Bablu Singh Laur

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Bablu Singh Laur

Bablu Singh Laur (Sepoyy) (10.07-1987 - 30.07.2016), Sena Medal, is a Martyr of militancy in Jammu and Kashmir. He was from village Jhandipur Bangar, tahsil and district Mathura, Uttar Pradesh. He became martyr on 30.07.2016 during Operation Rakshak. Unit-18 Jat Regiment/61 Rashtriya Rifles.

Introduction

Remembering RIFLEMAN BABLOO SINGH, Sena Medal | 18 JAT Regiment on his birth anniversary. A battle-hardened soldier who liked being in thick of action, he opted for 61 Rashtriya Rifles. He was a keen sportsperson and part of unit's wrestling team. He had almost completed his 3 years tenure in the valley and had been part of many anti-terror ops, when just 3 weeks ahead of his 30th birthday, this braveheart laid down his life fighting infiltrating terrorists from across LOC in Nowgam sector on 30 July 2016. A tough soldier with a heart of gold, he celebrated his birthday with disadvantaged children and used to distribute gifts to them. So remembered and missed. Rest easy among the stars, buddy.[1]

जीवन परिचय

सिपाही बबलू सिंह लौर

10-07-1987 - 30-07-2016

सेना मेडल (मरणोपरांत)

पिता - श्री मलूका राम

माता - श्रीमती मुन्नी देवी

वीरांगना - श्रीमती रविता देवी

यूनिट - 18 जाट रेजिमेंट/61 राष्ट्रीय राइफल्स

ऑपरेशन रक्षक

सिपाही बबलू सिंह का जन्म 10 जुलाई 1987 को उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के झंडीपुर गांव में श्री मलूका राम लौर एवं श्रीमती मुन्नी देवी के परिवार में हुआ था। भाई-बहन में सबसे बड़े श्री निर्भय सिंह दूसरे स्व. बबलू सिंह, तीसरे श्री हरिओम सिंह चौथी बहिन श्रीमती अंजना देवी एवं सबसे छोटे श्री सतीश सिंह हैं।

वर्ष 2005 में वह भारतीय सेना की जाट रेजिमेंट में भर्ती हुए थे।

वर्ष 2016 में सिपाही बबलू सिंह जम्मू-कश्मीर के आतंकवाद विरोधी अभियानों में लगी हुई 61 राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन के साथ सेवारत थे। 29/30 जुलाई 2016 की रात आतंकवादियों ने श्रीनगर से करीब 120 किलोमीटर दूर नौगाम सेक्टर में आतंकवादियों ने घाटी में घुसने का प्रयास किया। 61 RR के सैनिक पहले से ही सतर्क थे क्योंकि खुफिया रिपोर्टों ने नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ के ऐसे संभावित प्रयासों के बारे में सूचित किया था। 30 जुलाई 2016 को लगभग 00:30 बजे सिपाही बबलू सिंह व उनके साथी घुसपैठ विरोधी बाधा प्रणाली के साथ गश्त कर रहे थे, तभी आतंकवादियों ने उन पर घात लगाकर गोलियां चलाई। सिपाही बबलू सिंह और नायक राकेंद्र सिंह उनकी सहायता के लिए दौड़ पड़े।

इसी बीच एक आतंकी पत्थरों की आड़ के पीछे छिप गया। यद्यपि, वहां भीषण गोलीबारी हो रही थी, तभी सिपाही बबलू सिंह व दूसरा आतंकवादी आमने-सामने आ गए, आतंकवादी ने लगभग 15 मीटर की दूरी से उन पर फायर किया। गंभीर रूप से घायल होने के उपरांत भी सिपाही बबलू सिंह ने उच्च कोटि के साहस और वीरता का प्रदर्शन करते हुए जवाबी कार्रवाई में उस आतंकवादी को मार गिराया। उन्होंने अपने साथियों के जीवन की रक्षा की व वीरगति को प्राप्त हुए।

सिपाही बबलू सिंह को उनकी सराहनीय वीरता, कर्तव्य के प्रति समर्पण, सौहार्द की भावान एवं सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत सेना मेडल (वीरता) से सम्मानित किया गया।

सिपाही बबलू सिंह की दो संतान पुत्र द्रोण चौधरी व पुत्री गरिमा चौधरी है।

गांव में इनका स्मारक बना हुआ है, जहां इनकी आदमकद प्रतिमा स्थापित है। स्मारक के पास ही इनके नाम से पार्क बना हुआ है। इनके सम्मान में गांव के मुख्य मार्ग पर द्वार बना हुआ है। गांव को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ने वाली सड़क का नाम इनके नाम पर किया गया है।

सिपाही बबलू सिंह के बलिदान को देश युगों युगों तक याद रखेगा।

शहीद को सम्मान

गांव में इनका स्मारक बना हुआ है, जहां इनकी आदमकद प्रतिमा स्थापित है। स्मारक के पास ही इनके नाम से पार्क बना हुआ है। इनके सम्मान में गांव के मुख्य मार्ग पर द्वार बना हुआ है। गांव को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ने वाली सड़क का नाम इनके नाम पर किया गया है।

बाहरी कड़ियाँ

गैलरी

स्रोत

संदर्भ


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