Bagori

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Partial map of Uttarakhand

Bagori (बगोरी) is a village in Bhatwari Tehsil of Uttarkashi district in Uttarakhand, India.

Variants

Location

According to Census 2011 information the location code or village code of Bagori village is 040712. Bagori village is located in Bhatwari Tehsil of Uttarkashi district in Uttarakhand, India. It is situated 50km away from sub-district headquarter Bhatwari and 80km away from district headquarter Uttarkashi. As per 2009 stats, Bagori village is also a gram panchayat. The total geographical area of village is 16.01 hectares. Bagori has a total population of 567 peoples. There are about 145 houses in Bagori village. Gangotri is nearest town to Bagori which is approximately 25km away.[1]

History

बगोरी, धराली, मुखवा, झाला और पुराली गांव इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति और इतिहास को समेटे हैं।

जाटगंगा

भैरों घाटी जो कि गंगोत्री से 6 मील नीचे को है, यहां पर ऊपर पहाड़ों से भागीरथी गंगा उत्तर-पूर्व की ओर से और नीलगंगा (जाटगंगा) उत्तर पश्चिम की ओर से आकर दोनों मिलती हैं। इन दोनों के मिलाप के बीच के शुष्क स्थान को ही भैरों घाटी कहते हैं। जाटगंगा के दाहिने किनारे को 'लंका' कहते हैं। इस जाटगंगा का पानी इतना शुद्ध है कि इसमें रेत का कोई अणु नहीं है। भागीरथी का पानी मिट्टी वाला है। दोनों के मिलाप के बाद भी दोनों के पानी बहुत दूर तक अलग-अलग दिखाई देते हैं। जाटगंगा का पानी साफ व नीला है इसलिए इसको नीलगंगा कहते हैं। महात्माओं और साधुओं का कहना है कि भागीरथी गंगा तो सम्राट् भगीरथ ने खोदकर निकाली थी और इस नीलगंगा को जाट खोदकर लाये थे इसलिए इसका नाम जाटगंगा है। इसके उत्तरी भाग पर जाट रहते हैं। इस कारण भी इसको जाटगंगा कहते हैं। इस जाट बस्ती को, चीन के युद्ध के समय, भारत सरकार ने, वहां से उठाकर सेना डाल दी और जाटों को, हरसल गांव के पास, भूमि के बदले भूमि देकर आबाद किया। जाटों ने यहां गंगा के किनारे अपना गांव बसाया जिसका नाम बगोरी रखा। यह गांव गंगा के किनारे-किनारे लगभग 300 मीटर तक बसा हुआ है जिसमें लगभग 250 घर हैं। लोग बिल्कुल आर्य नस्ल के हैं। स्त्री-पुरुष और बच्चे बहुत सुन्दर हैं। ये लोग बौद्ध धर्म को मानते हैं। इनके गांव में बौद्ध मन्दिर है। ये लोग भेड़ बकरियां पालते हैं। और तिब्बत से ऊन का व्यापार करते हैं। ये अपने घरों में ऊनी कपड़े बुनते हैं।

नोट - हरसल गांव दोनों गंगाओं के मिलाप से लगभग 7 मील नीचे को गंगा के दाहिने किनारे पर है। बघौरी गांव हरसल से लगा हुआ है।[2]

External links

References