Ashokavanika
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Ashokavanika (अशोकवनिका) was a garden in Lanka, that was located in the Kingdom of the Rakshasa king, Ravana, as mentioned in the Vishnu Purana and Hindu epic, Ramayana of Valmiki, and all subsequent versions, including the Ramacharitamanas written by Tulsidas, where it finds mention in the Sundar Kand.
Origin
Variants
- Ashokavanika (अशोकवनिका) (AS, p.48)
- Ashokat Vatika/Ashokavatika (अशोकवाटिका) दे. Ashokavanika (अशोकवनिका) (AS, p.49)
History
Ashokavatika was the location, where Sita, the wife of Rama was held captive by Ravana, after her abduction, also because she refused to stay in Ravana's palace, and preferred to stay under the Ashoka tree, hence the name.[3] It was here that Ravana's wife Mandodari came to meet her and also where Hanuman met her for the first time, and identified himself with the finger ring of Rama. Ashoka tree (Saraca asoca) often known as Sita-Ashok owing to its connection with the Ramayana.
Sita stayed at Ashokat Vatika, till the end of the epic battle between Rama and Ravana, which resulted in the destruction of Ravana himself and most of this clan. Much of the Ashoka Vatika was destroyed by Hanuman, when he first visited Lanka, searching for Sita. Also destroyed was the Pramda Van at the centre of the Ashok Vatika.[1]
Present location
Its present location is believed to be the Hakgala Botanical Garden, the area is known as Seetha Eliya, close to the resort city of Nuwara Eliya. The Garden is situated at the base of the Hakgala Rock forms, has Sita Pokuna, a barren area atop the Hakgala Rock Jungle, where Sita was supposedly held captive, the Sita Amman Temple is located here. Other connected site is a spot where Sita bathed in a stream at Sita Eliya, called Sita Jharna.[2]
अशोकवनिका
विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ...अशोकवनिका (AS, p.48): अशोकवनिका को अशोकवाटिका भी कहा जाता है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार लंका में स्थित एक सुंदर उद्यान था जिसमें रावण ने सीता को बंदी बनाकर रखा था- 'अशोकवनिकामध्ये मैथिलीं नीयतामिति, तत्रेयं रक्ष्यतां गूढं युष्माभि: परिवारिता।'[4]
अरण्य काण्ड (55) से ज्ञात होता है कि रावण पहले सीता को अपने राज प्रासाद में लाया था और वहीं रखना चाहता था। किंतु सीता की अडिगता तथा अपने प्रति उसका तिरस्कारभाव देखकर उसे धीरे-धीरे मना लेने के लिए प्रासाद से कुछ दूर अशोकवाटिका में कैद कर दिया था। सुंदर कांड 18 में अशोकवाटिका का सुंदर वर्णन है- 'तां नगैर्विविधैर्जुष्टां सर्वपुष्पफलोपगै:, वृतां पुष्करिणीभिश्च नानापुष्पोपशोभिताम्। सदा मत्तैश्च विहगैर्विचित्रां परमाद्भुतै: ईहामृगैश्च विविधैर्वृता दृष्टिमनोहरै:। वीथी: संप्रेक्षमाणश्च मणिकांचनातोरणाम् नानामृगगणाकीर्णां फलै: प्रपतितैर्वृताम्, अशोकवनिकामेव प्राविवशत्संततद्रुमाम्।' (सुंदर कांड 18, 6-9)
अध्यात्म रामायण में भी सीता का अशोकवनिका या अशोकविपिन में रखे जाने का उल्लेख है-'स्वान्त:पुरे रहस्ये तामशोकविपिने क्षिपत्, राक्षसीभि: परिवृतां मातृबुद्धयान्वपालयत्।' [5]
वाल्मीकि ने सुंदर कांड 3,71 में हनुमान द्वारा अशोकवाटिका के उजाड़े जाने का वर्णन है- 'इतिनिश्चित्य मनसा वृक्षखंडान्महाबल:, उत्पाट्याशोकवनिकां निवृक्षामकरोत् क्षणात्।'[6] अशोकवाटिका में हनुमान ने साल, अशोक, चंपक, उद्दालक, नांग, आम्र तथा कपिमुख नामक वृक्षों को देखा था। उन्होंने एक शीशम के वृक्ष पर चढ़ कर प्रथम बार सीता को देखा था- 'सुपुष्पिताग्रानरुचिरांस्तरुणांकुरपल्लवान्, तामारुह्य महावेग: शिंशपापर्णसंवृताम्।[7] इसी वृक्ष के नीचे उन्होंने सीता से भेंट की थी। (देखें अध्यात्म रामायण सुंदर कांड 3, 14- 'शनैरशोक वनिकां विचिन्वञ् शिंशपातरुम्, अद्राक्षं जानकीमत्र शोचयन्तीं दु:खसंप्लुताम्')
External links
References
- ↑ Historic Rama of Valmiki: Shastragrahi Rama, by Visvanath Limaye. Published by Gyan Ganga Prakashan, 1985. Page 142, 189.
- ↑ Ramayana sites in Sri Lanka tourslanka.com.
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.48
- ↑ अरण्य काण्ड वा. रा. 56, 30
- ↑ अरण्य काण्ड वा. रा. 7, 65
- ↑ सुंदर कांड 3, 71
- ↑ सुंदर कांड 14, 14