आज ।
पाणी में लगावे गोते, बागड़ का भरूँट आज ।
- टीबां मैं खड़ी कपास ।। 2 ।।
सामणी की फसल होती, सबसे बढ़िया बाड़ी आज ।
ईंख और कपास ढोवें, ट्रेक्टर और गाड़ी आज ।
कंघा और शीशा लेके, टेढी माँग पाड़ी आज ।
दो-दो चोटी करने लगी, धापली और माड़ी आज ।
झूठी साबित कर दी, तुलसीदास की चौपाई आज ।
बेटियों की होने लगी, घर-घर में पढाई आज ।
भतेरी एम.एल.ए. बनगी, मिनिस्टर भरपाई आज ।
मनभरी कलेक्टर बनी, बी.डी.ओ. स्योबाई आज ।
- लाडो एम.ए.पास ।। 3 ।।
विडियो फिल्म की बनती, शादी में कैसेट आज ।
दिखावें आतिशबाजी, उडावें राकेट आज ।
शादी में समधी को मिले, लाखों की भेंट आज ।
टेंट हाउस वाले लावें, कोठी बंगला गेट आज ।
राबड़ी की जगह चाय, शिकंजी बनाई आज ।
गूद्ड़े की जगह तकिया, सोड़िया रजाई आज ।
तेल साबुन कंघा,शीशा, रेजर पत्ती आई आज ।
भालोठिया कहे खीर, चम्मच से खाई आज ।
- ये आया जमाना खास ।। 4 ।।
17. आओ आओ आर्य वीरो
- ।। भजन-17 ।।
तर्ज:- चौकलिया
आओ आओ आर्य वीरो, जो होशियार खिवैया है ।
हुये हजारों छेद आज, रही डूब देश की नैया है ।। टेक ।।
दयानन्द ने जहर पिया, इस देश की नाव बचाने को ।
गाँधीजी ने त्याग किया, इस देश की नाव बचाने को ।
नेताजी ने व्रत लिया, इस देश की नाव बचाने को ।
श्रद्धानन्द ने खून दिया, इस देश की नाव बचाने को ।
उन बेटों को याद करे, रो-रो आज भारत मैया है ।। 1 ।।
इस देश की नाव बचाने को, हुआ कितनों को कालापानी ।
जेलों के अन्दर सड़-सड़ के, कितनों ने खोई जिंदगानी ।
देश की नाव बचाने को, पड़ी कितनों को फांसी खानी ।
नहीं भूले इतिहास देश का, उन वीरों की कुर्बानी ।
उनके सपनों की रचना का, आओ कौन रचैया है ।। 2 ।।
दुष्ट कुचाली, करें दलाली, भ्रष्टाचार के छेद हुए ।
गन्दी पिक्चर, देखें घर-घर, चित्रहार के छेद हुए ।
महिलाओं के अपहरण और बलात्कार के छेद हुए ।
डाका चोरी, रिश्वतखोरी, लूटमार के छेद हुए ।
राम भरत लक्ष्मण शत्रुघ्न, आओ कौन कन्हैया है ।। 3 ।।
गोरे विदेशी चले गये, अपने कालों के छेद हुए ।
देश के दुश्मन, खावें कमीशन, घरवालों के छेद हुए ।
कहीं बन्द, कहीं आत्महत्या, हड़तालों के छेद हुए ।
लाखों करोड़ों के रोजाना, घोटालों के छेद हुए ।
भालोठिया कहे आज दुनिया में, सबसे बड़ा रूपैया है ।। 4 ।।
18. नहीं मन बस में, नहीं तन बस में
- ।। भजन-18।।
तर्ज:-मन डोले, मेरा तन डोले, मेरे दिल का गया करार रे ......
नहीं मन बस में, नहीं तन बस में, नहीं बस में रही जुबान,
- बिगड़ गई आर्यो की संतान ।। टेक ।।
कभी यहाँ सत्यवादी थे, आज धर्म ईमान बेचते हैं ।
कभी यहाँ शिक्षादान बड़ा था, अब यहाँ ज्ञान बेचते हैं ।
कभी यहाँ भोजन मुफ्त मिले था, अब जलपान बेचते हैं ।
कभी यहाँ स्वयंवर शादी थी, अब संतान बेचते हैं ।
अबके हमारी, आई बुड्ढों की बारी, बेचेंगे बेईमान,
- बिगड़ गई आर्यों की संतान ।। 1 ।।
गोरे विदेशी चले गये, बने आज घर-घर में काले अंग्रेज।
संस्कृत और राष्ट्रभाषा, हिन्दी से करते परहेज।
इंगलिश मीडियम स्कूल में, पढ़ावें बच्चों को भेज।
माँ को मम्मी पिता को डैडी, पत्नी को बोल रहे मिसेज।
कहें गुड मोर्निंग, कभी गुड इवनिंग, करें गुड नाइट श्रीमान।
- बिगड़ गई आर्यों की संतान ।। 2 ।।
कभी यहाँ पर दो ही टर थे, धृतराष्ट्र युधिष्टर ।
आज डॉक्टर कहीं मास्टर, कहीं इंसपेक्टर कन्डेक्टर ।
कहीं कलेक्टर सब इन्सपेक्टर, कहीं आडीटर डायरेक्टर ।
कहीं मिनीस्टर हिस्ट्रीशीटर, लूज करेक्टर डिफाल्टर ।
कहीं सिस्टर, और कहीं मिस्टर , टर-टर ने खालिये कान, ।
- बिगड़ गई आर्यों की संतान ।। 3 ।।
जिनकी कोख से मिले दयानन्द, गाँधी सुभाषचन्द्र बोस ।
भ्रूण हत्या हो रही गर्भ में, मारी जां कन्या निर्दोष ।
समाज को खा रही बुराई, पंचाती बैठे खामोश ।
मोड़ बांध के चक्कर काटियो, बहू मिले नहीं सौ-सौ कोस ।
रहेंगे मरद शेष, रंडवों का देश, बनज्यागा हिन्दोस्तान,
- बिगड़ गई आर्यों की संतान ।। 4 ।।
चौबीस साल ब्रह्मचारी रहते, पाचों इन्द्री थी बस में ।
ज्ञान इन्द्री, कर्म इन्द्री, तन का जोड़ बना दस में ।
अपना अपना काम करन की,तालमेल थी आपस में ।
सदाचार की उनके हरदम, गंगा बहती नस नस में ।
था वेद धर्म, और सत्य कर्म, उनका था लक्ष्य महान,
- बिगड़ गई आर्यों की संतान ।। 5 ।।
वेदों के प्रचार बिना, दुख भोग रहा आज सकल जहान ।
अंधविश्वास के चक्कर में, हर व्यक्ति हो रहा परेशान ।
स्याणा सेवड़ा बणे डॉक्टर, अन्धी दुनिया मोधू ज्ञान ।
कहीं भूतणी तंग करे, कहीं लांडा भूत करे घमासान ।
कहे धर्मपाल, है बुरा हाल, आज बन गये सब लुकमान ।
- बिगड़ गई आर्यों की संतान ।। 6 ।।
19. एजी एजी जगत में, सबसे बड़ी है बात
- भजन-19 (बात की करामात)
तर्ज:- सांगीत - एजी एजी जगत में आयेगा तूफान .........
एजी एजी जगत में, सबसे बड़ी है बात ।
बात के ऊपर मरते देखे, दुनिया में दिन रात ।। टेक ।।
बात पै ही हरिश्चन्द्र, बन भंगी के दास गये ।
बात पै ही फूल तोड़ने, बाग में रोहतास गये ।
बात पै ही राजा दशरथ, तज जीवन की आस गये।
बात पै ही राम लक्ष्मण, सीता बनवास गये।
बात पै ही भरत करने राम को तलाश गये।
बात पै ही रावण लेकर सीताजी को खास गये।
बात पै ही रामचन्द्र, कर लंका का नाश गये।
बात पै ही हनुमान, सीताजी के पास गये।
जहाँ थी सीता हवालात । जगत में........।। 1 ।।
बात पै ही पुष्कर बना, राज का अधिकारी देखो ।
बात पै ही नल राजा, बना था भिखारी देखो ।
बात पै ही बन में राजा, बना था शिकारी देखो ।
बात पै ही छूटे बंगले, महल और अटारी देखो ।
बात पै ही गई हाथी, घोडों की सवारी देखो ।
बात पै ही पल में हुई, जंगल की तैयारी देखो ।
बात पै ही संग में चली, दमयन्ती बेचारी देखो ।
बात पै ही दमयन्ती ने, हिम्मत नहीं हारी देखो ।
चाहे दुख पावे गात । जगत में.......।। 2 ।।
बात पै ही महाभारत की, मिलती है तहरीर देखो ।
बात पै ही पांडव चले, बनकर के राहगीर देखो ।
बात पै ही खींचा गया, द्रोपदी का चीर देखो ।
बात पै ही अर्जुन चला, लेकर अपना तीर देखो ।
बात पै ही जख्मी हुआ, भीष्म का शरीर देखो ।
बात पै ही हुआ भाई, भाईयों का आखीर देखो ।
बात पै ही कृष्ण अर्जुन, बने थे फकीर देखो ।
बात पै ही दांत तोड़ने, लगा कर्णवीर देखो ।
दुनिया में विख्यात । जगत में.......।। 3 ।।
बात पै ही महाराणा प्रताप सिंह भी मरता रहा ।
बात पै ही भूखा प्यासा, वनों में विचरता रहा ।
बात पै ही घास खाके, अपना पेट भरता रहा ।
बात पै ही अकबर से, लड़ाई रोज करता रहा ।।
बात पै ही एक रोज, सूरजमल सम्राट चले ।
बात पै ही लाल किला, तोड़ने को जाट चले ।
बात पै ही रणभूमि में, करते मारकाट चले।
बात पै ही दिल्ली जीत, पुष्कर के घाट चले ।
साथ किशोरी मात । जगत में.......।। 4 ।।
बात पै ही फतेहसिंह और जोरावर दो भाई देखो ।
बात पै ही पड़ी दोनों, बच्चों पर तबाही देखो ।
बात पै ही बादशाह ने, शक्ति अपनाई देखो ।
बात पै ही बच्चों ने नहीं, कायरता दिखाई देखो ।।
बात पै ही देश और, धर्म के रखवाले बने ।
बात पै ही अनमोल, जिन्दगी पर चाले बने ।
बात पै ही दोनों बच्चे, मौत के हवाले बने ।
बात पै ही हँसते-हँसते, भीतों के मसाले बने ।
बात में है करामात । जगत में......।। 5 ।।
बात पै ही बालक मूलशंकर जी बैरागी बना ।
बात पै ही दादा भाई, नोरोजी बड़भागी बना ।
बात पै ही नेहरू जैसा, कौन यहाँ त्यागी बना ।
बात पै ही सुभाष जैसा, देशभक्त बागी बना ।।
बात पै ही देश के, हजारों वीर जेल गये ।
बात पै ही उनके साथ, गाँधी और पटेल गये ।
बात पै ही कितने वीर, जान पर खेल गये ।
बात पै ही भालोठिया कहे, भर-भर रेल गये ।
देशभक्त विलात । जगत में....... ।। 6 ।।