Arvind Singh Gandharva

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Arvind Singh Gandharva

Arvind Singh Gandharva (Grenadier) (03.10.1977 - 26.06.1999) is a Martyr of Kargil war from Uttar Pradesh. He is from village Avihafizpur (Milak Chhavi), tahsil: Kanth, district Moradabad, Uttar Pradesh. He became martyr on 30 June 1999 during Operation Vijay in Kargil War. Unit-22 Grenadiers Regiment.

ग्रेनेडियर अरविंद सिंह गंधर्व का परिचय

ग्रेनेडियर अरविंद सिंह गंधर्व

03-10-1977 - 26-06-1999

यूनिट - 22 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट

पॉइंट 5287 की लड़ाई

ऑपरेशन विजय

कारगिल युद्ध 1999

ग्रेनेडियर अरविंद सिंह का जन्म 3 अक्टूबर 1977 को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले की कांठ तहसील के आवीहफीजपुर (छाई मिलक) गांव में श्री मुख्तयार सिंह गंधर्व एवं श्रीमती चंद्रवती देवी के परिवार में ज्येष्ठ पुत्र के रूप में हुआ था। अरविंद सिंह की 1 से 8 वीं तक की शिक्षा उनकी मौसी के घर मोढ़ा तेहिया गांव (मुरादाबाद) में हुई थी। 12वीं तक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात वर्ष 1997 में मेरठ कैंट से वह भारतीय सेना की ग्रेनिडियर्स रेजिमेंट में ग्रेनेडियर के पद पर भर्ती हुए थे। ग्रेनेडियर्स रेजिमेंटल सेंटर जबलपुर से प्रारंभिक प्रशिक्षण पूर्ण करने के पश्चात उन्हें 22 ग्रेनेडियर्स बटालिन में नियुक्त किया गया था।

अरविंद सिंह की प्रथम नियुक्ति 6 माह के लिए हैदराबाद में हुई थी। उसके पश्चात उनकी बटालियन को कारगिल में तैनात किया गया। कारगिल में तैनाती के आदेश मिलने पर अप्रैल 1999 में अरविंद सिंह को 2 माह का अवकाश प्राप्त हुआ था। 22 जून 1999 को जब उनका अवकाश पूरा हुआ उस समय कारगिल युद्ध चल रहा था। वह कारगिल मोर्चे के लिए विदा हो गए। वहां पहुंच कर उन्होंने अपने कुशलक्षेम का टेलीग्राम परिजनों को भेजा था। लड़ाई के समय परिजनों की उनसे बात नहीं हो पाती थी। एक बार बात हुई, तब उन्होंने कहा कि "स्थितियां विकट हैं, पर हम सब अपनी हिम्मत के बल पर युद्ध जीतकर लौटेंगे।"

ऑपरेशन विजय में 25/26 जून 1999 की रात 22 ग्रेनेडियर्स बटालियन की B कंपनी को कारगिल जिले के बटालिक सेक्टर में पॉइंट 5287 पर कब्जा करने का कार्य सौंपा गया। यह कंपनी जब रात के समय अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रही थी तभी शत्रु ने तोपखाने और स्वचालित हथियारों से इस कंपनी पर भयानक गोलीबारी आरंभ कर दी। ऐसी विकट परिस्थिति में ग्रेनेडियर अरविंद सिंह ने कंपनी को गोलाबारूद एवं हथियारों को उपयुक्त स्थान पर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भीषण गोलीबारी में अविचलित और दृढ़ निश्चय से अपना कर्तव्य निर्वहन करते हुए ग्रेनेडियर अरविंद सिंह को 18 गोलियां लगीं। वह गंभीर रूप से घायल हो गए और अंततः वीरगति को प्राप्त हुए।

29 जून 1999 को, उनका पार्थिव शरीर गांव पहुंचा था। जहां पूर्ण सैन्य व राजकीय सम्मान से उनका अंतिम संस्कार किया गया। 3 जुलाई 1999 को उनका भेजा टेलीग्राम घर पहुंचा था। सरकार द्वारा इनके सम्मान में छवि मिलक पंचायत का नाम अरविंद नगर मिलक कर दिया गया है। अरविंद सिंह सबसे बड़े थे, उनसे छोटी तीन बहनें और एक भाई है।

ग्रेनेडियर अरविंद सिंह गंधर्व के बलिदान को भारत में युगों - युगों तक स्मरण किया जाएगा। जय हिंद!! जय जवान!!

शहीद को सम्मान

गैलरी

स्रोत

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ


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