Amrit Kalash/Chapter-5
स्वतंत्रता सेनानी प्रसिद्ध कवि एवं समाज सुधारक - चौ. धर्मपाल सिंह भालोठिया - अमृत कलश (भजनावली),
लेखक - सुरेंद्र सिंह भालोठिया और डॉ स्नेहलता सिंह, बाबा पब्लिकेशन, जयपुर
22 . धर्म गया कलुकाल में
- भजन-22
तर्ज:-गंगाजी तेरे खेत में ...........
धर्म गया कलुकाऽऽऽल में, ये आती है आवाज ।
मेरे परमाऽऽऽत्मा, आज कौन बचावणियाऽऽऽ।। टेक ।।
जहाँ कहीं देखें, हर इन्सान कहे धर्म गया ।
कोई माँगे धर्म के लिये दान कहे धर्म गया ।
दान को फिर खा जाए, प्रधान कहे धर्म गया ।
रांग मिलावे सोने में, सुनार कहे धर्म गया ।
झूठे पीपल पाड़े, नम्बरदार कहे धर्म गया ।
सूदखोर बोहरा, साहूकार कहे धर्म गया ।
धन टोहवे कंगाऽऽऽल में, ले मूल से दूणा ब्याज ।।
- मेरे परमाऽऽऽत्मा ..............।। 1 ।।
कुकर्म करे मंदिर में, पुजारी कहे धर्म गया ।
फरद के पाँच सौ ले, पटवारी कहे धर्म गया ।
खोर पीसे हल्दी में, पंसारी कहे धर्म गया।
राशन खावे बच्चों का, मास्टर कहे धर्म गया।
कर्ज लेकर नहीं दे, डिफाल्टर कहे धर्म गया।
भ्रूण हत्या करने वाला, डॉक्टर कहे धर्म गया।
धर्मादा अस्पताऽऽऽल में, पाप हो रहे आज ।।
- मेरे परमाऽऽऽत्मा ............. ।। 2 ।।
भाई पर चलावे गोली, भाई कहे धर्म गया ।
बच्चे बेच खाए वो, अन्याई कहे धर्म गया ।
आधा पानी दूध में, हलवाई कहे धर्म गया ।
पंडित मुल्ला पादरी और ज्ञानी कहे धर्म गया ।
मस्जिद तोड़ी गयी तो, रमज्यानी कहे धर्म गया ।
मंदिर नहीं बना तो, सनातनी कहे धर्म गया ।
इस राजनीति के जाऽऽऽल में, फँसा ये धर्म का जहाज ।
- मेरे परमाऽऽऽत्मा .......।। 3 ।।
धर्म नहीं बचे आज, आर्य समाज बिना ।
धर्म नहीं बचे आज, वेद के रिवाज बिना ।
धर्म नहीं बचे आज, आर्यों के राज बिना ।
धर्म नहीं बचे प्राणी, मात्र की भलाई बिना ।
धर्म नहीं बचे अपनी, वाणी की सच्चाई बिना ।
धर्म नहीं बचे बीसों, नुआं की कमाई बिना ।
भालोठिया कहे भूचाऽऽऽल में, दूषित हुआ समाज ।।
- मेरे परमाऽऽऽत्मा ............।। 4 ।।
23 . छाया भ्रष्टाचार सै
- भजन 23
तर्ज:-जिया बेकरार है, छाई ये बहार है .......
छाया भ्रष्टाचार सै, देश की पुकार सै ।
आजा युवाशक्ति आजा, तेरा इन्तजार सै ।। टेक ।।
दो सौ साल तक करी हुकुमत, मेरे ऊपर गोरों ने ।
गोरे गये, मेरे पै कब्जा कर लिया काले चोरों ने ।
नहीं देश से प्यार सै, लूट की भरमार सै ।
- आजा युवाशक्ति आजा ......।। 1 ।।
गाँधी जी को पता नहीं था, ये नमक हरामी बन ज्यांगे ।
मेरे देश को लूट लूट के, बड़ी आसामी बन ज्यांगे ।
देश कर्जदार सै, धन गया देश तै बाहर सै ।
- आजा युवाशक्ति आजा ....।। 2 ।।
कुछ दिन तो इंतजार किया, मैंने प्यारे बोस बंगाली का ।
नहीं किसी ने पता बताया,बाग के सच्चे माली का ।
नैया मझधार सै, तुही बचावनहार सै ।
- आजा युवाशक्ति आजा ........।। 3 ।।
धर्मपाल सिंह भालोठिया का, उस दिन भर जागा पेटा ।
मेरे तख्त पे जब बैठे, मजदूर किसान का बेटा ।
जन जन की पुकार सै, बच्चा बच्चा तैयार सै ।
- आजा युवाशक्ति आजा ........ ।। 4 ।।